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वर्तमान मुद्दे

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  1. प्रचार अभियान अवधि में राजनैतिक दलों द्वारा विज्ञापन- समाचार पत्रों के अग्र पृष्ठों पर राजनीतिक भविष्‍यवाणियों के रूप में या समाचार सुर्खियो के रूप में छलांकृत राजनीतिक विज्ञापन का प्रकाशन-स्काईबस/मास्टहेड लोकेशन - सबको एकसमान अवसर उपलब्‍ध कराने की व्‍यव

    प्रचार अभियान अवधि में राजनैतिक दलों द्वारा विज्ञापन समाचार पत्रों के अग्र पृष्ठों पर राजनीतिक भविष्यचवाणियों के रूप में या समाचार सुर्खियो के रूप में छलांकृत राजनीतिक विज्ञापन का प्रकाशन-'स्काइबस'/'मास्टहेड' लोकेशन सबको एकसमान अवसर उपलब्ध  कराने की व्यावस्थाि को बिगाड़ना

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    फ़ाइल सबमिट की गई Thursday 30 November 2023

  2. आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन- कर्नाटक सरकार द्वारा तेलंगाना में विज्ञापन-तेलंगाना विधान सभा निर्वाचन-2023

    आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन- कर्नाटक सरकार द्वारा तेलंगाना में विज्ञापन-तेलंगाना विधान सभा निर्वाचन-2023

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    फ़ाइल सबमिट की गई Thursday 30 November 2023

  3. अध्यक्ष, इंडियन नेशनल कांग्रेस, राजस्थान को आयोग का कारण बताओ नोटिस

    अध्यक्ष, इंडियन नेशनल कांग्रेस, राजस्थान को आयोग का कारण बताओ नोटिस

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    फ़ाइल सबमिट की गई Friday 24 November 2023

  4. भारतीय जनता पार्टी के दिल्ली राज्य के अध्यक्ष को आयोग का नोटिस

    भारतीय जनता पार्टी के दिल्ली राज्य के अध्यक्ष को आयोग का नोटिस

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    फ़ाइल सबमिट की गई Friday 24 November 2023

  5. श्रीमती प्रियंका गांधी वाड्रा को आयोग का नोटिस

    श्रीमती प्रियंका गांधी वाड्रा को आयोग का नोटिस

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    फ़ाइल सबमिट की गई Tuesday 21 November 2023

  6. आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक को आयोग का कारण बताओ नोटिस

    आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक को आयोग का कारण बताओ नोटिस

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    फ़ाइल सबमिट की गई Friday 17 November 2023

  7. निर्वाचन बंधपत्रों (बांड) के संबंध में विवरणों का प्रस्तुतीकरण- माननीय उच्चतम न्यायालय का आदेश दिनांक 2 नवम्बर, 2023-अनुस्मारक - तत्संबंधी।

    निर्वाचन बंधपत्रों (बांड) के संबंध में विवरणों का प्रस्तुतीकरण- माननीय उच्चतम न्यायालय का आदेश दिनांक 2 नवम्बर, 2023-अनुस्मारक - तत्संबंधी।

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    फ़ाइल सबमिट की गई Wednesday 15 November 2023

  8. छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, मिजोरम, राजस्थान, तेलंगाना के विधान सभाओं के साधारण निर्वाचन और नागालैण्ड के 43 तापी (अ.ज.जा.) विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र में उप निर्वाचन – एग्जिट पोल – तत्संबंधी।

    सं. 576/एग्जिट/2023/एसडीआर/खंड I                           
    दिनांकः 31 अक्तूबर, 2023
     
     
    मुझे एतद्द्वारा आयोग की अधिसूचना सं. 576/एग्जिट/2023/एसडीआर/खंड I, दिनांक 31 अक्तूबर, 2023 को इस अनुरोध के साथ अग्रेषित करने का निदेश हुआ है कि इसे राज्य के राजपत्र के असाधारण अंक में प्रकाशित किया जाए तथा रिकॉर्ड हेतु इसकी एक प्रति आयोग को भेजी जाए।
     
    इसे समाचार ब्यूरो, मीडिया घरानों, रेडियो, टेलीविजन चैनलों आदि सहित सभी संबंधितों के ध्यान में लाया जाए।
     
     

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    फ़ाइल सबमिट की गई Tuesday 07 November 2023

  9. मतदाता शिक्षा और जागरूकता पर सर्वोत्तम प्रचार-अभियान हेतु राष्ट्रीय मीडिया पुरस्कार-2023

    मतदाता शिक्षा और जागरूकता पर सर्वोत्तम प्रचार-अभियान हेतु राष्ट्रीय मीडिया पुरस्कार-2023

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    फ़ाइल सबमिट की गई Friday 03 November 2023

  10. निर्वाचनों के दौरान राजनैतिक दलों द्वारा सरकारी स्वामित्व वाली इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का उपयोग करने की स्कीम - स्कीम में संशोधन - पैरा - 6 उप खंड - (iv) - आईटी प्लेटफॉर्म के माध्यम से टाइम वाउचर उपलब्ध करवाने का प्रावधान - तत्संबंधी।

    सं. 437/टीए-एलए/1/2023/संचार                                  
       दिनांक: 18 जुलाई, 2023
    यतः, भारत निर्वाचन आयोग ने मान्यताप्राप्त राष्ट्रीय और राज्यीय दलों से परामर्श करने के बाद और अनुच्छेद 324 द्वारा इसमे निहित शक्ति का प्रयोग करते हुए, दिनांक 16 जनवरी, 1998 के आदेश (इसमें इसके बाद 'स्कीम') के जरिए निर्वाचनों के दौरान राजनैतिक दलों द्वारा सरकारी स्वामित्व वाली इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के उपयोग के लिए एक स्कीम अधिसूचित की और इस स्कीम को लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 39क के अंतर्गत सांविधिक आधार प्राप्त है;
     
    2.     यतः, स्कीम के पैरा-6 (iv) में निम्नानुसार उपबंध किया गया है:-
     
    “दलों के लिए टाइम वाउचर
    (iv) प्रत्येक पार्टी को दूरदर्शन और आकाशवाणी पर प्रसारण के लिए उन्हें आवंटित कुल समय के बराबर, 5 मिनट और 10 मिनट की अलग-अलग समयावधि के टाइम वाउचर दिए जाएंगे। उस दल के पास किन्हीं भी प्रतिनिधियों को चुनने और उन्हें उन टाइम वाउचरों का उपयोग करने की अनुमति देने का विवेकाधिकार होगा, बशर्ते ऐसे किसी भी अकेले प्रतिनिधि को या तो दूरदर्शन या आकाशवाणी पर उस दल को आवंटित कुल समय में से 20 मिनट से अधिक का उपयोग करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।”
     
    3.     यतः, आयोग सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 के प्रावधानों के अनुरूप राजनीतिक दलों के साथ इंटरफेस करने के साथ-साथ अन्य लेनदेन/दस्तावेजों के प्रस्तुतीकरण/प्रकटन इत्यादि की सुविधा प्रदान करने के लिए आईटी आधारित विकल्प उपलब्ध करा रहा है;
     
    4.     अब, तदनुसार, आयोग ने स्कीम के पैराग्राफ 7 में दी गई शक्तियों का प्रयोग करते हुए निम्नानुसार निर्णय लिया है:-
     
    i)     स्कीम के पैरा 6 के उप-पैराग्राफ (iv) को निम्नलिखित परंतुक के अंतर्वेशन द्वारा संशोधित किया जाता है:
     
    "बशर्ते निर्वाचन आयोग सूचना प्रौद्योगिकी प्लेटफार्म का उपयोग करके उक्त टाइम वाउचरों को प्रोसेस करेगा और हकदार राजनीतिक दलों को वितरित करेगा";
     
    ii)     स्कीम में पूर्वोल्लिखित संशोधन इस आदेश की तारीख से तत्काल प्रभाव से लागू होता है।
    iii)    आयोग इस प्रचालन की शुरूआत करने में सहायता पहुंचाने के लिए अलग से एक मानक प्रचालन प्रक्रिया (एसओपी) के साथ-साथ वह प्रभावी तिथि अधिसूचित करेगा जिस दिन से आईटी प्लेटफॉर्म आधारित प्रोसेसिंग और हकदार राजनीतिक दलों को टाइम वाउचरों को जारी करने का यह बदलाव पूरा कर लिया जाएगा।

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    फ़ाइल सबमिट की गई Wednesday 19 July 2023

  11. भारतीय जनता पार्टी, कर्नाटक के अध्यक्ष को आयोग का कारण बताओ नोटिस

    सं. 437/केटी-एलए/2023                                              दिनांक: 08 मई, 2023
     
     
    यतः, भारत निर्वाचन आयोग ने दिनांक 29 मार्च, 2023 के अपने प्रेस नोट सं. ईसीआई/पीएन/24/2023 के अनुसार, कर्नाटक विधान सभा के साधारण निर्वाचन, 2023 की घोषणा की है और राजनैतिक दलों और अभ्यर्थियों के लिए आदर्श आचार संहिता के उपबंध उसी तारीख से लागू हो गए हैं; और
     
    2.      यतः, 'राजनैतिक दलों और अभ्यर्थियों के मार्गदर्शन के लिए आदर्श आचार संहिता' के भाग I 'साधारण आचरण' का खंड 2 उपबंधित करता है किः-
     
    "जब अन्य राजनैतिक दलों की आलोचना की जाए, तो वह उनकी नीतियों और कार्यक्रम, पूर्व रिकार्ड और कार्य तक ही सीमित होनी चाहिए। दल और अभ्यर्थी व्यक्तिगत जीवन के ऐसे सभी पहलुओं की आलोचना से बचेंगे, जिनका संबंध अन्य दलों के नेताओं या कार्यकर्ताओं के सार्वजनिक क्रियाकलाप से न हो। अन्य दलों या उनके कार्यकर्ताओं के बारे में कोई ऐसी आलोचना नहीं की जानी चाहिये, जो ऐसे आरोपों पर आधारित हो जिनकी सत्यता स्थापित न हुई हो या जो तोड़-मरोड़कर कही गई बातों पर आधारित हों।"
     
    3.   यतः, लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 123 (4) उपबंधित करती है किः-
     
    "किसी अभ्यर्थी के वैयक्तिक शील या आचरण के संबंध में या किसी अभ्यर्थी की अभ्यर्थिता या अभ्यर्थिता वापस लेने के संबंध में या अभ्यर्थी या उसके अभिकर्ता द्वारा या [अभ्यर्थी या उसके निर्वाचन अभिकर्ता की सम्मति से] किसी अन्य व्यक्ति द्वारा किसी ऐसे तथ्य के कथन का प्रकाशन जो मिथ्या है और या तो जिसके मिथ्या होने का उसको विश्वास है या जिसके सत्य होने का वह विश्वास नहीं करता है और जो उस अभ्यर्थी के निर्वाचन की सम्भाव्यताओं पर प्रतिकूल प्रभाव डालने के लिए युक्तियुक्त रूप से प्रकल्पित कथन है।"
     

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    फ़ाइल सबमिट की गई Thursday 06 July 2023

  12. दिनांक 28.07.2023 से 18.08.2023 के बीच सेवा-निवृत्त होने वाले सदस्यों की सीटों को भरने हेतु राज्य-सभा के लिए द्विवार्षिक निर्वाचन- तत्संबंधी।

    सं. ईसीआई/पीएन/38/2023                                             दिनांक: 27 जून, 2023
     
    निम्नलिखित 03 राज्यों से निर्वाचित राज्य-सभा के 10 सदस्यों की पदावधि, जुलाई से अगस्त, 2023 तक की अवधि के दौरान उनकी सेवा-निवृत्ति पर समाप्त हो रही है, जिसका विवरण निम्नानुसार है:                                                             
     
    क्र.सं.
    राज्य का नाम
    सदस्य का नाम
    सेवानिवृत्ति की तिथि
    1.
          गोवा
    1
    विनय डी. तेंदुलकर
    28.07.2023
    2.
         गुजरात
    1
    दिनेशचंद्र जेमलभाई अनावाडीया
    18.08.2023
    2
    लोखंडवाला जुगलसिंह माथुरजी
    3
    सुब्रमण्यम जयशंकर कृष्णास्वामी
    3.
       पश्चिम बंगाल
    1
    डेरेक ओ ब्रायन
    18.08.2023
    2
      डोला सेन
    3
    प्रदीप भट्टाचार्या
    4
    सुष्मिता देव
    5
    शांता क्षत्री
    6 स
    सुखेंदु शेखर राय
     

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    फ़ाइल सबमिट की गई Monday 03 July 2023

  13. पश्चिम बंगाल से राज्य सभा के लिए उप-निर्वाचन-तत्संबंधी

    सं. ईसीआई/पीएन/37/2023                                                दिनांक: 27 जून, 2023
    पश्चिम बंगाल से राज्य सभा में एक आकस्मिक रिक्ति है, जिसका विवरण निम्नानुसार है:- 
     
    राज्य
    सदस्य का नाम
    कारण
    रिक्ति की तारीख
    पदावधि की तारीख
    पश्चिम बंगाल
    श्री लुइजिंहो जोआक्विम
    फलीरो
    त्यागपत्र
    11.04.2023
    02.04.2026
     

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    फ़ाइल सबमिट की गई Monday 03 July 2023

  14. निर्वाचन प्रचार अभियान के दौरान विशेष रूप से स्टार प्रचारकों, मान्यताप्राप्त राष्ट्रीय और राज्यीय राजनीतिक दलों द्वारा दिए जाने वाले सार्वजनिक बयान के गिरते हुए स्तर और गरिमा के अपेक्षित स्तर के संबंध में अनुदेश

    सं. 437/6/अनु./ईसीआई/प्रकार्या/एमसीसी/2023                        
    दिनांकः 2 मई, 2023
     
          आयोग ने सभी हितधारकों, विशेष रूप से राजनीतिक दल और उनके अभ्यर्थियों के साथ परामर्श और सहयोग से, निर्वाचन प्रचार अभियान के दौरान ऐसे राजनीतिक संवाद के स्तर को कायम रखने के लिए सभी हितधारकों को प्रोत्साहित करने के लिए प्रयास किए हैं, जो भारतीय लोकतंत्र की दुनियाभर में विश्वव्यापी सराहना और प्रतिष्ठा के अनुरूप हैं।
     
    2.    कर्नाटक विधान सभा के साधारण निर्वाचन की समयावधि में, निर्वाचन प्रचार अभियान के दौरान बयानबाजी के गिरते स्तर की ओर आयोग का ध्यान आकर्षित किया गया है। प्रगतिरत निर्वाचन प्रचार के दौरान लोगों द्वारा, विशेष रूप से उनके द्वारा जिन्हें स्टार प्रचारक की हैसियत से सांविधिक स्थिति प्राप्त है, प्रयुक्त अनुचित शब्दावली और भाषा की अनेक शिकायतों, शिकायतों के बदले शिकायतों के मौके आए हैं और मीडिया का नकारात्मक ध्यान भी इस ओर देखने को मिला है।
     
    3.    आदर्श आचार संहिता के उपबंधों के अनुसार, उकसाने और भड़काने वाले बयानों का प्रयोग, असंयमित और मर्यादा की सीमा को लांघते हुए अपमानजनक भाषा का प्रयोग और व्यक्तिगत चरित्र और राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों के आचरण पर आक्षेप निर्वाचन प्रक्रिया के एकसमान अवसर प्रदान करने के स्तर को दूषित करता है। राजनीतिक दलों का ध्यान, आदर्श आचार संहिता के नीचे दिए गए उपबंधों और निर्वाचन प्रचार के दौरान अपेक्षित बयानबाजी के क्षेत्र को नियंत्रित और तय करने वाले अन्य सांविधिक उपबंधों की ओर आकृष्ट किया जाता है।
          3.1) आदर्श आचार संहिता उपबंधः आदर्श आचार संहिता मैनुअल के अध्याय 3 और 4 में यथा समाविष्ट (मार्च, 2019), जिसमें निम्नलिखित प्रावधान हैं:-
    (क) अध्याय 3 के पैरा 3.8.2 (ii) में प्रावधान है, "किसी भी व्यक्ति को ऐसी गतिविधि में लिप्त नहीं होना चाहिए या ऐसा बयान नहीं देना चाहिए जो किसी व्यक्ति के व्यक्तिगत जीवन पर आक्रमण करने के समान हो या ऐसा बयान नहीं देना चाहिए जो दुर्भावनापूर्ण हो या जिससे शालीनता और नैतिकता का हनन होता हो।"
    (ख) अध्याय 4 के पैरा 4.3.1 में प्रावधान है "राजनीतिक दल और अभ्यर्थी निजी जीवन के ऐसे सभी पहलुओं की आलोचना करने से बचेंगे, जो अन्य दलों के नेताओं और कार्यकर्ताओं की सार्वजनिक गतिविधियों से नहीं जुड़ा है। इस में यह भी प्रावधान है कि कोई भी दल या अभ्यर्थी ऐसी किसी भी गतिविधि में शामिल नहीं होगा, जो मौजूदा मतभेदों को बढ़ाए या आपसी घृणा पैदा करे या जिसके कारण तनाव पैदा हो।"
    (ग) अध्याय 4 के पैरा 4.3.2 में "निर्वाचन अभियान के उच्च स्तर को बनाए रखने" का प्रावधान है।
    (घ) अध्याय 4 के पैरा 4.3.2(ii) में प्रावधान है, "निर्वाचन आयोग ने राजनीतिक संवाद के गिरते स्तर पर गहरी नाराजगी व्यक्त करते हुए, राजनीतिक दलों को नोटिस दिया कि आदर्श आचार संहिता का बार-बार उल्लंघन किए जाने पर उनके विरुद्ध कार्रवाई की जा सकती है।"
    (ङ) अध्याय 4 के पैरा 4.4.2(ख)(iii) में प्रावधान है कि "ऐसी कोई भी गतिविधि नहीं की जाएगी, जिससे विभिन्न जातियों/समुदायों/धार्मिक/भाषाई समूहों के बीच मौजूदा मतभेद बढ़ सकते हों अथवा उनके बीच आपसी घृणा या तनाव पैदा हो सकते हों।"
    (च)  अध्याय 4 के पैरा 4.4.2(ख)(v) में प्रावधान है "असत्यापित आरोपों के आधार पर या बयान को तोड़-मरोड़ कर अन्य दलों या उनके कार्यकर्ताओं की आलोचना करने की अनुमति नहीं होगी।"
     
    3.2) इसके अतिरिक्त, भारतीय दंड संहिता के निम्नलिखित उपबंधों की ओर भी ध्यान आकर्षित किया जाता है-
    (क) भारतीय दंड संहिता की धारा 171छ – "निर्वाचनों के संबंध में झूठा बयान"
    (ख) भारतीय दंड संहिता की धारा 499 में प्रावधान है कि "मानहानि- जो कोई बोले गए या पढ़े जाने के लिए आशयित शब्दों द्वारा या संकेतों द्वारा, या दृश्यरूपणों द्वारा किसी व्यक्ति के बारे में कोई लांछन इस आशय से लगाता या प्रकाशित करता है कि ऐसे लांछन से ऐसे व्यक्ति की ख्याति की अपहानि की जाए या यह जानते हुए या विश्वास करने का कारण रखते हुए लगाता या प्रकाशित करता है ऐसे लांछन से ऐसे व्यक्ति की ख्याति की अपहानि होगी, एतस्मिनपश्चात् अपवादित दशाओं के सिवाय उसके बारे में कहा जाता है कि वह उस व्यक्ति की मानहानि करता है।"
    (ग)  भारतीय दंड संहिता की धारा 500 में प्रावधान है कि "मानहानि के लिए दण्ड- जो कोई किसी अन्य व्यक्ति की मानहानि के लिए दण्ड करेगा, वह साधारण कारावास से, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा।"
    (घ)  भारतीय दंड संहिता की धारा 504 – "जो कोई भी किसी व्यक्ति को उकसाने के इरादे से जानबूझकर उसका अपमान करे, इरादतन या यह जानते हुए कि इस प्रकार की उकसाहट उस व्यक्ति को लोकशांति भंग करने, या अन्य अपराध का कारण हो सकती है को किसी एक अवधि के लिए कारावास की सजा जिसे दो वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है या आर्थिक दंड या दोनों से दंडित किया जाएगा।"
     
    4.   आदर्श आचार संहिता की मूलभावना केवल प्रत्यक्ष उल्लंघन का परिहार ही नहीं है अपितु यह सांकेतिक या अप्रत्यक्ष बयानों या व्यंग्यों के माध्यम से निर्वाचकीय क्षेत्र को दूषित करने के प्रयासों को भी निश्चित तौर पर रोकती है। कर्नाटक में प्रगतिरत निर्वाचनों में, प्रचार अभियान के दौरान, कुछ स्टार प्रचारकों/राष्ट्रीय राजनीतिक दलों के नेताओं ने अपेक्षित उच्च मानकों को पूरा नहीं किया है और ऐसे बयान दिए हैं जिनसे निर्वाचन का माहौल दूषित हुआ है।
     
    5.   आयोग ने प्रचार अभियान के दौरान बयानों के ऐसे गिरते हुए स्तर पर गंभीरतापूर्वक ध्यान दिया है। राष्ट्रीय दल और स्टार प्रचारक, लोक प्रतिनिधित्व के अधीन अतिरिक्त अधिकारों का लाभ उठाते हैं। यह अनिवार्य है कि प्रचार करते समय अपने बयान देते समय सभी दलों और हितधारकों को आदर्श आचार संहिता की सीमा और विधिक ढ़ांचे के भीतर रहना चाहिए ताकि राजनीतिक बयानों की गरिमा को कायम रखा जा सके और निर्वाचन का माहौल और प्रचार अभियान दूषित न हो। इस प्रकार, उनसे 'मुद्दा' आधारित परिचर्चा के लिए बयानों के स्तर को कायम रखने और उठाने में योगदान देने, स्थानीय मुद्दों को अखिल भारतीय परिप्रेक्ष्य में गंभीरतापूर्वक रखने और स्वतंत्र एवं निष्पक्ष निर्वाचन में भयमुक्त होकर सभी वर्गों के निर्वाचकों की पूर्ण रूप से भागीदारी के लिए आश्वस्त होने की अपेक्षा की जाती है।
     
    6.   तदनुसार, आयोग आदर्श आचार संहिता के अनुदेशों को दोहराता है और सभी राष्ट्रीय और राज्यीय दलों, आरयूपीपी और निर्दलीय अभ्यर्थियों को कड़े शब्दों में यह सलाह देता है एवं सचेत करता है कि वे अपने बयानों में संयम बरतें और और अनुचित बयानों से परहेज करें। सभी मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को निदेश दिया जाता है कि वे इसे सभी राष्ट्रीय और राज्यीय दलों द्वारा  कड़ाई से अनुपालन के लिए उनके ध्यान में लाएं। वे इस एडवाइजरी का व्यापक प्रचार सुनिश्चित करें और उसके अनुपालन में असफल होने पर वर्तमान विनियामक/विधिक ढ़ांचे के अनुसार उचित कार्रवाई आरंभ की जाए।

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    फ़ाइल सबमिट की गई Monday 12 June 2023

  15. राजनैतिक दलों और अभ्यर्थियों के मार्गदर्शन के लिए आदर्श आचार संहिता' के भाग I

    सं. 437/केटी-एलए/2023                                              06 मई, 2023
     
    नोटिस
     
     
    यतः, भारत निर्वाचन आयोग ने अपने दिनांक 29 मार्च, 2023 के प्रेस नोट सं. ईसीआई/पीएन/24/2023 के अनुसार कर्नाटक विधान सभा के साधारण निर्वाचन, 2023 की घोषणा की है और राजनैतिक दलों और अभ्यर्थियों के लिए आदर्श आचार संहिता के उपबंध उसी तारीख से लागू हो गए हैं; और
     
    2.       यतः, 'राजनैतिक दलों और अभ्यर्थियों के मार्गदर्शन के लिए आदर्श आचार संहिता' के भाग I 'साधारण आचरण' का खंड 2 उपबंधित करता है किः-
     
    "जब अन्य राजनैतिक दलों की आलोचना की जाए, तो वह उनकी नीतियों और कार्यक्रम, पूर्व रिकार्ड और कार्य तक ही सीमित होनी चाहिए। दल और अभ्यर्थी व्यक्तिगत जीवन के ऐसे सभी पहलुओं की आलोचना से बचेंगे, जिनका संबंध अन्य दलों के नेताओं या कार्यकर्ताओं के सार्वजनिक क्रियाकलाप से न हो। अन्य दलों या उनके कार्यकर्ताओं के बारे में कोई ऐसी आलोचना नहीं की जानी चाहिये, जो ऐसे आरोपों पर जिनकी सत्यता स्थापित न हुई हो या जो तोड़-मरोड़कर कही गई बातों पर आधारित हों"
     
    3.   यतः, लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 123 (4) उपबंधित करती है किः-
     
    "किसी अभ्यर्थी के वैयक्तिक शील या आचरण के सम्बन्ध में या किसी अभ्यर्थी की अभ्यर्थिता या अभ्यर्थिता वापस लेने के सम्बंन्ध में या अभ्यर्थी या उसके अभिकर्ता द्वारा या [अभ्यर्थी या उसके निर्वाचन अभिकर्ता की सम्मति से] किसी अन्य व्यक्ति द्वारा किसी ऐसे तथ्य के कथन का प्रकाशन जो मिथ्या है और या तो जिसके मिथ्या होने का उसको विश्वास है या जिसके सत्य होने का वह विश्वास नहीं करता है और जो उस अभ्यर्थी के निर्वाचन की सम्भाव्यताओं पर प्रतिकूल प्रभाव डालने के लिए युक्तियुक्त रूप से प्रकल्पित कथन है।"
     
    4.   यतः, भारतीय दंड संहिता की धारा 171 छ उपबंधित करती है किः-
     
    "निर्वाचन के सिलसिले में मिथ्या कथन- जो कोई निर्वाचन के परिणाम पर प्रभाव डालने के आशय से किसी अभ्यर्थी के वैयक्तिक शील या आचरण के सम्बन्ध में तथ्य का कथन तात्पर्यित होने वाला की ऐसा कथन करेगा या प्रकाशित करेगा, जो मिथ्या है, और जिसका मिथ्या होना वह जानता या विश्वास करता है अथवा जिसके सत्य होने का विश्वास नहीं करता है, वह जुर्माने से दण्डित किया जाएगा।"
     
    5.  यतः, आयोग ने दिनांक 2 मई, 2023 के अपने अनुदेश सं. 437/6/अनु/भानिआ./प्रकार्य/आआसं/2023 के अनुसार सभी दलों और हितधारकों को, अन्य बातों के साथ-साथ, यह सलाह दी है कि वे निर्वाचन प्रचार के दौरान अपनी बयानबाजी देते समय आदर्श आचार संहिता और विधिक प्रावधानों (फ्रेमवर्क) के दायरे में रहें ताकि राजनैतिक बयानों की गरिमा बनी रहे और प्रचार अभियान तथा निर्वाचन माहौल दूषित न हो;
     
    6.  यतः, आयोग को श्री ओम पाठक, भारतीय जनता पार्टी से दिनांक 5 मई, 2023 की एक शिकायत (प्रति संलग्न) प्राप्त हुई है कि इंडियन नेशनल कांग्रेस पार्टी ने 5 मई, 2023 को राष्ट्रीय और स्थानीय समाचार-पत्रों, नामतः द टाइम्स ऑफ इंडिया, इंडियन एक्सप्रेस, द हिन्दू और संयुक्ता कर्नाटक में एक विज्ञापन प्रकाशित करवाया है जिसमें भारतीय जनता पार्टी के विरुद्ध असभ्य, प्रतिकूल, मिथ्या और भ्रामक आरोप लगाए हैं;
     
    7.   यतः, प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि इंडियन नेशनल कांग्रेस ने उक्त विज्ञापन प्रकाशित करवाकर आदर्श आचार संहिता के उपर्युक्त उपबंध का उल्लंघन किया है;
     
    8.   संविधान के तहत विरोधी दलों की नीतियों और शासन की आलोचना करने के अधिकार की गारंटी दी गई है और इसके साथ ही हमारी निर्वाचन प्रक्रिया के अधीन विभिन्न राजनेताओं का यह अनिवार्य कार्य भी है। तथापि, इस अधिकार का प्रयोग और इस अनिवार्य कार्य को करते समय राजनैतिक दलों से उम्मीद की जाती है कि वे सार्वजनिक बयान देते समय उच्च मानकों की मर्यादा बनाए रखेंगे तथा आदर्श आचार संहिता और संबंद्ध कानूनों के विभिन्न उपबंधों का पालन करेंगे। हालांकि उपलब्धियों की कथित विहीनता, कुकृत्य, राजनैतिक विरोधियों द्वारा भ्रष्टाचार मुक्त शासन सुनिश्चित नहीं करना, सामान्य संदर्भ और संकेतित प्रसंग राजनैतिक निर्वाचन प्रचारों के दौरान उठाए जाते हैं, लेकिन विशिष्ट दोषारोपणों और आरोपों को अलग करने की आवश्यकता है क्योंकि ये सत्यापनीय तथ्यों पर आधारित होने चाहिए। बिना किसी तथ्यात्मक आधार के विशिष्ट आरोप लगाना, दंड संहिता के तहत प्रतिबंधित कार्रवाई है, जैसा कि ऊपर पैरा 3 और 4 में उल्लेख किया गया है। स्वतंत्र रूप से, किसी संगत सूचनात्मक सत्यापन के बिना आरोप, संभावित रूप से मतदाता को भ्रमित करके एक जागरूक विकल्प चुनने की प्रक्रिया में और साथ ही, सभी के लिए समान अवसर उपलब्ध कराने में विध्न डालकर निर्वाचकीय प्रक्रिया को दूषित करते हैं।
    9.   उक्त विज्ञापन में लगाए गए दोषारोपण और आरोप, सामान्य किस्म के नहीं हैं। विज्ञापन की सामग्री और फार्मेट ही सरकारी तंत्र (राजनैतिक और नौकरशाही) के सभी स्तरों पर यह विशिष्ट आरोप लगाते हैं कि यह तंत्र समझौता करने वाला और बिक जाने वाला तंत्र है। यह पूरे प्रशासन तंत्र को बदनाम करता है जो बड़े पैमाने पर सरकारी प्रणाली की वैधता के प्रति अविश्वास और सरकारी तंत्र को कम आंकने की भावना को उकसाता है, जो अन्यथा, अन्य बातों के साथ-साथ, मतदान के सुचारू संचालन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
     
    10.  जैसा कि आयोग की दिनांक 02.05.2023 की एडवाइजरी में कहा गया था कि राष्ट्रीय दलों को लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के तहत विशेष अधिकार प्राप्त हैं और, अतः उनसे आशा की जाती है कि वे आदर्श आचार संहिता और विधिक ढांचे का पूरी तरह से अनुपालन करें। यह एक उचित धारणा है कि इंडियन नेशनल कांग्रेस के पास महत्वपूर्ण/अनुभवजन्य/सत्यापन योग्य साक्ष्य हैं, जिनके आधार पर ये विशिष्ट/स्पष्ट 'तथ्य' प्रकाशित कराए गए हैं, यह एक ऐसी कार्रवाई है जिसका मूल्यांकन लेखक द्वारा इस्तेमाल किए गए उसके प्रचुर ज्ञान और उद्देश्य एवं मंशा के आधार पर निष्पक्षतापूर्वक किया जा सकता है। अतः, आपको उसके अनुभवजन्य साक्ष्य, उदाहरणार्थ, आपके द्वारा दिए गए विज्ञापन में उल्लिखित नियुक्तियों और स्थानांतरणों के प्रकारों, नौकरियों के प्रकारों और कमीशन के प्रकारों की दरों के साक्ष्य, स्पष्टीकरण सहित, यदि कोई हों, 7 मई, 2023  को सायं 7.00 बजे तक प्रस्तुत करने और उसे जन साधारण की सूचना (पब्लिक डोमेन) के लिए प्रकाशित करवाने हेतु निदेश दिया जाता है।
     
    11.  उपरोक्त कार्रवाई करने में विफल रहने की स्थिति में, आपको निदेश दिया जाता है कि 7 मई, 2023 को सायं 7.00 बजे तक ये कारण बताएं कि आदर्श आचार संहिता और लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम तथा भारतीय दंड संहिता के तहत प्रासंगिक विधिक उपबंधों का उल्लंघन करने के लिए आपके विरुद्ध कार्रवाई क्यों नहीं आरंभ की जानी चाहिए?
     
    12.   नोट करें कि यदि आपने निर्धारित समय के भीतर कोई उत्तर नहीं दिया, तो यह मान लिया जाएगा कि इस मामले में आपको कुछ नहीं कहना है और आपको आगे सूचित किए बिना भारत निर्वाचन आयोग इस मामलें में उपयुक्त कार्रवाई अथवा निर्णय करेगा।
     
     

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    फ़ाइल सबमिट की गई Wednesday 24 May 2023

  16. राजनीतिक दलों को जारी की गई एडवाइजरी को साझा करना।

    सं.437/केटी-एलए/2023                                        
     दिनांक: 07.05.2023
     
    योग को विज्ञापनों एवं निर्वाचन अभियान के दौरान कथित रूप से किए गए असत्यापित दावों और प्रतिदावों वाली बयानबाजियों के संबंध में कुछ राष्ट्रीय दलों द्वारा शिकायतें एवं प्रति-शिकायतें प्राप्त हुई हैं।
    2.    वर्तमान में प्रिंट मीडिया में राजनीतिक विज्ञापन के लिए पूर्व-प्रमाणन हेतु समय-सीमा भारत निर्वाचन आयोग के दिनांक 31.03.2023 के अनुदेशों में निहित हैं। कर्नाटक विधान सभा के लिए साधारण निर्वाचन के संबंध में इस अनुदेश के माध्यम से, “कोई भी राजनीतिक दल या अभ्यर्थी या अन्य कोई संगठन या कोई व्यक्ति मतदान के दिन और मतदान दिवस से एक दिन पूर्व प्रिंट, मीडिया में कोई विज्ञापन तब तक प्रकाशित नहीं करेगा, जब तक कि उसके द्वारा राजनीतिक विज्ञापन की सामग्री राज्य/जिला स्तर पर, जैसा भी मामला हो, एमसीएमसी समिति से पूर्व-प्रमाणित नहीं करवा ली जाए।”
    “यह भी सूचित किया जाता है कि उपरोक्त पैरा 2 में उल्लिखित आवेदकों को मतदान के दिन और मतदान दिवस से एक (01) दिन पहले, विज्ञापन के प्रकाशन की प्रस्तावित तारीख से 02 (दो) दिन पूर्व एमसीएमसी के समक्ष आवेदन करना होगा।”
    “आयोग के उपर्युक्त निदेश राज्य में सभी राजनीतिक दलों के अध्यक्षों, निर्वाचन लड़ने वाले अभ्यर्थियों और समाचार पत्रों के ध्यान में लाएं जाएं और सामान्य सूचना और सख्त अनुपालन के लिए इनका     मॉस मीडिया में व्यापक प्रचार-प्रसार भी किया जाए।”
    3.    जैसा कि पूर्व-प्रमाणन समयसीमा के प्रवृत्त में आने के लिए अभी भी 24 घंटे हैं, अत: आयोग एक बार पुन: दोहराता है कि दिनांक 31.03.2023 के निदेश के पैरा 1 में समाविष्ट दिनांक 31.03.2023 के इसके निदेश की मूल भावना का राजनीतिक दलों द्वारा पालन किए जाने की आवश्यकता है अर्थात् “कि अतीत में प्रिंट मीडिया में प्रकाशित अपमानजनक एवं भ्रामक प्रकृति के विज्ञापनों के दृष्टांतों को आयोग के संज्ञान में लाया गया है। निर्वाचन के अंतिम चरण में ऐसे विज्ञापन, संपूर्ण निर्वाचन प्रक्रिया को निष्प्रभावित करते हैं। प्रभावित अभ्यर्थी और दलों के पास ऐसे मामलों में स्पष्टीकरण देने/खंडन करने का कोई अवसर नहीं होगा।”
    4.    भारत निर्वाचन आयोग के समक्ष रिकार्ड के आधार पर, जिसमें राजनीतिक दलों की प्रतिक्रिया भी  शामिल है, पूर्व-प्रमाणन की समय-सीमा को ज्यादा अवधि तक बढ़ाने के विकल्प पर विचार किया गया था। हालांकि, शेष निर्वाचन प्रचार अवधि के संबंध में समय की कमी को देखते हुए, भारत निर्वाचन आयोग ने ऐसे कदम उठाने से परहेज किया है। इसके बजाय, यह दोहराता है कि प्रिंट मीडिया में विज्ञापन के लिए पूर्व-प्रमाणन की समय-सीमा पर ध्यान दिए बिना, निर्वाचन प्रचार अवधि के दौरान हर समय सभी हितधारकों द्वारा निर्वाचन प्रचार करते समय स्वच्छ एवं गंभीर बयानबाजी के अनुदेशों को समझा जाना चाहिए और उन्हें कायम रखा जाना चाहिए।
    5.    निर्वाचन प्रचार के दौरान किए गए विज्ञापनों एवं बयानबाजियों के संदर्भ में, आदर्श आचार संहिता के खण्ड 4.4.2 (ख) (फ) की ओर एक बार पुन: ध्यान आकृष्ट किया जाता है, अर्थात् “अन्य दलों एवं उनके कार्यकर्ताओं के असत्यापित आरोपों एवं तोड़-मरोड़ कर बयानबाजी के आधार पर आलोचना नहीं की जाएगी।”
    6.    उपर्युक्त के क्रम में एवं उपर्युक्त के अनाधीन, भारत निर्वाचन आयोग ने निर्वाचन प्रचार की शेष अवधि कम रह जाने की स्थिति को देखते हुए, प्रत्यक्ष: इस चिंता को नोट किया है कि राष्ट्रीय दल एवं स्टार प्रचारक निर्वाचन प्रचार के दौरान बयानबाजी के अपेक्षित प्रतिमानकों के प्रति कर्तव्यबद्ध हैं। तद्नुसार, आयोग भी अपने दिनांक 02/05/23 के निदेश को पुन: दोहराता है और निर्वाचन आयोग के दौरान दिए गए विज्ञापनों एवं बयानबाजी के संबंध में इसके सख्त अनुपालन पर अधिकाधिक जोर देता है।
     
     
     
     

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    फ़ाइल सबमिट की गई Wednesday 24 May 2023

  17. निर्वाचनरत कर्नाटक राज्य में जब्तियों में 4.5 गुना वृद्धि होना, व्यय निगरानी पर अत्यधिक फोकस को दर्शाता है

    सं. ईसीआई/पीएन/32/2023                                                
     दिनांकः 09 मई, 2023
     
    प्रेस नोट
     
    निर्वाचनरत कर्नाटक राज्य में जब्तियों में 4.5 गुना वृद्धि होना, व्यय निगरानी पर अत्यधिक फोकस को दर्शाता है
     
    कर्नाटक विधान सभा के प्रगतिरत निर्वाचनों में अब तक कुल 375 करोड़ रुपए से अधिक की जब्तियां दर्ज की गईं
     
    प्रवर्तन निदेशालय ने आदर्श आचार संहिता लागू होने के बाद 288 करोड़ रु. की परिसंपत्तियोँ की कुर्की की
     
    राज्य में ज्यादा कड़ी सतर्कता एवं निगरानी के लिए 146 व्यय प्रेक्षक प्रतिनियुक्त किए गए; 81 विधान सभा निर्वाचन क्षेत्रों को व्यय-संवेदनशील निर्वाचन क्षेत्रों के रूप में चिह्नित किया गया

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    फ़ाइल सबमिट की गई Wednesday 24 May 2023

  18. प्रिंट मीडिया में विज्ञापन के संबंध में राजनैतिक दलों के लिए आयोग की एडवाइजरी

    भारत निर्वाचन आयोग को विज्ञापनों एवं निर्वाचन अभियान के दौरान कथित रूप से किए गए असत्यापित दावों और प्रतिदावों वाली बयानबाजियों के संबंध में कुछ राष्ट्रीय दलों द्वारा शिकायतें एवं प्रति-शिकायतें प्राप्त हुई हैं।
    2.     वर्तमान में प्रिंट मीडिया में राजनीतिक विज्ञापन के लिए पूर्व-प्रमाणन हेतु समय-सीमा भारत निर्वाचन आयोग के दिनांक 31.03.2023 के अनुदेशों में निहित हैं। कर्नाटक विधान सभा के लिए साधारण निर्वाचन के संबंध में इस अनुदेश के माध्यम से, “कोई भी राजनीतिक दल या अभ्यर्थी या अन्य कोई संगठन या कोई व्यक्ति मतदान के दिन और मतदान दिवस से एक दिन पूर्व प्रिंट, मीडिया में कोई विज्ञापन तब तक प्रकाशित नहीं करेगा, जब तक कि उसके द्वारा राजनीतिक विज्ञापन की सामग्री राज्य/जिला स्तर पर, जैसा भी मामला हो, एमसीएमसी समिति से पूर्व-प्रमाणित नहीं करवा ली जाए।”
    “यह भी सूचित किया जाता है कि उपरोक्त पैरा 2 में उल्लिखित आवेदकों को मतदान के दिन और मतदान दिवस से एक (01) दिन पहले, विज्ञापन के प्रकाशन की प्रस्तावित तारीख से 02 (दो) दिन पूर्व एमसीएमसी के समक्ष आवेदन करना होगा।”
    “आयोग के उपर्युक्त निदेश राज्य में सभी राजनीतिक दलों के अध्यक्षों, निर्वाचन लड़ने वाले अभ्यर्थियों और समाचार पत्रों के ध्यान में लाएं जाएं और सामान्य सूचना और सख्त अनुपालन के लिए इनका     मॉस मीडिया में व्यापक प्रचार-प्रसार भी किया जाए।”
    3.     जैसा कि पूर्व-प्रमाणन समयसीमा के प्रवृत्त में आने के लिए अभी भी 24 घंटे हैं, अत: आयोग एक बार पुन: दोहराता है कि दिनांक 31.03.2023 के निदेश के पैरा 1 में समाविष्ट दिनांक 31.03.2023 के इसके निदेश की मूल भावना का राजनीतिक दलों द्वारा पालन किए जाने की आवश्यकता है अर्थात् “कि अतीत में प्रिंट मीडिया में प्रकाशित अपमानजनक एवं भ्रामक प्रकृति के विज्ञापनों के दृष्टांतों को आयोग के संज्ञान में लाया गया है। निर्वाचन के अंतिम चरण में ऐसे विज्ञापन, संपूर्ण निर्वाचन प्रक्रिया को निष्प्रभावित करते हैं। प्रभावित अभ्यर्थी और दलों के पास ऐसे मामलों में स्पष्टीकरण देने/खंडन करने का कोई अवसर नहीं होगा।”
    4.     भारत निर्वाचन आयोग के समक्ष रिकार्ड के आधार पर, जिसमें राजनीतिक दलों की प्रतिक्रिया भी  शामिल है, पूर्व-प्रमाणन की समय-सीमा को ज्यादा अवधि तक बढ़ाने के विकल्प पर विचार किया गया था। हालांकि, शेष निर्वाचन प्रचार अवधि के संबंध में समय की कमी को देखते हुए, भारत निर्वाचन आयोग ने ऐसे कदम उठाने से परहेज किया है। इसके बजाय, यह दोहराता है कि प्रिंट मीडिया में विज्ञापन के लिए पूर्व-प्रमाणन की समय-सीमा पर ध्यान दिए बिना, निर्वाचन प्रचार अवधि के दौरान हर समय सभी हितधारकों द्वारा निर्वाचन प्रचार करते समय स्वच्छ एवं गंभीर बयानबाजी के अनुदेशों को समझा जाना चाहिए और उन्हें कायम रखा जाना चाहिए।
    5.     निर्वाचन प्रचार के दौरान किए गए विज्ञापनों एवं बयानबाजियों के संदर्भ में, आदर्श आचार संहिता के खण्ड 4.4.2 (ख) (फ) की ओर एक बार पुन: ध्यान आकृष्ट किया जाता है, अर्थात् “अन्य दलों एवं उनके कार्यकर्ताओं के असत्यापित आरोपों एवं तोड़-मरोड़ कर बयानबाजी के आधार पर आलोचना नहीं की जाएगी।”
    6.     उपर्युक्त के क्रम में एवं उपर्युक्त के अनाधीन, भारत निर्वाचन आयोग ने निर्वाचन प्रचार की शेष अवधि कम रह जाने की स्थिति को देखते हुए, प्रत्यक्ष: इस चिंता को नोट किया है कि राष्ट्रीय दल एवं स्टार प्रचारक निर्वाचन प्रचार के दौरान बयानबाजी के अपेक्षित प्रतिमानकों के प्रति कर्तव्यबद्ध हैं। तद्नुसार, आयोग भी अपने दिनांक 02/05/23 के निदेश को पुन: दोहराता है और निर्वाचन आयोग के दौरान दिए गए विज्ञापनों एवं बयानबाजी के संबंध में इसके सख्त अनुपालन पर अधिकाधिक जोर देता है।
     

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    फ़ाइल सबमिट की गई Wednesday 24 May 2023

  19. भारत निर्वाचन आयोग ने अपने दिनांक 29 मार्च, 2023 के प्रेस नोट सं. ईसीआई/पीएन/24/2023 के द्वारा कर्नाटक विधान सभा के साधारण निर्वाचन की घोषणा की है और राजनैतिक दलों और अभ्यर्थियों के लिए आदर्श आचार संहिता के उपबंध उसी तारीख से लागू हो गए हैं

    सं. 437/केटी-एलए/2023                                                
     दिनांकः 03 मई, 2023
     
    नोटिस
     
           यतः, भारत निर्वाचन आयोग ने अपने दिनांक 29 मार्च, 2023 के प्रेस नोट सं. ईसीआई/पीएन/24/2023 के द्वारा कर्नाटक विधान सभा के साधारण निर्वाचन की घोषणा की है और राजनैतिक दलों और अभ्यर्थियों के लिए आदर्श आचार संहिता के उपबंध उसी तारीख से लागू हो गए हैं; और
     
           यतः, राजनैतिक दलों और अभ्यर्थियों के मार्गदर्शन के लिए आदर्श आचार संहिता उपबंधित करती है कि:-
    (क)  खंड 3.8.2 (ii) निर्दिष्ट करता है कि "किसी भी व्यक्ति को ऐसी किसी गतिविधि में लिप्त नहीं होना चाहिए या ऐसा बयान नहीं देना चाहिए जो किसी व्यक्ति के व्यक्तिगत जीवन पर आक्रमण करने के समान हो या ऐसा बयान नहीं देना चाहिए जो दुर्भावनापूर्ण हो या जिससे शालीनता एवं नैतिकता का हनन होता हो।"
    (ख)  खंड 4.3.1 विनिर्दिष्ट करता है कि "राजनीतिक दल और अभ्यर्थी निजी जीवन के ऐसे सभी पहलुओं की आलोचना करने से बचेंगे, जो अन्य दलों के नेताओं और कार्यकर्ताओं की सार्वजनिक गतिविधियों से नहीं जुड़ा है। इस में यह भी प्रावधान है कि कोई भी दल या अभ्यर्थी ऐसी किसी भी गतिविधि में शामिल नहीं होगा, जो मौजूदा मतभेदों को बढ़ाए या आपसी घृणा पैदा करे या तनाव पैदा करे।"
    (ग)   खंड 4.3.2 में विनिर्दिष्ट है कि "निर्वाचन अभियान के उच्च स्तर बनाए रखे जाएं।"
    (घ)   खंड 4.3.2 (ii) में विनिर्दिष्ट है कि "निर्वाचन आयोग ने राजनीतिक संवाद के गिरते स्तर पर गहरी नाराजगी व्यक्त करते हुए, राजनीतिक दलों को नोटिस दिया कि आदर्श आचार संहिता का बार-बार उल्लंघन किए जाने पर उनके विरुद्ध कार्रवाई की जा सकती है।"
     
    यतः, आयोग को श्री पीयूश गोयल, श्री अनिल बलुनी और श्री ओम पाठक, बीजेपी से दिनांक 2 मई, 2023 की एक शिकायत प्राप्त हुई है (प्रति संलग्न) कि आपने 30 अप्रैल, 2023 को कर्नाटक के "कलबुर्गी" में एक जनसभा में एक वक्तव्य दिया है, जिसमें आपने प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी के विरुद्ध अपमानजनक भाषा का प्रयोग किया है।
     
           यतः, आदर्श आचार संहिता के उपबंधों के आलोक में उक्त भाषण की वीडियो की जांच की गई थी और इसके निम्नलिखित भाग को उपर्युक्त आदर्श आचार संहिता के उपबंध का उल्लंघन करने वाला पाया गया है-
     
           "ऐसा नालायक बेटा बैठा तो कैसा होता भाई? घर कैसे चलेगा?"
     
           यतः, प्रथम दृष्टया आयोग का मत है कि आपने उक्त बयान देकर आदर्श आचार संहिता के उपर्युक्त उपबंध का उल्लंघन किया है;
           अतः, अब आपको एतद्द्वारा दिनांक 04.05.2023 को सायं 5.00 बजे तक कारण बताने के लिए कहा जाता है कि आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन के लिए आपके विरुद्ध उपयुक्त कार्रवाई क्यों न की जाए?
     
           ध्यान दें कि निर्धारित समय के भीतर यदि आपकी ओर से कोई उत्तर नहीं मिलता तो यह मान लिया जाएगा कि इस मामले में आपको कुछ नहीं कहना है और आपको आगे सूचित किए बिना भारत निर्वाचन आयोग इस मामले में उपयुक्त कार्रवाई अथवा निर्णय करेगा।
     
     

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    फ़ाइल सबमिट की गई Tuesday 16 May 2023

  20. General Elections to State Legislative Assemblies of Meghalaya, Nagaland and Tripura, 2023 and Bye-elections in Parliamentary/ Assembly Constituencies of various States – Lifting of Model Code of Conduct reg.

    General Elections to State Legislative Assemblies of Meghalaya, Nagaland and Tripura, 2023 and Bye-elections in Parliamentary/ Assembly Constituencies of various States – Lifting of Model Code of Conduct reg.
     

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    फ़ाइल सबमिट की गई Tuesday 07 March 2023

  21. Misuse of religious institutions for political purposes - reg.

    Misuse of religious institutions for political purposes - reg.
     

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    फ़ाइल सबमिट की गई Friday 20 January 2023

  22. रिमोट वोटिंग का उपयोग करके घरेलू प्रवासियों से मतदाता सहभागिता में सुधार करने पर विचार-विमर्श -16.01.2023 (सोमवार) को कॉन्स्टीट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया, विट्ठल भाई पटेल हाउस, रफी मार्ग, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के पीछे, नई दिल्ली, 110001 में संपन्न - तत्संबंधी।

    रिमोट वोटिंग का उपयोग करके घरेलू प्रवासियों से मतदाता सहभागिता में सुधार करने पर विचार-विमर्श -16.01.2023 (सोमवार) को कॉन्स्टीट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया, विट्ठल भाई पटेल हाउस, रफी मार्ग, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के पीछे, नई दिल्ली, 110001 में संपन्न - तत्संबंधी।

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    फ़ाइल सबमिट की गई Thursday 19 January 2023

  23. Immediate action to be taken for enforcement of Model Code of Conduct after announcement of General Elections to State Legislative Assemblies of Meghalaya, Nagaland and Tripura, 2023

    Immediate action to be taken for enforcement of Model Code of Conduct after announcement of General Elections to State Legislative Assemblies of Meghalaya, Nagaland and Tripura, 2023.

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    फ़ाइल सबमिट की गई Wednesday 18 January 2023

  24. General Elections to State Legislative Assemblies of Meghalaya, Nagaland and Tripura, 2023 and Bye-elections in Parliamentary/ Assembly Constituencies of various States - Release of funds under MPs’/MLAs’ Local Area Development Scheme

    General Elections to State Legislative Assemblies of Meghalaya, Nagaland and Tripura, 2023 and Bye-elections in Parliamentary/ Assembly Constituencies of various States - Release of funds under MPs’/MLAs’ Local Area Development Scheme.

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    फ़ाइल सबमिट की गई Wednesday 18 January 2023

  25. Application of Model Code of Conduct – General Elections to State Legislative Assemblies of Meghalaya, Nagaland and Tripura, 2023 and Bye-elections in Parliamentary/ Assembly Constituencies of various States.

    Application of Model Code of Conduct –  General Elections to State Legislative Assemblies of Meghalaya, Nagaland and Tripura, 2023 and Bye-elections in Parliamentary/ Assembly Constituencies of various States.

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    फ़ाइल सबमिट की गई Wednesday 18 January 2023

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eci-logo.pngभारत निर्वाचन आयोग एक स्‍वायत्‍त संवैधानिक प्राधिकरण है जो भारत में निर्वाचन प्रक्रियाओं के संचालन के लिए उत्‍तरदायी है। यह निकाय भारत में लोक सभा, राज्‍य सभा, राज्‍य विधान सभाओं और देश में राष्‍ट्रपति एवं उप-राष्‍ट्रपति के पदों के लिए निर्वाचनों का संचालन करता है। निर्वाचन आयोग संविधान के अनुच्‍छेद 324 और बाद में अधिनियमित लोक प्रतिनिधित्‍व अधिनियम के प्राधिकार के तहत कार्य करता है। 

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