ECI द्वारा
सं. 100/प.ब.(एचपी/एलए)/01/2022
दिनांकः 29 मार्च, 2022
आदेश
यतः, आयोग ने दिनांक 12 मार्च, 2022 के प्रेस नोट सं. ईसीआई/पीएन/32/2022 के तहत पश्चिम बंगाल के 40-आसनसोल संसदीय निर्वाचन क्षेत्र और 161-बालीगंज विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र के उप-निर्वाचन कराने के कार्यक्रम की घोषणा कर दी है एवं राजनैतिक दलों और अभ्यर्थियों के लिए आदर्श आचार संहिता के प्रावधान उसी दिन से लागू हो गए हैं; और
यतः, पश्चिम बंगाल राज्य के श्री नरेंद्रनाथ चक्रबर्ती, विधायक 275-पांडाबेश्वर विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र की वीडियो क्लिप विभिन्न मीडिया प्लेटफॉर्मों पर व्यापक रूप से परिचालित हो रही है; और
यतः, इस मामले में पश्चिम बंगाल के मुख्य निर्वाचन अधिकारी से एक प्रतिवेदन प्राप्त हुआ था जिसमें यह सूचित किया गया है कि श्री नरेंद्रनाथ चक्रबर्ती, विधायक 275-पांडाबेश्वर विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है, जिन्हें वीडियो क्लिप में निम्नलिखित कहते हुए सुना है:-
‘‘जो कट्टर भाजपाई हैं, जिन्हें मनाया नहीं जा सकता उन्हें डराना ही होगा (चोमकाटे होने)। उन्हें बताएं कि यदि वे वोट करने जाएंगे तो यह मान लिया जाएगा कि आप बीजेपी को वोट डालेंगे और उसके बाद आप जहां भी रहेंगे अपने जोखिम पर रहेंगे। यदि आप वोट डालने नहीं जाते तो यह मान लिया जाएगा कि आपने हमें समर्थन दिया है और आप यहां रह सकते हैं, कहीं भी कारोबार कर सकते हैं जहां भी आप को अच्छा लगता है, काम कर सकते हैं और हम आपके साथ हैं। समझ गए;’’ और
यत:, श्री नरेंद्रनाथ चक्रबर्ती, विधायक, 275-पांडाबेश्वर विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र, पांडाबेश्वर से उपर्युक्त नोटिस के जवाब में अंतरिम उत्तर प्राप्त हुआ है जिसमें उन्होंने उन पर लगाए गए आरोपों से इंकार किया है; और
यत:, राजनैतिक दलों और अभ्यर्थियों के मार्गदर्शन के लिए आदर्श आचार संहिता के भाग । ‘सामान्य आचरण’ के खंड (4) में, अन्य बातों के साथ-साथ, प्रावधान है कि
‘‘(4) सभी दल और अभ्यर्थी ऐसी सभी गतिविधियों से ईमानदारी से परहेज करेंगे जो निर्वाचन विधि के अधीन ‘‘भ्रष्ट आचरण’’ एवं अपराध हैं जैसे कि मतदाताओं को घूस देना, मतदाताओं को डराना-धमकाना, मतदाताओं का प्रतिरूपण, मतदान केंद्रों से 100 मीटर की दूरी के अंतर्गत प्रचार करना, मतदान समाप्त होने के लिए निर्धारित समय के समाप्त होने वाले 48 घंटों की अवधि के दौरान सार्वजनिक सभाएं आयोजित करना और मतदाओं को मतदान केंद्रों तक ले जाने और वापस लाने के लिए परिवहन और वहन उपलब्ध कराना’’; और
यतः, लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 123 की उप-धारा 2 (क) (i), जो भ्रष्ट आचरण से संबंधित है, में निम्नलिखित प्रावधान हैं:-
"123. भ्रष्ट आचरण- निम्नलिखित इस अधिनियम के प्रयोजनों के लिए भ्रष्ट आचरण समझे जाएंगेः-
(2) असम्यक् असर डालना, अर्थात् किसी निर्वाचन अधिकार के स्वतंत्र प्रयोग में अभ्यर्थी या उसके अभिकर्ता की या [अभ्यर्थी या उसके निर्वाचन अभिकर्ता की सम्मति से] किसी अन्य व्यक्ति की ओर से किया गया कोई प्रत्यक्ष या परतः हस्तक्षेप या हस्तक्षेप का प्रयत्नः
परन्तु—
(क) इस खंड के उपबंधों की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना उसमें यथानिर्दिष्ट ऐसे किसी व्यक्ति की बाबत जो--
(i) किसी अभ्यर्थी या किसी निर्वाचक या ऐसे किसी व्यक्ति को, जिससे अभ्यर्थी या निर्वाचक हितबद्ध है, किसी प्रकार की क्षति, जिसके अन्तर्गत सामाजिक बहिष्कार और किसी जाति या समुदाय से बाहर करना या निष्कासन आता है, पहुंचाने की धमकी देता है………;
……….. यह समझा जाएगा कि ऐसे अभ्यर्थी या निर्वाचक के निर्वाचन अधिकार के स्वतंत्र प्रयोग में इस खंड के अर्थ के अंदर हस्तक्षेप करता है ; और
यत:, भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 171-ग की उपधारा 2(क), जो ‘निर्वाचनों में असम्यक असर डालने’ से संबंधित है, में निम्नलिखित उपबंधित है:-
(2) उप-धारा (1) के उपबंधों की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, जो कोई –
(क) किसी अभ्यर्थी या मतदाता को, या किसी ऐसे व्यक्ति को जिससे अभ्यर्थी या मतदाता हितबद्ध है, किसी प्रकार की क्षति करने की धमकी देता है, अथवा; और
यत:, भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 171-च जो ‘निर्वाचनों में असम्यक असर डालने या प्रतिरूपण के लिए दंड’ से संबंधित है, में निम्नलिखित उपबंधित है:-
जो किसी निर्वाचन में असम्यक असर डालने या प्रतिरूपण का अपराध करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि एक वर्ष तक हो सकेगी, या जुर्माने से, दोनों से, दंडित किया जाएगा; और
यतः, आयोग ने अवलोकन किया है कि उपरोक्त बयान शांतिपूर्ण, स्वतंत्र और निष्पक्ष निर्वाचनों के संचालन के लिए निर्वाचन ड्यूटी पर लगाए गए अधिकारियों सहित विभिन्न अधिकारियों के लिए डराने वाला है एवं इसलिए बयान में उपर्युक्त उल्लिखित लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 123 की उपधारा 2, भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 171-ग और 171-च में यथा परिभाषित मतदाताओं के निर्वाचन अधिकार के स्वतंत्र प्रयोग में हस्तक्षेप करने की क्षमता है; और
यतः, स्वतंत्र एवं निष्पक्ष निर्वाचन, भारत गणराज्य के मेरुदंड हैं जिनके बिना इसके अस्तित्व की बुनियाद खतरे में पड़ जाती है; और
यतः, भारतीय संविधान द्वारा भारत के सभी राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों की विधान सभाओं में स्वतंत्र व निष्पक्ष निर्वाचनों के संचालन के लिए निर्वाचन आयोग को शक्तियां और जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं; और
यतः, आयोग का प्रथम दृष्टया विचार है कि श्री नरेंद्रनाथ चक्रबर्ती, विधायक, 275-पांडाबेश्वर विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र ने विवादित बयान देकर आदर्श आचार संहिता के उपरोक्त उपबंध और लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 और भारतीय दंड संहिता, 1860 के संबद्ध उपबंधों का उल्लंघन किया है जैसा इस आदेश में वर्णित किया गया है; और
अतः, अब आयोग मामले की गंभीरता को देखते हुए, एतद्द्वारा पश्चिम बंगाल राज्य के 275-पांडाबेश्वर विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र से, श्री नरेंद्रनाथ चक्रबर्ती, विधायक द्वारा दिए गए, विवादित बयान की भर्त्सना करता है एवं उक्त उल्लंघन के लिए उनकी कड़ी परिनिंदा करता है। इसके अलावा, आयोग भारत के संविधान के अनुच्छेद 324 और इस संदर्भ में समर्थ बनाने वाली अन्य सभी शक्तियों के अन्तर्गत, मौजूदा उप-निर्वाचन के संबंध में उनको किसी भी प्रकार की जनसभाओं, सार्वजनिक जुलूसों, सार्वजनिक रैलियों, रोड शोज के आयोजन और मीडिया (इलेक्ट्रानिक, प्रिंट, सोशल मीडिया) में साक्षात्कार देने, सार्वजनिक बयान देने पर एक सप्ताह अर्थात दिनांक 30 मार्च, 2022 (बुधवार) को प्रात: 10.00 बजे से 6 अप्रैल, 2022 (बुधवार) को रात 08.00 बजे तक 7 दिनों के लिए प्रतिबंध लगाने हेतु आदेश देता है।
आदेश से,
(राकेश कुमार)
सचिव
सेवा में,
श्री नरेंद्रनाथ चक्रबर्ती,
विधायक, 275-पांडाबेश्वर विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र,
पश्चिम बंगाल
(द्वारा मुख्य निर्वाचन अधिकारी, पश्चिम बंगाल)
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