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  1. ECI Order Dated 12th April 2021 to Shri Suvendu Adhikari

    ECI Order Dated 12th April 2021 to Shri Suvendu Adhikari

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    फ़ाइल सबमिट की गई Thursday 29 April 2021

  2. श्री राहुल सिन्‍हा को भारत निर्वाचन आयोग का दिनांक 13 अप्रैल, 2021 का आदेश

    सं. 437/प.बं.-वि.स./2021                              
    दिनांक : 13 अप्रैल, 2021
     
    आदेश
    यतः, आयोग द्वारा दिनांक 26 फरवरी, 2021 को प्रेस नोट सं. ईसीआई/प्रे.नो./16/2021 के द्वारा पश्चिम बंगाल विधान सभा के लिए साधारण निर्वाचनों की घोषणा की गई है और आदर्श आचार संहिता के उपबंध निर्वाचनों की घोषणा के साथ ही तत्काल प्रभाव से लागू हो गए हैं; और 
    2.     यतः, राजनैतिक दलों एवं अभ्यर्थियों के मार्गदर्शन के लिए आदर्श आचार संहिता के 'सामान्य आचरण', भाग I के खंड (1) और (4) में, अन्य बातों के साथ-साथ, ये प्रावधान हैं किः-
    " (1) कोई दल या अभ्यर्थी ऐसी किसी गतिविधि में शामिल नहीं होगा जिससे भिन्न जातियों और धार्मिक या भाषायी समुदायों के बीच विद्यमान मतभेद अधिक गंभीर हो सकते हैं या परस्पर नफरत हो सकती है या तनाव पैदा हो सकता है।" 
    "(4) सभी दल और अभ्यर्थी ऐसी सभी गतिविधियों से ईमानदारी से परहेज करेंगे जो निर्वाचन विधि के अधीन "भ्रष्ट आचरण" एवं अपराध हैं जैसे कि मतदाताओं को घूस देना,  मतदाताओं को डराना-धमकाना, मतदाताओं का प्रतिरूपण, मतदान केंद्रों से 100 मीटर दूरी के भीतर प्रचार करना, मतदान समाप्त होने के लिए निर्धारित समय के समाप्त होने से 48 घंटों की अवधि के दौरान सार्वजनिक सभाएं आयोजित करना और मतदाताओं को मतदान केंद्रों तक ले जाने और वापस लाने के लिए परिवहन और वाहन उपलब्ध करना।"; और 
    3.     यतः, लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 123 की उप-धारा (3क) के अधीन उपबंध में, अन्य बातों के साथ-साथ, उपबंधित है किः-
    "(3क) किसी अभ्यर्थी या उसके अभिकर्ता या अभ्यर्थी या उसके निर्वाचन अभिकर्ता की सम्मति से किसी अन्य व्यक्ति द्वारा उस अभ्यर्थी के निर्वाचन की सम्भाव्यताओं को अग्रसर करने के लिए या किसी अभ्यर्थी के निर्वाचन पर प्रतिकूल प्रभाव डालने के लिए भारत के नागरिकों के विभिन्न वर्गों के बीच, धर्म, मूलवंश, जाति, समुदाय या भाषा के आधार पर शत्रुता या घृणा की भावनाओं का संप्रवर्तन करना, अथवा संप्रवर्तन का प्रयत्न करना।"; और 
    4.     यतः, भारतीय दंड संहिता की धारा 153(क) की उप-धारा (1) (क) के उपबंध में, अन्य बातों के साथ-साथ, यह प्रावधान है किः- 
    "153क. धर्म, मूलवंश, जन्मस्थान, निवास स्थान, भाषा इत्यादि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता का संप्रवर्तन और सौहार्द बने रहने पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले कार्य करना। -(1) जो कोई - (क) बोले गए या लिखे गए शब्दों द्वारा या संकेतों द्वारा या दृश्यरूपणों द्वारा या अन्यथा विभिन्न धार्मिक, मूलवंशीय या भाषाई या प्रादेशिक समूहों, जातियों या समुदायों के बीच असौहार्द अथवा शत्रुता, घृणा या वैमनस्य की भावनाओं को धर्म, मूलवंश, जन्मस्थान, निवास स्थान, भाषा, जाति या समुदाय के आधारों पर या अन्य किसी भी आधार पर संप्रवर्तित करेगा या संप्रवर्तित करने का प्रयत्न करेगा"; और 
    5.     यतः श्री राहुल सिन्हा, बीजेपी ने एक भाषण दिया है जिसे न्यूज़ 18 बांग्ला चैनल पर 12.04.2021 को प्रातः 11.30 बजे प्रसारित किया गया है; और 
    6.     यतः, मुख्य निर्वाचन अधिकारी, पश्चिम बंगाल से भी कथित भाषण की प्रमाणीकृत ट्रांसक्रिप्ट प्राप्त हुई है जो निम्नानुसार हैः 
    " ………… केंद्रीय बलों ने उन्हें मुंहतोड़ जवाब दिया है। यदि वे दोबारा ऐसे करते हैं तो उन्हें फिर इसी प्रकार का मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा। केंद्रीय बलों को शीतलकुची में चार की बजाय आठ को मारना चाहिए था। केंद्रीय बलों को कारण बताओ नोटिस जारी किया जाना चाहिए कि उन्होंने उनमें से केवल चार को ही क्यों मारा …………….."; और 
    7.     यतः, आयोग ने इस मामले पर सावधानीपूर्वक स्वतः संज्ञान लिया है और इसका यह सुविचारित मत है कि श्री राहुल सिन्हा ने राजनैतिक दलों और अभ्यर्थियों के मार्ग दर्शन की आदर्श आचार संहिता के 'सामान्य आचरण' के भाग I के खंड (1) और (4) तथा लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 123 की उप-धारा (3क) में विनिर्दिष्ट उपबंधों और भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 153(क) की उप धारा (1) (क) के उल्लंघन में बलों को उकसाकर, मानव जीवन का मजाक उड़ाते हुए अत्यधिक उकसाने वाला भाषण दिया जिससे कानून और व्यवस्था की गंभीर स्थिति उत्पन्न हो सकती थी तथा इससे निर्वाचन प्रक्रिया भी बुरी तरह से प्रभावित हो सकती थी। 
    8.     अतः, अब आयोग, एतद्द्वारा श्री राहुल सिन्हा, बीजेपी द्वारा दिए गए उपरोक्त बयानों की कड़ी भर्त्सना करता है और कड़ी चेतावनी देता है कि लागू आदर्श आचार संहिता की अवधि के दौरान सार्वजनिक भाषण देते समय वे ऐसे कथनों का प्रयोग करने में पूरी सावधानी बरतें। आयोग श्री राहुल सिन्हा पर किसी भी प्रकार से प्रचार-प्रसार करने के लिए आज 12.00 बजे से आरंभ करके 15.04.2021 को 12.00 बजे तक, अगले 48 घंटे की रोक भी लगाता है।
    9.     मामले की गंभीरता को देखते हुए आयोग ने राहुल सिन्हा, बीजेपी को बिना कोई नोटिस दिए इस आदेश को जारी करने का निर्णय लिया है। 
     
     अनुलग्‍नक : यथोपरि।
     
    (राकेश कुमार)
    सचिव
     
    सेवा में, 
    श्री राहुल सिन्हा,
    भारतीय जनता पार्टी,
    पश्चिम बंगाल
     
     
    अनुबंध ख के रूप में चिह्नित, राहुल सिन्हा के भाषण की ट्रांसक्रिप्ट, जैसी सीडी में पाई गई। यह शिकायतकर्ता द्वारा प्रदान की गई है और न्यूज़ 18 बांग्ला चेनल पर 12.04.2021 को प्रातः 11:30 बजे प्रसारित की गई वीडियो से मेल खाती है।
     
    केंद्रीय बलों ने उन्हें मुंहतोड़ जवाब दिया है। यदि वे दोबारा ऐसा करते हैं तो उन्हें फिर इसी प्रकार का मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा। केंद्रीय बलों को शीतलकुची में चार की जगह आठ को मारना चाहिए था। केंद्रीय बलों को एक कारण बताओ नोटिस जारी किया जाना चाहिए कि उन्होंने उनमें से केवल चार को क्यों मारा। 
     
     
    द्वारा अनुवादित 
    हस्ता./-  
     पदमिनी चक्रवर्ती
    अनुवादक
    12.4.21

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    फ़ाइल सबमिट की गई Thursday 29 April 2021

  3. श्री दिलीप घोष को भारत निर्वाचन आयोग का दिनांक 13 अप्रैल, 2021 का नोटिस

    सं. 437/प.बं.-वि.स./2021                                      
    दिनांकः 13 अप्रैल, 2021
    नोटिस 
    यतः, आयोग द्वारा दिनांक 26 फरवरी, 2021 को प्रेस नोट सं. ईसीआई/प्रे.नो./16/2021 के द्वारा पश्चिम बंगाल की विधान सभा के लिए साधारण निर्वाचनों की घोषणा कर दी गई है और आदर्श आचार संहिता के उपबंध निर्वाचनों की घोषणा के साथ ही तत्काल प्रभाव से लागू हो गए हैं; और 
    2.     यतः, राजनैतिक दलों एवं अभ्यर्थियों के मार्गदर्शन के लिए आदर्श आचार संहिता के 'सामान्य आचरण', भाग I के खंड (1) और (4) में, अन्य बातों के साथ-साथ, ये प्रावधान हैं कि 
    (1) "कोई भी दल या अभ्यर्थी ऐसी किसी गतिविधि में शामिल नहीं होगा जिससे भिन्न जातियों और धार्मिक या भाषायी समुदायों के बीच विद्यमान मतभेद अधिक गंभीर हो सकते हैं या परस्पर घृणा पैदा हो सकती है या तनाव पैदा हो सकता है।" 
    "(4) सभी दल और अभ्यर्थी ऐसी सभी गतिविधियों से ईमानदारी से परहेज करेंगे जो निर्वाचन विधि के अधीन "भ्रष्ट आचरण" एवं अपराध हैं जैसे कि मतदाताओं को घूस देना,  मतदाताओं को डराना-धमकाना, मतदाताओं का प्रतिरूपण, मतदान केंद्रों से 100 मीटर दूरी के भीतर प्रचार करना, मतदान समाप्त होने के लिए निर्धारित समय के समाप्त होने से 48 घंटों की अवधि के दौरान सार्वजनिक सभाएं आयोजित करना और मतदाताओं को मतदान केंद्रों तक ले जाने और वापस लाने के लिए परिवहन और वाहन उपलब्ध करना।"; और 
    3.     यतः, लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 123 (3क) में, अन्य बातों के साथ-साथ, उपबंधित है किः- 
    "(3क) किसी अभ्यर्थी या उसके अभिकर्ता या अभ्यर्थी या उसके निर्वाचन अभिकर्ता की सम्मति से किसी अन्य व्यक्ति द्वारा उस अभ्यर्थी के निर्वाचन की सम्भाव्यताओं को अग्रसर करने के लिए या किसी अभ्यर्थी के निर्वाचन पर प्रतिकूल प्रभाव डालने के लिए भारत के नागरिकों के विभिन्न वर्गों के बीच, धर्म, मूलवंश, जाति, समुदाय या भाषा के आधार पर शत्रुता या घृणा की भावनाओं का संप्रवर्तन करना, अथवा संप्रवर्तन का प्रयत्न करना।"; और 
    4.     यतः, भारतीय दंड संहिता की धारा 153क (1) (क) में, अन्य बातों के साथ-साथ, यह प्रावधान है किः- 
    "153क. धर्म, मूलवंश, जन्मस्थान, निवास स्थान, भाषा इत्यादि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता का संप्रवर्तन और सौहार्द बने रहने पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले कार्य करना। -(1) जो कोई - (क) बोले गए या लिखे गए शब्दों द्वारा या संकेतों द्वारा या दृश्यरूपणों द्वारा या अन्यथा विभिन्न धार्मिक, मूलवंशीय या भाषाई या प्रादेशिक समूहों, जातियों या समुदायों के बीच असौहार्द अथवा शत्रुता, घृणा या वैमनस्य की भावनाओं को धर्म, मूलवंश, जन्मस्थान, निवास स्थान, भाषा, जाति या समुदाय के आधारों पर या अन्य किसी भी आधार पर संप्रवर्तित करेगा या संप्रवर्तित करने का प्रयत्न करेगा"; और 
    5.     यतः, आयोग को श्री डेरेक 'ओ' ब्राइन, एआईटीसी से एक शिकायत प्राप्त हुई है जिसमें यह आरोप लगाया गया है कि श्री दिलीप घोष, भारतीय जनता पार्टी के राज्य अध्यक्ष ने बारांगर, उत्तर 24 परगना में एक सार्वजनिक रैली को संबोधित करते हुए एक भड़काऊ भाषण दिया जो बंगाल और इसके लोगों को खुली धमकी है, मीडिया में भी इसकी विस्तृत रिपोर्ट प्रसारित की गई है; और 
     6.     यतः, मुख्य निर्वाचन अधिकारी, पश्चिम बंगाल से भी कथित भाषण की प्रमाणीकृत ट्रांसक्रिप्ट प्राप्त हुई है। उनके भाषण का प्रासंगिक भाग निम्नानुसार हैः 
    " ………… इतने सारे शैतान लड़के कहां से आए थे?उन शैतान लड़कों को कल शीतलकुची में गोली मार दी गई। ऐसे शैतान लड़के बंगाल में नजर नहीं आएंगे।यह तो केवल शुरूआत है। जो यह सोचते थे कि केंद्रीय बलों की राइफलें केवल दिखाने के लिए हैं, अब गोलियों की ताकत अच्छी तरह से जान चुके हैं। और ऐसा ही पूरे बंगाल में किया जाएगा। जो भी कानून अपने हाथ में लेगा उसे मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा। मैं उम्मीद करता हूँ कि आप सभी 17 अप्रैल की सुबह अपना वोट डालने के लिए कतार में खड़े होंगे। बूथों पर केंद्रीय बल तैनात रहेंगे। कोई भी आपको आंख नहीं दिखा सकता। क्योंकि हम यहां पर हैं। और यदि कोई अपनी सीमा लांघता है तो आप देख चुके हैं कि शीतलकुची में क्या हुआ था। ऐसे स्थानों पर शीतलाकुची जैसा हाल किया जाएगा। इसलिए सावधान रहें………”; और 
    7.     यतः, आयोग ने इस मामले पर सावधानीपूर्वक विचार किया है और इसका यह सुविचारित मत है कि श्री दिलीप घोष, जो बीजेपी के राज्य अध्यक्ष भी हैं, ने 'राजनैतिक दलों और अभ्यर्थियों के मार्ग दर्शन की आदर्श आचार संहिता के सामान्य आचरण' के भाग I के खंड (1) और (4)  तथा लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 123 की उप-धारा (3क) में विनिर्दिष्ट उपबंधों और भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 153(क) की उप धारा (1) (क) के उल्लंघन में ऐसे कथन किए हैं जो उकसाने वाले हैं और जो गंभीर रूप से भावनाएं भड़का सकते हैं और कानून-व्यवस्था को नुकसान पहुंचा सकते हैं, जिससे निर्वाचन प्रक्रिया बुरी तरह से प्रभावित हो सकती है। 
    8.     अतः, अब आयोग द्वारा आपको कल सुबह 10.00 बजे तक उपर्युक्त भाषण दिए जाने पर अपना स्पष्टीकरण देने का अवसर दिया जाता है जिसके विफल रहने पर आपको बिना कोई सूचना दिए आयोग निर्णय करेगा।
     
     
     आदेश से, 
          हस्‍ता/-
                                                                      (राकेश कुमार)
    सचिव
     
    सेवा में,
    श्री दिलीप घोष,
    भारतीय जनता पार्टी के राज्य अध्यक्ष,
    पश्चिम बंगाल
     
     
     
     
     
     
    11.04.2021 को अपराह्न 2:01:24 बजे से अपराह्न 2:02:04 बजे तक एबीपी न्यूज चैनल पर प्रसारित बारांगर में दिलीप घोष द्वारा दिए गए भाषण की ट्रांसक्रिप्ट
     
    इतने सारे शैतान लड़के कहां से आए थे? उन शैतान लड़कों को कल शीतलकुची में गोली मार दी गई। ऐसे शैतान लड़के बंगाल में नजर नहीं आएंगे। यह तो केवल शुरूआत भर है। जो यह सोचते थे कि केंद्रीय बलों की राइफलें केवल दिखाने के लिए हैं, अब गोलियों की ताकत अच्छी तरह से जान चुके हैं। और ऐसा ही पूरे बंगाल में किया जाएगा। जो भी कानून अपने हाथ में लेगा उसे मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा। मैं उम्मीद करता हूँ कि आप सभी 17 अप्रैल की सुबह अपना वोट डालने के लिए कतार में खड़े होंगे। बूथों पर केंद्रीय बल तैनात रहेंगे। कोई भी आपको आंख नहीं दिखा सकता। क्योंकि हम यहां पर हैं। और यदि कोई अपनी सीमा लांघता है तो आप देख चुके हैं कि शीतलकुची में क्या हुआ था। ऐसे स्थानों पर शीतलाकुची जैसा हाल किया जाएगा। इसलिए सावधान रहें।
     
     
      
    द्वारा अनुवादित
    हस्‍ता/-
    पदमिनी चक्रवर्ती 
     अनुवादक
     

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    फ़ाइल सबमिट की गई Thursday 29 April 2021

  4. ECI Order dated 12 April 2021 to Ms. Mamata Banerjee

    ECI Order dated 12 April 2021 to Ms. Mamata Banerjee
     

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    फ़ाइल सबमिट की गई Thursday 29 April 2021

  5. पश्चिम बंगाल की विधान सभा के लिए साधारण निर्वाचन, 2021- सुश्री ममता बनर्जी, एआईटीसी को दिनांक 08.04.2021 को आयोग का नोटिस-तत्संबंधी

    सं. 437/पश्चिम बंगाल-वि. स./2021                           
    दिनांकः 8 अप्रैल, 2021
    सूचना
          यतः, आयोग द्वारा दिनांक 26 फरवरी, 2021 को प्रेस नोट सं. ईसीआई/प्रे. नो./16/2021 के तहत पश्चिम बंगाल विधान सभा के लिए साधारण निर्वाचनों की घोषणा की गई है और आदर्श आचार संहिता के उपबंध निर्वाचनों की घोषणा के साथ ही तत्‍काल प्रभाव से लागू हो गए हैं;
          यतः, निर्वाचन आयोग ने 21 फरवरी, 2021 को पश्चिम बंगाल की यात्रा की थी और परम्परानुसार राजनैतिक दलों से फीडबैक प्राप्त कर अपना कार्य आरम्भ कर दिया था। ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस (एआईटीसी) के एक प्रतिनिधिमंडल ने आयोग के समक्ष अन्य साधारण मुद्दों को उठाने के अतिरिक्त अन्य बातों के साथ-साथ यह भी आरोप लगाया कि उस वक्त के आगामी विधान सभा निर्वाचनों के संदर्भ में बीएसएफ कर्मी किसी विशेष राजनैतिक दल के पक्ष में मत डालने के लिए सीमावर्ती क्षेत्रों के गांव में रहने वालों लोगों को डरा-धमका रहे हैं। एआईटीसी के प्रतिनिधिमंडल से अनुरोध किया गया था कि वे उपाख्यानात्मक आरोप लगाने के बजाय, अनुभवजन्य साक्ष्य, यदि कोई हों, प्रस्तुत करें। हालांकि, उन्होंने आयोग के द्वारा उठाए गए इस प्रश्न का कोई उत्तर नहीं दिया था। दो दिवसीय यात्रा के समापन पर, आयोग ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया, जो किसी भी राज्य में निर्वाचकीय तैयारियों की औपचारिक समीक्षा करने के बाद एक लंबे समय से परम्परा भी रही है। यहां फिर से कुछ पत्रकारों ने एआईटीसी द्वारा बीएसएफ के बारे में लगाए गए आरोपों का जिक्र किया। इस चरण में मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने निम्नानुसार कहाः
    "यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक दल ने बीएसएफ के बारे में आरोप लगाए हैं। मैंने ठोस दृष्टांत बताने के लिए कहा है। वे (बीएसएफ) देश के सबसे बेहतरीन बलों में से एक हैं। किसी भी दल की किसी भी बिंदु पर आलोचना करने का कोई मतलब नहीं है।"     
          यतः, सीईओ, पश्चिम बंगाल से एक रिपोर्ट प्राप्त हुई है, जिसके साथ सीएनएन समाचार चैनल पर प्रसारण के रूप में 28.03.2021 को सुश्री ममता बनर्जी, माननीय मुख्यमंत्री द्वारा दिए गए वक्तव्य की एक प्राधिकृत ट्रांसक्रिप्ट संलग्न है, जिसमें उन्होंने कहाः
          "ममता बनर्जी बाहरी नहीं है। बाहरी कौन हैं? बंदूकों के साथ गुंडे, जिन्हें आप कहीं और से लाएं हैं। क्या उन्होंने कोंटाइ में नहीं किया था? पिता, पुत्र और अंकलों में निष्पक्ष तरीके से निर्वाचन लड़ने की क्षमता नहीं है, इसलिए उन्होंने कोंटाई में परसों रात हंगामा किया।"     
    "उन्हें किसने इतनी हिम्मत दी कि केंद्रीय पुलिस महिलाओं को धमका रही है और उन्हें मत नहीं डालने दे रही है? मैंने यही 2019 में देखा था। मैंने 2016 में भी यही देखा थाः 
    "मैं जानती हूं कि किसके अनुदेश पर वे मारते हैं और किस तरह मारते हैं। यह आपका कर्तव्य है कि आप लोगों के परिवार की रक्षा करें। यदि हमारी माताओं और बहनों को डंडे से जरा भी चोट आती है तो उन पर करछुल, खुरपे और चाकू से हमला करें। मैं बता रहीं हूं। यह महिलाओं का हक है। और यदि हमारी किसी भी माता तथा बहनों को मतदान कक्ष में प्रवेश करने नहीं दिया जाए तो आप सभी बाहर आएं और आंदोलन करें।"  
    यतः, सीईओ, पश्चिम बंगाल से एक अन्य रिपोर्ट प्राप्त हुई है, जिसके साथ 7.04.2021 को कूच बिहार में सुश्री ममता बनर्जी द्वारा दिए गए भाषण की एक प्राधिकृत ट्रांसक्रिप्ट संलग्न है, जहां उन्होंने केंद्रीय रिजर्व पुलिस बलों पर निम्नलिखित अत्यंत आपत्तिजनक टिप्पणी कीः 
    "वे असम से आतंक फैलाने के लिए गंडे लाएंगे। मैं प्रशासन से नाका जांच मजबूत करने और असम की सीमा को सील करने की मांग करूंगी। मैं निर्वाचन आयोग से असम सीमा को सील करने के लिए कहूंगी। भूटान शांतिपूर्ण देश है और हमारा अच्छा पड़ोसी है। फिर भी सीमा को सील किया जाना चाहिए। याद रखें कि कूच बिहार के आस-पास ऐसे कई अन्य क्षेत्र हैं, जो बांग्लादेश के हैं। उन सीमाओं को भी सील किया जाना चाहिए, ताकि कोई बाहरी यहां हंगामा न खड़ा कर सके। और यदि सीएपीएफ बाधाएं उत्पन्न करता है तो, मैं आप औरतों को बता रहीं हूं, आपका एक समूह जाए और उनका घेराव करे जबकि दूसरा समूह अपना मत डालने जाएगा। अपना मत बेकार न जाने दें। यदि आप सभी उनका घेराव करने में ही लग जाएंगे तो वे खुश होंगे की आप अपना मत डालने नहीं गए। यह उनकी योजना है। यह बीजेपी की योजना है। और आपकी योजना यह होगी कि यदि वे एक तरफ आपके गांव आकर आपको धमकाने की कोशिश करते हैं तो आप डरेंगे नहीं, बल्कि आप उनसे बात करेंगे। उनसे बात करने का मतलब उन पर लगाम कसना होगा। आपको उनका सच में घेराव नहीं करना पड़ेगा।"
    यतः, प्रथम दृष्टया, सुश्री ममता बनर्जी, एआईटीसी की अध्यक्षा, जो पश्चिम बंगाल की माननीय मुख्यमंत्री भी हैं, के द्वारा पूरी तरह से गलत, भड़काऊ और तीखे वक्तव्य, निर्वाचकीय प्रक्रिया के दौरान केंद्रीय अर्धसैनिक बलों को अपमानित और तिरस्कृत करने का प्रयास है, जिससे इन बलों के सभी रैंक पदाघिकारी बहुत ज्यादा हतोत्साहित हो रहे हैं, जो 80 के दशक के अंत से निर्वाचनों के बाद निर्वाचनों में स्वेच्छा भाव से सेवा प्रदान करते आ रहे हैं और जिन्होंने विशेष रूप से क्षेत्राधिकार सुनिश्चित करने और अपनी वास्तविक उपस्थिति से असामाजिक गुंडों के लिए अवरोध उत्पन्न करने में एक सराहनीय योगदान दिया है, जिससे वह स्वतंत्र, निष्पक्ष, पारदर्शी और सुगम निर्वाचनों का संचालन करवाने के लिए ईसीआई की सहायता करने में एक प्रमुख भूमिका निभाता रहा है; 
    यतः, 28.03.2021 और 7.04.2021 के वक्तव्यों और पैरा 2 तथा 3 में वर्णित और इंगित गए अनुवर्ती वक्तव्य की ऐतिहासिकता को देखते हुए, यह और अधिक स्पष्ट है कि सुश्री ममता बनर्जी, एआईटीसी की अध्यक्षा, केंद्रीय अर्धसैनिक बलों को नीचा दिखाने और हतोत्साहित करने में लगीं हुईं हैं, जो अक्सर कानून और व्यवस्था को बहाल करने और/या राज्य सरकारों के दिन-प्रतिदिन के कामकाज में राज्य सरकारों द्वारा कभी भी मंगवाए जाने पर, संबंधित राज्य सरकार और संघ राज्य क्षेत्रों की सरकारों की सहायता करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इससे भी अधिक हतोत्साहित करने वाला तथ्य यह है कि सुश्री बनर्जी महिला मतदाताओं को सीपीएफ के कर्मियों पर हमला करने के लिए उकसाने के लिए एक भावनात्मक पिच बनाने की कोशिश कर रही हैं। पैरा 1 और 2 पर दी गई ऐतिहासिकता का जानबूझकर एआईटीसी द्वारा सामान्य रूप से बिलकुल जानबूझकर अपनाए गए पैटर्न को समर्थन करने और सुश्री बनर्जी द्वारा विशेष रूप से सीपीएफ को अपमानित करने के लिए पैटर्न शुरू करने का उल्लेख किया गया है। यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि राजनैतिक लड़ाई अभियानों आदि में लड़ने के बजाय इस तरीके से लड़ी जा रहीं हैं। 
    केंद्रीय बलों ने अपनी जान की बाजी लगा कर भी देश के सभी क्षेत्रों में उन्हें सौंपे गए कार्यों को बखूबी निभाया है, जिसमें हाल ही में बीजापुर, छत्तीसगढ़ का प्रकरण सबसे दुखद है। यह भी रिकॉर्ड में रखा जाए कि वे और संघ सरकार के अन्य कई मंत्रालय एवं विभाग तथा राज्य सरकार के विभाग, भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) की निर्वाचनों के संचालन में सहायता करते हैं। परंतु, स्वतंत्र, निष्पक्ष, पारदर्शी और सुगम निर्वाचन सुनिश्चित करने में केंद्रीय बलों की सराहनीय भूमिका अत्यंत उल्लेखनीय है। 
    सुश्री बनर्जी शायद यह महसूस नहीं कर रही है कि इस तरह के बयान से पश्चिम बंगाल की राज्य पुलिस में अविश्वास की भावना पैदा हो सकती है, जो एक-दूसरे के पूरक होने के बजाय केंद्रीय बलों के साथ भी अपना कार्य कर रहे हैं। वास्तव में, सुश्री बनर्जी यह सुनिश्चित करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहीं हैं कि उनके बीच एक गहरी दरार और खाईं पैदा हो, जिसके निर्वाचन की प्रक्रिया के समाप्त होने के बाद भी गंभीर परिणाम देखने को मिलेंगे। 
    यतः, निर्वाचन आयोग का प्रथम दृष्टया समाधान हो गया है कि आपके बयान आदर्श आचार संहिता के साथ-साथ भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 186, 189 और 505 का उल्लंघन करते हैं। 
    अब, इसलिए, आयोग दिनांक 10.04.2021 को पूर्वाह्न 11.00 बजे तक आपको उपर्युक्त बयान के संबंध में अपनी स्थिति स्पष्ट करने का एक अवसर देता है, ऐसा न करने पर आयोग आपको आगे संदर्भ दिए बिना निर्णय लेगा। 
    आदेश से,
    ह./-
    (राकेश कुमार)
    सचिव
    सुश्री ममता बनर्जी,
    अध्यक्ष, ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस,
    कोलकाता
     
     ************************************************
    सीएन समाचार चैनल पर दिनांक 28.3.21 को यथा प्रसारित सीएम का भाषण
     
    ममता बनर्जी बाहरी नहीं है। कौन बाहरी हैं? बंदूकधारी गुंडे, जिन्हें आप कहीं और से लाएं हैं। क्या उन्होंने यह कॉन्टाई में नहीं किया था? पिता, पुत्र और चाचाओं में निष्पक्ष तरीके से निर्वाचन जीतने की क्षमता नहीं है, इसलिए उन्होंने कॉन्टाई में कल से एक दिन पहले रात में हंगामा किया। आप बंदूकें लेकर आएं हैं। आपने बूथों पर कब्जा किया। भागबानपुर में महिलाएं को रोते हुए लौटा दिया गया। यह माताओं की बददुआएं हैं। याद रखना कि आपने दृष्टिहीन मतदाताओं को उनका मत नहीं डालने दिया। आपने अनेकों माताओं और बहनों को उनका मत नहीं डालने दिया। आपने महिलाओं को निशाना बनाया। बूथ में जाते हुए कृपया करके फेस मास्क पहनें। यह केंद्रीय पुलिस का मामला नहीं है। फिर भी उन्होंने मतदाताओं को प्रवेश नहीं करने दिया और उनके मत दिए बिना उन्हें वापस भेज दिया क्योंकि उन्होंने मास्क नहीं पहने थे। आप में से कोई भी वापस नहीं जाएगा। पुलिस से डरने का कोई कारण नहीं है। आशा है कि मैं जो कह रही हूं वह आप सभी सुन रहे होंगे। किसने उन्हें इतनी हिम्मत दी कि केंद्रीय पुलिस महिलाओं को उनका मत डालने की अनुमति दिए बिना उन्हें धमका रही है? मैंने 2019 में भी यही देखा था। मैंने 2016 में भी यही देखा था। मेरे इलाके में क्लबों को बंद कर दिया गया था। इतना दुस्साहस! आप जब काम करने के लिए बंगाल आएंगे तो हम आपके रहने और खाने का भुगतान करेंगे और आप डंडों से मारेंगे! उनकी हिम्मत कैसे हुई मारने की? किसके इशारे पर उन्होंने मारा था? मैं जानती हूं कि उन्होंने किसके कहने पर मारा और कैसे मारा। यह आपका कर्तव्य है कि आप लोगों के परिवारजनों को बचाएं। अगर हमारी माताओं और बहनों में से कोई भी छड़ी से घायल होती हैं, तो उन पर करछुल, खुरपे और चाकू से हमला करें। मैं बता रही हूं। यह महिलाओं का अधिकार है। और यदि हमारी माताओं और बहनों में से किसी को भी मतदान कक्ष में प्रवेश करने से मना किया जाता है तो आप सभी बाहर आएं और आंदोलन करें। माताओं और बहनों तुम मरी नहीं हो.....(मुश्किल से सुनाई दे रहा है)। तुम चुड़ियां पहनती हो और उसी दौरान स्टड से खाना बनाती हो। और एजेंटों, यदि मैंने देखा कि तुम डर की वजह से अपनी पीठ दिखा रहे हो....इन गुंडों के डर से, तो मैं तुमको माफ नहीं करूंगी। जमीन पर मेरे लोग हैं। मैं जानती हूं कि कान्थी और भागबनपुर में ऐसा किसने किया। मैं सब कुछ जानती हूं कि किसकी सांठ-गांठ किसके साथ है। याद रखें कि जो हमारे लिए काम कर रहे हैं वो आपके बीच हैं, जो उन एजेंटों के बारे में सब कुछ जानते हैं जो पैसे ले रहे हैं और बांट रहे हैं। अंकल का बेटा परसों पैसा बांट रहा था और रंगे-हाथों पकड़ा गया।
     
      ************************************************
    दिनांक 7.4.21 को कूच बिहार (उत्तर) में ममता बंदोपाध्याय द्वारा दिए गए भाषण की ट्रांसक्रिप्ट
     
    शिकायत पत्र में यथा उल्लिखित 32 मिन. 20 सेकं. से लेकर 33 मिन. 23 सेकं. तक यह (https:/www.facebook.com/AITCofficial/videos/) लिंक पर पाया गया था
    वे दहशत पैदा करने के लिए असम से गुंडे लाएंगे। मैं प्रशासन से नाका चेकिंग को मजबूत करने और असम की सीमाओं को सील करने के लिए कहूंगी। मैं निर्वाचन आयोग से असम सीमा को सील करने के लिए कहूंगी। भूटान एक शांतिपूर्ण देश और हमारा मित्र पड़ोसी है। फिर भी सीमा को सील किया जाना चाहिए। याद रखें कि कूच बिहार के आसपास कई अन्य क्षेत्र हैं जो बांग्लादेश से संबंधित हैं। उन सीमाओं को भी सील किया जाना चाहिए, ताकि कोई बाहरी व्यक्ति यहां हंगामा न कर सके। और अगर सीआरपीएफ गड़बड़ी पैदा करती है, तो मैं आपको महिलाओं को बताती हूं, आप का एक समूह जाए और उन्हें रोके (घेराव करे) है, जबकि एक अन्य समूह अपना वोट डालने जाएगा। अपना वोट बर्बाद मत करो। यदि आप सभी उन्हें रोकने में ही लग जाएंगे, तो उन्हें खुशी होगी कि आपने अपना वोट नहीं डाला। यह उनकी योजना है। यह भाजपा की योजना है। और आपकी योजना यह होगी कि आप डरेंगे नहीं यदि वे एक तरफ आपके गाँव में आने के लिए आपको डराने-धमकाने की कोशिश करते हैं, तो दूसरी तरफ आप उनसे बात करें। उनसे बात करना उन पर लगाम कसने जैसा होगा। आपको उनका सचमुच में घेराव करने की जरूरत नहीं है......

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    फ़ाइल सबमिट की गई Thursday 29 April 2021

  6. पश्चिम बंगाल के 210-नन्दीग्राम विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र से श्री सुवेंदु अधिकारी, भाजपा के अभ्यर्थी को दिनांक 08.04.2021 को आयोग का नोटिस

    सं. 437/पश्चिम बंगाल-वि. स./2021
    दिनांकः 8 अप्रैल, 2021
    सूचना
          यतः, आयोग द्वारा दिनांक 26 फरवरी, 2021 को प्रेस नोट सं. ईसीआई/प्रे. नो./16/2021 के तहत पश्चिम बंगाल विधान सभा के लिए साधारण निर्वाचनों की घोषणा की गई है और आदर्श आचार संहिता के उपबंध निर्वाचनों की घोषणा के साथ ही तत्‍काल प्रभाव से लागू हो गए हैं; और  
    2.    यत:, राजनैतिक दलों एवं अभ्‍यर्थियों के मार्गदर्शन के लिए आदर्श आचार संहिता के 'सामान्य आचरण', भाग-। के खंड (2) और (3) में अन्‍य बातों के साथ-साथ यह प्रावधान है कि 
    "(2) अन्य दलों की आलोचना करते समय यह आलोचना उनकी नीतियों और कार्यक्रम, पिछले रिकार्ड और कार्य तक ही सीमित होनी चाहिए। दलों और अभ्यर्थियों को अन्य दलों के नेताओं या कार्यकर्ताओं के निजी जीवन के बारे में ऐसे किसी भी पहलू की आलोचना नहीं करनी चाहिए जिनका उनके सार्वजनिक कार्यकलापों से सरोकार न हो। असत्‍यापित आरोपों अथवा तोड़-मरोड़ कर कही गई बातों के आधार पर अन्‍य दलों और उनके कार्यकर्ताओं की आलोचना से बचना चाहिए;" 
    "(3) मत हासिल करने के लिए जाति अथवा सांप्रदायिक भावनाओं के आधार पर कोई अपील नहीं की जाएगी। मस्जिदों, चर्चों, मंदिरों या अन्य किसी भी पूजा स्थल को निर्वाचन संबंधी प्रचार के लिए मंच के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जाएगा;" और 
    3.    यतः, आयोग को सुश्री कविता कृष्णन, सीपीआईएमएल केंद्रीय समिति से एक शिकायत मिली है, जिसमें यह आरोप लगाया गया है कि दिनांक 29 मार्च, 2021 को भारतीय जनता पार्टी के 210-नन्दीग्राम विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र से निर्वाचन लड़ने वाले अभ्यर्थी श्री सुवेंदु अधिकारी ने नन्दीग्राम में एक जन सभा को संबोधित करते हुए द्वेषपूर्ण भाषण दिया, जिसे व्यापक रूप से मीडिया में रिपोर्ट किया गया है; और
    4.    यतः, मुख्य निर्वाचन अधिकारी, पश्चिम बंगाल से कथित भाषण का प्रमाणित ट्रांसक्रिप्ट (टेप) भी प्राप्त हुआ है। इस भाषण का प्रासंगिक भाग निम्नानुसार हैः
          "....मुझे गाना गाने और कीर्तन सुनने का शौक है। खैर, मेरे पास आपको बताने के लिए कुछ भी नया नहीं है। एक तरफ बेगम हमारे खिलाफ लड़ रहीं हैं। दूसरी तरफ, यहां आपके परिवार का बेटा है, आपका छोटा भाई, आपका दोस्त, अपने कनिष्ठों के लिए बड़ा भाई है। आप किसे स्वीकार करना चाहेंगे, मुझे बताइए? निर्वाचन दरवाजे पर दस्तक दे रहा है। आप बेगम को मत नहीं देंगे। यदि आप बेगम को मत देंगे तो छोटा पाकिस्तान बन जाएगा। (मुश्किल से सुनाई दे रहा है)... आपके इलाके में दाउद इब्राहिम आ गया है...हम सबकुछ नोट करेंगे। सरकार क्या कर रही है? इसका क्या फायदा है? अगला त्यौहार कौन सा आ रहा है? रामनबमी। रामचंद्र किस पुष्प से मां दुर्गा की पूजा करते थे? इसलिए, आप सभी को कमल के लिए वोट करना चाहिए। आपको 1 नंबर के सामने वाला बटन दबाना चाहिए। निर्वाचन के पहले चरण में तुष्टिकरण की राजनीति के खिलाफ मत पड़े हैं। क्या आप सभी तुष्टिकरण का मतलब समझते हैं? चूंकि निर्वाचन चल रहे हैं, अतः हमें अपनी भाषा के प्रति सतर्क रहना होगा। क्या आप समझते हैं कि तुष्टिकरण का क्या मतलब होता है? क्या आप तुष्टिकरण का अर्थ समझते हैं? हां, आप समझते हैं। क्या उन्होंने लोक सभा के मत के बाद यह नहीं कहा था कि वे उन लोगों से भी चोट खाने के लिए तैयार हैं जो उनके लिए फायदेमंद थे? इसे तुष्टिकरण कहते हैं। पहले चरण में तुष्टिकरण के खिलाफ मत पड़े थे। इस बार भी तुष्टिकरण के खिलाफ मत पड़ेंगे। अम्फान राहत घोटाले में शामिल टीएमसी की पंचायतें आस-पास भटक रहीं हैं......."; और
    5.    यतः, 29 मार्च, 2021 को श्री सुवेंदु अधिकारी द्वारा दिए गए उपर्युक्त वक्तव्य की आयोग में जांच की गई है और इसे 'राजनैतिक दलों तथा अभ्यर्थियों के मार्गदर्शन के लिए आदर्श आचार संहिता के सामान्य आचरण' के भाग I के खंड (2) और (3) का उल्लंघन करते हुए पाया गया है,
    6.    अब, इसलिए, आयोग आपको एक अवसर देता है कि इस नोटिस की प्राप्ति के 24 घंटों के भीतर अपने उपर्युक्त बयान के संबंध में अपनी स्थिति स्पष्ट करें, ऐसा न करने पर आयोग आगे संदर्भ दिए बिना निर्णय लेगा।
     
    संलग्नकः यथोपरि।
     
    आदेश से
    ह./-
    (राकेश कुमार)
    सचिव
                                                                              
     
     
    सेवा में,
    श्री सुवेंदु अधिकारी,
    210-नन्दीग्राम विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र से बीजेपी के अभ्यर्थी,
    पश्चिम बंगाल।
     
     
    ***********************************
    29.03.21 को पूर्वाह्न 11.25-11.29 तक सीएन समाचार चैनल पर प्रसारित सुवेंदु अधिकारी द्वारा दिया गया भाषण
    [सुवेंदु अधिकारी भगवान कृष्ण और भगवान राम का भजन गाते और नाम लेते हैं।] मैं यहां राधामाधव मंदिर में जाने के बाद आया हूँ। मैंने तुलसी (हिंदुओं के लिए एक पवित्र पौधा) पर हार चढ़ाया है। [वे तुलसी की महिमा का वर्णन करते हुए कीर्तन गाते हैं]। मैं इस्कॉन के मंदिर में गाए जाने वाले कीर्तन में भाग लेने जाता हूं। मुझे गाना गाने और कीर्तन सुनने का शौक है। खैर, मेरे पास आपको बताने के लिए कुछ भी नया नहीं है। एक तरफ बेगम हमारे खिलाफ लड़ रहीं हैं। दूसरी तरफ, यहां आपके परिवार का बेटा है, आपका छोटा भाई, आपका दोस्त, अपने कनिष्ठों के लिए बड़ा भाई है। आप किसे स्वीकार करना चाहेंगे, मुझे बताइए। निर्वाचन दरवाजे पर दस्तक दे रहा है। आप बेगम को मत नहीं देंगे। यदि आप बेगम को मत देंगे तो छोटा पाकिस्तान बन जाएगा। (मुश्किल से सुनाई दे रहा है)... आपके इलाके में दाउद इब्राहिम आ गया है...हम सबकुछ नोट करेंगे। सरकार क्या कर रही है? जैसे योगी आदित्यनाथ ने उनको सबक सिखाया है, हम भी वैसा ही करेंगे। यदि उत्तर प्रदेश कर सकता है तो पश्चिम बंगाल भी कर सकता है। वोटिंग मशीन में मेरा नाम किस क्रम संख्या में है? मेरा प्रतीक चिह्न क्या है? इसका क्या फायदा है? अगला त्यौहार कौन सा आ रहा है? रामनबमी। रामचंद्र किस पुष्प से मां दुर्गा की पूजा करते थे? इसलिए, आप सभी को कमल के लिए वोट करना चाहिए। आपको 1 नंबर के सामने वाला बटन दबाना चाहिए। और हम मोदीजी के नेतृत्व में और उनकी प्रेरणा से "सोनार बांग्ला" का निर्माण करेंगे। शक्तिकेंद्र के जनक, तपस भाई, मंडल अध्यक्ष, कौशिक और कई अन्य नेता यहां पर उपस्थित हैं। मैं अलग-अलग सभी का नाम नहीं ले रहा हूँ। मैं जानता हूँ कि यहां पर मुझे लोगों का समर्थन मिलेगा। निर्वाचन के पहले चरण में तुष्टिकरण की राजनीति के खिलाफ मत पड़े हैं। क्या आप सभी तुष्टिकरण का मतलब समझते हैं? चूंकि निर्वाचन चल रहे हैं, अतः हमें अपनी भाषा के प्रति सतर्क रहना होगा। क्या आप समझते हैं कि तुष्टिकरण का क्य मतलब होता है? क्या आप तुष्टिकरण का अर्थ समझते हैं? हां, आप समझते हैं। क्या उन्होंने लोक सभा के मत के बाद यह नहीं कहा था कि वे उन लोगों से भी चोट खाने के लिए तैयार हैं जो उनके लिए फायदेमंद थे? इसे तुष्टिकरण कहते हैं। पहले चरण में तुष्टिकरण के खिलाफ मत पड़े थे। इस बार भी तुष्टिकरण के खिलाफ मत पड़ेंगे। अम्फान राहत घोटाले में शामिल टीएमसी पंचायतें आस-पास भटक रहीं हैं।

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    फ़ाइल सबमिट की गई Thursday 29 April 2021

  7. पश्चिम बंगाल की विधान सभा के लिए साधारण निर्वाचन, 2021-आयोग का दिनांक 07.04.2021 का नोटिस-तत्संबंधी।

    सं. 437/पश्चिम बंगाल-वि. स./2021                            दिनांकः 7 अप्रैल, 2021
     
    सूचना
          यतः, आयोग द्वारा दिनांक 26 फरवरी, 2021 को प्रेस नोट सं. ईसीआई/प्रे. नो./16/2021 के तहत पश्चिम बंगाल विधान सभा के लिए साधारण निर्वाचनों की घोषणा की गई है और आदर्श आचार संहिता के उपबंध निर्वाचनों की घोषणा के साथ ही तत्‍काल प्रभाव से लागू हो गए हैं; और  
    2.    यत:, राजनैतिक दलों एवं अभ्‍यर्थियों के मार्गदर्शन के लिए आदर्श आचार संहिता के 'सामान्य आचरण', भाग-। के खंड (2), (3) और (4) में अन्‍य बातों के साथ-साथ यह प्रावधान है कि 
    "(2) अन्य दलों की आलोचना करते समय यह आलोचना उनकी नीतियों और कार्यक्रम, पिछले रिकार्ड और कार्य तक ही सीमित होनी चाहिए। दलों और अभ्यर्थियों को अन्य दलों के नेताओं या कार्यकर्ताओं के निजी जीवन के बारे में ऐसे किसी भी पहलू की आलोचना नहीं करनी चाहिए जिनका उनके सार्वजनिक कार्यकलापों से सरोकार न हो। असत्‍यापित आरोपों अथवा तोड़-मरोड़ कर कही गई बातों के आधार पर अन्‍य दलों और उनके कार्यकर्ताओं की आलोचना से बचना चाहिए;" 
    "(3) मत हासिल करने के लिए जाति अथवा सांप्रदायिक भावनाओं के आधार पर कोई अपील नहीं की जाएगी। मस्जिदों, चर्चों, मंदिरों या अन्य किसी भी पूजा स्थल को निर्वाचन संबंधी प्रचार के लिए मंच के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जाएगा;" और 
    "(4) सभी दलों और अभ्यर्थियों को ऐसे सभी कार्यकलापों से ईमानदारीपूर्वक बचना चाहिए, जो निर्वाचन विधि के अधीन "भ्रष्ट आचरण" और अपराध हैं, जैसे कि मतदाताओं को रिश्वत देना, मतदाताओं को धमकाना, किसी अन्य मतदाता का मत डालना, मतदान केंद्र के 100 मीटर के दायरे में प्रचार करना, मतदान समाप्ति के लिए निर्धारित घंटे के 48 घंटे की अवधि समाप्त होने पर जनसभाएं करना और मतदाताओं को मतदान केंद्र ले जाना और लाना"; और 
    3.    यतः, आयोग को श्री मुख्तार अब्बास नकवी के नेतृत्व में बीजेपी प्रतिनिधिमंडल से एक शिकायत मिली है, जिसमें यह आरोप लगाया गया है कि दिनांक 3 अप्रैल, 2021 को ऑल इंडिया तृणमूल कॉन्ग्रेस की 210-नन्दीग्राम विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र से निर्वाचन लड़ने वाली अभ्यर्थी सुश्री ममता बनर्जी ने एबीपी आनंदा टीवी चैनल पर प्रसारित हुगली में तारकेश्वर पर निर्वाचन अभियान के दौरान एक बैठक में जनता को भाषण देते हुए मुस्लिम मतदाताओं से विभिन्न राजनैतिक दलों के बीच अपना मत नहीं बँटने देने की अपील की और पश्चिम बंगाल के मौजूदा विधान सभा निर्वाचनों में तृणमूल कांग्रेस के लिए सांप्रदायिक आधार पर खुलेआम मतदान करने के लिए कहा; और
    4.    यतः, मुख्य निर्वाचन अधिकारी, पश्चिम बंगाल से कथित भाषण का प्रमाणित ट्रांसक्रिप्ट (टेप) भी प्राप्त हुआ है। इस भाषण का प्रासंगिक भाग निम्नानुसार हैः
          "....कन्याश्री, कन्याश्री, विश्वविद्यालय तक छात्रवृत्ति है। अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजातियों के लिए शिक्षाश्री है। सामान्य वर्ग के लिए स्वामी विवेकानंद छात्रवृत्ति है। अल्पसंख्यक समुदाय के मेरे भाइयों और बहनों के लिए ओईक्याश्री है और मैंने इसे 2 करोड़ 35 लाख लाभार्थियों को दिया है। मैं अपने अल्पसंख्यक भाइयों और बहनों से हाथ जोड़कर निवेदन करती हूं कि शैतान व्यक्ति, जिसने बीजेपी से पैसे लिए थे, की बात सुनने के बाद अल्पसंख्यक मतों को विभाजित न होने दें। वह कई सांप्रदायिक वक्तव्य देता है और हिंदू तथा मुस्लिमों के बीच झगड़े शूरू करवाता है। वह बीजेपी के प्रचारकों में से एक है, कामरेड है। अल्पसंख्यक मतों को विभाजित करने के लिए सीपीएम और बीजेपी के कामरेड बीजेपी द्वारा दिए गए पैसों के साथ आस-पास घूम रहे हैं। कृपया उन्हें ऐसा न करने दें। इस बात को मन में रखें कि यदि बीजेपी सरकार में आ जाती है तो आप गंभीर खतरे में होंगे। मैं हिंदू भाइयों और बहनों से भी कहूंगी कि बीजेपी को सुनने के बाद हिंदू और मुस्लिम के रूप में अपने बीच में बंटवारा न होने दें। देखो। मैंने अल्पसंख्यक समुदाय के अपने भाइयों और बहनों से कहा है कि उनके बीच एक या दो बदमाश, मीर जाफर हैं, जो हमारे बीच भी हैं। क्या हमारे बीच कई सारे मीर जाफर नहीं हैं? क्या हमारे बीच कई सारे गद्दार नहीं हैं? बीजेपी में अब वहां कौन हैं?......."; और
    5.    यतः, 3 अप्रैल, 2021 को सुश्री ममता बनर्जी द्वारा दिए गए उपर्युक्त वक्तव्य की आयोग में जांच की गई है और इसे लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 123 (3), 3 (क) में निहित प्रावधानों और 'राजनैतिक दलों तथा अभ्यर्थियों के मार्गदर्शन के लिए आदर्श आचार संहिता के सामान्य आचरण' के भाग I के खंड (2), (3) और (4) का उल्लंघन करते हुए पाया गया है, और
    6.    अब, इसलिए, आयोग आपको एक अवसर देता है कि इस नोटिस की प्राप्ति के 48 घंटों के भीतर अपने उपर्युक्त बयान के संबंध में अपनी स्थिति स्पष्ट करें, ऐसा न करने पर आयोग आगे संदर्भ दिए बिना निर्णय लेगा।
    संलग्नकः यथोपरि
     
    आदेश से
    ह./-
    (राकेश कुमार)
    सचिव
                                                                              
    सेवा में,
    सुश्री ममता बनर्जी,
    210-नन्दीग्राम विधान सभी निर्वाचन क्षेत्र से एआईटीसी की अभ्यर्थी,
    पश्चिम बंगाल।
     
     
    टीवी चैनल एबीपी आनंदा पर 3 अप्रैल, 2021 को प्रसारित हुगली के तारकेश्वर में एक बैठक में निर्वाचन प्रचार के दौरान जनता को संबोधित करते हुए ममता बनर्जी के भाषण की ट्रांसक्रिप्ट  
     
    "....कन्याश्री 2, कन्याश्री 3, विश्वविद्यालय तक छात्रवृत्ति है। अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजातियों के लिए शिक्षाश्री है। सामान्य वर्ग के लिए स्वामी विवेकानंद छात्रवृत्ति है। अल्पसंख्यक समुदाय के मेरे भाइयों और बहनों के लिए ओईक्याश्री है और मैंने इसे 2 करोड़ 35 लाख लाभार्थियों को दिया है। मैं अपने अल्पसंख्यक भाइयों और बहनों से हाथ जोड़कर निवेदन करती हूं कि शैतान व्यक्ति, जिसने बीजेपी से पैसे लिए थे, की बात सुनने के बाद अल्पसंख्यक मतों को विभाजित न होने दें। वह कई सांप्रदायिक वक्तव्य देता है और हिंदू तथा मुस्लिमों के बीच झगड़े शूरू करवाता है। वह बीजेपी के प्रचारकों में से एक है, कामरेड है। अल्पसंख्यक मतों को विभाजित करने के लिए सीपीएम और बीजेपी के कामरेड बीजेपी द्वारा दिए गए पैसों के साथ आस-पास घूम रहे हैं। कृपया उन्हें ऐसा न करने दें। इस बात को मन में रखें कि यदि बीजेपी सरकार में आ जाती है तो आप गंभीर खतरे में होंगे। मैं हिंदू भाइयों और बहनों से भी कहूंगी कि बीजेपी को सुनने के बाद हिंदू और मुस्लिम के रूप में अपने बीच में बंटवारा न होने दें। देखो। मैंने अल्पसंख्यक समुदाय के अपने भाइयों और बहनों से कहा है कि उनके बीच एक या दो बदमाश, मीर जाफर हैं, जो हमारे बीच भी हैं। क्या हमारे बीच कई सारे मीर जाफर नहीं हैं? क्या हमारे बीच कई सारे गद्दार नहीं हैं? बीजेपी में अब वहां कौन हैं?.......";

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    फ़ाइल सबमिट की गई Thursday 29 April 2021

  8. Order of Hon’ble Madras High Court on imposition 144 of the cr.PC by Puducherry Government

    Order of Hon’ble Madras High Court on imposition 144 of the cr.PC by Puducherry Government
     

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    फ़ाइल सबमिट की गई Monday 05 April 2021

  9. लोक प्रतिनिधित्‍व अधिनियम, 1951 की धारा 126क में संदर्भित अवधि के दौरान मीडिया कवरेज-उल्‍लंघन-तत्‍संबंधी।

    491/मीडिया नीति/2021-संचार
    दिनांक: 26 मार्च, 2021
    सेवा में
                  सभी प्रिन्‍ट एवं इलेक्‍ट्रॉनिक मीडिया
    विषय: लोक प्रतिनिधित्‍व अधिनियम, 1951 की धारा 126क में संदर्भित अवधि के दौरान मीडिया कवरेज-उल्‍लंघन-तत्‍संबंधी।
    महोदया/महोदय, 
                  सभी मीडिया का ध्‍यान आयोग के दिनांक 30 मार्च, 2017 के पत्र सं.491/मीडिया नीति/2017-संचार (संलग्‍न) की ओर आकर्षित किया जाता है जिसके द्वारा आयोग ने स्‍वतन्‍त्र, निष्‍पक्ष एवं पारदर्शी निर्वाचन सुनिश्चित करने हेतु धारा 126क  के अधीन निषेध अवधि के दौरान निर्वाचनों के परिणामों की किसी भी प्रकार की भविष्‍यवाणी करने संबंधी प्रसारण/प्रकाशन कार्यक्रमों से बचने के लिए सभी मीडिया (इलेक्‍ट्रॉनिक एवं प्रिन्‍ट) को परामर्शी जारी की थी।
    2.           आयोग का यह विचार है कि निषेध अवधि के दौरान ज्‍योतिषियों, टैरो रीडर, राजनैतिक विश्‍लेषकों या किसी अन्‍य व्‍यक्ति द्वारा भविष्‍यवाणी के माध्‍यम से किसी भी रूप अथवा तरीके से निर्वाचनों के परिणामों की किसी भी प्रकार से भविष्‍यवाणी धारा 126क की भावना का उल्‍लंघन है जिसका उद्देश्‍य मतदान संपन्‍न होने वाले निर्वाचन क्षेत्रों, के निर्वाचकों को विभिन्‍न राजनैतिक दलों की संभावनाओं के बारे में ऐसी भविष्‍यवाणी करके उनके मतदान को प्रभावित होने से रोकना है।
    3.           उपर्युक्‍त को ध्‍यान में रखते हुए, सभी मीडिया (इलेक्‍ट्रॉनिक तथा प्रिंट) को एतद्द्वारा सलाह दी जाती है कि वे असम, केरल, पुदुचेरी, तमिलनाडु एवं पश्चिम बंगाल की विधान सभाओं में वर्तमान साधारण निर्वाचन 2021 में निषेध अवधि के दौरान दिनांक 27 मार्च, 2021 (शनिवार) पूर्वाह्न 7.00 बजे और दिनांक 29 अप्रैल, 2021 (गुरूवार) को अपराह्न 7.30 बजे तक के बीच परिणामों के प्रसार से संबंधित किसी भी ऐसे लेख/कार्यक्रम को प्रकाशित/प्रचारित न करें।
     भवदीय, 
    (पवन दीवान) 
    अवर सचिव
    फोन-01123052133
    ई-मेल:diwaneci@yahoo.co.in
    प्रतिलिपि प्रेषित:
    सचिव, प्रेस काउंसिल ऑफ इण्डिया, सूचना भवन, 8-सीजीओ काम्‍प्‍लेक्‍स, लोधी रोड, नई दिल्‍ली- 110003 श्रीमती एनी जोसफ महासचिव, न्‍यूज ब्राडकास्‍टर्स एसोशिएशन मैनटेक हाउस, सी-56/5,दूसरा तल,सेक्‍टर 62, नोएडा-201301 गार्ड फाइल *********************
    भारत निर्वाचन आयोग
    निर्वाचन सदन, अशोक रोड, नई दिल्‍ली-110001
    सं. 491/मीडिया नीति/2017-संचार/11-12
    दिनांक: 30 मार्च, 2017
     
    सेवा में,
           सभी प्रिंट और इलेक्‍टॉनिक मीडिया 
    विषय: लोक प्रतिनिधित्‍व अधिनियम, 1951 की धारा 126क में सं‍दर्भित अवधि के दौरान मीडिया कवरेज- उल्‍लंघन-तत्‍संबंधी।
     
    महोदया/महोदय, 
           लोक प्रतिनिधित्‍व अधिनियम, 1951 की धारा 126क (1) यह उपबंधित करती है कि ‘‘कोई भी व्‍यक्ति किसी भी प्रकार के एग्‍जिट पोल का संचालन नहीं करेगा तथा प्रिंट या इलेक्‍ट्रॅानिक मीडिया के द्वारा उसका प्रकाशन अथवा प्रचार या किसी भी प्रकार से इस संबंध में निर्वाचन आयोग द्वारा यथा अधिसूचित ऐसी अवधि के दौरान किसी भी प्रकार के एग्जिट पोल के परिणाम जो भी हो, का प्रचार नहीं करेगा।’’  लोक प्रतिनिधित्‍व अधिनियम, 1951 की धारा 126क की उप धारा (2) के उपबंधों के अधीन उपर्युक्‍त अवधि सभी राज्‍यों और संघ राज्‍य क्षेत्रों में मतदान के पहले दिन मतदान के लिए निर्धारित समय से शुरू होने से आरंभ होगी तथा मतदान समाप्‍त होने के आधा घंटा बाद तक जारी रहेगी। 
    2.     इस संबंध में, आयोग ने दिनांक 04 मार्च, 2017 की अपनी अधिसूचना द्वारा, उक्‍त धारा 126क के अर्थों में, पांच राज्‍यों की विधान सभाओं के हाल ही में आयोजित साधारण निर्वाचनों के संबंध में दिनांक 04.02.17 को पूर्वाह्न 7:00 बजे से प्रारंभ होकर और दिनांक 09.03.17 को अपराह्न 05:30 बजे तक जारी अवधि को ऐसी अवधि के रूप में विनिर्दिष्‍ट किया है जिसके दौरान किसी भी प्रकार के एग्जिट पोल के आयोजन और किसी भी प्रकार के एग्जिट पोल के परिणामों के प्रचार-प्रसार पर प्रतिबन्‍ध था। 
    3.     आयोग की अधिसूचना और धारा 126क के उपर्युक्‍त उपबंधों के बावजूद, यह देखा गया है कि कुछ टी.वी चैनल ऐसे कार्यक्रम प्रसारित करते हैं जिनमें राजनैतिक दलों द्वारा जीती जाने वाली संभावित सीटों की संख्‍या का उल्‍लेख किया जाता है। ऐसा उस अवधि के दौरान किया गया है जिसके दौरान एग्जिट पोल और उसके परिणामों के प्रसार पर प्रति‍बन्‍ध था। किसी एक चैनल में कार्यक्रम के पेनलिस्‍ट, जो कि राजनैतिक विश्‍लेषकों सहित विभिन्‍न क्षेत्रों से संबंधित व्‍यक्ति थे, ने उत्‍तर प्रदेश में विभिन्‍न राजनैतिक दलों द्वारा जीती जाने वाली संभावित सीटों की अनुमानित संख्‍या के बारे में बताया था। 
    4.     आयोग का यह विचार है कि निषेध अवधि के दौरान किसी भी प्रकार से निर्वाचनों के परिणामों की भविष्‍यवाणी या ज्‍योतिषियों, टैरो रीडर, राजनैतिक विश्‍लेषकों या किसी अन्‍य व्‍यक्ति द्वारा की गई भविष्‍यवाणी का कोई तरीका, धारा 126क के अर्थों में उल्‍लंघन है, जो ऐसे राज्‍यों जहां मतदान होने हैं, के निर्वाचन क्षेत्रों के निर्वाचकों को विभिन्‍न राजनैतिक दलों की संभावनाओं के बारे में ऐसी भाविष्‍यवाणी द्वारा उनके मतदान में उन्‍हें प्रभावित होने से रोकती है। 
    5.     निर्वाचन आयोग को इसे रिकॉर्ड करने में कोई दुविधा नहीं हैं कि संवैधानिक आधार, स्‍वतंत्र न्‍यायपालिका, व्‍यापक स्‍तर पर नागरिकों, राजनैतिक दलों और विशेषत: सिविल सोसाइटी संगठनों की अत्‍याधिक आस्‍था और विश्‍वास, वस्‍तुनिष्‍ठ मीडिया रिपोर्टिंग जिसमें निर्धारित आचार संहिता, नियमों, विधियों इत्‍यादि का अनुपालन शामिल है, के बिना भारत निर्वाचन आयोग को इतनी पहचान न मिली होती जितनी इसे विश्‍व भर में निर्वाचन प्रबंधन के कारण मिली है। इस पृष्‍ठभूमि में ऐसे प्रयास जो कि मात्र वाणिज्‍यिक कारणों से प्रतिद्वंद्वियों के विरूद्ध केवल ब्राउनी प्‍वाइंटस प्राप्‍त करने के लिए हैं, उपयुक्‍त प्रतीत नहीं होते हैं। 
    6.     सभी मीडिया (इलेक्‍ट्रॉनिक और प्रिंट) को धारा 126क के अधीन निषेध अवधि के दौरान आगामी निर्वाचनों में इस प्रकार के कार्यक्रमों के प्रसारण/प्रकाशन से दूर रहने की सलाह दी जाती है ताकि स्‍वतंत्र, निष्‍पक्ष और पारदर्शी निर्वाचन संचालित किए जा सकें।
     
    भवदीय, 
    (एस.के.दास)
    अवर सचिव

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    फ़ाइल सबमिट की गई Friday 26 March 2021

  10. Regarding implementation of ECI order dated 20.03.2021.

    Regarding implementation of ECI order dated 20.03.2021.
     

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    फ़ाइल सबमिट की गई Wednesday 24 March 2021

  11. उप-निर्वाचन- सांसद/विधायक स्थानीय क्षेत्र विकास योजना के अधीन निधियों को जारी करना।

    सं. 437/6/1/ईसीआई/अनु./प्रका./एमसीसी/2021
    दिनांक: 16 मार्च, 2021
     
    सेवा में,
    1.   मंत्रिमंडल सचिव, भारत सरकार, राष्ट्रपति भवन, नई दिल्ली। 
    2.   सचिव, भारत सरकार, कार्यक्रम कार्यान्वयन विभाग, सरदार पटेल भवन, नई दिल्ली। 
    3.   मुख्य सचिवः-
    क)   आंध्र प्रदेश सरकार, अमरावती वेलागापूडी;
    ख)  गुजरात सरकार, गांधीनगर;
    ग)   झारखंड सरकार, रांची;
    घ)   कर्नाटक सरकार, बेंगलूरू;
    ङ)    मध्य प्रदेश सरकार, भोपाल;
    च)   महाराष्ट्र सरकार, मुम्बई;
    छ)   मिजोरम सरकार, एजवाल;
    ज)   नागालैंड सरकार, कोहिमा;
    झ)  ओडिशा सरकार, भुवनेश्वर;
    ञ)   राजस्थान सरकार, जयपुर;
    ट)    तेलंगाना सरकार, हैदराबाद;
    ठ)    उत्तराखंड सरकार, देहरादून;
    4.   मुख्य निर्वाचन अधिकारी-
    क)   आंध्र प्रदेश, अमरावती वेलागापूडी;
    ख)  गुजरात, गांधीनगर;
    ग)   झारखंड, रांची;
    घ)   कर्नाटक, बेंगलूरू;
    ङ)    मध्य प्रदेश, भोपाल;
    च)   महाराष्ट्र, मुम्बई;
    छ)   मिजोरम, एजवाल;
    ज)   नागालैंड, कोहिमा;
    झ)  ओडिशा, भुवनेश्वर;
    ञ)   राजस्थान, जयपुर;
    ट)    तेलंगाना, हैदराबाद;
    ठ)    उत्तराखंड, देहरादून;
     
    विषय: उप-निर्वाचन- सांसद/विधायक स्थानीय क्षेत्र विकास योजना के अधीन निधियों को जारी करना।
     
    महोदय,
             मुझे निर्वाचन आयोग के दिनांक 16 मार्च, 2021 के प्रेस नोट (ईसीआई की वेबसाइटः-"https://eci.gov.in/" पर उपलब्‍ध) का संदर्भ देने का निदेश हुआ है, जिसके द्वारा विभिन्न राज्यों के संसदीय/राज्य विधान सभाओं में आकस्मिक रिक्तियों को भरने के लिए उप-निर्वाचनों हेतु अनुसूची की घोषणा की गई है और यह कहने का निदेश हुआ है कि उप-निर्वाचनों की इस घोषणा के परिणामस्वरूप राजनैतिक दलों एवं अभ्‍यर्थियों के मार्गदर्शन के लिए आदर्श आचार संहिता के उपबंध तत्काल प्रभाव से लागू हो गए हैं। 
    2.    सांसद स्‍थानीय क्षेत्र विकास योजनाओं के अंतर्गत निधियों को अवमुक्‍त करने के मामलों पर, उप-निर्वाचन के दौरान आदर्श आचार संहिता को लागू करने के संबंध में, आयोग के पत्र सं. 437/6/अनु./2016-सीसीएस, दिनांक 29 जून, 2017 के अनुसार कार्रवाई की जाएगी, जिसमें अन्य बातों के साथ-साथ यह भी उपबंध है कि-  
    क)   जिले के ऐसे किसी भी भाग में, जिसमें विधान सभा/संसदीय निर्वाचन क्षेत्र स्थित हैं, जहां निर्वाचन प्रक्रिया के पूरा होने तक निर्वाचन प्रक्रियाधीन है, सांसद (राज्‍य सभा सदस्‍य सहित) स्‍थानीय क्षेत्र विकास निधि के अधीन कोई भी नई निधियां जारी नहीं की जाएंगी। यदि निर्वाचन क्षेत्र राज्य की राजधानी/महानगरीय शहरों/नगर निगमों में शामिल हैं, तो उपरोक्त अनुदेश संबंधित निर्वाचन क्षेत्र के क्षेत्र में ही लागू होंगे। इसी प्रकार, निर्वाचन प्रक्रिया पूर्ण होने तक विधान सभा सदस्‍य/विधान परिषद सदस्‍य स्‍थानीय क्षेत्र विकास निधि के अधीन, यदि कोई ऐसी योजना प्रचालन में है, नई निधियां जारी नहीं की जाएंगी।
    ख)  ऐसे कार्य के संदर्भ में कोई कार्य शुरू नहीं किया जाएगा जिसमें इस पत्र के जारी होने से पहले कार्य आदेश तो जारी कर दिए गए हैं परन्‍तु फील्‍ड में वास्‍तव में काम शुरू नही हुआ है। ये कार्य निर्वाचन प्रक्रिया के पूरा होने के बाद ही शुरू किए जा सकते हैं। हालांकि, यदि कोई कार्य वास्‍तव में शुरू हो चुका है तो उसे जारी रखा जा सकता है।
    ग)   पूरे हो गए कार्य(र्यों) के लिए भुगतानों को जारी करने पर कोई रोक नहीं होगी बशर्ते संबंधित अधिकारी पूर्ण रूप से संतुष्‍ट हों।
    घ)   जहां योजनाएं अनुमोदित कर दी गई है तथा निधियां उपलब्‍ध करा या जारी कर दी गई हैं और सामग्रियों का प्रापण कर लिया गया है एवं कार्यस्‍थल पर पहुच गई हैं ऐसी योजनाएं कार्यक्रम के अनुसार कार्यान्वित की जा सकती हैं। 

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    फ़ाइल सबमिट की गई Tuesday 16 March 2021

  12. विभिन्न राज्यों की संसदीय/राज्‍य विधान सभाओं में आकस्मिक रिक्तियों को भरने के लिए उप-निर्वाचन-आदर्श आचार संहिता के प्रवर्तन के संबंध में अनुदेश-तत्‍संबंधी

    सं. 437/6/1/ईसीआ/अनु./प्रका./एमसीसी/2021                       दिनांकः 16 मार्च, 2021
     
    सेवा में,
    1.   मंत्रिमंडल सचिव, भारत सरकार, राष्ट्रपति भवन, नई दिल्ली। 
    2.   मुख्य सचिवः- 
    क)   आंध्र प्रदेश, अमरावती वेलागापूडी;
    ख)  गुजरात, गांधीनगर;
    ग)   झारखंड, रांची;
    घ)   कर्नाटक, बेंगलूरू;
    ङ)    मध्य प्रदेश, भोपाल;
    च)   महाराष्ट्र, मुम्बई;
    छ)   मिजोरम, एजवाल;
    ज)   नागालैंड, कोहिमा;
    झ)  ओडिशा, भुवनेश्वर;
    ञ)   राजस्थान, जयपुर;
    ट)    तेलंगाना, हैदराबाद;
    ठ)    उत्तराखंड, देहरादून;
     
    3.   मुख्य निर्वाचन अधिकारीः- 
    क)   आंध्र प्रदेश, अमरावती वेलागापूडी;
    ख)  गुजरात, गांधीनगर;
    ग)   झारखंड, रांची;
    घ)   कर्नाटक, बेंगलूरू;
    ङ)    मध्य प्रदेश, भोपाल;
    च)   महाराष्ट्र, मुम्बई;
    छ)   मिजोरम, एजवाल;
    ज)   नागालैंड, कोहिमा;
    झ)  ओडिशा, भुवनेश्वर;
    ञ)   राजस्थान, जयपुर;
    ट)    तेलंगाना, हैदराबाद;
    ठ)    उत्तराखंड, देहरादून;
     
    विषय:-  विभिन्न राज्यों की संसदीय/राज्‍य विधान सभाओं में आकस्मिक रिक्तियों को भरने के लिए उप-निर्वाचन-आदर्श आचार संहिता के प्रवर्तन के संबंध में अनुदेश-तत्‍संबंधी।
     
    महोदय,
    मुझे यह कहने का निदेश हुआ है कि आयोग ने दिनांक 16 मार्च, 2021 के प्रेस नोट सं. ईसीआई/प्रे. नो./28/2021 के तहत विभिन्न राज्‍यों में निम्‍नलिखित संसदीय/विधान सभा निर्वाचन क्षेत्रों की आकस्मिक रिक्तियों को भरने के लिए उप-निर्वाचन की अनुसूची की घोषणा की है:- 
    राज्‍य का नाम
    निर्वाचन क्षेत्र का नाम एवं संख्‍या
    आन्ध्र प्रदेश
    23-तिरुपति (अ. जा.) संसदीय निर्वाचन क्षेत्र
    गुजरात
    125-मोरवा हडफ (अ. ज. जा.) विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र
    झारखंड
    13-मधुपुर विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र
    कर्नाटक
    2-बेलगाम संसदीय निर्वाचन क्षेत्र
    47-बासवकल्याण विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र
    59-मास्की (अ. ज. जा.) विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र
    मध्य प्रदेश
    55-दमोह विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र
    महाराष्ट्र
    252-पंढरपुर विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र
    मिजोरम
    26-सेरछिप (अ. ज. जा.) विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र
    नागालैंड
    51-नोकसेन (अ. ज. जा.) विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र
    ओडिशा
    110-पिपिली विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र
    राजस्थान
    24-सुजानगढ़ (अ. जा.) विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र
    175- राजसमन्द विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र
    179-सहाड़ा विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र
    तेलंगाना
    87-नागार्जुन सागर विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र
    उत्तराखंड
    49-सल्ट विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र
    2.     आदर्श आचार संहिता के प्रावधान आयोग द्वारा दिनांक 29 जून, 2017 के इसके पत्र सं. 437/6/अनुदेश/2016-सीसीएस तथा दिनांक 18 जनवरी, 2018 के पत्र सं. 437/6/विविध/ईसीआई/पत्र/प्रकार्या/एमसीसी/2017 और दिनांक 14 अक्तूबर, 2019 के पत्र सं. 437/6//विविध/ईसीआई/पत्र/प्रकार्या/एमसीसी/2019 (प्रति संलग्‍न) के तहत यथा जारी आंशिक संशोधनों के अध्‍यधीन उन जिलों में तत्‍काल प्रभाव से लागू हो गए हैं, जिनमें उप-निर्वाचन होने वाले संसदीय/विधान सभा निर्वाचन क्षेत्रों का सम्‍पूर्ण या कोई भाग अवस्थित है। 
    3.     इसे सभी संबंधितों के ध्‍यान में लाया जाए।   
     

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    फ़ाइल सबमिट की गई Tuesday 16 March 2021

  13. आदर्श आचार संहिता (एमसीसी) की अवधि के दौरान निर्धारित सुरक्षा प्रोटोकॉल का अनुपालन-तत्संबधी।

    सं. 437/6/ईसीआई/अनु./प्रका./एमसीसी/2021
    दिनांकः 14 मार्च, 2021      
     
    सेवा में,
           सभी राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों
           के मुख्य निर्वाचन अधिकारी
     
    विषयः आदर्श आचार संहिता (एमसीसी) की अवधि के दौरान निर्धारित सुरक्षा प्रोटोकॉल का अनुपालन-तत्संबधी। 
    महोदय/महोदया,      
           आयोग के नोटिस में यह आया है कि कुछ अवसरों पर स्टार प्रचारक सुरक्षा एजेंसियों द्वारा निर्धारित सुरक्षा प्रोटोकॉल का अनुपालन नहीं कर रहे हैं और अभियान के दौरान स्वयं की सुरक्षा को खतरे में डाल रहे हैं। इस ओर भी ध्यान आकर्षित किया गया है कि कुछ मामलों में मोटर वाहन अधिनियम, 1988 (यथा संशोधित) (उदाहरण के लिए सीट बैल्ट, आदि लगाना) में यथा निर्धारित सुरक्षा प्रावधानों का भी पालन नहीं किया जा रहा है, जिसकी वजह से कानून के अंतर्गत मौजूदा वैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन हो रहा है। 
    2.     आयोग ने समय-समय पर अभियान के दौरान सभी अभ्यर्थियों के बचाव और सुरक्षा पर बल दिया है। इस संबंध में, आयोग के दिनांक 09.04.1996 के पत्र सं. 437/6/96-पीएलएन-III और दिनांक 24.10.2007 के पत्र सं. 437/6/2007/पीएलएन.III (प्रतियां संलग्न हैं) की ओर ध्यान आकृष्ट किया जाता है, जो गृह मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा यथा-निर्धारित Z + सुरक्षा कवर प्रदान किए गए व्यक्तियों द्वारा बुलेट प्रूफ कार का उपयोग निर्दिष्ट करता है। जिन स्टार प्रचारकों को सुरक्षा एजेंसियों द्वारा सुरक्षा कवच प्रदान किया गया है, उन्हें किसी भी प्रकार की सुरक्षा में सेंध, जो उन्हें जोखिम में डाल सकती है, से बचने के लिए निर्धारित सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन करना चाहिए। इसके अतिरिक्त, स्टार प्रचारकों सहित सभी अभ्यर्थियों को हेलिकॉप्टर सहित किसी भी वाहन आदि के उपयोग के दौरान प्रासंगिक कानूनों के अंतर्गत यथा-निर्धारित अनुदेशों का पालन करना चाहिए ताकि किसी भी ऐसी अनहोनी या दुर्घटना से बचा जा सके, जो बड़े पैमाने पर व्यक्ति(यों) और/या जनता के जीवन और संपत्ति को खतरे में डाल सकती है। 
    3.    पूर्वोक्त को देखते हुए और स्टार प्रचारकों तथा अभ्यर्थियों की सुरक्षा को अत्यधिक महत्व देने के मद्देनजर, आयोग ने निदेश दिया है कि इन अनुदेशों को सख्त अनुपालन के लिए सभी राजनैतिक दलों और अभ्यर्थियों तथा स्टार प्रचारकों के ध्यान में लाया जाना चाहिए, जो उनके स्वयं के हित में है और किसी भी अप्रिय घटना के मामले में सम्पूर्ण राज्य/संघ राज्य क्षेत्र में साधारण कानून और व्यवस्था पर पड़ने वाली संभावित सनसनीखेज प्रभाव से संबंधित हैं।

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    फ़ाइल सबमिट की गई Tuesday 16 March 2021

  14. General Election to the Legislative Assemblies of Assam, Kerala, Tamil Nadu, West Bengal and Puducherry, 2021 - Equitable opportunity to have access to advertisement spaces for election related advertisement

    General Election to the Legislative Assemblies of Assam, Kerala, Tamil Nadu, West Bengal and Puducherry, 2021 - Equitable opportunity to have access to advertisement spaces for election related advertisement

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    फ़ाइल सबमिट की गई Tuesday 16 March 2021

  15. असम, केरल, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और पुदुचेरी की विधान सभाओं के साधारण निर्वाचन, 2021 और मलप्पुरम, केरल राज्य और कन्याकुमारी, तमिलनाडु राज्य के संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों के उप-निर्वाचन – सांसद/विधायक स्थानीय क्षेत्र विकास योजना के अधीन निधियां जारी करना।

    सं. 437/6/1/ईसीआई/अनुदेश/प्रकार्या/एमसीसी/2021
    दिनांकः 26 फरवरी, 2021
     
    सेवा में
    1.      मंत्रिमंडल सचिव, भारत सरकार, राष्ट्रपति भवन, नई दिल्ली
    2.      सचिव, भारत सरकार, कार्यक्रम कार्यान्वयन विभाग, सरदार पटेल भवन, नई दिल्ली
    3.      निम्नलिखित सरकारों के मुख्य सचिवः-
    असम, दिसपुर; केरल, तिरूवनन्तपुरम; तमिलनाडु, चेन्नई; पश्चिम बंगाल, कोलकाता; पुदुचेरी, पुदुचेरी; 4.      मुख्य निर्वाचन अधिकारी
    असम, दिसपुर; केरल, तिरूवनन्तपुरम; तमिलनाडु, चेन्नई; पश्चिम बंगाल, कोलकाता; पुदुचेरी, पुदुचेरी  
    विषयः असम, केरल, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और पुदुचेरी की विधान सभाओं के साधारण निर्वाचन, 2021 और मलप्पुरम, केरल राज्य और कन्याकुमारी, तमिलनाडु राज्य के संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों के उप-निर्वाचन – सांसद/विधायक स्थानीय क्षेत्र विकास योजना के अधीन निधियां जारी करना। 
    महोदय/महोदया, 
          मुझे निर्वाचन आयोग के प्रेस नोट सं. ईसीआई/पीएन/16/2021 और सं. ईसीआई/पीएन/17/2021 दोनों दिनांक 26 फरवरी, 2021 (प्रेस नोट आयोग की वेबसाइट "https:/eci.nic.in" पर उपलब्ध) का संदर्भ देने का निदेश हुआ है, जिनके द्वारा असम, केरल, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और पुदुचेरी विधान सभाओं के लिए साधारण निर्वाचन, 2021 और मलप्पपुरम्, केरल राज्य और कन्याकुमारी, तमिलनाडु राज्य के संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों के लिए उपनिर्वाचन की घोषणा किए जाने के परिणामस्वरूप आयोग ने राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों के मार्गदर्शन के लिए आदर्श आचार संहिता को लागू करने की घोषणा की है। 
    2.    आयोग ने यह अनुदेश दिया है कि सांसद स्थानीय क्षेत्र विकास योजनाओं के अधीन जारी निधियां निम्नलिखित प्रतिबंधों के अधीन होगीः-
    क)    संसद सदस्य (राज्य सभा सदस्यों सहित) स्थानीय क्षेत्र विकास योजना निधि के अधीन देश के किसी भी भाग में, जहां निर्वाचन जारी है, में कोई भी नई निधि जारी नहीं की जाएगी। इसी प्रकार से, विधान सभा सदस्य/विधान परिषद सदस्य स्थानीय क्षेत्र विकास निधि के अंतर्गत, यदि ऐसी कोई योजना क्रियाशील हैं, निर्वाचन प्रक्रिया के समाप्त होने तक कोई भी नई निधि जारी नहीं की जाएगी।
    ख)    इस पत्र के जारी होने से पूर्व, जिन कार्यों के संबंध में कार्य आदेश पहले ही जारी किए जा चुके हैं परंतु वास्तव में क्षेत्र में उन पर कार्य शुरू नहीं किया गया है, उनके लिए कोई कार्य शुरू नहीं किया जाएगा। ये कार्य निर्वाचन प्रक्रिया की समाप्ति के बाद ही शुरू किए जा सकते हैं। हालांकि, यदि कोई कार्य वास्तव में शुरू कर दिया गया है तो उसे जारी रखा जा सकता है।
    ग)    संबंधित अधिकारियों की पूर्ण संतुष्टि के अध्यधीन पूरे किए गए कार्य(र्यों) के लिए भुगतान करने पर कोई प्रतिबंध नहीं होगा।
    घ)    जहां योजनाओं को स्वीकृति दी जा चुकी है एवं निधियां उपलब्ध करवा दी गई हों या जारी कर दी गई हों और सामग्री अधिप्राप्त कर ली गई हो और उसे कार्यस्थल पर पहुंचा दिया गया हो, उन्हें कार्यक्रम के अनुसार निष्पादित किया जा सकता है।

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    फ़ाइल सबमिट की गई Tuesday 02 March 2021

  16. Immediate action to be taken for enforcement of Model Code of Conduct

    Immediate action to be taken for enforcement of Model Code of Conduct after announcement of General Elections to the Legislative Assemblies of Assam, Kerala, Tamil Nadu, West Bengal and Puducherry, 2021 and Bye elections to the Parliamentary Constituencies of Malappuram, Kerala State and Kanniyakumari, Tamil Nadu State - regarding.

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    फ़ाइल सबमिट की गई Monday 01 March 2021

  17. आदर्श आचार संहिता लागू होना

    सं. 437/6/1/ईसीआई/अनुदेश/प्रकार्या./एमसीसी/2021         
    दिनांक: 26 फरवरी, 2021
     
    सेवा में 
    मंत्रिमंडल सचिव,भारत सरकार,राष्ट्रपति भवन,नई दिल्ली।  मुख्य सचिव, असम सरकार, दिसपुर; केरल सरकार, तिरुवनन्तपुरम; तमिलनाडु सरकार, चेन्नई; पश्चिम बंगाल सरकार, कोलकाता; पुडुचेरी सरकार, पुडुचेरी मुख्य निर्वाचन अधिकारी, असम, दिसपुर; केरल, तिरुवनन्तपुरम; तमिलनाडु, चेन्नई; पश्चिम बंगाल, कोलकाता; पुडुचेरी, पुडुचेरी विषय : आदर्श आचार संहिता लागू होना-असम, केरल, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और पुडुचेरी  की विधान सभाओं के लिए साधारण निर्वाचन और मलप्पुरम, केरल राज्य तथा कन्याकुमारी, तमिलनाडु राज्य के संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों के लिए उप निर्वाचन-तत्संबंधी।
    महोदय/महोदया, 
    मुझे यह कहने का निदेश हुआ है कि आयोग ने असम, केरल, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और पुडुचेरी की विधान सभाओं के लिए तथा मलप्पुरम, केरल राज्य और कन्याकुमारी, तमिलनाडु राज्य के लिए उप-निर्वाचनों को आयोजित करने के लिए कार्यक्रम की घोषणा की है (प्रेस नोट सं. ईसीआई/प्रे. नो./16/2021 और सं. ईसीआई/प्रे. नो./17/2021, दोनों दिनांक 26 फरवरी, 2021 जो आयोग की वेबसाइट https://eci.gov.in/ पर उपलब्ध है)। 
    2.     इस घोषणा के साथ ही राजनैतिक दलों और अभ्‍यर्थियों के मार्गदर्शन के लिए आदर्श आचार संहिता के उपबंध तत्काल प्रभाव से लागू हो गए हैं और तब तक लागू रहेंगे जब तक कि उपर्युक्त राज्यों में साधारण निर्वाचन सम्पन्न न हो जाएं। इसे केन्द्र और राज्य सरकार, और केन्‍द्र सरकार/राज्‍य सरकार के सभी मंत्रालयों/विभागों/कार्यालयों के ध्‍यान में लाया जाए। आपके द्वारा इस आशय के निमित्त जारी किए गए अनुदेशों की एक प्रति सूचना एवं रिकार्ड हेतु भारत निर्वाचन आयोग को भेजी जाए। 
    3.     आपका ध्‍यान ‘सत्‍तासीन दल’ से संबंधित आदर्श आचार संहिता के विशेष उपबंधों की ओर आकृष्‍ट किया जाता है जिसमें, अन्‍य बातों के साथ-साथ, यह कहा गया है कि सत्तासीन दल, चाहे केन्‍द्र में या संबंधित राज्‍य में, यह सुनिश्चित करेंगे कि किसी ऐसी शिकायत के लिए कोई कारण न दिया जाए कि उसने अपने निर्वाचन अभियान के प्रयोजनों के लिए और विशेष रूप से निम्नलिखित के लिए अपनी आधिकारिक हैसियत का प्रयोग किया है
     (i)    (क) मंत्री अपने अधिकारिक दौरे को निर्वाचन प्रचार अभियान संबंधी कार्य से नहीं मिलाएंगे और निर्वाचन प्रचार अभियान संबंधी कार्य के दौरान अधिकारिक तंत्र या कार्मिक का उपयोग भी नहीं करेंगे;
           (ख) सरकारी हवाई-जहाज, वाहनों सहित सरकारी परिवहन, तंत्र एवं कार्मिक का उपयोग सत्तासीन दल के हित को आगे बढ़ाने के लिए नहीं किया जाएगा;
    (ii)    निर्वाचन सभाओं को आयोजित करने के लिए सार्वजनिक स्‍थानों जैसे मैदानों आदि के उपयोग और निर्वाचनों के संबंध में एयर-फ्लाइट के लिए हैलीपैड के प्रयोग पर इसके द्वारा एकाधिकार नहीं जमाया जाएगा। अन्‍य दलों और अभ्‍यर्थियों को उन्‍हीं शर्तों एवं निबंधनों पर ऐसे स्‍थानों एवं सुविधाओं का उपयोग करने की अनुमति दी जाएगी जिन पर सत्तासीन दल द्वारा उनका उपयोग किया जाता है;
    (iii)    जहां के लिए निर्वाचनों की घोषणा हुई है या जहां निर्वाचन हो रहे हैं, वहां के विश्राम गृह, डाक बंगला या अन्‍य सरकारी आवास उन राजनैतिक पदाधिकारियों को, समयपूर्ण आधार पर दिए जा सकते हैं जिन्हें विभिन्न राज्य सरकारों या केन्द्र सरकार द्वारा अपने कानूनों के उपबंधों के तहत राज्य द्वारा जेड स्केल या उससे ऊपर या समकक्ष स्तर की सुरक्षा प्रदान की गई है। यह इस शर्त के अध्यधीन होगा कि ऐसा आवास पहले से ही निर्वाचन सम्बन्धी अधिकारियों या प्रेक्षकों को आबंटित न हो या उनके द्वारा धारित न हो। सरकारी आवास गृह/विश्राम गृह या अन्य सरकारी आवास इत्यादि में ठहरने के समय ऐसे राजनैतिक पदाधिकारी कोई राजनैतिक गतिविधि नहीं करेंगे।
    (iv)   समाचार पत्रों और अन्‍य मीडिया में सरकारी राजकोष की लागत से विज्ञापन जारी करने और सत्तासीन दल की प्रत्‍याशाओं को आगे बढ़ाने की दृष्टि से उपलब्धियों के बारे में राजनैतिक समाचारों के पक्षपाती कवरेज और प्रचार के लिए निर्वाचन अवधि के दौरान आधिकारिक जन संचार माध्यमों के दुरुपयोग से अति सतर्कतापूर्वक बचा जाना चाहिए;
    (v)    मंत्री और अन्य प्राधिकारी, आयोग द्वारा निर्वाचनों की घोषणा किए जाने के समय से विवेकाधीन निधियों में से अनुदानों/भुगतानों को स्‍वीकृति प्रदान नहीं करेंगे; और
    (vi)    आयोग द्वारा निर्वाचनों की घोषणा के समय से, मंत्री और अन्‍य प्राधिकारी –
    (क) किसी रूप में कोई वित्तीय अनुदानों की घोषणा नहीं करेंगे या उनके लिए वचन नहीं देंगे; या
    (ख) किसी प्रकार की परियोजनाओं या योजनाओं की आधारशिला आदि नहीं रखेंगे (सिविल सेवकों के सिवाय); या
    (ग) सड़कों के निर्माण, पेयजल सुविधाओं की व्‍यवस्‍था आदि के बारे में कोई वचन नहीं देंगे; या
    (घ) सरकार, सार्वजनिक उपक्रमों आदि में ऐसी कोई तदर्थ नियुक्तियां नहीं करेंगे, जिनका सत्तासीन दल के पक्ष में मतदाताओं को प्रभावित करने का प्रभाव हो। 
    4.     जैसा कि उपर्युक्‍त पैरा 3{खंड IV} से देखा जा सकता है, सरकारी राजकोष की लागत पर सरकार की उपलब्धियों को उजागर करते हुए इलेक्‍ट्रॉनिक एवं प्रिंट मीडिया में कोई विज्ञापन जारी नहीं किया जाएगा। यदि कोई विज्ञापन पहले ही प्रसारण हेतु जारी किया जा चुका है या प्रिंट मीडिया में प्रकाशित हो चुका है, तो यह अवश्य सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि इलेक्‍ट्रॉनिक मीडिया में ऐसे विज्ञापनों के प्रसारण को तत्काल रोक दिया जाए और यह कि आज से ही ऐसा कोई विज्ञापन किसी समाचारपत्र, पत्रिका आदि अर्थात प्रिंट मीडिया में प्रकाशित न किया जाए और उन्हें तत्काल वापस ले लिया जाए। 
    5.      आयोग के दिनांक 5 मार्च, 2009 के पत्र सं. 437/6/2009-सीसीबीई में अंतर्विष्ट अनुदेश आपकी सूचना एवं आवश्यक कार्रवाई हेतु आयोग की वेबसाइट “https://eci.gov.in/” पर ‘महत्वपूर्ण अनुदेश’ नामक शीर्षक के अन्तर्गत उपलब्‍ध हैं। इस लिंक पर आपके मार्गदर्शन के लिए आयोग के अन्‍य सभी अनुदेश भी उपलब्‍ध हैं। 
    6.     आयोग यह भी निदेश देता है कि निर्वाचन के संचालन से संबंधित सभी अधिकारियों/कर्मचारियों के स्‍थानान्‍तरण पर पूरी रोक रहेगी। इनमें निम्‍नलिखित सम्मिलित हैं किंतु ये वहीं तक सीमित नहीं हैं:-
    (i)       मुख्‍य निर्वाचन अधिकारी और अपर/संयुक्‍त/उप मुख्‍य निर्वाचन अधिकारी;
    (ii)       प्रभागीय आयुक्‍त;
    (iii)      जिला निर्वाचन अधिकारी, रिटर्निंग अधिकारी, सहायक रिटर्निंग अधिकारी एवं निर्वाचनों के संचालन से जुड़े अन्य राजस्‍व अधिकारी;
    (iv)      निर्वाचनों के प्रबंधन से जुड़े पुलिस विभाग के अधिकारी यथा, रेंज महानिरीक्षक एवं उप महानिरीक्षक, वरिष्‍ठ पुलिस अधीक्षक एवं पुलिस अधीक्षक, सब डिवीजनल पुलिस अधिकारी यथा, पुलिस उपाधीक्षक एवं अन्‍य पुलिस अधिकारी, जिन्हें लोक प्रतिनिधित्‍व अधिनियम, 1951 की धारा 28क के अधीन आयोग में प्रतिनियुक्‍त किया गया है;
    (v)       निर्वाचन की घोषणा की तारीख से पूर्व उपर्युक्‍त श्रेणियों के अधिकारियों की बाबत निर्गत किंतु आज की तारीख तक कार्यान्वित नहीं किए गए स्‍थानान्‍तरण आदेशों को इस संबंध में आयोग से विशिष्‍ट अनुमति लिए बिना लागू नहीं किया जाना चाहिए;
    (vi)      यह रोक निर्वाचन के पूरा होने तक प्रभावी रहेगी। आयोग यह भी निदेश देता है कि राज्‍य सरकारों को ऐसे वरिष्‍ठ अधिकारियों का स्‍थानान्‍तरण करने से बचना चाहिए जिनकी राज्‍य में निर्वाचन के प्रबंधन में भूमिका है।
    (vii)      ऐसे मामलों में, जिनमें प्रशासनिक अत्‍यावश्‍यकताओं के कारण किसी अधिकारी का स्‍थानान्‍तरण आवश्‍यक है, संबंधित राज्‍य सरकार को पूर्व अनुमोदन के लिए पूर्ण औचित्‍य के साथ आयोग से संपर्क कर सकती है। 
    7.    कृपया इस पत्र की पावती भेजी जाए। 

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    फ़ाइल सबमिट की गई Monday 01 March 2021

  18. राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में कार्यरत निर्वाचन अधिकारियों की सुरक्षा के संबंध में आयोग के निदेश–तत्संबंधी। 

    सं. 154/2020
    दिनांकः 15.01.2021
     
    सेवा में,
    मंत्रिमंडल सचिव, भारत सरकार सभी राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों के मुख्य सचिव कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग, भारत सरकार के सचिव सभी राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों के मुख्य निर्वाचन अधिकारी।  
    विषयः राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में कार्यरत निर्वाचन अधिकारियों की सुरक्षा के संबंध में आयोग के निदेश–तत्संबंधी। 
    महोदय/महोदया, 
          देश में संसद और प्रत्येक राज्य की विधान सभा के सभी निर्वाचनों तथा राष्ट्रपति और उप-राष्ट्रपति के पदों के लिए निर्वाचनों के संचालन की तथा निर्वाचक नामावलियों को तैयार करने के अधीक्षण, निदेश और नियंत्रण की शक्ति संविधान के अनुच्छेद 324 के अंतर्गत निर्वाचन आयोग में निहित है। 
    2.    आयोग लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 13क के अंतर्गत राज्य/संघ राज्य क्षेत्र के परामर्श से, राज्य/संघ राज्य क्षेत्र के लिए मुख्य निर्वाचन अधिकारी नामित करता है। मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) आयोग के निर्वाचन संबंधी विविध कार्यों को करने के लिए राज्य/संघ राज्य क्षेत्र में आयोग के अनिवार्य रूप से एक विस्तार की भांति है। मुख्य निर्वाचन अधिकारी नियुक्त हो जाने पर, वह निर्वाचन आयोग के सीधे नियंत्रण, अधीक्षण और अनुशासन के अंतर्गत आ जाता है और लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 13ग ग के अधीन तथा लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 13क के अंतर्गत निर्वाचन आयोग में प्रतिनियुक्ति पर रहता है। 
    3.    आयोग उपरोक्त उद्देश्यों के लिए मुख्य निर्वाचन अधिकारी के कार्यालय में अपर/संयुक्त/उप/सहायक मुख्य निर्वाचन अधिकारी और अन्य पदाधिकारियों सहित सहायक पदाधिकारियों को भी नियुक्त करता है जो उपरोक्त प्रावधानों के तहत आयोग में प्रतिनियुक्ति पर होते हैं। 
    4.    आयोग ने निर्वाचनोत्तर अवधि में मुख्य निर्वाचन अधिकारियों, अतिरिक्त/संयुक्त/उप/सहायक मुख्य निर्वाचन अधिकारी के उत्पीड़न की कुछ घटनाओं को नोट किया है। कई बार राज्य सरकार में उनके पूर्ववर्ती कार्यकाल के लिए उनका कार्यकाल पूरा होने के बाद सारहीन आधारों पर अनुशासनात्मक मामलों के आरोप लगाकर उन्हें राजनैतिक प्रतिशोध के लिए निशाना बनाया जाता है। यह जताने के लिए डर का माहौल बनाया जाता है कि ईमानदार, दृढ़ और सत्यनिष्ठ अधिकारियों से किसी भी समय आधारहीन आरोप लगाकर बदला लिया जा सकता है। 
    5.    ऐसे परिदृश्य में ये अधिकारी न केवल हतोत्साहित हो जाते हैं, बल्कि उनका मनोबल भी बहुत गिर जाता है, जिससे स्वतंत्र और निष्पक्ष निर्वाचन सुनिश्चित करने के उनके प्रयास बुरी तरह प्रभावित होते हैं। यदि इस स्थिति पर ध्यान नहीं दिया जाएगा तो एक ऐसी स्थिति बन जाएगी, जहां अधिकारीगण मुख्य निर्वाचन अधिकारियों के रूप में कार्यभार ग्रहण करने के लिए अनिच्छुक होंगे और जिन लोगों को नियुक्त किया जाएगा, वे निर्वाचन के बाद के चरण में निष्पक्ष व्यवहार की अनिश्चितता का सामना करेंगे। 
    6.    निर्वाचन ड्यूटी पर किसी भी अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई करने के मामले की भारत का माननीय उच्चतम न्यायालय लंबे अरसे से संवीक्षा कर रहा था। माननीय न्यायालय ने दिनांक 21.09.2000 के अपने आदेश द्वारा वर्ष 1993 की रिट याचिका (सि) सं. 606 (भारत निर्वाचन आयोग बनाम भारत संघ और अन्य) में यह अभिनिर्धारित किया कि निर्वाचन ड्यूटी पर अधिकारियों के खिलाफ राज्य सरकार द्वारा न तो कोई कार्रवाई शुरू की जा सकती है और न ही सरकार चूककर्ता अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू करने के लिए इसकी सलाह पर कार्रवाई से इंकार कर सकती है। शीर्ष न्यायालय के निर्णय के परिणामस्वरूप, कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग ने भी अपने दिनांक 07 नवंबर, 2000 के का. ज्ञा. सं. 11012/7/98-स्था.(क) के तहत निर्वाचन ड्यूटी हेतु प्रतिनियुक्त पदाधिकारियों पर निर्वाचन आयोग का अनुशासनात्मक नियंत्रण स्थापित करने के लिए तदनुसार अनुदेश जारी किए हैं। इसे  डीओपीटी के दिनांक 20 मार्च, 2008 के का.ज्ञा.सं. 11012(4)/2008-स्था.(क) और दिनांक 28 जुलाई, 2008 के का.ज्ञा. सं. 11012(4)/2008-स्था.(क) के तहत दोहराया और स्पष्ट किया गया है। 
    7.    उपर्युक्त को ध्यान में रखते हुए, निर्वाचन आयोग का यह सुविचारित मत है कि प्रेरित उत्पीड़न से निर्वाचन अधिकारियों को सकारात्मक संरक्षण आवश्यक है, ताकि निर्वाचन अधिकारियों को स्वतंत्र, निष्पक्ष, तटस्थ और निर्भीक तरीके से निर्वाचकीय कार्यों को निष्पादित करने में सक्षम बनाया जा सके। तदनुसार, आयोग ने निम्नानुसार निदेशित किया हैः- 
    (i) राज्य/संघ राज्य क्षेत्र की सरकारें मुख्य निर्वाचन अधिकारियों और संयुक्त मुख्य निर्वाचन अधिकारी तक के अन्य अधिकारियों के खिलाफ उनके कार्यकाल के दौरान और कार्यकाल की समाप्ति से एक वर्ष की अवधि तक किसी भी अनुशासनात्मक कार्रवाई को शुरू करने से पहले निरपवाद रूप से आयोग का पूर्व-अनुमोदन लेंगी। 
    (ii) राज्य/संघ राज्य क्षेत्र की सरकारें अपने कर्तव्यों के उचित निर्वहन के लिए सीईओ के कार्यालय को प्रदान की जाने वाली अन्य सुविधाएं जैसे वाहन; सुरक्षा और अन्य सुविधाएं/सहूलियतें कम नहीं करेंगी। 
    8.    आयोग को पूरी उम्मीद है कि सभी संबंधित इस नियम का कड़ाईपूर्वक पालन करेंगे।

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    फ़ाइल सबमिट की गई Tuesday 02 February 2021

  19. असम, केरल, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और पुड्डुचेरी राज्‍य विधान सभाओं का साधारण निर्वाचन-निर्वाचनों के संचालन से संबंधित अधिकारियों का स्‍थानांतरण/तैनाती के लिए एडवाइजरी–तत्‍संबंधी। 

    सं.437/6/1/अनुदेश/ईसीआई/प्रका./एमसीसी/2020                     दिनांक: 18 दिसम्बर, 2020
    सेवा में,
    1.   मुख्‍य सचिवः-
    असम सरकार, दिसपुर; केरल सरकार, तिरुवनन्तपुरम; तमिलनाडु सरकार, चेन्नई; पश्चिम बंगाल सरकार, कोलकाता; और पुड्डुचेरी सरकार, पुड्डुचेरी। 2.   मुख्य निर्वाचन अधिकारीः-
    असम सरकार, दिसपुर; केरल सरकार, तिरुवनन्तपुरम; तमिलनाडु सरकार, चेन्नई; पश्चिम बंगाल सरकार, कोलकाता; और पुड्डुचेरी सरकार, पुड्डुचेरी।  विषय: असम, केरल, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और पुड्डुचेरी राज्‍य विधान सभाओं का साधारण निर्वाचन-निर्वाचनों के संचालन से संबंधित अधिकारियों का स्‍थानांतरण/तैनाती के लिए एडवाइजरी–तत्‍संबंधी।   
    महोदय/महोदया,
    असम, केरल, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और पुड्डुचेरी की मौजूदा विधान सभाओं का कार्यकाल निम्नानुसार समाप्त होने जा रहा हैः-
    क्र. सं.
    राज्य/संघ राज्य क्षेत्र का नाम
    अवधि
    1.
    तमिलनाडु
    24.05.2021
    2.
    केरल
    01.06.2021
    3.
    पश्चिम बंगाल
    30.05.2021
    4.
    पुड्डुचेरी
    08.06.2021
    5.
    असम
    31.05.2021
     2.    स्वतंत्र और निष्पक्ष निर्वाचन सुनिश्चित करने के लिए, आयोग इस आशय की एक सुसंगत नीति का अनुसरण करता रहा है कि निर्वाचनरत राज्य/संघ राज्य क्षेत्रों के निर्वाचन से सीधे जुड़े अधिकारियों को उनके गृह जिलों या उन स्थानों पर तैनात नहीं किया जाए, जहाँ उन्होंने अत्यधिक लंबे समय तक सेवा की है। इसे ध्यान में रखते हुए, लोकसभा, 2019 और आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, ओडिशा और सिक्किम की राज्य विधान सभाओं के साधारण निर्वाचन के संबंध में दिनांक 16 जनवरी, 2019 के सम संख्यक पत्र के तहत स्‍थानांतरण/तैनाती संबंधी विस्तृत निदेश जारी किए गए थे (प्रतिलिपि संलग्न)।
    3.    तद्नुसार, एतद्दवारा यह सुझाव दिया जाता है कि निर्वाचनों के संचालन से सीधे जुड़े सभी सरकारी अधिकारियों के संबंध में निम्नलिखित सुनिश्चित किया जाएः-
    कि उसकी तैनाती उसके गृह जिले में न की जाए। कि उसने पिछले चार (4) वर्षों के दौरान उस जिले में 3 वर्ष पूरे नहीं किए हों या 31 मई, 2021 को या उससे पहले वह तीन वर्ष पूरे कर लेगा/लेगी। कि ऐसे अधिकारियों/प्राधिकारियों को निर्वाचन संबंधी कोई भी ड्यूटी नहीं सौंपी जाए, जिनके विरूद्ध आयोग ने विगत में अनुशासनात्‍मक कार्रवाई की सिफारिश की थी और जो लंबित हों या जिसकी परिणति में दंड दिया गया हो अथवा जिन्‍हें विगत में निर्वाचन या निर्वाचन संबंधी किसी कार्य में कोई चूक के लिए आरोपित किया गया हो। इसके अतिरिक्त, आगामी छह महीनों के भीतर सेवानिवृत्त होने वाले किसी भी अधिकारी को निर्वाचन संबंधी किसी भी कार्य में नहीं लगाया जाएगा।  कि लोक सभा निर्वाचन, 2019 के दौरान आयोग की सिफारिश पर तैनात किए गए अधिकारियों को उपर्युक्त स्थानांतरण नीति से शिथिलता दी जा सकती है।  4.    आयोग की उपर्युक्त एडवाइजरी को कड़े तथा समयपूर्वक अनुपालन के लिए सभी संबंधितों के ध्यान में लाया जाए।
    5.    कृपया इस पत्र की पावती दें।
    भवदीय, 
    (नरेन्द्र एन. बुटोलिया)
    प्रधान सचिव
     
    भारत निर्वाचन आयोग
    निर्वाचन सदन, अशोक रोड, नई दिल्‍ली-110001
    सं.437/6/1/अनुदेश/ईसीआई/प्रका./एमसीसी/2019
    दिनांक: 16 जनवरी, 2019
    सेवा में,
    1.   सभी राज्यों एवं संघ शासित क्षेत्रों केमुख्‍य सचिव।
    2.   सभी राज्यों एवं संघ शासित क्षेत्रों के मुख्‍य निर्वाचन अधिकारी। 
    विषय:      लोकसभा और आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, ओडिशा और सिक्किम की राज्य विधान सभाओं के साधारण निर्वाचन, 2019-अधिकारियों का स्‍थानांतरण/तैनाती– तत्‍संबंधी।
    महोदय/महोदया,
    मुझे यह कहने का निदेश हुआ है कि मौजूदा लोक सभा एवं आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, ओडिशा और सिक्किम की विधान सभाओं का कार्यकाल क्रमश: 03 जून, 2019, 18 जून, 2019, 01 जून, 2019, 11 जून, 2019 तथा 27 मई, 2019 तक है।  
    2.    आयोग एक ऐसी सुसंगत नीति का अनुसरण कर रहा है जिसमें निर्वाचन वाले राज्‍यों/संघ राज्‍य क्षेत्रों में निर्वाचनों के संचालन से प्रत्‍यक्ष रूप से जुड़े अधिकारियों को उनके गृह जिलों या ऐसे स्‍थानों जहां उन्‍होंने काफी लंबी अवधि तक कार्य किया है,  में तैनात नहीं किया जाता है।
    3.    अत: आयोग ने निर्णय लिया है कि निर्वाचनों से प्रत्‍यक्ष रूप से जुड़े किसी भी अधिकारी को तैनाती के वर्तमान जिले में उस परिस्थिति में बने रहने की अनुमति नहीं दी जाएगी जब:-
                                    v.                   यदि वह अपने गृह जिले में तैनात है।
                                  vi.                   यदि पिछले चार (4) वर्षों के दौरान उस जिले में उसने तीन वर्ष पूर्ण कर लिए हैं या 31 मई, 2019 को या उससे पहले तीन वर्ष पूर्ण कर लेंगे।
     
    4.    उपर्युक्‍त अनुदेशों को कार्यान्वित करते हुए/अधिकारियों को स्‍थानां‍तरित करते हुए, राज्‍य सरकार के संबंधित विभागों को ध्‍यान रखना चाहिए कि उन्‍हें उनके गृह जिले में तैनात न किया जाए। यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि किसी भी डीईओ/आरओ/एआरओ/पुलिस इंस्‍पेक्‍टर/सब-इंस्‍पेक्‍टर या उनसे उच्‍चतर अधिकारियों को ऐसे विधान सभा निर्वाचन-क्षेत्र/जिले में वापस तैनात न किया जाए या न बने रहने दिया जाए जहां वे 31 मई, 2017 से पूर्व के विधान सभा निर्वाचन में आयोजित साधारण/उप-निर्वाचन के दौरान तैनात थे।
    5.    यदि कुछेक जिलों वाले छोटे राज्‍य/संघ राज्‍य क्षेत्र को इसके अनुपालन में किसी कठिनाई का सामना करना पड़ता है तो वे इससे छूट दिए जाने हेतु विशिष्‍ट मामले, उनके कारण सहित, सीईओ के माध्‍यम से छूट प्राप्त करने हेतु आयोग को भेज सकते हैं और आयोग ऐसे मामले पर, यदि  आवश्‍यक समझे, निदेश जारी करेगा। 
    6.    अनुप्रयोज्‍यता-
    6.1   ये अनुदेश केवल विनिर्दिष्‍ट निर्वाचन कर्तव्‍यों के लिए नियुक्‍त अधिकारियों यथा डीईओ, डिप्‍टी डीईओ, आरओ/एआरओ, ईआरओ/एईआरओ, किसी विशेष निर्वाचन के नोडल अधिकारी के रूप में नियुक्‍त अधिकारियों को ही कवर नहीं करते अपितु जिले के अधिकारियों यथा एडीएम, एसडीएम डिप्‍टी क्‍लेक्‍टर/ज्‍वाइंट क्‍लेक्‍टर, तहसीलदार, खंड विकास अधिकारी या निर्वाचन कार्यों के लिए सीधे तैनात समतुल्‍य रैंक के किन्‍हीं अन्‍य अधिकारियों को भी कवर करते हैं।
    6.2   ये अनुदेश उन पुलिस विभाग के अधिकारियों जैसे रेंज आई जी, डी आई जी, राज्‍य सशस्‍त्र पुलिस के कमांडेंट्स, एसएसपी, एसपी, अपर एस पी, उप-प्रभागीय पुलिस प्रमुख, एस एच ओ, इंस्‍पेक्‍टर, सब-इंस्‍पेक्‍टर, आर आई/सार्जेंट मेजर अथवा ऐसे समतुल्‍य रैंक के अधिकारियों पर भी लागू होंगे जो निर्वाचन समय में जिले में सुरक्षा प्रबंधन अथवा पुलिस बल की तैनाती के लिए जिम्‍मेदार हैं।
    7.    आयोग द्वारा समय-समय पर जारी किए गए निम्‍नलिखित स्‍पष्‍टीकरण/शिथिलताएं सभी संबंधितों की सूचना/दिशा-निर्देश के लिए हैं:-
    (i)      कार्यात्‍मक विभागों यथा कंप्‍यूटरीकरण, विशेष शाखा, प्रशिक्षण इत्‍यादि में तैनात पुलिस अधिकारी इन अनुदेशों के अंतर्गत कवर नहीं होते हैं।
    (ii)     पुलिस सब-इंस्‍पेक्‍टर और उनसे उच्‍च पदीय अधिकारियों को उनके गृह जिलों में तैनात नहीं किया जाना चाहिए।
    (iii)    यदि पुलिस सब-इंस्‍पेक्‍टर ने पुलिस सब-डिवीजन में अंतिम तारीख के दिन या उससे पहले चार वर्षों में से 3 वर्षों का कार्यकाल पूरा कर लिया है या पूरा करेगा तो उसका ऐसे पुलिस सब-डिवीज़न में स्‍थानांतरण कर देना चाहिए जो उस विधान सभा निर्वाचन-क्षेत्र में न पड़ती हो। यदि जिले के छोटे आकार के कारण यह संभव न हो तो उसे जिले से बाहर स्‍थानांतरित कर देना चाहिए।
    (iv)    किसी भी निर्वाचन में विभिन्‍न प्रकार की निर्वाचन ड्यूटियों के लिए बड़ी संख्‍या में कर्मचारियों को तैनात किया जाता है और आयोग की ऐसी कोई मंशा नहीं होती है कि बड़ी संख्‍या में स्‍थानांतरण करके राज्‍य मशीनरी को अत्‍यंत पंगु कर दे। अत: उपर्युक्‍त स्‍थानांतरण नीति सामान्‍यत: उन अधिकारियों/पदाधिकारियों पर लागू नहीं होती जो निर्वाचनों से प्रत्‍यक्ष रूप से नहीं जुड़े हैं जैसे डाक्‍टर, इंजीनियर, शिक्षक/प्रधानाचार्य इत्‍यादि। तथापि, यदि ऐसे किसी भी सरकारी अधिकारी के विरूद्ध राजनीतिक पक्षपात या पूर्वाग्रह की विशिष्‍ट शिकायतें मिलती हैं और जो जांच करने पर सत्‍य पाई जाती हैं तो सीईओ/ईसीआई न केवल ऐसे अधिकारियों के स्‍थानांतरण के आदेश देगा अपितु उसके विरूद्ध समुचित विभागीय कार्रवाई भी करेगा।
    (v)     निर्वाचन ड्यूटी में शामिल सेक्‍टर अधिकारी/ज़ोनल मजिस्‍ट्रेट के रूप में नियुक्‍त अधिकारी इन अनुदेशों के अधीन कवर नहीं होते हैं। तथापि, प्रेक्षकों, सीईओ/डीईओ तथा आरओ को उनके आचरण पर सतर्क निगरानी रखनी चाहिए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे अपने कर्तव्‍यों के निष्‍पादन में गैर-पक्षपातपूर्ण व निष्‍पक्ष रहें।
    (vi)    तीन वर्षों की अवधि की गणना करते समय जिले के अंदर किसी पद पर हुई प्रोन्‍नति की भी गणना की जाएगी।
    (vii)    ये अनुदेश संबंधित विभाग के राज्‍य मुख्‍यालयों में तैनात अधिकारियों पर लागू नहीं होते।
    (viii)   इसके अतिरिक्‍त यह निदेश दिया जाता है कि ऐसे अधिकारियों/कर्मचारियों जिनके विरूद्ध आयोग ने विगत में अनुशासनात्‍मक कार्रवाई की सिफारिश की थी और जो लंबित है या जिसकी परिणति में दंड दिया गया था अथवा जिन्‍हें विगत में निर्वाचन या निर्वाचन संबंधी किसी कार्य में कोई चूक के लिए आरोपित किया गया है, उन्‍हें निर्वाचन संबंधी कोई भी ड्यूटी नहीं सौंपी जाएगी। तथापि, ऐसा अधिकारी, जो आयोग के आदेशों के अधीन किसी विगत निर्वाचन के दौरान अनुशासनात्‍मक कार्रवाई की किसी सिफारिश के बिना स्‍थानां‍तरित किया गया था, को केवल इसी आधार पर तब तक स्‍थानांतरित करने पर विचार नहीं किया जाएगा बशर्ते ऐसे किसी अधिकारी के बारे में आयोग द्वारा विशेष रूप से निदेश न दिए जाएं। दागी अधिकारियों के नामों का पता-ठिकाना रखने के संबंध में आयोग के दिनांक    23 दिसम्‍बर, 2008 के अनुदेश सं. 464/अनुदेश/2008-ईपीएस की एक प्रति संलग्‍न है। मुख्‍य निर्वाचन अधिकारियों को इसका अनुपालन अवश्य सुनिश्चित करना चाहिए।
    (ix)    इसके अतिरिक्‍त आयोग ने यह इच्‍छा भी व्‍यक्‍त की है कि ऐसे किसी अधिकारी/कर्मचारी को, जिनके विरूद्ध किसी न्‍यायालय में आपराधिक मामला लंबित है, निर्वाचन कार्य या निर्वाचन संबंधी ड्यूटी से नहीं जोड़ा जाना चाहिए।
    (x)     इसके अतिरिक्‍त, आयोग की उपर्युक्‍त नीति के अनुसार स्‍थानांतरित हो चुके वर्तमान पदधारियों के स्‍थान पर अलग-अलग व्यक्तियों की तैनाती करते समय राज्‍य/संघ राज्‍य क्षेत्र के मुख्‍य निर्वाचन अधिकारी से निरपवाद रूप से परामर्श किया जाएगा। इन निदेशों के अधीन जारी स्‍थानांतरण आदेशों की प्रतियां मुख्‍य निर्वाचन अधिकारी को अवश्‍य ही दे दी जाएं।
    (xi)    ऐसे अधिकारियों/कर्मचारियों जो निर्वाचक नामावली पुनरीक्षण कार्य में लगे हुए है, यदि कोई हो तो, के संबंध में स्‍थानांतरण आदेश का कार्यान्‍वयन संबंधित मुख्‍य निर्वाचन अधिकरी के परामर्श से निर्वाचक नामावलियों के अंतिम रूप से प्रकाशन के बाद ही किया जाएगा। किन्‍हीं असाधारण कारणों की वजह से स्‍थानांतरण की कोई आवश्‍यकता के मामले में आयोग का पूर्व-अनुमोदन लिया जाएगा।
    (xii)    कोई भी अधिकारी जो आने वाले छह महीनों के भीतर सेवानिवृत्त होने वाला है, आयोग के पैरा-3 में उल्लिखित निदेशों की परिधि से बाहर रहेगा। इसके अतिरिक्‍त, श्रेणी (गृह नगर/3+मानदंड तथा वह 6 महीनों के अंदर सेवानिवृत्त होने वाले हैं) में आने वाले अधिकारियों यदि पैरा 6.1 एवं 6.2 में उल्लिखित निर्वाचन संबंधित पद पर है तो उसे उस प्रभार से मुक्त किया जाएगा तथा किसी भी प्रकार की निर्वाचन ड्यूटी प्रदान नहीं की जाएगी। हांलाकि, यह भी दोहराया जाता है कि ऐसे सेवानिवृत्त होने वाले अधिकारी को जिले से बाहर स्थानांनतरित करने की आवश्यकता नहीं है।
    (xiii)   यह भी स्‍पष्‍ट किया जाता है कि राज्‍य के ऐसे सभी अधिकारियों (मुख्‍य निर्वाचन अधिकारी के कार्यालय में तैनात अधिकारी इसके अपवाद होंगे), जिनकी सेवा-अवधि बढ़ाई गई है या जिन्‍हें विभिन्‍न हैसियतों से पुन: नियोजित किया गया है, निर्वाचन संबंधी किसी भी कार्य से नहीं जोड़े जाएंगे।
    (xiv)   निर्वाचन संबंधी सभी अधिकारियों से अपेक्षा की जाएगी कि वे संबंधित डीईओ को नीचे दिए गए फार्मेट में घोषणापत्र दें जो तद्नुसार मुख्‍य निर्वाचन अधिकारी को सूचित करेंगे। 
     
    घोषणा-पत्र
    (नाम निर्देशन-पत्रों की अंतिम तारीख के पश्‍चात 2 (दो) दिनों के अन्‍दर प्रस्‍तुत किए जाने हेत
      मैं................(नाम)...................वर्तमान में....................तारीख से .......................के रूप में पदस्‍थापित एतद्द्वारा लोकसभा/.......................विधान सभा के वर्तमान साधारण/उप निर्वाचन के सबंध में सत्‍यनिष्‍ठापूर्वक घोषणा करता/करती हूँ कि
    (क)   मैं वर्तमान निर्वाचन में निर्वाचन लड़ने वाले किसी भी अभ्‍यर्थी/उपर्युक्‍त निर्वाचन में राज्‍य/जिले के प्रमुख राजनीतिक पदाधिकारी का/की करीबी रिश्‍तेदार नहीं हूँ।
    (ख)  मेरे विरूद्ध किसी भी न्‍यायालय में कोई आपराधिक मामला लंबित नहीं है।
    टिप्‍पणी – यदि उपर्युक्‍त (क) और (ख) का जवाब ‘हां’ है तो पूरा विवरण अलग पन्‍ने पर दें।
     
     दिनांक.........................                                               (नाम)
                                                                    पदनाम
     
       
     
    टिप्‍पणी- किसी भी अधिकारी द्वारा की गई मिथ्‍या घोषणा उसे उचित अनुशासनात्मक कार्रवाई का भागी बनाएगी। 
    8.    आयोग के उपर्युक्‍त अनुदेश उनका सख्‍ती से अनुपालन किए जाने के लिए संबंधित विभागों/अधिकारियों या राज्‍य सरकार के संज्ञान में लाए जाएं। जिला निर्वाचन अधिकारी या जिले के संबंधित अधिकारीगण सुनिश्चित करेंगे कि जिन अधिकारियों/कर्मचारियों का स्‍थानान्‍तरण किया जाता है वे अपने एवज़ी की प्रतीक्षा किए बिना अपना चार्ज तुरंत सौंप दें। 
    9.    आयोग ने इसके अतिरिक्त निदेश दिया है कि उपर्युक्‍त अनुदेश के अधीन कवर सभी अधिकारियों के स्‍थानांतरण/तैनाती दिनांक 28 फरवरी, 2019 तक कर दिए जाएं तथा राज्‍य सरकार के संबंधित विभागों/अधिकारियों से प्राप्त कार्रवाई के विवरण सहित अनुपालन रिपोर्ट आयोग मार्च, 2019 के पहले सप्ताह में प्रस्तुत की जाए।
    10.   कृपया इस पत्र की पावती दें।
    भवदीय,
     
    (नरेन्द्र एन. बुटोलिया)
    प्रधान सचिव
    भारत निर्वाचन आयोग
    निर्वाचन सदन, अशोक रोड, नई दिल्‍ली-110001
    464/अनुदेश/2008/ईपीएस                                          दिनांक: 23 दिसम्बर, 2008
     
    सेवा में,
    सभी राज्यों/संघ राज्य-क्षेत्रों के
    मुख्य निर्वाचन अधिकारियों। 
               
    विषयः-    भारत निर्वाचन आयोग के आदेश द्वारा कार्य की अवहेलना आदि के आरोप में स्थानांतरित अधिकारियों के नामों का पता-ठिकाना रखना।
     
    संदर्भः-    सभी राज्यों तथा संघ राज्य-क्षेत्रों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को सम्बोधित पत्र सं. 437/6/2006-पीएलएन.III दिनांक 06 नवम्बर, 2006 तथा ईसीआई संदेश सं. 100/1994-पीएलएन-I दिनांक 28.03.1994।
     
    महोदय/महोदया,
          भारत निर्वाचन आयोग ने ऊपर संदर्भित अनुदेश द्वारा निदेश दिया था कि प्रत्येक निर्वाचन से पहले सभी जिलों में एक विस्तृत समीक्षा की जाएगी तथा ऐसे सभी अधिकारियों को उनके गृह जिले या उस जिलों से बाहर स्थानांतरित किया जाना चाहिए जहां उन्होंने 4 वर्षों के कार्यकाल में से 3 वर्ष का कार्यकाल पूरा कर लिया हो, और यह भी निदेश दिया था कि ऐसे अधिकारीगण/कर्मचारीगण जिनके विरुद्ध आयोग ने अनुशासनात्मक कार्रवाई की संस्तुति की है या जिन्हें निर्वाचन या निर्वाचन संबंधी कार्य में किसी त्रुटि के लिए आरोपित किया गया है या जिन्हें इस मामले में आयोग के आदेशों के अधीन स्थानांतरित किया गया है, उन्हें निर्वाचन संबंधी कोई भी ड्यूटी न सौंपी जाए।
          तथापि, हाल ही में हुए निर्वाचनों के दौरान यह देखा गया कि मुख्य निर्वाचन अधिकारियों तथा जिला निर्वाचन अधिकारियों द्वारा आयोग के उपर्युक्त अनुदेश का अनुपालन करने के लिए किए गए प्रयासों के बावजूद अभी भी ऐसे अधिकारियों के कुछ उदाहरण हैं, जो उपर्युक्त मानदण्ड के अंतर्गत आते हैं तथा जिले से बाहर गैर-निर्वाचन संबंधी कार्य के लिए स्थानांतरित किए जाने के भागी हैं, परन्तु वे वहीं जमे रहने का इंतजाम कर लेते है और आयोग को उसके बारे में विभिन्न राजनैतिक दलों तथा जनसामान्य द्वारा की गई शिकायतों के माध्यम से देर से पता चलता है। ये घटनाएं, जिनकी संख्या, हालांकि, काफी कम होती है, फील्ड स्तर पर गलत संकेत भेजती हैं और उपर्युक्त मानदण्ड पर स्थानांतरित किए जाने के भागी बनने वाले अधिकारियों के बारे में समुचित सूचना के बनाए न रखने को गैर-अनुपालन की कुछ इक्का-दुक्का घटनाओं के कारण के रूप में अभिचिह्नित किया गया है। भविष्य में ऐसी घटनाओं के घटने की संभावना दूर करने के लिए आयोग ने मौजूदा अनुदेश को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए निम्नलिखित निदेश जारी किए हैं:-
            I.            राज्य के मुख्य  निर्वाचन अधिकारी एक रजिस्टर बनाए रखेंगे जिसमें निर्वाचन आयोग के आदेश द्वारा स्थानांतरित भा.प्र.से./भा.पु.से. अधिकारियों, जिला निर्वाचन अधिकारियों, रिटर्निंग अधिकारियों तथा निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारियों तथा ऐसे अधिकारियों के बारे में सूचना बनाए रखी जाएगी जिनके विरूद्ध आयोग ने अनुशासनात्मक कार्रवाई की संस्तुति की है अथवा जिन्हें निर्वाचन या निर्वाचन संबंधी कार्य में कोई गलती करने के लिए आरोपित किया गया है।
          II.            इसी प्रकार, जिला निर्वाचन अधिकारी एक रजिस्टर बनाए रखेंगे जिसमें अन्य कनिष्ठ अधिकारियों तथा अन्य स्टॉफ के बारे में सूचना रखी जाएगी।
        III.            भारत निर्वाचन आयोग द्वारा निर्वाचनों की घोषणा के 7 दिनों के भीतर, राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी यह सुनिश्चित करते हुए कि उपर्युक्त मानदण्ड के अंतर्गत आने वाले सभी अधिकारियों को स्थानांतरित कर दिया गया है, जोनल सेक्रेटरी को एक अनुपालन-पत्र भेजेंगे। इसी प

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  20. मतदाता शिक्षा और जागरूकता पर सर्वोत्तम प्रचार अभियान हेतु राष्ट्रीय मीडिया पुरस्कार -2020  

    सं.491/मीडिया पुरस्कार/2020/संचार
    दिनांक: 23 नवंबर, 2020
    ज्ञापन
          मतदाता शिक्षा और जागरूकता पर सर्वोत्तम प्रचार अभियान हेतु राष्ट्रीय मीडिया पुरस्कार -2020  
          भारत निर्वाचन आयोग के अपने ज्ञापन दिनांक 20 अक्टूबर, 2020 के तहत वर्ष 2020 के दौरान मतदाता शिक्षा और जागरूकता पर सर्वोत्तम प्रचार अभियान हेतु राष्ट्रीय मीडिया पुरस्कार के लिए मीडिया घरानों से प्रविष्टियां आमंत्रित की थी।  
    2.    अब, आयोग ने नामांकन प्राप्त करने की अंतिम तिथि बढाने का निर्णय लिया है और 10 दिसंबर, 2020 को बढ़ाई गई अंतिम तिथि के रूप में नियत किया हैं।  
    3.     प्रविष्टियां 10 दिसंबर, 2020 या उससे पहले निम्मलिखित पते पर अवश्य पहुंच जानी चाहिए।  
     
          श्री प्रमोद कुमार शर्मा, सचिव (मीडिया और संचार)
          भारत निर्वाचन आयोग, निर्वाचन सदन
          अशोक रोड, नई दिल्ली  - 110001
          ई-मेल: media.election.eci.@gmail.com
          दूरभाष : 011-23052057

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  21. कांग्रेस नेता श्री आचार्य प्रमोद कृष्णन को नोटिस

    सं. 100/एमपी-एलए/2020-(बाय.)
    दिनांक: 31 अक्तूबर,  2020
    नोटिस
    यत:, आयोग द्वारा,  मध्यप्रदेश की विधान सभा के लिए उप-निर्वाचनों की घोषणा दिनांक 29 सितंबर, 2020 के प्रेस नोट सं. ईसीआई/पीएन/67/2020 के माध्यम से कर दी गई है और उक्त प्रेस नोट के पैरा 4 के अनुसार, आदर्श आचार संहिता के उपबंध उस तारीख से लागू कर दिए गए हैं; और    
    2.    यत:, आदर्श आचार संहिता के भाग 1 के पैरा (2) में उल्लेख है कि, अन्य बातों के साथ-साथ, ‘सभी दल और सभी अभ्यर्थी दलों के नेताओं अथवा कार्यकर्ताओं की निजी जिंदगी के सभी पहलुओं की आलोचना करने से बचेंगे’ यदि वे सार्वजनिक गतिविधियों से सम्बद्ध न हों,; और  
    3.    यत:, आयोग को मुख्य निर्वाचन अधिकारी,  मध्य प्रदेश से एक रिपोर्ट प्राप्त हुई है, जिसमें यह कहा गया है कि 27 अक्तूबर, 2020 को जौरा, मुरैना में एक रैली को संबोधित करने के दौरान, कांग्रेस नेता श्री आचार्य प्रमोद कृष्णन ने श्री शिवराज सिंह चौहान के लिए अपमानजनक  भाषा का प्रयोग किया है; और       
    4.    यत:, आयोग को कथित संबोधन की प्राधिकृत प्रतिलिपि (अनुबंध-I) प्राप्त हुई, जो निम्नानुसार है:
          " द्वापर में मारीच मामा, द्वापर के अंत में कंस जिसने अपनी बहन के सभी बच्चों को कुर्सी सलामत रखने के लिए मर दिया, तीसरा सकुनि मामा, जिसने छल कपट कर कौरवों का नाश कराया, तीनों प्रपंची मामाओं को मिला दिया जाये तो एक मामा बनता है शिवराज, इन तीनों का घोटाला, इन तीनों के कमीनापन एक जगह निचोड़ दिया जाये तो यह आदमी बनता है" और  
    5.   यत:,  श्री आचार्य प्रमोद कृष्णन द्वारा 27 अक्तूबर, 2020 को रैली को संबोधित करते हुए दिए गए भाषण की प्रतिलिपि की जांच आयोग में की गई है और उक्त वक्तव्य को राजनैतिक दलों और अभ्यर्थियों के मार्गदर्शन के लिए आदर्श आचार संहिता के ‘सामान्य आचरण’ के भाग I के पैरा (2) में उल्लिखित उपबंधों का उल्लंघन पाया गया है।  
    6.   अत:, अब आयोग श्री आचार्य प्रमोद कृष्णन को उक्त वक्तव्य देने के संबंध में अपनी स्थिति स्पष्ट करने के लिए इस नोटिस की प्राप्ति के 48 घंटों के अन्दर उत्तर देने का एक अवसर देता है और ऐसा न करने पर भारत निर्वाचन आयोग उन्हें कोई और सूचना दिए बिना निर्णय लेगा।  
     
    संलग्नक: यथोक्त।                                                
     
    अनुबंध-1
    दिनांक 27.10.2020 को विधान सभा क्षेत्र 04 जौरा में सचिन पायलट की
    आमसभा में श्री प्रमोद कृष्णन द्वारा दिए गए वक्तव्य की स्क्रिप्ट
    “मारीच, द्वापर के प्रारम्भ में हुआ कंस मामा, जिसने अपनी सगी बहन देवकी के तमाम बच्चों का वध इसलिए किया कि उसकी कुर्सी सलामत रहे। तीसरा मामा हुआ महाभारत के दौर में  शकुनि, जिसने छल और प्रपंच से पांडवों को बर्बाद करने का षड़यंत्र रचा था। लेकिन आज जौरा की पवित्र भूमि को नमन करते हुए, पवित्र मंच को प्रणाम करते हुए, चम्बल की माटी को माथे पर लगाते हुए मैं ऐलान के साथ कहना चाहता हूँ अगर इन तीनों प्रपंची मामाओं को मिला दिया जाये तो एक मामा बनता है शिवराज मामा। इन तीनों का घोटाला, इन तीनों का कमीनापन अगर एक जगह निचोड़ दिया जाये तो ये आदमी बनता है”

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    फ़ाइल सबमिट की गई Tuesday 03 November 2020

  22. Order to Ms. Imarti Devi, Candidate from 19-Dabra (SC) Constituency

    Order to Ms. Imarti Devi, Candidate from 19-Dabra (SC) Constituency
     

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    फ़ाइल सबमिट की गई Tuesday 03 November 2020

  23. श्री विसाहुलाल सिंह, बीजेपी अभ्यर्थी को आदेश

    सं.100/मध्य प्रदेश-वि.स./2020-(उप) 
    दिनांक: 31 अक्‍तूबर, 2020
    आदेश
          यत:, आयोग ने मध्‍यप्रदेश विधान सभा के चल रहे उप-निर्वाचनों के दौरान राजनीतिक दलों और अभ्‍यर्थियों के मार्गदर्शन की आदर्श आचार संहिता के ‘साधारण संचालन’ के भाग-I के पैरा (2) और पैरा (5) में विनिर्दिष्‍ट उपबंधों का उल्‍लंघन करने और आयोग के पत्र सं. 437/6/अनुदेश/भा.नि.आ./ प्रका./आ.आ.सं./2019, दिनांक 29 अप्रैल, 2019 द्वारा जारी परामर्शिका की अवमानना करने के लिए श्री विसाहुलाल सिंह, 87-अनूपपुर विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र से बीजेपी अभ्यर्थी को नोटिस सं. 100/मध्य प्रदेश-वि.स./2020(उप) दिनांक 24 अक्‍तूबर, 2020 जारी किया था; और 
    2.    यत:, आयोग को उपर्युक्‍त नोटिस के संबंध में श्री विसाहुलाल सिंह का उत्‍तर 27 अक्‍तूबर, 2020 को मिला है; और  
    3.    यत:, श्री विसाहुलाल सिंह ने अपने उपर्युक्‍त उत्‍तर में, अन्‍य बातों के साथ-साथ, निम्‍नलिखित निवेदन किया है:- 
    (क)  उनका संदर्भित कथन कांग्रेस प्रत्याशी श्री विश्वनाथ सिंह द्वारा विधानसभा निर्वाचन के संबंध में भरे गये निर्वाचन फार्म के बारे में सम्पति तथा अन्य तथ्यों को लेकर ब्योरा दिए जाने के बारे में था।
    (ख)  यह विधि का यह सर्वमान्य सिद्धांत है कि पहली/एक पत्नी के जीवित रहते हुए कोई भी व्यक्ति दूसरा विवाह नहीं कर सकता और यदि करता भी है अथवा किसी और को पत्नी के रूप या किसी भी रूप में अपने साथ रखता है तो वह अवैध है तथा ऐसी दूसरी महिला को कानून की भाषा में रखैल शब्द से संबोधित किया गया है। इस संबंध में दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 125 की उपधारा 3 का स्पष्टीकरण अवलोकनीय है।
    (ग)   यह कि प्रार्थी वरिष्ठ व्यक्ति है। इस तरह वृद्ध होने के कारण बोलने में कभी शब्दों में अस्पष्टता मालूम पड़ती है। श्री जयप्रकाश अग्रवाल के बारे में जो शब्द दुर्दशा होना बताया जा रहा है उसका उपयोग प्रार्थी द्वारा नहीं दिया गया था बल्कि वह वास्तविक शब्द सुधार था। श्री जयप्रकाश अग्रवाल के बारे में कहे गये पूरे शब्दों को यदि पूर्णतया एक साथ पढ़ा जाएगा तो उससे यह स्पष्ट है कि उसे सुधारने और रास्ते में लाने की बात कही गई प्रकट होती है। कोई भी व्यक्ति अपने करीबी और दोस्त शुभचिंतक के बारे में ही ऐसा कह सकता है।
    (घ)   श्री जयप्रकाश अग्रवाल के बारे में प्रार्थी न तो कोई दुर्भावना रखता है और न ही उसके बारे में कोई आपत्तिजनक बात कही गई है।  
    4.    यत:, आयोग ने इस मामले पर सावधानीपूर्वक विचार किया है और आयोग का यह सुविचारित मत है कि श्री विसाहुलाल सिंह ने राजनैतिक दलों और अभ्‍यर्थियों के मार्गदर्शन की आदर्श आचार संहिता के ‘साधारण संचालन’ के भाग-I के पैरा (2) और पैरा (5) और आयोग के पत्र सं. 437/6/अनुदेश/भा.नि.आ./प्रका./आ.आ.सं./2019, दिनांक 29 अप्रैल, 2019 के तहत जारी परामर्शिका का उल्‍लंघन किया है।  
    5.    अत:, अब, आयोग श्री विसाहुलाल सिंह, 87- अनूपपुर विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र से बीजेपी अभ्यर्थी के विवादित बयान की एतद्द्वारा निंदा करता है और उन्हें पुनः परामर्श देता है कि वे आदर्श आचार संहिता की अवधि के दौरान सार्वजनिक बयान देते समय ऐसे शब्द अथवा कथन से बाज आएं।  
     
    आदेश से 
    हस्ता/-
    (मधुसूदन गुप्ता)
     सचिव
     
    सेवा में
    श्री विसाहुलाल सिंह,
    87-अनूपपुर विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र से बीजेपी अभ्यर्थी,
    मध्‍य प्रदेश     

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    फ़ाइल सबमिट की गई Tuesday 03 November 2020

  24. Notice to Ms. Usha Thakur, BJP Minister

    Notice to Ms. Usha Thakur, BJP Minister
     

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    फ़ाइल सबमिट की गई Tuesday 03 November 2020

  25. श्री मोहन यादव, मंत्री भारतीय जनता पार्टी को आदेश

    सं. 100/एमपी-एलए/2020-(उप)
    दिनांक: 30 अक्तूबर,  2020
    आदेश
    यत:, आयोग ने राजनैतिक दलों और अभ्यर्थियों के मार्गदर्शन के लिए आदर्श आचार संहिता के ‘सामान्य आचरण’ के भाग I के पैरा (2) के उपबंधों का उल्लंघन करने के लिए श्री मोहन यादव, मंत्री, उच्च शिक्षा विभाग, मध्य प्रदेश सरकार को 24 अक्तूबर, 2020  को एक नोटिस संख्या 100/एमपी-एलए/2020-(उप) जारी किया था; और    
    2.     यत:, आयोग को उक्त नोटिस के संबंध में आपका उत्तर दिनांक 25 अक्तूबर, 2020 को मिल   गया है;  और   
    3.     यत: आपने उसके उपर्युक्त उत्तर में, अन्य बातों के साथ-साथ निम्नलिखित कहा है;  
    आयोग द्वारा प्रेषित नोटिस असत्य एवं भ्रामक जानकारी के आधारों पर प्रेषित है तथा प्रथम दृष्ट्या निरस्त किए जाने योग्य है। उचित ट्रांसक्रिप्ट की मूल वीडियो क्लिप उपलब्ध नहीं कराई गई है। तथापि, मैंने आदर्श आचार संहिता के किसी भी प्रावधानों का अथवा किसी भी कानून के वैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन नहीं किया है। मेरा संपूर्ण जीवन निष्कलंक रहा है और मेरे द्वारा सदैव भारतीय संविधान एवं कानून का पालन किया गया है। मेरे द्वारा कथित घटना के उद्बोधन में किसी भी जाति अथवा धर्म अथवा वर्ग विशेष अथवा व्यक्ति विशेष के बीच वैमनस्य पैदा करने विषयक कोई वक्तव्य नहीं है। ट्रांसक्रिप्ट में घटना का स्थान कार्यालय, भारतीय जनता पार्टी आगर दर्शित किया गया है, इससे यह स्पष्ट प्रमाणित होता है कि यह सभा किसी सार्वजनिक चौराहे अथवा स्थान पर आयोजित नहीं की गई थी। यह सभा भारतीय जनता पार्टी के जिला आगर स्थित कार्यालय में केवल आमंत्रित भाजपा के सक्रिय कार्यकर्ताओं तथा पदाधिकारियों का मनोबल बढ़ाने के उद्देश्य से की गई थी। अत: अयोग द्वारा जारी नोटिस/ सूचना पत्र को निरस्त कर दिया जाए।   
    4.    यत: निर्वाचन आयोग ने दिनांक 25.10.2020 के आपके उत्तर पर सावधानीपूर्वक विचार किया है। शिकायत में संदर्भित भाषण के अंश पर विचार करने पर, आयोग संतुष्ट है कि उसके  वक्तव्यों में शिष्टाचार का अतिक्रमण करते हुए असंयमित भाषा का प्रयोग है। शिकायत और आपके उत्तर पर यथोचित विचार करने पर, आयोग ने आपके उत्तर को संतोषजनक नहीं पाया है।
    5.   अब,  इसलिए, निर्वाचन आयोग, एतद्द्वारा “आदर्श आचार संहिता के सामान्य आचरण” के भाग I के पैरा (1) एवं पैरा (2) के उपबंधों के अननुपालन और शिष्टाचार की सीमा का अतिक्रमण करते हुए असंयमित भाषा का प्रयोग करने के लिए आपकी भर्त्सना करता है और अपेक्षा करता है कि आप, एक जिम्मेदार राजनीतिज्ञ होने के नाते, निर्वाचन काल के दौरान ऐसे अशोभनीय कथनों को नहीं दोहराएंगे।
    6.   आयोग, भारत के संविधान के अनुच्छेद 324 और इसके अधीन मिली अन्य सभी शक्तियों के तहत, चल रहे निर्वाचन के संबंध में श्री मोहन यादव, मंत्री, उच्च शिक्षा विभाग, मध्य प्रदेश सरकार पर, मध्य प्रदेश में कहीं भी कोई भी जनसभा करने, जलूस निकालने, जनता की रैली करने, रोड शो करने और साक्षात्कार, मीडिया (इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, प्रिंट, सोशल मेडिया) में सार्वजनिक बयान देने इत्यादि पर 31 अक्तूबर, 2020 को एक दिन (1) के लिए प्रतिबंध भी लगाता है।

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    फ़ाइल सबमिट की गई Tuesday 03 November 2020

ईसीआई मुख्य वेबसाइट


eci-logo.pngभारत निर्वाचन आयोग एक स्‍वायत्‍त संवैधानिक प्राधिकरण है जो भारत में निर्वाचन प्रक्रियाओं के संचालन के लिए उत्‍तरदायी है। यह निकाय भारत में लोक सभा, राज्‍य सभा, राज्‍य विधान सभाओं और देश में राष्‍ट्रपति एवं उप-राष्‍ट्रपति के पदों के लिए निर्वाचनों का संचालन करता है। निर्वाचन आयोग संविधान के अनुच्‍छेद 324 और बाद में अधिनियमित लोक प्रतिनिधित्‍व अधिनियम के प्राधिकार के तहत कार्य करता है। 

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