ECI द्वारा
सं.437/6/1/अनुदेश/ईसीआई/प्रकार्या./एमसीसी/2020 दिनांक: 30 जून, 2020
सेवा में,
1. मुख्य सचिव,
बिहार सरकार, पटना।
2. मुख्य निर्वाचन अधिकारी,
बिहार, पटना।
विषय: बिहार राज्य विधान सभा का साधारण निर्वाचन - निर्वाचनों के संचालन से संबंधित अधिकारियों का स्थानांतरण/तैनाती के लिए परामर्शी – तत्संबंधी।
महोदय/महोदया,
बिहार की विद्यमान विधान सभा का कार्यकाल 29 नवंबर, 2020 तक है।
2. स्वतंत्र और निष्पक्ष निर्वाचन सुनिश्चित करने के लिए, आयोग इस आशय की एक सुसंगत नीति का अनुपालन करता रहा है कि निर्वाचनरत राज्य/केन्द्र शासित प्रदेशों के निर्वाचनों से सीधे जुड़े अधिकारियों को उनके गृह जिलों या उन स्थानों पर तैनात नहीं किया जाता जहाँ उन्होंने काफी लंबे समय तक सेवाएं दी हैं। इसे ध्यान में रखते हुए लोकसभा, 2019 और आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, ओडिशा और सिक्किम की राज्य विधान सभाओं के साधारण निर्वाचन के संबंध में दिनांक 16 जनवरी, 2019 के सम संख्यक पत्र के तहत स्थानांतरण/तैनाती संबंधी विस्तृत अनुदेश जारी किए गए थे (प्रतिलिपि संलग्न)।
3. तद्नुसार, एतद् द्वारा यह सुझाव दिया जाता है कि निर्वाचन के संचालन से सीधे जुड़े सभी सरकारी अधिकारियों जैसे कि डीईओ/आरओ/एआरओ/पुलिस इंस्पेक्टर/सब-इंस्पेक्टर अथवा इनसे ऊपर के पदों पर तैनात अधिकारियों के मामले में निम्नलिखित सुनिश्चित किया जाए-
i. कि निर्वाचन से संबंधित किसी भी अधिकारी को उनके अपने गृह जिले में तैनात न किया जाए।
ii. कि निर्वाचन कार्य से संबंधित अधिकारी, जिन्होंने पिछले चार (4) वर्षों के दौरान उस जिले में तीन वर्ष पूरे कर लिए हों या 31 अक्तूबर, 2020 को या उससे पहले तीन वर्ष पूरे कर लेंगे, उनका स्थानांतरण कर दिया जाना चाहिए।
iii. कि ऐसे अधिकारियों, जिनके विरूद्ध आयोग ने विगत में अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की थी और जो लंबित है या जिसकी परिणति में दंड दिया गया है अथवा जिन्हें विगत में निर्वाचन या निर्वाचन संबंधी किसी कार्य में कोई चूक के लिए आरोपित किया गया है, को निर्वाचन संबंधी कोई भी कार्य नहीं सौंपा जाएगा। इसके अतिरिक्त, आगामी छह महीनों के भीतर सेवानिवृत होने वाले किसी भी अधिकारी को निर्वाचन संबंधी किसी भी कार्य में नहीं लगाया जाएगा।
iv. कि लोक सभा निर्वाचन, 2019 के दौरान आयोग की सिफारिश पर तैनात अधिकारियों को उपर्युक्त स्थानांतरण नीति से छूट दी जा सकती है।
4. आयोग की उपर्युक्त परामर्शी को सख्ती से तथा समय पर अनुपालन के लिए सभी संबंधितों के ध्यान में लाया जाए।
5. कृपया इस पत्र की पावती दें।
भवदीय,
(नरेन्द्र एन. बुटोलिया)
वरिष्ठ प्रधान सचिव
भारत निर्वाचन आयोग
निर्वाचन सदन, अशोक रोड, नई दिल्ली-110001
सं.437/6/1/अनुदेश/ईसीआई/प्रकार्या./एमसीसी/2019 दिनांक: 16 जनवरी, 2019
सेवा में,
1. सभी राज्यों एवं संघ शासित क्षेत्रों के
मुख्य सचिव।
2. सभी राज्यों एवं संघ शासित क्षेत्रों के
मुख्य निर्वाचन अधिकारी।
विषय: लोकसभा, 2019 और आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, ओडिशा और सिक्किम की राज्य विधान सभाओं के साधारण निर्वाचन - अधिकारियों के स्थानांतरण/तैनाती – तत्संबंधी।
महोदय,
मुझे यह कहने का निदेश हुआ है कि वर्तमान, लोक सभा एवं आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, ओडिशा और सिक्किम की राज्य विधान सभाओं के कार्यकाल क्रमश: 03 जून, 2019, 18 जून, 2019, 01 जून, 2019, 11 जून, 2019 तथा 27 मई, 2019 तक हैं।
2. आयोग एक ऐसी सुसंगत नीति का अनुसरण कर रहा है जिसमें निर्वाचनरत राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में निर्वाचनों के संचालन से प्रत्यक्ष रूप से जुड़े अधिकारियों को उनके गृह जिलों या ऐसे स्थानों पर तैनात नहीं किया जाता है जहां उन्होंने काफी लंबी अवधि तक कार्य किया है।
3. अत: आयोग ने निर्णय लिया है कि निर्वाचनों से प्रत्यक्ष रूप से जुड़े किसी भी अधिकारी को तैनाती के वर्तमान जिले में बने रहने की अनुमति नहीं दी जाएगी:-
v. यदि वे अपने गृह जिले में तैनात हैं।
vi. यदि उन्होंने पिछले चार (4) वर्षों के दौरान उस जिले में तीन वर्ष पूर्ण कर लिए हैं या 31 मई, 2019 को या उससे पहले तीन वर्ष पूर्ण कर लेंगे।
4. उपर्युक्त अनुदेशों को कार्यान्वित करते हुए/अधिकारियों को स्थानांतरित करते हुए, राज्य सरकार के संबंधित विभागों को ध्यान रखना चाहिए कि उन्हें उनके गृह जिले में तैनात न किया जाए। यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि किसी भी डीईओ/आरओ/एआरओ/पुलिस इंस्पेक्टर/सब-इंस्पेक्टर या उनसे उच्चतर अधिकारियों को ऐसे विधान सभा निर्वाचन-क्षेत्र/जिले में वापस तैनात न किया जाए या न बने रहने दिया जाए जहां वे 31 मई, 2017 से पूर्व के विधान सभा निर्वाचन में आयोजित साधारण/उप-निर्वाचन के दौरान तैनात थे।
5. यदि कुछेक जिलों वाले छोटे राज्य/संघ राज्य-क्षेत्र को उपर्युक्त अनुदेशों के अनुपालन में किसी कठिनाई का सामना करना पड़ता है तो वे उस विशिष्ट मामले को उनके कारण सहित, सीईओ के माध्यम से छूट प्राप्त करने हेतु आयोग को भेज सकते हैं और आयोग ऐसे मामले पर, यदि आवश्यक समझे, निदेश जारी करेगा।
6. अनुप्रयोज्यता-
6.1 ये अनुदेश केवल विनिर्दिष्ट निर्वाचन कर्तव्यों के लिए नियुक्त अधिकारियों यथा डीईओ, डिप्टी डीईओ, आरओ/एआरओ, ईआरओ/एईआरओ, किसी विशेष निर्वाचन के नोडल अधिकारी के रूप में नियुक्त अधिकारियों पर ही लागू नहीं होते अपितु जिले के अधिकारियों यथा एडीएम, एसडीएम डिप्टी क्लेक्टर/ज्वाइंट क्लेक्टर, तहसीलदार, खंड विकास अधिकारी या निर्वाचन कार्यों के लिए सीधे तैनात समतुल्य रैंक के किन्हीं अन्य अधिकारियों पर भी लागू होते हैं।
6.2 ये अनुदेश, पुलिस विभाग के अधिकारियों जैसे रेंज आई जी, डी आई जी, राज्य सशस्त्र पुलिस के कमांडेंट्स, एसएसपी, एसपी, अपर एस पी, उप-प्रभागीय पुलिस प्रमुख, एस एच ओ, इंस्पेक्टर, सब-इंस्पेक्टर, आर आई/सार्जेंट मेजर अथवा ऐसे समतुल्य रैंक के अधिकारी जो निर्वाचन समय में जिले में सुरक्षा प्रबंधन अथवा पुलिस बल की तैनाती के लिए जिम्मेवार हैं, पर भी लागू होंगे।
7. आयोग द्वारा समय-समय पर जारी किए गए निम्नलिखित स्पष्टीकरण/शिथिलताएं सभी संबंधितों की सूचना/दिशा-निर्देश के लिए हैं:-
(i) कार्यात्मक विभागों यथा कंप्यूटरीकरण, विशेष शाखा, प्रशिक्षण इत्यादि में तैनात पुलिस अधिकारियों पर ये अनुदेश लागू नहीं होते हैं।
(ii) पुलिस सब-इंस्पेक्टर और उनसे उच्च पदीय अधिकारियों को उनके गृह जिलों में तैनात नहीं किया जाना चाहिए।
(iii) यदि पुलिस सब-इंस्पेक्टर ने पुलिस सब-डिवीजन में अंतिम तारीख के दिन या उससे पहले चार वर्षों में से 3 वर्षों का कार्यकाल पूरा कर लिया है या पूरा करेगा तो उसका ऐसे पुलिस सब-डिवीज़न में स्थानांतरण कर देना चाहिए जो उस विधान सभा निर्वाचन-क्षेत्र में न पड़ती हो। यदि जिले के छोटे आकार के कारण यह संभव न हो तो उसे जिले से बाहर स्थानांतरित कर देना चाहिए।
(iv) किसी भी निर्वाचन में विभिन्न प्रकार की निर्वाचन ड्यूटियों के लिए बड़ी संख्या में कर्मचारियों को तैनात किया जाता है और आयोग की ऐसी कोई मंशा नहीं होती है कि बड़ी संख्या में स्थानांतरण करके राज्य मशीनरी को अत्यंत पंगु कर दे। अत: उपर्युक्त स्थानांतरण नीति सामान्यत: उन अधिकारियों/पदाधिकारियों पर लागू नहीं होती जो निर्वाचनों से प्रत्यक्ष रूप से नहीं जुड़े हैं जैसे डाक्टर, इंजीनियर, शिक्षक/प्रधानाचार्य इत्यादि। तथापि, यदि ऐसे किसी भी सरकारी अधिकारी के विरूद्ध राजनीतिक पक्षपात या पूर्वाग्रह की विशिष्ट शिकायतें मिलती हैं और जो जांच करने पर सत्य पाई जाती हैं तो सी ई ओ/ई सी आई न केवल ऐसे अधिकारियों के स्थानांतरण के आदेश देगा अपितु उसके विरूद्ध समुचित विभागीय कार्रवाई करने के भी आदेश देगा।
(v) निर्वाचन ड्यूटी में शामिल सेक्टर अधिकारी/ज़ोनल मजिस्ट्रेट के रूप में नियुक्त अधिकारियों पर ये अनुदेश लागू नहीं होते हैं। तथापि, प्रेक्षकों, सीईओ/डीईओ तथा आर ओ को उनके आचरण पर सतर्क निगरानी रखनी चाहिए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे अपने कर्तव्यों के निष्पादन में गैर-पक्षपातपूर्ण व निष्पक्ष रहें।
(vi) तीन वर्षों की अवधि की गणना करते समय जिले के अंदर किसी पद पर हुई प्रोन्नति की भी गणना की जाएगी।
(vii) ये अनुदेश संबंधित विभाग के राज्य मुख्यालयों में तैनात अधिकारियों पर लागू नहीं होते।
(viii) इसके अतिरिक्त यह निदेश दिया जाता है कि ऐसे अधिकारियों/कर्मचारियों जिनके विरूद्ध आयोग ने विगत में अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की थी और जो लंबित है या जिसकी परिणति में दंड दिया गया था अथवा जिन्हें विगत में निर्वाचन या निर्वाचन संबंधी किसी कार्य में कोई चूक के लिए आरोपित किया गया है, उन्हें निर्वाचन संबंधी कोई भी ड्यूटी नहीं सौंपी जाएगी। तथापि, ऐसा अधिकारी, जो आयोग के आदेशों के अधीन किसी विगत निर्वाचन के दौरान अनुशासनात्मक कार्रवाई की किसी सिफारिश के बिना स्थानांतरित किया गया था, को केवल इसी आधार पर तब तक स्थानांतरित करने पर विचार नहीं किया जाएगा जब तक ऐसे किसी अधिकारी के बारे में आयोग द्वारा विशेष रूप से निदेश न दिए जाएं। दागी अधिकारियों के नामों पर नजर रखने के संबंध में आयोग के दिनांक 23 दिसम्बर, 2008 के अनुदेश सं. 464/अनुदेश/2008-ईपीएस की एक प्रति संलग्न है। मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को इसका अनुपालन अवश्य सुनिश्चित करना चाहिए।
(ix) इसके अतिरिक्त आयोग ने यह इच्छा भी व्यक्त की है कि ऐसे किसी अधिकारी/कर्मचारी को, जिनके विरूद्ध किसी न्यायालय में आपराधिक मामला लंबित है, निर्वाचन कार्य या निर्वाचन संबंधी ड्यूटी से संबद्ध / पर तैनात नहीं किया जाना चाहिए।
(x) इसके अतिरिक्त, आयोग की उपर्युक्त नीति के अनुसार स्थानांतरित हो चुके वर्तमान पदधारियों के स्थान पर व्यक्तियों की तैनाती करते समय राज्य/संघ राज्य-क्षेत्र के मुख्य निर्वाचन अधिकारी से निरपवाद रूप से परामर्श किया जाएगा। इन अनुदेशों के अधीन जारी स्थानांतरण आदेशों की प्रतियां मुख्य निर्वाचन अधिकारी को अवश्य ही दे दी जाएं।
(xi) ऐसे अधिकारियों/कर्मचारियों जो किसी निर्वाचन वर्ष के दौरान निर्वाचक नामावली पुनरीक्षण कार्य में लगे हुए है, के संबंध में स्थानांतरण आदेश यदि कोई हो तो, का कार्यान्वयन संबंधित मुख्य निर्वाचन अधिकारी के परामर्श से निर्वाचक नामावलियों के अंतिम रूप से प्रकाशन के बाद ही किया जाएगा। किन्हीं असाधारण कारणों की वजह से स्थानांतरण की कोई आवश्यकता के मामले में आयोग का पूर्व-अनुमोदन लिया जाएगा।
(xii) कोई भी अधिकारी जो आने वाले छह महीनों के भीतर सेवानिवृत होने वाला है, आयोग के पैरा-3 में उल्लिखित अनुदेशों की परिधि से बाहर रहेगा। इसके अतिरिक्त, (गृह नगर/3+मानदंड तथा 6 महीनों के अंदर सेवानिवृत होने वाले) इस श्रेणी में आने वाला अधिकारी यदि पैरा 6.1 एवं 6.2 में उल्लिखित निर्वाचन संबंधित पद पर है तो उसे उस प्रभार से मुक्त किया जाएगा तथा किसी भी प्रकार की निर्वाचन ड्यूटी प्रदान नहीं की जाएगी। हांलाकि, यह भी दोहराया जाता है कि ऐसे सेवानिवृत होने वाले अधिकारी को जिले से बाहर स्थानांनतरित करने की आवश्यकता नहीं है।
(xiii) यह भी स्पष्ट किया जाता है कि राज्य के ऐसे सभी अधिकारी/कर्मचारी (मुख्य निर्वाचन अधिकारी के कार्यालय में तैनात अधिकारी/कर्मचारी को छोड़कर) जिनकी सेवा-अवधि बढ़ाई गई है या जिन्हें विभिन्न पदों पर पुन: नियोजित किया गया है, निर्वाचन संबंधी किसी भी कार्य से नहीं जोड़े जाएंगे।
(xiv) निर्वाचन संबंधी सभी अधिकारियों से अपेक्षा की जाएगी कि वे संबंधित डीईओ को नीचे दिए गए फार्मेट में घोषणापत्र भरकर दें जो तद्नुसार मुख्य निर्वाचन अधिकारी को सूचित करेंगे।
घोषणा-पत्र
(नाम निर्देशन-पत्रों की अंतिम तारीख के पश्चात दो दिनों के अन्दर प्रस्तुत किए जाने हेतु)
टिप्पणी- किसी भी अधिकारी द्वारा की गई किसी भी मिथ्या घोषणा पर उचित अनुशासनिक कार्रवाई की जाएगी।
8. आयोग के उपर्युक्त अनुदेश उनका सख्ती से अनुपालन किए जाने के लिए संबंधित विभागों/अधिकारियों या राज्य सरकार के संज्ञान में लाए जाएं। जिला निर्वाचन अधिकारी या जिले के संबंधित अधिकारीगण सुनिश्चित करेंगे कि जिन अधिकारियों/कर्मचारियों का स्थानान्तरण किया जाता है वे अपने एवज़ी की प्रतीक्षा किए बिना अपना कार्यभार तुरंत सौंप दें।
9. आयोग ने इसके अतिरिक्त निदेश दिया है कि उपर्युक्त अनुदेश के अधीन आने वाले सभी अधिकारियों के स्थानांतरण/तैनाती दिनांक 28 फरवरी, 2019 तक कर दिए जाएं तथा राज्य सरकार के संबंधित विभागों/अधिकारियों से प्राप्त कार्रवाई के विवरण सहित अनुपालन रिपोर्ट आयोग को मार्च, 2019 के पहले सप्ताह में प्रस्तुत की जाए।
10. कृपया इस पत्र की पावती दें।
भवदीय,
(नरेन्द्र एन. बुटोलिया)
प्रधान सचिव
भारत निर्वाचन आयोग
निर्वाचन सदन, अशोक रोड, नई दिल्ली-110001
464/अनुदेश/2008/ईपीएस दिनांक: 23 दिसम्बर, 2008
सेवा में,
सभी राज्यों/संघ राज्य-क्षेत्रों के
मुख्य निर्वाचन अधिकारीगण।
विषयः- भारत निर्वाचन आयोग के आदेश द्वारा कार्य की अवहेलना आदि के आरोप में स्थानांतरित अधिकारियों के नामों पर नजर रखना।
संदर्भः- सभी राज्यों तथा संघ राज्य-क्षेत्रों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को सम्बोधित पत्र सं. 437/6/2006-पीएलएन.III दिनांक 06 नवम्बर, 2006 तथा ईसीआई संदेश सं. 100/1994-पीएलएन-I दिनांक 28.03.1994।
भारत निर्वाचन आयोग ने ऊपर संदर्भित अनुदेश द्वारा निदेश दिया था कि प्रत्येक निर्वाचन से पहले सभी जिलों में एक विस्तृत समीक्षा की जाएगी तथा ऐसे सभी अधिकारियों को उनके गृह जिले या उस जिलों से बाहर स्थानांतरित किया जाना चाहिए जहां उन्होंने 4 वर्षों के कार्यकाल में से 3 वर्ष का कार्यकाल पूरा कर लिया हो, और यह भी निदेश दिया था कि ऐसे अधिकारीगण/कर्मचारीगण जिनके विरुद्ध आयोग ने अनुशासनात्मक कार्रवाई की संस्तुति की है या जिन्हें निर्वाचन या निर्वाचन संबंधी कार्य में किसी त्रुटि के लिए आरोपित किया गया है या जिन्हें इस मामले में आयोग के आदेशों के अधीन स्थानांतरित किया गया है, उन्हें निर्वाचन संबंधी कोई भी ड्यूटी न सौंपी जाए।
तथापि, हाल ही में हुए निर्वाचनों के दौरान यह देखा गया कि मुख्य निर्वाचन अधिकारियों तथा जिला निर्वाचन अधिकारियों द्वारा आयोग के उपर्युक्त अनुदेश का अनुपालन करने के लिए किए गए प्रयासों के बावजूद अभी भी ऐसे अधिकारियों के कुछ उदाहरण हैं, जो उपर्युक्त मानदण्ड के अंतर्गत आते हैं तथा जिले से बाहर गैर-निर्वाचन संबंधी कार्य के लिए स्थानांतरित किए जाने के भागी हैं, परन्तु वे वहीं जमे रहने का इंतजाम कर लेते है औंर आयोग को उसके बारे में विभिन्न राजनैतिक दलों तथा जनसामान्य द्वारा की गई शिकायतों के माध्यम से देर से पता चलता है। ये घटनाएं, जिनकी संख्या, हालांकि, काफी कम होती है, फील्ड स्तर पर गलत संकेत भेजती हैं और उपर्युक्त मानदण्ड पर स्थानांतरित किए जाने के पात्र अधिकारियों के बारे में समुचित सूचना का रख-रखाव न करने को गैर-अनुपालन की कुछ इक्का-दुक्का घटनाओं के कारण के रूप में अभिचिह्नित किया गया है। भविष्य में ऐसी घटनाओं के घटने की संभावना दूर करने के लिए आयोग ने मौजूदा अनुदेश को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए निम्नलिखित निदेश जारी किए हैः-
I. राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी एक रजिस्टर बनाए रखेंगे जिसमें निर्वाचन आयोग के आदेश द्वारा स्थानांतरित ऐसे भा.प्र.से./भा.पु.से. के अधिकारियों, जिला निर्वाचन अधिकारियों, रिटर्निंग अधिकारियों तथा निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारियों के बारे में सूचना बनाए रखी जाएगी जिनके विरूद्ध आयोग ने अनुशासनात्मक कार्रवाई की संस्तुति की है अथवा जिन्हें निर्वाचन या निर्वाचन संबंधी कार्य में कोई गलती करने के लिए आरोपित किया गया है।
II. इसी प्रकार, जिला निर्वाचन अधिकारी एक रजिस्टर बनाए रखेंगे जिसमें अन्य कनिष्ठ अधिकारियों तथा अन्य स्टॉफ के बारे में सूचना रखी जाएगी।
III. भारत निर्वाचन आयोग द्वारा निर्वाचनों की घोषणा के 7 दिन के भीतर, राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी यह संपुष्टि करते हुए कि उपर्युक्त मानदण्ड के अंतर्गत आने वाले सभी अधिकारियों को स्थानांतरित कर दिया गया है, जोनल सेक्रेटरी को एक अनुपालन-पत्र भेजेंगे। इसी प्रकार, वह यह संपुष्टि करते हुए कि उपर्युक्त मानदण्ड के अंतर्गत आने वाले सभी अधिकारियों/स्टॉफ को गैर निर्वाचन संबंधी कार्य पर तथा जिले से बाहर स्थानांतरित कर दिया गया है, सभी जिला निर्वाचन अधिकारियों से इसी प्रकार का अनुपालन प्रमाण-पत्र प्राप्त करेंगे।
IV. 4 वर्षों में से 3 वर्ष मानदण्ड तथा गृह जिला मानदण्ड के अंतर्गत आने वाले अधिकारियों के स्थानान्तरण के संदर्भ में, जिला निर्वाचन अधिकारी रिटर्निंग अधिकारियों, निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारियों, सहायक रिटर्निंग अधिकारियों तथा सहायक निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारियों एवं निर्वाचन संबंधी अन्य कर्मचारियों के संबंध में अनुपालन सुनिश्चित करेंगे एवं भारत निर्वाचन आयोग या मुख्य निर्वाचन अधिकारी द्वारा इस प्रयोजन के लिए निर्धारित समय, यदि कोई हो, के भीतर तथा यदि समय निर्धारित नहीं है तो निर्वाचनों की घोषणा वाले प्रेस नोट जारी किए जाने के 7 दिनों के भीतर मुख्य निर्वाचन अधिकारी को एक पत्र भजेंगे।
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