मतदाता हेल्पलाइन ऐप (एंड्राइड के लिए)
अंग्रेज़ी में देखें   |   मुख्य विषयवस्तु में जाएं   |   स्क्रीन रीडर एक्सेस   |   A-   |   A+   |   थीम
Jump to content

वर्तमान मुद्दे

1,337 files

  1. गुजरात, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर में अर्हक तारीख के रूप में दिनांक 01.10.2022 के संदर्भ में सेवा मतदाताओं के संबंध में निर्वाचक नामावलियों के अंतिम भाग का सार पुनरीक्षण-तत्संबंधी।

    गुजरात, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर में अर्हक तारीख के रूप में दिनांक 01.10.2022 के संदर्भ में सेवा मतदाताओं के संबंध में निर्वाचक नामावलियों के अंतिम भाग का सार पुनरीक्षण-तत्संबंधी।

    31 downloads

    फ़ाइल सबमिट की गई Wednesday 27 July 2022

  2. निर्वाचकों के रजिस्‍ट्रीकरण के लिए प्रपत्र नं. 1, 2, 2क, 3, 6, 7, 8, 11, 11क, 11ख, 18, और 19 में संशोधन – तत्‍संबंधी।

    निर्वाचकों के रजिस्‍ट्रीकरण के लिए प्रपत्र नं. 1, 2, 2क, 3, 6, 7, 8, 11, 11क, 11ख, 18, और 19 में संशोधन – तत्‍संबंधी।
    संदर्भ:- दिनांक 23 जून, 2022 का पत्र सं. 3/ईआर/2021/एसडीआर/खंड-।।

    102 downloads

    फ़ाइल सबमिट की गई Wednesday 27 July 2022

  3. 14.01.2022 को मौजूदा दिशानिर्देशों के उल्लंघन के लिए समाजवादी पार्टी को निर्वाचन आयोग का नोटिस

    सं.- 464/यूपी-एलए/2022
    दिनांकः-15 जनवरी, 2022
     
    नोटिस 
          यतः, आयोग ने उत्तर प्रदेश विधान सभा के लिए साधारण निर्वाचन, 2022 का आयोजन करने के लिए दिनांक 08 जनवरी, 2022 के प्रेस नोट सं. ईसीआई/पीएन/3/2022 के तहत कार्यक्रम की घोषणा कर दी है; और 
          यतः, आयोग ने अपने उपर्युक्त प्रेस नोट के तहत कोविड-19 के दौरान निर्वाचन के संचालन के संबंध में व्यापक दिशानिर्देश भी जारी किए हैं; और 
          यतः, उक्त कोविड दिशा-निर्देश में, अन्य बातों के साथ-साथ, उपबंध है किः-
    "I. राजनैतिक दलों/निर्वाचन लड़ने वाले अभ्यर्थियों/अन्य द्वारा अभियान
    1.      यह उम्मीद की जाती है कि सभी स्टेकहोल्डर नामतः राजनैतिक दल, अभ्यर्थी, प्रचारकर्ता, मतदाता और निर्वाचन प्रक्रिया से जुड़े प्राधिकरण जनता के स्वास्थ्य/सुरक्षा के प्रति अपने प्रमुख कर्तव्य के प्रति सदैव सचेत रहेंगे और अतः, इन सामान्य अनुदेशों एवं  विधि के अधीन विहित संबंधित प्राधिकारियों द्वारा यथा-अधिदेशित कोविड उपयुक्त व्यवहार के अन्य मानदंडों का पालन करेंगे।
    2.      किसी भी प्रकार के रोड शो, पद-यात्रा, साइकिल/बाइक/वाहन रैली और जूलुस की 15 जनवरी, 2022 तक अनुमति नहीं दी जाएगी। आयोग बाद में स्थिति की समीक्षा करेगा और तदनुसार आगे अनुदेश जारी करेगा।
    3.      राजनैतिक दलों या संभावित अभ्यर्थियों अथवा निर्वाचन से संबंधित किसी अन्य समूह की 15 जनवरी, 2022 तक किसी भी प्रत्यक्ष रैली की अनुमति नहीं दी जाएगी। आयोग बाद में स्थिति की समीक्षा करेगा और तदनुसार आगे अनुदेश जारी करेगा।"; और 
    यतः, 14.1.2022 को कुछ संचार माध्यमों ने गौतमपल्ली पुलिस स्टेशन, लखनऊ के अंतर्गत 19-विक्रमादित्य मार्ग पर समाजवादी पार्टी के कार्यालय परिसर में एक जनसभा में आयोग के मौजूदा कोविड दिशानिर्देशों के उल्लंघन की सूचना दी। 
    यतः, उपर्युक्त उल्लंघन पर मुख्य निर्वाचन अधिकारी, उत्तर प्रदेश से तत्काल रिपोर्ट की मांग की गई; और 
    यतः, मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने दिनांक 14.01.2022 की अपनी रिपोर्ट में सूचित किया है कि वर्चुअल रैली के नाम पर समाजवादी पार्टी द्वारा गौतमपल्ली पुलिस स्टेश्न के अंतर्गत आने वाले उक्त परिसर में जनसभा का आयोजन करके मौजूदा कोविड प्रोटोकॉल का उल्लंघन किया गया; और 
    यतः, उक्त रिपोर्ट में यह भी सूचित किया गया था कि 14.01.2022 को 06:13 बजे समाजवादी पार्टी के 2000-2500 राजनैतिक पदाधिकारियों के खिलाफ उपर्युक्त पुलिस स्टेशन में आईपीसी, 1860 की धारा 188, 269, 270 और 341; आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 की धारा 54 तथा महामारी अधिनियम, 1897 की धारा 03 के अधीन एफआईआर दर्ज की गई है; और 
    यतः, राजनैतिक दल निर्वाचन प्रक्रिया में महत्वपूर्ण स्टेकहोल्डर होते हैं और वे चुनौतीपूर्ण समय के दौरान भी निर्वाचनों के संचालन के अपने सांविधानिक कर्तव्यों को निभाने में निर्वाचन आयोग का सदैव सहयोग करते हैं; और 
    यतः, राजनैतिक दलों से अपेक्षा की जाती है कि वे निर्वाचनों की अवधि के दौरान देश के कानूनों का अक्षरश: पालन करके समग्र जनता के बीच उच्च मानक स्थापित करें; और 
    यतः, उपलब्ध रिपोर्टों से, प्रथम दृष्टया, यह संकेत मिलता है कि समाजवादी पार्टी ने आयोग के उपर्युक्त विधिपूर्ण निदेशों का उल्लंघन किया है;  
    अतः, अब, आयोग ने उपलब्ध सामग्री और मामले में मौजूदा अनुदेशों पर विचार करने के बाद आपको उक्त उल्लंघन के संबंध में अपना पक्ष स्पष्ट करने के लिए एक अवसर देने का निर्णय लिया है। आयोग में आपका स्पष्टीकरण इस नोटिस की प्राप्ति के 24 घंटे के भीतर पहुंच जाना चाहिए, ऐसा करने में विफल रहने पर आयोग आपसे आगे पत्र-व्यवहार किए बिना मामले में उपयुक्त निर्णय करेगा।
     
    आदेश से,
    ह./-
    (अजय कुमार)
    सचिव
     
    सेवा में
          महासचिव,
          समाजवादी पार्टी,
          19, विक्रमादित्य मार्ग,
          लखनऊ, उ.प्र.

    46 downloads

    फ़ाइल सबमिट की गई Friday 28 January 2022

  4. 93-मुनुगोडे विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र का उप निर्वाचन: 93-मुनुगोडे विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र के मतदाताओं को प्रलोभन देने के लिए निर्वाचन लड़ने वाले अभ्यर्थी श्री के. राजागोपाल रेड्डी द्वारा विभिन्न कंपनियों/निवासियों को 5.24 करोड़ रु. की धनराशि अंतरित...

    93-मुनुगोडे विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र का उप निर्वाचन: 93-मुनुगोडे विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र के मतदाताओं को प्रलोभन देने के लिए निर्वाचन लड़ने वाले अभ्यर्थी श्री के. राजागोपाल रेड्डी द्वारा विभिन्न कंपनियों/निवासियों को 5.24 करोड़ रु. की धनराशि अंतरित करने के संबंध में तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) का अभ्यावेदन और उक्त अभ्यावेदन पर श्री के. राजागोपाल रेड्डी का उत्तर – तत्संबंधी।

    50 downloads

    फ़ाइल सबमिट की गई Tuesday 01 November 2022

  5. ECI notice to Shri Guntakandla Jagadish Reddy, Minister of Energy, Govt of Telangana for violation of MCC in 93- Munugode Assembly Constituency Bye-Election 2022

    ECI notice to Shri Guntakandla Jagadish Reddy, Minister of Energy, Govt of Telangana for violation of MCC in 93- Munugode Assembly Constituency Bye-Election 2022

    33 downloads

    फ़ाइल सबमिट की गई Friday 28 October 2022

  6. रिमोट वोटिंग का उपयोग करके घरेलू प्रवासियों से मतदाता सहभागिता में सुधार करने पर विचार-विमर्श -16.01.2023 (सोमवार) को कॉन्स्टीट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया, विट्ठल भाई पटेल हाउस, रफी मार्ग, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के पीछे, नई दिल्ली, 110001 में संपन्न - तत्संबंधी।

    रिमोट वोटिंग का उपयोग करके घरेलू प्रवासियों से मतदाता सहभागिता में सुधार करने पर विचार-विमर्श -16.01.2023 (सोमवार) को कॉन्स्टीट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया, विट्ठल भाई पटेल हाउस, रफी मार्ग, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के पीछे, नई दिल्ली, 110001 में संपन्न - तत्संबंधी।

    82 downloads

    फ़ाइल सबमिट की गई Thursday 19 January 2023

  7. COVID Guidelines For General Election/Bye Elections to Legislative Assemblies-reg.

    COVID GUIDELINES, 2022
    Article 172(1) of the Constitution of India states that the term of the legislative assembly shall be for five years from the date of its first meeting. The term of State Assemblies of Himachal Pradesh and Gujarat are due to expire on 8th January, 2023 and 18th February, 2023 respectively. Election Commission of India (hereinafter ECI) is committed to conduct free, fair, participative, accessible, inclusive and safe election to the Legislative Assemblies of Gujarat and Himachal Pradesh before the cessation of its term, in exercise of the authority and powers conferred upon under Article 324 read with Article 172 (1) of the Constitution of India and Section 15 of the Representation of the People Act, 1951.
    2. The Commission is also duty bound to fulfil its constitutional mandate as per legal and institutional framework to steer elections for putting elected government in place within due time and also ensure safety of vote and voters.
    3. During COVID period, Commission issued “Broad guidelines for conduct of General Elections/Bye-elections during COVID-19” on 21st August, 2020 to Conduct General Elections to legislative assemblies of Bihar, Tamil Nadu, Kerala, Assam, West Bengal and Puducherry. Thereafter, during general elections to legislative assemblies of Goa, Manipur, Punjab, Uttarakhand and Uttar Pradesh, the Commission had reviewed the prevailing situation and issued “Revised Broad Guidelines, 2022” on 8th January, 2022, wherein the Commission imposed restriction on Campaign, rallies etc. which was further relaxed vide Press Notes dated 15th January, 2022, 22nd January, 2022, 31st January, 2022, 6th February, 2022, 12th February, 2022, 22nd February, 2022 and 10th March, 2022, in a phased manner.
    4. The Commission held meetings with Secretary, Ministry of Health and Family Welfare, Government of India on 7th September, 2022 and with Chief Secretary, Pr. Secretary (Home), Health Secretary and Chief Electoral Officer of Gujarat and Himachal Pradesh on 13th September, 2022 to review COVID situation, Vaccination Status, exiting guidelines/directions of SDMA, arrangement for COVID during upcoming festive season etc. The Commission was briefed about the improved situation of COVID countrywide, preparedness to deal any possible spike in number of cases and also decision of NDMA not to invoke the provisions of DM Act for COVID containment measures.
    5. The Commission directed the Chief Secretaries and other Officers of Gujarat and Himachal Pradesh to maintain and continue strict compliance of the advisories issued by MoHFW especially the adherence of 5-fold strategy of Test, Track, Treat, Vaccination and COVID appropriate behavior. The Commission also instructed to vaccinate all the eligible polling personnel and officials. Furthermore, the Commission directed both the States to maintain strict vigil as per the parameters indicated by MoHFW and/or respective SDMAs and take appropriate graded action in case of any unwarranted deviation in such prescribed parameters related to COVID situation during upcoming festive seasons & elections.
    6. During electoral process Chief Secretary at State level and District Magistrate at District level, shall be primarily responsible for monitoring, supervision and enforcement of these COVID guidelines issued by the Commission.
    7. All stakeholders namely political parties, candidates, campaigners, voters and authorities engaged in the election process shall always be conscious of their prime duty towards public health / safety and shall observe COVID appropriate behavior.
    8. Details of the guidelines are as follows:
    I. General Guidelines to be followed during entire election processes for all persons
    i) All person involved are advised to follow COVID appropriate behavior during election related activities.
    ii) All eligible Polling Personnel/Security Personnel/Counting Staff shall be fully and preferably with booster dose vaccinated before deploying/engaging in election related activities.
    iii) Create awareness among the public for COVID appropriate behavior including self- monitoring.
     II. Campaign by the political parties/contesting candidates/Others
    i) During Outdoor meeting/indoor meetings/ Rallies/Road Shows/Pad-Yatras/Processions, the organisers and concerned political parties shall abide by the guidelines, if any issued by competent authorities, and ensure prescribed COVID appropriate behaviour by persons participating. Organisers will be responsible for any breach of the COVID related protocols and guidelines. 
    ii) Political Parties/candidates may hold their meetings and rallies, Road show, Pad-yatra and procession, Door to Door campaign etc subject prior permission of the all concerned authorities and instant instruction of the Commission in the matter.
    iii) Allocation of public spaces must be done using Suvidha app in the manner already prescribed by Commission.
    III.) Polling Station Arrangements-
    (i) Commission has issued detailed instructions for assured minimum facilities at each polling station. Now, in view of COVID, following additional facilities/steps may be taken, as required:
      (a) Help Desk for distribution of token to the voters on first come first basis so that  they do not wait in the queue.
      (b) Marker to demonstrate social distancing for queue.
      (c) Distance for voters standing in the queue would be maintained as per COVID norms, if any, prescribed by the competent authority and depending on the  availability of space. There shall be three queues each, for male, female, and PwD/ Senior citizen voters.
      (d) The services of BLOs, volunteers etc may be engaged to monitor and regulate social distancing norms, as prescribed by competent authority.
      (e) One shaded waiting areas with chairs, dari etc. will be provided, for male and female separately, within the polling station premises so that voters can participate in voting without safety concerns.
      (f) Wherever possible, Booth App may be used at the polling station.
      (g) Awareness posters on COVID should be displayed at visible locations as per norms prescribed by the competent authority.
    (ii) COVID patients and all other who may be under quarantine will be allowed to cast their vote at the last hour of the poll day at their respective Polling Stations, under the supervision of health authorities, strictly following COVID-19 related preventive measures. Sector Magistrates shall coordinate this activity in their allocated polling stations. 
    IV) Postal Ballot
    Option of Postal Ballot facility has also been extended to the Electors who are COVID positive/suspect and in quarantine (home/institutional). 
    V.) Counting of votes
    (i) There shall be maximum 15 Counting Tables (including RO’s Table) for counting   of votes of a constituency as per Commission’s existing instructions dated 30th April,   2014.
    (ii)  No public gathering outside the counting venue during process of counting shall be permitted.
    (iii) Candidate may appoint/replace counting agents in case COVID report is positive.
    9. As and when required and as per the evolving/ contextual needs, the Chief Secretary of the State, shall at once bring to the notice of the Commission any new trend, development /situation that is not covered by these COVID Guidelines and warrants Commission’s intervention during the electoral process in the State. The Commission may then issue further appropriate instructions with respect to electoral process and thereby complementing the mandate/ efforts of the State in containing/ managing the spread of COVID.

    84 downloads

    फ़ाइल सबमिट की गई Friday 14 October 2022

  8. ECI Order to Shri Guntakandla Jagadish Reddy, Minister of Energy, Govt of Telangana for violation of MCC in 93-Munugode Assembly Constituency Bye-Election 2022

    ECI Order to Shri Guntakandla Jagadish Reddy, Minister of Energy, Govt of Telangana for violation of MCC in 93-Munugode Assembly Constituency Bye-Election 2022

    23 downloads

    फ़ाइल सबमिट की गई Saturday 29 October 2022

  9. फ़ाइल सबमिट की गई Thursday 17 March 2022

  10. General Elections to State Legislative Assemblies of Meghalaya, Nagaland and Tripura, 2023 and Bye-elections in Parliamentary/ Assembly Constituencies of various States - Release of funds under MPs’/MLAs’ Local Area Development Scheme

    General Elections to State Legislative Assemblies of Meghalaya, Nagaland and Tripura, 2023 and Bye-elections in Parliamentary/ Assembly Constituencies of various States - Release of funds under MPs’/MLAs’ Local Area Development Scheme.

    25 downloads

    फ़ाइल सबमिट की गई Wednesday 18 January 2023

  11. विभिन्न राज्यों के विधान सभा निर्वाचन क्षेत्रों में उप-निर्वाचन - आदर्श आचार संहिता के प्रवर्तन के संबंध में अनुदेश - तत्‍संबंधी।

    सं. 437/6/1/ईसीआई/अनु./प्रकार्या./एमसीसी/2022
    दिनांक: 3 अक्तूबर, 2022
     
    सेवा में
    1.   मंत्रिमंडल सचिव,
    भारत सरकार,
    राष्ट्रपति भवन,
    नई दिल्ली।
     
    2.   सरकार के मुख्य सचिव:-
    क)   बिहार, पटना;                           ख) हरियाणा, चंडीगढ़;       
    ग)   महाराष्ट्र, मुम्बई;                         घ) ओडिशा, भुवनेश्वर;
    ङ)    तेलंगाना, हैदराबाद;                      च) उत्तर प्रदेश, लखनऊ;       
     
    3.   मुख्य निर्वाचन अधिकारी:-
    क)   बिहार, पटना;                          ख) हरियाणा, चंडीगढ़;       
    ग) महाराष्ट्र, मुम्बई;                        घ) ओडिशा, भुवनेश्वर;
    ङ) तेलंगाना, हैदराबाद;                      च) उत्तर प्रदेश, लखनऊ।      
     
     
    विषय:- विभिन्न राज्यों के विधान सभा निर्वाचन क्षेत्रों में उप-निर्वाचन - आदर्श आचार संहिता के प्रवर्तन के संबंध में अनुदेश - तत्‍संबंधी।
     
    महोदय,
    मुझे यह कहने का निदेश हुआ है कि आयोग ने दिनांक 3 अक्तूबर, 2022 के प्रेस नोट सं. ईसीआई/पीएन/73/2022 के तहत, निम्नलिखित राज्यों के विधान सभा निर्वाचन क्षेत्रों में उप-निर्वाचनों के लिए अनुसूची की घोषणा की है:- 
     
    राज्य का नाम
    निर्वाचन क्षेत्र का नाम एवं संख्या
    बिहार
    101-गोपालगंज विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र
    178-मोकामा विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र
    हरियाणा
    47-आदमपुर विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र
    महाराष्ट्र
    166-अंधेरी पूर्व विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र
    ओडिशा
    46-धामनगर (अ.जा.) विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र
    तेलंगाना
    93-मुनुगोडे विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र
    उत्तर प्रदेश
    139-गोला गोकरननाथ विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र
     
     
    2.     आदर्श आचार संहिता के प्रावधान आयोग के पत्र सं. 437/6/अनुदेश/2016-सीसीएस, दिनांक 29 जून, 2017, सं. 437/6/विविध/ईसीआई/पत्र/प्रकार्या/एमसीसी/2017 दिनांक 18 जनवरी, 2018 और के पत्र सं. 437/6/विविध/ईसीआई/पत्र/प्रकार्या/एमसीसी/2019, दिनांक 14 अक्तूबर, 2019 (प्रति संलग्‍न) के तहत यथा जारी आंशिक संशोधनों के अध्‍यधीन उस/उन जिले(लों) में तत्‍काल प्रभाव से लागू हो गए हैं, जिनमें उप-निर्वाचन होने वाले संसदीय/विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र का सम्‍पूर्ण या कोई भाग अवस्थित है। 
    3.     इसे सभी संबंधितों के ध्‍यान में लाया जाए।   

    18 downloads

    फ़ाइल सबमिट की गई Monday 03 October 2022

  12. General Elections to State Legislative Assemblies of Meghalaya, Nagaland and Tripura, 2023 and Bye-elections in Parliamentary/ Assembly Constituencies of various States – Lifting of Model Code of Conduct reg.

    General Elections to State Legislative Assemblies of Meghalaya, Nagaland and Tripura, 2023 and Bye-elections in Parliamentary/ Assembly Constituencies of various States – Lifting of Model Code of Conduct reg.
     

    153 downloads

    फ़ाइल सबमिट की गई Tuesday 07 March 2023

  13. Application of Model Code of Conduct – General Elections to State Legislative Assemblies of Meghalaya, Nagaland and Tripura, 2023 and Bye-elections in Parliamentary/ Assembly Constituencies of various States.

    Application of Model Code of Conduct –  General Elections to State Legislative Assemblies of Meghalaya, Nagaland and Tripura, 2023 and Bye-elections in Parliamentary/ Assembly Constituencies of various States.

    52 downloads

    फ़ाइल सबमिट की गई Wednesday 18 January 2023

  14. गुजरात और हिमाचल प्रदेश राज्यों में अर्हक तारीख के रूप में 01.10.2022 के संदर्भ में फोटो निर्वाचक नामावलियों का विशेष सार पुनरीक्षण-कार्यक्रम-तत्‍संबंधी।

    गुजरात और हिमाचल प्रदेश राज्यों में अर्हक तारीख के रूप में 01.10.2022 के संदर्भ में फोटो निर्वाचक नामावलियों का विशेष सार पुनरीक्षण-कार्यक्रम-तत्‍संबंधी। 

    42 downloads

    फ़ाइल सबमिट की गई Wednesday 27 July 2022

  15. Bye-elections in 15-Khatauli Assembly Constituency of Uttar Pradesh – Instructions on enforcement of Model Code of Conduct.

    Bye-elections in 15-Khatauli Assembly Constituency of Uttar Pradesh – Instructions on enforcement of Model Code of Conduct
     

    38 downloads

    फ़ाइल सबमिट की गई Tuesday 08 November 2022

  16. जम्मू-कश्मीर राज्य में अर्हक तारीख के रूप में दिनांक 01.10.2022 के संदर्भ में फोटो निर्वाचक नामावलियों का विशेष सार पुनरीक्षण-कार्यक्रम-तत्संबंधी।

    सं.23/2022 (जम्‍मू व कश्‍मीर एसएसआर) - ईआरएस                     
    दिनांक: 29 जून, 2022
     
    सेवा में
           जम्मू-कश्मीर संघ राज्‍य क्षेत्र के मुख्‍य निर्वाचन अधिकारी,
           जम्‍मू।
     
    विषय:  जम्‍मू-कश्‍मीर संघ राज्‍यक्षेत्र में अर्हक तिथि के रूप में 01.10.2022 के संदर्भ में फोटो निर्वाचक नामावलियों का विशेष संक्षिप्‍त पुनरीक्षण-कार्यक्रम-तत्‍संबंधी।
     
    संदर्भ:  (i) आयोग का पत्र सं. 23/2022 (जम्‍मू-कश्‍मीर एसएसआर)-ईआरएस, दिनांक 10 जून, 2022
               (ii) आयोग का पत्र सं. 23/2021 – ईआरएस (सुपर चेंकिंग), दिनांक 1 नवम्‍बर, 2021, और
                (iii) आयोग का पत्र सं. 22/02/2022-ईआरएस, दिनांक 27.06.2022
     
    महोदय/महोदया
    मुझे यह कहने का निदेश हुआ है कि मौजूदा नीति के अनुसार, अर्हक तारीख के रूप में आगामी वर्ष की 1 जनवरी के संदर्भ में निर्वाचक नामावलियों का पुनरीक्षण सभी राज्यों/संघ राज्‍यक्षेत्रों में प्रत्येक वर्ष (सामान्‍य रूप से वर्ष की अंतिम तिमाही में)  की आखिरी अवधि में किया जाता है ताकि निर्वाचक नामावलियों का अंतिम प्रकाशन अनुवर्ती वर्ष के जनवरी माह के प्रथम सप्ताह में किया जा सके। तथापि विभिन्‍न प्रशासनिक कारणों से निर्वाचक नामावली का यह वार्षिक पुनरीक्षण एसएसआर, 2019 के बाद जम्‍मू-कश्‍मीर में नहीं किया जा सका। इसी बीच में संघ राज्‍य–क्षेत्र में निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन कार्य भी प्रगति पर था तथा परिसीमन आयोग द्वारा 05 मई, 2022 को अंतिम रूप से परिसीमित निर्वाचन क्षेत्रों को अधिसूचित कर दिया गया था। चूंकि, जम्मू-कश्मीर में पिछले 3 वर्षों से निर्वाचक नामावली का पुनरीक्षण कार्य नहीं किया गया था, इसीलिए नए पात्र निर्वाचक नामावली में अपना पंजीकरण नहीं करा सके थे। उक्‍त के मद्देनज़र, नए परिसीमित निर्वाचन क्षेत्रों के आधार पर निर्वाचक नामावली को अद्यतन करने के लिए अगली अर्हक तारीख के संदर्भ में बिना किसी देरी के विशेष संक्षिप्‍त संशोधन का करने की आवश्‍यकता है ताकि सभी नए पात्र युवा निर्वाचकों को स्‍वयं को नामांकित करने के अवसर मिल सके उपर्युक्‍त के संदर्भ में आयोग ने अपने दिनांक 10.06.2022 के समसंख्‍यक पत्र के द्वारा जम्‍मू-कश्‍मीर संघ राज्‍यक्षेत्र में पुनरीक्षण कार्यकलापों की शुरूआत कर दी है। पूर्व-पुनरीक्षण कार्यकलापों का समापन दिनांक 31.08.2022 को होगा। 
    2.     निर्वाचन विधि (संशोधन) अधिनियम, 2021 द्वारा लोक प्रतिनिधित्‍व अधिनियम की धारा 14 में संशोधन, जैसाकि भारत के राजपत्र की अधिसूचना संख्‍या 67, दिनांक 30 दिसम्‍बर, 2021 के द्वारा अधि‍सूचित किया गया है, होने तथा निर्वाचक रजिस्‍ट्रीकरण नियम, 1960 में तदनुरूपी परिवर्तन करने के परिणामस्‍वरूप, जैसा कि 17 जून, 2022 को अधिसूचित किया गया है, चार अर्हक तिथियों, नामत: 1 जनवरी, 1 अप्रैल, 1 जुलाई तथा 1 अक्‍टूबर का विधि में प्रावधान हो गया है। पिछले पैराग्राफ में दिए गए कारणों को देखते हुए आयोग ने 1 अक्‍तूबर, 2022 के संबंध में एसएसआर, 2022 का आदेश देने का निर्णय लिया है, जो कि प्रगतिरत पूर्व पुनरीक्षण कार्यकलापों के समापन के बाद निर्वाचक नामावली तैयार करने की अगली अर्हक तारीख है। 
    3.     तदनुसार, आयोग ने जम्मू-कश्मीर, संघ राज्‍य-क्षेत्र में अर्हक तारीख के रूप में दिनांक 01-10-2022 के संदर्भ से निम्नलिखित तालिका के अनुसार फोटो निर्वाचक नामावलियों का विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण करने के लिए पुनरीक्षण कार्यकलाप आरंभ करने का निदेश दिया है:-
    क्र. सं.
    पुनरीक्षण कार्यकलाप
    अवधि
    1.
    समेकित प्रारूप निर्वाचक नामावली का प्रकाशन
    01.09.2022 (बृहस्‍पतिवार)
    2.
    दावे और आपत्तियाँ दायर करने की अवधि
    01.09.2022 (बृहस्‍पतिवार) से 30.09.2022 (शुक्रवार) तक
    3.
    विशेष अभियान की तारीखें
    दावों और आपत्तियों की अवधि के भीतर दो शनिवार और रविवार (सीईओ द्वारा प्रस्‍तावित किया जाना)
    4.
    दावों एवं आपत्तियों का निपटान
    15.10.2022 (शनिवार) तक
    5.
    (i) दुरूस्‍तता संबंधी मानदंडों की जांच करना और अंतिम प्रकाशन के लिए आयोग की अनुमति लेना
    (ii) डाटाबेस का अद्यतनीकरण और अनुपूरकों का मुद्रण
    25.10.2022 (मंगलवार) तक
    6.
    निर्वाचक नामावली का अंतिम प्रकाशन
    31.10.2022 (सोमवार)
    4.   मसौदा प्रकाशन: निर्वाचक नामावली के मसौदा प्रकाशन से पहले, मुख्‍य निर्वाचन अधिकारी सुनिश्चित करेगा कि आयोग के दिनांक 10.06.2022 के पत्र में उल्लिखित पूर्व-संशोधन के सभी कार्यकलापों को पूरा कर लिया गया है। मुख्‍य निर्वाचन अधिकारी द्वारा निर्वाचक नामावली के मसौदा प्रकाशन के संबंध में निर्धारित प्ररुप 1-8 में निर्वाचकों की सूचना उसकी सुविचारित टिप्‍पणियों और व्‍याख्‍यात्‍मक ज्ञापन के साथ मसौदा प्रकाशन से पहले आयोग को प्रस्‍तुत किए जाएंगे।
    5.   दावों तथा आपत्तियों के लिए प्रपत्र:
    (i)    नए निर्वाचक के रूप में नामावली में नाम को सम्मिलित करने के लिए प्रत्‍येक दाव प्रपत्र-6 में होगा तथा आवेदक द्वारा हस्‍ताक्षरित होगा।
    (ii)  प्रस्‍तावित नाम के समावेशन की प्रत्‍येक आपत्ति अथवा मौजूदा नामावली में नाम को हटाने के लिए आवेदन प्रपत्र-7 में होगा तथा उस व्‍यक्ति को अधिमानता दी जाएगी जिसका नाम ऐसी नामावली में हो।
    (iii)     नामावली में किसी प्रविष्टि के विवरण अथवा विवरणों की प्रत्‍येक आपत्ति अथवा निर्वाचन क्षेत्र के भीतर अथवा निर्वाचन क्षेत्र के बाहर निवास के स्‍थानांतरण करने के लिए आवेदन अथवा प्रविष्टियों को सुधारने या अद्यतन करने के लिए आवेदन प्रपत्र-8 में होगा तथा उस व्‍यक्ति को अधिमानता दी जाएगी जिसकी प्रविष्टि इससे संबंधित होगी।
    6.   आधार संख्‍या प्रस्‍तुत करना: आधार संख्‍या प्रस्‍तुत करने के लिए पंजीकरण फार्म में एक स्‍थान दिया गया है, तथापि निर्वाचक नामावली में नाम को शामिल करने के लिए किसी भी आवेदन को अस्‍वीकार नहीं किया जाएगा तथा किसी व्‍यक्ति द्वारा आधार संख्‍या प्रस्‍तुत करने में या सूचित करने में असमर्थ रहने पर निर्वाचक नामावली में कोई प्रविष्टि नही हटाई जाएगी।
    7. दावों और आपत्तियों की सूची का प्रदर्शन –
    7.1  निर्वाचकों का रजिस्‍ट्रीकरण नियम, 1960 के नियम 16 के अनुसार ईआरओ प्ररूप 9,10,11, 11क और 11ख में दावों और आपत्तियों की सूचियां तैयार करेंगे और ऐसी सूचियों की एक प्रति अपने कार्यालय में नोटिस बोर्ड पर प्रदर्शित करेंगे। इसके अलावा, प्राप्‍त किए गए सभी दावों और आपत्तियों की सूची मुख्‍य निर्वाचन अधिकारी की वेबसाइट पर डाली जानी चाहिए ताकि नागरिक सूची देख सकें और संबंधि‍त निर्वाचक रजिस्‍ट्रीकरण अधिकारी को आपत्ति दाखिल कर सकें। इसके अतिरिक्‍त, मुख्‍य निर्वाचन अधिकारी द्वारा इस तथ्‍य के संबंध में पर्याप्‍त प्रचार किया जाए कि दावों और आपत्तियों की सूची उनकी वेबसाइट पर उपलब्‍ध है और इस सूची के आधार पर निर्वाचक रजिस्‍ट्रीकरण अधिकारी के समक्ष आपत्तियां दर्ज कराई जा सकती हैं। इसे राजनैतिक दलों के साथ बैठकें करके तथा उन्‍हें लिखित सूचना भेजकर  भी बताना चाहिए। 
    7.2  निर्वाचक रजिस्‍ट्रीकरण अधिकारी द्वारा सभी राजनैतिक दलों के दावों और आपत्तियों की सूची साप्‍ताहिक आधार पर उपलब्‍ध करवाई जानी चाहिए। इस प्रयोजनार्थ, निर्वाचक रजिस्‍ट्रीकरण अधिकारी को सभी राजनीतिक दलों की नियमित अंतराल पर बैठक बुलानी चाहिए और उन्‍हें दावों और आपत्तियों की सूची व्‍यक्तिगत रूप से सौंपनी चाहिए और पावती प्राप्‍त करनी चाहिए। यह भी जोड़ा जाए कि सूची संचयी न होकर बढ़ते हुए क्रम‍ में होनी चाहिए। 
    7.3  दावों और आपत्तियों पर निर्णय – दावों और आपत्तियों पर केवल तभी निर्णय लिए जाने चाहिए जब निम्‍नलिखित सभी शर्तों का पालन कर दिया जाए-
    (i) दावों और आपत्तियों की सूची को निम्‍नलिखित में सभी पर प्रकाशित होने के बाद कम से कम सात सुस्‍पष्‍ट दिन बीत गए हों –
    (क) सीईओ की वेबसाइट, प्रत्‍येक मतदान केन्‍द्र के लिए क्लिक करने योग्‍य सूचियों के रूप में।
    (ख)  ईआरओ का नोटिस बोर्ड (आरईआर 1960 के प्ररूप 9,10,11 और 11क में)
    (ग) मतदान केन्‍द्र का नोटिस बोर्ड (आरईआर 1960 के प्ररूप 9,10,11, 11क और 11ख में)
    (घ) मृत्‍यु मामलों के अलावा, ऐसे सभी मामलों में उस व्‍यक्ति के लिए व्‍यक्तिगत नोटिस तामील कर दिया गया हो जिसका नाम हटाए जाने का प्रस्‍ताव है।
    (ii) राजनीतिक दलों को दावों और आपत्तियों की सूची दिए जाने के बाद कम से कम सात सुस्‍पष्‍ट दिन बीत गए हों।
    8. विलोपन की प्रक्रिया : 
    8.1 पुनरावृतिक/बहुल प्रविष्टियां : व्‍यक्तिगत रूप से नागरिकों, राजनैतिक दलों के बूथ लेवल एजेंटों और आरडब्‍लूए के प्रतिनिधियों द्वारा भेजी गई पुनरावृतिक/बहुल प्रविष्टियों के प्रत्‍येक मामले में क्षेत्रीय सत्‍यापन अनिवार्य रूप से किया जाना चाहिए। निर्वाचक से ही फॉर्म-7 प्राप्‍त कर लेने के पश्‍चात उसका नाम उस निर्वाचक नामावली से हटा दिया जाएगा जहां उसे साधारण रूप से रहते हुए नहीं पाया जाता है।
    8.2  जनसांख्यिकीय रूप से सदृश प्रविष्टियां (डीएसई), स्‍थायी रूप से स्‍थानां‍तरित और मृत व्‍यक्ति:
    जनसांख्यिकीय रूप से सदृश प्रविष्टियां फोटो सदृश प्रविष्टियां स्‍थायी रूप से स्‍थानांतरित और मृत व्‍यक्तियों संबंधी पुष्‍ट मामलों को केवल निर्वाचकों/फोटो सदृश प्रविष्टियां (जनसांख्यिकीय रूप से सदृश प्रविष्टियों, फोटो सदृश प्रविष्टियों स्‍थायी रूप से स्‍थानांतरितों के मामले में) और मृत व्‍यक्तियों के मामले में उनके संबंधियों/परिवार के सदस्‍यों से फॉर्म-7 की प्राप्‍ति पर ही उनका नाम हटाया जाए। प्रविष्टियों को हटाने के लिए संबंधित व्‍यक्ति को नोटिस अवश्‍य दिया जाए।
    8.3 गलत तरीके से किए गए विलोपनों के प्रति रक्षोपाय:
     निर्वाचक नामावली से निर्वाचकों के गलत तरीके से होने वाले विलोपनों को रोकने के लिए निम्‍नलिखित रक्षोपाय किए जाएंगे:-
    (i) पंजीकृत मृत्‍यु के मामले में विलोपन केवल उचित सत्‍यापन/मृत्‍यु प्रमाणपत्र प्रस्‍तुत करने पर किया जाएगा।
    (ii) ईआरओ- नेट में प्रावधान ऐसे मामलों में उपलब्‍ध करवाए जाएंगे जहां एईआरओ/ईआरओ द्वारा पारित विलोपनों के सभी आदेशों को उप जिला निर्वाचन अधिकारियों/जिला निर्वाचन अधिकारियों द्वारा इसे सार्वजनिक रूप से उपलब्‍ध करवाने और निर्वाचक नामावली में कार्यान्वित करने से पहले सत्‍यापित किया जाएगा।
    (iii)  मृत्‍यु और स्‍थानांतरण के आधार पर विलोपन केवल फॉर्म-7 प्राप्‍त करने पर ही किए जाएंगे ताकि गलत तरीके से किए जाने वाले विलोपनों से बचा जा सके।
    (iv) फील्‍ड सत्‍यापन करते समय बीएलओ स्‍थानांतरण/मृत्‍यु की स्थिति, यथामामला, पर रिपोर्ट में विशेष अम्‍युक्ति देंगे।
    (v) स्‍थानांतरण पर विलोपन हेतु संबंधित निर्वाचक से फॉर्म-6 या फॉर्म-7 लिया जाएगा। नए स्‍थान पर नाम जोड़ने से पहले ईआरओ इस संबंध में पुष्टि करेंगे कि निर्वाचक वास्‍तव में अपने पुराने पते पर रहता था और उसका वही नाम है जैसा कि फॉर्म-6 में दिया गया है।
    (vi) विलोपनों के लिए बीएलओ की रिपोर्ट आवश्‍यक होगी।
    (vii) मृत्‍यु संबंधी मामलों के अलावा, फॉर्म-7 के माध्‍यम से प्रस्‍तावित विलोपनों के सभी मामलों में,  संबंधित निर्वाचक को नोटिस जारी किया जाएगा और उसे विधिवत रूप से अनिवार्यत: तामील किया जाना चाहिए। ऐसे मामलों में जहां निर्वाचक, निर्वाचक नामावली में दिए गए पते पर नहीं पाया जाता है तो कम से कम दो गवाहों की उपस्थिति में दीवार पर नोटिस चिपकाकर नोटिस को विधिवत रूप से जारी किया जाएगा, उक्‍त दोनों गवाहों से नोटिस की प्रति पर हस्‍ताक्षर लिए जाएंगे और उन्‍हें निर्वाचक रजिस्‍ट्रीकरण अधिकारी द्वारा फाइल में रखा जाए ताकि निर्वाचकों का रजिस्‍ट्रीकरण नियम, 1960 के नियम 21क के नियमों के उपबंधों का अनुपालन सुनिश्चित किया जा सके और संबंधित व्‍यक्ति को सुनवाई का उचित अवसर दिए जाने का अनुपालन हो सके। केवल मृत्‍यु संबंधी मामलों में नोटिस की विधिवत रूप से तामील करने के रूप में मृत्‍यु प्रमाणपत्र या संबंधियों, मित्रों अथवा पड़ोसियों का बयान स्‍वीकार किया जा सकता है।
    (viii) मृत्‍यु के आधार पर विलोपनों को छोड़कर, अन्‍य सभी विलोपनों का सत्‍यापन, फॉर्म-7 पर अंतिम आदेश पारित होने से पहले तहसीलदार/उप-तहसीलदार रैंक के अधिकारी के स्‍तर से कम द्वारा नहीं किया जाना चाहिए और कुल विलोपन (अक्रमिक रूप से चयनित पद्धति द्वारा) के 10% का क्षेत्र में जाकर सत्‍यापन किया जाना चाहिए।   
    (ix) विलोपनों के सभी मामले, यदि वे निम्‍नलिखित में किसी श्रेणी के अंतर्गत आते हैं तो उनका निर्वाचक रजिस्‍ट्रीकरण अधिकारी द्वारा अनिवार्यत: व्‍यक्तिगत रूप से सत्‍यापन किया जाएगा :-
    (क) ऐसे मतदान केन्‍द्रों में विलोपन जहां विलोपनों की संख्‍या मतदान केन्‍द्रों की मतदाता सूची   में कुल निर्वाचकों के 2% से अधिक है।
    (ख) ऐसे विलोपन जहां एक ही व्‍यक्ति पांच से अधिक मामलों में आपत्तिकर्ता है।
    (x) मृत्‍यु के आधार पर किए जाने वाले विलोपनों के अलावा, विलोपनों के सभी मामलों में आदेश पारित करने से पूर्व उनका पर्यवेक्षकों, एईआरओ और ईआरओ द्वारा सत्‍यापन किया जाना चाहिए। 
    9. पर्यवेक्षकों/सहायक निर्वाचक रजिस्‍ट्रीकरण अधिकारियों/निर्वाचक रजिस्‍ट्रीकरण अधिकारियों द्वारा पर्यवेक्षण एवं जांच:-
    9.1    निर्वाचक नामावली को त्रुटिरहित बनाने के प्रयोजनार्थ निर्वाचन आयोग ने बूथ स्‍तरीय अधिकारियों द्वारा फील्‍ड सत्‍यापन किए जाने की जरूरत पर बल दिया है। अपनाई जा रही सामान्‍य प्रणाली के अनुसार निर्वाचक रजिस्‍ट्रीकरण अधिकारी, उन्‍हें प्राप्‍त दावों और आपत्तियों का डिजीटलाइजेशन करने के बाद दावे या आपत्ति के संबंध में फील्‍ड सत्‍यापन करने के लिए संब‍ंधित बूथ लेवल अधिकारी को तैनात करता है। बूथ लेवल अधिकारी मौके पर सत्‍यापन करने के बाद निर्वाचक रजिस्‍ट्रीकरण अधिकारी को अपनी रिपोर्ट प्रस्‍तुत करता है।
    9.2 निर्वाचक नामावली को त्रुटिरहित बनाने के प्रयोजनार्थ निर्वाचन आयोग ने बूथ स्‍तरीय अधिकारियों द्वारा फील्‍ड सत्‍यापन किए जाने की जरूरत पर बल दिया है। अपनाई जा रही सामान्‍य प्रणाली के अनुसार निर्वाचक रजिस्‍ट्रीकरण अधिकारी, उन्‍हें प्राप्‍त दावों और आपत्तियों का डिजीटलाइजेशन करने के बाद दावे या आपत्ति के संबंध में फील्‍ड सत्‍यापन करने के लिए संब‍ंधित बूथ लेवल अधिकारी को तैनात करता है। बूथ लेवल अधिकारी मौके पर सत्‍यापन करने के बाद निर्वाचक रजिस्‍ट्रीकरण अधिकारी को अपनी रिपोर्ट प्रस्‍तुत करता है।
    9.3    बूथ लेवल अधिकारियों द्वारा निष्‍पादित कार्य की कड़ी जवाबदेही प्रवर्तित करने के लिए पर्यवेक्षण एवं जांच हेतु एक तंत्र विद्यमान है। पर्यवेक्षक, जिसके प्रभार के अधीन सामान्‍यतया 10 बूथ लेवल अधिकारी होते हैं, अपने अधीन काम करने वाले प्रत्‍येक बूथ लेवल अधिकारी के सत्‍यापन कार्य के 5% का सत्‍यापन करेंगे।
    9.4    पर्यवेक्षकों के ऊपर प्रत्‍येक सहायक निर्वाचक रजिस्‍ट्रीकरण अधिकारी को, उसके अधीन विभिन्‍न भागों से यादृच्छिक रूप से चयनित बीएलओ के सत्‍यापन कार्य के 1% का सत्‍यापन करना चाहिए। सहायक निर्वाचक रजिस्‍ट्रीकरण अधिकारी अपने प्रभार के अधीन 10 निर्वाचकों से अधिक गृ‍हस्थियों; असामान्‍य लिंग अनुपात वाले, और परिवर्धनों या विलोपनों की अधिकतम संख्‍या वाले प्रथम 20 मतदान केन्‍द्रों की फील्‍ड जांच करेंगे। सहायक निर्वाचक रजिस्‍ट्रीकरण अधिकारी निर्वाचक नामावलियों के ऐसे भाग पर, जिसमें पिछली निर्वाचक नामावली की तुलना में निर्वाचकों का प्रस्‍तावित परिवर्धन 4% से अधिक हो, ध्‍यान केन्द्रित करते हुए परिवर्धनों और विलोपनों के 1% की अलग से फील्‍ड जांच करेगें। उन मामलों में, स्‍वीकृत के साथ-साथ अस्‍वीकृत, दोनों मामलों की भी जांच की जानी चाहिए।
    9.5    निर्वाचक रजिस्‍ट्रीकरण अधिकारी अपने सहायक निर्वाचक रजिस्‍ट्रीकरण अधिकारियों द्वारा दावों एवं आपत्तियों के निपटान की गुणवत्ता की नमूना-जांच करेंगे। वे सहायक निर्वाचक रजिस्‍ट्रीकरण अधिकारियों द्वारा निस्‍तारित प्ररूपों के 10% की जांच करेंगे। जहां आवश्‍यक समझा जाए, वहां फील्‍ड सत्‍यापन किया जाना चाहिए। निर्वाचक रजिस्‍ट्रीकरण अधिकारी, सहायक निर्वाचक रजिस्‍ट्रीकरण अधिका‍रियों, पर्यवेक्षकों और बूथ लेवल अधिकारियों के साथ नियमित अनुवीक्षण बैठकों का आयोजन करेंगे और सुनिश्चित करेंगे कि कार्य लापरवाही से न किया जा रहा हो। दोषी कर्मचारियों पर सख्‍ती की  जानी चाहिए और सुधारात्‍मक उपाय तत्‍परतापूर्वक किए जाने चाहिए क्‍योंकि जवाबदेही अंततोगत्‍वा निर्वाचक रजिस्‍ट्रीकरण अधिकारी की बनती है और निर्वाचक रजिस्‍ट्रीकरण अधिकारी त्रुटिमुक्‍त नामावली उपलब्‍ध कराने के लिए उत्तरदायी होता है। 
    10. जिला निर्वाचन अधिकारी//नामावली प्रेक्षक/मुख्‍य निर्वाचन अधिकारी द्वारा सुपर चेकिंग :-
    एईआरओ/ईआरओ द्वारा आदेश पारित करने के पश्‍चात ईआरओ-नेट द्वारा यादृच्छिक रूप से चयनित प्रविष्टियों की एक विशेष संख्‍या के लिए डीईओ/नामावली प्रेक्षकों और सीईओ द्वारा सत्‍यापित प्रविष्टियों की सुपर चेकिंग की जाएगी। जिला निर्वाचन अधिकारी, नामावली प्रेक्षकों और मुख्‍य निर्वाचन अधिकारी द्वारा सत्‍यापित प्रविष्टियों की संख्‍या ईआरओ द्वारा निपटान की अंतिम तारीख के बाद 7 दिनों के भीतर अथवा 7 दिनों तक निम्‍नलिखित अनुसार है : 
    (i) डीईओ के स्‍तर पर: इनके क्षेत्राधीन सभी विधान सभा निर्वाचन क्षेत्रों को शामिल करते हुए जिले में 50 फार्मों (20 शामिल किए गए नाम + 20 विलोपन + 10 संशोधन) अथवा टेबल टॉप एकस्‍रसाइज द्वारा जिले के प्रत्‍येक विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र में कम से कम 10 फार्मों (4 शामिल किए गए नाम + 4 विलोपन + 2 संशोधन) सत्‍यापन किया जाए। इन सत्‍यापित किए गए फार्मों में से कम से कम 10 फार्मों में अनिवार्य रूप से फील्‍ड सत्‍यापन किया जाना अनिवार्य है।
    (ii) नामावली प्रेक्षक के स्‍तर पर :- सुपुर्द किए गए जिलों में 250 फार्मों (100 शामिल किए गए नाम + 100 विलोपन + 50 संशोधन) अथवा टेबल टॉप एक्‍सरसाइज द्वारा सुपुर्द किए प्रत्‍येक जिले में कम से कम 10 फार्म ( 4 शामिल किए गए नाम + 4 विलोपन + 2 संशोधन) का सत्‍यापन किया जाए। सत्‍यापित किए गए इन फार्मों में से कम से कम 20 फार्मों का फील्‍ड सत्‍यापन किया जाना अनिवार्य है।
    (iii) सीईओ के स्‍तर पर :- सभी जिलों को शामिल करते हुए राज्‍य में 250 फार्मों (100 शामिल किए गए नाम + 100 विलोपन + 50 संशोधन) अथवा टेबल टॉप एक्‍सरसाइज द्वारा प्रत्‍येक जिले में कम से कम 10 फार्म  (4 शामिल किए गए नाम + 4 विलोपन + 2 संशोधन) का सत्‍यापन किया जाता है। सत्‍यापित किए गए इन फार्मों में से कम से कम 20 फार्मों का फील्‍ड सत्‍यापन किया जाना अनिवार्य है। 
    11. चिह्नित निर्वाचकों यथा: संसद सदस्‍य/विधान सभा सदस्‍य/विधान परिषद सदस्‍य, घोषित पदधारक और कला, संस्‍कृति, पत्रकारिता, खेल जगत के क्षेत्रों की विभूतियों, न्‍यायपालिका और लोक सेवाओं के सदस्‍यों आदि को इंगित करना: निर्वाचक रजिस्‍ट्रीकरण अधिकारी यह सुनिश्चित करेंगे कि संसद एवं राज्‍य विधान-मंडलों के सभी  सदस्‍यों, घोषित पदधारकों, कला, संस्‍कृति, पत्रकारिता, खेल के क्षेत्रों की विभूतियों, न्‍यायपालिका और लोक सेवाओं के सदस्‍यों के नाम प्रस्‍तावित मसौंदा निर्वाचक नामावली में रहें। ऐसे निर्वाचकों के नामों को भविष्‍य में गलत तरीके से विलोपित होने देने से बचाने के लिए निर्वाचकीय डाटाबेस में उपयुक्‍त फ्लैगिंग की जानी चाहिए।
    12. निर्वाचक डाटाबेस में दिव्‍यांगजनों को इंगित (फ्लैग) किया जाना: चूंकि निर्वाचक नामावली में नामांकन के लिए प्ररूप-6 में नि:शक्‍तताओं के बारे में सूचना देने के लिए एक वैकल्पिक फील्‍ड है, इसलिए आयोग ने निदेश दिया है कि दिव्‍यांग निर्वाचकों, जिन्‍होंने प्ररूप 6 में ऐसी सूचना दी है, के सभी मामलों को नि:शक्‍तता की श्रेणी के साथ निर्वाचक डाटाबेस में इंगित किया जाना चाहिए ताकि ऐसे निर्वाचकों को मतदान के समय मतदान केन्‍द्र में आवश्‍यक सुविधाएं प्रदान की जा सके। इस संबंध में नि:शक्‍तता प्रतिशत उल्‍लेख करने के लिए एक उपबंध भी किया गया है। यह साफ तौर पर स्‍पष्‍ट किया जाता है कि नि:शक्‍तता की ऐसी सूचना किसी भी रीति से निर्वाचक नामावली में प्रतिबिंबित नहीं होनी चाहिए। संबंधित मुख्य निर्वाचन अधिकारी को राज्‍य में दिव्‍यांगजनों से संबंधित विभाग का सहयोग लेना चाहिए ताकि दिव्‍यांगजनों का पता लगाने (मैंपिंग) में उनकी सहायता प्राप्‍त की जा सके। मुख्‍य निर्वाचन अधिकारी, यदि यह आवश्‍यक समझें तो वे निर्वाचकों, जो अपनी नि:शक्‍तताओं का प्रकटन करने के इच्‍छुक हैं, से दिव्‍यांगजनों के ऐसे आंकड़ों का संग्रहण करने के लिए घर-घर जाकर दौरा करने के दौरान बी.एल.ओ. की सेवाओं का उपयोग कर सकते हैं। साप्‍ताहिक प्रगति की समीक्षा करने के लिए इस संबंध में साप्‍ताहिक प्रगति रिपोर्ट राज्‍य के प्रभारी सचिव/प्रधान सचिव को भेजी जा सकती है।
    13.    मुख्‍य निर्वाचन अधिकारी अपनी स्‍वयं की टीम भी नामोद्दिष्‍ट कर सकते हैं या निर्वाचन आयोग से, आवश्‍यक समझे जाने पर, आगे और राज्‍य स्‍तरीय जांच करने के लिए टीम तैनात करने का अनुरोध कर सकते हैं। आखिरकार, यह कार्य मुख्‍य निर्वाचन अधिकारी का है कि वह नामावलियों के प्रकाशन के लिए निर्वाचन आयोग का अनुमोदन प्राप्‍त करें और इसके लिए मुख्‍य निर्वाचन अधिकारी विहित फार्मेट (फार्मेट 1-8) में नामावलियों की राज्‍यव्‍यापी वस्‍तुस्थिति, नोटिस की गई भिन्‍नताओं, की गई सुधारात्‍मक कार्रवाई आदि पर एक विस्‍तृत रिपोर्ट देंगे। मुख्‍य निर्वाचन अधिकारी नामावली पुनरीक्षण प्रक्रिया के दौरान की गई जांचों और किए गए पर्यवेक्षण का लेखा-जोखा भी उपलब्‍ध कराएंगे और नामावली की गुणवत्ता पर अपनी संतुष्टि स्‍वरूप एक प्रमाण-पत्र भी देंगे। 
    14. ईआरओ-नेट पर अनुवीक्षण: मुख्‍य निर्वाचन अधिकारी अपनी स्‍वयं की टीम भी नामोद्दिष्‍ट कर सकते हैं या निर्वाचन आयोग से, आवश्‍यक समझे जाने पर, आगे और राज्‍य स्‍तरीय जांच करने के लिए टीम तैनात करने का अनुरोध कर सकते हैं। आखिरकार, यह कार्य मुख्‍य निर्वाचन अधिकारी का है कि वह नामावलियों के प्रकाशन के लिए निर्वाचन आयोग का अनुमोदन प्राप्‍त करें और इसके लिए मुख्‍य निर्वाचन अधिकारी विहित फार्मेट (फार्मेट 1-8) में नामावलियों की राज्‍यव्‍यापी वस्‍तुस्थिति, नोटिस की गई भिन्‍नताओं, की गई सुधारात्‍मक कार्रवाई आदि पर एक विस्‍तृत रिपोर्ट देंगे। मुख्‍य निर्वाचन अधिकारी नामावली पुनरीक्षण प्रक्रिया के दौरान की गई जांचों और किए गए पर्यवेक्षण का लेखा-जोखा भी उपलब्‍ध कराएंगे और नामावली की गुणवत्ता पर अपनी संतुष्टि स्‍वरूप एक प्रमाण-पत्र भी देंगे। 
    15. प्रेक्षण:- डिवीजनल आयुक्‍तों, जो अपने डिवीजनों के भीतर स‍माहित जिलों के लिए निर्वाचक नामावली प्रेक्षकों के तौर पर काम करेंगे, के अलावा आयोग पुनरीक्षण प्रक्रिया की औचक जांच, लेखा-परीक्षा और पर्यवेक्षण करने के लिए अपने प्रेक्षकों/भारत निर्वाचन आयोग के अधिकारियों/नामावली लेखा-परीक्षकों को तैनात कर सकता है। इसलिए, यह अति आवश्‍यक है कि सभी नामावली संबंधी अभिलेख, जिनमें प्रगति की रिपोर्टों के साथ-साथ लोकेशनों की वे सूचियां शामिल हैं जिनमें फील्‍ड कार्य प्रगति पर हैं, अद्यतन रखे जाने चाहिए और प्रेक्षकों को उपलब्‍ध कराए जाने चाहिए।
    16. राजनैतिक दलों के साथ बैठक और निर्वाचक नामावलियों को साझा करना: (i) सभी जिला निर्वाचन अधिकारी और मुख्‍य निर्वाचन अधिकारी राजनैतिक दलों की बैठकें अलग से बुलाएंगे और कार्यक्रम का ब्‍यौरा देंगे और मसौदा प्रकाशन की तारीख से पहले उनसे अपेक्षित सहयोग की मांग करेंगे। मसौदा प्रकाशन समुचित प्रचार-प्रसार के साथ अनुमोदित तारीख पर किया जाना चाहिए और मसौदा नामावलियों की प्रतियां प्रेस और मीडिया की उपस्थिति में सार्वजनिक बैठक में मान्‍यताप्राप्‍त राजनीतिक दलों को सौंपी जानी चाहिए। सभी स्थितियों में राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों से उपयुक्त पावती रसीद अवश्‍य प्राप्‍त की जानी चाहिए और अभिलेख में रखी जानी चाहिए।
    (ii) मुख्‍य निर्वाचन अधिकारी को सभी मान्‍यताप्राप्‍त राष्‍ट्रीय एवं राज्‍यस्‍तरीय राजनैतिक दलों को, विधि के महत्‍वपूर्ण बिंदुओं और पुनरीक्षण की कार्यविधियों से अवगत कराते हुए, लिखित में सूचित करना चाहिए और नामावली पुनरीक्षण कार्य में उनका सहयोग मांगना चाहिए। उन्‍हें निर्गत पत्र की एक प्रति आयोग को, अभिलेख के निमित्त, पृष्‍ठांकित की जानी चाहिए।
    (iii) ईआरओ द्वारा दावों एवं आपत्तियों की सूची भी सभी राजनैतिक दलों को साप्‍ताहिक आधार पर उपलब्‍ध कराई जानी चाहिए।
    (iv) निर्वाचकों का रजिस्‍ट्रीकरण नियम, 1960 के नियम 11(ग) और 22(ग) के उपबंधों के अनुसार मसौदा एवं अंतिम प्रकाशन के तुरंत बाद मसौदा निर्वाचक नामावलियों और अंतिम निर्वाचक नामावलियों के सम्‍पूर्ण सेट की दो प्रतियां मान्‍यताप्राप्‍त राजनैतिक दलों को नि:शुल्‍क उपलब्‍ध कराई जानी चाहिए। (कृपया इस मामले में विस्‍तृत दिशा-निर्देशों के लिए निर्वाचक नामावली मैनुअल, 2016 के अध्‍याय 25 का पैरा 25.3 देखें)।
    (v) मुख्‍य निर्वाचन अधिकारी मान्‍यताप्राप्‍त राजनीतिक दलों से अनुरोध करेंगे कि वे प्रत्‍येक मतदान केन्‍द्र के लिए बूथ लेवल एजेंट (बीएलए) की पहचान एवं नियुक्ति करें जिन्‍हें पुनरीक्षण अवधि के दौरान बीएलओ के साथ सम्‍बद्ध किया जाएगा। बीएलओ संबंधित राज्‍य के मान्‍यताप्राप्‍त राजनैतिक दलों के बीएलए के साथ मसौदा निर्वाचक नामावली की जांच परख करेंगे और शुद्धियों, आदि की पहचान करेंगे। यह उल्‍लेख करना उपयुक्‍त है कि मान्‍यताप्राप्‍त राजनैतिक दल से एक बार नियुक्‍त बीएलए तब तक बीएलए के रूप में काम करते रहेंगे जब तक कि उनकी नियुक्ति संबंधित राजनीतिक दल द्वारा निष्‍प्रभावी/प्रतिसंहरित (रिवोक) न कर दी जाए।
    (vi) राजनैतिक दलों की और अधिक सहभागिता सुनिश्चित करने के दृष्टिगत आयोग ने मान्‍यताप्राप्‍त राजनीतिक दलों के बीएलए को इस शर्त के अधीन थोक में आवेदन दायर करने की अनुमति दी है कि एक बीएलए एक समय/एक दिन में बीएलओ को 10 से अधिक फार्म प्रस्‍तुत नहीं करेंगे। यदि बीएलए दावे एवं आपत्तियों को दायर करने की सम्‍पूर्ण अवधि के दौरान 30 से अधिक आवेदन फार्म प्रस्‍तुत करता है तो ईआरओ/एईआरओ द्वारा स्‍वयं प्रति-सत्‍यापन अवश्‍य किया जाना चाहिए। इसके अलावा बीएलए इस घोषणा के साथ आवेदन-फार्मों की एक सूची भी प्रस्‍तुत करेंगे कि उसने आवेदन फार्मों के विवरणों का व्‍यक्तिगत रूप से सत्‍यापन कर लिया है और इस बात के प्रति संतुष्‍ट है कि वे सही हैं।
    17. पारदर्शिता उपाय: हितधारकों को सुविधा प्रदान करने और निर्वाचक रजिस्‍ट्रीकरण की प्रक्रिया में और अधिक पारदर्शिता लाने के लिए मसौदा निर्वाचक नामावली, अंतिम निर्वाचक नामावली, दावों एवं आपत्तियों की सूची को सीईओ की वेबसाइट पर डालने और उसे मान्‍यताप्राप्‍त राजनीतिक दलों के साथ साझा करने के अलावा सीईओ की वेबसाइट पर दिन-प्रति-दिन आधार पर प्ररूप 6, 6क, 7, 8 में प्राप्‍त सभी आवेदन फार्मों के कम्‍प्‍यूटरीकरण और प्रविष्टिकरण की रीति जारी रहेगी। ईआरओ-नेट से पुनरीक्षण के दौरान प्राप्‍त दावों और आपत्तियों के निपटान की वस्‍तुस्थिति पर सीईओ एक रिपोर्ट तैयार करेंगे और उसे साप्‍ताहिक आधार पर अपनी वेबसाइट पर आम जन/नागरिकों की सूचनार्थ डालेंगे।
    18. प्रचार-प्रसार:- सार पुनरीक्षण कार्यक्रम के संबंध में जिला निर्वाचन अधिकारियों और मुख्‍य निर्वाचन अधिकारी द्वारा पर्याप्‍त प्रचार-प्रसार एवं जागरूकता अभियान सुनिश्चित किए जाएंगे। सभी जिला निर्वाचन अधिकारी और मुख्‍य निर्वाचन अधिकारी पुनरीक्षण कार्यक्रम का मीडिया, राजनीतिक दलों एवं सामाजिक संगठनों/आरडब्‍ल्‍यूए में उपयुक्‍त रूप से प्रचार-प्रसार करवाएंगे और निर्वाचक नामावलियों के मसौदा प्रकाशन की तारीख से काफी पहले निर्वाचकों/पात्र लोगों तक अनन्‍य रूप से पहुंचेंगे। मसौदा नामावलियों के प्रकाशन को प्रभावी बनाने के प्रयोजनार्थ स्‍वीप कार्यक्रमों की श्रृंखला, तालुक,‍ जिला एवं राज्‍य स्‍तरों पर राजनीतिक दलों के साथ बहुल एवं आवधिक बैठकों और नियमित प्रेस बैठकों का आयोजन किया जाए।
    19. नामावली का एकीकरण:- निर्वाचन वर्ष के दौरान विभिन्‍न स्‍तरों पर निर्वाचक नामावलियों के एकीकरण, उसमें अशुद्धियां दूर करने और उसके मुद्रण के संबंध में आयोग के दिनांक 25 सितंबर, 2018 और 14 फरवरी, 2019 एवं 30 जुलाई, 2020 के पत्र के द्वारा विस्‍तृत अनुदेश जारी किए गए हैं और संशोधनों के विद्यमान दौर के दौरान इनका निष्‍ठापूर्वक पालन किया जाएगा। निर्वाचक नामावलियों की प्रिंटिंग अब से केवल ईआरओ-नेट के माध्‍यम से ही की जाएगी।
    जहां तक निर्वाचक नामावलियों के एकीकरण का संबंध है, यह स्‍पष्‍ट किया जाता है कि:-
    (i) 01.01.2019 को अर्हक तारीख के रूप में निर्वाचक नामावलियों के अंतिम प्रकाशन के बाद सतत अद्यतन करने की अनुपूरक तैयारी परिसीमन आदेश 2022 के अनुसार 31 अगस्‍त, 2022 तक की जानी है। एसएसआर-2022 की उपर्युक्‍त मूल नामावली (मसौदा) को पुन: क्रमांकित करते हुए सभी प्रविष्टियों का कार्य विलोपित प्रविष्टियों को हटाने और परिवार के सदस्‍यों की प्रविष्टियों का एकीकरण (बंडलिंग) करने के बाद किया जाएगा। यद्यपि, एसएसआर-2022 के लिए परिवर्धन, विलोपन और संशोधन संबंधी अनुपूरक निर्वाचक रजिस्‍ट्रीकरण अधिकारी के द्वारा ईआरओ-नेट के माध्‍यम से तैयार किए जाएंगे और केवल भावी संदर्भों के लिए रिकार्ड में रखे जाएंगे।
    (ii) 01.10.2022 को अर्हक तारीख के रूप में एसएसआर-2022 के अंतिम प्रकाशन के समय, अंतिम नामावली के रूप में केवल एक ही नामावली होगी जिसमें मूल नामावली की अंतिम प्रविष्टि के बाद क्रम संख्‍या सहित सभी परिवर्धन प्रविष्टियां अनुक्रमण में आएंगी और आयोग के वर्तमान अनुदेशों के अनुसार, संक्षिप्‍त पुनरीक्षण के दौरान समस्‍त संशोधन और विलोपन स्‍वयं मूल नामावली में प्रतिबिंबित होंगे। अनुवर्धन, विलोपन और संशोधन की कोई भी सूची अलग से न तो प्रिन्‍ट की जाएगी और न ही राजनैतिक दलों को दी जाएगी, यद्यपि निर्वाचक रजिस्‍ट्रीकरण अधिकारी इन सूचियों को ईआरओ-नेट से ही निकालेगा और इन्‍हें भावी संदर्भ के लिए रखेगा।
    (iii) नाम निर्देशन की अंतिम तिथि को निर्वाचक नामावली राजनैतिक दलों को देने के लिए और चिह्नित प्रति/वर्किंग प्रति तैयार करने के लिए, निर्वाचक नामावली एक समेकित नामावली होगी, जहां इसमें परिवार के सदस्‍यों की बंडलिंग नहीं होगी और न ही उसे पुन: क्रमांकित किया जाएगा। सतत अद्यतन करने के दौरान अंतिम प्रकाशन तिथि से लेकर नाम निर्देशन करने की अंतिम तारीख (निर्वाचन होने की स्थिति में) तक किए गए सभी परिवर्धनों को अंतिम नामावली में सभी विलोपनों और संशोधनों को चिह्नित करते हुए अंतिम नामावली में अंतिम प्रविष्टि की अगली क्रम संख्‍या से प्रारंभ करके सतत क्रम सख्‍ंया देते हुए कालानुक्रमिक क्रम में रखा जाएगा, जैसा आयोग के विद्यमान अनुदेशों में निदेश दिया गया है। अनुवर्धन, विलोपन और संशोधन की कोई भी सूची अलग से प्रिन्‍ट नहीं की जाएगी और न राजनैतिक दलों को दी जाएगी, यद्यपि निर्वाचक रजिस्‍ट्रीकरण अधिकारी इन सूचियों को ईआरओ-नेट से ही निकालेगा और इन्‍हें भावी संदर्भ के लिए रखेगा।
    संशोधन/सतत अद्यतन की अवधि के दौरान की गईं सभी प्रविष्टियाँ, शुद्धियाँ (# या ## जैसा भी मामला है) के संकेत के साथ समेकित नामावली में ही परिलक्षित होंगी, यह इंगित करने के लिए कि प्रविष्टि संशोधित कर दी गई है। किए गए किसी भी संशोधन के मामले में पुरानी प्रविष्टियों के स्थान पर संशोधित प्रविष्टियों को समेकित नामावली में परिलक्षित किया जाएगा और संशोधनों की सूची (भविष्य के संदर्भ के लिए ईआरओ के साथ रखी जाएगी) में पुरानी प्रविष्टियां होंगी जिनमें संशोधन किए गए हैं, ताकि आवश्‍यकता पड़ने पर किए गए परिवर्तनों का पता लगाया जा सके।
    20. अंतिम प्रकाशन के लिए आयोग का अनुमोदन:-
    (i)     मुख्‍य निर्वाचन अधिकारी निर्वाचक नामावलियों के अंतिम प्रकाशन के लिए आयोग से पूर्व लिखित अनुमोदन प्राप्‍त करेंगे और मुख्‍य निर्वाचन अधिकारी द्वारा इस प्रयोजन हेतु एक प्रमाण पत्र प्रस्‍तुत किया जाएगा कि मृत/जनसांख्यिकी रूप से सदृश प्रविष्टियों/फोटो सदृश प्रविष्टियों/स्‍थानांतरित/पंजीकृत मृत और गैर-रजिस्‍टर्ड निर्वाचकों की गणना की जा चुकी है और संबंधित निर्वाचक रजिस्‍ट्रीकरण अधिकारी द्वारा उन्‍हें हटा दिया गया है, समस्‍त संगत त्रुटियां दूर की जा चुकी है और 100% एपिक और फोटो निर्वाचक नामावलियों में 100% फोटोज शामिल कर ली गईं हैं।
    (ii)  मुख्‍य निर्वाचन अधिकारी द्वारा फार्मेट 1-8 के साथ आयोग को अंतिम प्रकाशन कराने का अनुरोध 25 अक्‍टूबर, 2022 तक किया जाएगा और फार्मेट 1-8 के साथ ज्ञापन/नोट के जरिए अनिवार्यत: यह भी सूचित किया जाएगा कि निर्वाचक नामावली पुनरीक्षण प्रक्रिया से संबंधित निर्धारित लक्ष्‍यों को किस प्रकार पूरा किया गया और अगले सतत अद्यतनीकरण के दौरान कमियों, यदि कोई हों, को दूर करने के लिए क्‍या कार्यनीति अपनाई जाएगी। इसे हर स्थिति में अंतिम प्रकाशन की तारीख से कम से कम 5 दिन पहले कर लेना चाहिए ताकि अंतिम प्रकाशन से कम से कम 3 दिन पहले आयोग का अनुमोदन संसूचित किया जा सके।
    (iii)   यह स्‍पष्‍ट किया जाता है कि प्ररूप 1 से 8 ईआरओ-नेट के माध्‍यम से निकाले जाएंगे। इसके लिए जिला निर्वाचन अधिकारी, एसएसआर, 2022  के दौरान प्रविष्‍ट की गई आयु-समूहवार की अनुमानित जनसंख्‍या के डाटा को तुरंत अद्यतित किया जाएगा।
    21. इसके अतिरिक्‍त, यह भी नोट कर लिया जाए कि पुनरीक्षण के संबंध में सभी पत्र-व्‍यवहार तथा स्‍पष्‍टीकरण भारत निर्वाचन आयोग के प्रधान सचिव/सचिव (संघ राज्‍य क्षेत्र के प्रभारी) को संबोधित किए जाएंगे जो कि न केवल संबंधित मुख्‍य निर्वाचन अधिकारी को अविलंब उत्‍तर देंगे परंतु यह भी सुनिश्चित करेंगे कि उनके प्रभार के अधीन आने वाले संघ राज्‍यक्षेत्रों के नामावली पुनरीक्षण कार्यक्रम में कोई कमी नहीं रहे। वे संघ राज्‍यक्षेत्र के पुनरीक्षण-पूर्व क्रियाकलापों तथा नामावली पुनरीक्षण कार्यक्रम की सूक्ष्‍मतापूर्ण अनुवीक्षण करेंगे, इसलिए मुख्‍य निर्वाचन अधिकारियों को नियमित अंतराल पर, पुनरीक्षण प्रक्रिया पर अपेक्षित प्रगति रिपोर्ट अग्रेषित करते रहना चाहिए।
    22. इसके अतिरिक्‍त, मुख्‍य निर्वाचन अधिकारियों और सभी अधिकारियों से यह भी अनुरोध है कि वे सम्‍प्रेषण के शीघ्र एवं सटीक आदान-प्रदान हेतु ई-मेल सुविधा का बड़े पैमाने पर उपयोग करें।
    23. इस पत्र की एक प्रति, तत्‍काल उपयुक्‍त आवश्‍यक कार्रवाई करने के लिए, राज्‍य में सभी जिला निर्वाचन अधिकारियों/निर्वाचक रजिस्‍ट्रीकरण अधिकारियों को भी परिचालित की जानी चाहिए।

    39 downloads

    फ़ाइल सबमिट की गई Wednesday 27 July 2022

  17. 306-डोमरियागंज विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र, उत्तर प्रदेश से बीजेपी अभ्यर्थी श्री राघवेन्द्र प्रताप सिंह द्वारा आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन किए जाने के संबंध में आयोग का आदेश।

    सं.:-437/यूपी-एलए/2022                                 
     दिनांक 27 फरवरी, 2022
     
    आदेश
    यतः, आयोग ने लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के धारा 125; "राजनैतिक दलों और अभ्यर्थियों के मार्गदर्शन के लिए आदर्श आचार संहिता" के भाग-I 'सामान्य आचरण' के पैरा 1 और पैरा 4 के 'प्रथम दृष्ट्या' उल्लंघन करने के लिए 306-डोमरियागंज विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र से निर्वाचन लड़ने वाले भारतीय जनता पार्टी के अभ्यर्थी, श्री राघवेन्द्र प्रताप सिंह को पेडारी गाँव, डोमरियागंज की जनसभा में दिनांक 19.02.2022 को उनके द्वारा दिए गए आपतिजनक बयान के लिए कारण-बताओ नोटिस सं. 437/यूपी-एलए/2022 दिनांक 26 फरवरी, 2022 को जारी किया है। उस ब्यान का वीडियो विभिन्न मीडिया प्लेटफार्मों पर व्यापक रूप से परिचालित हो रहा है, जिसकी अनुलिपि नीचे दी गई हैं- 
    "ई बताई दो कौनो मियां हमके वोट देई?  तो ई जान लेयो यह गांव कै जउन हिन्दू अगर दूसरे तरफ जात बा, तो इ जान लेयो ओकरे अन्दर मियां के खून दउड़त बा। ठीक है, नहीं ठीक है? उ गद्दार है, जयचन्द के नाजायज औलाद है। अपने बाप के हरामखोर औलाद है। इतना अत्याचार होने के बाद भी हिन्दू अगर दूसरे तरफ जाता है, तो उसको सड़क पर मुंह दिखाने लायक नहीं रखना चाहिए।...(अस्पष्ट)... में कुछ नहीं बोलता था। मैनें कहां, पांच साल मैं भी विधायक होने के बाद देखूंगा, जरा परखूंगा, समझूंगा और एक बार अगर वार्निंग देने के साथ समझ में नहीं आयेगा तो, इस बार मैं बता दूंगा कि राघवेन्द्र सिंह कौन है। मेरे साथ गद्दारी करोगे तो चलेगा, मैं अपमान सह लूंगा। मुझे अपमानित करोगे तो भी मैं अपमानित सह लूंगा, अगर हमारे हिन्दू समाज को अपमानित करने का प्रयास करोगे तो बर्बाद कर के रख दूंगा"; और
    यतः, श्री राघवेन्द्र प्रताप सिंह को उक्त नोटिस प्राप्त होने के उपरान्त 24 घंटे के भीतर अपना जवाब प्रस्तुत करने को कहा गया था; और
    यतः, पूर्वोक्त नोटिस के संबंध में निर्धारित समय के भीतर उत्तर प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी के कार्यालय की ओर से आयोग में जवाब प्राप्त हुआ है; और
    यतः, पूर्वकथित जवाब में, श्री राघवेन्द्र प्रताप सिंह ने निवेदन किया है कि उक्त नोटिस के संबंध में उनको जवाब प्रस्तुत करने के लिए दिया गया समय पर्याप्त नहीं है और उन्होंने जवाब प्रस्तुत करने के लिए अतिरिक्त समय की माँग की है। अन्य बातों के साथ- साथ यह बात भी बल देकर कही गई है कि यह अनुमान अधुरे वीडियो/अनुलिपि के आधार पर लगाया गया है और यह वक्तव्य उनके द्वारा सिर्फ कुछ खास स्थानीय लोगों द्वारा किए गए अत्याचारों की शिकायत के संबंध में सांत्वना के संकेत के रूप में दिया गया था; और 
    यतः, निर्वाचन एक समयबद्ध प्रक्रिया होने के नाते कानून एवं व्यवस्था की स्थिति को प्रभावशाली ढ़ंग से नियन्त्रित करने और इस तरह की आवांछनीय घटनाओं से होने वाली क्षति को यथासंभव कम करने के लिए निर्वाचन प्रधिकारियों द्वारा तत्काल कार्रवाई करने की आवश्यकता होती है और इन सभी पहलूओं को ध्यान में रखते हुए, श्री राघवेन्द्र को जवाब प्रस्तुत करने के लिए उनके द्वारा मांगे गए अतिरिक्त समय प्रदान करने के अनुरोध को आयोग द्वारा स्वीकार नहीं किया गया है; और 
    यत; आयोग ने उक्त बयान वाली विडियो रिकार्डिंग का पुनः देखा है और पाया है कि विवादित बयान में दिए गए संदर्भ एकदम गैरजिम्मेदाराना, भड़काऊ और धमकाने वाली प्रकृति का है और इसमें समाज के धार्मिक सौहार्द को भंग करने की छिपी हुई भावना और प्रवृत्ति विद्यमान है; और
    यतः भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 153क, 295क, 505 (2), 506 के अंतर्गत एवं लोक प्रतिनिधत्व अधिनियम, 1951 की धारा 125 के अंतर्गत डोमरियागंज थाना, जो सिद्धार्थनगर जिला के अन्तर्गत आता है, में विवादित बयान देने के लिए श्री राघवेन्द्र प्रताप सिंह के खिलाफ पहले हीं प्राथमिकी दर्ज की जा चुकी है; और 
    यतः, श्री राघवेन्द्र प्रताप सिहं द्वारा दिए गए उनके पूर्व कथित जवाब के संबंध में उपलब्ध सभी महत्वपूर्ण तथ्यों और प्रमाणों पर विचार करते हुए, आयोग का मत है कि श्री राघवेन्द्र प्रताप सिंह ने विवादित बयान देकर "राजनैतिक दलों और अभ्यर्थियों के मार्गदर्शन के लिए आदर्श आचार संहिता के भाग I सामान्य आचरण" के पैरा 1, और 4 का उल्लंघन किया है।
    अतः, अब, आयोग इस मामले में जारी किए गए या जारी किए जानेवाले किसी भी आदेश/नोटिस बिना पक्षपात के, एतदद्वारा श्री राघवेन्द्र प्रताप सिंह, 306-डोमरियागंज विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से निर्वाचन लड़ रहे भारतीय जनता पार्टी के अभ्यर्थी, द्वारा दिए गए विवादित बयान की भर्त्सना करता है और उपरोक्त उल्लंघन के लिए उनकी निंदा करता है। आयोग एतदद्वारा भारत के संविधान के अनुच्छेद 324 के अंतर्गत एवं इस संबंध में अन्य सभी प्रदत्त शक्तियों के आधार पर चल रहे निर्वाचनों के संबंध में आदेश देता है और उन्हें दिनांक 28.02.22 (सोमवार) को 6 बजे सुबह से 24 घंटे के लिए किसी भी जनसभा के आयोजन करने, सार्वजनिक जुलूसों, सार्वजनिक रैलियों, रोड शो करने और साक्षात्कार देने, मीडिया (इलेक्ट्रॉनिक, प्रिंट, सोशल मीडिया) इत्यादि में सार्वाजनिक रूप से बोलने के संबंध में उन पर रोक लगाने का आदेश देता है।
    आदेश से
    अजय कुमार
    (सचिव)
    सेवा में
    श्री राघवेन्द्र प्रताप सिंह
    306- डोमरियागंज विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र मे भाजपा के अभ्यर्थी 
    जिला-सिद्धार्थनगर, उत्र प्रदेश

    22 downloads

    फ़ाइल सबमिट की गई Thursday 17 March 2022

  18. विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र से सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी से लड़ने वाले अभ्यर्थी 356-मऊ उत्तर प्रदेश के अब्बास अंसारी द्वारा आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन के संबंध में आयोग का आदेश।

    विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र से सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी से लड़ने वाले अभ्यर्थी 356-मऊ उत्तर प्रदेश के अब्बास अंसारी द्वारा आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन के संबंध में आयोग का आदेश।

    29 downloads

    फ़ाइल सबमिट की गई Thursday 17 March 2022

  19. फ़ाइल सबमिट की गई Thursday 17 March 2022

  20. फ़ाइल सबमिट की गई Thursday 17 March 2022

  21. भारत निर्वाचन आयोग ने अपने दिनांक 29 मार्च, 2023 के प्रेस नोट सं. ईसीआई/पीएन/24/2023 के द्वारा कर्नाटक विधान सभा के साधारण निर्वाचन की घोषणा की है और राजनैतिक दलों और अभ्यर्थियों के लिए आदर्श आचार संहिता के उपबंध उसी तारीख से लागू हो गए हैं

    सं. 437/केटी-एलए/2023                                                
     दिनांकः 03 मई, 2023
     
    नोटिस
     
           यतः, भारत निर्वाचन आयोग ने अपने दिनांक 29 मार्च, 2023 के प्रेस नोट सं. ईसीआई/पीएन/24/2023 के द्वारा कर्नाटक विधान सभा के साधारण निर्वाचन की घोषणा की है और राजनैतिक दलों और अभ्यर्थियों के लिए आदर्श आचार संहिता के उपबंध उसी तारीख से लागू हो गए हैं; और
     
           यतः, राजनैतिक दलों और अभ्यर्थियों के मार्गदर्शन के लिए आदर्श आचार संहिता उपबंधित करती है कि:-
    (क)  खंड 3.8.2 (ii) निर्दिष्ट करता है कि "किसी भी व्यक्ति को ऐसी किसी गतिविधि में लिप्त नहीं होना चाहिए या ऐसा बयान नहीं देना चाहिए जो किसी व्यक्ति के व्यक्तिगत जीवन पर आक्रमण करने के समान हो या ऐसा बयान नहीं देना चाहिए जो दुर्भावनापूर्ण हो या जिससे शालीनता एवं नैतिकता का हनन होता हो।"
    (ख)  खंड 4.3.1 विनिर्दिष्ट करता है कि "राजनीतिक दल और अभ्यर्थी निजी जीवन के ऐसे सभी पहलुओं की आलोचना करने से बचेंगे, जो अन्य दलों के नेताओं और कार्यकर्ताओं की सार्वजनिक गतिविधियों से नहीं जुड़ा है। इस में यह भी प्रावधान है कि कोई भी दल या अभ्यर्थी ऐसी किसी भी गतिविधि में शामिल नहीं होगा, जो मौजूदा मतभेदों को बढ़ाए या आपसी घृणा पैदा करे या तनाव पैदा करे।"
    (ग)   खंड 4.3.2 में विनिर्दिष्ट है कि "निर्वाचन अभियान के उच्च स्तर बनाए रखे जाएं।"
    (घ)   खंड 4.3.2 (ii) में विनिर्दिष्ट है कि "निर्वाचन आयोग ने राजनीतिक संवाद के गिरते स्तर पर गहरी नाराजगी व्यक्त करते हुए, राजनीतिक दलों को नोटिस दिया कि आदर्श आचार संहिता का बार-बार उल्लंघन किए जाने पर उनके विरुद्ध कार्रवाई की जा सकती है।"
     
    यतः, आयोग को श्री पीयूश गोयल, श्री अनिल बलुनी और श्री ओम पाठक, बीजेपी से दिनांक 2 मई, 2023 की एक शिकायत प्राप्त हुई है (प्रति संलग्न) कि आपने 30 अप्रैल, 2023 को कर्नाटक के "कलबुर्गी" में एक जनसभा में एक वक्तव्य दिया है, जिसमें आपने प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी के विरुद्ध अपमानजनक भाषा का प्रयोग किया है।
     
           यतः, आदर्श आचार संहिता के उपबंधों के आलोक में उक्त भाषण की वीडियो की जांच की गई थी और इसके निम्नलिखित भाग को उपर्युक्त आदर्श आचार संहिता के उपबंध का उल्लंघन करने वाला पाया गया है-
     
           "ऐसा नालायक बेटा बैठा तो कैसा होता भाई? घर कैसे चलेगा?"
     
           यतः, प्रथम दृष्टया आयोग का मत है कि आपने उक्त बयान देकर आदर्श आचार संहिता के उपर्युक्त उपबंध का उल्लंघन किया है;
           अतः, अब आपको एतद्द्वारा दिनांक 04.05.2023 को सायं 5.00 बजे तक कारण बताने के लिए कहा जाता है कि आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन के लिए आपके विरुद्ध उपयुक्त कार्रवाई क्यों न की जाए?
     
           ध्यान दें कि निर्धारित समय के भीतर यदि आपकी ओर से कोई उत्तर नहीं मिलता तो यह मान लिया जाएगा कि इस मामले में आपको कुछ नहीं कहना है और आपको आगे सूचित किए बिना भारत निर्वाचन आयोग इस मामले में उपयुक्त कार्रवाई अथवा निर्णय करेगा।
     
     

    128 downloads

    फ़ाइल सबमिट की गई Tuesday 16 May 2023

  22. प्रिंट मीडिया में विज्ञापन के संबंध में राजनैतिक दलों के लिए आयोग की एडवाइजरी

    भारत निर्वाचन आयोग को विज्ञापनों एवं निर्वाचन अभियान के दौरान कथित रूप से किए गए असत्यापित दावों और प्रतिदावों वाली बयानबाजियों के संबंध में कुछ राष्ट्रीय दलों द्वारा शिकायतें एवं प्रति-शिकायतें प्राप्त हुई हैं।
    2.     वर्तमान में प्रिंट मीडिया में राजनीतिक विज्ञापन के लिए पूर्व-प्रमाणन हेतु समय-सीमा भारत निर्वाचन आयोग के दिनांक 31.03.2023 के अनुदेशों में निहित हैं। कर्नाटक विधान सभा के लिए साधारण निर्वाचन के संबंध में इस अनुदेश के माध्यम से, “कोई भी राजनीतिक दल या अभ्यर्थी या अन्य कोई संगठन या कोई व्यक्ति मतदान के दिन और मतदान दिवस से एक दिन पूर्व प्रिंट, मीडिया में कोई विज्ञापन तब तक प्रकाशित नहीं करेगा, जब तक कि उसके द्वारा राजनीतिक विज्ञापन की सामग्री राज्य/जिला स्तर पर, जैसा भी मामला हो, एमसीएमसी समिति से पूर्व-प्रमाणित नहीं करवा ली जाए।”
    “यह भी सूचित किया जाता है कि उपरोक्त पैरा 2 में उल्लिखित आवेदकों को मतदान के दिन और मतदान दिवस से एक (01) दिन पहले, विज्ञापन के प्रकाशन की प्रस्तावित तारीख से 02 (दो) दिन पूर्व एमसीएमसी के समक्ष आवेदन करना होगा।”
    “आयोग के उपर्युक्त निदेश राज्य में सभी राजनीतिक दलों के अध्यक्षों, निर्वाचन लड़ने वाले अभ्यर्थियों और समाचार पत्रों के ध्यान में लाएं जाएं और सामान्य सूचना और सख्त अनुपालन के लिए इनका     मॉस मीडिया में व्यापक प्रचार-प्रसार भी किया जाए।”
    3.     जैसा कि पूर्व-प्रमाणन समयसीमा के प्रवृत्त में आने के लिए अभी भी 24 घंटे हैं, अत: आयोग एक बार पुन: दोहराता है कि दिनांक 31.03.2023 के निदेश के पैरा 1 में समाविष्ट दिनांक 31.03.2023 के इसके निदेश की मूल भावना का राजनीतिक दलों द्वारा पालन किए जाने की आवश्यकता है अर्थात् “कि अतीत में प्रिंट मीडिया में प्रकाशित अपमानजनक एवं भ्रामक प्रकृति के विज्ञापनों के दृष्टांतों को आयोग के संज्ञान में लाया गया है। निर्वाचन के अंतिम चरण में ऐसे विज्ञापन, संपूर्ण निर्वाचन प्रक्रिया को निष्प्रभावित करते हैं। प्रभावित अभ्यर्थी और दलों के पास ऐसे मामलों में स्पष्टीकरण देने/खंडन करने का कोई अवसर नहीं होगा।”
    4.     भारत निर्वाचन आयोग के समक्ष रिकार्ड के आधार पर, जिसमें राजनीतिक दलों की प्रतिक्रिया भी  शामिल है, पूर्व-प्रमाणन की समय-सीमा को ज्यादा अवधि तक बढ़ाने के विकल्प पर विचार किया गया था। हालांकि, शेष निर्वाचन प्रचार अवधि के संबंध में समय की कमी को देखते हुए, भारत निर्वाचन आयोग ने ऐसे कदम उठाने से परहेज किया है। इसके बजाय, यह दोहराता है कि प्रिंट मीडिया में विज्ञापन के लिए पूर्व-प्रमाणन की समय-सीमा पर ध्यान दिए बिना, निर्वाचन प्रचार अवधि के दौरान हर समय सभी हितधारकों द्वारा निर्वाचन प्रचार करते समय स्वच्छ एवं गंभीर बयानबाजी के अनुदेशों को समझा जाना चाहिए और उन्हें कायम रखा जाना चाहिए।
    5.     निर्वाचन प्रचार के दौरान किए गए विज्ञापनों एवं बयानबाजियों के संदर्भ में, आदर्श आचार संहिता के खण्ड 4.4.2 (ख) (फ) की ओर एक बार पुन: ध्यान आकृष्ट किया जाता है, अर्थात् “अन्य दलों एवं उनके कार्यकर्ताओं के असत्यापित आरोपों एवं तोड़-मरोड़ कर बयानबाजी के आधार पर आलोचना नहीं की जाएगी।”
    6.     उपर्युक्त के क्रम में एवं उपर्युक्त के अनाधीन, भारत निर्वाचन आयोग ने निर्वाचन प्रचार की शेष अवधि कम रह जाने की स्थिति को देखते हुए, प्रत्यक्ष: इस चिंता को नोट किया है कि राष्ट्रीय दल एवं स्टार प्रचारक निर्वाचन प्रचार के दौरान बयानबाजी के अपेक्षित प्रतिमानकों के प्रति कर्तव्यबद्ध हैं। तद्नुसार, आयोग भी अपने दिनांक 02/05/23 के निदेश को पुन: दोहराता है और निर्वाचन आयोग के दौरान दिए गए विज्ञापनों एवं बयानबाजी के संबंध में इसके सख्त अनुपालन पर अधिकाधिक जोर देता है।
     

    51 downloads

    फ़ाइल सबमिट की गई Wednesday 24 May 2023

  23. निर्वाचनरत कर्नाटक राज्य में जब्तियों में 4.5 गुना वृद्धि होना, व्यय निगरानी पर अत्यधिक फोकस को दर्शाता है

    सं. ईसीआई/पीएन/32/2023                                                
     दिनांकः 09 मई, 2023
     
    प्रेस नोट
     
    निर्वाचनरत कर्नाटक राज्य में जब्तियों में 4.5 गुना वृद्धि होना, व्यय निगरानी पर अत्यधिक फोकस को दर्शाता है
     
    कर्नाटक विधान सभा के प्रगतिरत निर्वाचनों में अब तक कुल 375 करोड़ रुपए से अधिक की जब्तियां दर्ज की गईं
     
    प्रवर्तन निदेशालय ने आदर्श आचार संहिता लागू होने के बाद 288 करोड़ रु. की परिसंपत्तियोँ की कुर्की की
     
    राज्य में ज्यादा कड़ी सतर्कता एवं निगरानी के लिए 146 व्यय प्रेक्षक प्रतिनियुक्त किए गए; 81 विधान सभा निर्वाचन क्षेत्रों को व्यय-संवेदनशील निर्वाचन क्षेत्रों के रूप में चिह्नित किया गया

    34 downloads

    फ़ाइल सबमिट की गई Wednesday 24 May 2023

  24. राजनीतिक दलों को जारी की गई एडवाइजरी को साझा करना।

    सं.437/केटी-एलए/2023                                        
     दिनांक: 07.05.2023
     
    योग को विज्ञापनों एवं निर्वाचन अभियान के दौरान कथित रूप से किए गए असत्यापित दावों और प्रतिदावों वाली बयानबाजियों के संबंध में कुछ राष्ट्रीय दलों द्वारा शिकायतें एवं प्रति-शिकायतें प्राप्त हुई हैं।
    2.    वर्तमान में प्रिंट मीडिया में राजनीतिक विज्ञापन के लिए पूर्व-प्रमाणन हेतु समय-सीमा भारत निर्वाचन आयोग के दिनांक 31.03.2023 के अनुदेशों में निहित हैं। कर्नाटक विधान सभा के लिए साधारण निर्वाचन के संबंध में इस अनुदेश के माध्यम से, “कोई भी राजनीतिक दल या अभ्यर्थी या अन्य कोई संगठन या कोई व्यक्ति मतदान के दिन और मतदान दिवस से एक दिन पूर्व प्रिंट, मीडिया में कोई विज्ञापन तब तक प्रकाशित नहीं करेगा, जब तक कि उसके द्वारा राजनीतिक विज्ञापन की सामग्री राज्य/जिला स्तर पर, जैसा भी मामला हो, एमसीएमसी समिति से पूर्व-प्रमाणित नहीं करवा ली जाए।”
    “यह भी सूचित किया जाता है कि उपरोक्त पैरा 2 में उल्लिखित आवेदकों को मतदान के दिन और मतदान दिवस से एक (01) दिन पहले, विज्ञापन के प्रकाशन की प्रस्तावित तारीख से 02 (दो) दिन पूर्व एमसीएमसी के समक्ष आवेदन करना होगा।”
    “आयोग के उपर्युक्त निदेश राज्य में सभी राजनीतिक दलों के अध्यक्षों, निर्वाचन लड़ने वाले अभ्यर्थियों और समाचार पत्रों के ध्यान में लाएं जाएं और सामान्य सूचना और सख्त अनुपालन के लिए इनका     मॉस मीडिया में व्यापक प्रचार-प्रसार भी किया जाए।”
    3.    जैसा कि पूर्व-प्रमाणन समयसीमा के प्रवृत्त में आने के लिए अभी भी 24 घंटे हैं, अत: आयोग एक बार पुन: दोहराता है कि दिनांक 31.03.2023 के निदेश के पैरा 1 में समाविष्ट दिनांक 31.03.2023 के इसके निदेश की मूल भावना का राजनीतिक दलों द्वारा पालन किए जाने की आवश्यकता है अर्थात् “कि अतीत में प्रिंट मीडिया में प्रकाशित अपमानजनक एवं भ्रामक प्रकृति के विज्ञापनों के दृष्टांतों को आयोग के संज्ञान में लाया गया है। निर्वाचन के अंतिम चरण में ऐसे विज्ञापन, संपूर्ण निर्वाचन प्रक्रिया को निष्प्रभावित करते हैं। प्रभावित अभ्यर्थी और दलों के पास ऐसे मामलों में स्पष्टीकरण देने/खंडन करने का कोई अवसर नहीं होगा।”
    4.    भारत निर्वाचन आयोग के समक्ष रिकार्ड के आधार पर, जिसमें राजनीतिक दलों की प्रतिक्रिया भी  शामिल है, पूर्व-प्रमाणन की समय-सीमा को ज्यादा अवधि तक बढ़ाने के विकल्प पर विचार किया गया था। हालांकि, शेष निर्वाचन प्रचार अवधि के संबंध में समय की कमी को देखते हुए, भारत निर्वाचन आयोग ने ऐसे कदम उठाने से परहेज किया है। इसके बजाय, यह दोहराता है कि प्रिंट मीडिया में विज्ञापन के लिए पूर्व-प्रमाणन की समय-सीमा पर ध्यान दिए बिना, निर्वाचन प्रचार अवधि के दौरान हर समय सभी हितधारकों द्वारा निर्वाचन प्रचार करते समय स्वच्छ एवं गंभीर बयानबाजी के अनुदेशों को समझा जाना चाहिए और उन्हें कायम रखा जाना चाहिए।
    5.    निर्वाचन प्रचार के दौरान किए गए विज्ञापनों एवं बयानबाजियों के संदर्भ में, आदर्श आचार संहिता के खण्ड 4.4.2 (ख) (फ) की ओर एक बार पुन: ध्यान आकृष्ट किया जाता है, अर्थात् “अन्य दलों एवं उनके कार्यकर्ताओं के असत्यापित आरोपों एवं तोड़-मरोड़ कर बयानबाजी के आधार पर आलोचना नहीं की जाएगी।”
    6.    उपर्युक्त के क्रम में एवं उपर्युक्त के अनाधीन, भारत निर्वाचन आयोग ने निर्वाचन प्रचार की शेष अवधि कम रह जाने की स्थिति को देखते हुए, प्रत्यक्ष: इस चिंता को नोट किया है कि राष्ट्रीय दल एवं स्टार प्रचारक निर्वाचन प्रचार के दौरान बयानबाजी के अपेक्षित प्रतिमानकों के प्रति कर्तव्यबद्ध हैं। तद्नुसार, आयोग भी अपने दिनांक 02/05/23 के निदेश को पुन: दोहराता है और निर्वाचन आयोग के दौरान दिए गए विज्ञापनों एवं बयानबाजी के संबंध में इसके सख्त अनुपालन पर अधिकाधिक जोर देता है।
     
     
     
     

    66 downloads

    फ़ाइल सबमिट की गई Wednesday 24 May 2023

  25. राजनैतिक दलों और अभ्यर्थियों के मार्गदर्शन के लिए आदर्श आचार संहिता' के भाग I

    सं. 437/केटी-एलए/2023                                              06 मई, 2023
     
    नोटिस
     
     
    यतः, भारत निर्वाचन आयोग ने अपने दिनांक 29 मार्च, 2023 के प्रेस नोट सं. ईसीआई/पीएन/24/2023 के अनुसार कर्नाटक विधान सभा के साधारण निर्वाचन, 2023 की घोषणा की है और राजनैतिक दलों और अभ्यर्थियों के लिए आदर्श आचार संहिता के उपबंध उसी तारीख से लागू हो गए हैं; और
     
    2.       यतः, 'राजनैतिक दलों और अभ्यर्थियों के मार्गदर्शन के लिए आदर्श आचार संहिता' के भाग I 'साधारण आचरण' का खंड 2 उपबंधित करता है किः-
     
    "जब अन्य राजनैतिक दलों की आलोचना की जाए, तो वह उनकी नीतियों और कार्यक्रम, पूर्व रिकार्ड और कार्य तक ही सीमित होनी चाहिए। दल और अभ्यर्थी व्यक्तिगत जीवन के ऐसे सभी पहलुओं की आलोचना से बचेंगे, जिनका संबंध अन्य दलों के नेताओं या कार्यकर्ताओं के सार्वजनिक क्रियाकलाप से न हो। अन्य दलों या उनके कार्यकर्ताओं के बारे में कोई ऐसी आलोचना नहीं की जानी चाहिये, जो ऐसे आरोपों पर जिनकी सत्यता स्थापित न हुई हो या जो तोड़-मरोड़कर कही गई बातों पर आधारित हों"
     
    3.   यतः, लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 123 (4) उपबंधित करती है किः-
     
    "किसी अभ्यर्थी के वैयक्तिक शील या आचरण के सम्बन्ध में या किसी अभ्यर्थी की अभ्यर्थिता या अभ्यर्थिता वापस लेने के सम्बंन्ध में या अभ्यर्थी या उसके अभिकर्ता द्वारा या [अभ्यर्थी या उसके निर्वाचन अभिकर्ता की सम्मति से] किसी अन्य व्यक्ति द्वारा किसी ऐसे तथ्य के कथन का प्रकाशन जो मिथ्या है और या तो जिसके मिथ्या होने का उसको विश्वास है या जिसके सत्य होने का वह विश्वास नहीं करता है और जो उस अभ्यर्थी के निर्वाचन की सम्भाव्यताओं पर प्रतिकूल प्रभाव डालने के लिए युक्तियुक्त रूप से प्रकल्पित कथन है।"
     
    4.   यतः, भारतीय दंड संहिता की धारा 171 छ उपबंधित करती है किः-
     
    "निर्वाचन के सिलसिले में मिथ्या कथन- जो कोई निर्वाचन के परिणाम पर प्रभाव डालने के आशय से किसी अभ्यर्थी के वैयक्तिक शील या आचरण के सम्बन्ध में तथ्य का कथन तात्पर्यित होने वाला की ऐसा कथन करेगा या प्रकाशित करेगा, जो मिथ्या है, और जिसका मिथ्या होना वह जानता या विश्वास करता है अथवा जिसके सत्य होने का विश्वास नहीं करता है, वह जुर्माने से दण्डित किया जाएगा।"
     
    5.  यतः, आयोग ने दिनांक 2 मई, 2023 के अपने अनुदेश सं. 437/6/अनु/भानिआ./प्रकार्य/आआसं/2023 के अनुसार सभी दलों और हितधारकों को, अन्य बातों के साथ-साथ, यह सलाह दी है कि वे निर्वाचन प्रचार के दौरान अपनी बयानबाजी देते समय आदर्श आचार संहिता और विधिक प्रावधानों (फ्रेमवर्क) के दायरे में रहें ताकि राजनैतिक बयानों की गरिमा बनी रहे और प्रचार अभियान तथा निर्वाचन माहौल दूषित न हो;
     
    6.  यतः, आयोग को श्री ओम पाठक, भारतीय जनता पार्टी से दिनांक 5 मई, 2023 की एक शिकायत (प्रति संलग्न) प्राप्त हुई है कि इंडियन नेशनल कांग्रेस पार्टी ने 5 मई, 2023 को राष्ट्रीय और स्थानीय समाचार-पत्रों, नामतः द टाइम्स ऑफ इंडिया, इंडियन एक्सप्रेस, द हिन्दू और संयुक्ता कर्नाटक में एक विज्ञापन प्रकाशित करवाया है जिसमें भारतीय जनता पार्टी के विरुद्ध असभ्य, प्रतिकूल, मिथ्या और भ्रामक आरोप लगाए हैं;
     
    7.   यतः, प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि इंडियन नेशनल कांग्रेस ने उक्त विज्ञापन प्रकाशित करवाकर आदर्श आचार संहिता के उपर्युक्त उपबंध का उल्लंघन किया है;
     
    8.   संविधान के तहत विरोधी दलों की नीतियों और शासन की आलोचना करने के अधिकार की गारंटी दी गई है और इसके साथ ही हमारी निर्वाचन प्रक्रिया के अधीन विभिन्न राजनेताओं का यह अनिवार्य कार्य भी है। तथापि, इस अधिकार का प्रयोग और इस अनिवार्य कार्य को करते समय राजनैतिक दलों से उम्मीद की जाती है कि वे सार्वजनिक बयान देते समय उच्च मानकों की मर्यादा बनाए रखेंगे तथा आदर्श आचार संहिता और संबंद्ध कानूनों के विभिन्न उपबंधों का पालन करेंगे। हालांकि उपलब्धियों की कथित विहीनता, कुकृत्य, राजनैतिक विरोधियों द्वारा भ्रष्टाचार मुक्त शासन सुनिश्चित नहीं करना, सामान्य संदर्भ और संकेतित प्रसंग राजनैतिक निर्वाचन प्रचारों के दौरान उठाए जाते हैं, लेकिन विशिष्ट दोषारोपणों और आरोपों को अलग करने की आवश्यकता है क्योंकि ये सत्यापनीय तथ्यों पर आधारित होने चाहिए। बिना किसी तथ्यात्मक आधार के विशिष्ट आरोप लगाना, दंड संहिता के तहत प्रतिबंधित कार्रवाई है, जैसा कि ऊपर पैरा 3 और 4 में उल्लेख किया गया है। स्वतंत्र रूप से, किसी संगत सूचनात्मक सत्यापन के बिना आरोप, संभावित रूप से मतदाता को भ्रमित करके एक जागरूक विकल्प चुनने की प्रक्रिया में और साथ ही, सभी के लिए समान अवसर उपलब्ध कराने में विध्न डालकर निर्वाचकीय प्रक्रिया को दूषित करते हैं।
    9.   उक्त विज्ञापन में लगाए गए दोषारोपण और आरोप, सामान्य किस्म के नहीं हैं। विज्ञापन की सामग्री और फार्मेट ही सरकारी तंत्र (राजनैतिक और नौकरशाही) के सभी स्तरों पर यह विशिष्ट आरोप लगाते हैं कि यह तंत्र समझौता करने वाला और बिक जाने वाला तंत्र है। यह पूरे प्रशासन तंत्र को बदनाम करता है जो बड़े पैमाने पर सरकारी प्रणाली की वैधता के प्रति अविश्वास और सरकारी तंत्र को कम आंकने की भावना को उकसाता है, जो अन्यथा, अन्य बातों के साथ-साथ, मतदान के सुचारू संचालन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
     
    10.  जैसा कि आयोग की दिनांक 02.05.2023 की एडवाइजरी में कहा गया था कि राष्ट्रीय दलों को लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के तहत विशेष अधिकार प्राप्त हैं और, अतः उनसे आशा की जाती है कि वे आदर्श आचार संहिता और विधिक ढांचे का पूरी तरह से अनुपालन करें। यह एक उचित धारणा है कि इंडियन नेशनल कांग्रेस के पास महत्वपूर्ण/अनुभवजन्य/सत्यापन योग्य साक्ष्य हैं, जिनके आधार पर ये विशिष्ट/स्पष्ट 'तथ्य' प्रकाशित कराए गए हैं, यह एक ऐसी कार्रवाई है जिसका मूल्यांकन लेखक द्वारा इस्तेमाल किए गए उसके प्रचुर ज्ञान और उद्देश्य एवं मंशा के आधार पर निष्पक्षतापूर्वक किया जा सकता है। अतः, आपको उसके अनुभवजन्य साक्ष्य, उदाहरणार्थ, आपके द्वारा दिए गए विज्ञापन में उल्लिखित नियुक्तियों और स्थानांतरणों के प्रकारों, नौकरियों के प्रकारों और कमीशन के प्रकारों की दरों के साक्ष्य, स्पष्टीकरण सहित, यदि कोई हों, 7 मई, 2023  को सायं 7.00 बजे तक प्रस्तुत करने और उसे जन साधारण की सूचना (पब्लिक डोमेन) के लिए प्रकाशित करवाने हेतु निदेश दिया जाता है।
     
    11.  उपरोक्त कार्रवाई करने में विफल रहने की स्थिति में, आपको निदेश दिया जाता है कि 7 मई, 2023 को सायं 7.00 बजे तक ये कारण बताएं कि आदर्श आचार संहिता और लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम तथा भारतीय दंड संहिता के तहत प्रासंगिक विधिक उपबंधों का उल्लंघन करने के लिए आपके विरुद्ध कार्रवाई क्यों नहीं आरंभ की जानी चाहिए?
     
    12.   नोट करें कि यदि आपने निर्धारित समय के भीतर कोई उत्तर नहीं दिया, तो यह मान लिया जाएगा कि इस मामले में आपको कुछ नहीं कहना है और आपको आगे सूचित किए बिना भारत निर्वाचन आयोग इस मामलें में उपयुक्त कार्रवाई अथवा निर्णय करेगा।
     
     

    196 downloads

    फ़ाइल सबमिट की गई Wednesday 24 May 2023

ईसीआई मुख्य वेबसाइट


eci-logo.pngभारत निर्वाचन आयोग एक स्‍वायत्‍त संवैधानिक प्राधिकरण है जो भारत में निर्वाचन प्रक्रियाओं के संचालन के लिए उत्‍तरदायी है। यह निकाय भारत में लोक सभा, राज्‍य सभा, राज्‍य विधान सभाओं और देश में राष्‍ट्रपति एवं उप-राष्‍ट्रपति के पदों के लिए निर्वाचनों का संचालन करता है। निर्वाचन आयोग संविधान के अनुच्‍छेद 324 और बाद में अधिनियमित लोक प्रतिनिधित्‍व अधिनियम के प्राधिकार के तहत कार्य करता है। 

मतदाता हेल्पलाइन ऍप

हमारा मोबाइल ऐप ‘मतदाता हेल्‍पलाइन’ प्‍ले स्‍टोर एवं ऐप स्टोर से डाउनलोड करें। ‘मतदाता हेल्‍पलाइन’ ऐप आपको निर्वाचक नामावली में अपना नाम खोजने, ऑनलाइन प्ररूप भरने, निर्वाचनों के बारे में जानने, और सबसे महत्‍वपूर्ण शिकायत दर्ज करने की आसान सुविधा उपलब्‍ध कराता है। आपकी भारत निर्वाचन आयोग के बारे में हरेक बात तक पहुंच होगी। आप नवीनतम  प्रेस विज्ञप्ति, वर्तमान समाचार, आयोजनों,  गैलरी तथा और भी बहुत कुछ देख सकते हैं। 
आप अपने आवेदन प्ररूप और अपनी शिकायत की वस्‍तु स्थिति के बारे में पता कर सकते हैं। डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें। आवेदन के अंदर दिए गए लिंक से अपना फीडबैक देना न भूलें। 

×
×
  • Create New...