ECI द्वारा
सं.437/6/1/अनुदेश/ईसीआई/प्रका./एमसीसी/2020 दिनांक: 18 दिसम्बर, 2020
सेवा में,
1. मुख्य सचिवः-
असम सरकार, दिसपुर;
केरल सरकार, तिरुवनन्तपुरम;
तमिलनाडु सरकार, चेन्नई;
पश्चिम बंगाल सरकार, कोलकाता; और
पुड्डुचेरी सरकार, पुड्डुचेरी।
2. मुख्य निर्वाचन अधिकारीः-
असम सरकार, दिसपुर;
केरल सरकार, तिरुवनन्तपुरम;
तमिलनाडु सरकार, चेन्नई;
पश्चिम बंगाल सरकार, कोलकाता; और
पुड्डुचेरी सरकार, पुड्डुचेरी।
विषय: असम, केरल, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और पुड्डुचेरी राज्य विधान सभाओं का साधारण निर्वाचन-निर्वाचनों के संचालन से संबंधित अधिकारियों का स्थानांतरण/तैनाती के लिए एडवाइजरी–तत्संबंधी।
महोदय/महोदया,
असम, केरल, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और पुड्डुचेरी की मौजूदा विधान सभाओं का कार्यकाल निम्नानुसार समाप्त होने जा रहा हैः-
क्र. सं.
राज्य/संघ राज्य क्षेत्र का नाम
अवधि
1.
तमिलनाडु
24.05.2021
2.
केरल
01.06.2021
3.
पश्चिम बंगाल
30.05.2021
4.
पुड्डुचेरी
08.06.2021
5.
असम
31.05.2021
2. स्वतंत्र और निष्पक्ष निर्वाचन सुनिश्चित करने के लिए, आयोग इस आशय की एक सुसंगत नीति का अनुसरण करता रहा है कि निर्वाचनरत राज्य/संघ राज्य क्षेत्रों के निर्वाचन से सीधे जुड़े अधिकारियों को उनके गृह जिलों या उन स्थानों पर तैनात नहीं किया जाए, जहाँ उन्होंने अत्यधिक लंबे समय तक सेवा की है। इसे ध्यान में रखते हुए, लोकसभा, 2019 और आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, ओडिशा और सिक्किम की राज्य विधान सभाओं के साधारण निर्वाचन के संबंध में दिनांक 16 जनवरी, 2019 के सम संख्यक पत्र के तहत स्थानांतरण/तैनाती संबंधी विस्तृत निदेश जारी किए गए थे (प्रतिलिपि संलग्न)।
3. तद्नुसार, एतद्दवारा यह सुझाव दिया जाता है कि निर्वाचनों के संचालन से सीधे जुड़े सभी सरकारी अधिकारियों के संबंध में निम्नलिखित सुनिश्चित किया जाएः-
कि उसकी तैनाती उसके गृह जिले में न की जाए।
कि उसने पिछले चार (4) वर्षों के दौरान उस जिले में 3 वर्ष पूरे नहीं किए हों या 31 मई, 2021 को या उससे पहले वह तीन वर्ष पूरे कर लेगा/लेगी।
कि ऐसे अधिकारियों/प्राधिकारियों को निर्वाचन संबंधी कोई भी ड्यूटी नहीं सौंपी जाए, जिनके विरूद्ध आयोग ने विगत में अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की थी और जो लंबित हों या जिसकी परिणति में दंड दिया गया हो अथवा जिन्हें विगत में निर्वाचन या निर्वाचन संबंधी किसी कार्य में कोई चूक के लिए आरोपित किया गया हो। इसके अतिरिक्त, आगामी छह महीनों के भीतर सेवानिवृत्त होने वाले किसी भी अधिकारी को निर्वाचन संबंधी किसी भी कार्य में नहीं लगाया जाएगा।
कि लोक सभा निर्वाचन, 2019 के दौरान आयोग की सिफारिश पर तैनात किए गए अधिकारियों को उपर्युक्त स्थानांतरण नीति से शिथिलता दी जा सकती है।
4. आयोग की उपर्युक्त एडवाइजरी को कड़े तथा समयपूर्वक अनुपालन के लिए सभी संबंधितों के ध्यान में लाया जाए।
5. कृपया इस पत्र की पावती दें।
भवदीय,
(नरेन्द्र एन. बुटोलिया)
प्रधान सचिव
भारत निर्वाचन आयोग
निर्वाचन सदन, अशोक रोड, नई दिल्ली-110001
सं.437/6/1/अनुदेश/ईसीआई/प्रका./एमसीसी/2019
दिनांक: 16 जनवरी, 2019
सेवा में,
1. सभी राज्यों एवं संघ शासित क्षेत्रों केमुख्य सचिव।
2. सभी राज्यों एवं संघ शासित क्षेत्रों के मुख्य निर्वाचन अधिकारी।
विषय: लोकसभा और आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, ओडिशा और सिक्किम की राज्य विधान सभाओं के साधारण निर्वाचन, 2019-अधिकारियों का स्थानांतरण/तैनाती– तत्संबंधी।
महोदय/महोदया,
मुझे यह कहने का निदेश हुआ है कि मौजूदा लोक सभा एवं आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, ओडिशा और सिक्किम की विधान सभाओं का कार्यकाल क्रमश: 03 जून, 2019, 18 जून, 2019, 01 जून, 2019, 11 जून, 2019 तथा 27 मई, 2019 तक है।
2. आयोग एक ऐसी सुसंगत नीति का अनुसरण कर रहा है जिसमें निर्वाचन वाले राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में निर्वाचनों के संचालन से प्रत्यक्ष रूप से जुड़े अधिकारियों को उनके गृह जिलों या ऐसे स्थानों जहां उन्होंने काफी लंबी अवधि तक कार्य किया है, में तैनात नहीं किया जाता है।
3. अत: आयोग ने निर्णय लिया है कि निर्वाचनों से प्रत्यक्ष रूप से जुड़े किसी भी अधिकारी को तैनाती के वर्तमान जिले में उस परिस्थिति में बने रहने की अनुमति नहीं दी जाएगी जब:-
v. यदि वह अपने गृह जिले में तैनात है।
vi. यदि पिछले चार (4) वर्षों के दौरान उस जिले में उसने तीन वर्ष पूर्ण कर लिए हैं या 31 मई, 2019 को या उससे पहले तीन वर्ष पूर्ण कर लेंगे।
4. उपर्युक्त अनुदेशों को कार्यान्वित करते हुए/अधिकारियों को स्थानांतरित करते हुए, राज्य सरकार के संबंधित विभागों को ध्यान रखना चाहिए कि उन्हें उनके गृह जिले में तैनात न किया जाए। यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि किसी भी डीईओ/आरओ/एआरओ/पुलिस इंस्पेक्टर/सब-इंस्पेक्टर या उनसे उच्चतर अधिकारियों को ऐसे विधान सभा निर्वाचन-क्षेत्र/जिले में वापस तैनात न किया जाए या न बने रहने दिया जाए जहां वे 31 मई, 2017 से पूर्व के विधान सभा निर्वाचन में आयोजित साधारण/उप-निर्वाचन के दौरान तैनात थे।
5. यदि कुछेक जिलों वाले छोटे राज्य/संघ राज्य क्षेत्र को इसके अनुपालन में किसी कठिनाई का सामना करना पड़ता है तो वे इससे छूट दिए जाने हेतु विशिष्ट मामले, उनके कारण सहित, सीईओ के माध्यम से छूट प्राप्त करने हेतु आयोग को भेज सकते हैं और आयोग ऐसे मामले पर, यदि आवश्यक समझे, निदेश जारी करेगा।
6. अनुप्रयोज्यता-
6.1 ये अनुदेश केवल विनिर्दिष्ट निर्वाचन कर्तव्यों के लिए नियुक्त अधिकारियों यथा डीईओ, डिप्टी डीईओ, आरओ/एआरओ, ईआरओ/एईआरओ, किसी विशेष निर्वाचन के नोडल अधिकारी के रूप में नियुक्त अधिकारियों को ही कवर नहीं करते अपितु जिले के अधिकारियों यथा एडीएम, एसडीएम डिप्टी क्लेक्टर/ज्वाइंट क्लेक्टर, तहसीलदार, खंड विकास अधिकारी या निर्वाचन कार्यों के लिए सीधे तैनात समतुल्य रैंक के किन्हीं अन्य अधिकारियों को भी कवर करते हैं।
6.2 ये अनुदेश उन पुलिस विभाग के अधिकारियों जैसे रेंज आई जी, डी आई जी, राज्य सशस्त्र पुलिस के कमांडेंट्स, एसएसपी, एसपी, अपर एस पी, उप-प्रभागीय पुलिस प्रमुख, एस एच ओ, इंस्पेक्टर, सब-इंस्पेक्टर, आर आई/सार्जेंट मेजर अथवा ऐसे समतुल्य रैंक के अधिकारियों पर भी लागू होंगे जो निर्वाचन समय में जिले में सुरक्षा प्रबंधन अथवा पुलिस बल की तैनाती के लिए जिम्मेदार हैं।
7. आयोग द्वारा समय-समय पर जारी किए गए निम्नलिखित स्पष्टीकरण/शिथिलताएं सभी संबंधितों की सूचना/दिशा-निर्देश के लिए हैं:-
(i) कार्यात्मक विभागों यथा कंप्यूटरीकरण, विशेष शाखा, प्रशिक्षण इत्यादि में तैनात पुलिस अधिकारी इन अनुदेशों के अंतर्गत कवर नहीं होते हैं।
(ii) पुलिस सब-इंस्पेक्टर और उनसे उच्च पदीय अधिकारियों को उनके गृह जिलों में तैनात नहीं किया जाना चाहिए।
(iii) यदि पुलिस सब-इंस्पेक्टर ने पुलिस सब-डिवीजन में अंतिम तारीख के दिन या उससे पहले चार वर्षों में से 3 वर्षों का कार्यकाल पूरा कर लिया है या पूरा करेगा तो उसका ऐसे पुलिस सब-डिवीज़न में स्थानांतरण कर देना चाहिए जो उस विधान सभा निर्वाचन-क्षेत्र में न पड़ती हो। यदि जिले के छोटे आकार के कारण यह संभव न हो तो उसे जिले से बाहर स्थानांतरित कर देना चाहिए।
(iv) किसी भी निर्वाचन में विभिन्न प्रकार की निर्वाचन ड्यूटियों के लिए बड़ी संख्या में कर्मचारियों को तैनात किया जाता है और आयोग की ऐसी कोई मंशा नहीं होती है कि बड़ी संख्या में स्थानांतरण करके राज्य मशीनरी को अत्यंत पंगु कर दे। अत: उपर्युक्त स्थानांतरण नीति सामान्यत: उन अधिकारियों/पदाधिकारियों पर लागू नहीं होती जो निर्वाचनों से प्रत्यक्ष रूप से नहीं जुड़े हैं जैसे डाक्टर, इंजीनियर, शिक्षक/प्रधानाचार्य इत्यादि। तथापि, यदि ऐसे किसी भी सरकारी अधिकारी के विरूद्ध राजनीतिक पक्षपात या पूर्वाग्रह की विशिष्ट शिकायतें मिलती हैं और जो जांच करने पर सत्य पाई जाती हैं तो सीईओ/ईसीआई न केवल ऐसे अधिकारियों के स्थानांतरण के आदेश देगा अपितु उसके विरूद्ध समुचित विभागीय कार्रवाई भी करेगा।
(v) निर्वाचन ड्यूटी में शामिल सेक्टर अधिकारी/ज़ोनल मजिस्ट्रेट के रूप में नियुक्त अधिकारी इन अनुदेशों के अधीन कवर नहीं होते हैं। तथापि, प्रेक्षकों, सीईओ/डीईओ तथा आरओ को उनके आचरण पर सतर्क निगरानी रखनी चाहिए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे अपने कर्तव्यों के निष्पादन में गैर-पक्षपातपूर्ण व निष्पक्ष रहें।
(vi) तीन वर्षों की अवधि की गणना करते समय जिले के अंदर किसी पद पर हुई प्रोन्नति की भी गणना की जाएगी।
(vii) ये अनुदेश संबंधित विभाग के राज्य मुख्यालयों में तैनात अधिकारियों पर लागू नहीं होते।
(viii) इसके अतिरिक्त यह निदेश दिया जाता है कि ऐसे अधिकारियों/कर्मचारियों जिनके विरूद्ध आयोग ने विगत में अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की थी और जो लंबित है या जिसकी परिणति में दंड दिया गया था अथवा जिन्हें विगत में निर्वाचन या निर्वाचन संबंधी किसी कार्य में कोई चूक के लिए आरोपित किया गया है, उन्हें निर्वाचन संबंधी कोई भी ड्यूटी नहीं सौंपी जाएगी। तथापि, ऐसा अधिकारी, जो आयोग के आदेशों के अधीन किसी विगत निर्वाचन के दौरान अनुशासनात्मक कार्रवाई की किसी सिफारिश के बिना स्थानांतरित किया गया था, को केवल इसी आधार पर तब तक स्थानांतरित करने पर विचार नहीं किया जाएगा बशर्ते ऐसे किसी अधिकारी के बारे में आयोग द्वारा विशेष रूप से निदेश न दिए जाएं। दागी अधिकारियों के नामों का पता-ठिकाना रखने के संबंध में आयोग के दिनांक 23 दिसम्बर, 2008 के अनुदेश सं. 464/अनुदेश/2008-ईपीएस की एक प्रति संलग्न है। मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को इसका अनुपालन अवश्य सुनिश्चित करना चाहिए।
(ix) इसके अतिरिक्त आयोग ने यह इच्छा भी व्यक्त की है कि ऐसे किसी अधिकारी/कर्मचारी को, जिनके विरूद्ध किसी न्यायालय में आपराधिक मामला लंबित है, निर्वाचन कार्य या निर्वाचन संबंधी ड्यूटी से नहीं जोड़ा जाना चाहिए।
(x) इसके अतिरिक्त, आयोग की उपर्युक्त नीति के अनुसार स्थानांतरित हो चुके वर्तमान पदधारियों के स्थान पर अलग-अलग व्यक्तियों की तैनाती करते समय राज्य/संघ राज्य क्षेत्र के मुख्य निर्वाचन अधिकारी से निरपवाद रूप से परामर्श किया जाएगा। इन निदेशों के अधीन जारी स्थानांतरण आदेशों की प्रतियां मुख्य निर्वाचन अधिकारी को अवश्य ही दे दी जाएं।
(xi) ऐसे अधिकारियों/कर्मचारियों जो निर्वाचक नामावली पुनरीक्षण कार्य में लगे हुए है, यदि कोई हो तो, के संबंध में स्थानांतरण आदेश का कार्यान्वयन संबंधित मुख्य निर्वाचन अधिकरी के परामर्श से निर्वाचक नामावलियों के अंतिम रूप से प्रकाशन के बाद ही किया जाएगा। किन्हीं असाधारण कारणों की वजह से स्थानांतरण की कोई आवश्यकता के मामले में आयोग का पूर्व-अनुमोदन लिया जाएगा।
(xii) कोई भी अधिकारी जो आने वाले छह महीनों के भीतर सेवानिवृत्त होने वाला है, आयोग के पैरा-3 में उल्लिखित निदेशों की परिधि से बाहर रहेगा। इसके अतिरिक्त, श्रेणी (गृह नगर/3+मानदंड तथा वह 6 महीनों के अंदर सेवानिवृत्त होने वाले हैं) में आने वाले अधिकारियों यदि पैरा 6.1 एवं 6.2 में उल्लिखित निर्वाचन संबंधित पद पर है तो उसे उस प्रभार से मुक्त किया जाएगा तथा किसी भी प्रकार की निर्वाचन ड्यूटी प्रदान नहीं की जाएगी। हांलाकि, यह भी दोहराया जाता है कि ऐसे सेवानिवृत्त होने वाले अधिकारी को जिले से बाहर स्थानांनतरित करने की आवश्यकता नहीं है।
(xiii) यह भी स्पष्ट किया जाता है कि राज्य के ऐसे सभी अधिकारियों (मुख्य निर्वाचन अधिकारी के कार्यालय में तैनात अधिकारी इसके अपवाद होंगे), जिनकी सेवा-अवधि बढ़ाई गई है या जिन्हें विभिन्न हैसियतों से पुन: नियोजित किया गया है, निर्वाचन संबंधी किसी भी कार्य से नहीं जोड़े जाएंगे।
(xiv) निर्वाचन संबंधी सभी अधिकारियों से अपेक्षा की जाएगी कि वे संबंधित डीईओ को नीचे दिए गए फार्मेट में घोषणापत्र दें जो तद्नुसार मुख्य निर्वाचन अधिकारी को सूचित करेंगे।
घोषणा-पत्र
(नाम निर्देशन-पत्रों की अंतिम तारीख के पश्चात 2 (दो) दिनों के अन्दर प्रस्तुत किए जाने हेत
मैं................(नाम)...................वर्तमान में....................तारीख से .......................के रूप में पदस्थापित एतद्द्वारा लोकसभा/.......................विधान सभा के वर्तमान साधारण/उप निर्वाचन के सबंध में सत्यनिष्ठापूर्वक घोषणा करता/करती हूँ कि
(क) मैं वर्तमान निर्वाचन में निर्वाचन लड़ने वाले किसी भी अभ्यर्थी/उपर्युक्त निर्वाचन में राज्य/जिले के प्रमुख राजनीतिक पदाधिकारी का/की करीबी रिश्तेदार नहीं हूँ।
(ख) मेरे विरूद्ध किसी भी न्यायालय में कोई आपराधिक मामला लंबित नहीं है।
टिप्पणी – यदि उपर्युक्त (क) और (ख) का जवाब ‘हां’ है तो पूरा विवरण अलग पन्ने पर दें।
दिनांक......................... (नाम)
पदनाम
टिप्पणी- किसी भी अधिकारी द्वारा की गई मिथ्या घोषणा उसे उचित अनुशासनात्मक कार्रवाई का भागी बनाएगी।
8. आयोग के उपर्युक्त अनुदेश उनका सख्ती से अनुपालन किए जाने के लिए संबंधित विभागों/अधिकारियों या राज्य सरकार के संज्ञान में लाए जाएं। जिला निर्वाचन अधिकारी या जिले के संबंधित अधिकारीगण सुनिश्चित करेंगे कि जिन अधिकारियों/कर्मचारियों का स्थानान्तरण किया जाता है वे अपने एवज़ी की प्रतीक्षा किए बिना अपना चार्ज तुरंत सौंप दें।
9. आयोग ने इसके अतिरिक्त निदेश दिया है कि उपर्युक्त अनुदेश के अधीन कवर सभी अधिकारियों के स्थानांतरण/तैनाती दिनांक 28 फरवरी, 2019 तक कर दिए जाएं तथा राज्य सरकार के संबंधित विभागों/अधिकारियों से प्राप्त कार्रवाई के विवरण सहित अनुपालन रिपोर्ट आयोग मार्च, 2019 के पहले सप्ताह में प्रस्तुत की जाए।
10. कृपया इस पत्र की पावती दें।
भवदीय,
(नरेन्द्र एन. बुटोलिया)
प्रधान सचिव
भारत निर्वाचन आयोग
निर्वाचन सदन, अशोक रोड, नई दिल्ली-110001
464/अनुदेश/2008/ईपीएस दिनांक: 23 दिसम्बर, 2008
सेवा में,
सभी राज्यों/संघ राज्य-क्षेत्रों के
मुख्य निर्वाचन अधिकारियों।
विषयः- भारत निर्वाचन आयोग के आदेश द्वारा कार्य की अवहेलना आदि के आरोप में स्थानांतरित अधिकारियों के नामों का पता-ठिकाना रखना।
संदर्भः- सभी राज्यों तथा संघ राज्य-क्षेत्रों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को सम्बोधित पत्र सं. 437/6/2006-पीएलएन.III दिनांक 06 नवम्बर, 2006 तथा ईसीआई संदेश सं. 100/1994-पीएलएन-I दिनांक 28.03.1994।
महोदय/महोदया,
भारत निर्वाचन आयोग ने ऊपर संदर्भित अनुदेश द्वारा निदेश दिया था कि प्रत्येक निर्वाचन से पहले सभी जिलों में एक विस्तृत समीक्षा की जाएगी तथा ऐसे सभी अधिकारियों को उनके गृह जिले या उस जिलों से बाहर स्थानांतरित किया जाना चाहिए जहां उन्होंने 4 वर्षों के कार्यकाल में से 3 वर्ष का कार्यकाल पूरा कर लिया हो, और यह भी निदेश दिया था कि ऐसे अधिकारीगण/कर्मचारीगण जिनके विरुद्ध आयोग ने अनुशासनात्मक कार्रवाई की संस्तुति की है या जिन्हें निर्वाचन या निर्वाचन संबंधी कार्य में किसी त्रुटि के लिए आरोपित किया गया है या जिन्हें इस मामले में आयोग के आदेशों के अधीन स्थानांतरित किया गया है, उन्हें निर्वाचन संबंधी कोई भी ड्यूटी न सौंपी जाए।
तथापि, हाल ही में हुए निर्वाचनों के दौरान यह देखा गया कि मुख्य निर्वाचन अधिकारियों तथा जिला निर्वाचन अधिकारियों द्वारा आयोग के उपर्युक्त अनुदेश का अनुपालन करने के लिए किए गए प्रयासों के बावजूद अभी भी ऐसे अधिकारियों के कुछ उदाहरण हैं, जो उपर्युक्त मानदण्ड के अंतर्गत आते हैं तथा जिले से बाहर गैर-निर्वाचन संबंधी कार्य के लिए स्थानांतरित किए जाने के भागी हैं, परन्तु वे वहीं जमे रहने का इंतजाम कर लेते है और आयोग को उसके बारे में विभिन्न राजनैतिक दलों तथा जनसामान्य द्वारा की गई शिकायतों के माध्यम से देर से पता चलता है। ये घटनाएं, जिनकी संख्या, हालांकि, काफी कम होती है, फील्ड स्तर पर गलत संकेत भेजती हैं और उपर्युक्त मानदण्ड पर स्थानांतरित किए जाने के भागी बनने वाले अधिकारियों के बारे में समुचित सूचना के बनाए न रखने को गैर-अनुपालन की कुछ इक्का-दुक्का घटनाओं के कारण के रूप में अभिचिह्नित किया गया है। भविष्य में ऐसी घटनाओं के घटने की संभावना दूर करने के लिए आयोग ने मौजूदा अनुदेश को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए निम्नलिखित निदेश जारी किए हैं:-
I. राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी एक रजिस्टर बनाए रखेंगे जिसमें निर्वाचन आयोग के आदेश द्वारा स्थानांतरित भा.प्र.से./भा.पु.से. अधिकारियों, जिला निर्वाचन अधिकारियों, रिटर्निंग अधिकारियों तथा निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारियों तथा ऐसे अधिकारियों के बारे में सूचना बनाए रखी जाएगी जिनके विरूद्ध आयोग ने अनुशासनात्मक कार्रवाई की संस्तुति की है अथवा जिन्हें निर्वाचन या निर्वाचन संबंधी कार्य में कोई गलती करने के लिए आरोपित किया गया है।
II. इसी प्रकार, जिला निर्वाचन अधिकारी एक रजिस्टर बनाए रखेंगे जिसमें अन्य कनिष्ठ अधिकारियों तथा अन्य स्टॉफ के बारे में सूचना रखी जाएगी।
III. भारत निर्वाचन आयोग द्वारा निर्वाचनों की घोषणा के 7 दिनों के भीतर, राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी यह सुनिश्चित करते हुए कि उपर्युक्त मानदण्ड के अंतर्गत आने वाले सभी अधिकारियों को स्थानांतरित कर दिया गया है, जोनल सेक्रेटरी को एक अनुपालन-पत्र भेजेंगे। इसी प
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