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वर्तमान मुद्दे

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  1. General Elections to State Legislative Assemblies of Meghalaya, Nagaland and Tripura, 2023 and Bye-elections in Parliamentary/ Assembly Constituencies of various States – Lifting of Model Code of Conduct reg.

    General Elections to State Legislative Assemblies of Meghalaya, Nagaland and Tripura, 2023 and Bye-elections in Parliamentary/ Assembly Constituencies of various States – Lifting of Model Code of Conduct reg.
     

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    फ़ाइल सबमिट की गई Tuesday 07 March 2023

  2. रिमोट वोटिंग का उपयोग करके घरेलू प्रवासियों से मतदाता सहभागिता में सुधार करने पर विचार-विमर्श -16.01.2023 (सोमवार) को कॉन्स्टीट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया, विट्ठल भाई पटेल हाउस, रफी मार्ग, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के पीछे, नई दिल्ली, 110001 में संपन्न - तत्संबंधी।

    रिमोट वोटिंग का उपयोग करके घरेलू प्रवासियों से मतदाता सहभागिता में सुधार करने पर विचार-विमर्श -16.01.2023 (सोमवार) को कॉन्स्टीट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया, विट्ठल भाई पटेल हाउस, रफी मार्ग, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के पीछे, नई दिल्ली, 110001 में संपन्न - तत्संबंधी।

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    फ़ाइल सबमिट की गई Thursday 19 January 2023

  3. Misuse of religious institutions for political purposes - reg.

    Misuse of religious institutions for political purposes - reg.
     

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    फ़ाइल सबमिट की गई Friday 20 January 2023

  4. Immediate action to be taken for enforcement of Model Code of Conduct after announcement of General Elections to State Legislative Assemblies of Meghalaya, Nagaland and Tripura, 2023

    Immediate action to be taken for enforcement of Model Code of Conduct after announcement of General Elections to State Legislative Assemblies of Meghalaya, Nagaland and Tripura, 2023.

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    फ़ाइल सबमिट की गई Wednesday 18 January 2023

  5. General Elections to State Legislative Assemblies of Meghalaya, Nagaland and Tripura, 2023 and Bye-elections in Parliamentary/ Assembly Constituencies of various States - Release of funds under MPs’/MLAs’ Local Area Development Scheme

    General Elections to State Legislative Assemblies of Meghalaya, Nagaland and Tripura, 2023 and Bye-elections in Parliamentary/ Assembly Constituencies of various States - Release of funds under MPs’/MLAs’ Local Area Development Scheme.

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    फ़ाइल सबमिट की गई Wednesday 18 January 2023

  6. Application of Model Code of Conduct – General Elections to State Legislative Assemblies of Meghalaya, Nagaland and Tripura, 2023 and Bye-elections in Parliamentary/ Assembly Constituencies of various States.

    Application of Model Code of Conduct –  General Elections to State Legislative Assemblies of Meghalaya, Nagaland and Tripura, 2023 and Bye-elections in Parliamentary/ Assembly Constituencies of various States.

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    फ़ाइल सबमिट की गई Wednesday 18 January 2023

  7. रिमोट वोटिंग का प्रयोग करके घरेलू प्रवासियों की मतदाता भागीदारी बढ़ाने पर विमर्श – तत्संबंधी।

    रिमोट वोटिंग का प्रयोग करके घरेलू प्रवासियों की मतदाता भागीदारी बढ़ाने पर विमर्श – तत्संबंधी।

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    फ़ाइल सबमिट की गई Thursday 29 December 2022

  8. Change of Venue for the meeting on Remote Voting to be held on 16.01.2023 (Monday) at 11.00 AM -reg

    Change of Venue for the meeting on Remote Voting to be held on 16.01.2023 (Monday) at 11.00 AM -reg

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    फ़ाइल सबमिट की गई Friday 13 January 2023

  9. कर्नाटक विधान सभा के साधारण निर्वाचन - अधिकारियों का स्थानांतरण/तैनाती – तत्संबंधी।

    कर्नाटक विधान सभा के साधारण निर्वाचन - अधिकारियों का स्थानांतरण/तैनाती – तत्संबंधी।

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    फ़ाइल सबमिट की गई Thursday 08 December 2022

  10. सांसद/विधायक स्थानीय क्षेत्र विकास योजना के अधीन निधियों को जारी करना-तत्संबंधी।

    सांसद/विधायक स्थानीय क्षेत्र विकास योजना के अधीन निधियों को जारी करना-तत्संबंधी।

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    फ़ाइल सबमिट की गई Thursday 10 November 2022

  11. विभिन्न राज्यों की संसदीय/विधान सभा निर्वाचन क्षेत्रों में उप-निर्वाचन - आदर्श आचार संहिता के प्रवर्तन के संबंध में अनुदेश - तत्‍संबंधी।

    विभिन्न राज्यों की संसदीय/विधान सभा निर्वाचन क्षेत्रों में उप-निर्वाचन - आदर्श आचार संहिता के प्रवर्तन के संबंध में अनुदेश - तत्‍संबंधी।

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    फ़ाइल सबमिट की गई Thursday 10 November 2022

  12. ECI notice to Shri Guntakandla Jagadish Reddy, Minister of Energy, Govt of Telangana for violation of MCC in 93- Munugode Assembly Constituency Bye-Election 2022

    ECI notice to Shri Guntakandla Jagadish Reddy, Minister of Energy, Govt of Telangana for violation of MCC in 93- Munugode Assembly Constituency Bye-Election 2022

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    फ़ाइल सबमिट की गई Friday 28 October 2022

  13. हिमाचल प्रदेश विधान सभा के साधारण निर्वाचन, 2022 की घोषणा के पश्चात आदर्श आचार संहिता लागू करने के लिए की जाने वाली तत्काल कार्रवाई-तत्संबंधी।

    हिमाचल प्रदेश विधान सभा के साधारण निर्वाचन, 2022 की घोषणा के पश्चात आदर्श आचार संहिता लागू करने के लिए की जाने वाली तत्काल कार्रवाई-तत्संबंधी।

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    फ़ाइल सबमिट की गई Friday 14 October 2022

  14. गुजरात विधान सभा के साधारण निर्वाचन, 2022 की घोषणा के पश्चात आदर्श आचार संहिता लागू करने के लिए की जाने वाली तत्काल कार्रवाई-तत्संबंधी।

    गुजरात विधान सभा के साधारण निर्वाचन, 2022 की घोषणा के पश्चात आदर्श आचार संहिता लागू करने के लिए की जाने वाली तत्काल कार्रवाई-तत्संबंधी। 

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    फ़ाइल सबमिट की गई Thursday 03 November 2022

  15. आदर्श आचार संहिता लागू होना - गुजरात विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र के लिए साधारण निर्वाचन - तत्संबंधी।

    आदर्श आचार संहिता लागू होना - गुजरात विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र के लिए साधारण निर्वाचन - तत्संबंधी। 

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    फ़ाइल सबमिट की गई Thursday 03 November 2022

  16. 93-मुनुगोडे विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र का उप निर्वाचन: 93-मुनुगोडे विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र के मतदाताओं को प्रलोभन देने के लिए निर्वाचन लड़ने वाले अभ्यर्थी श्री के. राजागोपाल रेड्डी द्वारा विभिन्न कंपनियों/निवासियों को 5.24 करोड़ रु. की धनराशि अंतरित...

    93-मुनुगोडे विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र का उप निर्वाचन: 93-मुनुगोडे विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र के मतदाताओं को प्रलोभन देने के लिए निर्वाचन लड़ने वाले अभ्यर्थी श्री के. राजागोपाल रेड्डी द्वारा विभिन्न कंपनियों/निवासियों को 5.24 करोड़ रु. की धनराशि अंतरित करने के संबंध में तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) का अभ्यावेदन और उक्त अभ्यावेदन पर श्री के. राजागोपाल रेड्डी का उत्तर – तत्संबंधी।

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    फ़ाइल सबमिट की गई Tuesday 01 November 2022

  17. गुजरात विधान सभा के लिए साधारण निर्वाचन, 2022 - सांसद/विधायक स्थानीय क्षेत्र विकास योजना के अधीन निधियों को जारी करना।

    गुजरात विधान सभा के लिए साधारण निर्वाचन, 2022 - सांसद/विधायक स्थानीय क्षेत्र विकास योजना के अधीन निधियों को जारी करना।

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    फ़ाइल सबमिट की गई Thursday 03 November 2022

  18. मेघालय, नागालैण्ड और त्रिपुरा राज्‍यों की विधान सभाओं के लिए साधारण निर्वाचन- अधिकारियों का स्‍थानांतरण/तैनाती-तत्‍संबंधी।

    मेघालय, नागालैण्ड और त्रिपुरा राज्‍यों की विधान सभाओं के लिए साधारण निर्वाचन- अधिकारियों का स्‍थानांतरण/तैनाती-तत्‍संबंधी। 

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    फ़ाइल सबमिट की गई Saturday 05 November 2022

  19. आयोग ने 93-मुनुगोडे विधान सभा उप-निर्वाचन तेलंगाना 2022 में मतदाताओं के उत्प्रेरण के लिए कथित निधि अंतरण पर टीआरएस से चुनाव लड़ने वाले अभ्यर्थी, श्री के. राजगोपाल रेड्डी के अभ्यावेदन पर 31 अक्तूबर, 2022 तक स्पष्टीकरण मांगा।

    आयोग ने 93-मुनुगोडे विधान सभा  उप-निर्वाचन तेलंगाना 2022 में मतदाताओं के उत्प्रेरण के लिए कथित निधि अंतरण पर टीआरएस से चुनाव लड़ने वाले अभ्यर्थी, श्री के. राजगोपाल रेड्डी के अभ्यावेदन पर 31 अक्तूबर, 2022 तक स्पष्टीकरण मांगा।

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    फ़ाइल सबमिट की गई Sunday 30 October 2022

  20. उत्तर प्रदेश राज्य में 37-रामपुर विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र से उप-निर्वाचन,2022 - अधिसूचना का प्रकाशन में आयोग के निर्णय के सम्बन्ध में 

    उत्तर प्रदेश राज्य में 37-रामपुर विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र से उप-निर्वाचन,2022 - अधिसूचना का प्रकाशन में आयोग के निर्णय के सम्बन्ध में

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    फ़ाइल सबमिट की गई Wednesday 09 November 2022

  21. Bye-elections in 15-Khatauli Assembly Constituency of Uttar Pradesh - Release of funds under MPs’/MLAs’ Local Area Development Scheme.

    Bye-elections in 15-Khatauli Assembly Constituency of Uttar Pradesh - Release of funds under MPs’/MLAs’ Local Area Development Scheme
     

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    फ़ाइल सबमिट की गई Tuesday 08 November 2022

  22. Bye-elections in 15-Khatauli Assembly Constituency of Uttar Pradesh – Instructions on enforcement of Model Code of Conduct.

    Bye-elections in 15-Khatauli Assembly Constituency of Uttar Pradesh – Instructions on enforcement of Model Code of Conduct
     

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    फ़ाइल सबमिट की गई Tuesday 08 November 2022

  23. चार अर्हक तारीखों के संदर्भ में निर्वाचक नामावलियां तैयार करना-तत्संबंधी।

    सं. 23/अनु./2022-ईआरएस
    दिनांक: 12 जुलाई, 2022
    सेवा में,
          सभी राज्‍यों/संघ राज्‍य-क्षेत्रों के मुख्‍य निर्वाचन अधिकारी
     
    विषय: चार अर्हक तिथियों के संबंध में निर्वाचक नामावली की तैयारी – तत्‍संबंधी। 
    संदर्भ- (i) विधि और न्‍याय मंत्रालय द्वारा दिनांक 30 दिसम्‍बर, 2021 की अधिसूचना।
    (ii) विधि और न्‍याय मंत्रालय द्वारा दिनांक 17 जून 2022 की अधिसूचना।
    (iii) आयोग के दिनांक 14 फरवरी, 2019 का पत्र संख्‍या 23/पत्र/ईसीआई/प्रकार्या/ ईआरडी-ईआर/2019, और
    (iv) दिनांक 23 जून, 2022 का पत्र सं. 3/ईआर/2021/एसडीआर/खण्‍ड-।।
    (v) दिनांक 27 जून, 2022 का पत्र सं. 22/2/2022-ईआरएस
    (vi) दिनांक 14 सितम्‍बर, 2021 का पत्र सं. 23/2021-ईआरएस (मा‍सिक पूलिंग) 
    महोदया/महोदय,
    मुझे उद्धृत विषय का उल्लेख करने और यह बताने का निदेश हुआ है कि वर्ष की 01 जनवरी की अर्हक तिथि के रूप में निर्वाचक नामावली  तैयार करने के लिए एक व्यापक प्रणाली पहले से ही मौजूद है। हाल ही में, संसद ने लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 और लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 में संशोधन किया है, जिसकी सूचना आयोग के दिनांक 23 जून, 2022 के पत्र सं. 3/ईआर/2021/एसडीआर/खण्‍ड-।। के माध्यम से मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को दी गई है। इन संशोधनों में लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 14(ख) में किए गए संशोधन शामिल हैं जो निर्वाचक नामावली में नागरिकों के रजिस्‍ट्रीकरण के लिए पात्रता निर्धारित करने की अर्हक तिथि से संबंधित है। इस संशोधन के परिणामस्‍वरूप 01 जनवरी की एक अर्हक तिथि के स्थान पर चार अर्हक तिथियां अर्थात 01 जनवरी, 01 अप्रैल, 01 जुलाई और 01 अक्टूबर लागू होंगी।
    2. उपर्युक्‍त विधिक संशोधनों के अनुसरण में, निर्वाचक रजिस्‍ट्रीकरण नियम, 1960 में निम्नलिखित परिणामी संशोधन किए गए हैं:-
    i.   निर्वाचक रजिस्‍ट्रीकरण नियम, 1960 के नियम 26 का उप-नियम 1(क):-
    ii.  वर्ष की जनवरी के प्रथम दिन, अप्रैल के प्रथम दिन, जुलाई के प्रथम दिन, अक्‍तूबर के प्रथम दिन, की अर्हक तारीखों के संदर्भ में उप-नियम (1) में यथोलिखित ऐसे प्रत्‍येक आवेदन को रजिस्‍ट्रीकरण ऑफिसर के पास ऐसी रीति से प्रस्‍तुत किया जाएगा, जैसा निर्वाचन आयोग निदेश दे। 
    निर्वाचक रजिस्‍ट्रीकरण नियम, 1960 का नियम 26क:- 
    i.  ‘‘(26क) उप-नियम 1(क), में यथा विनिर्दिष्‍ट अर्हक तारीखों के संदर्भ में तैयार की गई संशोधनों की सूची पिछली अंतिम रूप से प्रकाशित नामावली के साथ आमेलित तथा एकीकृत की जाएगी तथा प्रत्‍येक साधारण निर्वाचन और उप-निर्वाचन से पहले नियम 10 के अधीन प्रारूप निर्वाचक नामावली के रूप में प्रकाशित की जाएगी तथा निर्वाचन आयोग के यथा निर्देशानुसार उक्‍त निर्वाचन की निकटतम अर्हक तारीख के संदर्भ में जनसाधारण की जानकारी के लिए सार्वजनिक डोमेन में डाली जाएगी’’। 
    3. अर्हक तारीखों से संबंधित सांविधिक प्रावधानों में उपर्युक्‍त संशोधनों ने विधानसभा/संसदीय निर्वाचन क्षेत्र की निर्वाचक नामावली को तैयार करने/पुनरीक्षण की मौजूदा प्रक्रिया में बदलाव लाने को आवश्‍यक बना दिया है। नई प्रणाली की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं:
    (i) अर्हक तिथि के रूप में वर्ष की 01 जनवरी के संदर्भ में वार्षिक संक्षिप्‍त पुनरीक्षण किया जाएगा।
    (ii) निर्वाचक रजिस्‍ट्रीकरण अधिकारी, निर्वाचन रजिस्‍ट्रीकरण नियम 1960 के प्रपत्र-5 में प्रारूप निर्वाचक नामावली के प्रकाशन की सूचना जारी करते समय अगले कैलेंडर वर्ष की सभी चार उत्‍तरवर्ती अर्हक तिथियों के संबंध में दावे और आपत्तियां आमंत्रित करेंगे।
    (iii) उत्‍तरवर्ती अर्हक तिथियों यानी 01 अप्रैल, 01 जुलाई और 01 अक्टूबर के संदर्भ में रजिस्‍ट्रीकरण के लिए पात्र होने वाले भावी आवेदक भी वार्षिक संक्षिप्‍त पुनरीक्षण के दौरान अग्रिम में प्ररूप -6 में अपना दावा प्रस्‍तुत कर सकते हैं।
    दूसरे शब्दों में, जो नागरिक उपर्युक्‍त चार अर्हक तिथियों के संदर्भ में पात्र हो जाएंगे, उन्हें  वार्षिक संक्षिप्‍त पुनरीक्षण के दौरान रजिस्‍ट्रीकरण के लिए अपना अग्रिम आवेदन दाखिल करने की सुविधा दी गई है और यह वर्ष की 01 जनवरी के संदर्भ से निर्वाचक नामावली के प्रारूप प्रकाशन की भी तिथि से प्रारंभ होगी।
    (iv) इस प्रकार प्राप्त सभी प्रपत्रों को संबंधित अर्हक तिथि के संदर्भ में आवेदकों की जन्म तिथि के आधार पर तिमाही-वार अलग-अलग किया जाएगा। 
    (v) 1 जनवरी की अर्हक तिथि से संबंधित अग्रिम आवेदनों पर कार्रवाई की जाएगी, निर्णय लिया जाएगा और निर्वाचक नामावली को अंतिम प्रकाशन में अद्यतन किया जाएगा। 
    (vi) वार्षिक संक्षिप्‍त पुरीक्षण के दौरान उत्‍तरवर्ती अर्हक तिथियों के संबंध में प्राप्‍त अग्रिम दावों और अंतिम प्रकाशन के उपरान्‍त प्राप्‍त अग्रिम/नियमित दावों को अधिमानत: संबंधित तिमाहियों के पहले महीनों में संबंधित तिमाहियों के दौरान निरंतर अद्यतनीकरण के तहत निर्वाचक रजिस्‍ट्रीकरण अधिकारी (ईआरओ) द्वारा प्रोसेस करने के लिए लिया जाएगा। उत्‍तरवर्ती तिमाहियों के दौरान निर्वाचक नामावली तैयार करने में निर्वाचक नामावली का साधारण निरंतर अद्यतनीकरण शामिल होगा, यद्यपि यह नई अर्हक तिथियों के साथ होगा। दूसरे शब्दों में, जो आवेदक वार्षिक संक्षिप्‍त पुनरीक्षण के दौरान प्रपत्र -6 में अपने अग्रिम दावे दाखिल नहीं कर सके, उन्हें कैलेंडर वर्ष की बाद की तिमाहियों में दावे दाखिल करने से रोका नहीं जाएगा। वार्षिक संक्षिप्‍त पुनरीक्षण के दौरान अग्रिम दावा दाखिल करने की प्रक्रिया युवा नागरिकों को प्रदान की जाने वाली एक अतिरिक्त सुविधा है। 
    4. निर्वाचक नामावली के पुनरीक्षण की प्रक्रिया की व्‍याख्‍या निम्नलिखित पैराग्राफों में विस्तार से  की गई है:
    क. वार्षिक संक्षिप्‍त पुनरीक्षण:- जैसा कि वर्तमान में किया जा रहा है, आयोग अगले वर्ष की पहली जनवरी के संबंध में आने वाले कैलेंडर वर्ष की निर्वाचक नामावली तैयार करने के लिए लगभग अगस्त माह में वार्षिक संक्षिप्‍त पुनरीक्षण का आदेश देगा। अगले कैलेंडर वर्ष में सभी चार अर्हक तिथियों के संदर्भ में अग्रिम दावों को दाखिल करने के लिए युवा नागरिकों के लिए वार्षिक संक्षिप्‍त संशोधन की सुविधा होगी।
    (i) संशोधन-पूर्व गतिविधियाँ- वार्षिक संक्षिप्‍त पुनरीक्षण के इस कार्यक्रम में सभी संशोधन-पूर्व गतिविधियाँ शामिल होंगी, जैसे कि डीएसई/पीएसई को हटाना, पते/अनुभागों का मानकीकरण, मतदान केंद्रों का युक्तिकरण, अनुपूरक सूची तैयार करना, निर्वाचक नामावली का एकीकरण, निर्वाचक नामावली का प्रारूप तैयार करना, प्रारूप 1-8 तैयार करना आदि। 
    (ii) प्रारूप प्रकाशन- प्रारूप प्रकाशन के समय, पिछली अर्हक तिथि के संबंध में अंतिम अद्यतन नामावली, साथ ही निरंतर अद्यतनीकरण की अनुपूरक [विभिन्न अर्हक तिथियों (जैसा लागू हो) के लिए वर्तमान संशोधन के लिए प्रारूप निर्वाचक नामावली के प्रकाशन तक की तैयारी] और निर्वाचक नामावली में पंजीकृत परिवार के सभी सदस्यों को एक साथ लाकर एकीकृत और सम्मिलित किया जाएगा। प्रारूप नामावली में, विलोपित प्रविष्टियों को हटाने और परिवार के सदस्यों की प्रविष्टियों को एक ही साथ रखने के बाद सभी प्रविष्टियों का पुन: क्रमांकन किया जाएगा। हालांकि परिवर्धन, विलोपन और आशोधन अनुपूरक, निर्वाचक रजिस्‍ट्रीकरण अधिकारी (ईआरओ) द्वारा ईआरओ-नेट के माध्यम से तैयार किया जाएगा और केवल भावी संदर्भ के लिए रिकॉर्ड में रखा जाएगा। एकीकृत प्रारूप निर्वाचक नामावली की प्रति को मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के साथ साझा किया जाएगा और मौजूदा प्रावधानों के तहत वेबसाइट पर डाला जाएगा। 
    (iii) दावे और आपत्तियां- अनुसूची के अनुसार, निर्वाचक रजिस्‍ट्रीकरण अधिकारी (ईआरओ) प्रपत्र -5 में नोटिस जारी करेंगे और अगले कैलेंडर वर्ष की सभी चार अर्हक तिथियों के संदर्भ से प्रारूप निर्वाचक नामावली पर औपचारिक रूप से दावे और आपत्तियां आमंत्रित करेंगे। 
    i. संबंधित अर्हक तिथियों के संदर्भ में प्रपत्रों को, आवेदकों द्वारा दी गई जन्म तिथि के आधार पर अलग-अलग किया जाएगा।
    ii. निर्वाचक रजिस्‍ट्रीकरण अधिकारी (ईआरओ) 01 जनवरी के संदर्भ में प्राप्त प्रपत्रों के संबंध में अर्हता तिथि के रूप में प्राप्त दावों और आपत्तियों की सूची सटीकतापूर्वक तैयार करेंगे और आयोग के मौजूदा निर्देशों के अनुसार नोटिस बोर्ड, निर्धारित स्थानों और वेबसाइटों पर प्रदर्शित करेंगे। 
    (iv) दावों एवं आपत्तियों का निपटान- नोटिस बोर्ड पर सूची प्रदर्शित करने की तिथि से नोटिस अवधि के सात दिनों के बाद वार्षिक संक्षिप्‍त पुनरीक्षण की अनुसूची में विनिर्दिष्ट, निपटान की अवधि के भीतर प्रपत्रों का निपटान किया जाएगा। 
    (v) अंतिम प्रकाशन- अंतिम प्रकाशन के समय, अर्हक तारीख के रूप में 01 जनवरी के संदर्भ में पात्र नागरिकों से प्राप्त हुए प्रपत्र-6, प्रपत्र-7 और प्रपत्र-8 के आधार पर संक्षिप्‍त पुनरीक्षण की अवधि के दौरान किए गए परिवर्धन, विलोपन और आशोधन की अनुपूरक सूची ही केवल ईआरओ-नेट से तैयार की जाएगी और जेनेरेट की जाएगी। मुख्‍य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) संक्षिप्‍त पुनरीक्षण के आधार पर तैयार किए गए फॉर्मेट 1-8 और अपनी विश्‍लेषणात्‍मक टिप्‍पणी, अंतिम सूची के प्रकाशन के लिए आयोग की अनुमति की अपेक्षा से भेजेंगे। अंतिम सूची एकल एकीकृत होगी, जिसमें सभी परिवर्धन प्रविष्टियां, मूल नामावली की अंतिम प्रविष्टि के बाद लगातार क्रम संख्या में आएंगी और वार्षिक संक्षिप्‍त पुनरीक्षण के दौरान किए गए सभी आशोधन और विलोपन आयोग के मौजूदा अनुदेशों के अनुसार ही निर्वाचक नामावली में दिखाई देंगे। किसी भी प्रकार की अतिरिक्‍त परिवर्धन, विलोपन और अशोधन सूची मुद्रित नहीं की जाएगी, हालांकि निर्वाचक रजिस्‍ट्रीकरण अधिकारी उन्हें अपने भावी संदर्भ के लिए रखेंगे। एकीकृत अंतिम नामावली की प्रति मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को उपलब्ध कराई जाएगी और नियम 22 के अनुसार वेबसाइट पर अपलोड की जाएगी। 
    (ख) उत्‍तरवर्ती अर्हक तिथियों के संदर्भ में प्राप्त प्रपत्रों की प्रोसेसिंग: उत्‍तरवर्ती तिमाहियों के दौरान, इन उत्‍तरवर्ती अर्हक तिथियों के संबंध में दावे और आपत्तियाँ दायर करने और उनके निपटान के लिए औपचारिक अनुसूची जारी करने की कोई आवश्यकता नहीं है, क्योंकि अग्रिम दावों की सुविधा पहले से वार्षिक संक्षिप्‍त पुनरीक्षण के दौरान प्रदान की जा चुकी है। अत: कोई भी संशोधन पूर्व गतिविधियां जैसे मतदान केंद्रों का युक्तिकरण इत्‍यादि या नियमित पुनरीक्षण गतिविधियाँ जैसे प्रारूप प्रकाशन, दावों और आपत्तियों को आमंत्रित करना, अंतिम प्रकाशन आदि नहीं की जाएंगी। 
    जैसा कि ऊपर उल्लेख किया गया है, वर्ष की 01 अप्रैल, 01 जुलाई और 01 अक्टूबर के संदर्भ में निर्वाचक नामावली में नामांकन के लिए पात्र होने वाले संभावित निर्वाचक प्रपत्र -6 में अपने दावे ऑनलाइन या ऑफलाइन जमा कर सकते हैं जो वार्षिक संक्षिप्‍त पुनरीक्षण की निर्वाचक नामावली के प्रारूप प्रकाशन की तारीख से शुरू होगी। संभावित निर्वाचकों से संबंधित इन प्रपत्रों पर 01 जनवरी के संदर्भ में प्रपत्रों के साथ कार्रवाई नहीं की जाएगी और इन्‍हें उनकी संबंधित अर्हक तिथियों तक लंबित रखा जाएगा। 
    I. भावी आवेदकों से अग्रिम रूप से प्रपत्र प्राप्त करते समय निर्वाचक रजिस्‍ट्रीकरण अधिकारी उन्हें सुस्पष्ट रूप से सूचित करेंगे कि उनके प्रपत्रों पर केवल प्रासंगिक पात्रता तिथि के संदर्भ में ही कार्रवाई की जाएगी। ऑनलाइन आवेदन के मामले में, आवेदकों को एसएमएस/ई-मेल/पोस्ट द्वारा ऐसा ही संदेश भेजा जाएगा। इसके अलावा, नागरिकों को सूचित किया जाएगा कि वे निरंतर अद्यतनीकरण की अवधि के दौरान भी अपना आवेदन जमा कर सकते हैं, अर्थात् अर्हक तिथि के रूप में 1 जनवरी के संदर्भ में वार्षिक संक्षिप्‍त पुनरीक्षण की निर्वाचक नामावली के अंतिम प्रकाशन के बाद। 
    II. उत्‍तरवर्ती अर्हक तारीखों के संदर्भ में प्राप्त दावों (प्रपत्र-6) को डिजिटाइज किया जाएगा और तिमाही आधार पर अलग-अलग करने के बाद ईआरओ-नेट में अलग-अलग संबंधित बकेट में 'अर्हक तिथि के संदर्भ में संभावित निर्वाचकों के संबंध में अग्रिम दावे……‘ शीर्षक के तहत रखा जाएगा। 
    III. निर्वाचक रजिस्‍ट्रीकरण अधिकारी प्रासंगिक अर्हक तिथि के संबंध में बकेट में रखे गए लंबित अग्रिम दावों को निरंतर अद्यतनीकरण की अवधि के दौरान प्राप्त सभी दावों और आपत्तियों के साथ लेंगे। उदाहरण के लिए, 01 अप्रैल के बाद, निर्वाचक रजिस्‍ट्रीकरण अधिकारी (ईआरओ) उन आवेदकों के सभी प्रपत्रों पर कार्रवाई करेंगे, जो 01 अप्रैल को या उससे पहले पात्र हो रहे हैं, तथा जिनके फार्म 01 जनवरी से और इसके बाद की अवधि के दौरान प्राप्त हुए हैं। वे ऐसे सभी प्रपत्रों के संबंध में प्रपत्र- 9,10,11 आदि तैयार करेंगे और इसे अपने कार्यालयों में नोटिस बोर्ड पर प्रदर्शित करेंगे और आपत्तियों, यदि कोई हों, के लिए पब्लिक डोमेन में भी डालेंगे। 7 दिनों की निर्दिष्ट नोटिस अवधि के बाद, प्रपत्रों का निपटान निर्धारित प्रक्रिया का पालन करते हुए किया जाएगा। 
    IV. निर्वाचक रजिस्‍ट्रीकरण अधिकारी (ईआरओ) द्वारा प्रपत्रों को उसी तरह कार्रवाई की जाएगी जैसे वे निरंतर अद्यतनीकरण की अवधि के दौरान प्रपत्रों का निपटान करते हैं। 
    V.  अगली अर्हक तिथि से पहले, उस विशेष तिमाही के संबंध में अनुपूरक सूची तैयार की जाएगी। निर्वाचक रजिस्‍ट्रीकरण अधिकारी(ईआरओ) द्वारा तैयार की गई अनुपूरक को मुद्रित और किसी के साथ साझा नहीं किया जाएगा (चूंकि, मासिक सूचियां सीईओ की वेबसाइट पर प्रकाशित की जाती हैं, नीचे बिंदु vi ), अपितु केवल निर्वाचक रजिस्‍ट्रीकरण अधिकारी के लिए ईआरओ-नेट/स्‍टेट सर्वर में रिकॉर्ड के लिए या भावी संदर्भ के लिए रखा जाएगा। नई प्रविष्टियां ईआर डेटाबेस में अद्यतन की जाएंगी और मौजूदा निर्वाचकों की क्रम संख्या में छेड़छाड़ किए बिना यूएनपीईआर में एकीकृत की जाएगी। तिमाही के दौरान नामांकित सभी निर्वाचकों को संबंधित भाग में निर्वाचक नामावली की पिछली प्रविष्टि के बाद कालक्रमानुसार रखा जाएगा। 
    vi. पिछली तिमाही के दौरान प्राप्त ऐसे सभी प्रपत्रों के निपटान के बाद, निर्वाचक रजिस्‍ट्रीकरण अधिकारी द्वारा अनुमोदित प्रपत्रों के आधार पर परिवर्धन, विलोपन और आशोधन की अंतिम सूची ईआरओ-नेट द्वारा तैयार की जाएगी और सभी नागरिकों और अन्य हितधारकों की सूचनार्थ उस तिमाही के पहले महीने में सीईओ की वेबसाइट पर प्रकाशित की जाएंगी जिसमें इनका निपटान किया गया है। (कृपया आयोग के दिनांक 14 सितंबर 2020 का पत्र संख्या 23/2021-ईआरएस (मासिक पूलिंग), देखें)। 
    vii. अद्यतित यूएनपीईआर जनता के अवलोकनार्थ आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध होगा।
    viii. उत्‍तरवर्ती सभी तिमाहियों में भी यही प्रक्रिया अपनाई जाएगी। 
    ix.यथा उपर्युक्त तैयार की गई अनुपूरक सूचियों को वार्षिक संक्षिप्‍त पुनरीक्षण के दौरान या आयोग द्वारा आदेश दिए जाने पर किसी विशेष संक्षिप्‍त पुनरीक्षण, जो भी पहले हो, के लिए प्रारूप एकीकृत नामावली तैयार करने के उद्देश्य से एकीकृत किया जाएगा। 
    5.  एपिक जेनेरेट करना, तैयार करना और वितरण करना: दावों के निपटान के तुरंत बाद और निर्वाचक रजिस्‍ट्रीकरण अधिकारी के सकारण आदेश से, व्यक्ति विशेष के लिए निर्वाचक नामावली में इस प्रकार नामांकित एपिक संख्‍या जेनेरेट होती है, जिसे निर्वाचक नामावली में रजिस्‍टर किया जाता है। जैसे ही निर्वाचक की प्रविष्टि निर्वाचक नामावली में अद्यतन की जाती है, वह एपिक के लिए हकदार हो जाएगा। 1 अप्रैल, 1 जुलाई और 1 अक्टूबर के संदर्भ वाली तिमाही में नामांकित किए जा रहे निर्वाचकों के एपिक के संबंध में, निर्वाचक रजिस्‍ट्रीकरण अधिकारी प्रतीक्षा किए बिना यथाशीघ्र अगले वार्षिक संक्षिप्‍त पुनरीक्षण के लिए एपिक प्रदान करना सुनिश्चित करेगा। 
    6. ईसीआई-आईटी डिवीजन इस उद्देश्य के लिए ईआरओ-नेट पर अपेक्षित तंत्र विकसित करेगी। 
    7. उपर्युक्‍त अनुदेशों का सख्‍ती से अनुपालन के लिए इन्‍हें तत्काल सभी जिला निर्वाचन अधिकारियों (डीईओ), निर्वाचक रजिस्‍ट्रीकरण अधिकारियों/सहायक निर्वाचक रजिस्‍ट्रीकरण अधिकारियों और अन्य सभी अधीनस्‍थ निर्वाचन प्राधिकारियों के ध्यान में लाया जाएगा। स्‍पष्‍टता के लिए एक दृष्‍टांत संलग्न है। 
    8. मुख्‍य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) पूरे राज्य में स्वीप उपायों के माध्यम से प्रिंट/विजुअल मीडिया के जरिए निर्वाचक नामावली तैयार करने की प्रक्रिया में परिवर्तन का व्यापक प्रचार करेंगे। वे आयोग के उपर्युक्‍त अनुदेशों के बारे में जानकारी देने के लिए राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों, मीडिया और अन्य हितधारकों के साथ भी बैठक करेंगे। राजनीतिक दलों को भी लिखित में सूचित किया जाएगा।

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    फ़ाइल सबमिट की गई Wednesday 27 July 2022

  24. गुजरात और हिमाचल प्रदेश राज्यों में अर्हक तारीख के रूप में 01.10.2022 के संदर्भ में फोटो निर्वाचक नामावलियों का विशेष सार पुनरीक्षण-कार्यक्रम-तत्‍संबंधी।

    गुजरात और हिमाचल प्रदेश राज्यों में अर्हक तारीख के रूप में 01.10.2022 के संदर्भ में फोटो निर्वाचक नामावलियों का विशेष सार पुनरीक्षण-कार्यक्रम-तत्‍संबंधी। 

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    फ़ाइल सबमिट की गई Wednesday 27 July 2022

  25. जम्मू-कश्मीर राज्य में अर्हक तारीख के रूप में दिनांक 01.10.2022 के संदर्भ में फोटो निर्वाचक नामावलियों का विशेष सार पुनरीक्षण-कार्यक्रम-तत्संबंधी।

    सं.23/2022 (जम्‍मू व कश्‍मीर एसएसआर) - ईआरएस                     
    दिनांक: 29 जून, 2022
     
    सेवा में
           जम्मू-कश्मीर संघ राज्‍य क्षेत्र के मुख्‍य निर्वाचन अधिकारी,
           जम्‍मू।
     
    विषय:  जम्‍मू-कश्‍मीर संघ राज्‍यक्षेत्र में अर्हक तिथि के रूप में 01.10.2022 के संदर्भ में फोटो निर्वाचक नामावलियों का विशेष संक्षिप्‍त पुनरीक्षण-कार्यक्रम-तत्‍संबंधी।
     
    संदर्भ:  (i) आयोग का पत्र सं. 23/2022 (जम्‍मू-कश्‍मीर एसएसआर)-ईआरएस, दिनांक 10 जून, 2022
               (ii) आयोग का पत्र सं. 23/2021 – ईआरएस (सुपर चेंकिंग), दिनांक 1 नवम्‍बर, 2021, और
                (iii) आयोग का पत्र सं. 22/02/2022-ईआरएस, दिनांक 27.06.2022
     
    महोदय/महोदया
    मुझे यह कहने का निदेश हुआ है कि मौजूदा नीति के अनुसार, अर्हक तारीख के रूप में आगामी वर्ष की 1 जनवरी के संदर्भ में निर्वाचक नामावलियों का पुनरीक्षण सभी राज्यों/संघ राज्‍यक्षेत्रों में प्रत्येक वर्ष (सामान्‍य रूप से वर्ष की अंतिम तिमाही में)  की आखिरी अवधि में किया जाता है ताकि निर्वाचक नामावलियों का अंतिम प्रकाशन अनुवर्ती वर्ष के जनवरी माह के प्रथम सप्ताह में किया जा सके। तथापि विभिन्‍न प्रशासनिक कारणों से निर्वाचक नामावली का यह वार्षिक पुनरीक्षण एसएसआर, 2019 के बाद जम्‍मू-कश्‍मीर में नहीं किया जा सका। इसी बीच में संघ राज्‍य–क्षेत्र में निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन कार्य भी प्रगति पर था तथा परिसीमन आयोग द्वारा 05 मई, 2022 को अंतिम रूप से परिसीमित निर्वाचन क्षेत्रों को अधिसूचित कर दिया गया था। चूंकि, जम्मू-कश्मीर में पिछले 3 वर्षों से निर्वाचक नामावली का पुनरीक्षण कार्य नहीं किया गया था, इसीलिए नए पात्र निर्वाचक नामावली में अपना पंजीकरण नहीं करा सके थे। उक्‍त के मद्देनज़र, नए परिसीमित निर्वाचन क्षेत्रों के आधार पर निर्वाचक नामावली को अद्यतन करने के लिए अगली अर्हक तारीख के संदर्भ में बिना किसी देरी के विशेष संक्षिप्‍त संशोधन का करने की आवश्‍यकता है ताकि सभी नए पात्र युवा निर्वाचकों को स्‍वयं को नामांकित करने के अवसर मिल सके उपर्युक्‍त के संदर्भ में आयोग ने अपने दिनांक 10.06.2022 के समसंख्‍यक पत्र के द्वारा जम्‍मू-कश्‍मीर संघ राज्‍यक्षेत्र में पुनरीक्षण कार्यकलापों की शुरूआत कर दी है। पूर्व-पुनरीक्षण कार्यकलापों का समापन दिनांक 31.08.2022 को होगा। 
    2.     निर्वाचन विधि (संशोधन) अधिनियम, 2021 द्वारा लोक प्रतिनिधित्‍व अधिनियम की धारा 14 में संशोधन, जैसाकि भारत के राजपत्र की अधिसूचना संख्‍या 67, दिनांक 30 दिसम्‍बर, 2021 के द्वारा अधि‍सूचित किया गया है, होने तथा निर्वाचक रजिस्‍ट्रीकरण नियम, 1960 में तदनुरूपी परिवर्तन करने के परिणामस्‍वरूप, जैसा कि 17 जून, 2022 को अधिसूचित किया गया है, चार अर्हक तिथियों, नामत: 1 जनवरी, 1 अप्रैल, 1 जुलाई तथा 1 अक्‍टूबर का विधि में प्रावधान हो गया है। पिछले पैराग्राफ में दिए गए कारणों को देखते हुए आयोग ने 1 अक्‍तूबर, 2022 के संबंध में एसएसआर, 2022 का आदेश देने का निर्णय लिया है, जो कि प्रगतिरत पूर्व पुनरीक्षण कार्यकलापों के समापन के बाद निर्वाचक नामावली तैयार करने की अगली अर्हक तारीख है। 
    3.     तदनुसार, आयोग ने जम्मू-कश्मीर, संघ राज्‍य-क्षेत्र में अर्हक तारीख के रूप में दिनांक 01-10-2022 के संदर्भ से निम्नलिखित तालिका के अनुसार फोटो निर्वाचक नामावलियों का विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण करने के लिए पुनरीक्षण कार्यकलाप आरंभ करने का निदेश दिया है:-
    क्र. सं.
    पुनरीक्षण कार्यकलाप
    अवधि
    1.
    समेकित प्रारूप निर्वाचक नामावली का प्रकाशन
    01.09.2022 (बृहस्‍पतिवार)
    2.
    दावे और आपत्तियाँ दायर करने की अवधि
    01.09.2022 (बृहस्‍पतिवार) से 30.09.2022 (शुक्रवार) तक
    3.
    विशेष अभियान की तारीखें
    दावों और आपत्तियों की अवधि के भीतर दो शनिवार और रविवार (सीईओ द्वारा प्रस्‍तावित किया जाना)
    4.
    दावों एवं आपत्तियों का निपटान
    15.10.2022 (शनिवार) तक
    5.
    (i) दुरूस्‍तता संबंधी मानदंडों की जांच करना और अंतिम प्रकाशन के लिए आयोग की अनुमति लेना
    (ii) डाटाबेस का अद्यतनीकरण और अनुपूरकों का मुद्रण
    25.10.2022 (मंगलवार) तक
    6.
    निर्वाचक नामावली का अंतिम प्रकाशन
    31.10.2022 (सोमवार)
    4.   मसौदा प्रकाशन: निर्वाचक नामावली के मसौदा प्रकाशन से पहले, मुख्‍य निर्वाचन अधिकारी सुनिश्चित करेगा कि आयोग के दिनांक 10.06.2022 के पत्र में उल्लिखित पूर्व-संशोधन के सभी कार्यकलापों को पूरा कर लिया गया है। मुख्‍य निर्वाचन अधिकारी द्वारा निर्वाचक नामावली के मसौदा प्रकाशन के संबंध में निर्धारित प्ररुप 1-8 में निर्वाचकों की सूचना उसकी सुविचारित टिप्‍पणियों और व्‍याख्‍यात्‍मक ज्ञापन के साथ मसौदा प्रकाशन से पहले आयोग को प्रस्‍तुत किए जाएंगे।
    5.   दावों तथा आपत्तियों के लिए प्रपत्र:
    (i)    नए निर्वाचक के रूप में नामावली में नाम को सम्मिलित करने के लिए प्रत्‍येक दाव प्रपत्र-6 में होगा तथा आवेदक द्वारा हस्‍ताक्षरित होगा।
    (ii)  प्रस्‍तावित नाम के समावेशन की प्रत्‍येक आपत्ति अथवा मौजूदा नामावली में नाम को हटाने के लिए आवेदन प्रपत्र-7 में होगा तथा उस व्‍यक्ति को अधिमानता दी जाएगी जिसका नाम ऐसी नामावली में हो।
    (iii)     नामावली में किसी प्रविष्टि के विवरण अथवा विवरणों की प्रत्‍येक आपत्ति अथवा निर्वाचन क्षेत्र के भीतर अथवा निर्वाचन क्षेत्र के बाहर निवास के स्‍थानांतरण करने के लिए आवेदन अथवा प्रविष्टियों को सुधारने या अद्यतन करने के लिए आवेदन प्रपत्र-8 में होगा तथा उस व्‍यक्ति को अधिमानता दी जाएगी जिसकी प्रविष्टि इससे संबंधित होगी।
    6.   आधार संख्‍या प्रस्‍तुत करना: आधार संख्‍या प्रस्‍तुत करने के लिए पंजीकरण फार्म में एक स्‍थान दिया गया है, तथापि निर्वाचक नामावली में नाम को शामिल करने के लिए किसी भी आवेदन को अस्‍वीकार नहीं किया जाएगा तथा किसी व्‍यक्ति द्वारा आधार संख्‍या प्रस्‍तुत करने में या सूचित करने में असमर्थ रहने पर निर्वाचक नामावली में कोई प्रविष्टि नही हटाई जाएगी।
    7. दावों और आपत्तियों की सूची का प्रदर्शन –
    7.1  निर्वाचकों का रजिस्‍ट्रीकरण नियम, 1960 के नियम 16 के अनुसार ईआरओ प्ररूप 9,10,11, 11क और 11ख में दावों और आपत्तियों की सूचियां तैयार करेंगे और ऐसी सूचियों की एक प्रति अपने कार्यालय में नोटिस बोर्ड पर प्रदर्शित करेंगे। इसके अलावा, प्राप्‍त किए गए सभी दावों और आपत्तियों की सूची मुख्‍य निर्वाचन अधिकारी की वेबसाइट पर डाली जानी चाहिए ताकि नागरिक सूची देख सकें और संबंधि‍त निर्वाचक रजिस्‍ट्रीकरण अधिकारी को आपत्ति दाखिल कर सकें। इसके अतिरिक्‍त, मुख्‍य निर्वाचन अधिकारी द्वारा इस तथ्‍य के संबंध में पर्याप्‍त प्रचार किया जाए कि दावों और आपत्तियों की सूची उनकी वेबसाइट पर उपलब्‍ध है और इस सूची के आधार पर निर्वाचक रजिस्‍ट्रीकरण अधिकारी के समक्ष आपत्तियां दर्ज कराई जा सकती हैं। इसे राजनैतिक दलों के साथ बैठकें करके तथा उन्‍हें लिखित सूचना भेजकर  भी बताना चाहिए। 
    7.2  निर्वाचक रजिस्‍ट्रीकरण अधिकारी द्वारा सभी राजनैतिक दलों के दावों और आपत्तियों की सूची साप्‍ताहिक आधार पर उपलब्‍ध करवाई जानी चाहिए। इस प्रयोजनार्थ, निर्वाचक रजिस्‍ट्रीकरण अधिकारी को सभी राजनीतिक दलों की नियमित अंतराल पर बैठक बुलानी चाहिए और उन्‍हें दावों और आपत्तियों की सूची व्‍यक्तिगत रूप से सौंपनी चाहिए और पावती प्राप्‍त करनी चाहिए। यह भी जोड़ा जाए कि सूची संचयी न होकर बढ़ते हुए क्रम‍ में होनी चाहिए। 
    7.3  दावों और आपत्तियों पर निर्णय – दावों और आपत्तियों पर केवल तभी निर्णय लिए जाने चाहिए जब निम्‍नलिखित सभी शर्तों का पालन कर दिया जाए-
    (i) दावों और आपत्तियों की सूची को निम्‍नलिखित में सभी पर प्रकाशित होने के बाद कम से कम सात सुस्‍पष्‍ट दिन बीत गए हों –
    (क) सीईओ की वेबसाइट, प्रत्‍येक मतदान केन्‍द्र के लिए क्लिक करने योग्‍य सूचियों के रूप में।
    (ख)  ईआरओ का नोटिस बोर्ड (आरईआर 1960 के प्ररूप 9,10,11 और 11क में)
    (ग) मतदान केन्‍द्र का नोटिस बोर्ड (आरईआर 1960 के प्ररूप 9,10,11, 11क और 11ख में)
    (घ) मृत्‍यु मामलों के अलावा, ऐसे सभी मामलों में उस व्‍यक्ति के लिए व्‍यक्तिगत नोटिस तामील कर दिया गया हो जिसका नाम हटाए जाने का प्रस्‍ताव है।
    (ii) राजनीतिक दलों को दावों और आपत्तियों की सूची दिए जाने के बाद कम से कम सात सुस्‍पष्‍ट दिन बीत गए हों।
    8. विलोपन की प्रक्रिया : 
    8.1 पुनरावृतिक/बहुल प्रविष्टियां : व्‍यक्तिगत रूप से नागरिकों, राजनैतिक दलों के बूथ लेवल एजेंटों और आरडब्‍लूए के प्रतिनिधियों द्वारा भेजी गई पुनरावृतिक/बहुल प्रविष्टियों के प्रत्‍येक मामले में क्षेत्रीय सत्‍यापन अनिवार्य रूप से किया जाना चाहिए। निर्वाचक से ही फॉर्म-7 प्राप्‍त कर लेने के पश्‍चात उसका नाम उस निर्वाचक नामावली से हटा दिया जाएगा जहां उसे साधारण रूप से रहते हुए नहीं पाया जाता है।
    8.2  जनसांख्यिकीय रूप से सदृश प्रविष्टियां (डीएसई), स्‍थायी रूप से स्‍थानां‍तरित और मृत व्‍यक्ति:
    जनसांख्यिकीय रूप से सदृश प्रविष्टियां फोटो सदृश प्रविष्टियां स्‍थायी रूप से स्‍थानांतरित और मृत व्‍यक्तियों संबंधी पुष्‍ट मामलों को केवल निर्वाचकों/फोटो सदृश प्रविष्टियां (जनसांख्यिकीय रूप से सदृश प्रविष्टियों, फोटो सदृश प्रविष्टियों स्‍थायी रूप से स्‍थानांतरितों के मामले में) और मृत व्‍यक्तियों के मामले में उनके संबंधियों/परिवार के सदस्‍यों से फॉर्म-7 की प्राप्‍ति पर ही उनका नाम हटाया जाए। प्रविष्टियों को हटाने के लिए संबंधित व्‍यक्ति को नोटिस अवश्‍य दिया जाए।
    8.3 गलत तरीके से किए गए विलोपनों के प्रति रक्षोपाय:
     निर्वाचक नामावली से निर्वाचकों के गलत तरीके से होने वाले विलोपनों को रोकने के लिए निम्‍नलिखित रक्षोपाय किए जाएंगे:-
    (i) पंजीकृत मृत्‍यु के मामले में विलोपन केवल उचित सत्‍यापन/मृत्‍यु प्रमाणपत्र प्रस्‍तुत करने पर किया जाएगा।
    (ii) ईआरओ- नेट में प्रावधान ऐसे मामलों में उपलब्‍ध करवाए जाएंगे जहां एईआरओ/ईआरओ द्वारा पारित विलोपनों के सभी आदेशों को उप जिला निर्वाचन अधिकारियों/जिला निर्वाचन अधिकारियों द्वारा इसे सार्वजनिक रूप से उपलब्‍ध करवाने और निर्वाचक नामावली में कार्यान्वित करने से पहले सत्‍यापित किया जाएगा।
    (iii)  मृत्‍यु और स्‍थानांतरण के आधार पर विलोपन केवल फॉर्म-7 प्राप्‍त करने पर ही किए जाएंगे ताकि गलत तरीके से किए जाने वाले विलोपनों से बचा जा सके।
    (iv) फील्‍ड सत्‍यापन करते समय बीएलओ स्‍थानांतरण/मृत्‍यु की स्थिति, यथामामला, पर रिपोर्ट में विशेष अम्‍युक्ति देंगे।
    (v) स्‍थानांतरण पर विलोपन हेतु संबंधित निर्वाचक से फॉर्म-6 या फॉर्म-7 लिया जाएगा। नए स्‍थान पर नाम जोड़ने से पहले ईआरओ इस संबंध में पुष्टि करेंगे कि निर्वाचक वास्‍तव में अपने पुराने पते पर रहता था और उसका वही नाम है जैसा कि फॉर्म-6 में दिया गया है।
    (vi) विलोपनों के लिए बीएलओ की रिपोर्ट आवश्‍यक होगी।
    (vii) मृत्‍यु संबंधी मामलों के अलावा, फॉर्म-7 के माध्‍यम से प्रस्‍तावित विलोपनों के सभी मामलों में,  संबंधित निर्वाचक को नोटिस जारी किया जाएगा और उसे विधिवत रूप से अनिवार्यत: तामील किया जाना चाहिए। ऐसे मामलों में जहां निर्वाचक, निर्वाचक नामावली में दिए गए पते पर नहीं पाया जाता है तो कम से कम दो गवाहों की उपस्थिति में दीवार पर नोटिस चिपकाकर नोटिस को विधिवत रूप से जारी किया जाएगा, उक्‍त दोनों गवाहों से नोटिस की प्रति पर हस्‍ताक्षर लिए जाएंगे और उन्‍हें निर्वाचक रजिस्‍ट्रीकरण अधिकारी द्वारा फाइल में रखा जाए ताकि निर्वाचकों का रजिस्‍ट्रीकरण नियम, 1960 के नियम 21क के नियमों के उपबंधों का अनुपालन सुनिश्चित किया जा सके और संबंधित व्‍यक्ति को सुनवाई का उचित अवसर दिए जाने का अनुपालन हो सके। केवल मृत्‍यु संबंधी मामलों में नोटिस की विधिवत रूप से तामील करने के रूप में मृत्‍यु प्रमाणपत्र या संबंधियों, मित्रों अथवा पड़ोसियों का बयान स्‍वीकार किया जा सकता है।
    (viii) मृत्‍यु के आधार पर विलोपनों को छोड़कर, अन्‍य सभी विलोपनों का सत्‍यापन, फॉर्म-7 पर अंतिम आदेश पारित होने से पहले तहसीलदार/उप-तहसीलदार रैंक के अधिकारी के स्‍तर से कम द्वारा नहीं किया जाना चाहिए और कुल विलोपन (अक्रमिक रूप से चयनित पद्धति द्वारा) के 10% का क्षेत्र में जाकर सत्‍यापन किया जाना चाहिए।   
    (ix) विलोपनों के सभी मामले, यदि वे निम्‍नलिखित में किसी श्रेणी के अंतर्गत आते हैं तो उनका निर्वाचक रजिस्‍ट्रीकरण अधिकारी द्वारा अनिवार्यत: व्‍यक्तिगत रूप से सत्‍यापन किया जाएगा :-
    (क) ऐसे मतदान केन्‍द्रों में विलोपन जहां विलोपनों की संख्‍या मतदान केन्‍द्रों की मतदाता सूची   में कुल निर्वाचकों के 2% से अधिक है।
    (ख) ऐसे विलोपन जहां एक ही व्‍यक्ति पांच से अधिक मामलों में आपत्तिकर्ता है।
    (x) मृत्‍यु के आधार पर किए जाने वाले विलोपनों के अलावा, विलोपनों के सभी मामलों में आदेश पारित करने से पूर्व उनका पर्यवेक्षकों, एईआरओ और ईआरओ द्वारा सत्‍यापन किया जाना चाहिए। 
    9. पर्यवेक्षकों/सहायक निर्वाचक रजिस्‍ट्रीकरण अधिकारियों/निर्वाचक रजिस्‍ट्रीकरण अधिकारियों द्वारा पर्यवेक्षण एवं जांच:-
    9.1    निर्वाचक नामावली को त्रुटिरहित बनाने के प्रयोजनार्थ निर्वाचन आयोग ने बूथ स्‍तरीय अधिकारियों द्वारा फील्‍ड सत्‍यापन किए जाने की जरूरत पर बल दिया है। अपनाई जा रही सामान्‍य प्रणाली के अनुसार निर्वाचक रजिस्‍ट्रीकरण अधिकारी, उन्‍हें प्राप्‍त दावों और आपत्तियों का डिजीटलाइजेशन करने के बाद दावे या आपत्ति के संबंध में फील्‍ड सत्‍यापन करने के लिए संब‍ंधित बूथ लेवल अधिकारी को तैनात करता है। बूथ लेवल अधिकारी मौके पर सत्‍यापन करने के बाद निर्वाचक रजिस्‍ट्रीकरण अधिकारी को अपनी रिपोर्ट प्रस्‍तुत करता है।
    9.2 निर्वाचक नामावली को त्रुटिरहित बनाने के प्रयोजनार्थ निर्वाचन आयोग ने बूथ स्‍तरीय अधिकारियों द्वारा फील्‍ड सत्‍यापन किए जाने की जरूरत पर बल दिया है। अपनाई जा रही सामान्‍य प्रणाली के अनुसार निर्वाचक रजिस्‍ट्रीकरण अधिकारी, उन्‍हें प्राप्‍त दावों और आपत्तियों का डिजीटलाइजेशन करने के बाद दावे या आपत्ति के संबंध में फील्‍ड सत्‍यापन करने के लिए संब‍ंधित बूथ लेवल अधिकारी को तैनात करता है। बूथ लेवल अधिकारी मौके पर सत्‍यापन करने के बाद निर्वाचक रजिस्‍ट्रीकरण अधिकारी को अपनी रिपोर्ट प्रस्‍तुत करता है।
    9.3    बूथ लेवल अधिकारियों द्वारा निष्‍पादित कार्य की कड़ी जवाबदेही प्रवर्तित करने के लिए पर्यवेक्षण एवं जांच हेतु एक तंत्र विद्यमान है। पर्यवेक्षक, जिसके प्रभार के अधीन सामान्‍यतया 10 बूथ लेवल अधिकारी होते हैं, अपने अधीन काम करने वाले प्रत्‍येक बूथ लेवल अधिकारी के सत्‍यापन कार्य के 5% का सत्‍यापन करेंगे।
    9.4    पर्यवेक्षकों के ऊपर प्रत्‍येक सहायक निर्वाचक रजिस्‍ट्रीकरण अधिकारी को, उसके अधीन विभिन्‍न भागों से यादृच्छिक रूप से चयनित बीएलओ के सत्‍यापन कार्य के 1% का सत्‍यापन करना चाहिए। सहायक निर्वाचक रजिस्‍ट्रीकरण अधिकारी अपने प्रभार के अधीन 10 निर्वाचकों से अधिक गृ‍हस्थियों; असामान्‍य लिंग अनुपात वाले, और परिवर्धनों या विलोपनों की अधिकतम संख्‍या वाले प्रथम 20 मतदान केन्‍द्रों की फील्‍ड जांच करेंगे। सहायक निर्वाचक रजिस्‍ट्रीकरण अधिकारी निर्वाचक नामावलियों के ऐसे भाग पर, जिसमें पिछली निर्वाचक नामावली की तुलना में निर्वाचकों का प्रस्‍तावित परिवर्धन 4% से अधिक हो, ध्‍यान केन्द्रित करते हुए परिवर्धनों और विलोपनों के 1% की अलग से फील्‍ड जांच करेगें। उन मामलों में, स्‍वीकृत के साथ-साथ अस्‍वीकृत, दोनों मामलों की भी जांच की जानी चाहिए।
    9.5    निर्वाचक रजिस्‍ट्रीकरण अधिकारी अपने सहायक निर्वाचक रजिस्‍ट्रीकरण अधिकारियों द्वारा दावों एवं आपत्तियों के निपटान की गुणवत्ता की नमूना-जांच करेंगे। वे सहायक निर्वाचक रजिस्‍ट्रीकरण अधिकारियों द्वारा निस्‍तारित प्ररूपों के 10% की जांच करेंगे। जहां आवश्‍यक समझा जाए, वहां फील्‍ड सत्‍यापन किया जाना चाहिए। निर्वाचक रजिस्‍ट्रीकरण अधिकारी, सहायक निर्वाचक रजिस्‍ट्रीकरण अधिका‍रियों, पर्यवेक्षकों और बूथ लेवल अधिकारियों के साथ नियमित अनुवीक्षण बैठकों का आयोजन करेंगे और सुनिश्चित करेंगे कि कार्य लापरवाही से न किया जा रहा हो। दोषी कर्मचारियों पर सख्‍ती की  जानी चाहिए और सुधारात्‍मक उपाय तत्‍परतापूर्वक किए जाने चाहिए क्‍योंकि जवाबदेही अंततोगत्‍वा निर्वाचक रजिस्‍ट्रीकरण अधिकारी की बनती है और निर्वाचक रजिस्‍ट्रीकरण अधिकारी त्रुटिमुक्‍त नामावली उपलब्‍ध कराने के लिए उत्तरदायी होता है। 
    10. जिला निर्वाचन अधिकारी//नामावली प्रेक्षक/मुख्‍य निर्वाचन अधिकारी द्वारा सुपर चेकिंग :-
    एईआरओ/ईआरओ द्वारा आदेश पारित करने के पश्‍चात ईआरओ-नेट द्वारा यादृच्छिक रूप से चयनित प्रविष्टियों की एक विशेष संख्‍या के लिए डीईओ/नामावली प्रेक्षकों और सीईओ द्वारा सत्‍यापित प्रविष्टियों की सुपर चेकिंग की जाएगी। जिला निर्वाचन अधिकारी, नामावली प्रेक्षकों और मुख्‍य निर्वाचन अधिकारी द्वारा सत्‍यापित प्रविष्टियों की संख्‍या ईआरओ द्वारा निपटान की अंतिम तारीख के बाद 7 दिनों के भीतर अथवा 7 दिनों तक निम्‍नलिखित अनुसार है : 
    (i) डीईओ के स्‍तर पर: इनके क्षेत्राधीन सभी विधान सभा निर्वाचन क्षेत्रों को शामिल करते हुए जिले में 50 फार्मों (20 शामिल किए गए नाम + 20 विलोपन + 10 संशोधन) अथवा टेबल टॉप एकस्‍रसाइज द्वारा जिले के प्रत्‍येक विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र में कम से कम 10 फार्मों (4 शामिल किए गए नाम + 4 विलोपन + 2 संशोधन) सत्‍यापन किया जाए। इन सत्‍यापित किए गए फार्मों में से कम से कम 10 फार्मों में अनिवार्य रूप से फील्‍ड सत्‍यापन किया जाना अनिवार्य है।
    (ii) नामावली प्रेक्षक के स्‍तर पर :- सुपुर्द किए गए जिलों में 250 फार्मों (100 शामिल किए गए नाम + 100 विलोपन + 50 संशोधन) अथवा टेबल टॉप एक्‍सरसाइज द्वारा सुपुर्द किए प्रत्‍येक जिले में कम से कम 10 फार्म ( 4 शामिल किए गए नाम + 4 विलोपन + 2 संशोधन) का सत्‍यापन किया जाए। सत्‍यापित किए गए इन फार्मों में से कम से कम 20 फार्मों का फील्‍ड सत्‍यापन किया जाना अनिवार्य है।
    (iii) सीईओ के स्‍तर पर :- सभी जिलों को शामिल करते हुए राज्‍य में 250 फार्मों (100 शामिल किए गए नाम + 100 विलोपन + 50 संशोधन) अथवा टेबल टॉप एक्‍सरसाइज द्वारा प्रत्‍येक जिले में कम से कम 10 फार्म  (4 शामिल किए गए नाम + 4 विलोपन + 2 संशोधन) का सत्‍यापन किया जाता है। सत्‍यापित किए गए इन फार्मों में से कम से कम 20 फार्मों का फील्‍ड सत्‍यापन किया जाना अनिवार्य है। 
    11. चिह्नित निर्वाचकों यथा: संसद सदस्‍य/विधान सभा सदस्‍य/विधान परिषद सदस्‍य, घोषित पदधारक और कला, संस्‍कृति, पत्रकारिता, खेल जगत के क्षेत्रों की विभूतियों, न्‍यायपालिका और लोक सेवाओं के सदस्‍यों आदि को इंगित करना: निर्वाचक रजिस्‍ट्रीकरण अधिकारी यह सुनिश्चित करेंगे कि संसद एवं राज्‍य विधान-मंडलों के सभी  सदस्‍यों, घोषित पदधारकों, कला, संस्‍कृति, पत्रकारिता, खेल के क्षेत्रों की विभूतियों, न्‍यायपालिका और लोक सेवाओं के सदस्‍यों के नाम प्रस्‍तावित मसौंदा निर्वाचक नामावली में रहें। ऐसे निर्वाचकों के नामों को भविष्‍य में गलत तरीके से विलोपित होने देने से बचाने के लिए निर्वाचकीय डाटाबेस में उपयुक्‍त फ्लैगिंग की जानी चाहिए।
    12. निर्वाचक डाटाबेस में दिव्‍यांगजनों को इंगित (फ्लैग) किया जाना: चूंकि निर्वाचक नामावली में नामांकन के लिए प्ररूप-6 में नि:शक्‍तताओं के बारे में सूचना देने के लिए एक वैकल्पिक फील्‍ड है, इसलिए आयोग ने निदेश दिया है कि दिव्‍यांग निर्वाचकों, जिन्‍होंने प्ररूप 6 में ऐसी सूचना दी है, के सभी मामलों को नि:शक्‍तता की श्रेणी के साथ निर्वाचक डाटाबेस में इंगित किया जाना चाहिए ताकि ऐसे निर्वाचकों को मतदान के समय मतदान केन्‍द्र में आवश्‍यक सुविधाएं प्रदान की जा सके। इस संबंध में नि:शक्‍तता प्रतिशत उल्‍लेख करने के लिए एक उपबंध भी किया गया है। यह साफ तौर पर स्‍पष्‍ट किया जाता है कि नि:शक्‍तता की ऐसी सूचना किसी भी रीति से निर्वाचक नामावली में प्रतिबिंबित नहीं होनी चाहिए। संबंधित मुख्य निर्वाचन अधिकारी को राज्‍य में दिव्‍यांगजनों से संबंधित विभाग का सहयोग लेना चाहिए ताकि दिव्‍यांगजनों का पता लगाने (मैंपिंग) में उनकी सहायता प्राप्‍त की जा सके। मुख्‍य निर्वाचन अधिकारी, यदि यह आवश्‍यक समझें तो वे निर्वाचकों, जो अपनी नि:शक्‍तताओं का प्रकटन करने के इच्‍छुक हैं, से दिव्‍यांगजनों के ऐसे आंकड़ों का संग्रहण करने के लिए घर-घर जाकर दौरा करने के दौरान बी.एल.ओ. की सेवाओं का उपयोग कर सकते हैं। साप्‍ताहिक प्रगति की समीक्षा करने के लिए इस संबंध में साप्‍ताहिक प्रगति रिपोर्ट राज्‍य के प्रभारी सचिव/प्रधान सचिव को भेजी जा सकती है।
    13.    मुख्‍य निर्वाचन अधिकारी अपनी स्‍वयं की टीम भी नामोद्दिष्‍ट कर सकते हैं या निर्वाचन आयोग से, आवश्‍यक समझे जाने पर, आगे और राज्‍य स्‍तरीय जांच करने के लिए टीम तैनात करने का अनुरोध कर सकते हैं। आखिरकार, यह कार्य मुख्‍य निर्वाचन अधिकारी का है कि वह नामावलियों के प्रकाशन के लिए निर्वाचन आयोग का अनुमोदन प्राप्‍त करें और इसके लिए मुख्‍य निर्वाचन अधिकारी विहित फार्मेट (फार्मेट 1-8) में नामावलियों की राज्‍यव्‍यापी वस्‍तुस्थिति, नोटिस की गई भिन्‍नताओं, की गई सुधारात्‍मक कार्रवाई आदि पर एक विस्‍तृत रिपोर्ट देंगे। मुख्‍य निर्वाचन अधिकारी नामावली पुनरीक्षण प्रक्रिया के दौरान की गई जांचों और किए गए पर्यवेक्षण का लेखा-जोखा भी उपलब्‍ध कराएंगे और नामावली की गुणवत्ता पर अपनी संतुष्टि स्‍वरूप एक प्रमाण-पत्र भी देंगे। 
    14. ईआरओ-नेट पर अनुवीक्षण: मुख्‍य निर्वाचन अधिकारी अपनी स्‍वयं की टीम भी नामोद्दिष्‍ट कर सकते हैं या निर्वाचन आयोग से, आवश्‍यक समझे जाने पर, आगे और राज्‍य स्‍तरीय जांच करने के लिए टीम तैनात करने का अनुरोध कर सकते हैं। आखिरकार, यह कार्य मुख्‍य निर्वाचन अधिकारी का है कि वह नामावलियों के प्रकाशन के लिए निर्वाचन आयोग का अनुमोदन प्राप्‍त करें और इसके लिए मुख्‍य निर्वाचन अधिकारी विहित फार्मेट (फार्मेट 1-8) में नामावलियों की राज्‍यव्‍यापी वस्‍तुस्थिति, नोटिस की गई भिन्‍नताओं, की गई सुधारात्‍मक कार्रवाई आदि पर एक विस्‍तृत रिपोर्ट देंगे। मुख्‍य निर्वाचन अधिकारी नामावली पुनरीक्षण प्रक्रिया के दौरान की गई जांचों और किए गए पर्यवेक्षण का लेखा-जोखा भी उपलब्‍ध कराएंगे और नामावली की गुणवत्ता पर अपनी संतुष्टि स्‍वरूप एक प्रमाण-पत्र भी देंगे। 
    15. प्रेक्षण:- डिवीजनल आयुक्‍तों, जो अपने डिवीजनों के भीतर स‍माहित जिलों के लिए निर्वाचक नामावली प्रेक्षकों के तौर पर काम करेंगे, के अलावा आयोग पुनरीक्षण प्रक्रिया की औचक जांच, लेखा-परीक्षा और पर्यवेक्षण करने के लिए अपने प्रेक्षकों/भारत निर्वाचन आयोग के अधिकारियों/नामावली लेखा-परीक्षकों को तैनात कर सकता है। इसलिए, यह अति आवश्‍यक है कि सभी नामावली संबंधी अभिलेख, जिनमें प्रगति की रिपोर्टों के साथ-साथ लोकेशनों की वे सूचियां शामिल हैं जिनमें फील्‍ड कार्य प्रगति पर हैं, अद्यतन रखे जाने चाहिए और प्रेक्षकों को उपलब्‍ध कराए जाने चाहिए।
    16. राजनैतिक दलों के साथ बैठक और निर्वाचक नामावलियों को साझा करना: (i) सभी जिला निर्वाचन अधिकारी और मुख्‍य निर्वाचन अधिकारी राजनैतिक दलों की बैठकें अलग से बुलाएंगे और कार्यक्रम का ब्‍यौरा देंगे और मसौदा प्रकाशन की तारीख से पहले उनसे अपेक्षित सहयोग की मांग करेंगे। मसौदा प्रकाशन समुचित प्रचार-प्रसार के साथ अनुमोदित तारीख पर किया जाना चाहिए और मसौदा नामावलियों की प्रतियां प्रेस और मीडिया की उपस्थिति में सार्वजनिक बैठक में मान्‍यताप्राप्‍त राजनीतिक दलों को सौंपी जानी चाहिए। सभी स्थितियों में राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों से उपयुक्त पावती रसीद अवश्‍य प्राप्‍त की जानी चाहिए और अभिलेख में रखी जानी चाहिए।
    (ii) मुख्‍य निर्वाचन अधिकारी को सभी मान्‍यताप्राप्‍त राष्‍ट्रीय एवं राज्‍यस्‍तरीय राजनैतिक दलों को, विधि के महत्‍वपूर्ण बिंदुओं और पुनरीक्षण की कार्यविधियों से अवगत कराते हुए, लिखित में सूचित करना चाहिए और नामावली पुनरीक्षण कार्य में उनका सहयोग मांगना चाहिए। उन्‍हें निर्गत पत्र की एक प्रति आयोग को, अभिलेख के निमित्त, पृष्‍ठांकित की जानी चाहिए।
    (iii) ईआरओ द्वारा दावों एवं आपत्तियों की सूची भी सभी राजनैतिक दलों को साप्‍ताहिक आधार पर उपलब्‍ध कराई जानी चाहिए।
    (iv) निर्वाचकों का रजिस्‍ट्रीकरण नियम, 1960 के नियम 11(ग) और 22(ग) के उपबंधों के अनुसार मसौदा एवं अंतिम प्रकाशन के तुरंत बाद मसौदा निर्वाचक नामावलियों और अंतिम निर्वाचक नामावलियों के सम्‍पूर्ण सेट की दो प्रतियां मान्‍यताप्राप्‍त राजनैतिक दलों को नि:शुल्‍क उपलब्‍ध कराई जानी चाहिए। (कृपया इस मामले में विस्‍तृत दिशा-निर्देशों के लिए निर्वाचक नामावली मैनुअल, 2016 के अध्‍याय 25 का पैरा 25.3 देखें)।
    (v) मुख्‍य निर्वाचन अधिकारी मान्‍यताप्राप्‍त राजनीतिक दलों से अनुरोध करेंगे कि वे प्रत्‍येक मतदान केन्‍द्र के लिए बूथ लेवल एजेंट (बीएलए) की पहचान एवं नियुक्ति करें जिन्‍हें पुनरीक्षण अवधि के दौरान बीएलओ के साथ सम्‍बद्ध किया जाएगा। बीएलओ संबंधित राज्‍य के मान्‍यताप्राप्‍त राजनैतिक दलों के बीएलए के साथ मसौदा निर्वाचक नामावली की जांच परख करेंगे और शुद्धियों, आदि की पहचान करेंगे। यह उल्‍लेख करना उपयुक्‍त है कि मान्‍यताप्राप्‍त राजनैतिक दल से एक बार नियुक्‍त बीएलए तब तक बीएलए के रूप में काम करते रहेंगे जब तक कि उनकी नियुक्ति संबंधित राजनीतिक दल द्वारा निष्‍प्रभावी/प्रतिसंहरित (रिवोक) न कर दी जाए।
    (vi) राजनैतिक दलों की और अधिक सहभागिता सुनिश्चित करने के दृष्टिगत आयोग ने मान्‍यताप्राप्‍त राजनीतिक दलों के बीएलए को इस शर्त के अधीन थोक में आवेदन दायर करने की अनुमति दी है कि एक बीएलए एक समय/एक दिन में बीएलओ को 10 से अधिक फार्म प्रस्‍तुत नहीं करेंगे। यदि बीएलए दावे एवं आपत्तियों को दायर करने की सम्‍पूर्ण अवधि के दौरान 30 से अधिक आवेदन फार्म प्रस्‍तुत करता है तो ईआरओ/एईआरओ द्वारा स्‍वयं प्रति-सत्‍यापन अवश्‍य किया जाना चाहिए। इसके अलावा बीएलए इस घोषणा के साथ आवेदन-फार्मों की एक सूची भी प्रस्‍तुत करेंगे कि उसने आवेदन फार्मों के विवरणों का व्‍यक्तिगत रूप से सत्‍यापन कर लिया है और इस बात के प्रति संतुष्‍ट है कि वे सही हैं।
    17. पारदर्शिता उपाय: हितधारकों को सुविधा प्रदान करने और निर्वाचक रजिस्‍ट्रीकरण की प्रक्रिया में और अधिक पारदर्शिता लाने के लिए मसौदा निर्वाचक नामावली, अंतिम निर्वाचक नामावली, दावों एवं आपत्तियों की सूची को सीईओ की वेबसाइट पर डालने और उसे मान्‍यताप्राप्‍त राजनीतिक दलों के साथ साझा करने के अलावा सीईओ की वेबसाइट पर दिन-प्रति-दिन आधार पर प्ररूप 6, 6क, 7, 8 में प्राप्‍त सभी आवेदन फार्मों के कम्‍प्‍यूटरीकरण और प्रविष्टिकरण की रीति जारी रहेगी। ईआरओ-नेट से पुनरीक्षण के दौरान प्राप्‍त दावों और आपत्तियों के निपटान की वस्‍तुस्थिति पर सीईओ एक रिपोर्ट तैयार करेंगे और उसे साप्‍ताहिक आधार पर अपनी वेबसाइट पर आम जन/नागरिकों की सूचनार्थ डालेंगे।
    18. प्रचार-प्रसार:- सार पुनरीक्षण कार्यक्रम के संबंध में जिला निर्वाचन अधिकारियों और मुख्‍य निर्वाचन अधिकारी द्वारा पर्याप्‍त प्रचार-प्रसार एवं जागरूकता अभियान सुनिश्चित किए जाएंगे। सभी जिला निर्वाचन अधिकारी और मुख्‍य निर्वाचन अधिकारी पुनरीक्षण कार्यक्रम का मीडिया, राजनीतिक दलों एवं सामाजिक संगठनों/आरडब्‍ल्‍यूए में उपयुक्‍त रूप से प्रचार-प्रसार करवाएंगे और निर्वाचक नामावलियों के मसौदा प्रकाशन की तारीख से काफी पहले निर्वाचकों/पात्र लोगों तक अनन्‍य रूप से पहुंचेंगे। मसौदा नामावलियों के प्रकाशन को प्रभावी बनाने के प्रयोजनार्थ स्‍वीप कार्यक्रमों की श्रृंखला, तालुक,‍ जिला एवं राज्‍य स्‍तरों पर राजनीतिक दलों के साथ बहुल एवं आवधिक बैठकों और नियमित प्रेस बैठकों का आयोजन किया जाए।
    19. नामावली का एकीकरण:- निर्वाचन वर्ष के दौरान विभिन्‍न स्‍तरों पर निर्वाचक नामावलियों के एकीकरण, उसमें अशुद्धियां दूर करने और उसके मुद्रण के संबंध में आयोग के दिनांक 25 सितंबर, 2018 और 14 फरवरी, 2019 एवं 30 जुलाई, 2020 के पत्र के द्वारा विस्‍तृत अनुदेश जारी किए गए हैं और संशोधनों के विद्यमान दौर के दौरान इनका निष्‍ठापूर्वक पालन किया जाएगा। निर्वाचक नामावलियों की प्रिंटिंग अब से केवल ईआरओ-नेट के माध्‍यम से ही की जाएगी।
    जहां तक निर्वाचक नामावलियों के एकीकरण का संबंध है, यह स्‍पष्‍ट किया जाता है कि:-
    (i) 01.01.2019 को अर्हक तारीख के रूप में निर्वाचक नामावलियों के अंतिम प्रकाशन के बाद सतत अद्यतन करने की अनुपूरक तैयारी परिसीमन आदेश 2022 के अनुसार 31 अगस्‍त, 2022 तक की जानी है। एसएसआर-2022 की उपर्युक्‍त मूल नामावली (मसौदा) को पुन: क्रमांकित करते हुए सभी प्रविष्टियों का कार्य विलोपित प्रविष्टियों को हटाने और परिवार के सदस्‍यों की प्रविष्टियों का एकीकरण (बंडलिंग) करने के बाद किया जाएगा। यद्यपि, एसएसआर-2022 के लिए परिवर्धन, विलोपन और संशोधन संबंधी अनुपूरक निर्वाचक रजिस्‍ट्रीकरण अधिकारी के द्वारा ईआरओ-नेट के माध्‍यम से तैयार किए जाएंगे और केवल भावी संदर्भों के लिए रिकार्ड में रखे जाएंगे।
    (ii) 01.10.2022 को अर्हक तारीख के रूप में एसएसआर-2022 के अंतिम प्रकाशन के समय, अंतिम नामावली के रूप में केवल एक ही नामावली होगी जिसमें मूल नामावली की अंतिम प्रविष्टि के बाद क्रम संख्‍या सहित सभी परिवर्धन प्रविष्टियां अनुक्रमण में आएंगी और आयोग के वर्तमान अनुदेशों के अनुसार, संक्षिप्‍त पुनरीक्षण के दौरान समस्‍त संशोधन और विलोपन स्‍वयं मूल नामावली में प्रतिबिंबित होंगे। अनुवर्धन, विलोपन और संशोधन की कोई भी सूची अलग से न तो प्रिन्‍ट की जाएगी और न ही राजनैतिक दलों को दी जाएगी, यद्यपि निर्वाचक रजिस्‍ट्रीकरण अधिकारी इन सूचियों को ईआरओ-नेट से ही निकालेगा और इन्‍हें भावी संदर्भ के लिए रखेगा।
    (iii) नाम निर्देशन की अंतिम तिथि को निर्वाचक नामावली राजनैतिक दलों को देने के लिए और चिह्नित प्रति/वर्किंग प्रति तैयार करने के लिए, निर्वाचक नामावली एक समेकित नामावली होगी, जहां इसमें परिवार के सदस्‍यों की बंडलिंग नहीं होगी और न ही उसे पुन: क्रमांकित किया जाएगा। सतत अद्यतन करने के दौरान अंतिम प्रकाशन तिथि से लेकर नाम निर्देशन करने की अंतिम तारीख (निर्वाचन होने की स्थिति में) तक किए गए सभी परिवर्धनों को अंतिम नामावली में सभी विलोपनों और संशोधनों को चिह्नित करते हुए अंतिम नामावली में अंतिम प्रविष्टि की अगली क्रम संख्‍या से प्रारंभ करके सतत क्रम सख्‍ंया देते हुए कालानुक्रमिक क्रम में रखा जाएगा, जैसा आयोग के विद्यमान अनुदेशों में निदेश दिया गया है। अनुवर्धन, विलोपन और संशोधन की कोई भी सूची अलग से प्रिन्‍ट नहीं की जाएगी और न राजनैतिक दलों को दी जाएगी, यद्यपि निर्वाचक रजिस्‍ट्रीकरण अधिकारी इन सूचियों को ईआरओ-नेट से ही निकालेगा और इन्‍हें भावी संदर्भ के लिए रखेगा।
    संशोधन/सतत अद्यतन की अवधि के दौरान की गईं सभी प्रविष्टियाँ, शुद्धियाँ (# या ## जैसा भी मामला है) के संकेत के साथ समेकित नामावली में ही परिलक्षित होंगी, यह इंगित करने के लिए कि प्रविष्टि संशोधित कर दी गई है। किए गए किसी भी संशोधन के मामले में पुरानी प्रविष्टियों के स्थान पर संशोधित प्रविष्टियों को समेकित नामावली में परिलक्षित किया जाएगा और संशोधनों की सूची (भविष्य के संदर्भ के लिए ईआरओ के साथ रखी जाएगी) में पुरानी प्रविष्टियां होंगी जिनमें संशोधन किए गए हैं, ताकि आवश्‍यकता पड़ने पर किए गए परिवर्तनों का पता लगाया जा सके।
    20. अंतिम प्रकाशन के लिए आयोग का अनुमोदन:-
    (i)     मुख्‍य निर्वाचन अधिकारी निर्वाचक नामावलियों के अंतिम प्रकाशन के लिए आयोग से पूर्व लिखित अनुमोदन प्राप्‍त करेंगे और मुख्‍य निर्वाचन अधिकारी द्वारा इस प्रयोजन हेतु एक प्रमाण पत्र प्रस्‍तुत किया जाएगा कि मृत/जनसांख्यिकी रूप से सदृश प्रविष्टियों/फोटो सदृश प्रविष्टियों/स्‍थानांतरित/पंजीकृत मृत और गैर-रजिस्‍टर्ड निर्वाचकों की गणना की जा चुकी है और संबंधित निर्वाचक रजिस्‍ट्रीकरण अधिकारी द्वारा उन्‍हें हटा दिया गया है, समस्‍त संगत त्रुटियां दूर की जा चुकी है और 100% एपिक और फोटो निर्वाचक नामावलियों में 100% फोटोज शामिल कर ली गईं हैं।
    (ii)  मुख्‍य निर्वाचन अधिकारी द्वारा फार्मेट 1-8 के साथ आयोग को अंतिम प्रकाशन कराने का अनुरोध 25 अक्‍टूबर, 2022 तक किया जाएगा और फार्मेट 1-8 के साथ ज्ञापन/नोट के जरिए अनिवार्यत: यह भी सूचित किया जाएगा कि निर्वाचक नामावली पुनरीक्षण प्रक्रिया से संबंधित निर्धारित लक्ष्‍यों को किस प्रकार पूरा किया गया और अगले सतत अद्यतनीकरण के दौरान कमियों, यदि कोई हों, को दूर करने के लिए क्‍या कार्यनीति अपनाई जाएगी। इसे हर स्थिति में अंतिम प्रकाशन की तारीख से कम से कम 5 दिन पहले कर लेना चाहिए ताकि अंतिम प्रकाशन से कम से कम 3 दिन पहले आयोग का अनुमोदन संसूचित किया जा सके।
    (iii)   यह स्‍पष्‍ट किया जाता है कि प्ररूप 1 से 8 ईआरओ-नेट के माध्‍यम से निकाले जाएंगे। इसके लिए जिला निर्वाचन अधिकारी, एसएसआर, 2022  के दौरान प्रविष्‍ट की गई आयु-समूहवार की अनुमानित जनसंख्‍या के डाटा को तुरंत अद्यतित किया जाएगा।
    21. इसके अतिरिक्‍त, यह भी नोट कर लिया जाए कि पुनरीक्षण के संबंध में सभी पत्र-व्‍यवहार तथा स्‍पष्‍टीकरण भारत निर्वाचन आयोग के प्रधान सचिव/सचिव (संघ राज्‍य क्षेत्र के प्रभारी) को संबोधित किए जाएंगे जो कि न केवल संबंधित मुख्‍य निर्वाचन अधिकारी को अविलंब उत्‍तर देंगे परंतु यह भी सुनिश्चित करेंगे कि उनके प्रभार के अधीन आने वाले संघ राज्‍यक्षेत्रों के नामावली पुनरीक्षण कार्यक्रम में कोई कमी नहीं रहे। वे संघ राज्‍यक्षेत्र के पुनरीक्षण-पूर्व क्रियाकलापों तथा नामावली पुनरीक्षण कार्यक्रम की सूक्ष्‍मतापूर्ण अनुवीक्षण करेंगे, इसलिए मुख्‍य निर्वाचन अधिकारियों को नियमित अंतराल पर, पुनरीक्षण प्रक्रिया पर अपेक्षित प्रगति रिपोर्ट अग्रेषित करते रहना चाहिए।
    22. इसके अतिरिक्‍त, मुख्‍य निर्वाचन अधिकारियों और सभी अधिकारियों से यह भी अनुरोध है कि वे सम्‍प्रेषण के शीघ्र एवं सटीक आदान-प्रदान हेतु ई-मेल सुविधा का बड़े पैमाने पर उपयोग करें।
    23. इस पत्र की एक प्रति, तत्‍काल उपयुक्‍त आवश्‍यक कार्रवाई करने के लिए, राज्‍य में सभी जिला निर्वाचन अधिकारियों/निर्वाचक रजिस्‍ट्रीकरण अधिकारियों को भी परिचालित की जानी चाहिए।

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    फ़ाइल सबमिट की गई Wednesday 27 July 2022

ईसीआई मुख्य वेबसाइट


eci-logo.pngभारत निर्वाचन आयोग एक स्‍वायत्‍त संवैधानिक प्राधिकरण है जो भारत में निर्वाचन प्रक्रियाओं के संचालन के लिए उत्‍तरदायी है। यह निकाय भारत में लोक सभा, राज्‍य सभा, राज्‍य विधान सभाओं और देश में राष्‍ट्रपति एवं उप-राष्‍ट्रपति के पदों के लिए निर्वाचनों का संचालन करता है। निर्वाचन आयोग संविधान के अनुच्‍छेद 324 और बाद में अधिनियमित लोक प्रतिनिधित्‍व अधिनियम के प्राधिकार के तहत कार्य करता है। 

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