ECI-IT Team द्वारा
सं. 437/6/अनु./ईसीआई/प्रकार्या/एमसीसी/2023
दिनांकः 2 मई, 2023
आयोग ने सभी हितधारकों, विशेष रूप से राजनीतिक दल और उनके अभ्यर्थियों के साथ परामर्श और सहयोग से, निर्वाचन प्रचार अभियान के दौरान ऐसे राजनीतिक संवाद के स्तर को कायम रखने के लिए सभी हितधारकों को प्रोत्साहित करने के लिए प्रयास किए हैं, जो भारतीय लोकतंत्र की दुनियाभर में विश्वव्यापी सराहना और प्रतिष्ठा के अनुरूप हैं।
2. कर्नाटक विधान सभा के साधारण निर्वाचन की समयावधि में, निर्वाचन प्रचार अभियान के दौरान बयानबाजी के गिरते स्तर की ओर आयोग का ध्यान आकर्षित किया गया है। प्रगतिरत निर्वाचन प्रचार के दौरान लोगों द्वारा, विशेष रूप से उनके द्वारा जिन्हें स्टार प्रचारक की हैसियत से सांविधिक स्थिति प्राप्त है, प्रयुक्त अनुचित शब्दावली और भाषा की अनेक शिकायतों, शिकायतों के बदले शिकायतों के मौके आए हैं और मीडिया का नकारात्मक ध्यान भी इस ओर देखने को मिला है।
3. आदर्श आचार संहिता के उपबंधों के अनुसार, उकसाने और भड़काने वाले बयानों का प्रयोग, असंयमित और मर्यादा की सीमा को लांघते हुए अपमानजनक भाषा का प्रयोग और व्यक्तिगत चरित्र और राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों के आचरण पर आक्षेप निर्वाचन प्रक्रिया के एकसमान अवसर प्रदान करने के स्तर को दूषित करता है। राजनीतिक दलों का ध्यान, आदर्श आचार संहिता के नीचे दिए गए उपबंधों और निर्वाचन प्रचार के दौरान अपेक्षित बयानबाजी के क्षेत्र को नियंत्रित और तय करने वाले अन्य सांविधिक उपबंधों की ओर आकृष्ट किया जाता है।
3.1) आदर्श आचार संहिता उपबंधः आदर्श आचार संहिता मैनुअल के अध्याय 3 और 4 में यथा समाविष्ट (मार्च, 2019), जिसमें निम्नलिखित प्रावधान हैं:-
(क) अध्याय 3 के पैरा 3.8.2 (ii) में प्रावधान है, "किसी भी व्यक्ति को ऐसी गतिविधि में लिप्त नहीं होना चाहिए या ऐसा बयान नहीं देना चाहिए जो किसी व्यक्ति के व्यक्तिगत जीवन पर आक्रमण करने के समान हो या ऐसा बयान नहीं देना चाहिए जो दुर्भावनापूर्ण हो या जिससे शालीनता और नैतिकता का हनन होता हो।"
(ख) अध्याय 4 के पैरा 4.3.1 में प्रावधान है "राजनीतिक दल और अभ्यर्थी निजी जीवन के ऐसे सभी पहलुओं की आलोचना करने से बचेंगे, जो अन्य दलों के नेताओं और कार्यकर्ताओं की सार्वजनिक गतिविधियों से नहीं जुड़ा है। इस में यह भी प्रावधान है कि कोई भी दल या अभ्यर्थी ऐसी किसी भी गतिविधि में शामिल नहीं होगा, जो मौजूदा मतभेदों को बढ़ाए या आपसी घृणा पैदा करे या जिसके कारण तनाव पैदा हो।"
(ग) अध्याय 4 के पैरा 4.3.2 में "निर्वाचन अभियान के उच्च स्तर को बनाए रखने" का प्रावधान है।
(घ) अध्याय 4 के पैरा 4.3.2(ii) में प्रावधान है, "निर्वाचन आयोग ने राजनीतिक संवाद के गिरते स्तर पर गहरी नाराजगी व्यक्त करते हुए, राजनीतिक दलों को नोटिस दिया कि आदर्श आचार संहिता का बार-बार उल्लंघन किए जाने पर उनके विरुद्ध कार्रवाई की जा सकती है।"
(ङ) अध्याय 4 के पैरा 4.4.2(ख)(iii) में प्रावधान है कि "ऐसी कोई भी गतिविधि नहीं की जाएगी, जिससे विभिन्न जातियों/समुदायों/धार्मिक/भाषाई समूहों के बीच मौजूदा मतभेद बढ़ सकते हों अथवा उनके बीच आपसी घृणा या तनाव पैदा हो सकते हों।"
(च) अध्याय 4 के पैरा 4.4.2(ख)(v) में प्रावधान है "असत्यापित आरोपों के आधार पर या बयान को तोड़-मरोड़ कर अन्य दलों या उनके कार्यकर्ताओं की आलोचना करने की अनुमति नहीं होगी।"
3.2) इसके अतिरिक्त, भारतीय दंड संहिता के निम्नलिखित उपबंधों की ओर भी ध्यान आकर्षित किया जाता है-
(क) भारतीय दंड संहिता की धारा 171छ – "निर्वाचनों के संबंध में झूठा बयान"
(ख) भारतीय दंड संहिता की धारा 499 में प्रावधान है कि "मानहानि- जो कोई बोले गए या पढ़े जाने के लिए आशयित शब्दों द्वारा या संकेतों द्वारा, या दृश्यरूपणों द्वारा किसी व्यक्ति के बारे में कोई लांछन इस आशय से लगाता या प्रकाशित करता है कि ऐसे लांछन से ऐसे व्यक्ति की ख्याति की अपहानि की जाए या यह जानते हुए या विश्वास करने का कारण रखते हुए लगाता या प्रकाशित करता है ऐसे लांछन से ऐसे व्यक्ति की ख्याति की अपहानि होगी, एतस्मिनपश्चात् अपवादित दशाओं के सिवाय उसके बारे में कहा जाता है कि वह उस व्यक्ति की मानहानि करता है।"
(ग) भारतीय दंड संहिता की धारा 500 में प्रावधान है कि "मानहानि के लिए दण्ड- जो कोई किसी अन्य व्यक्ति की मानहानि के लिए दण्ड करेगा, वह साधारण कारावास से, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा।"
(घ) भारतीय दंड संहिता की धारा 504 – "जो कोई भी किसी व्यक्ति को उकसाने के इरादे से जानबूझकर उसका अपमान करे, इरादतन या यह जानते हुए कि इस प्रकार की उकसाहट उस व्यक्ति को लोकशांति भंग करने, या अन्य अपराध का कारण हो सकती है को किसी एक अवधि के लिए कारावास की सजा जिसे दो वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है या आर्थिक दंड या दोनों से दंडित किया जाएगा।"
4. आदर्श आचार संहिता की मूलभावना केवल प्रत्यक्ष उल्लंघन का परिहार ही नहीं है अपितु यह सांकेतिक या अप्रत्यक्ष बयानों या व्यंग्यों के माध्यम से निर्वाचकीय क्षेत्र को दूषित करने के प्रयासों को भी निश्चित तौर पर रोकती है। कर्नाटक में प्रगतिरत निर्वाचनों में, प्रचार अभियान के दौरान, कुछ स्टार प्रचारकों/राष्ट्रीय राजनीतिक दलों के नेताओं ने अपेक्षित उच्च मानकों को पूरा नहीं किया है और ऐसे बयान दिए हैं जिनसे निर्वाचन का माहौल दूषित हुआ है।
5. आयोग ने प्रचार अभियान के दौरान बयानों के ऐसे गिरते हुए स्तर पर गंभीरतापूर्वक ध्यान दिया है। राष्ट्रीय दल और स्टार प्रचारक, लोक प्रतिनिधित्व के अधीन अतिरिक्त अधिकारों का लाभ उठाते हैं। यह अनिवार्य है कि प्रचार करते समय अपने बयान देते समय सभी दलों और हितधारकों को आदर्श आचार संहिता की सीमा और विधिक ढ़ांचे के भीतर रहना चाहिए ताकि राजनीतिक बयानों की गरिमा को कायम रखा जा सके और निर्वाचन का माहौल और प्रचार अभियान दूषित न हो। इस प्रकार, उनसे 'मुद्दा' आधारित परिचर्चा के लिए बयानों के स्तर को कायम रखने और उठाने में योगदान देने, स्थानीय मुद्दों को अखिल भारतीय परिप्रेक्ष्य में गंभीरतापूर्वक रखने और स्वतंत्र एवं निष्पक्ष निर्वाचन में भयमुक्त होकर सभी वर्गों के निर्वाचकों की पूर्ण रूप से भागीदारी के लिए आश्वस्त होने की अपेक्षा की जाती है।
6. तदनुसार, आयोग आदर्श आचार संहिता के अनुदेशों को दोहराता है और सभी राष्ट्रीय और राज्यीय दलों, आरयूपीपी और निर्दलीय अभ्यर्थियों को कड़े शब्दों में यह सलाह देता है एवं सचेत करता है कि वे अपने बयानों में संयम बरतें और और अनुचित बयानों से परहेज करें। सभी मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को निदेश दिया जाता है कि वे इसे सभी राष्ट्रीय और राज्यीय दलों द्वारा कड़ाई से अनुपालन के लिए उनके ध्यान में लाएं। वे इस एडवाइजरी का व्यापक प्रचार सुनिश्चित करें और उसके अनुपालन में असफल होने पर वर्तमान विनियामक/विधिक ढ़ांचे के अनुसार उचित कार्रवाई आरंभ की जाए।
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