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  • दिशानिर्देश एवं निर्देश

  • निर्वाचन घोषणापत्र

    निर्वाचन आयोग ने घोषणा पत्र के दिशानिर्देशों के बारे में राजनैतिक दलों के साथ परामर्श किया  

    आयोग ने निर्वाचन संबंधी घोषणा पत्रों के लिए दिशानिर्देशों के प्रतिपादन के बारे में निर्वाचन सदन, नई दिल्‍ली में राष्‍ट्रीय एवं राज्‍य मान्‍यताप्राप्‍त दलों के प्रतिनिधियों के साथ 12 अगस्‍त, 2013 को बैठक आयोजित की। सभी छह राष्‍ट्रीय दलों ने बैठक में भाग लिया जबकि 45 आमंत्रित राज्‍य दलों में से 24 ने भाग लिया। यह बैठक माननीय उच्‍चतम न्‍यायालय के हाल के निर्णय, जिसमें आयोग को मान्‍यताप्राप्त राजनैतिक दलों के परामर्श से निर्वाचन संबंधी घोषणा पत्रों के बारे में दिशानिर्देश, जिन्‍हें आदर्श आचार संहिता के भाग के रूप में सम्मिलित किया जाना होगा, तैयार करने का निदेश दिया गया, के फलस्‍वरूप अपने सुझाव/विचार प्राप्‍त करने के लिए आयोजित की गई। 

    मुख्‍य निर्वाचन आयुक्‍त, श्री वी.एस. सम्‍पत ने राजनैतिक दलों को इसकी पृष्‍ठभूमि स्‍पष्‍ट की। उन्‍होंने कहा कि कुछ राजनैतिक दलों ने इस मुद्दे पर अपने लिखित सुझाव/विचार पहले ही दे दिए हैं जबकि कुछ दलों को अपने सुझाव/विचार आयोग को अभी देने हैं। उन्‍होंने शेष राजनैतिक दलों से अनुरोध किया कि वे एक सप्‍ताह के भीतर इस मामले में अपने विचार दे दे। 

    मुख्‍य निर्वाचन आयुक्‍त के अतिरिक्‍त, निर्वाचन आयुक्‍त, श्री एच एस ब्रह्मा एवं डॉ. नसीम जैदी ने भी राजनैतिक दलों द्वारा की गई प्रस्‍तुति को सुना। 

    राजनैतिक दलों के विचार मुख्‍य रूप से निर्वाचन संबंधी घोषणाओं के व्‍यापक ढांचे और मुफ्त दी जाने वाली वस्‍तुओं, राजनैतिक दलों द्वारा निर्वाचन घोषणा पत्रों को जारी किए जाने का समय, दिशानिर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए तंत्र, मुफ्त वस्‍तु देने की वजह के कार्यान्‍वयन की व्‍यवहार्यता के बारे में आमंत्रित किए गए थे। 

    राष्‍ट्रीय एवं राज्‍य दोनों राजनैतिक दलों ने आयोग के समक्ष अपने विचार प्रस्‍तुत किए। आयोग ने इन विचारों को नोट कर लिया। 

    निर्वाचन घोषणा पर बैठक के बारे में मान्‍यताप्राप्‍त राजनैतिक दलों को पत्र 


    भारत निर्वाचन आयोग

    निर्वाचन सदन, अशोक रोड, नई दिल्‍ली-110001 
    सं. 437/6/घोषणा पत्र/2013 तारीख 2 अगस्‍त, 2013 

    सेवा में 
    सभी राष्‍ट्रीय एवं राज्‍य दलों के 
    अध्‍यक्ष/महासचिव/चेयरपर्सन

    विषय: विशेष अनुमति याचिका (सी) संख्‍या 2008 का 21455 और टी सी सं. 2011 का 112 –सुब्रहमनियम बालाजी बनाम तमिलनाडु एवं अन्‍य में माननीय उच्‍चतम न्‍यायालय का तारीख 5.7.2013 का निर्णय- निर्वाचन घोषणा पत्र के लिए दिशानिर्देश बनाए जाने के संबंध में।

    महोदय, 

    मुझे उपर्युक्‍त विषय में आयोग के तारीख 8 जुलाई, 2013 के पत्र सं. 509/84/2008/आर सी सी के प्रति आपका ध्‍यान आकृष्‍ट करने का निदेश हुआ है। आपको याद होगा कि उक्‍त फैसले में, माननीय उच्‍चतम न्‍यायालय ने निर्वाचन आयोग को निदेश दिया था कि वह आदर्श आचार संहिता के भाग के रूप में सम्मिलित किए जाने के लिए, मान्‍यताप्राप्त राजनैतिक दलों के परामर्श से निर्वाचन घोषणा पत्र संबंधी दिशानिर्देश तैयार करे। 

    2. आयोग ने इस मामले में परामर्श के लिए तारीख 12 अगस्‍त, 2013 को पूर्वाह्न 9.30 बजे सम्‍मेलन कक्ष, चौथा तल, निर्वाचन सदन, अशोक रोड, नई दिल्‍ली में सभी मान्‍यताप्राप्‍त राष्‍ट्रीय एवं राज्‍य दलों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक नियत की है। आपसे अनुरोध है कि इस बैठक में भाग लेने के लिए अपने दल की ओर से प्रतिनिधि (धियों) को भेजें। जगह की कमी के कारण, राष्‍ट्रीय दल प्रतिनिधियों को संख्‍या को केवल दो तक और राज्‍य केवल एक सदस्य तक सीमित रखें। बेहतर होगा यदि आप बैठक के लिए भेजे जा रहे प्रतिनिधि (धियों) के नाम (मों) की सूचना अग्रिम रूप से दे दें। 

    3. आयोग ने निर्वाचन घोषणा पत्र के बारे में एक ‘’पृष्‍ठभूमि नोट’’ तैयार किया है जिसकी प्रति इसके साथ संलग्‍न है। आपसे अनुरोध है कि आप इस मामले में अपने सुझाव/विचार अधिमानत: बैठक की तारीख से पूर्व अग्रेषित कर दें।

     

    भवदीय, ह./-
    के. अजय कुमार)
    प्रधान सचिव


    निर्वाचन घोषणा-पत्रों के बारे में पृष्‍ठभूमि नोट 

    निर्वाचन घोषणा पत्र –संकल्‍पना एवं सुसंगतता 

    घोषणा पत्र को साधारणतया इसे जारी करने वाले व्‍यक्ति विशेष, समूह, राजनैतिक दल या सरकार के आशय, उद्देश्‍यों या दृष्टिकोणों की प्रकाशित घोषणा के रूप में परिभाषित किया गया है। घोषणा पत्र में सामान्‍यतया पूर्व में प्रकाशित या जनता की सर्वसम्मति से समाविष्‍ट होती है और/या भविष्‍य के लिए परिवर्तन को कार्यान्वित करने के लिए विहित भावना के साथ एक नए विचार से बढ़ावा देता है। ऑक्‍सफोर्ड शब्‍दकोष में घोषणा पत्र को किसी समूह तथा राजनैतिक दल की नीति एवं उद्देश्‍यों की सार्वजनिक घोषणा के रूप में परिभाषित किया गया है। इस प्रकार निर्वाचन घोषणा पत्र एक प्रकशित दस्‍तावेज है जिसमें किसी राजनैतिक दल की विचारधारा, आशयों, दृष्टिकोणों, नीतियों एवं कार्यक्रमों की घोषणा अंतर्विष्‍ट होती है। निर्वाचन घोषणा पत्रों को साधारणतया आगामी निर्वाचनों को ध्‍यान में रखते हुए राजनैतिक दलों द्वारा तैयार किया जाता है तथा साधारणतया प्रकाशित किया जाता है और इसका अच्‍छी तरह प्रचार किया जाता है। 

    जैसा कि पहले कहा जा चुका है, निर्वाचन घोषणा पत्र में सामान्‍यतया, साधारण रूप से संबंधित राजनैतिक दल की घोषित विचारधारा अंतर्विष्‍ट होती है और देश/राज्‍य एवं लोगों के लिए उनकी नीतियों एवं कार्यक्रम अंतर्विष्‍ट होते हैं। इसलिए यह किसी राजनैतिक दल का जनसाधारण के लिए एक संदर्भ दस्‍तावेज या बेंचमार्क के रूप में कार्य करता है। राजनैतिक दलों की विचारधाराओं, नीतियों एवं कार्यक्रमों की तुलना करके, निर्वाचक यह निर्णय ले सकते हैं कि उन्‍हें अपनी अपेक्षाओं और आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए किस दल को मत देना चाहिए।

    देश में विगत कई वर्षों में निर्वाचन घोषणा पत्र - रूझान एवं दृष्टिकोण में परिवर्तन 

    यह उल्‍लेखनीय है कि स्‍वतंत्रता के बाद, हमारे देश में निर्वाचन वर्ष 1952 से आयोजित किए जाते रहे हैं। किंतु सभी राजनैतिक दल घोषणा पत्रों के प्रकाशन के माध्‍यम से अपनी विचारधाराओं, नीतियों एवं कार्यक्रमों को प्रकाशित नहीं किया करते थे। बड़े राजनैतिक दल निश्‍चि‍त रूप से घोषणा-पत्रों के माध्‍यम से अपनी विचारधाराओं, नीतियों एवं कार्यक्रमों को प्रकाशित किया करते थे। 

    तथापि, हाल के वर्षों में कई राष्‍ट्रीय एवं राज्‍य दल प्रत्‍येक साधारण निर्वाचन के लिए अपने घोषणा-पत्रों प्रकाशित कर रहे हैं और इन घोषणाओं में साधारणतया दलों की मूल विचारधारा के अतिरिक्‍त, प्रमुख नीतियों अर्थात आर्थिक नीति, विदेश नीति, योजनाएं, कार्यक्रम और शासन के मुद्दे अंतर्विष्‍ट होते हैं, यदि वे सत्ता में आते हैं। इनमें विभिन्‍न उपाय यथा विशेष जेखिम वाले व्‍यक्तियों के लिए व्‍यापक सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करना, इसमें प्रत्‍येक के लिए गुणवत्तायुक्‍त शिक्षा को वहनीय बनाना, कृषि ऋणों को माफ करना, वृद्ध व्‍यक्तियों एवं बेसहारा किसानों के लिए पेंशन योजना, सुरक्षित पेयजल की सुविधा एवं विनिर्दिष्‍ट श्रेणियों के लोगों यथा विधवाओं, वृद्ध व्‍यक्ति, किसान पेंशनभोगियों, किसानों के लिए मेडिकल कवर, बाल श्रम आदि का उन्‍मूलन आदि सम्मिलित होते हैं किंतु वहीं तक सीमित नहीं होते हैं। इसके अतिरिक्‍त, हाल में कुछ दलों द्वारा नए रूझान शुरू किए गए हैं जिसमें वे ऐसी वस्‍तुओं का वादा करते हैं जिन्‍हें सामान्‍य बोलचाल की भाषा में ‘‘फ्रीबीज’’ कहा जाता है। 
    ‘‘फ्रीबीज’’ को वेब्‍सटर शब्‍दकोष में ऐसी वस्‍तुओं के रूप में परिभाषित किया जाता है जो बिना प्रभार के दिया जाता है। ऑक्‍सफोर्ड शब्‍द में फ्रीबी को किसी ऐसी वस्‍तु के रूप में परिभाषित किया गया है जो बिना किसी प्रभार के दिया जाता है। इन वचनों में निर्वाचकों के लक्षित समूहों, यथा गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले परिवारों, समाज के कमजोर वर्ग के लोगों, महिलाओं, विकलांग व्‍यक्तियों आदि तथा समग्र रूप में निर्वाचक मंडल को ध्‍यान में रखा जाता है।

    उच्‍चतम न्‍यायालय के प्रेक्षण एवं निदेश 

    माननीय उच्‍चतम न्‍यायालय ने एसएलपी (सी) संख्‍या 2008 का 21455 में अपने 5 जुलाई, 2013 के फैसले/आदेश में अन्‍य बातों के साथ-साथ भारत निर्वाचन आयोग को निदेश दिया कि वह आदर्श आचार संहिता के भाग के रूप में सम्मिलित किए जाने के लिए निर्वाचन घोषणा-पत्रों के बारे में दिशानिर्देश तैयार करे। उच्‍चतम न्‍यायालय ने निदेश प्रेक्षण किया है और निदेश दिया है कि :

    निदेश :
    उच्‍चतम न्‍यायालय के फैसले का पैरा (77) : 77) यद्यपि, विधि स्‍पष्‍ट है कि निर्वाचन घोषणा-पत्रों में वादों को लोक प्रतिनिधित्‍व अधिनियम की धारा 123 के अधीन ‘भ्रष्‍ट आचरण’ नहीं माना जा सकता है, यथार्थ को नकारा नहीं जा सकता है कि किसी भी प्रकार की मुफ्त वस्‍तुओं (फ्रीबीज) के वितरण से नि:संदेह सभी लोग प्रभावित होते हैं। यह स्‍वतंत्र एवं निर्वाचनों की जड़ को काफी झकझोर देता है। निर्वाचन आयोग ने भी अपने वकील के माध्‍यम से शपथ-पत्र और तर्क दोनों में इस भावना को प्रदर्शित किया कि सरकारी लागत पर ऐसी मुफ्त वस्‍तुओं (फ्रीबीज) के वचन से एक समान अवसर की व्‍यवस्‍था बाधित होती है और निर्वाचन प्रक्रिया दूषित होती है तथा इस प्रकार इस संबंध में इस न्‍यायालय के किन्‍हीं निदेशों या निर्णय को कार्यान्वित करने की इच्‍छा व्‍यक्त की। 
    पैरा (78) : 78) जैसा कि निर्णय के पूर्व भाग में देखा गया, इस न्‍यायालय की, किसी विशेष मुद्दों पर विधान बनाने के लिए विधानमंडल को निदेश जारी करने की शक्ति सीमित है। तथापि, निर्वाचन आयोग, निर्वाचनों में निर्वाचन लड़ रहे दलों और अभ्‍यर्थियों के बीच समान अवसर सुनिश्चित करने के लिए और यह भी सुनिश्चित करने के लिए कि निर्वाचन प्रक्रिया विगत की तरह दूषित न हो, आदर्श आचार संहिता के अधीन अनुदेश जारी करता रहा है। इन शक्तियों, जिनके अधीन आयोग ये आदेश जारी करते हैं, का प्रमुख स्रोत संविधान का अनुच्‍छेद 324 है जिसमें आयोग को अधिदेश दिया गया है कि वह स्वतंत्र एवं निष्पक्ष निर्वाचन आयोजित करे। यह स्‍वीकार करना समान रूप से अवश्‍यक है कि निर्वाचन आयोग ऐसे आदेश जारी नहीं कर सकते हैं, यदि आयोग के आदेश की विषय-वस्‍तु विधायी उपाय द्वारा कवर हो।
    पैरा (79) : 79) इसलिए, यह विचार करते हुए कि ऐसा कोई अधिनियम नहीं है जो प्रत्‍यक्ष रूप से निर्वाचन घोषणा-पत्रों को शासित करता है, हम एतद्द्वारा निर्वाचन आयोग को निदेश देते हैं कि वह अभ्‍यर्थियों के साधारण आचरण, सभाओं, जुलूसों, मतदान दिवस, सत्तासीन दल आदि के लिए दिशानिर्देश बनाते समय सभी मान्‍यताप्राप्‍त राजनैतिक दलों के परामर्श से घोषणा-पत्रों के लिए दिशानिर्देश बनाए। इसी प्रकार, राजनैतिक दल द्वारा जारी निर्वाचन घोषणा-पत्रों के लिए दिशानिर्देश हेतु एक पृथक शीर्ष को राजनैतिक दलों और अभ्‍यर्थियों के मार्गदर्शन के लिए आदर्श आचार संहिता में भी सम्मिलित किया जा सकता है। हमारे ध्‍यान में यह तथ्‍य है कि साधारणतया राजनैतिक दल निर्वाचन की तारीख की उद्घोषणा से पूर्व अपने निर्वाचन घोषणा-पत्रों को जारी करते हैं, उस स्थिति में, निश्चित रूप से निर्वाचन आयोग को तारीख की उद्घोषणा से पूर्व किए गए किसी कृत्‍य को विनियमित करने का प्राधिकार नहीं होगा। तथापि, इस संबंध में एक अपवाद बनाया जा सकता है क्‍योंकि निर्वाचन घोषणा पत्र का उपयोग निर्वाचन प्रक्रिया से सीधा जुड़ा हुआ है। 
    पैरा (80) : 80) हम एतद्द्वारा निर्वाचन आयोग को निदेश देते हैं कि वह इस कार्य के अत्‍यधिक महत्‍व के कारण यथाशीघ्र इस कार्य को शुरू करे। हम अपने लोकतांत्रिक समाज में राजनैतिक दलों को शासित करने के लिए इस संबंध में विधानमंडल द्वारा पारित किए जाने के लिए एक पृथक विधान की जरूरत को भी दर्ज करें। |

    विद्यमान आदर्श आचार संहिता –सुसंगत उपबंध 

    वर्तमान आचार संहिता में दलों और अभ्‍यर्थियों के भ्रष्‍ट आचरणों के बारे में और सत्तासीन दल द्वारा किए गए वादे के संबंध में कुछ सुसंगत उपबंध अंतर्विष्‍ट हैं। उन्‍हें नीचे पुन: प्रस्‍तुत किया जाता है:-
    पैरा । का उप पैरा (4) । साधारण आचरण में यह निर्धारित किया गया है कि –
    “(4) सभी दलों और अभ्‍यर्थियों को ऐसे सभी कार्यों से ईमानदारी के साथ बचना चाहिए, जो निर्वाचन विधि के अधीन ‘भ्रष्‍ट आचरण’ और अपराध हैं जैसे कि मतदाताओं को रिश्‍वत देना, मतदाताओं को डराना/धमकाना, मतदाताओं का प्रतिरूपण, मतदान केन्‍द्र के 100 मीटर के भीतर मत याचना करना, मतदान की समाप्ति के लिए नियत समय को खत्‍म होने वाली 48 घंटे की अवधि के दौरान सार्वजनिक सभाएं करना और मतदाताओं को वाहन से मतदान केन्‍द्रों तक ले जाना और वहां से वापस लाना।”.
    पैरा VII. सत्ताधारी दल में अन्‍य बातों के साथ-साथ यह निर्धारित किया गया है कि - –
    सत्ताधारी दल को, चाहे वे केन्‍द्र में हो या संबंधित राज्‍य या राज्‍यों में हों, यह सुनिश्चित करना चाहिए कि यह शिकायत करने का कोई मौका न दिया जाए कि उस दल ने अपने निर्वाचन अभियान के प्रयोजनों के लिए अपने सरकारी पद का प्रयोग किया है और विशेष रूप से :- -
    (v) मंत्रियों और अन्‍य प्राधिकारियों को उस समय जब से निर्वाचन आयोग द्वारा निर्वाचन घोषित किए जाते हैं, विवेकाधीन निधि में से अनुदानों/अदायगियों की स्‍वीकृति नहीं देनी चाहिए; और 
    (vi)मंत्री और अन्‍य प्राधिकारी, उस समय से जब से निर्वाचन आयोग द्वारा निर्वाचन घोषित किए जाते हैं :-

    किसी भी रूप में कोई भी वित्तीय मंजूरी या वचन देने की घोषणा नहीं करेंगे; अथवा

    (ख)    (लोक सेवकों को छोड़कर) किसी प्रकार की परियोजनाओं अथवा स्‍कीमों के लिए आधारशिलाएं आदि नहीं रखेंगे; या 
    (ग)    सड़कों के निर्माण का कोई वचन नहीं देंगे, पीने के पानी की सुविधाएं नहीं देंगे आदि या 
    (घ)    शासन, सार्वजनिक उपक्रमों आदि में ऐसी कोई भी तदर्थ नियुक्ति न की जाए जिससे सत्ताधारी दल के हित में मतदाता प्रभावित हों।

    5. दूसरे लोकतंत्रों में पद्धति –राजनैतिक दलों द्वारा घोषणा-पत्रों - नीतिगत दस्‍तावेज – विधिक उपबंध – दिशानिर्देश –विनियामक तंत्र – प्रवर्तन में ईबीएम की भूमिका 

    अंतर्राष्‍ट्रीय पद्धतियों, जिन्‍हें 30 से अधिक संगठनों को परिचालित प्रश्‍नों के एक सेट के प्रत्‍युत्तर में दों अंतर्राष्‍ट्रीय संगठनों एवं सात निर्वाचन प्रबंधन निकायों से संग्रह किया गया है, के बारे में सूचना को संकलित किया गया है और इसे अनुबंध के रूप में संलग्‍न किया गया है।

    (क) दिशानिर्देश बनाने के लिए मार्गदर्शक सिद्धांत उच्‍चतम न्‍यायालय ने अपने निर्णय में निर्वाचन आयोग को निदेश दिया है कि वह सभी मान्‍यताप्राप्‍त राजनैतिक दलों के परामर्श से निर्वाचन घोषणाओं की विषयवस्‍तु के लिए दिशानिर्देश तैयार करे। मार्गदर्शक सिद्धांत, जिनके आधार पर ऐसे दिशानिर्देश को तैयार किया जाएगा, को निर्णय से नीचे उद्धृत किया गया है :

    • “    यद्यपि, विधि स्‍पष्‍ट है कि निर्वाचन घोषणा-पत्रों में वादों को लोक प्रतिनिधित्‍व अधिनियम की धारा 123 के अधीन ‘भ्रष्‍ट आचरण’ नहीं माना जा सकता है, किन्तु, यथार्थ को नकारा नहीं जा सकता है कि किसी भी प्रकार की मुफ्त वस्‍तुओं (फ्रीबीज) के वितरण से नि:संदेह सभी लोग प्रभावित होते हैं। यह स्‍वतंत्र एवं निर्वाचनों की जड़ को काफी झकझोर देता है। ”.

    • “तथापि, निर्वाचन आयोग, निर्वाचनों में निर्वाचन लड़ रहे दलों और अभ्‍यर्थियों के बीच समान अवसर सुनिश्चित करने के लिए और यह भी सुनिश्चित करने के लिए कि निर्वाचन प्रक्रिया विगत की तरह दूषित न हो, आदर्श आचार संहिता के अधीन अनुदेश जारी करता रहा है। ”.

    • “’हमारे ध्‍यान में यह तथ्‍य है कि साधारणतया राजनैतिक दल निर्वाचन की तारीख की उद्घोषणा से पूर्व अपने निर्वाचन घोषणा-पत्रों जारी करते हैं, उस स्थिति में, निश्चित रूप से निर्वाचन आयोग को तारीख की उद्घोषणा से पूर्व किए गए किसी कृत्‍य को विनियमित करने का प्राधिकार नहीं होगा। तथापि, इस संबंध में एक अपवाद बनाया जा सकता है क्‍योंकि निर्वाचन घोषणा पत्र का प्रयोग निर्वाचन प्रक्रिया से सीधा जुड़ा हुआ है।”. 

      माननीय उच्‍चतम न्‍यायालय के यथोक्‍त प्रेक्षणों के आलोक में, मुफ्त वस्‍तुओं (फ्रीबीज) का वादा करने के लिए इस देश में निर्वाचक मंडल की लोक धारणा को समझना महत्‍वपूर्ण है। 

    राजनैतिक दलों से सुझावों के लिए बिंदु 

    • निर्वाचन घोषणा-पत्रों एवं मुफ्त वस्‍तुओं (फ्रीबीज) के बारे में दिशानिर्देशों के व्‍यापक ढांचे के संबंध में राजनैतिक दलों के सुझाव/विचार 

    • राजनैतिक दलों द्वारा निर्वाचन घोषणा-पत्रों को जारी किए जाने के समय के संबंध में सुझाव/विचार। उच्‍चतम न्‍यायालय के इस प्रेक्षण को ध्‍यान में रखते हुए निर्वाचन घोषणा-पत्रों से संबंधित भाग को आदर्श अचार संहिता में सम्मिलित किया जाना चाहिए और यह कि आचार संहिता के ऐसे भाग को निर्वाचन आयोग द्वारा निर्वाचन अनुसूची की उद्घोषणा किए जाने की तारीख से पूर्व भी लागू किया जाना चाहिए, जो निर्वाचनों की उद्घोषणा से पूर्व एक यथोचित खिड़की (विंडो) हो सकती है जिसके भीतर राजनैतिक दल अपने घोषणा-पत्रों जारी/रिलीज करें। 

    • जारी किए जाने वाले दिशानिर्देशों का संकलन सुनिश्चित करने के लिए तंत्र का सुझाव देना। 

    • उच्‍चतम न्‍यायालय के प्रेक्षणों/निदेशों को ध्‍यान में रखते हुए, निर्वाचन घोषणा-पत्रों में ‘’मुफ्त वस्‍तुओं (फ्रीबीज)’’ के संबंध में सुझाव/विचार। उच्‍चतम न्‍यायालय ने राजनैतिक दलों के निर्वाचन घोषणा-पत्रों में वादा किए जा रहे मुफ्त वस्‍तुओं (फ्रीबीज)की परिभाषा को पूर्वगामी पैरा संख्‍या 2 में स्‍पष्‍ट किया गया है। राजनैतिक दलों के विचार में किसे मुफ्त वस्‍तु (फ्रीबीज) माना जाना चाहिए? 

    • मुफ्त वस्‍तुओं (फ्रीबीज) के सामाजिक एवं आर्थिक प्रभाव के संदर्भ में उनके वचनों के कार्यान्‍वयन की व्‍यवहार्यता के बारे में सुझाव/विचार


    ***********************

    अनुबंध

    घोषणा-पत्रों के संदर्भ में उपलब्‍ध अंतर्राष्‍ट्रीय पद्धतियों का संकलन 

    घोषणा-पत्र जारी करने की पद्धति, उनकी विषयवस्‍तु और जारी किए जाने का समय :

    • घोषणा-पत्र जारी करने का चलन पूरे विश्‍व में आम है। सामान्‍यतया घोषणाओं में राजनैतिक, आर्थिक एवं सामाजिक मामलों पर राजनैतिक दल/अभ्‍यर्थी की मुख्‍य नीति/कार्यक्रमों को दर्शाया जाता है। 

    • अमेरिका में, राजनैतिक दल के मंचों की प्रकृति नीति आधारित होती है जिसमें साधारणतया आर्थिक नीति, विदेश नीति, स्‍वास्‍थ्‍य देखभाल, शासन सुधार, पर्यावरण मुद्दों, आप्रवासन आदि को कवर किया जाना है। इनमें विशिष्‍ट लाभ प्रदान नहीं किए जाते हैं बल्कि योजनाओं एवं नीतियों की रूपरेखा प्रस्‍तुत की जाती है जिससे जनसंख्‍या के बड़े समूहों को लाभ होगा। 

    • कई पश्चिमी यूरेपीय देशों में, घोषणा-पत्रों का आशय और अधिक ठोस नीतिगत विकल्‍पों और उनके बजटीय निहितार्थ का उल्‍लेख करना है। कभी-कभी दल अपने घोषणा-पत्रों में वित्तीय पैराग्राफ को जोड़ देते हैं जिन्‍हें लेखापरीक्षा न्‍यायालय (यदि विद्यमान है) को प्रस्‍तुत किया जा सकता है, जो इस बात का आकलन करता है कि प्रत्‍येक घोषणा-पत्र कितना वास्‍तविक है। 

    • भूटान में राजनैतिक दलों से नेशनल एसेम्‍बली के निर्वाचनों के प्रारंभिक दौर से पूर्व निर्वाचन आयोग को अपने निर्वाचन घोषणा-पत्रों की प्रति प्रंस्‍तुत किया जाना अपेक्षित होता है। केवल निर्वाचन आयोग के अनुमोदन से ही जनता को घोषणा-पत्रों जारी किए जाते हैं। विषयवस्‍तु मुख्‍यतया नीतियों एवं विकास संबंधी योजनाएं एवं कार्यक्रम होते हैं जो निर्वाचित होने पर राजनैतिक दल कार्यान्वित करेगा। निर्वाचन आयोग निर्वाचन घोषणा-पत्रों की जांच करता है और राष्‍ट्र की सुरक्षा एवं स्‍थायित्‍व की अनदेखी करने की संभावना के मुद्दों को बाहर निकाल देता है। इसके अतिरिक्‍त घोषणा-पत्रों में ऐसा कुछ अंतर्विष्‍ट नहीं हो सकता है जिससे धर्म, जाति, क्षेत्र, राज्‍य एवं राष्‍ट्र के विशेषाधिकारों एवं राष्‍ट्रीय पहचान आदि के आधार पर प्रचार अभियान द्वारा निर्वाचन संबंधी फायदे उठाया जा सके। 

    • मेक्सिकों में, संघीय निर्वाचन के लिए किसी अभ्‍यर्थी को नामनिर्देशित किए जाने के लिए पात्र बनने हेतु, दल को फेडरल इलेक्‍टोरल इंस्‍टीट्यूट (आई एफ ई) द्वारा रजिस्‍ट्रीकरण एवं विधिमान्‍यकरण हेतु निर्वाचन प्‍लेटफार्म में प्रस्‍तुत करना आवश्‍यक होता है। इस प्‍लेटफॅार्म में अनिवार्य रूप से ऐसे सिद्धांत/प्रस्‍ताव अंतर्विष्‍ट होते हैं जिनको दल तीन प्रमुख मुद्दों, राजनीतिक, आर्थिक एवं सामाजिक पर बनाए रखेंगे। विषयवस्‍तु दल द्वारा विधिक रजिस्‍ट्रीकरण के लिए अपने आवेदन के साथ प्रस्‍तुत सिद्धांतों एवं कार्य के कार्यक्रमों की घोषण के अनुरूप होनी चाहिए। आई एफ ई सत्‍यापित करता है कि निर्वाचन प्‍लेटफार्म दल के मूल दस्‍तावेजों के अनुरूप है। प्‍लेटफॉर्म के रजिस्‍ट्रीकरण एवं विधिमान्‍यकरण का प्रमाणपत्र अभ्‍यर्थियों के नामनिर्देशन के लिए अनिवार्य होता है। 

    • जहां तक विषयवस्‍तु का संबंध है, मत को खरीदने के लिए मुफ्त वस्‍तुओं (फ्रीबीज) के वादे तथा नीतिगत वचन के बीच बहुत कम अंतर प्रतीत होता है। मामले पर विचार करते समय इनमें अंतर किया जाना आवश्‍यक है। 

    • निर्वाचनों से पहले घोषणा-पत्र जारी किए जाते हैं –निर्वाचन दिवस से पूर्व तीन सप्‍ताह (भूटान) से लेकर दो माह (अमेरिका), पांच माह (मेक्सिको) की अवधि होती है। 

    घोषणा-पत्रों के बारे में विधिक उपबंध/दिशानिर्देश 

    • भूटान और मेक्सिकों में, निर्वाचन प्राधिकारियों को घोषणा-पत्रों की जांच करने तथा कतिपय प्रकार की विषय-वस्‍तुओं को हटवाने की शक्ति है (उपर्युक्‍त अनुसार)। 

    • यूनाइटेड किंगडम में, निर्वाचन प्राधिकारी प्रचार सामग्री के लिए दिशानिर्देश जारी करता है (जो घोषणा-पत्रों पर भी लागू होंगे।) 

    • अमेरिका में (बिना केन्‍द्रीय ईएमबी के) लक्ष्‍य स्‍तरीय ई बी एम विनियमों में साधारणतया राजनैतिक दल प्‍लेटफार्म के बारे में कोई उपबंध सम्मिलित नहीं होते हैं। दल की समिति ही आंतरिक रूप से शासन करती है और दल के चार्टर एवं उपनियमों के अनुसार विशेष निर्वाचन के लिए दल का प्‍लेटफार्म तैयार करती है। (स्रोत : आई एफ ई एस) 

    • अधिकतर अन्‍य लोकतंत्रों में विशेष रूप से घोषणा-पत्रों के लिए कोई विधिक उपबंध/दिशानिर्देश नहीं होते हैं, तथापि, कुछ देशों में (अर्थात् यूनाइटेड किंगडम, नीदरलैंड) प्रतिकूल प्रचार सामग्री पर लागू विधिक उपबंध घोषणा-पत्रों की विषयवस्‍तु पर भी लागू होते हैं। 

    विनियामक तंत्र 

    • विनियामक तंत्र भूटान और मेक्सिको में उपर्युक्‍तानुसार प्रचालित होते हैं। 

    • यूनाइटेड किंगडम में, निर्वाचन प्राधिकारी प्रचार सामग्री के लिए दिशानिर्देश जारी करता है (जो घोषणा-पत्रों पर भी लागू होंगे) किंतु कोई अन्‍य भूमिका नहीं होती है।

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      बड़े लोकतंत्रों यथा अमेरिका, स्‍वीडन, कनाडा, नीदरलैंड एवं आस्ट्रिया में ईएमबी/ निर्वाचन प्राधिकारियों की घोषणा-पत्रों के संबंध में कोई भूमिका नहीं होती है। 

       

    प्रवर्तन में ई एम बी की भूमिका 

    • भूटान और मेक्सिको में, घोषणा-पत्रों के लिए उनको जारी किए जाने से पूर्व निर्वाचन प्राधिकारी का अनुमोदन/विधिमान्‍यकरण अपेक्षित होता है। 

    • अन्‍य लोकतंत्रों द्वारा इस दिशा में कोई कदम उठाया गया प्रतीत नहीं होता है। 


    भारत निर्वाचन आयोग द्वारा निर्वाचन घोषणा-पत्रों संबंधी उच्चतम न्यायालय के आदेश का कार्यान्वयन

    1. भारत निर्वाचन आयोग ने राजनैतिक दलों के घोषणा-पत्रों के बारे में दिशा-निर्देश बनाने के मामले में उच्चतम न्यायालय के एस. सुब्रहाणियम बालाजी बनाम तमिलनाडु सरकार एवं अन्य के प्रकरण में एस एल पी (सी) सं. 21455 वर्ष 2008 और वर्ष 2011 की टीसी सं. 112 के संबंध में अपने दिनांक 05.07.2013 के निर्णय के कार्यान्वयन पर सभी मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय और राज्य के राजनैतिक दलों की एक बैठक आयोजित करने का निर्णय लिया है। इस बैठक की तिथि शीघ्र ही नियत कर दी जाएगी। इसी बीच में आयोग ने निर्णय की प्रति सभी मान्यता प्राप्त दलों को उनकी सूचनार्थ और विचारों की पुष्टि के लिए भेज दी है।

    2.  

      आयोग ने उच्चतम न्यायालय के अनुदेशों को नोट कर लिया है कि इसे राजनैतिक दलों के घोषणा-पत्रों के संबंध में दिशा - निर्देश तैयार करने चाहिए। 

      3. आयोग जल्दी ही राजनैतिक दलों को इस मामले में पृष्ठभूमि दस्तावेज परिचालित कर देगा। इन्हे तैयार करने के लिए आयोग ने इस विषय पर उपलब्ध राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय विचारों और परंपराओं को संकलित करने के प्रयास आंरभ कर दिए हैं।

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eci-logo.pngभारत निर्वाचन आयोग एक स्‍वायत्‍त संवैधानिक प्राधिकरण है जो भारत में निर्वाचन प्रक्रियाओं के संचालन के लिए उत्‍तरदायी है। यह निकाय भारत में लोक सभा, राज्‍य सभा, राज्‍य विधान सभाओं और देश में राष्‍ट्रपति एवं उप-राष्‍ट्रपति के पदों के लिए निर्वाचनों का संचालन करता है। निर्वाचन आयोग संविधान के अनुच्‍छेद 324 और बाद में अधिनियमित लोक प्रतिनिधित्‍व अधिनियम के प्राधिकार के तहत कार्य करता है। 

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