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प्रेस विज्ञप्तियाँ

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  1. उत्तर प्रदेश राज्य सभा के लिए उप-निर्वाचन - तत्संबंधी

    सं. ईसीआई/पीएन/51/2023                                                            दिनांकः 22 अगस्त, 2023
     
    विषयः  उत्तर प्रदेश राज्य सभा के लिए उप-निर्वाचन - तत्संबंधी
     
           उत्तर प्रदेश राज्य सभा में एक आकस्मिक रिक्ति हो गई है जिसका ब्यौरा निम्नलिखित हैः-
    सदस्य का नाम
    कारण
    रिक्ति की तिथि
    कार्यकाल निम्नलिखित तिथि तक
    श्री हरद्वार दुबे
    निधन
    26.06.2023
    25.11.2026
     
    2.     आयोग ने निम्नलिखित कार्यक्रम के अनुसार ऊपर उल्लिखित रिक्ति को भरने के लिए उत्तर प्रदेश राज्य सभा का उप-निर्वाचन करवाने का निर्णय किया हैः
    क्र. सं.
    कार्यक्रम
    तिथि
    1.
    अधिसूचना जारी करना
    29 अगस्त, 2023 (मंगलवार)
    2.
    नामांकन करने की अंतिम तिथि
    05 सितम्बर, 2023 (मंगलवार)
    3.
    नामांकनों की संवीक्षा
    06 सितम्बर, 2023 (बुधवार)
    4.
    अभ्यर्थिता वापस लेने की अंतिम तिथि
    08 सितम्बर, 2023 (शुक्रवार)
    5.
    मतदान की तिथि
    15 सितम्बर, 2023 (शुक्रवार)
    6.
    मतदान के घंटे
    9:00 बजे पूर्वाह्न से 4:00 बजे अपराह्न तक
    7.
    मतों की गिनती
    15 सितम्बर, 2023 (शुक्रवार) को 5:00 बजे अपराह्न
    8.
    वह तिथि जिससे पहले निर्वाचन करवा लिया जाएगा
    19 सितम्बर, 2023 (मंगलवार)
     
    3.     भारत निर्वाचन द्वारा जारी दिनांक 08 अगस्त 2023 के प्रेस नोट के पैरा 6 में यथा-उल्लिखित कोविड-19 के विस्तृत दिशानिर्देश लिंक https://eci.gov.in/files/file/15208-schedule-for-bye-election-to-07-legislative-assemblies-of-jharkhand-tripura-kerala-west-bengal-uttar-pradesh-and-uttrakhand/ पर उपलब्ध हैं, जिनका पालन, जहां कहीं लागू हों, सभी व्यक्तियों द्वारा संपूर्ण निर्वाचन प्रक्रिया के दौरान किया जाना है।
    4.     मुख्य सचिव, उत्तर प्रदेश को निदेश दिया जा रहा है कि वे उस राज्य से एक वरिष्ठ अधिकारी की तैनाती यह सुनिश्चित करने के लिए करें कि कोविड-19 की रोकथाम के उपायों के संबंध में मौजूदा अनुदेशों का अनुपालन उक्त उप-निर्वाचन के आयोजन की व्यवस्था करने के दौरान किया जाए।

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    फ़ाइल सबमिट की गई Wednesday 30 August 2023

  2. क्रिकेट के महारथी और भारतरत्न से विभूषित सचिन तेंदुलकर भारत निर्वाचन आयोग के लिए राष्ट्रीय आइकन के रूप में मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए बल्लेबाजी करेंगे|

    सं. ईसीआई/पीएन/52/2023                                             22.08.2023
     
    पूर्व-भूमिका
     
    क्रिकेट के महारथी और भारतरत्न से विभूषित सचिन तेंदुलकर भारत निर्वाचन आयोग के लिए राष्ट्रीय आइकन के रूप में मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए बल्लेबाजी करेंगे
     
    क्रिकेट के महारथी और भारतरत्न से विभूषित श्री सचिन रमेश तेंदुलकर भारत निर्वाचन आयोग की ओर से ‘राष्ट्रीय आइकन’ के रूप में मतदाता जागरूकता एवं (मतदाता) शिक्षा के लिए एक नई पारी की शुरुआत करेंगे। मुख्य निर्वाचन आयुक्त श्री राजीव कुमार और निर्वाचन आयुक्तों श्री अनूप चन्द्र पाण्डेय और श्री अरुण गोयल की उपस्थिति में 23 अगस्त, 2023 को रंगभवन, आकाशवाणी, नई दिल्ली में आयोजित किए जाने वाले एक समारोह में इस महारथी के साथ तीन वर्षों की अवधि के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया जाएगा।
     
    यह सहयोग आगामी निर्वाचनों, विशेषकर वर्ष 2024 में होने वाले साधारण निर्वाचनों में मतदाताओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए युवा मतदाताओं पर तेंदुलकर के अतुलनीय प्रभाव डालने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में अंकित होगा। आयोग का उद्देश्य इस सहभागिता के माध्यम से नागरिकों, विशेषकर युवा और शहरी आबादी तथा निर्वाचन प्रक्रिया के बीच अंतर को पाटना है, जिससे शहरी और युवा उदासीनता की चुनौतियों का समाधान करने का प्रयास किया जा सके।  
     
     
    भारत निर्वाचन आयोग विभिन्न क्षेत्रों के ख्यातिप्राप्त भारतीयों के साथ जुड़कर उन्हें लोकतंत्र के त्योहार में भागीदारी हेतु मतदाताओं को प्रेरित करने के लिए आयोग के राष्ट्रीय आइकन के रूप में मान्यता प्रदान करता है। पिछले वर्ष, आयोग ने प्रसिद्ध अभिनेता श्री पंकज त्रिपाठी को राष्ट्रीय आइकन के रूप में मान्यता प्रदान की। इससे पहले, वर्ष 2019 के लोक सभा निर्वाचनों के दौरान, एम.एस. धोनी, अमीर खान और मैरी कॉम जैसी दिग्गज़ हस्तियां आयोग की राष्ट्रीय आइकन रही थीं।

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    फ़ाइल सबमिट की गई Thursday 24 August 2023

  3. क्रिकेट की महान विभूति एवं भारत रत्न से पुरस्कृत सचिन तेंदुलकर ने लोगों को अधिक से अधिक संख्‍या में मतदान करने के लिए प्रेरित करने के लिए भारत निर्वाचन आयोग के लिए राष्ट्रीय आइकन के रूप में अपनी पारी की शुरुआत की!

    सं. ईसीआई/पीएन/53/2023                                         23.08.2023
    प्रेस नोट
    क्रिकेट की महान विभूति एवं भारत रत्न से पुरस्कृत सचिन तेंदुलकर ने लोगों को अधिक से अधिक संख्‍या में मतदान करने के लिए प्रेरित करने के लिए भारत निर्वाचन आयोग के लिए राष्ट्रीय आइकन के रूप में अपनी पारी की शुरुआत की
    तेंदुलकर ने कहा कि मैचों के दौरान जिस तरह करोड़ों भारतीयों का दिल भारतीय टीम के लिए धड़कता है उसी तरह उनका दिल वोट देकर लोकतंत्र को आगे ले जाने के लिए धड़कना चाहिए
    मुख्य निर्वाचन आयुक्‍त, श्री राजीव कुमार ने कहा कि मतदान प्रतिशत (वोटर टर्नआउट) बढ़ाने की हिमायत करने के लिए तेंदुलकर एक आदर्श विकल्प हैं
     

    क्रिकेट की महान विभूति एवं भारत रत्न सचिन रमेश तेंदुलकर ने आज भारत निर्वाचन आयोग के लिए मतदाता जागरूकता एवं शिक्षा के लिए ‘राष्ट्रीय आइकन’ के रूप में एक नई पारी की शुरुआत की। मुख्य निर्वाचन आयुक्त श्री राजीव कुमार और निर्वाचन आयुक्त श्री अनूप चन्द्र पाण्डेय और निर्वाचन आयुक्त श्री अरुण गोयल की उपस्थिति में आज आकाशवाणी रंग भवन, नई दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में इस महान शख्सियत के साथ 3 वर्ष की अवधि के लिए  समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। यह सहयोग आगामी चुनावों, विशेषकर लोक सभा के आम चुनाव, 2024 में मतदाताओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए युवा-वर्ग में तेंदुलकर की असाधारण लोकप्रियता का लाभ उठाने की दिशा में एक उल्‍लेखनीय कदम है। इस सहभागिता के माध्यम से आयोग का उद्देश्य नागरिकों, विशेष रूप से युवा एवं शहरी लोगों तथा निर्वाचन प्रक्रिया के बीच के अंतर को पाटना और इस तरह, शहरी एवं युवा उदासीनता की चुनौतियों को दूर करने का प्रयास करना है।  
    भारत निर्वाचन आयोग के लिए राष्ट्रीय आइकन के रूप में अपनी भूमिका में, सचिन तेंदुलकर ने इस उद्देश्‍य के प्रति अपने उत्साह एवं प्रतिबद्धता को व्यक्त करते हुए कहा कि, “भारत जैसे जीवंत लोकतंत्र के लिए युवा-वर्ग राष्‍ट्र निर्माण में प्रमुख भूमिका का निवर्हन करते हैं। जो दिल खेल स्‍पर्धाओं के दौरान टीम इंडिया के लिए ‘इंडिया, इंडिया!’ के समवेत स्‍वर के साथ गुंजायमान होता है उसे हमारे बेशकीमती लोकतंत्र को आगे ले जाने के लिए भी उसी तरह धड़कना चाहिए। इसका एक सरल किंतु सबसे शक्तिशाली तरीका यह है कि हम नियमित रूप में अपना वोट देने जाएं। 
     

    इस अवसर पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि स्टेडियम जाने से लेकर पोलिंग बूथ जाने तक, अपनी नेशनल टीम के साथ खड़े होने के लिए समय निकालने से लेकर वोट डालने के लिए समय निकालने तक हम जोश और उत्साह बनाए रखेंगे। जब देश के कोने-कोने के युवा चुनावी लोकतंत्र में बड़ी संख्या में भाग लेंगे तो हम अपने देश के लिए समृद्ध भविष्य देखेंगे।" 
    इस अवसर पर बोलते हुए मुख्य निर्वाचन आयुक्त श्री राजीव कुमार ने कहा कि श्री सचिन तेंदुलकर, जो न केवल भारत में बल्कि विश्व के स्तर पर भी पूजे जाने वाले आइकन हैं, ऐसी विरासत है जिसका प्रभाव उनकी क्रिकेट की उपलब्धियों से कहीं आगे जाता है। श्री राजीव कुमार ने कहा कि उनका यशस्वी करियर उत्कृष्टता, टीमवर्क, और कामयाबी की निरंतर चाहत के प्रति उनकी प्रतिबद्धता का प्रमाण है। मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने यह भी कहा कि उनका प्रभाव खेल की दुनिया से परे जाता है जो उन्हें भारत निर्वाचन आयोग के उद्देश्य के लिए काम करने और मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए एक आदर्श विकल्प बनाता है।
    इस सहयोग में भांति-भांति के कार्यकलाप, जिसमें मतदान की महत्ता और राष्ट्र का भाग्य निर्धारित करने में जो यह भूमिका निभाता है, के बारे में जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से विभिन्न टीवी टॉक शो/प्रोग्राम और डिजिटल अभियानों आदि में मतदाता जागरूकता को बढ़ावा देना शामिल है, समाहित होंगे।
     कार्यक्रम के दौरान, राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के छात्रों ने भी लोकतंत्र को मजबूती प्रदान करने में मतदान के महत्व पर एक प्रभावशाली प्रहसन प्रस्तुत किया।

    भारत निर्वाचन आयोग विभिन्न क्षेत्रों की प्रख्यात भारतीय विभूतियों के साथ अपने आप को जोड़ता है और उन्हें लोकतंत्र के उत्सव में भाग लेने के लिए मतदाताओं को प्रेरित करने के लिए आयोग के राष्ट्रीय आइकनों के रूप में नामोद्दिष्ट करता है। पिछले वर्ष, आयोग ने प्रसिद्ध अभिनेता श्री पंकज त्रिपाठी को राष्ट्रीय आइकन के रूप में मान्यता प्रदान की थी। पूर्व में, वर्ष 2019 के लोक सभा निर्वाचन के दौरान एम.एस. धोनी, अमीर खान और मैरी कॉम जैसी शख्सियत आयोग की राष्ट्रीय आइकन रही थीं।
     

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    फ़ाइल सबमिट की गई Thursday 24 August 2023

  4. भारत निर्वाचन आयोग ने हितधारकों के साथ विस्तृत परामर्श करने के बाद असम राज्य के विधान सभा और संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों के लिए अंतिम परिसीमन आदेश प्रकाशित किए   प्रस्ताव!

    सं. ईसीआई/पीएन/48/2023                                    दिनांक: 11.08.2023
    प्रेस नोट
     
    भारत निर्वाचन आयोग ने हितधारकों के साथ विस्तृत परामर्श करने के बाद असम राज्य के विधान सभा और संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों के लिए अंतिम परिसीमन आदेश प्रकाशित किए
     
    प्रस्ताव को अंतिम रूप देने से पहले 1200 से भी अधिक प्राप्त प्रतिवेदनों पर विचार किए गए थे; प्राप्त हुए सुझावों/आपत्तियों में से 45% का निदान अंतिम आदेश में कर लिया गया है
     
    अंतिम आदेश में, भारत निर्वाचन आयोग ने 19 विधान सभा निर्वाचन क्षेत्रों और 01 संसदीय निर्वाचन क्षेत्र के मौजूदा नामकरण में संशोधन किया है
     
    विधान सभा सीटों की संख्या 126 और लोक सभा सीटों की संख्या 14 ही बनाए रखी गई है
     
    अनुसूचित जनजातियों के लिए 19 विधान सभा सीटें और 2 संसदीय सीटें; अनुसूचित जातियों के लिए 9 विधान सभा सीटें और 01 संसदीय सीट आरक्षित की गई है
     
    भारत निर्वाचन आयोग ने आज असम के संसदीय और विधान सभा निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन के लिए अंतिम प्रस्ताव प्रकाशित किए जैसा लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 8-क में उपबंधित है। अंतिम आदेश केंद्रीय सरकार और असम राज्य के राजपत्रों में अधिसूचित और प्रकाशित किया गया था। अंतिम प्रस्ताव आयोग द्वारा विभिन्न हितधारकों के साथ विस्तृत और ठोस परामर्श करने के बाद तैयार किया गया है, जिसमें जुलाई 2023 में प्रारूप प्रस्ताव पर गुवाहाटी में तीन दिनों की सार्वजनिक सुनवाई और मार्च 2023 में रिपोर्ट का प्रारूप तैयार करने से पहले की बैठक शामिल थी।
     
    परिसीमन प्रस्ताव के प्रारूप पर सार्वजनिक सुनवाई के दौरान आयोग को कुछ संसदीय और विधान सभा निर्वाचन क्षेत्रों के नामकरण में बदलाव के लिए जनता, राजनैतिक दलों और संगठनों के सदस्यों से कई विरोधाभासी प्रतिवेदन प्राप्त हुए, जिसमें उस क्षेत्र के ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, राजनैतिक तथा जातीय महत्व पर प्रकाश डाला गया है। मुख्य निर्वाचन आयुक्त श्री कुमार ने टकराव या शत्रुता किए बिना, विभिन्न मुद्दों पर अपने परस्पर विरोधी दावों को सम्मानजनक और मैत्रीपूर्ण तरीके से प्रस्तुत करने के लिए असम के विभिन्न समूहों की क्षमता की सराहना की थी।
    आयोग जिसमें मुख्य निर्वाचन आयुक्त श्री राजीव कुमार और निर्वाचन आयुक्तों श्री अनूप चन्द्र पाण्डेय तथा श्री अरुण गोयल शामिल हैं, द्वारा सभी प्रतिवेदनों को विधिवत सुना गया, और प्रस्ताव को अंतिम रूप देने से पहले संवैधानिक और सांविधिक प्रावधानों के दायरे में उन पर विचार किया गया और उनका मूल्यांकन किया गया। कुल 1222 अभ्यावेदन प्राप्त हुए थे। सार्वजनिक सूचना के प्रत्युत्तर में सार्वजनिक बैठकों के दौरान लिखित अथवा मौखिक रूप से दिए गए सभी सुझाव और विभिन्न हितधारकों से प्राप्त अभ्यावेदनों को आयोग में सारणीबद्ध किया गया था लगभग 5% प्रतिवेदनों में, उठाई गई मांगे, संवैधानिक और सांविधिक प्रावधानों के दायरे से परे पाई गईं इसलिए इन्हें जोड़ा नहीं जा सका। शेष सभी सुझावों/आपत्तियों में किए गए अनुरोधों को समायोजित करना व्यवहार्य नहीं पाया गया।
     
    राज्य में सभी विधानसभाओं और संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों को वर्ष 2001 की जनगणना के आधार पर परिसीमित किया जाना है जैसा कि संविधान के अनुच्छेद 170 और अनुच्छेद 82 में उपबंधित है। इस प्रयोजन हेतु केवल जनगणना आयुक्त द्वारा यथा प्रकाशित वर्ष 2001 के जनगणना आंकड़ों पर ही विचार किया गया है। असम राज्य में विधान सभा की और लोक सभा में आबंटित सीटों की संख्या 126 और 14 रखी गई है। अनुच्छेद 170 और 82 में निर्धारित किया गया है कि प्रत्येक राज्य की विधान सभा में सीटों की संख्या और राज्यों को लोक सभा की सीटों के आबंटन में परिवर्तन तब तक नहीं किया जाएगा जब तक कि वर्ष 2026 के पश्चात की जाने वाली पहली जनगणना के संबंद्ध आंकड़े प्रकाशित नहीं कर दिए जाते।
     
    विधान सभा में 09 सीटें अनुसूचित जाति के लिए आबंटित की गई है, जबकि 1 सीट लोक सभा में अनुसूचित जाति के लिए आबंटित की गई है। 19 विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र और दो संसदीय निर्वाचन क्षेत्र अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित किए गए हैं। अनुसूचित जातियों एवं अनुसूचित जनजातियों के लिए निर्वाचन क्षेत्रों का आरक्षण भारत के संविधान के अनुच्छेद 330 और 332 में निर्धारित प्रावधानों के आधार पर किया गया है।
     
    कुछ मुख्य विशेषताएं
     
    ü  ग्रामीण क्षेत्रों में निम्नतम प्रशासनिक इकाई ‘गांव’ एवं शहरी क्षेत्रों में ‘वार्ड’ रखी गई है। तद्नुसार गांव तथा वार्ड को यथावत रखा गया है और उन्हें राज्य में कहीं पर भी विभाजित नहीं किया गया है। प्रस्ताव को विकास की प्रशासनिक ईकाईयों अर्थात् विकास खण्ड, पंचायत (बीटीएडी में वीसीडीसी) और ग्रामीण क्षेत्र में गांव तथा नगर पालिका बोर्ड, शहरी क्षेत्र में वार्ड आधार पर तैयार किया गया है।
    ü  अनुसूचित जातियों की विधान सभा सीटें 8 से बढ़कर 9 हो गई हैं; अनुसूचित जनजातियों की विधान सभा सीटें 16 से बढ़कर 19 हो गई हैं;
    ü  पश्चिम कार्बी आंगलोंग जिले के स्वायत्त जिलों में 01 विधान सभा सीट की वृद्धि;
    ü  बोडोलैंड जिलों में विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र 11 से बढ़ाकर 15 करना;
    ü  दिफू एवं कोकराझार संसदीय सीटें अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित बनाए रखना;
    ü  लखिमपुर संसदीय सीट को अनारक्षित बनाए रखना;
    ü  धेमाजी जिले में 01 अनारक्षित विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र;
    ü  01 संसदीय सीट नामतः ‘दिफू’ अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित, जिसमें 03 स्वायत्त जिलों के 06 विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र शामिल हैं;
    ü  बराक घाटी जिलों अर्थात कछार, हैलाकांडी एवं करीमगंज जिलों को 02 संसदीय सीटें दी गई हैं;
    ü  01 संसदीय सीट को 'कांजीरंगा' नाम दिया गया है; जबकि 01 संसदीय निर्वाचन क्षेत्र का नाम 'मानस' रखा गया है।
     
    कुछ विधान सभा निर्वाचन क्षेत्रों और संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों के नाम में परिवर्तन करना
     
    अभ्यावेदनों पर विचार करने के उपरांत, आयोग ने अंतिम आदेश में 19 विधान सभा निर्वाचन क्षेत्रों और 01 संसदीय निर्वाचन क्षेत्र के मौजूदा नामकरण में संशोधन किए हैं जैसाकि नीचे की तालिका में दिया गया है। लोक सदस्यों की मांग को देखते हुए एक संसदीय निर्वाचन क्षेत्र और कुछ विधान सभा निर्वाचन क्षेत्रों जैसे- दारंग-उदलगिरि, हाजो-सुआलकुची, बोको-चयगांव, नगांव-बताद्रबा, भवानीपुर-सोरभोग, अलगापुर-कटलीचेर्रा को युग्मित नाम दिए गए।
     
    तालिका 1
     
    विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र
    क्र.सं.
    विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र का विद्यमान नाम
    विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र का संशोधित नाम
    9
    मानकचार
    बिरसिंग जरुआ
    11
    दक्षिण साल्मारा
    मानकचार
    17
    मानिकपुर
    श्रीजनग्राम
    21
    भवानीपुर
    भवानीपुर-सोरभोग
    25
    रूपशी
    पाकाबेतबारी
    28
    बोको (अ.ज.जा.)
    बोको-चायगांव
    30
    हाजो (अ.जा.)
    हाजो-सुआलकुची
    41
    गोबर्धन
    मानस
    55
    बताद्रबा
    धींग
    60
    नगांव
    नगांव-बताद्रबा
    69
    सूतिया
    नादुर
    87
    छाबुआ
    छाबुआ-लाहोबल
    89
    मोरन
    खोवांग
    113
    दीमा हासो (अ.ज.जा.)
    हाफलोंग (अ.ज.जा.)
    122
    अलगापुर
    अलगापुर-कटलीचेर्रा
    123
    बदरपुर
    करीमगंज उत्तर
    124
    उत्तर करीमगंज
    करीमगंज दक्षिण
    125
    दक्षिण करीमगंज
    पथारकांडी
    126
    रतबाड़ी (अ.जा.)
    रामा कृष्णा नगर (अ.जा.)
    संसदीय निर्वाचन क्षेत्र
    4
    दारंग
    दारंग-उदालगुड़ी
     
    विस्तृत परामर्श:
     
    1. जुलाई 19-21, 2023 के दौरान प्रारूप परिसीमन प्रस्ताव पर सार्वजनिक सुनवाई
     
    आयोग, जिसमें मुख्य निर्वाचन आयुक्त श्री राजीव कुमार के साथ निर्वाचन आयुक्त श्री अनूप चन्द्र पाण्डेय और श्री अरुण गोयल शामिल हैं, ने दिनांक 19, 20 एवं 21 जुलाई, 2023 को गुवाहटी शहर में आयोजित सार्वजनिक बैठकों के दौरान प्रारूप परिसीमन प्रस्ताव पर राजनैतिक दलों, सिविल सोसायटी संगठनों तथा जनता के प्रतिनिधियों के साथ सुनवाई की जिसमें लोगों, जन प्रतिनिधियों, राजनैतिक नेताओं और अन्य हितधारकों को अपने विचार व्यक्त करने के अवसर दिए गए। सार्वजनिक सुनवाइयां परिसीमन की प्रक्रिया के दौरान आयोग के परामर्शक कार्यकलाप का हिस्सा थीं। उन सभी को विशेष रूप से सुना गया था, जिन्होंने सार्वजनिक सूचना के प्रत्युत्तर में सुझाव एवं आपत्तियां दर्ज कराई थीं। इन तीन दिनों के दौरान, आयोग ने 31 जिलों से 1200 से अधिक अभ्यावेदनों को सुना और 20 से अधिक राजनैतिक दलों के साथ बैठकें कीं।
     
    राष्ट्रीय दलों नामतः आम आदमी पार्टी, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी), भारतीय जनता पार्टी; राज्यीय दलों नामतः ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट, असम गण परिषद, यूनाइटेड पीपुल्स पार्टी लिबरल और बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट के प्रतिनिधियों ने आयोग के समक्ष अपने-अपने फीडबैक और सुझाव साझा किए। इसके अलावा, यूनाइटेड अपोजिशन फोरम असम (असम प्रदेश कांग्रेस, असम जातीय परिषद, सीपीएम, रायजोर दल, सीपीआई, जातीय दल असम, एनसीपी, आरजेडी, जनता दल (यू), टीएमसी, सीपीआई (एमएल) एवं अन्य शामिल) और पंजीकृत अमान्यताप्राप्त राजनैतिक दलों (आरयूपीपी) नामतः रायजोर दल, भारतीय गण परिषद, नेशनल रिपब्लिकन कांग्रेस और असम जातीय परिषद ने भी भाग लिया।
     
    कुल मिलाकर, सार्वजनिक सुनवाईयों के दौरान 6000 से अधिक लोगों ने भाग लिया। तीन दिनों में हुई सार्वजनिक बैठकों के दौरान, आयोग ने समाज के विभिन्न वर्गों, संगठनों और राजनैतिक दलों के सभी अभ्यावेदनों को धैर्यपूर्वक सुना और संवैधानिक तथा सांविधिक प्रावधानों के दायरे में सभी अभ्यावेदनों पर समुचित विचार करने का आश्वासन दिया। आयोग के प्रारूप प्रस्ताव के संदर्भ में सार्वजनिक बैठकों में अथवा अन्य प्रकार से कुल 1222 अभ्यावेदन प्राप्त हुए थे। सार्वजनिक सूचना के प्रत्युत्तर में सार्वजनिक बैठकों के दौरान लिखित अथवा मौखिक रूप से दिए गए सभी सुझावों और विभिन्न हितधारकों से प्राप्त अभ्यावेदनों को आयोग में सारणीबद्ध किया गया था और आयोग ने सभी सुझावों की जांच करने के लिए आंतरिक बैठकों का एक अंतिम दौर संचालित किया और प्रारूप प्रस्ताव में किए जाने वाले परिवर्तनों पर निर्णय लिया। ऐसे सभी परिवर्तनों को भारत सरकार के शासकीय राजपत्र के साथ-साथ असम राज्य के शासकीय राजपत्र में इसके प्रकाशन से पूर्व, अंतिम आदेश तैयार करते समय शामिल कर लिया गया है।
     
    पृष्ठभूमि
     
    भारत निर्वाचन आयोग को लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 8-क के अंतर्गत असम राज्य में संसदीय और विधान सभा निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
    असम राज्य में विधान सभा और संसदीय सीटों का परिसीमन इससे पहले 1971 की जनगणना के आधार पर वर्ष 1976 में किया गया था। परिसीमन प्रक्रिया के लिए उस कार्यविधि का पालन किया गया है जो सुसंगत कानूनों अर्थात परिसीमन अधिनियम, 2002 (2002 का 33) की धारा 9 (1) (ग) एवं (घ) के साथ पठित लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 8 क और भारत के संविधान के अनुच्छेद 82, 170, 330 एवं 332 में निर्दिष्ट है।
     
    निर्वाचन आयोग ने निर्णय लिया कि निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन 1 जनवरी, 2023 को अस्तित्व में मौजूद प्रशासनिक इकाइयों, अर्थात् जिला/ विकास खंड/पंचायत अथवा वीसीडीसी (ग्राम परिषद विकास समिति)/ गांव/ वार्ड आदि को ध्यान में रखते हुए किया जाएगा। तदनुसार, आयोग ने अपने पत्र सं. 282/एएस/2022(डीईएल) दिनांक 27 दिसंबर, 2022 के जरिए मुख्य निर्वाचन आधिकारी, असम को लिखा कि राज्य में परिसीमन का कार्य पूरा होने तक, 1 जनवरी, 2023 की अवस्थिति के अनुसार मौजूद प्रशासनिक इकाइयों से छेड़छाड़ न किए जाने हेतु इस मामले को राज्य सरकार के साथ उठाए।
     
    परिसीमन प्रस्ताव का प्रारूप तैयार करने से पहले पूर्व-बैठकः
     
    स्मरणीय है कि आयोग ने दिनांक 26.3.2023 से 28.3.2023 तक असम का दौरा किया और मुख्य निर्वाचन आधिकारी, राज्य के सभी जिलों के उपायुक्तों और जिला निर्वाचन आधिकारियों सहित राजनैतिक दलों, जन प्रतिनिधियों, नागरिक समाजों, सामाजिक संगठनों, जनता के बीच के लोगों और राज्य में प्रशासन के अधिकारियों के साथ राज्य में परिसीमन के कार्य के संबंध में व्यक्तिगत वार्ताएं कीं। कुल मिलाकर, 11 राजनैतिक दलों और 71 अन्य संगठनों से अभ्यावेदन प्राप्त हुए थे और उन पर विचार किया गया।
     
    (यहां इस लिंक पर पढ़ें: परिसीमन के लिए प्रारूप प्रस्ताव पर जून 2023 में जारी की गई प्रेस विज्ञप्ति: https://eci.gov.in/files/file/15050-eci-publishes-draft-delimitation-proposal-for-assam-suggestions-objections-invited-till-july-11-2023/)
     
    दिशानिर्देश एवं कार्यप्रणाली:
     
    ü  आयोग ने संवैधानिक एवं विधिक उपबंधों और प्रतिवेदनों में प्राप्त सुझावों को ध्यान में रखते हुए दिशा-निर्देश और कार्यप्रणाली तैयार की।
    ü  राज्य में निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन के प्रयोजन के लिए, असम राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी से सांख्यिकीय डाटा तथा मानचित्र मांगे गए थे, जिन्होंने इसके लिए वर्ष 2001 की जनगणना के संदर्भ में सभी जिलों से डाटा और प्रशासनिक इकाइयों, अर्थात जिला/विकास खंड/पंचायत या वीसीडीसी (ग्राम परिषद विकास समिति)/गांव/ वार्ड इत्यादि से मानचित्र लिए, जो 1 जनवरी, 2023 को अस्तित्व में थे। परिशुद्धता के लिए मुख्य निर्वाचन अधिकारी के माध्यम से सभी जिलों से डाटा का पुनः सत्यापन कराया गया था।
    ü  सभी निर्वाचन क्षेत्रों को, यथासाध्य, भौगोलिक रूप से सघन क्षेत्र बनाए रखने का प्रयास किया गया है, और उनका परिसीमन करने में भौतिक विशेषताओं, जनसंख्या के घनत्व, प्रशासनिक इकाइयों की विद्यमान सीमाओं, संचार की सुविधाओं एवं सार्वजनिक सुविधा पर ध्यान दिया गया है। भौगोलिक विशेषताओं, जनसंख्या के घनत्व, संचार के साधनों, सार्वजनिक सुविधा, क्षेत्रों की समीपता और प्रशासनिक इकाइयों को तोड़ने से बचाने की अनिवार्यता जैसे कारकों के संदर्भ में कतिपय मामलों में अत्यधिक अंतर-जिला भिन्नता के कारण और चूंकि निर्वाचन क्षेत्रों को सभी मामलों में बिल्कुल समान जनसंख्या में परिसीमित नहीं किया जा सकता है, इसलिए राज्य और जिला औसत से कुछ हद तक विचलन की अनुमति दी गई है। असम राज्य में, पिछले परिसीमन (1976) के बाद से जिलों की संख्या 10 से बढ़कर 31 हो गई है और इसी तरह विकास खंड और ग्राम पंचायत स्तरों पर प्रशासनिक इकाइयों की संख्या में भारी बदलाव आ गया है।
    ü आयोग द्वारा असम राज्य में असमान जनसंख्या वृद्धि के पैटर्न की ओर ध्यान दिलाने वाले अनेक अभ्यावेदन भी प्राप्त किए गए थे। जहां कुछ जिलों में पिछले परिसीमन के बाद से अधिक जनसंख्या वृद्धि हुई है, वहीं कुछ जिलों में कम जनसंख्या वृद्धि देखने में आई है। यह देखा गया है कि राज्य के जिलों में जनसंख्या घनत्व दीमा हासो जिले में 38 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी से लेकर कामरुप (महानगर) जिले में 1096 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी तक भिन्न है।
    ü इन सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए, आयोग ने जिलों को निर्वाचन क्षेत्रों के आबंटन का प्रस्ताव देते समय सभी 31 जिलों को तीन व्यापक श्रेणियों क, ख और ग में वर्गीकृत किया है, जिसमें प्रति विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र (एसी) की औसत जनसंख्या में 10% (+/-) की गुंजाइश (मार्जिन) दी गई है।
    ü राज्य का औसत जनसंख्या घनत्व 338 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी है। जनसंख्या घनत्व सीमा 304 (औसत जनसंख्या घनत्व में से 10% घटाकर) से 372 (औसत जनसंख्या घनत्व में 10% जोड़कर) स्थापित की गई है और इस आधार पर उपर्युक्त तीन श्रेणियां बनाई गई हैं जो नीचे दिए अनुसार हैं:
    क-             304 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी से कम जनसंख्या घनत्व वाले जिले।
    ख-             304 से 372 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी के बीच जनसंख्या घनत्व वाले जिले।
    ग-              372 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी से अधिक जनसंख्या घनत्व वाले जिले।
     
    ü जिलों को विधान सभा सीटें जिले की श्रेणी के आधार पर आबंटित की गई हैं। श्रेणी क, ख और ग वाले जिलों को विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र की औसत जनसंख्या क्रमशः 1,90,397 (राज्य के विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र की औसत जनसंख्या -10%), 2,11,552 (राज्य के विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र की औसत जनसंख्या) और 2,32,707 (राज्य के विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र की औसत जनसंख्या +10%) के आधार पर सीटें आबंटित की गई हैं। किसी विशेष श्रेणी वाले जिले के लिए सीटों की संख्या जिले की कुल जनसंख्या को उस जिले पर लागू श्रेणी क, ख, ग के विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र की औसत जनसंख्या से विभाजित करके निकाली गई है। 0.5 के बराबर या उससे अधिक के अंश को 1 (एक) माना गया है और 0.5 से कम अंश को 0 (शून्य) माना गया है। इस आधार पर, जिलों को 122 विधान सभा सीटें आबंटित की गई हैं। इस मानदंड को अपनाने के दौरान 04 विधान सभा सीटों को आबंटन से छोड़ दिया गया था। ऐसे सभी जिलों, जिनके भाग/अंश 0.25-0.49 की सीमा में थे, उन्हें छांटा गया और ऐसे 10 जिलों में से, सबसे बड़े भौगोलिक क्षेत्र वाले 04 जिलों यानी कचार, कोकराझार, पश्चिम कार्बी आंगलोंग और उदालगुड़ी को एक-एक सीट आबंटित की गई थी।
     
    अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए सीटों का आरक्षण
     
    ü अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित किए जाने वाले विधान सभा निर्वाचन क्षेत्रों की कुल संख्या राज्य की कुल जनसंख्या में अनुसूचित जातियों की जनसंख्या के अनुपात के आधार पर निर्धारित की गई हैः
     
    वर्ष 2001 में अनुसूचित जाति जनसंख्या               = 1825949
    वर्ष 2001 में कुल जनसंख्या                         = 26655528
    अनुसूचित जातियों का अनुपात                       = 0.0685
    राज्य में विधान सभा निर्वाचन क्षेत्रों की कुल सं. = 126
    आरक्षित की जाने वाली विधान सभा सीटों की सं. = 8.63, यानि, 9
    संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों की कुल सं. = 14
    आरक्षित किए जाने वाले संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों की सं. = 0.96, यानि, 1
     
    ü तत्पश्चात, अनुसूचित जाति की सीटों को राज्य में अनुसूचित जाति की कुल जनसंख्या के प्रति जिले में अनुसूचित जाति की आनुपातिक जनसंख्या के अनुपात में सर्वप्रथम जिलों को आवंटित किया गया है। जिलों के भीतर, अधिकतम अनुपात वाली अनुसूचित जाति की जनसंख्या वाली सीटों को (विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र की कुल जनसंख्या के प्रति) अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित किया गया है। इसी तरह से, अधिकतम अनुपात वाली अनुसूचित जाति की जनसंख्या वाले संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों को (संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों की कुल जनसंख्या के प्रति) अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित किया गया है।
     
    ü संविधान के अनुच्छेद 332 के खंड (6) के अनुसार, "कोई भी व्यक्ति, जो असम राज्य के किसी स्वायत्त जिले की अनुसूचित जनजाति का सदस्य नहीं है, वह उस राज्य की विधान सभा के लिए उस जिले के किसी निर्वाचन-क्षेत्र से निर्वाचन लड़ने का पात्र नहीं होगाः" तद्नुसार, तीन स्वायत्त जिलों में सभी सीटें (अर्थात् 6) जिलों में रहने वाली अनुसूचित जनजातियों के रखी गई हैं। शेष जिलों में (03 स्वायत्त जिलों के अलावा) अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित किए जाने वाले विधान सभा निर्वाचन क्षेत्रों की कुल संख्या को राज्य की कुल जनसंख्या के प्रति इन जिलों में अनुसूचित जनजातियों की जनसंख्या के अनुपात के आधार पर निर्धारित किया गया है और यह संख्या 13 आती है।
     
    ü संविधान के अनुच्छेद 332 के खंड (6) के उपबंध के अनुसार, "बशर्ते कि असम राज्य की विधान सभा के निर्वाचनों के लिए, बोडोलैंड प्रादेशिक क्षेत्र जिला में सम्मिलित निर्वाचन-क्षेत्रों में अनुसूचित जनजातियों और गैर-अनुसूचित जनजातियों का प्रतिनिधित्व, जो उस प्रकार अधिसूचित किया गया था और बोडोलैंड प्रादेशिक क्षेत्र जिले के गठन से पूर्व विद्यमान था, बनाए रखा जाएगा।" तद्नुसार, कुल 15 सीटों में से 04 बोडोलैंड जिलों में 06 विधान सभा निर्वाचन क्षेत्रों को (कुल 11 में से मौजूदा 06 अनुसूचित जनजाति विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र) अनुसूचित जनजातियों के लिए प्रस्तावित किया गया है।
     
    ü शेष 07 सीटों (13-7) को बचे हुए जिलों (03 स्वायत्त जिलों और 04 बीटीएडी जिलों को छोड़कर) को आबंटित किया गया है। तब, इन जिलों में विधान सभा निर्वाचन क्षेत्रों में (विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र की कुल जनसंख्या के लिए) विधान सभा निर्वाचन क्षेत्रों को अनुसूचित जनजाति की आनुपातिक जनसंख्या के अवरोही क्रम में व्यवस्थित किया गया है और शीर्ष 7 सीटों को अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित किया गया है।
     
    ü 03 स्वायत्त जिलों में अजजा सीटों की सं. = 6
    शेष 28 जिलों में अजजा की कुल जनसंख्या = 2727179
    शेष 28 जिलों की कुल जनसंख्या = 25654138
    इन 28 जिलों में अजजा की प्रतिशतता = 10.63%
    इन 28 जिलों में अजजा की सीटों की सं. = 120*10.63/100=13
    बीटीएडी में अजजा की सीटें = 6
    शेष 24 जिलों में अजजा की सीटें = 7
    कुल अजजा की सीटें = 19
     
    ü  अनुच्छेद 330 (2) के अनुसारः खंड (1) के अधीन, किसी राज्य या संघ राज्य-क्षेत्र में अनुसूचित जातियों या अनुसूचित जनजातियों की आरक्षित सीटों की संख्या का अनुपात, लोक सभा में उस राज्य या संघ राज्य-क्षेत्र को आबंटित सीटों की कुल संख्या से यथाशक्य वही होगा जो, यथास्थिति, से राज्य या संघ राज्य-क्षेत्र की अनुसूचित जातियों की अथवा उस राज्य या संघ राज्य-क्षेत्र की या उस राज्य या संघ राज्य क्षेत्र के भाग की अनुसूचित जनजातियों की, जिनके संबंध में सीटें इस प्रकार आरक्षित हैं, जनसंख्या का अनुपात उस राज्य या संघ राज्य-क्षेत्र की कुल जनसंख्या से है।
     
    वर्ष 2001 में अजजा जनसंख्या = 33,08,570
    वर्ष 2001 में कुल जनसंख्या   = 26655528
    अजजा का अनुपात         = 0.124
    अजजा संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों की संख्या = 1.74, यानि 2
     
    विस्तृत परिसीमन रिपोर्ट भी शीघ्र ही भारत निर्वाचन आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध होगी, जिसमें सभी कानूनी और संवैधानिक प्रावधानों, परिसीमन के आंकड़े, दिशानिर्देश और कार्यप्रणाली, आधार पत्र, अधिसूचित परिसीमन आदेश, राज्य के संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों के मानचित्र, विधान सभा निर्वाचन क्षेत्रों के जिलावार मानचित्र, राजनैतिक दलों, संगठनों और जनता के बीच के लोगों से प्रारूप प्रस्ताव पर प्राप्त हुए अभ्यावेदनों की सूची और प्रेस नोट भी शामिल होंगे।  
     
     
     
     
     
     
     
     

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    फ़ाइल सबमिट की गई Monday 21 August 2023

  5. जी-20 देशों के 27 पत्रकारों के एक समूह ने आज मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार से दिल्ली में निर्वाचन सदन में मुलाकात की।

    सं. ईसीआई/पीएन/49/2023                                              14.08.2023
     
    प्रेस नोट
     
    जी-20 देशों के 27 पत्रकारों के एक समूह ने आज मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार से दिल्ली में निर्वाचन सदन में मुलाकात की।
     
    मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने कहा कि पारदर्शिता और प्रकटन निर्वाचन आयोग के दो केंद्रीय सिद्धांत हैं
     
    मुख्य निर्वाचन आयुक्त श्री राजीव कुमार ने पंद्रह #जी20 देशों के पत्रकारों से अनेक मुद्दों पर वार्ता की जब उन्होंने उनसे दिल्ली में निर्वाचन सदन में मुलाकात की। मुद्दों में #साधारण निर्वाचनों को आयोजित करने में बड़े पैमाने पर लगने वाले साजो-सामान, #ईवीएम मशीनें, और फर्जी खबरों का प्रतिकार करना शामिल था।
     
     
    विदेश मंत्रालय द्वारा आयोजित की गई इस वार्ता में वरिष्ठ पत्रकार भी शामिल हुए। उन्होंने आयोग के समक्ष मौजूद चुनौतियों, इसके वित्तपोषण और संरचना, तथा इसकी साख पर प्रश्न पूछे। मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने सभी प्रश्नों का उत्तर स्वतंत्र और स्पष्ट तरीके से दिया।
     
    श्री राजीव कुमार ने जोर देकर कहा कि आयोग के दो केंद्रीय सिद्धांत-पारदर्शिता और प्रकटन- ने भारत निर्वाचन आयोग में लोगों के विश्वास को मजबूत करने का मार्ग प्रशस्त किया है। वार्ता के बाद आगंतुकों के लिए उसी स्थल पर इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन #ईवीएम का एक प्रदर्शन भी आयोजित किया गया था।
     
    वार्ता में निम्नलिखित #जी20 देशों के पत्रकार थेः अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, जर्मनी, इंडोनेशिया, इटली, जापान, कोरिया गणराज्य, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्की, यूनाइटेड किंगडम और स्पेन।
     
     
     

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    फ़ाइल सबमिट की गई Thursday 17 August 2023

  6. निर्वाचनरत कर्नाटक राज्य में जब्तियों में 4.5 गुना वृद्धि होना, व्यय निगरानी पर अत्यधिक फोकस को दर्शाता है|

    सं. ईसीआई/पीएन/32/2023                                                 दिनांकः 09 मई, 2023
     
     
    निर्वाचनरत कर्नाटक राज्य में जब्तियों में 4.5 गुना वृद्धि होना, व्यय निगरानी पर अत्यधिक फोकस को दर्शाता है
     
    कर्नाटक विधान सभा के प्रगतिरत निर्वाचनों में अब तक कुल 375 करोड़ रुपए से अधिक की जब्तियां दर्ज की गईं
     
    प्रवर्तन निदेशालय ने आदर्श आचार संहिता लागू होने के बाद 288 करोड़ रु. की परिसंपत्तियोँ की कुर्की की
     
    राज्य में ज्यादा कड़ी सतर्कता एवं निगरानी के लिए 146 व्यय प्रेक्षक प्रतिनियुक्त किए गए; 81 विधान सभा निर्वाचन क्षेत्रों को व्यय-संवेदनशील निर्वाचन क्षेत्रों के रूप में चिह्नित किया गया
     
    पिछले कुछ निर्वाचनों से भारत निर्वाचन आयोग द्वारा 'प्रलोभन मुक्त' निर्वाचनों पर जोर दिया जाना जारी है और परिणामस्वरूप निर्वाचन वाले राज्य - कर्नाटक में निर्वाचन व्यय अनुवीक्षण के निरंतर प्रयास किए गए हैं। वर्ष 2018 के विधान सभा निर्वाचनों की तुलना में जब्तियों में 4.5 गुना वृद्धि, राज्य में दर्ज की गई जब्तियों में महत्वपूर्ण वृद्धि को दर्शाती है। इस बार कड़ी चौकसी, व्यापक अनुवीक्षण, पड़ोसी राज्यों के साथ समन्वय और अंतर-एजेंसी समन्वय स्थापित करने से कर्नाटक में प्रलोभनों से संबंधित घटनाओं पर रोक लगी। कर्नाटक में पहले की जा चुकी जब्तियों का अभी तक का ब्यौरा (08.05.2023 के दिन तक) नीचे दिया गया हैः

         
               नकदी की जब्ती     कीमती धातुओं की जब्ती  मुफ्त उपहारों की जब्ती मदिरा की जब्ती        मादक पदार्थों की जब्ती
     
     
     
    नकदी
     
    मदिरा
     
    मादक पदार्थ
     
    कीमती धातुएं
     
    मुफ्त उपहार
    08.05.
    2023 तक कुल जब्तियां
    विधान सभा निर्वाचनों (2018) में कुल जब्तियां
    (करोड़ रु.)
    मात्रा (लीटर)
    मूल्य (करोड़ रु.)
    मूल्य (करोड़ रु.)
    मूल्य (करोड़ रु.)
    मूल्य (करोड़ रु.)
    (करोड़ रु.)
    (करोड़ रु.)
    147.46
    2227045
    83.66
    23.67
    96.60
    24.21
    375.61
    83.93
     
     
     
     
     
     
     
    मार्च के दूसरे सप्ताह में कर्नाटक के दौरे के दौरान, आयोग ने तैयारियों की व्यापक समीक्षा की थी जिसमें केंद्रीय और राज्यीय, दोनों की प्रवर्तन एजेंसियों के समन्वित कार्यों की व्यापक समीक्षा और तैयारियां शामिल हैं। आयोग ने उपर्युक्त निर्वाचनरत राज्य के जिला प्रमुखों और पुलिस निरीक्षकों का व्यापक स्तर पर पुनर्विलोकन भी किया था। कर्नाटक विधान सभा निर्वाचन, 2023 के कार्यक्रम की घोषणा करते समय मुख्य निर्वाचन आयुक्त श्री राजीव कुमार ने निर्वाचन प्रकिया के दौरान सतर्कता बढ़ाने और प्रलोभन देने पर शून्य सहनशीलता पर बल दिया। उन्होंने टिप्पणी की कि आयोग ने प्रलोभनमुक्त निर्वाचन सुनिश्चित करने के लिए रोध में अत्यंत बढ़ोतरी की है तथा इन प्रयासों व पांच राज्यों में हाल ही में संपन्न विधान सभा निर्वाचनों के दौरान देखी गई जब्तियों में वृद्धि निरंतर जारी रहेगी।
     
    एक अभियान के रूप में, कर्नाटक राज्य के परिणाम उत्साहवर्धक रहे हैं जिनके अंतर्गत आदर्श आचार संहिता लागू होने की अवधि के दौरान 375.61 करोड़ रु. की जब्तियां देखी गई हैं जो कि विधान सभा निर्वाचन, 2018 में की गई जब्तियों का लगभग 4.5 गुना अधिक है। इसके अतिरिक्त, मार्च 2023 के दूसरे सप्ताह में आयोग के दौरे की तारीख से निर्वाचनों की घोषणा की तारीख तक विभिन्न प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा 83.78 करोड़ रु. की जब्तियां भी की गई थीं। प्रवर्तन निदेशालय ने भी आदर्श आचार संहिता लागू होने के बाद 288 करोड़ रु. की परिसंपत्तियां कुर्क की।

         
     
    बेंगलुरु में मदिरा की जब्ती और कोलार जिले में बंगारापेट विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र में बड़ी मात्रा में नकदी जब्त की गई
     
    जब्त किए गए उल्लेखनीय माल में कोलार जिले में बंगारापेट विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र में 4.04 करोड़ रु. की जब्ती, स्वापक नियंत्रण ब्यूरो द्वारा जुटाई गई आसूचना और ट्रेल मैपिंग द्वारा हैदराबाद में अवैध रूप से अल्प्रोजोलम बनाने वाली लेब पर छापा, बीदर जिले में जब्त किया गया 100 कि.ग्रा. गांजा शामिल है; सभी जिलों द्वारा बड़ी मात्रा में मदिरा की जब्तियां की गईं हैं। व्यय अनुवीक्षण की अन्य महत्वपूर्ण उपलब्धि, मुफ्त उपहारों (फ्रीबीज़) की बड़ी मात्रा में जब्तियां हैं। कलबुर्गी, चिमंगलूर और अन्य जिलों से साड़ियां और खाने के पैकेट जब्त किए गए। बैलहोंगल और कूनिगल तथा अन्य विधान सभा निर्वाचन क्षेत्रों से बड़ी मात्रा में प्रेशर कुकर और किचन एप्लायसेंसिस भी जब्त किए गए।
     

    बीदर जिले में गांधी गंज पुलिस स्टेशन पर गांजे की जब्ती और बेलगवी जिले में बैलहोंगल में प्रेशर कुकरों की जब्ती
     
     
    सावादत्ती विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से जब्त की गई 1000 से अधिक सिलाई मशीनें
     
    निर्वाचनों की घोषणा से महीनों पहले से व्यापक अनुवीक्षण प्रक्रिया आरंभ कर दी गई थी और इसमें प्रवर्तन एजेंसियों, जिला निर्वाचन अधिकारियों/पुलिस निरीक्षकों सहित विभिन्न हितधारकों की तैयारी की संपूर्ण समीक्षा, व्यय प्रेक्षकों के रूप में अनुभवी अधिकारियों की नियुक्ति, सुग्राहीकरण और अन्तर-एजेंसी समन्वय और अनुवीक्षण तथा फील्ड स्तरीय टीमों की उपलब्धता जैसी कई गतिविधियां सम्मिलित हैं। 146 व्यय प्रेक्षक परिनियोजित किए गए थे और 81 विधान सभा निर्वाचन क्षेत्रों को व्यय संवेदनशील निर्वाचन क्षेत्रों के रूप में वहां पर कड़ी चौकसी रखने के लिए चिह्नित किया गया था।
    आयोग ने 1 मई, 2023 को निर्वाचनरत कर्नाटक और पड़ोसी राज्यों महाराष्ट्र, गोवा, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, केरल और तमिलनाडु की सीमावर्ती जांच चौंकियों की भी समीक्षा की। इस समीक्षा में मुख्य सचिवों, पुलिस महानिदेशकों, आबकारी आयुक्तों और इन सभी सीमावर्ती राज्यों की मुख्य प्रवर्तन एजेंसियों के क्षेत्रीय प्रमुखों ने भाग लिया था। इस अवसर पर मुख्य निर्वाचन आयुक्त श्री राजीव कुमार ने सीमावर्ती जिलों में, विशेषकर 185 जांच चौकियों पर समुचित कार्यबल (मैनिंग) की तैनाती और चौकसी बरतने पर पुनः बल दिया। समीक्षा बैठक में, निर्वाचन आयुक्त अनूप चन्द्र पाण्डेय ने भी अवैध मदिरा की जब्तियाँ बढ़ाने, सरगनाओं के विरुद्ध कार्रवाई करने, मदिरा की जमाखोरी रोकने की संभावनाओं पर जोर दिया। तथापि, निर्वाचन आयुक्त श्री अरूण गोयल ने पदाधिकारियों से कहा कि वे लोगों के लिए असुविधा का कारण बने बिना सतर्कता कड़ी करें और जब्ती के बाद की जाने वाली कार्रवाइयों का संपूर्ण रूप से अनुपालन करें। इसके बाद यह बताया गया है कि ऐसी सीमावर्ती जांच-चौकियों से 70 करोड़ रु. से अधिक की नकदी, मदिरा, नशीले पदार्थ, कीमती धातुएं और मुफ्त उपहार जब्त किए गए।

         
    प्रवर्तन एजेंसियां विभिन्न निवारक क्रियाकलापों में सक्रिय रूप से शामिल रही हैं। राज्य पुलिस, आयकर, वाणिज्यिक कर, प्रवर्तन निदेशालय, रेलवे सुरक्षा बल, सरकारी रेलवे पुलिस (जीआरपी,) केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल, स्वापक नियंत्रण ब्यूरो और राजस्व आसूचना निदेशालय सहित सभी हितधारी एजेंसियों द्वारा जब्तियां और कुर्की की गईं। एजेंसियां न केवल प्रवर्तन क्रियाकलापों में सम्मिलित हैं, बल्कि कुछ एजेंसियां प्रलोभन मुक्त और नीतिपरक निर्वाचनों के लिए नागरिकों में जागरूकता उत्पन्न करने के लिए प्रचार प्रसार करने के भी प्रयास कर रही हैं।
     
     
    मतदाताओं द्वारा मुफ्त वस्तुएं स्वीकार करने को निरूत्साहित करने के लिए वाणिज्यिक कर
     विभाग द्वारा जारी जागरूकता पोस्टर।

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    फ़ाइल सबमिट की गई Monday 07 August 2023

  7. भारत निर्वाचन आयोग निर्वाचनों के दौरान राष्ट्रीय और राज्यीय राजनैतिक दलों को दूरदर्शन और आकाशवाणी पर निर्वाचन प्रचार करने के लिए डिजीटल टाइम वाउचर्स जारी करेगा

    सं. ईसीआई/पीएन/43/2023                                दिनांक : 18.07.2023 
          राजनैतिक दलों को निर्वाचन के दौरान आकाशवाणी और दूरदर्शन पर समय का आबंटन अब ऑनलाइन होगा। भारत निर्वाचन आयोग ने राजनैतिक दलों द्वारा सरकार के स्वामित्व वाले इलेक्ट्रानिक मीडिया के प्रयोग के लिए विद्यमान योजना में संशोधन किया है। ऐसा एक सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) प्लेटफार्म के माध्यम से डिजीटल टाइम वाउचर्स जारी करने के प्रावधान की शुरुआत करके किया गया है। इस सुविधा के साथ, राजनैतिक दलों को अब निर्वाचनों के दौरान टाइम वाउचर्स लेने के लिए अपने प्रतिनिधियों को भारत निर्वाचन आयोग/मुख्य निर्वाचन अधिकारियों के कार्यालयों में प्रत्यक्ष रूप से भेजने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। यह कदम निर्वाचन प्रक्रिया को बेहतर बनाने और सभी हितधारकों की आसानी के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने के प्रति आयोग की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
     
          प्रौद्योगिकी में हो रही प्रगति का संज्ञान लेते हुए, राजनैतिक दलों के साथ आमने-सामने संचार (इंटरफेश) के लिए आयोग आईटी आधारित विकल्पों को उपलब्ध कराता रहा है। हाल ही में, आयोग ने राजनैतिक दलों द्वारा निर्वाचन आयोग में अपने वितीय लेखे ऑनलाइन दायर करने के लिए एक वेबपोर्टल की भी शुरूआत की।
     
    पृष्ठभूमि :
     
          यह योजना, जो सबसे पहले 16 जनवरी, 1998 को अधिसूचित की गई थी, लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 39क के अधीन एक वैधानिक आधार रखती है। यह योजना मान्यता-प्राप्त राष्ट्रीय और राज्यीय दलों के साथ गहन विचार-विमर्शों के बाद तैयार की गई थी और इसका लक्ष्य निर्वाचनों के दौरान प्रचार कार्य करने के लिए सरकार के स्वामित्व वाले इलेक्ट्रॉनिक मीडिया तक निष्पक्ष पहुंच सुनिश्चित करना है। इस योजना के तहत, दूरदर्शन और आकाशवाणी पर प्रत्येक राष्ट्रीय दल और संबंधित राज्य के मान्यताप्राप्त राज्यीय दल को निष्पक्ष रूप से बेस टाइम आबंटित किया जाता है और दलों को आबंटित किए जाने वाले अतिरिक्त समय का निर्णय संबंधित राज्यों/संघ राज्य-क्षेत्रों के पिछले विधान सभा निर्वाचनों में अथवा लोकसभा के पिछले साधारण निर्वाचनों में, जैसा भी मामला हो, दलों के मतदान प्रदर्शन के आधार पर किया जाता है। उस वास्तविक तिथि और समय, जिसके दौरान किसी भी दल के अधिकृत प्रतिनिधियों द्वारा उपर्युक्त दूरदर्शन प्रसारण/रेडियो प्रसारण किए जाएंगे, का पूर्व निर्धारण प्रसार भारती निगम द्वारा भारत निर्वाचन आयोग से परामर्श करके और राजनैतिक दलों के प्रतिनिधियों की उपस्थिति में लाटरी निकालकर किया जाता है।
     
          टाइम वाउचरों को प्रोसेस करने और पात्र राजनैतिक दलों को इनके वितरण के लिए एक आईटी आधरित प्लेटफार्म की शुरूआत के परिणामस्वरूप अधिक प्रभावी और सुचारू प्रक्रिया की सुविधा मिली है जिससे राजनैतिक दलों के लिए इस तक पहुंच और इसका सहज उपयोग बढ़ रहा है।
     
     

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    फ़ाइल सबमिट की गई Monday 31 July 2023

  8. निर्वाचन आयोग ने असम के लिए परिसीमन प्रस्ताव पर गुवाहाटी में लोक सुनवाई प्रारंभ की |

    सं. ईसीआई/पीएन/44/2023                                दिनांक: 19 जुलाई, 2023
                        निर्वाचन आयोग ने असम के लिए परिसीमन प्रस्ताव पर गुवाहाटी में लोक सुनवाई प्रारंभ की
    >>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>> 
    भारत निर्वाचन आयोग ने असम के लिए परिसीमन प्रस्ताव पर गुवाहाटी में आज लोक सुनवाई प्रारंभ की। आयोग, जिसमें मुख्य निर्वाचन आयुक्त श्री राजीव कुमार और दोनों निर्वाचन आयुक्त श्री अनूप चन्द्र पाण्डेय एवं श्री अरूण गोयल शामिल हैं, राजनैतिक दलों, नागरिक समाज संगठनों और समाज के अन्य वर्गों के प्रतिनिधियों के साथ तीन दिनों से भी अधिक समय से शुक्रवार तक सुनवाई कर रहे हैं।
     
    जून, 2023 में प्रस्ताव के प्रकाशित होने के बाद, इस महीने की 11 तारीख तक सुझाव और आपत्तियां आमंत्रित की गई थीं। इस अवधि के दौरान 780 से भी अधिक अभ्यावेदन प्राप्त हुए हैं। लोक सुनवाई परिसीमन की प्रक्रिया के दौरान आयोग द्वारा परामर्श प्राप्त करने के लिए की जाने वाली कवायद का हिस्सा है।
     
    जिलावार सार्वजनिक बैठकों एवं राजनैतिक दलों के साथ बैठक का कार्यक्रम:
    दिनांक
    बैठक का कार्यक्रम - जिलावार और राजनैतिक दलों के साथ
    प्राप्त किए गए अभ्यावेदन
    19.07.2023
    (2 बजे अपराह्न)
    कामरूप (एम), पश्चिम करबी अंगलोंग, चिरांग, बक्सा, दीमा हासो, कामरूप, कोकराझार, उदालगुड़ी, करबी अंगलोंग एवं संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों
    270+
    20.07.2023
    (9:30 बजे पूर्वाह्न)
    गोलपारा, बोंगाईगांव, बारपेटा, नलबाड़ी, सोनितपुर, करीमगंज, दारंग, हेलाकंडी, काचर, दक्षिण सालमारा, नगांव, मोरीगांव और धुबरी
    400+
    20.07.2023
    (3:30 बजे अपराह्न)
    राष्ट्रीय और राज्यीय राजनैतिक दलों
    06
    21.07.2023
    (9:30 बजे  पूर्वाह्न)
    तिनसुकिया, धेमाजी, लखिमपुर, सिबसागर, जोरहाट, डिब्रुगढ़, चराईदेव, गोलाघाट और माजुली
    95+
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
    परिसीमन प्रस्ताव लोक सभा में सीटों की संख्या 14 और विधान सभा में सीटों की संख्या 126 को बनाए रखना चाहता है। अनुसूचित जनजातियों के लिए राज्य विधान सभा के 126 सीटों में से 19 सीटें आबंटित करने का प्रस्ताव है और लोक सभा के 14 सीटों में से 2 सीटें आबंटित करने का प्रस्ताव है। अनुसूचित जातियों के लिए विधान सभा में 09 सीटें और लोक सभा में 1 सीट आबंटित करने का प्रस्ताव है।
    परिसीमन प्रक्रिया प्रारंभ होने से पहले आयोग ने मार्च, 2023 में गुवाहाटी का दौरा किया था। उस समय के परामर्शों के दौरान, 11 राजनैतिक दलों और 71 संगठनों से अभ्यावेदन प्राप्त हुए थे। असम में पिछली परिसीमन प्रक्रिया वर्ष 1976 में पूरी की गई थी।

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    फ़ाइल सबमिट की गई Friday 28 July 2023

  9. भारत निर्वाचन आयोग ने असम के लिए प्रारूप परिसीमन प्रस्ताव पर गुवाहाटी में राजनैतिक दलों के साथ बैठक की

    सं. ईसीआई/पीएन/45/2023                                    दिनांकः 20.07.2023
     
    भारत निर्वाचन आयोग ने असम के लिए प्रारूप परिसीमन प्रस्ताव पर गुवाहाटी में राजनैतिक दलों के साथ बैठक की
     
    सार्वजनिक सुनवाई के दूसरे दिन, आयोग द्वारा 13 जिलों के 645 से अधिक अभ्यावेदनों एवं राजनैतिक दलों के अनेक अभ्यावेदनों पर सुनवाई की गई
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    भारत निर्वाचन आयोग ने आज दूसरे दिन गुवाहाटी में असम के लिए प्रारूप परिसीमन प्रस्ताव पर अपनी सार्वजनिक सुनवाई जारी रखी। आयोग, जिसमें मुख्य निर्वाचन आयुक्त श्री राजीव कुमार और दोनों निर्वाचन आयुक्त श्री अनूप चन्द्र पाण्डेय और श्री अरुण गोयल शामिल थे, ने प्रारूप परिसीमन प्रस्ताव पर राजनैतिक दलों के साथ बैठकें की। 
     
    राष्ट्रीय दलों - आम आदमी पार्टी, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी), भारतीय जनता पार्टी; राज्यीय दलों -  ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट, असम गण परिषद, यूनाइटेड पीपुल्स पार्टी लिबरल और बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट के प्रतिनिधियों ने आयोग के समक्ष अपनी-अपनी प्रतिक्रिया (फीडबैक) और  सुझाव रखे। यूनाइटेड अपोजीशन फोरम असम (असम प्रदेश कांग्रेस, असम जातीय परिषद्, सीपीएम, रैजोर दल, सीपीआई, जातीय दल असम, एनसीपी, आरजेडी, जनता दल (यू), टीएमसी, सीपीआई (एमएल) एवं अन्य) और अनेक पंजीकृत गैर-मान्यताप्राप्त राजनैतिक दलों (आरयूपीपीज्) ने भी भाग लिया।

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    फ़ाइल सबमिट की गई Tuesday 25 July 2023

  10. भारत निर्वाचन आयोग ने गुवाहाटी में असम के लिए प्रारूप परिसीमन प्रस्‍ताव पर तीन दिनों तक चली जन सुनवाई का समापन किया

    सं. ईसीआई/पीएन/46/2023                                    दिनांक: 21.07.2023
     
    भारत निर्वाचन आयोग ने गुवाहाटी में असम के लिए प्रारूप परिसीमन प्रस्‍ताव पर तीन दिनों तक चली जन सुनवाई का समापन किया
     
    आयोग ने 31 जिलों और 20 राजनैतिक दलों से प्राप्त 1200 से अधिक अभ्‍यावेदनों पर सुनवाई की
     
    6000 से अधिक लोगों ने तीन दिनों तक चले परामर्शक कार्यकलाप में भाग लिया
     
    आयोग ने आश्‍वस्‍त किया कि प्राप्‍त अभ्‍यावेदनों पर संवैधानिक एवं सांविधिक उपबंधों के भीतर समुचित विचार-विमर्श किया जाएगा
     
    भारत निर्वाचन आयोग ने असम के लिए प्रारूप परिसीमन प्रस्‍ताव पर गुवाहाटी में 19-21 जुलाई, 2023 तक जन सुनवाइयों का आयोजन किया और राज्‍य के शेष 9 जिलों से प्राप्‍त अभ्‍यावेदनों पर सुनवाई के साथ आज उन्‍हें समाप्‍त किया। पिछले तीन दिनों के दौरान आयोग ने जिसमें मुख्‍य निर्वाचन आयुक्‍त, श्री राजीव कुमार और निर्वाचन आयुक्‍त, श्री अनूप चन्‍द्र पाण्‍डेय एवं श्री अरुण गोयल शामिल हैं, प्रारूप परिसीमन प्रस्‍ताव पर राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों, सिविल सोसाएटी संगठनों और जन साधारण के साथ सुनवाइयों का आयो‍जन किया। सार्वजनिक सुनवाइयां परिसीमन की प्रक्रिया के दौरान आयोग के परामर्शक कार्यकलाप का हिस्‍सा होती हैं।

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    फ़ाइल सबमिट की गई Tuesday 25 July 2023

  11. त्रिपुरा विधान सभा के लिए साधारण निर्वाचन, 2023-जिरानिया, पश्चिम त्रिपुरा|

    सं. ईसीआई/पीएन/04/2023                                             20.01.2023
     
    त्रिपुरा विधान सभा के लिए साधारण निर्वाचन, 2023-जिरानिया, पश्चिम त्रिपुरा में अभिकथित हमला
    आयोग ने उचित कार्रवाई नहीं करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने का निदेश दिया
    भारत निर्वाचन आयोग ने सीएपीएफ की उचित तैनाती सुनिश्चित करने और प्रवर्तन उपायों में तेजी लाने के लिए तीन विशेष प्रेक्षकों की नियुक्ति की
    1.    एआईसीसी के पदाधिकारियों द्वारा दिए गए दिनांक 19.01.2023 के अभ्यावेदन के आधार पर और प्राप्त विभिन्न इन्पुट को ध्यान में रखते हुए, भारत निर्वाचन आयोग ने जिरानिया, पश्चिम त्रिपुरा में एआईसीसी के राज्य प्रभारी पर अभिकथित हमले के संबंध में अपने दिनांक 19.01.2023 के पत्र के तहत त्रिपुरा राज्य से रिपोर्ट मंगाने का निर्णय लिया है।
    2.     मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक, त्रिपुरा से यह स्पष्ट करने के लिए कहा गया था कि राज्य में पर्याप्त संख्या में सीएपीएफ कार्मिकों के तैनात होने के बावजूद स्थिति क्यों बिगड़ी। आयोग ने राज्य में यात्रा के दौरान और उसके पश्चात आयोग द्वारा दिए गए सख्त निर्देशों के बावजूद हुई हिंसक घटना पर स्पष्ट और कठोरतम शब्दों में अपनी अप्रसन्नता व्यक्त की।
    3.    मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को सभी राजनैतिक दलों के लिए समान अवसर सुनिश्चित करने और भेदभाव करने वाले अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई शुरु करने का निर्देश दिया गया था। आयोग ने मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को निर्देश दिया है कि वे समय रहते उचित कार्रवाई नहीं करने वाले निम्नलिखित अधिकारियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करें:
    o   एसडीपीओ, जिरानिया उप-मंडल, पश्चिम त्रिपुरा का निलंबन और तत्काल निष्कासन
    o   रानी बाजार पुलिस स्टेशन के प्रभारी का तत्काल निष्कासन
    o   जिरानिया पुलिस स्टेशन के प्रभारी का तत्काल निष्कासन
     
    4.    मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक राज्य में विभिन्न राजनैतिक दलों के नेताओं को खतरे की आशंका का तत्काल आकलन करें और खतरे की आशंका के अनुसार उन्हें अविलंब सुरक्षा प्रदान करें।
    5.    मुख्य निर्वाचन अधिकारी, त्रिपुरा को इस बात को दोहराने के लिए निर्देश दिया गया था कि जिला निर्वाचन अधिकारी राजनैतिक दलों को पहले-आओ-पहले-पाओ के आधार पर अनुमति प्रदान करने की सुविधा दें और बैठकों, रैली, रोड शो आदि के लिए राजनैतिक दलों के आवेदनों के निपटान के लिए सुविधा ऐप को लोकप्रिय बनाएं।
    6.    आयोग द्वारा तीन विशेष प्रेक्षकों को नियुक्त किया गया है। उन्हें स्थिति का जायजा लेने, सीएपीएफ की उचित तैनाती सुनिश्चित करने, प्रवर्तन उपायों में तेजी लाने और आयोग को वापस रिपोर्ट करने के लिए तत्काल राज्य के लिए रवाना होने के लिए कहा गया है।
     
                               i.          श्री योगेंद्र त्रिपाठी (आईएएस: 1985, कर्नाटक) एक प्रतिष्ठित आईएएस अधिकारी हैं, जो सचिव, भारत सरकार के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। उन्होंने केंद्र और राज्य, दोनों में विविध पदों पर काम किया है।
                             ii.          श्री विवेक जौहरी (आईपीएस: 1984, मध्य प्रदेश) एक सम्मानीय आईपीएस अधिकारी हैं, जिन्होंने मध्य प्रदेश के डीजीपी के रूप में कार्य किया और उनके पास केंद्रीय एजेंसियों को संभालने का व्यापक अनुभव है तथा पूर्वोत्तर और अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा संबंधी मामलों की गहन जानकारी है।
                           iii.          श्री बी. मुरली कुमार, 1983 बैच के आईआरएस अधिकारी हैं, जिन्होंने गुजरात और उत्तर प्रदेश विधानसभा निर्वाचन, 2022 और पश्चिम बंगाल विधान सभा निर्वाचन, 2021 में विशेष प्रेक्षक के रूप में निर्वाचन ड्यूटी की है। पिछले वर्ष संपन्न हुए गुजरात विधानसभा निर्वाचन में 800 करोड़ रु. से अधिक का अभिग्रहण किया गया था।
     
    7.    राज्य सरकार से प्राप्त रिपोर्ट से यह पुष्टि हुई कि डॉ. अजय कुमार को इस गैर-कानूनी रैली (घटना वहां हुई जहां जिला प्राधिकारियों द्वारा अनुमति नहीं दी गई थी) में हल्की चोटें आईं और उनके गंभीर रूप से घायल होने वाली बात सच नहीं है।

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    फ़ाइल सबमिट की गई Monday 24 July 2023

  12. भारत के माननीय निर्वाचन आयुक्त, डॉ. अनूप चन्द्र पाण्डेय ने प्रारंभिक राष्ट्रपतीय निर्वाचनों का अवलोकन करने के लिए उजबेकिस्तान का दौरा किया |

    सं. ईसीआई/पीएन/41/2023                                          दिनांक: 08 जुलाई, 2023
     
    प्रेस नोट
     
    भारत के माननीय निर्वाचन आयुक्त, डॉ. अनूप चन्द्र पाण्डेय ने प्रारंभिक राष्ट्रपतीय निर्वाचनों का अवलोकन करने के लिए उजबेकिस्तान का दौरा किया
     
    इस वर्ष अप्रैल में अंगीकार किए गए नए संविधान की संरचना के तहत आयोजित किए जा रहे इन निर्वाचनों को अन्तरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा उत्सुकता से देखा जा रहा है
     
    उजबेकिस्तान के केंद्रीय निर्वाचन आयोग के आमंत्रण पर भारत के निर्वाचन आयुक्त, डॉ. अनूप चन्द्र पाण्डेय कल अर्थात्, 9 जुलाई 2023 को आयोजित किए जाने वाले प्रारंभिक राष्ट्रपतीय निर्वाचनों के संचालन का पर्यवेक्षण करने के लिए उजबेकिस्तान जाने वाले तीन-सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे हैं। पदासीन राष्ट्रपति सहित चार अभ्यर्थी चुनाव मैदान में हैं। यह निर्वाचन नए संविधान की रूपरेखा के तहत आयोजित किया जा रहा है जिसे उजबेकिस्तान में हाल ही में इस वर्ष अप्रैल में किए गए जनमत संग्रह के बाद अपनाया गया था और जिसे अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा उत्सुकता से देखा जा रहा है।

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    फ़ाइल सबमिट की गई Monday 24 July 2023

  13. मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार ने विश्व निर्वाचन निकाय संघ (ए-वेब) की कार्यकारिणी बोर्ड की 11 वीं बैठक में भाग लिया

    सं. ईसीआई/पीएन/42/2023                                                    12.07.2023
     
    मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार ने विश्व निर्वाचन निकाय संघ (ए-वेब) की
    कार्यकारिणी बोर्ड की 11 वीं बैठक में भाग लिया
     
    दुनिया भर में निर्वाचकीय सत्यनिष्ठा को पटरी से उतारने वाली मिथ्या कहानियों जैसी चुनौतियों पर काम करने के लिए ए-वेब जैसे मंच निर्वाचन प्रबंधन निकायों (ईएमबीज्) के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं: मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार
     
           मुख्य निर्वाचन आयुक्त श्री राजीव कुमार ने विश्व निर्वाचन निकाय संघ की कार्यकारिणी बोर्ड (ए-वेब) की 11वीं बैठक में भाग लेने के लिए कोलंबिया के कार्टाजेना में भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) के एक तीन-सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया। विश्व निर्वाचन निकाय संघ विश्व-भर में निर्वाचन प्रबंधन निकायों (ईएमबीज्) का सबसे बड़ा संघ है, जिसमें 119 ईएमबी सदस्य हैं और 20 क्षेत्रीय संघ/संगठन सहयोगी सदस्य हैं। दिनांक 13 जुलाई, 2023 को नेशनल सिविल रजिस्ट्री,कोलंबिया द्वारा “क्षेत्रीय निर्वाचन की चुनौतियों पर एक वैश्विक दृष्टिकोण, 2023”नामक विषय-वस्तु पर एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन भी आयोजित किया जा रहा है।
     
     
    मुख्य निर्वाचन आयुक्त श्री राजीव कुमार, ए-वेब के कार्यकारिणी बोर्ड के सदस्यों के साथ
     
    विचार-विमर्श के दौरान, मुख्य निर्वाचन आयुक्त श्री कुमार ने कहा कि एक वैश्विक संघ के रूप में ए-वेब निर्वाचन प्रबंधन निकायों (ईएमबीज्) के बीच सहयोग को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और ऐसा करके यह एक-दूसरे के अनुभवों एवं सर्वोत्तम पद्धतियों से शिक्षण के कार्य को सक्षम बनारहा है।उन्होंने जोर देकर कहा कि ए-वेब जैसे मंचों के माध्यम से निर्वाचन प्रबंधन निकाय (ईएमबीज्) मिथ्या कहानियों जैसी गंभीर चुनौतियों,जो विश्व-भर में निर्वाचकीय सत्यनिष्ठा को पटरी से उतारने की कोशिश कर रहे हैं, का विरोध करने के लिए मिलकर कार्य कर सकते हैं।
     
     
     
     
     
     
    कार्यकारिणी बोर्ड की बैठक में विचार-विमर्शों के दौरान,प्रतिभागियों ने अन्य मामलों के साथ-साथ वर्ष 2023-24 के दौरान ए-वेब द्वारा चलाए जाने वाले कार्यक्रमों एवं कार्यकलापों, ए-वेब इंडिया सेंटर सहित ए-वेब तथा इसके क्षेत्रीय कार्यालयों की वार्षिक प्रगति रिपोर्ट, बजट एवं सदस्यता से संबंधित मामलों की विभिन्न एजेंडा मदों पर चर्चा की।
     
    बैठक में अन्य एजेंडा मदों में, मुख्य निर्वाचन आयुक्त श्री राजीव कुमार ने भारत निर्वाचन आयोग के प्रस्तावोंको उठाया, नामत:-(i) ए-वेब पोर्टल की स्थापना करना जो निर्वाचकीय प्रबंधन के विभिन्न पहलुओं परसदस्य ईमबीज् के द्वारा चलाई गई सर्वोत्तम निर्वाचकीय पद्धतियों और की गई पहलों के निधान के रूप में काम करेगा और (ii) लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में सार्थक योगदान देने वाले और महत्वपूर्ण पहल करने वाले निर्वाचन प्रबंधन निकायों (ईमबीज्) के लिए ए-वेब ग्लोबल पुरस्कार (अवार्ड्स) की स्थापना करना। इन दोनों प्रस्तावों को कार्यकारिणी बोर्ड द्वारा मंजूरी दे दी गई।
     
     
     



     
    मुख्य निर्वाचन आयुक्त श्री राजीव कुमार कोलंबिया के सिविल रजिस्ट्री के राष्ट्रीय रजिस्ट्रार मि. अलेक्जेंडर वेगा रोचा, दक्षिण अफ्रीका के निर्वाचन आयोग के अध्यक्ष, मि. मोसोथो मोएप्या, डोमिनिकन गणराज्य के केंद्रीय निर्वाचकीय बोर्ड की प्रमुख सदस्य मिस पेट्रीसिया लोरेंजो पनियागुआ, पनामा के निर्वाचन न्यायाधिकरण के पीठासीन मजिस्ट्रेट मि. अल्फ्रेडो जंका वेंडेहेके तथा इक्वाडोर के राष्ट्रपति निर्वाचन विवाद न्यायाधिकरण के अध्यक्ष मि. फर्नांडो मिनोज़ बेनिटेज़ के साथ
    भारत निर्वाचन आयोग के प्रतिनिधिमंडल में श्री मनोज साहू, उप निर्वाचन आयुक्त और श्री अनुज चांडक, संयुक्त निदेशक शामिल थे। बैठक के दौरान उप निर्वाचन आयुक्त श्री मनोज साहू द्वारा वर्ष 2022-23 के दौरान भारत ए-वेब केंद्र की गतिविधियों पर एक संक्षिप्त प्रस्तुति दी गई थी।
    11वीं ए-वेब की कार्यकारी बोर्ड की बैठक से पृथक, आयोग की इलेक्ट्रॉनिक डाक मत-पत्र प्रणाली पर कोरिया गणराज्य के राष्ट्रीय निर्वाचन आयोग के साथ एक द्विपक्षीय बैठक भी आयोजित की गई थी। भारत और दक्षिण कोरिया ने निर्वाचन प्रशासन के क्षेत्र में पारस्परिक सहयोगात्मक संबंध स्थापित करने के लिए वर्ष 2012 में एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए थे। दोनों निर्वाचकीय प्रबंधन निकायों के बीच सेमिनारों, सम्मेलनों और प्रेक्षक कार्यक्रमों के लिए पदाधिकारियों की नियमित यात्राओं के माध्यम से सक्रिय द्विपक्षीय आवागमन और संपर्क बना हुआ है। राष्ट्रीय निर्वाचन आयोग (एनईसी) ने भी मार्च 2023 में 'डेमोक्रेसी कॉहोर्ट ऑन इलेक्शन इंटीग्रिटी' के तत्वावधान में आयोग द्वारा आयोजित 'समावेशी निर्वाचन और निर्वाचकीय सत्यनिष्ठा' पर तीसरे अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में भाग लिया।
    पृष्ठभूमि: आयोग और ए-वेब
    ए-वेब की स्थापना अक्टूबर, 2013 में सियोल, कोरिया गणराज्य में, सदस्य देशों में निर्वाचन प्रबंधन की प्रक्रियाओं को मजबूत करने के माध्यम से दुनिया भर में स्थायी लोकतंत्र प्राप्त करने के लिए इसके सदस्यों के बीच साझा दृष्टिकोण (के आधार) पर की गई थी। आयोग 2011-12 से ही ए-वेब के गठन की प्रक्रिया से बहुत ही निकटता से जुड़ा हुआ है और अक्टूबर 2013 में इसकी स्थापना के बाद से लगातार दो कार्यकाल (2013-15 और 2015-17) के लिए इसके कार्यकारी बोर्ड का सदस्य बना रहा। आयोग ने 2017-19 की अवधि के लिए ए-वेबके उपाध्यक्ष; 2019-22 तक की अवधि के लिए अध्यक्ष का पदभार संभाला और यह वर्तमान में ए-वेब के तत्काल पूर्व अध्यक्ष की हैसियत से 2022-24 के लिए इसके कार्यकारी बोर्ड का सदस्य है। स्मरण रहे कि नवंबर 2022 में केप टाउन में ए-वेब की 5वीं आम सभा की बैठक के दौरान, मुख्य निर्वाचन आयुक्त श्री राजीव कुमार ने कोविड महामारी (2019 - 2022) के दौरान ईएमबीज् का सफलतापूर्वक नेतृत्व करने के बाद, आयोग से दक्षिण अफ्रीका के निर्वाचन आयोग को ए-वेब की अध्यक्षता सौंपी।
    ए-वेब अपने सदस्य ईएमबीज् के लिए क्षमता निर्माण कार्यक्रम आयोजित करता है और निर्वाचन प्रबंधन प्रचलनों का अध्ययन करने और अन्य सदस्य ईएमबीज् के साथ ज्ञान साझा करने के लिए विभिन्न देशों में निर्वाचन आगंतुक और अवलोकन कार्यक्रमों को चलाता है।
    भारत ए-वेब केंद्र
    सितंबर 2019 में बेंगलुरु में आयोजित ए-वेब कार्यकारी बोर्ड की बैठक में लिए गए निर्णय के अनुसार, सर्वोत्तम प्रचलनों को साझा करने और अधिकारियों के प्रशिक्षण और ए-वेब के सदस्यों के पदाधिकारियों के प्रशिक्षण एवं क्षमता निर्माण के लिए प्रलेखन और अनुसंधान के लिए नई दिल्ली में एक भारत ए-वेब केंद्र स्थापित किया गया है। यह केंद्र कई प्रकाशन और दस्तावेज़ प्रकाशित कर रहा है, जिसमें 'ए-वेब इंडिया जर्नल ऑफ़ इलेक्शन्स' नामक एक विश्व स्तरीय पत्रिका भी शामिल है। आयोग भारत ए-वेब केंद्र के लिए सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध करा रहा है।
     

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    फ़ाइल सबमिट की गई Thursday 20 July 2023

  14. निर्वाचन आयोग ने तीन प्रकार की रिपोर्टें-राजनैतिक दलों द्वारा योगदान रिपोर्ट, संपरीक्षित वार्षिक लेखा तथा निर्वाचन व्यय विवरण रिपोर्ट को दाखिल करने के लिए एक वेब-पोर्टल खोला है, जिसकी सहायता से राजनैतिक दल अब वित्तीय लेखा ऑनलाइन दाखिल कर सकेंगे।

    सं. ईसीआई/पीएन/39/2023                                            दिनांकः 03.07.2023
     
    प्रेस नोट
     
    निर्वाचन आयोग ने तीन प्रकार की रिपोर्टें-राजनैतिक दलों द्वारा योगदान रिपोर्ट, संपरीक्षित वार्षिक लेखा तथा निर्वाचन व्यय विवरण रिपोर्ट को दाखिल करने के लिए एक वेब-पोर्टल खोला है, जिसकी सहायता से राजनैतिक दल अब वित्तीय लेखा ऑनलाइन दाखिल कर सकेंगे।
     
    राजनैतिक दलों को लिखे एक पत्र में आयोग ने कहा है कि यह कदम दो उद्देश्यों के लिए उठाया गया है – प्रत्यक्ष रिपोर्टों को दाखिल करने में आने वाली कठिनाइयों को दूर करना और मानकीकृत प्रारूप में समय पर दाखिल किया जाना सुनिश्चित करना।
     
    आयोग द्वारा दलों के लिए एक मैनुअल और ऑनलाइन पोर्टल के उपयोग को समझाने वाला अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (एफएक्यू) और व्यावहारिक प्रशिक्षण सत्र आयोजित किए जाएंगे।

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    फ़ाइल सबमिट की गई Wednesday 12 July 2023

  15. ईसीआई ने असम के लिए प्रारुप परिसीमन प्रस्ताव प्रकाशित किए; सुझाव एवं आपत्तियां 11 जुलाई, 2023 तक आमंत्रित की गई हैं

    संख्या ईसीआई/पीएन/36/2023                                 दिनांक: 20.06.2023
    प्रेस नोट
     
    ईसीआई ने असम के लिए प्रारुप परिसीमन प्रस्ताव प्रकाशित किए; सुझाव एवं आपत्तियां 11 जुलाई, 2023 तक आमंत्रित की गई हैं
     
    आयोग प्रारुप प्रस्तावों पर सार्वजनिक सुनवाई हेतु जुलाई 2023 में दोबारा असम का दौरा करेगा
     
    विधान सभा सीटों की संख्या 126 और लोक सभा सीटों की संख्या 14 ही बनाए रखी गई है
     
    आयोग ने इससे पहले जब इस वर्ष मार्च में पिछला दौरा किया था तब 11 राजनैतिक दलों और 71 संगठनों से प्रतिवेदन प्राप्त हुए थे
     
    अनुसूचित जनजातियों के लिए 19 विधान सभा सीटें और 2 संसदीय सीटें; अनुसूचित जातियों के लिए 9 विधान सभा सीटें और 01 संसदीय सीट आरक्षित की गई है
     
    भारत निर्वाचन आयोग ने आज असम के विधान सभा और संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन के लिए प्रारुप प्रस्ताव प्रकाशित किए जैसा लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 8-क में उपबंधित है। परिसीमन प्रक्रिया के लिए कार्यविधि का पालन संबंद्ध विधियों यथा परिसीमन अधिनियम, 2002 (2002 का 33) की धारा 9(1)(ग) और (घ), भारत के संविधान के अनुच्छेद 82, 170, 330 और 332 के साथ पठित लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 8क में निर्दिष्ट किया गया है। असम में विगत परिसीमन प्रक्रिया वर्ष 1976 में निष्पादित की गई थी।
     
    राज्य में सभी विधानसभाओं और संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों को वर्ष 2001 की जनगणना के आधार पर परिसीमित किया जाना है जैसा कि संविधान के अनुच्छेद 170 और अनुच्छेद 82 में उपबंधित है। अतः इस प्रयोजन हेतु केवल जनगणना आयुक्त द्वारा यथा प्रकाशित वर्ष 2001 के जनगणना आंकड़ों पर ही विचार किया गया है। असम राज्य में विधान सभा और लोक सभा में सीटों की संख्या क्रमशः 126 और 14 बनाए रखी गई है। अनुच्छेद 170 और 82 में निर्धारित किया गया है कि प्रत्येक राज्य की विधान सभा में सीटों की संख्या और राज्यों को लोक सभा की सीटों के आबंटन में परिवर्तन तब तक नहीं किया जाएगा जब तक कि वर्ष 2026 के पश्चात की जाने वाली पहली जनगणना के संबंद्ध आंकड़े प्रकाशित नहीं कर दिए जाते।
     
    असम राज्य में विधानसभा की 126 सीटों में से 19 सीटें अनुसूचित जनजातियों के लिए आवंटित करने का प्रस्ताव है, जबकि लोक सभा की आबंटित 14 सीटों में से 2 सीटें अनुसूचित जनजातियों के लिए आबंटित करने का प्रस्ताव है। इसी प्रकार से, विधान सभा में 09 सीटें अनुसूचित जातियों के लिए, जबकि लोक सभा में 1 सीट अनुसूचित जातियों के लिए आबंटित करने का प्रस्ताव है।
     
    प्रस्तावित विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र
    विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र
    संसदीय निर्वाचन क्षेत्र
    सामान्य
    98
    11
    अनुसूचित जाति
    09
    01
    अनुसूचित जनजाति
    19
    02
    कुल सीटें
    126
    14

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    फ़ाइल सबमिट की गई Wednesday 05 July 2023

  16. विधान सभा सदस्यों (एम एल ए) द्वारा कर्नाटक विधान परिषद के लिए उप-निर्वाचन-तत्संबंधी।

    सं. ईसीआई/पीएन/34/2023                                                 
     दिनांकः 06 जून, 2023
      विधान सभा के सदस्यों (एम एल ए) द्वारा कर्नाटक विधान परिषद में तीन आकस्मिक रिक्तियाँ हैं। इन रिक्तियों का विवरण नीचे दिया गया है:
    सदस्य का नाम
    निर्वाचन की प्रकृति
    रिक्ति का कारण
    पदावधि
    श्री बाबूराव चिंचनसुर
    विधान सभा सदस्यों (एम एल ए) द्वारा
    20 मार्च, 2023 को त्यागपत्र
      17 जून, 2024
    श्री आर. शंकर
    विधान सभा  सदस्यों (एम एल ए) द्वारा
    12 अप्रैल, 2023 को त्यागपत्र
    30 जून, 2026
    श्री सावदी लक्ष्मण
    विधान सभा सदस्यों (एम एल ए) द्वारा
    14 अप्रैल, 2023 को त्यागपत्र
    14 जून, 2028
     
    2. आयोग ने निम्‍नलिखित कॉमन कार्यक्रम के अनुसार उपरोक्‍त-उल्लिखित रिक्तियों को भरने हेतु विधान सभा के सदस्यों द्वारा कर्नाटक विधान परिषद के लिए तीन अलग-अलग उप-निर्वाचनों को आयोजित करवाने का निर्णय लिया है:-
    क्र.सं.
    कार्यक्रम
    तारीख
    1.
    अधिसूचना जारी करना
    13 जून, 2023 (मंगलवार)
    2.
    नाम-निर्देशन करने की अंतिम तारीख
    20 जून, 2023 (मंगलवार)
    3.
    नाम-निर्देशनों की संवीक्षा
    21 जून, 2023 (बुधवार)
    4.
    अभ्‍यर्थिताएं वापस लेने की अंतिम तारीख
    23 जून, 2023 (शुक्रवार)
    5.
    मतदान की तारीख
    30 जून, 2023 (शुक्रवार)
    6.
    मतदान का समय
    पूर्वाह्न 9.00 बजे से अपराह्न 4.00 बजे तक
    7.
    मतगणना
    30 जून, 2023 (शुक्रवार) को अपराह्न 5.00 बजे
    8.
    वह तारीख, जिससे पहले निर्वाचन सम्‍पन्‍न हो जाएगा
    04 जुलाई, 2023 (मंगलवार)
     
    3.लिंक https://eci.gov.in/files/file/14863-general-election-to-legislative-assembly-of-karnataka-2023/ पर उपलब्ध भारत निर्वाचन आयोग द्वारा जारी 29 मार्च, 2023 के प्रेस नोट के पैरा 32 में यथासमाविष्ट कोविड-19 के व्यापक दिशा-निर्देशों का सभी व्यक्तियों द्वारा पूरी निर्वाचन प्रक्रिया के दौरान, यथालागू अनुपालन किया जाएगा।
     
    4. मुख्य सचिव, कर्नाटक को निदेश दिया जा रहा है कि वे राज्य के एक वरिष्ठ अधिकारी को यह सुनिश्चित करने हेतु नियुक्त करें कि इन निर्वाचनों को आयोजित कराने की व्यवस्था करते समय कोविड-19 की रोकथाम से संबंधित उपायों के संबंध में मौजूदा दिशा-निर्देशों का पालन किया जाए।

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    फ़ाइल सबमिट की गई Wednesday 14 June 2023

  17. आईआईआईडीईएम स्व-शिक्षण हेतु नवीनतम एआई उपकरणों का उपयोग करके प्रशिक्षण सामग्री एवं शिक्षणशास्त्र को डिजाइन करेगा: मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार

    सं. ईसीआई/पीएन/35/2023                                          
     06.06.2023
     
     
    आईआईआईडीईएम स्व-शिक्षण हेतु नवीनतम एआई  उपकरणों का उपयोग करके प्रशिक्षण सामग्री एवं शिक्षणशास्त्र को डिजाइन करेगा: मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार
     
    भारत निर्वाचन आयोग ने आईआईआईडीईएम, द्वारका में नए छात्रावास ब्लॉक का उद्घाटन किया
     

     

    मुख्य निर्वाचन आयुक्त श्री राजीव कुमार ने निर्वाचन आयुक्त श्री अनूप चन्द्र पाण्डेय और श्री अरुण गोयल के साथ आज भारत अंतर्राष्ट्रीय लोकतंत्र एवं निर्वाचन प्रबंधन संस्थान (आईआईआईडीईएम), द्वारका में छात्रावास ब्लॉक का उद्घाटन किया। आईआईआईडीईएम, भारत निर्वाचन आयोग का प्रशिक्षण एवं क्षमता निर्माण स्कंध है, जिसकी स्थापना निर्वाचन अधिकारियों तथा अन्य हितधारकों को स्वतंत्र, निष्पक्ष, विश्वसनीय एवं त्रुटि-मुक्त निर्वाचन करवाने के लिए प्रशिक्षित करने, तैयार करने तथा सुसज्जित करने के लिए वर्ष 2011 में की गई थी। उद्धाटन कार्यक्रम में भारत निर्वाचन आयोग एवं आईआईआईडीईएम के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया।
     
     
     
    मुख्य निर्वाचन आयुक्त श्री राजीव कुमार ने इस अवसर पर बोलते हुए कहा कि आईआईआईडीईएम को नवीनतम एआई उपकरणों का उपयोग करके निर्वाचन अधिकारियों के लिए प्रशिक्षण सामग्री तथा प्रशिक्षण पद्धतियां डिजाइन करनी चाहिए ताकि इसे आकर्षक तथा स्व-शिक्षण मोड में बनाया जा सके। मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने कहा कि “निर्वाचन प्रक्रियाएं इतनी कठोर हैं कि सभी दिशा-निर्देशों, सूचनाओं और फार्मों को संहिताबद्ध एवं मानकीकृत किया गया है। उन्हें आसान संदर्भ, खोज तथा संवादमूलक (इंटरएक्टिव) प्रशिक्षण के लिए एआई उपकरणों के माध्यम से एक तरीके से एकीकृत करने की आवश्यकता है।” श्री राजीव कुमार ने आगे कहा कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में, आईआईआईडीईएम को अन्य लोकतांत्रिक देशों में भी निर्वाचन अधिकारियों को प्रशिक्षण देने के लिए सहयोग बढ़ाने की आवश्यकता है।
     
     
     
    निर्वाचन आयुक्त श्री अनूप चन्द्र पाण्डेय ने इस बात पर जोर दिया कि यदि अधिकारियों को ठीक प्रकार से प्रशिक्षित किया जाए तो भारत में दस (10) लाख से अधिक मतदान केन्द्रों में एक (1) करोड़ निर्वाचन अधिकारियों के साथ सटीकता के साथ निर्वाचन करवाना संभव है। उन्होंने आगे कहा कि आईआईआईडीईएम के स्तर का शीर्ष निर्वाचन प्रबंधन संस्थान, स्वतंत्र एवं निष्पक्ष निर्वाचन सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण आवश्यकता की पूर्ति करता है। उन्होंने कहा कि आईआईआईडीईएम, अन्य निर्वाचन प्रबंधन निकायों (ईएमवी) से निर्वाचन प्रबंधन के क्षेत्र में विचारों और अनुभवों के आदान-प्रदान करने तथा सर्वोत्तम पद्धतियों को अपनाने के लिए एक मंच प्रदान करता है।       
     

         
    निर्वाचन आयुक्त श्री अरुण गोयल ने आईआईआईडीईएम के अधिकारियों को बधाई देते हुए कहा कि आईआईआईडीईएम को लोकतंत्र के ईर्द-गिर्द विचार प्रक्रिया, वाद-विवाद तथा विचार-विमर्श का केंद्र बिंदु बनना चाहिए। यह स्वीकार करते हुए कि सरकार में सबसे अच्छे प्रशिक्षित कर्मी (स्टॉफ) निर्वाचन स्टॉफ था, श्री गोयल ने इस बात पर जोर दिया कि आईआईआईडीईएम को अब लोकसभा निर्वाचन, 2024 के लिए कर्मचारियों को प्रशिक्षित करने हेतु नवीनतम रुझानों के अनुरूप ढ़लना चाहिए।
     
    नया छात्रावास भवन
    आज जिस नए छात्रावास भवन का उद्धाटन किया गया है, उसमें 84 कमरें एवं 9 सुइट हैं। इस भवन को पर्यावरण के अनुकूल विशेषताओं के साथ डिज़ाइन एवं निर्मित किया गया है जैसे कि फ्लाई-ऐश ईंटों का उपयोग, न्यून वीओसी पेंट, उष्मारोधन के लिए कैविटी स्पेस सहित ड्राई स्टोर क्लैडिंग, सौर परावर्तक गुणों के साथ निम्न उष्मीय ट्रांसमिशन के डबल ग्लेज़ेड यूनिट ग्लास, सौर जल तापन, गलियारों (कॉरिडोर्स) में एनर्जी सेविंग विद्धुत एवं लाइट फिटिंग्स तथा ऑक्यूपेसी सेंसर आधारित लाइटिंग। छात्रावास ब्लॉक में प्रतिभागियों के लिए एक रेक्रीएशन रूम (मनोरंजन कक्ष) और व्यायामशाला भी है।

         
    इस अवसर पर, आयोग ने एक विषयगत फोटो प्रदर्शनी का भी उद्घाटन किया जिसमें हाल ही में पहल और सुधारों, राज्य विधानसभा के पिछले छह निर्वाचनों की झलकियों, निर्वाचन अधिकारियों एवं अन्य निर्वाचन प्रबंधन निकाय के अधिकारियों के लिए आयोग द्वारा आयोजित प्रशिक्षण तथा क्षमता विकास कार्यक्रमों को प्रदर्शित किया गया था।
     
     
    आईआईआईडीईएम के बारे में
    भारत में निर्वाचन अधिकारियों को प्रशिक्षण देने के अतिरिक्त, आईआईआईडीईएम दुनिया भर में निर्वाचन प्रबंधन निकायों (ईएमबी) के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित करता है। आज की तारीख तक 117 देशों के 2,478 अंतरराष्ट्रीय प्रतिभागियों ने आईआईआईडीईएम द्वारा संचालित 122 कार्यक्रमों के माध्यम से लाभ उठाया है और इस प्रकार विचारों और ज्ञान के आदान-प्रदान के लिए एक विस्तृत वैश्विक समुदाय सृजित किया है। निर्वाचन अखंडता पर कॉहार्ट के लिए नेतृत्व करते हुए भारत में आईआईआईडीईएम ने आईटीईसी प्रभाग, एमईए के सहयोग से दुनिया भर में निर्वाचन प्रबंधन निकायों के अधिकारियों के लिए चार विषयगत (थीमेटिक) प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए हैं।
     
    आईआईआईडीईएम ने टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइन्स (टीआईएसएस) के सहयोग से ऑनलाइन मोड में ‘अंतरराष्ट्रीय निर्वाचन प्रबंधन एवं पद्धति’ (एमआईईएमपी) में मास्टर प्रोग्राम का पहला बैच भी शुरू किया है। यह दो साल का मिश्रित मास्टर प्रोग्राम है, जिसमें टीआईएसएस एवं आईआईआईडीईएम में कक्षा शिक्षण एवं फील्ड से प्राप्त अभ्यासों से एकीकृत शिक्षण शामिल है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य वर्तमान में विभिन्न देशों में विश्व के विभिन्न भागों में निर्वाचनों के संगठन और प्रबंधन में रत निर्वाचन अधिकारियों की क्षमता को बढ़ाना और निर्वाचन प्रबंधन निकायों के व्यावसायिक मानकों को बढ़ाना है। उद्घाटन बैच में मालदीव, बांग्लादेश, फिलीपींस और भूटान के निर्वाचन प्रबंधन निकायों (ईएमबी) के 5 अंतरराष्ट्रीय प्रतिभागियों सहित भारत निर्वाचन आयोग द्वारा नामित एवं प्रायोजित 25 कार्यरत व्यावसायिक शामिल हैं।
     
     
     
     

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    फ़ाइल सबमिट की गई Tuesday 13 June 2023

  18. पूरे कर्नाटक में आज उत्साह से भरे मतदाताओं को देखा गया जिनमें नवविवाहित दंपत्तियों से लेकर नवजात शिशु, दिव्यांगजनों, ट्रांसजेडर और आदिवासी के समूह तक शामिल थे।

    सं. ईसीआई/पीएन/33/2023                                           
     दिनांकः 10 मई, 2023
    प्रेस नोट
    पूरे कर्नाटक में आज उत्साह से भरे मतदाताओं को देखा गया जिनमें नवविवाहित दंपत्तियों से लेकर नवजात शिशु, दिव्यांगजनों, ट्रांसजेडर और आदिवासी के समूह तक शामिल थे।
    भारत निर्वाचन आयोग ने 80 वर्ष से अधिक वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांगजनों के लिए घर से मतदान करने की सुविधा प्रदान की है; कर्नाटक में पहली बार 94 हजार से अधिक वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांगजनों ने घर से अपना मत डाला।
    कर्नाटक में सभी 224 विधान सभा निर्वाचन क्षेत्रों में ज्यादातर शांतिपूर्ण मतदान हुए; 58,545 मतदान केंद्रों में से किसी भी मतदान केंद्र में पुनर्मतदान का संकेत नहीं मिला
    अग्रिम योजना, प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल, व्यापक समीक्षा और कड़े अनुवीक्षण ने कर्नाटक विधान सभा, 2023 के निर्वाचनों का निर्बाध संचालन सुनिश्चित किया।
    वर्ष 2018 के पिछले विधानसभा निर्वाचन में की गई जब्तियों की तुलना में 4.5 गुणा वृद्धि हुई; निकटवर्ती राज्यों में भी कड़ी निगरानी पर ध्यान केंद्रित करने से उल्लेखनीय सुधार हुए।
    हिमाचल प्रदेश, गुजरात, मेघालय और त्रिपुरा के 66 हजार से अधिक मतदान केंद्रों में कोई पुनर्मतदान नहीं किया गया।
    उपनिर्वाचनों में मतदाताओं की उत्साहपूर्ण मौजूदगी दर्ज की गई और सोहियोंग (अ.ज.जा.) में 5 बजे तक 91.39 % मतदान की सूचना प्राप्त हुई।

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    फ़ाइल सबमिट की गई Monday 12 June 2023

  19. भारत निर्वाचन आयोग ने कर्नाटक विधान सभा के साधारण निर्वाचनों से पहले की समयावधि में कर्नाटक और पड़ोसी राज्यों में निर्वाचन व्यवस्था के समन्वय की समीक्षा की भारत निर्वाचन आयोग ने राज्य की टीमों को 185 अंतरराज्यीय जांच चौकियों पर सतर्कता बढ़ाने का निदेश दि

    सं. ईसीआई/पीएन/29/2023                                     
    01 मई, 2023
    प्रेस नोट
    भारत निर्वाचन आयोग ने कर्नाटक विधान सभा के साधारण निर्वाचनों से पहले की समयावधि में कर्नाटक और पड़ोसी राज्यों में निर्वाचन व्यवस्था के समन्वय की समीक्षा की
    भारत निर्वाचन आयोग ने राज्य की टीमों को 185 अंतरराज्यीय जांच चौकियों पर सतर्कता बढ़ाने का निदेश दिया

     

          भारत निर्वाचन आयोग ने मुख्य निर्वाचन आयुक्त श्री राजीव कुमार के नेतृत्व में कर्नाटक विधान सभा के प्रगतिरत साधारण निर्वाचन 2023 को ध्यान में रखते हुए निर्वाचन व्यवस्था, कानून व्यवस्था के समन्वय की समीक्षा करने के लिए कर्नाटक और गोवा, महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु तथा केरल के सीमावर्ती राज्यों के तटरक्षक बल, स्वापक नियंत्रण ब्यूरो, आयकर इत्यादि के वरिष्ठ पदाधिकारियों सहित मुख्य सचिवों, पुलिस महानिरीक्षकों, नोडल पुलिस अधिकारियों, सीएपीएफ के नोडल अधिकारियों और प्रवर्तन एजेंसियों के साथ एक वीडियो सम्मेलन का आयोजन किया।
     
         
    समीक्षा बैठक के दौरान, मुख्य निर्वाचन आयुक्त श्री राजीव कुमार ने राज्य की सीमाओं पर सतर्कता बढ़ाने के लिए राज्य की टीमों को निदेश दिया। उन्होंने छह पड़ोसी राज्यों की 185 अंतरराज्यीय जांच चौकियों पर सतर्कता बढ़ाने की आवश्यकता पर विशेष रूप से बल दिया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सीमा पार से किसी अवैध नकदी, मदिरा, नशीले पदार्थ, मुफ्त उपहार का संचलन न होने पाए। आज की तारीख तक 305 करोड़ रूपये से अधिक (विधान सभा साधारण निर्वाचन 2018 में केवल 83 करोड़ रू. की तुलना में) की जब्ती का संज्ञान लेते हुए मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने धन बल पर नियंत्रण करने में असफल रहने वाले स्थानीय अधिकारियों की जिम्मेवारी तय करने के लिए कहा। मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने पदाधिकारियों से समीपस्थ सीमावर्ती राज्यों के सहयोग से और अधिक जब्तियां करने और राज्य में प्रलोभन मुक्त निर्वाचन के आयोग के संकल्प को पूरा करने के लिए उल्लंघनकर्ताओं में प्रशासन का भय पैदा करने के लिए कहा। उन्होंने तटरक्षक बलों और स्वापक नियंत्रण ब्यूरो के पदाधिकारियों को कड़ी सतर्कता बरतने और नशीले पदार्थो के जोखिमों को कम करने में सहायता करने का निदेश दिया।
          मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने पदाधिकारियों को निर्वाचकीय माहौल को दूषित कर रहे किन्हीं उल्लंघनों और जाली विवरणों/बयानों के लिए सोशल मीडिया पर कड़ी निगरानी रखने का भी निदेश दिया। उन्होंने पदाधिकारियों से आग्रह किया कि वे मतदाता टर्नआउट, लिंग, युवा और शहरी निर्वाचकों की सहभागिता पर मानक को और ऊपर उठाएं।
    राज्य
    अंतरराज्यीय जांच चौकियों की संख्या
    सीमावर्ती यूनिटों के नाम (जांच चौकियों की संख्या)
    केरल
    21
    कोडागु (03)
    दक्षिण कन्नड (09)
    मंगलोर शहर (07)
    जिला मैसूर (01)
    चामराजनगर (01)
    तमिलनाडु
    25
    बेंगलुरू जिला(06)
    कोलार (02)
    रामनगर (03)
    केजीएफ (04)
    चामराजनगर (10)
    आंध्र प्रदेश
    57
    चित्रदुर्ग (08)
    बेल्लारी (13)
    रायचूर (02)
    टुमकुर (12)
    कोलार (09)
    चिक्काबल्लापुर (09)
    केजीएफ (04)
     
    तेलंगाना
    24
    कालाबुर्गी (08)
    यादागीरी (03)
    रायचूर (03)
    बीदर (10)
    महाराष्ट्र
    53
    बेलागवी (18)
    विजयपुरा (11)
    कालाबुर्गी (08)
    बीदर (13)
    बेलागवी शहर (03)
    गोवा
    5
    उत्तर कन्नड (03)
    बेलागवी जिला (02)
    कुल
    185
     
     
    निर्वाचन आयुक्त श्री अनूप चन्द्र पाण्डेय ने भयरहित और निष्पक्ष निर्वाचन सुनिश्चित करने के लिए पदाधिकारियों से असामाजिक तत्वों के विरूद्ध कड़ी कार्रवाई करने, लंबित एनबीडब्ल्यू पर अनुवर्ती कार्रवाई करने तथा प्रचार निषेध अवधि के दौरान कड़ी सतर्कता बरतने के लिए कहा। अवैध मदिरा की जब्तियों को बढ़ाने की संभावना पर जोर देते हुए उन्होंने पदाधिकरियों को निदेश दिया कि वे सरगनाओं के विरूद्ध कार्रवाई करें, मदिरा की जमाखोरी रोकें तथा यह सुनिश्चित करें कि निर्यात के लिए अथवा विधि द्वारा यथापरिभाषित किसी अन्य उपयोग के लिए निर्धारित शीरा सामग्री किसी अन्य रूप में परिवर्तित न होने पाए।

     

    निर्वाचन आयुक्त श्री अरूण गोयल ने पदाधिकारियों से कहा कि वे लोगों के लिए असुविधा का कारण बने बिना सतर्कता कड़ी करें और जब्ती के बाद की जाने वाली कार्रवाइयों का संपूर्ण रूप से अनुपालन करें। उन्होंने कहा कि इस समीक्षा का प्रयोजन पड़ोसी राज्यों को भी जागरूक/संवेदनशील बनाना है ताकि वे निर्वाचनों के सुचारू संचालन के लिए सर्वश्रेष्ठ प्रयास करें।
     
    अपर सचिव (पुलिस) गृह मंत्रालय, महानिरीक्षक (सीआरपीएफ), कार्यकारी निदेशक (टी.टी. एंड कोचिंग) रेलवे और आयोग के वरिष्ठ पदाधिकारीगण भी इस बैठक में उपस्थित थे।

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    फ़ाइल सबमिट की गई Wednesday 10 May 2023

  20. भारत निर्वाचन आयोग ने कर्नाटक विधान सभा के चालू साधारण निर्वाचन में चुनावी बहस के गिरते स्‍तर के दृष्टिगत सभी स्‍टार प्रचारकों, मान्‍यताप्राप्‍त राष्‍ट्रीय एवं राज्‍यीय राजनीतिक दलों को एडवाइजरी जारी किया।

    भारत निर्वाचन आयोग ने कर्नाटक विधान सभा के चालू साधारण निर्वाचन में चुनावी बहस के गिरते स्‍तर के दृष्टिगत सभी स्‍टार प्रचारकों, मान्‍यताप्राप्‍त राष्‍ट्रीय एवं राज्‍यीय राजनीतिक दलों को एडवाइजरी जारी किया।

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    फ़ाइल सबमिट की गई Wednesday 03 May 2023

  21. कर्नाटक विधान सभा के साधारण निर्वाचन, 2023 – तत्संबंधी।

    सं. ईसीआई/पीएन/24/2023
     
    दिनांक: 29 मार्च, 2023
                                             
    प्रेस नोट
     
    कर्नाटक विधान सभा के कार्यकाल और इनकी सदस्‍य संख्या के साथ-साथ संसदीय और विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र परिसीमन आदेश, 2008 द्वारा यथानिर्धारित अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित सीटों का ब्‍यौरा नीचे दिया गया है:
     
    राज्य का नाम
    विधान सभा का कार्यकाल
    विधान सभा सीटों की संख्या
    अनु. जातियों के लिए आरक्षित
    अनु. जनजातियों के लिए आरक्षित
    कर्नाटक
    25 मई, 2018 से
    24 मई, 2023
    224
    36
    15
     
    भारत निर्वाचन आयोग (इसमें इसके बाद आयोग के रूप में संदर्भित) भारत के संविधान के अनुच्‍छेद 172(1) के साथ पठित अनुच्‍छेद 324 और लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 15 के तहत प्रदत्‍त प्राधिकार और शक्‍तियों का प्रयोग करते हुए कर्नाटक विधान सभा का कार्यकाल समाप्‍त होने से पहले इनका स्‍वतंत्र, निष्पक्ष, सहभागी, सुगम्‍य, समावेशी और सुरक्षित निर्वाचन संपन्न कराने के लिए प्रतिबद्ध है।  
     
    1.     निर्वाचक नामावली –
           आयोग का दृढ़ विश्वास है कि प्रामाणिक और अद्यतन निर्वाचक नामावलियां स्‍वतंत्र, निष्पक्ष और विश्‍वसनीय निर्वाचन की आधारशिला हैं। इसलिए, इनकी गुणवत्ता, उपयुक्‍तता और विश्वसनीयता में सुधार लाने पर गहन और निरंतर ध्यान दिया जाता है। निर्वाचन विधि (संशोधन) अधिनियम, 2021 द्वारा लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 14 में संशोधन होने के बाद अब मतदाता के रूप में नामांकित होने के लिए एक वर्ष में चार अर्हक तिथियों का प्रावधान किया गया है। तद्नुसार, आयोग ने 01.01.2023  की अर्हक तिथि, जो निकटतम अर्हक तिथि है, के संदर्भ में कर्नाटक में निर्वाचक नामावली का विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण किया है। 01.01.2023 की अर्हक तिथि के संदर्भ में निर्वाचक नामावलियों का विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण समयबद्ध रूप में पूरा कर लेने के उपरांत निर्वाचक नामावली का अंतिम प्रकाशन 05 जनवरी, 2023 को कर दिया गया है।
     
    निर्वाचक नामावली के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार कर्नाटक राज्य में निर्वाचकों की संख्या निम्नानुसार है: 
     
    राज्य का नाम
    साधारण निर्वाचकों की संख्या
    सेवा मतदाताओं की संख्या
    निर्वाचक नामावलियों के अनुसार निर्वाचकों की कुल संख्या
    कर्नाटक
    5,23,63,948
    47,609
    5,24,11,557
     
    02 जनवरी, 2022 और 01 जनवरी, 2023 के बीच 18 वर्ष की आयु प्राप्त करने वाले युवा निर्वाचकों के नामांकनों की संख्या निम्नानुसार है:
     
    राज्य का नाम
    18+ आयु वाले निर्वाचक
    कर्नाटक
    9,58,806
     
    कर्नाटक राज्य में दिव्यांगजन (पीडब्ल्यूडी), थर्ड जेंडर और वरिष्ठ नागरिक (80+) के रूप में चिह्नित निर्वाचकों की संख्या इस प्रकार हैः
     
    राज्य का नाम
    कुल पीडब्ल्यूडी निर्वाचक
    कुल थर्ड जेंडर निर्वाचक
    कुल वरिष्ठ नागरिक (80+)
    कर्नाटक
    5,60,908
    4751
    12,15,142
     
    आयोग ने समाज के सभी वर्गों की अधिकाधिक भागीदारी सुनिश्चित करने और निर्वाचक नामावली की वस्तुस्थिति में सुधार करने के लिए हर संभव प्रयास किए हैं, जो इस प्रकार हैं:
    (i)     प्रतिष्ठित सिविल सोसायटी संगठनों (सीएसओ) के सहयोग से अति-संवेदनशील समूहों जैसे दिव्यांगजनों (पीडब्ल्यूडी), ट्रांसजेंडरों और सेक्स वर्करों का अधिकतम नामांकन सुनिश्चित किया जाना। उदाहरण के लिए, सेक्स वर्करों का अधिकतम नामांकन सुनिश्चित करने के लिए नाको (राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन) के साथ जुड़ना।
    (ii)    उचित क्षेत्रगत सत्यापन और सांविधिक प्रक्रियाओं का पालन करने के बाद सॉफ्टवेयर टूल्स का उपयोग करके निर्वाचक नामावली में तार्किक त्रुटियों, जनांकिकीय रूप से सदृश प्रविष्टियों और एकसमान फोटो वाली प्रविष्टियों को हटाना।
    (iii)    युवा मतदाताओं, विशेष रूप से 1 जनवरी, 2023 को अर्हक आयु प्राप्त करने वाले मतदाताओं के नामांकन पर ध्यान केन्द्रित किया गया है।
    (iv)    मतदान केंद्रों का यौक्तिकीकरण अत्यन्त सावधानीपूर्वक किया गया है। वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा प्रत्येक मतदान केंद्र का प्रत्यक्ष रूप से दौरा किया गया है और सम्यक् प्रक्रिया का पालन करके मतदान केंद्रों को नए और बेहतर बुनियादी ढांचे वाले भवन में स्थानांतरित करने पर भी विचार किया गया है।
    (v)    नागरिकों के अति-संवेदनशील समूहों के लिए समाज कल्याण विभाग, एसएसीओ आदि के डेटाबेस जैसे अन्य सरकारी डेटाबेस को बेंचमार्क के रूप में रखकर इन समूहों का पंजीकरण बढ़ाने पर विचार किया गया।
    (vi)    आयोग मतदान केंद्रों में दिव्यांगजनों और वरिष्ठ नागरिकों के लिए सुगम्यता अनुकूल बुनियादी ढांचे के साथ-साथ आश्वस्त न्यूनतम सुविधाओं पर जोर देता है, मुख्य निर्वाचन अधिकारियों/जिला निर्वाचन अधिकारियों को मतदान केंद्रों पर रैंप जैसा स्थायी बुनियादी ढांचा बनाने का निर्देश दिया गया है।
    (vii)   किसी भी महामारी या सार्वजनिक व्यवस्था से संबंधित किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए 3 या अधिक मतदान केंद्रों वाले मतदान स्थलों के लिए अलग-अलग प्रवेश और निकास की योजना बनाई गई है।
    (viii)   आयोग ने जिला निर्वाचन अधिकारियों को पर्यावरण अनुकूल सामग्री का उपयोग करने और मॉडल मतदान केंद्र तैयार करने के लिए स्थानीय संस्कृति और कला को प्रदर्शित करने के लिए प्रोत्साहित किया है। प्रत्येक जिले में यथासंभव कम से कम एक ऐसा मॉडल मतदान केन्द्र होना चाहिए।
    (ix)    80+निर्वाचकों, दिव्यांगजनों आदि की सूची तैयार की गई है और उन्हें यह अहसास कराने के लिए कि वे समाज के महत्वपूर्ण अंग हैं, उन्हें सम्मान/प्रशंसा पत्र भी भेजे गए हैं।
     
    2.     फोटो निर्वाचक नामावली और निर्वाचक फोटो पहचान पत्र (एपिक):
    कर्नाटक के साधारण निर्वाचन के दौरान फोटो निर्वाचक नामावलियों का उपयोग किया जाएगा। निर्वाचक फोटो पहचान पत्र (एपिक) मतदान के समय निर्वाचक की पहचान स्थापित करने का एक दस्तावेज है। नाम-निर्देशन दाखिल करने की अंतिम तारीख से पहले सभी नव-पंजीकृत निर्वाचकों को एपिक की 100% प्रदायगी सुनिश्चित करने के हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं।
     
    3.     मतदाता सूचना पर्ची (वीआईएस)
    मतदाता अपने मतदान केन्‍द्र में निर्वाचक नामावली की क्रम संख्या, मतदान की तारीख, समय आदि जान सकें, इन सब बातों में उनकी सहायता करने के लिए आयोग ने 'मतदाता सूचना पर्ची’ जारी करने का निर्णय लिया है। मतदाता सूचना पर्ची में मतदान केन्‍द्र, तारीख, समय आदि जैसी सूचना सम्मिलित होगी, लेकिन इसमें मतदाता का फोटो नहीं होगा। नामांकित सभी निर्वाचकों को जिला निर्वाचन अधिकारी द्वारा मतदान की तारीख से कम से कम 5 दिन पहले मतदाता सूचना पर्चियां वितरित की जाएंगी। हालांकि, मतदाताओं की पहचान के प्रमाण के रूप में मतदाता सूचना पर्ची को अनुमति नहीं दी जाएगी। यह स्‍मरण दिलाया जाता है कि आयोग ने 28 फरवरी, 2019 से पहचान के प्रमाण के रूप में फोटोयुक्त मतदाता पर्चियों को अनुमति देना बंद कर दिया था।
     
    4.     ब्रेल मतदाता सूचना पर्चियां:
    निर्वाचन प्रक्रिया में दिव्यांगजनों (पीडब्ल्यूडी) की भागीदारी तथा सक्रिय सहभागिता सुनिश्चित करने के लिए आयोग ने निदेश दिया है कि दृष्टिबाधा से ग्रस्त व्‍यक्तियों को, सामान्य मतदाता सूचना पर्चियों के साथ-साथ, ब्रेल विशिष्‍टताओं वाली अभिगम्य मतदाता सूचना पर्चियां जारी की जाएं।
     
    5.     मतदाता गाइड:
    इस निर्वाचन में, प्रत्‍येक निर्वाचक के घर-परिवार को निर्वाचनों से पहले मतदाता गाइड (हिंदी/अंग्रेजी/स्‍थानीय भाषा में) उपलब्ध करवाई जाएगी जिसमें मतदान की तारीख एवं समय, बीएलओ के संपर्क विवरण, महत्वपूर्ण वेबसाइट, हेल्पलाइन नंबर, मतदान केन्‍द्र में पहचान के लिए अपेक्षित दस्तावेजों के साथ-साथ मतदान केंद्र पर मतदाता ‘क्या करें और क्या न करें’, सहित अन्य महत्वपूर्ण सूचना दी जाएगी। यह मतदाता गाइड विवरणिका बीएलओ द्वारा मतदाता सूचना पर्चियों के साथ वितरित की जाएगी।
     
    6.     मतदान केंद्रों पर मतदाताओं की पहचान -
    मतदान केंद्र पर मतदाताओं की पहचान के लिए मतदाता, अपने एपिक या आयोग द्वारा अनुमोदित निम्नलिखित दस्‍तावेजों में से कोई एक दस्‍तावेज प्रस्‍तुत करेंगे:
    (i)        आधार कार्ड  
    (ii)       मनरेगा जॉब कार्ड  
    (iii)      बैंक/डाक घर द्वारा जारी फोटोयुक्‍त पासबुक
    (iv)      श्रम मंत्रालय की स्‍कीम के अंतर्गत जारी स्‍वास्‍थ्‍य बीमा स्‍मार्ट कार्ड
    (v)       ड्राइविंग लाइसेंस
    (vi)      पैन कार्ड
    (vii)     एनपीआर के तहत आरजीआई द्वारा जारी स्‍मार्ट कार्ड
    (viii)     भारतीय पासपोर्ट
    (ix)      फोटोयुक्‍त पेंशन दस्‍तावेज
    (x)       केन्द्रीय/राज्य सरकार/लोक उपक्रम/पब्लिक लिमिटेड कम्‍पनियों द्वारा कर्मचारियों को जारी फोटोयुक्‍त सेवा पहचान पत्र,
    (xi)      सांसदों/विधायकों/विधान परिषद सदस्‍यों को जारी अधिकारिक पहचान पत्र; और
    (xii)     विशिष्ट दिव्यांग आईडी (यूडीआईडी) कार्ड, सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय, भारत सरकार 
     
    7.     मतदान केंद्र और विशेष सुविधा –
    (i)     मतदान केन्द्र में निर्वाचकों की अधिकतम संख्या
    एक मतदान केन्‍द्र में अधिकतम 1500 निर्वाचक होंगे। राज्य में मतदान केंद्रों की संख्या निम्नलिखित के अनुसार परिवर्तित हुई है:
    राज्य का नाम
    2018 में मतदान केंद्रों की संख्या
    2023 में मतदान केंद्रों की संख्या
    कर्नाटक
    58,008
    58,282
     
    (ii)    मतदान केन्द्रों पर आश्वस्त न्‍यूनतम सुविधाएं (एएमएफ):
    आयोग ने कर्नाटक के मुख्‍य निर्वाचन अधिकारी को यह सुनिश्चित करने के लिए अनुदेश जारी किए हैं कि प्रत्‍येक मतदान केन्द्र भूतल पर होने जरूरी हैं, मतदान केंद्र भवन तक जाने के लिए अच्‍छा सम्पर्क पथ हो और वह आश्वस्त न्यूनतम सुविधाओं (एएमएफ) जैसे पेयजल, प्रतीक्षा स्थल (वेटिंग शेड), पानी की सुविधा के साथ टॉयलेट, प्रकाश की पर्याप्त व्यवस्था, दिव्यांग निर्वाचकों के लिए उपयुक्‍त ढाल वाले रैम्प और एक मानक वोटिंग कम्पार्टमेंट आदि से युक्‍त हों। आयोग ने मुख्य निर्वाचन अधिकारी/जिला निर्वाचन अधिकारियों को निदेश दिया है कि वे प्रत्येक मतदान केंद्र पर स्थायी रैंप और स्थायी अवसंरचना तैयार करने के प्रयास करें।
     
    (iii)    सुगम्‍य निर्वाचन - दिव्‍यांगजनों और वरिष्‍ठ नागरिकों के लिए सुविधाएं:
    कर्नाटक में सभी मतदान केंद्र भूतल पर स्‍थित हैं और नि:शक्‍त निर्वाचकों और व्‍हील चेयर वाले वरिष्ठ नागरिकों की सुविधा के लिए उचित ढलान वाले रैम्‍प की व्यवस्था की गई है। इसके अलावा, नि:शक्‍त मतदाताओं को लक्षित और आवश्यकता आधारित सुविधा प्रदान करने के लिए आयोग ने निदेश जारी किए हैं कि एक विधान सभा निर्वाचन-क्षेत्र के सभी दिव्‍यांगजनों और वरिष्‍ठ नागरिकों की पहचान की जाए और उन्‍हें उनके संबंधित मतदान केंद्रों के साथ टैग किया जाए तथा मतदान के दिन उनको सहज और सुविधाजनक मतदान अनुभव कराने के लिए निशक्तता-विशिष्‍ट आवश्यक व्यवस्थाएं की जाएं। अभिज्ञात दिव्यांग (पीडब्‍ल्‍यूडी) और वरिष्‍ठ नागरिक निर्वाचकों को रिटर्निंग आधिकारी (आरओ)/जिला निर्वाचन अधिकारी (डीईओ) द्वारा नियुक्त स्‍वयंसेवकों द्वारा सहायता प्रदान की जाएगी। मतदान केंद्रों पर दिव्यांग और वरिष्ठ नागरिक निर्वाचकों के लिए विशेष सुविधा प्रदान की जाएगी। साथ ही, यह निदेश भी दिया गया है कि मतदान बूथों में प्रवेश करने में नि:शक्‍त निर्वाचकों एवं वरिष्ठ नागरिकों को प्राथमिकता दी जाए, मतदान केंद्र परिसर के प्रवेश के निकट उनके लिए निर्दिष्‍ट पार्किंग स्थान की व्यवस्था की जाए और वाक् एवं श्रवण बाधा से ग्रस्‍त निर्वाचकों को विशेष सुविधा प्रदान की जानी चाहिए। नि:शक्‍त निर्वाचकों की विशेष जरूरतों के संबंध में मतदान कर्मियों को संवेदनशील बनाने पर विशेष ध्‍यान दिया गया है।
     
    आयोग ने मुख्‍य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) को निदेश दिया है कि मतदान के दिन प्रत्‍येक मतदान केंद्र पर दिव्‍यांग एवं वरिष्‍ठ नागरिक निर्वाचकों के लिए उचित परिवहन सुविधा होनी चाहिए। दिव्यांग निर्वाचक सक्षम-ईसीआई ऐप पर पंजीकरण करके व्हीलचेयर सुविधा के लिए आवेदन कर सकते हैं।
     
    जैसा कि निर्वाचनों का संचालन नियम, 1961 की धारा 49ढ में उपबंध किया गया है, मतदान केंद्र पर दृष्टिबाधित व्यक्ति अपनी ओर से मतदान करने के लिए अपने साथ एक साथी ले जा सकते हैं।
     
    इसके अलावा, मतदान केंद्रों पर ब्रेल लिपि में डमी मतपत्र भी उपलब्ध हैं। कोई भी दृष्टिबाधित मतदाता इस शीट का उपयोग कर सकता है और इस शीट की विषय-वस्तु का अध्ययन करने के उपरांत साथी की सहायता लिए बिना ईवीएम के बैलेट यूनिट पर ब्रेल सुविधा का उपयोग करके स्वयं अपना मत डाल सकता है।  
     
    (iv)    मतदाता सुविधा पोस्‍टर:
           निर्वाचनों का संचालन नियम, 1961 के नियम 31 के अंतर्गत सांविधिक अपेक्षाओं को पूरा करने तथा प्रत्‍येक मतदान केंद्र पर मतदाता जागरूकता एवं सूचना के लिए सटीक एवं सुसंगत सूचना प्रदान करने के लिए आयोग ने यह निदेश भी दिया है कि एकसमान और मानकीकृत मतदाता सुविधा पोस्‍टर (वीएफपी) [कुल मिलाकर चार (4) प्रकार के पोस्‍टर अर्थात् 1. मतदान केंद्र विवरण, 2. अभ्यर्थियों की सूची, 3. क्या करें और क्या न करें तथा 4. पहचान के अनुमोदित दस्तावेज और मतदान कैसे करें] सभी मतदान केंद्रों पर प्रमुखता से प्रदर्शित किए जाएंगे।
     
    (v)    मतदाता सहायता बूथ (वीएबी):
           प्रत्‍येक मतदान केंद्र स्थल के लिए मतदाता सहायता बूथ स्‍थापित किए जाएंगे जिनमें बीएलओ/पदाधिकारियों का एक दल होगा जो मतदाताओं की, उनके संबंधित मतदान बूथ की निर्वाचक नामावली में उनकी मतदान बूथ संख्या और क्रम संख्या का ठीक-ठीक पता लगाने में सहायता करेंगे। मतदाता सहायता बूथ (वीएबी) सुस्‍पष्‍ट पहचान सूचक के साथ और इस तरीके से स्‍थापित किए जाएंगे कि वे मतदाताओं के मतदान परिसर/भवन की ओर बढ़ने पर आसानी से उनकी नजर में आ सके जिससे वे मतदान के दिन अपेक्षित सुविधा प्राप्त करने में सक्षम हो सकें।
     
    आसानी से नाम खोजने और निर्वाचक नामावली में क्रम संख्या जानने के लिए मतदाता सहायता बूथ पर ईआरओ नेट के जरिए सृजित वर्णक्रम लोकेटर (अंग्रेजी वर्णक्रम के अनुसार) रखा गया है।
    vi)    मतदान की गोपनीयता सुनिश्‍चित करने के लिए मानकीकृत मतदान कक्ष (वोटिंग कंपार्टमेंट):    
           मतदान के समय, मत की गोपनीयता बनाए रखने तथा मतदान कक्षों (वोटिंग कंपार्टमेंट्स) के उपयोग में एकरूपता लाने के लिए आयोग ने 15 नवंबर, 2016 को अपने अनुदेशों में संशोधन किया है तथा मतदान कक्षों की ऊंचाई को 30 इंच तक बढ़ा दिया है तथा यह निदेश भी दिए हैं कि वोटिंग कंपार्टमेंट एक ऐसे टेबल पर रखा जाना चाहिए जिसकी ऊंचाई 30 इंच हो। वोटिंग कंपार्टमेंट्स बनाने के लिए स्‍टील-ग्रे रंग का पूर्णत: अपारदर्शी और पुन:-प्रयोज्‍य केवल लहरदार (कोरूगेटेड) प्‍लास्‍टिक शीट (फ्लेक्‍स बोर्ड) का उपयोग किया जाएगा। आयोग आशा करता है कि सभी मतदान बूथों में इन मानकीकृत और एकसमान वोटिंग कंपार्टमेंट्स का उपयोग करने से मतदाताओं को वृहत्तर सुविधा मिलेगी, मत की पूर्ण गोपनीयता सुनिश्‍चित होगी और मतदान बूथों के भीतर वोटिंग कंपार्टमेंट तैयार करने में असामान्यताएं और असमानताएं दूर होंगी।
     
           वोटिंग कंपार्टमेंट्स के तीनों तरफ स्वयं चिपकने वाले स्टिकर चिपकाए जाएंगे तथा उन पर निर्वाचन का नाम, पीसी/एसी संख्या और नाम तथा मतदान केंद्र संख्या और नाम और वर्ष का नाम आदि छपा होगा। 
     
    8.     दिव्यांग मतदाताओं, 80+ वरिष्ठ नागरिकों, अनिवार्य सेवाओं में नियोजित निर्वाचकों और कोविड संदिग्ध/प्रभावित मतदाताओं के लिए पहल:
    I.     निर्वाचनों का संचालन नियम, 1961 का नियम 27क अधिसूचना दिनांक 22.10.2019 और 19.06.2020 के माध्यम से संशोधित किया गया है। उक्त दो संशोधनों के द्वारा "अनुपस्थित मतदाता" डाक मतपत्र द्वारा मतदान करने के हकदार हो गए हैं। "अनुपस्थित मतदाता" को निर्वाचनों का संचालन नियम, 1961 के नियम-27क के खंड (कक) में परिभाषित किया गया है, और इसमें अनिवार्य सेवाओं में नियोजित व्यक्ति, वरिष्ठ नागरिक (80+), दिव्यांगजन (बेंचमार्क या उससे अधिक की दिव्यांगता वाले) और कोविड 19 के संदिग्ध या प्रभावित व्यक्ति शामिल हैं। लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 60(ग) के अधीन अनिवार्य सेवाओं की श्रेणी निर्वाचन आयोग द्वारा सरकार के परामर्श से अधिसूचित की जाती है।
     
    वरिष्ठ नागरिकों, दिव्यांगजनों (पीडब्ल्यूडी) और कोविड-19 संदिग्ध या प्रभावित व्यक्तियों की श्रेणी वाले अनुपस्थित मतदाताओं द्वारा डाक मतपत्र के माध्यम से मतदान के लिए मौजूदा दिशानिर्देशों में निम्नलिखित प्रक्रिया निर्दिष्ट की गई है: –
    (i)     अनुपस्थित मतदाता जो डाक मतपत्र द्वारा मतदान करना चाहता है, उसे संबंधित निर्वाचन क्षेत्र के रिटर्निंग ऑफिसर (आरओ) को प्ररूप-12घ में सभी अपेक्षित विवरण देते हुए आवेदन करना है। डाक मतपत्र की सुविधा चाहने वाले ऐसे आवेदन निर्वाचन की घोषणा की तारीख से लेकर संबंधित निर्वाचन की अधिसूचना की तारीख के पांच दिन बाद तक की अवधि के दौरान आरओ के पास पहुंच जाने चाहिए।
    (ii)    यदि दिव्यांगजन श्रेणी से संबंधित अनुपस्थित मतदाता (एवीपीडी) डाक मतपत्र का विकल्प चुनते हैं तो आवेदन (प्ररूप 12घ) के साथ दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 के अधीन संबंधित उपयुक्त सरकार द्वारा निर्दिष्ट बेंचमार्क दिव्यांगता प्रमाण पत्र की एक प्रति संलग्न होनी चाहिए।
    (iii)    बीएलओ द्वारा प्ररूप 12घ का वितरण:
    (क)    बीएलओ मतदान केंद्र क्षेत्र में आरओ द्वारा उपलब्ध कराए गए विवरण के अनुसार एवीएससी, एवीपीडी और एवीसीओ की श्रेणी में अनुपस्थित मतदाताओं के घरों का दौरा करेगा और संबंधित निर्वाचकों को प्ररूप 12घ वितरित करेगा और उनसे पावतियां प्राप्त करेगा।
    (ख)    यदि कोई निर्वाचक उपलब्ध नहीं है, तो बीएलओ उनसे अपने संपर्क विवरण साझा करेगा और अधिसूचना के पांच दिनों के भीतर प्ररूप 12घ लेने के लिए फिर से जाएगा।
    (ग)    निर्वाचक डाक मतपत्र का विकल्प चुन सकता है या नहीं चुन सकता है। यदि वह डाक मतपत्र का विकल्प चुनता है, तो बीएलओ अधिसूचना के पांच दिनों के भीतर निर्वाचक के घर से भरे हुए प्ररूप 12घ को एकत्र करेगा और आरओ के पास तत्‍काल जमा करेगा।
    (घ)    सेक्टर ऑफिसर आरओ के समग्र पर्यवेक्षण में बूथ लेवल अधिकारियों (बीएलओ) द्वारा द्वारा प्ररूप 12घ के वितरण और संग्रह की प्रक्रिया का पर्यवेक्षण करेंगे।
    (iv)    इसके अलावा, आरओ ऐसे सभी दिव्यांग (पीडब्ल्यूडी) और 80+ निर्वाचकों की सूची मुद्रित हार्डकॉपी में मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के निर्वाचन लड़ने वाले अभ्यर्थियों के साथ साझा करेगा, जिनके डाक मतपत्र सुविधा का लाभ उठाने के लिए प्ररूप 12घ में प्रस्तुत आवेदन आरओ द्वारा अनुमोदित किए गए हैं।
     
    II.     एक वीडियोग्राफर और सुरक्षा सहित 2 मतदान अधिकारियों वाला मतदान दल तब वोटिंग कंपार्टमेंट के साथ निर्वाचक के घर जाएगा और मत की पूर्ण गोपनीयता बनाए रखते हुए डाक मत-पत्र पर निर्वाचक से मतदान करवाएगा। अभ्यर्थियों को इन निर्वाचकों की सूची अग्रिम तौर पर दी जाएगी और उनको मतदान का कार्यक्रम और मतदान दलों का मार्ग चार्ट भी उपलब्ध कराया जाएगा ताकि वे अपने प्रतिनिधियों को मतदान प्रक्रिया का साक्षी बनने के लिए भेज सकें। तदुपरांत, रिटर्निंग अधिकारी द्वारा डाक मतपत्र सुरक्षित ढंग से स्टोर किया जाएगा।
    III.    यह एक वैकल्पिक सुविधा है और इसमें डाक विभाग की पत्र प्रेषण जैसी कोई व्यवस्था शामिल नहीं है।
    IV.    आयोग ने कर्नाटक के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को निदेश दिया है कि वे उपर्युक्त श्रेणियों के मतदाताओं में सूचना का प्रसार करने और उनको सुविधा प्रदान करने के लिए आवश्यक कदम उठाएं।
     
    9.     महिलाओं और दिव्यांगजनों द्वारा संचालित मतदान केंद्र-
    लैंगिक समानता और निर्वाचन प्रक्रिया में महिलाओं की रचनात्‍मक भागीदारी बढ़ाने के प्रति अपनी पुरजोर प्रतिबद्धता के भाग के रूप में आयोग ने यह निदेश भी दिया है कि जहां तक संभव हो, निर्वाचन होने वाले कर्नाटक राज्य में प्रत्‍येक विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र में कम से कम एक ऐसा मतदान केंद्र स्‍थापित किया जाएगा जो महिलाओं और दिव्यांगजनों द्वारा अनन्य रूप से संचालित होगा। महिलाओं द्वारा संचालित ऐसे मतदान केंद्रों में, पुलिस और सुरक्षाकर्मियों सहित सभी निर्वाचन स्‍टॉफ महिलाएं होंगी। प्रत्येक विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में स्थानीय सामग्री और कला रूपों का उपयोग और चित्रण करके कम से कम एक मॉडल मतदान केंद्र तैयार किए जाएंगे। 
     
    इसके अलावा, नई पहल के तौर पर आयोग ने निर्णय लिया है कि प्रत्येक जिले का कम से कम एक मतदान केंद्र उस जिले के सबसे युवा पात्र कर्मचारियों के दल द्वारा संचालित किया जाएगा।
     
    10.    नाम-निर्देशन प्रक्रिया- नाम-निर्देशन दाखिल करने की प्रक्रिया के बारे में संक्षिप्त विवरण नीचे दिया गया है:
     
    I.      नाम-निर्देशन में ऑनलाइन विधि की सुविधा प्रदान करने के लिए अतिरिक्त विकल्प उपलब्ध कराए गए हैं:
    (i)     नाम-निर्देशन प्ररूप मुख्‍य निर्वाचन अधिकारी/जिला निर्वाचन अधिकारी की वेबसाइट पर ऑनलाइन भी उपलब्ध होंगे। कोई भी इच्छुक अभ्‍यर्थी इसे ऑनलाइन भर सकता है और रिटर्निंग अधिकारी के समक्ष प्रस्‍तुत करने के लिए उसका प्रिंट लिया जा सकता है जैसा कि प्ररूप-1 (निर्वाचनों का संचालन नियम 1961 का नियम-3) में निर्दिष्ट है।
    (ii)    शपथ पत्र मुख्‍य निर्वाचन अधिकारी/जिला निर्वाचन अधिकारी की वेबसाइट पर भी ऑनलाइन भरा जा सकता है, उसका प्रिंट लेकर नोटरीकृत करने के बाद उसे रिटर्निंग ऑफिसर के समक्ष नाम-निर्देशन प्ररूप के साथ जमा किया जा सकता है।
    (iii)    अभ्‍यर्थी अभिहित प्‍लेटफार्म पर ऑनलाइन विधि के माध्यम से जमानत-राशि जमा कर सकते हैं। हालांकि, अभ्‍यर्थी के पास कोषागार में इसे नकद रूप में जमा कराने का विकल्प बना रहेगा।
    (iv)    अभ्‍यर्थी नाम-निर्देशन करने के प्रयोजन से अपना निर्वाचक प्रमाणन ऑनलाइन प्राप्त करने का विकल्प भी चुन सकता है।
     
    II.     इसके अतिरिक्‍त, आयोग ने निम्नलिखित निदेश दिया है:
    (i)     रिटर्निंग अधिकारी के कक्ष में नाम-निर्देशन, संवीक्षा और प्रतीक आबंटन कार्य का निष्‍पादन करने के लिए पर्याप्त जगह होनी चाहिए।
    (ii)    रिटर्निंग अधिकारी को प्रत्‍याशित अभ्‍यर्थियों के लिए अग्रिम रूप से अलग-अलग समय आबंटित करना चाहिए।
    (iii)    नाम-निर्देशन प्ररूप और शपथ-पत्र प्रस्‍तुत करने के लिए उठाए जाने वाले सभी अपेक्षित कदम लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 में निहित प्रावधानों के अनुसार कार्यशील बने रहेंगे।
     
    11.    अभ्‍यर्थियों के शपथ-पत्र
    सभी कॉलम भरे जाने हैं:
    वर्ष 2008 की रिट याचिका संख्या (सी) 121 (रिसर्जेंस इंडिया बनाम भारत निर्वाचन आयोग और अन्य) में उच्‍चतम न्‍यायालय द्वारा पारित निर्णय दिनांक 13 सितंबर 2013, जिसमें अन्य बातों के साथ-साथ रिटर्निंग अधिकारी के लिए ‘यह जांच करना कि नामनिर्देशन पत्र के साथ शपथ पत्र भरे जाने के समय पर अपेक्षित सूचना (अभ्‍यर्थी द्वारा) पूर्णत: प्रदान की गई है या नहीं, अनिवार्य बनाया गया है, के अनुसरण में आयोग ने यह अनुदेश जारी किया है कि नामनिर्देशन पत्र के साथ दाखिल किए जाने वाले शपथ-पत्र में अभ्यर्थियों के लिए यह अपेक्षित है कि वे सभी कॉलमों को भरें। शपथ-पत्र में यदि कोर्इ कॉलम खाली छोड़ा जाता है तो रिटर्निंग ऑफिसर सभी कॉलम विधिवत रूप से भरे जाने के साथ संशोधित शपथ-पत्र दाखिल करने के लिए अभ्यर्थी को नोटिस जारी करेंगे। ऐसे नोटिस के उपरांत भी, अगर अभ्यर्थी सभी दृष्टियों से पूर्ण शपथ-पत्र दाखिल करने में असफल रहता है तो उसका नामनिर्देशन पत्र संवीक्षा के समय अस्वीकृत किए जाने का भागी बनेगा।
     
    नाम-निर्देशन प्ररूप के फार्मेट और प्ररूप 26 में शपथ-पत्र में परिवर्तन:
    दिनांक 16 सितंबर, 2016 और 07 अप्रैल, 2017 की अधिसूचनाओं के जरिए नामनिर्देशन प्ररूप 2क और 2ख के भाग ।।।क तथा नामनिर्देशन प्ररूप 2ग, 2घ और 2ङ के भाग ।। को संशोधित किया गया है। दिनांक 26 फरवरी, 2019 की अधिसूचना के जरिए प्ररूप 26 में शपथ पत्र को भी संशोधित किया गया है जिसमें (i) उन अभ्‍यर्थियों के लिए ‘पैन’ का अनिवार्य प्रकटन जिन्‍हें पैन आवंटित किया गया है या बिना पैन वाले अभ्‍यर्थी के लिए ‘कोई पैन आवंटित नहीं’ का स्‍पष्‍ट उल्‍लेख करने; (ii) अभ्‍यर्थी, उसके पति या पत्नी और एचयूएफ; और आश्रितों के पिछले 5 वर्षों में दायर की गई आयकर विवरणी में दर्शाई गई कुल आय का विवरण (iii) अभ्‍यर्थियों, उनके पति/पत्‍नी, एचयूएफ या और आश्रितों द्वारा किसी विदेशी कंपनी/ट्रस्‍ट में लाभकारी हित सहित विदेशों में धारित परिसंपत्तियों (चल/अचल) का विवरण प्रदान किए जाने का प्रावधान किया गया है। संशोधित नाम-निर्देशन प्ररूप और शपथ पत्र की प्रति आयोग की वेबसाइट https://eci.gov.in>menu>candidate nomiation & other Forms पर उपलब्ध है।
     
    12.    आपराधिक मामलों वाले अभ्‍यर्थी-
    आपराधिक पूर्ववृत्त वाले अभ्‍यर्थियों के लिए अपेक्षित है कि वे निर्वाचन-प्रचार अवधि के दौरान तीन अवसरों पर समाचार पत्रों में और टेलीविजन चैनलों के माध्यम से इस संबंध में सूचना प्रकाशित करें। जो राजनैतिक दल आपराधिक पूर्ववृत्त वाले अभ्‍यर्थियों को खड़ा करते हैं, उनके लिए भी अपेक्षित है कि वे अपने अभ्‍यर्थियों की आपराधिक पृष्‍ठभूमि के बारे में, अपनी वेबसाइट में और समाचार-पत्रों और टेलीविजन चैनलों में भी, तीन अवसरों पर सूचना प्रकाशित करें।
     
    आयोग ने अपने पत्र सं. 3/4/2019/एसडीआर/खंड IV दिनांक 16 सितंबर, 2020 के जरिए यह निदेश दिया है कि विनिर्दिष्ट अवधि निम्नलिखित तरीके से तीन खंडों में रखी जाएगी ताकि निर्वाचकों को ऐसे अभ्यर्थियों की पृष्‍ठभूमि के बारे में जानने का पर्याप्त समय मिले:
     
    क.     नाम-निर्देशन वापस लेने की तारीख के प्रथम 4 दिनों के भीतर
    ख.    अगले 5 से 8 दिनों के बीच
    ग.     9वें दिन से प्रचार अभियान के अंतिम दिन तक (मतदान के दिन से पहले का दूसरा दिन)
     
    (व्याख्या: यदि नाम-निर्देशन वापस लेने की अंतिम तिथि महीने का 10वां दिन है और मतदान महीने के 24वें दिन है तो घोषणा के प्रकाशन के लिए पहला खंड महीने के 11वें से 14वें दिन के बीच, दूसरा और तीसरा खंड क्रमश: महीने के 15वें और 18वें दिन के बीच और 19वें और 22वें दिन के बीच होगा)
     
    यह अपेक्षा वर्ष 2015 की रिट याचिका (सिविल) सं. 784 (लोक प्रहरी बनाम भारत संघ और अन्य) में और वर्ष 2011 की रिट याचिका (सिविल) सं. 536 (पब्लिक इंटरेस्ट फाउंडेशन एवं अन्य बनाम भारत संघ और अन्य) में माननीय उच्‍चतम न्यायालय के निर्णय के अनुसरण में है।
     
    13.    आपराधिक मामलों से जुड़े अभ्यर्थी खड़े करने वाले राजनैतिक दल -
    2011 की रिट याचिका (सि.) सं. 536 में 2018 की अवमानना याचिका (सि.) सं 2192 में माननीय उच्चतम न्यायालय के आदेश दिनांक 13.02.2020 के अनुसरण में राजनैतिक दलों (केंद्र और राज्य निर्वाचन स्तर पर) के लिए अनिवार्य है कि वे अपनी वेबसाइट पर लंबित आपराधिक मामलों (अपराधों की प्रकृति और संगत विवरणों जैसे कि आरोपों को तय कर दिया गया या नहीं, संबंधित न्यायालय और मामला सं. आदि सहित) वाले उन व्यक्तियों के बारे में विस्तृत जानकारी अपलोड करें, जिन्हें अभ्यर्थियों के रूप में चुना गया है, साथ ही ऐसे चयन के कारण भी बताएं कि बिना आपराधिक पूर्ववृत्त वाले अन्य व्यक्तियों का चयन अभ्यर्थी के रूप में क्यों नहीं किया जा सकता था। चयन के लिए कारण संबंधित अभ्यर्थियों की योग्यताएं, उपलब्धियों और गुणों के संदर्भ में होंगे, न कि सिर्फ निर्वाचनों में "जीत हासिल करने" की योग्यता होनी चाहिए।
     
    यह सूचना निम्न माध्यमों में भी प्रकाशित की जाएगी:
    क.              स्थानीय भाषा के एक समाचार पत्र और एक राष्ट्रीय समाचार पत्र में;
    ख.             फेसबुक और ट्विटर सहित राजनैतिक पार्टी के आधिकारिक सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर।
     
    ये विवरण उम्मीदवार के चयन के 48 घंटे के भीतर या नाम-निर्देशन दाखिल करने की पहली तारीख से पहले दो सप्ताह से अनधिक की अवधि, में प्रकाशित किए जाएंगे। संबंधित राजनैतिक दल तब उक्त उम्मीदवार के चयन के 72 घंटे के भीतर निर्वाचन आयोग को इन निर्देशों के अनुपालन की एक रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा। यदि कोई राजनैतिक दल निर्वाचन आयोग को इस तरह की अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत करने में विफल रहता है, तो निर्वाचन आयोग इस प्रकार के गैर-अनुपालन को न्यायालय के आदेशों/निदेशों की अवमानना मानते हुए उसे उच्चतम न्यायालय की जानकारी में लाएगा। आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध पत्र सं. 3/4/2020/एसडीआर/खंड III, दिनांक 6 मार्च, 2020 के माध्यम से जारी आयोग के अनुदेशों को देखा जा सकता है।
     
    माननीय उच्चतम न्यायालय ने ब्रजेश सिंह बनाम सुनील अरोड़ा और अन्य [डब्ल्यूपी (सी) सं. 536/2011 में अवमानना याचिका (सी) संख्या 2192/2018 में अवमानना याचिका (सी) संख्या 656/2020)] के मामले में निर्णय दिनांक 10.08.2021 के माध्यम से कुछ अतिरिक्त निर्देश जारी किए, जिसे आयोग के पत्र सं. 3/4/एसडीआर/खंड I, दिनांक 26.08.2021 के तहत परिचालित किया गया है जो आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध हैं। निम्नलिखित निर्देश राजनैतिक दलों से संबंधित हैं:-
     
    (क)    राजनीतिक दलों को अपनी वेबसाइटों के होमपेज पर अभ्यर्थियों के आपराधिक पूर्ववृत्त के बारे में सूचना प्रकाशित करनी है, जिससे मतदाता के लिए उपलब्‍ध कराई जाने वाली सूचना प्राप्त करना अपेक्षाकृत अधिक आसान हो जाए। अब होमपेज पर "आपराधिक पूर्ववृत्त वाले अभ्यर्थियों" का एक शीर्षक होना भी आवश्यक हो जाएगा;
    (ख)    हम स्पष्ट करते हैं कि हमारे आदेश दिनांक 13.02.2020 के पैराग्राफ 4.4 में निर्देश आशोधित हो जाता है और यह स्पष्ट किया जाता है कि जिन विवरणों को प्रकाशित किया जाना आवश्यक है, उन्हें अभ्यर्थी के चयन के 48 घंटों के भीतर प्रकाशित किया जाएगा, न कि नाम-निर्देशन दाखिल करने की पहली तारीख से दो सप्ताह पहले; तथा
    (ग)    हम दोहराते हैं कि यदि कोई राजनैतिक दल भारत निर्वाचन आयोग को इस तरह की अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत करने में विफल रहता है, तो भारत निर्वाचन आयोग इस प्रकार के गैर-अनुपालन को  इस न्यायालय के आदेशों/निदेशों की अवमानना मानते हुए उसे इस न्यायालय के संज्ञान में लाएगा, जिसे भविष्य में बहुत गंभीरता से लिया जाएगा।
     
    14.    जिला, विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र स्तरीय और बूथ स्तरीय निर्वाचन प्रबंधन योजना-
     
    निर्वाचनों के संचालन के लिए जिला निर्वाचन अधिकारियों को कहा गया है कि वे एस.एस.पी./एस.पी. तथा सेक्टर अधिकारियों के परामर्श से रूट योजना और संचार योजना सहित व्यापक जिला निर्वाचन प्रबंधन योजना तैयार करें। प्रेक्षकों द्वारा इन योजनाओं की पुनरीक्षा, भारत निर्वाचन आयोग के विद्यमान अनुदेशों के अनुसार अतिसंवेदनशीलता मानचित्रण कवायद और अत्‍यंत महत्‍वपूर्ण मतदान केंद्रों के मानचित्रण को ध्यान में रखते हुए की जाएगी। 
     
    15.    संचार योजना -
    आयोग निर्वाचनों के सुचारू संचालन के लिए और मतदान के दिन समवर्ती हस्तक्षेप और मध्यकालिक सुधार करने के लिए जिला/निर्वाचन-क्षेत्र स्तर पर एक अचूक संचार योजना बनाने और उसका क्रियान्वयन करने को बहुत महत्व देता है। उक्त प्रयोजन के लिए, आयोग ने कर्नाटक के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को निदेश दिया है कि वे राज्य मुख्यालय में दूरसंचार विभाग के अधिकारियों, बीएसएनएल/एमटीएनएल के प्राधिकारियों, राज्य के अन्य अग्रणी सेवा प्रदाताओं के प्रतिनिधियों के साथ समन्वय करें ताकि राज्य में नेटवर्क स्थिति का आकलन किया जा सके और संचार की कम पहुंच वाले क्षेत्रों की पहचान की जा सके। मुख्य निर्वाचन अधिकारी को यह अनुदेश दिया गया है कि वे अपने राज्य में सर्वश्रेष्ठ संचार योजना तैयार करें तथा सैटेलाइट फोन, वायरलेस सेट, विशेष हरकारे आदि की व्यवस्था करके संचार की कम पहुंच वाले क्षेत्रों में उपयुक्त वैकल्पिक व्यवस्थाएं करें।
     
    16.    पर्यावरण अनुकूल निर्वाचन-
    निर्वाचन आयोग ने विभिन्‍न अवसरों पर राजनैतिक दलों और अभ्‍यर्थियों को उनके निर्वाचन अभियान कार्यकलापों में सिंगल-यूज प्‍लॉस्टिक और गैर-जैव-अवक्रमणीय सामग्री का उपयोग करने से बचने का अनुरोध करते हुए सलाह जारी की है।
     
    आयोग काफी समय से सभी राजनैतिक दलों से उनके प्रचार अभियान उद्देश्‍यों के लिए केवल पर्यावरण अनुकूल सामग्री का उपयोग करने के लिए कहता रहा है। इस संबंध में, आयोग ने दिनांक 26.02.2019 को पुन: अनुदेश दिया है कि मानव स्‍वास्‍थ्‍य और पर्यावरण के हित में सभी राजनैतिक दलों को निर्वाचनों के दौरान प्रचार सामग्री (पोस्‍टर, बैनर आदि) के रूप में सिंगल यूज प्‍लास्‍टिक का उपयोग न करने के लिए पर्याप्‍त कदम उठाने चाहिए और आवश्यक उपाय करने चाहिए। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा दिनांक 12.08.2021 को अधिसूचित प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन संशोधन नियम, 2021 भी मुख्य निर्वाचन अधिकारी को यह कहते हुए परिचालित कर दिया गया है कि वे इसे अभ्यर्थियों और राजनैतिक दलों सहित सभी हितधारकों के ध्यान में लाएं।
     
           इसके अलावा, एनजीटी ने भी सभी संबंधितों से आग्रह किया है कि वे इस संबंध में भारत निर्वाचन आयोग के अनुदेशों की सजगता के साथ निगरानी करें।
    17.    आदर्श आचार संहिता-
    निर्वाचन कार्यक्रम की घोषणा होने के साथ ही आदर्श आचार संहिता (एमसीसी) तत्‍काल प्रभाव से लागू हो जाती है। आदर्श आचार संहिता के सभी प्रावधान कर्नाटक राज्य के सभी हिस्‍सों में सभी अभ्‍यर्थियों, राजनैतिक दलों और उक्त राज्य सरकार के संदर्भ में लागू हो जाएंगे। यह आदर्श आचार संहिता संघ सरकार पर भी लागू होगी, जहां तक इसका संबंध कर्नाटक राज्य के संबंध में/के लिए घोषणाएं करने/नीतिगत निर्णय लिए जाने से है।
     
    आयोग ने एमसीसी दिशा-निर्देशों का प्रभावी कार्यान्‍वयन सुनिश्चित करने के लिए विस्‍तृत व्यवस्थाएं की हैं। इन दिशा-निर्देशों के किसी भी प्रकार के उल्‍लंघन से कड़ाई से निपटा जाएगा और आयोग इस बात पर पुन: जोर देता है कि इस बारे में समय-समय पर जारी अनुदेशों को सभी राजनैतिक दलों, निर्वाचन लड़ने वाले अभ्‍यर्थियों और उनके अभिकर्ताओं/प्रतिनिधियों द्वारा पढ़ा व समझा जाना चाहिए ताकि किसी भी प्रकार की भ्रांति या सूचना के अभाव या अधूरी समझ/निर्वचन से बचा जा सके। निर्वाचन करवाए जाने वाले राज्यों की सरकारों को यह निदेश भी दिए गए हैं कि वे यह सुनिश्चित करें कि आदर्श आचार संहिता की अवधि के दौरान सरकारी तंत्र/पद का दुरुपयोग न हो।
     
    आयोग ने निर्वाचन कार्यक्रम की घोषणा के शुरुआती 72 घंटों के दौरान आदर्श आचार संहिता के प्रवर्तन के लिए त्‍वरित, प्रभावी एवं सख्‍त कार्रवाई करने के लिए और मतदान की समाप्ति से पूर्व आखिरी 72 घंटों में अतिरिक्‍त सतर्कता बरतने और सख्‍त प्रवर्तन कार्रवाई करने के लिए भी अनुदेश जारी किए हैं। ये अनुदेश फील्‍ड निर्वाचन तंत्र द्वारा अनुपालन के लिए मानक संचालन प्रक्रियाओं (एसओपी) के रूप में जारी किए गए हैं।
     
    18.    वीडियोग्राफी/वेबकास्टिंग/सीसीटीवी कवरेज-
    सभी महत्वपूर्ण कार्यक्रमों की वीडियोग्राफी की जाएगी। जिला निर्वाचन अधिकारी इस प्रयोजन के लिए पर्याप्त संख्या में वीडियो और डिजीटल कैमरे और कैमरा टीमों की व्यवस्था करेंगे। वीडियोग्राफी किए जाने वाले कार्यक्रमों में नामनिर्देशन पत्र दाखिल करना और उनकी संवीक्षा करना और प्रतीकों का आबंटन, प्रथम स्तरीय जांच, इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों को तैयार करना और उनका भंडारण, निर्वाचन-अभियान के दौरान महत्वपूर्ण सार्वजनिक बैठकें, जुलूस आदि, डाक मतपत्रों के प्रेषण की प्रक्रिया, अभिज्ञात अतिसंवेदनशील मतदान केन्द्रों में मतदान प्रक्रिया, मतदान में प्रयुक्त र्इवीएम एवं वीवीपैट का भंडारण, मतों की गणना आदि शामिल होंगे। इसके अतिरिक्‍त, प्रभावी अनुवीक्षण और निगरानी करने के लिए महत्‍वपूर्ण सीमा चैक पोस्‍टों और स्‍थैतिक जांच बिन्‍दुओं पर सीसीटीवी लगाए जाएंगे। आयोग ने निदेश दिया है कि महत्वपूर्ण मतदान केंद्रों और संवेदनशील क्षेत्रों में स्थित सभी मतदान केंद्रों में अथवा सहायक मतदान केंद्रों सहित कुल मतदान केंद्रों में से कम से कम 50% मतदान केंद्रों, जो भी अधिक हो, में वेबकास्टिंग की व्यवस्था की जाएगी।
     
    19.    लोक उपद्रव को रोकने के उपाय-
    आयोग ने निदेश दिया है कि निर्वाचन की घोषणा की तारीख से शुरू होने वाली और निर्वाचन-परिणामों की घोषणा के साथ समाप्‍त होने वाली सम्पूर्ण निर्वाचन अवधि के दौरान निर्वाचन-प्रचार प्रयोजनों हेतु सार्वजनिक बैठकों के लिए सार्वजनिक उद्घोषणा प्रणाली या लाउडस्पीकर या किसी भी ध्वनि एम्पलीफायर, चाहे किसी भी प्रकार के वाहनों पर फिट किए गए हों, या स्‍थैतिक स्थिति में हों, का रात्रि 10.00 बजे से पूर्वा. 6.00 बजे के बीच प्रयोग करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
     
    इसके अतिरिक्त, किसी भी मतदान-क्षेत्र में मतदान की समाप्ति के लिए नियत समय के साथ समाप्‍त होने वाली 48 घंटों की अवधि के दौरान किसी भी तरह के वाहनों पर फिट किए गए या किसी भी अन्य तरीके से लाउडस्‍पीकरों का इस्‍तेमाल किए जाने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
     
    20.    प्रचार रहित (साइलेंस) अवधि के संबंध में राजनैतिक दलों को परामर्शिका-
     
    संचार प्रौद्योगिकी में प्रगति और सोशल मीडिया के आविर्भाव के संदर्भ में धारा 126 की क्रियाशीलता की समीक्षा करने के लिए, आयोग द्वारा एक समिति का गठन किया गया था, जिसे लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 126 के उपबंधों और अन्य संबंधित उपबंधों का अध्ययन करने और इस संबंध में उपयुक्त सिफारिश करने का अधिदेश दिया गया था। समिति ने 10 जनवरी, 2019 को आयोग को अपनी रिपोर्ट सौंपी। समिति ने अन्य प्रस्तावों के अलावा, धारा 126 के प्रावधानों का अक्षरशः अनुपालन करने के लिए राजनीतिक दलों को परामर्श दिए जाने का प्रस्‍ताव दिया है। आयोग ने सभी राजनैतिक दलों से आह्वान किया कि वे अपने नेताओं और प्रचारकों को यह सुनिश्चित करने हेतु अनुदेश दें कि वे लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 126 के तहत यथा-परिकल्पित सभी प्रकार के संचार माध्‍यमों के संबंध में प्रचार रहित (साइलेंस) अवधि का पालन करें और उनके नेता और कैडर ऐसा कोई कार्य न करें जिससे धारा 126 की भावना का उल्‍लंघन हो।
     
    बहु-चरणीय निर्वाचनों में, अंतिम 48 घंटों की प्रचार रहित (साइलेंस) अवधि कतिपय निर्वाचन क्षेत्रों में लागू रह सकती है जबकि अन्य निर्वाचन क्षेत्रों में प्रचार अभियान जारी रह सकता है। ऐसी स्थिति में, प्रचार रहित (साइलेंस) अवधि का पालन कर रहे निर्वाचन क्षेत्रों में दलों या अभ्‍यर्थियों के लिए समर्थन मांगने हेतु कोई भी प्रत्‍यक्ष या अप्रत्‍यक्ष संदर्भ नहीं दिया जाना चाहिए।
     
    प्रचार रहित (साइलेंस) अवधि के दौरान, स्‍टार प्रचारकों और अन्य राजनैतिक दलों को प्रेस कांफ्रेंस के माध्‍यम से और निर्वाचन संबंधी मामलों पर साक्षात्‍कार देकर मीडिया को संबोधित करने से बचना चाहिए।
     
    21.    कानून और व्यवस्था, सुरक्षा व्यवस्था तथा बलों की तैनाती-
    निर्वाचनों के संचालन में विस्तृत सुरक्षा प्रबंधन शामिल होता है जिसमें न केवल मतदान कर्मियों, मतदान केन्द्रों तथा मतदान सामग्री की सुरक्षा शामिल है, अपितु इसमें निर्वाचन प्रक्रिया की समग्र सुरक्षा भी शामिल है। स्वतंत्र, निष्पक्ष एवं विश्वसनीय तरीके से निर्वाचनों के सुचारू संचालन हेतु शांतिपूर्ण एवं अनुकूल वातावरण सुनिश्चित करने के लिए केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) की तैनाती स्थानीय पुलिस बलों के अनुपूरक के रूप में की जाती है।
     
    जमीनी स्थिति के आकलन के आधार पर, निर्वाचन के दौरान केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) और अन्य  राज्य से ली गर्इ राज्य सशस्त्र पुलिस (एसएपी) की तैनाती की जाएगी। क्षेत्र पर वर्चस्व स्थापित करने, संवेदनशील पॉकेटों में रूट मार्च करने, प्‍वाइंट पेट्रोलिंग करने तथा मतदाताओं, विशेषकर कमजोर वर्गों, अल्पसंख्यकों आदि को आश्‍वस्‍त करने तथा उनके मन में विश्वास जगाने के लिए केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बलों की समय रहते तैनाती की जाएगी। इलाके से भली-भांति अवगत होने और स्थानीय बलों के साथ तालमेल स्थापित करने हेतु केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बलों की तैनाती समय से कर दी जाएगी तथा इन क्षेत्रों में मूवमेंट, प्रवर्तन कार्यकलापों आदि के लिए अन्य सभी मानक सुरक्षा प्रोटोकॉल का कड़ाई से पालन किया जाएगा। विभि‍न्न हितधारकों के परामर्श से कर्नाटक के मुख्य निर्वाचन अधिकारी द्वारा जमीनी वास्तविकताओं के आकलन के आधार पर व्यय संवेदनशील निर्वाचन-क्षेत्रों तथा अन्य संवेदनशील क्षेत्रों एवं महत्वपूर्ण मतदान केन्द्रों में भी केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बल/एसएपी की तैनाती की जाएगी। मतदान-दिवस की पूर्व-सन्‍ध्‍या पर, केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बल/एसएपी संबंधित मतदान केन्द्रों में पोजिशन ले लेंगे और उन्‍हें नियंत्रण में ले लेंगे तथा वे मतदान के दिन मतदान केन्द्रों की सुरक्षा करने तथा निर्वाचकों एवं मतदान कर्मियों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए उत्तरदायी होंगे। इसके अलावा, इन बलों का इस्तेमाल उन स्ट्राँग रूमों की सुरक्षा के लिए किया जाएगा जहां र्इवीएम एवं वीवीपैट का भंडारण किया जाता है। इनका मतगणना केन्द्रों की सुरक्षा के लिए और यथापेक्षित अन्य प्रयोजनों के लिए भी इस्तेमाल किया जाएगा। विधान सभा खंडों में बलों की संपूर्ण तैनाती आयोग द्वारा प्रतिनियुक्त केंद्रीय प्रेक्षकों के पर्यवेक्षणाधीन होगी।
          
    राज्य पुलिस कर्मियों और सीएपीएफ का इष्टतम तथा प्रभावकारी उपयोग सुनिश्चित करने के लिए आयोग ने निदेश दिया है कि राज्य निर्वाचन सुरक्षा परिनियोजन योजना के संबंध में संयुक्त रूप से निर्णय लेने और राज्य पुलिस का यादृच्छिकीकरण सुनिश्चित करने के लिए सीईओ, राज्य पुलिस के नोडल अधिकारी और राज्य सीएपीएफ के समन्वयक की एक समिति का गठन किया जाए।
     
    22.    अ.जा./अ.ज.जा. तथा अन्य कमजोर वर्गों के निर्वाचकों को सुरक्षा प्रदान करना-
          
    अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्‍याचार निवारण) अधिनियम, 1989 (2015 में यथा-संशोधित) की धारा 3(1) के अनुसार कोर्इ भी व्‍यक्ति, जो अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति का सदस्य नहीं है, अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के किसी सदस्य को मतदान न करने के लिए या किसी विशिष्‍ट अभ्यर्थी के लिए मतदान करने के लिए या विधि द्वारा उपबंधित रीति से भिन्न रीति से मतदान करने के लिए, या एक अभ्‍यर्थी आदि के रूप में खड़ा नहीं होने के लिए मजबूर या अभित्रस्त करेगा; वह कारावास से, जिसकी अवधि छह माह से कम की नहीं होगी किंतु जो पांच वर्ष तक बढ़ार्इ जा सकेगी, और जुर्माने से दण्डनीय होगा। आयोग ने कर्नाटक राज्य से कहा है कि वे इन उपबंधों को, इन पर तत्परतापूर्वक कार्रवार्इ किए जाने के लिए, सभी संबंधितों के ध्यान में लाएं। संवेदनशील वर्गों, विशेषकर अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों आदि के मतदाताओं में आत्मविश्वास जगाने तथा मतदान प्रक्रिया की शुचिता तथा विश्‍वसनीयता में उनकी धारणा तथा विश्वास बढ़ाने के उद्देश्‍य से, केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बल/एसएपी को ऐसे क्षेत्रों में गश्‍त करने, रूट मार्च करने तथा केन्द्रीय प्रेक्षकों के पर्यवेक्षण में विश्वास बढ़ाने संबंधी अन्य आवश्यक उपायों के लिए व्यापक रूप से तथा बढ़-चढ़ कर उपयोग में लाया जाएगा।
     
    23.    निर्वाचन व्यय अनुवीक्षण- 
           अभ्यर्थियों के निर्वाचन व्यय के प्रभावी अनुवीक्षण के प्रयोजन से व्यापक अनुदेश जारी किए गए हैं, जिसमें व्यय प्रेक्षकों, सहायक व्यय प्रेक्षकों की तैनाती, उड़न दस्तों (एफएस), स्थैतिक निगरानी टीमों (एसएसटी), वीडियो निगरानी दलों (वीएसटी), वीडियो अवलोकन टीमों (वीवीटी), लेखा टीमों (एटी), मीडिया प्रमाणन एवं अनुवीक्षण समिति (एमएएमसी), जिला व्यय अनुवीक्षण समिति (डीईएमसी) का गठन, राज्य पुलिस, राज्य उत्पाद शुल्क विभाग, आयकर विभाग के अन्वेषण निदेशालय, केन्द्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड, प्रवर्तन निदेशालय, वित्तीय आसूचना इकाई (एफआईयू-आईएनडी), डीआरआई, आरपीएफ, बीसीएएस, सीआईएसएफ, बीएसएफ, असम राइफल्स, आईटीबीपी, आईसीजी, वाणिज्य कर विभाग तथा नार्कोटिक्स नियंत्रण ब्यूरो और डाक विभाग की सहभागिता शामिल है। राज्य उत्‍पाद शुल्‍क विभाग को निर्वाचन प्रक्रिया के दौरान शराब के उत्पादन, वितरण, बिक्री और भण्‍डारण तथा मुफ्त में सामान देकर प्रलोभन दिए जाने पर निगरानी रखने को कहा गया है। जीपीएस ट्रैकिंग/एवं सी-विजिल ऐप का उपयोग करते हुए उड़न दस्तों/सचल दलों के काम-काज तथा प्रचालनों का गहनता से अनुवीक्षण किया जाएगा। अधिकाधिक पारदर्शिता के लिए और निर्वाचन व्‍यय के अनुवीक्षण-कार्य की सहूलियत के लिए, अभ्यर्थियों के लिए यह अपेक्षित होगा कि वे एक पृथक बैंक खाता खोलें और उस खाता-विशेष से ही अपने निर्वाचन संबंधी व्‍यय करें। आयकर विभाग के अन्वेषण निदेशालय को कहा गया है कि वे राज्य के हवार्इ अडडों में हवार्इ आसूचना ईकाइयां खोलें और आसूचना भी जुटाएं तथा कर्नाटक में भारी मात्रा में धनराशि की आवाजाही की जांच करने के लिए आवश्यक कार्रवार्इ करें। पूरी निर्वाचन प्रक्रिया के दौरान 24 घंटे सक्रिय रहने वाला टोल फ्री नंबर युक्त नियंत्रण कक्ष और शिकायत निगरानी केंद्र संचालित होगा। जिला निर्वाचन अधिकारियों (डीईओ) को बैंकों से 1 लाख रुपये से अधिक की असामान्य और संदिग्ध नकद निकासी या जमा राशि के संबंध में जानकारी प्राप्त करने का निर्देश दिया गया है ताकि उसका विधिवत सत्यापन किया जा सके और उसके उपरांत आवश्यक कार्रवाई की जा सके। यदि यह राशि 10 लाख रुपये से अधिक है, तो जिला निर्वाचन अधिकारी (डीईओ) आवश्यक कार्रवाई के लिए ऐसी जानकारी आयकर विभाग को देंगे। अभ्यर्थियों के निर्वाचन व्यय की प्रभावी निगरानी के लिए एफआईयू-आईएनडी से सीबीडीटी के साथ नकद लेनदेन रिपोर्ट (सीटीआर) और संदिग्ध लेनदेन रिपोर्ट (एसटीआर) साझा करने का अनुरोध किया गया है।
     
    व्यय अनुवीक्षण तंत्र को सशक्त करने के लिए आयोग द्वारा शुरू की गई कुछ नई पहल निम्नलिखित हैं:
    (i)     नकदी जब्त करने एवं अवमुक्त करने के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी😞
    निर्वाचनों की शुचिता बनाए रखने के प्रयोजनार्थ, भारत निर्वाचन आयोग ने निर्वाचन प्रक्रिया के दौरान निर्वाचन-क्षेत्रों में अत्यधिक प्रचार व्यय, रिश्वत की वस्‍तुओं का नकद या वस्तु रूप में वितरण करने, अवैध हथियारों, गोला-बारूद, मदिरा, या असामाजिक तत्वों आदि के मूवमेंट पर नजर रखने के लिए गठित उड़न दस्तों और स्थैतिक निगरानी दलों के लिए मानक संचालन प्रक्रिया जारी की है। इसके अतिरिक्त, जनसाधारण को असुविधा से बचाने और उनकी शिकायतों, यदि कोई हों, का निवारण करने के लिए भी आयोग ने अनुदेश सं. 76/अनुदेश/ईईपीएस/2015/खंड-II दिनांक 29.05.2015 जारी किया है जिसमें यह कहा गया है कि जिले के तीन अधिकारियों, नामत: (i) मुख्‍य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ), जिला परिषद/समुदाय विकास अधिकारी (सीडीओ)/परियोजना निदेशक (पी.डी.), डीआरडीए (ii) जिला निर्वाचन कार्यालय में व्यय अनुवीक्षण के नोडल अधिकारी (संयोजक) और (iii) जिला कोषागार अधिकारी को शामिल करके एक समिति का गठन किया जाएगा। यह समिति पुलिस या एसएसटी या एफएस द्वारा की गई जब्‍ती के प्रत्‍येक मामले की स्वप्रेरणा से जांच करेगी और समिति जहां पाती है कि मानक संचालन प्रक्रिया के अनुसार जब्ती के लिए कोई एफआईआर/शिकायत दाखिल नहीं की गई है या जहां जब्‍ती कोई अभ्यर्थी या राजनैतिक दल या कोई निर्वाचन अभियान आदि से जुड़ी हुई नहीं है, तो वह ऐसे व्‍यक्तियों, जिनसे नकदी जब्त की गई थी, को ऐसी नकदी आदि अवमुक्त (रिलीज) करने के लिए आदेश जारी करने के लिए उस आशय का सकारण आदेश पारित करने के उपरांत, तत्‍काल कदम उठाएगी। किसी भी परिस्थिति में जब्त नकदी/जब्त मूल्‍यवान वस्‍तुओं से संबंधित मामले को मतदान की तारीख के बाद 7 (सात) से अधिक दिनों के लिए मालखाने या कोषागार में तब तक लंबित नहीं रखा जाएगा जब तक कि कोई एफआईआर/शिकायत न दायर की गई हो।
     
    (ii)    प्रचार वाहनों के लिए उपगत व्यय का लेखाकरण – आयोग के ध्यान में यह आया है कि अभ्यर्थी, प्रचार के प्रयोजनार्थ रिटर्निंग अधिकारी से वाहनों के उपयोग की अनुमति लेते हैं परंतु कुछ अभ्यर्थी अपने निर्वाचन व्यय लेखे में वाहनों को भाड़े पर लेने का शुल्‍क या ईंधन व्यय नहीं दिखाते हैं। इसलिए, यह निर्णय लिया गया है कि जब तक अभ्यर्थी, रिटर्निंग अधिकारी को वाहन को प्रचार से हटाने की सूचना नहीं देता, तब तक प्रचार वाहनों की मद में कल्पित व्यय की गणना वाहनों की उस संख्या के आधार पर की जाएगी जिसके लिए रिटर्निंग अधिकारी द्वारा अनुमति प्रदान की गई है।
     
    (iii)    लेखा समाधान बैठक: निर्वाचन लड़ने वाले अभ्यर्थियों के व्यय लेखे से संबंधित मुकदमों को कम करने के लिए, लेखे के अंतिम प्रस्तुतीकरण से पहले, परिणामों की घोषणा के बाद 26वें दिन, जिला निर्वाचन अधिकारी द्वारा एक लेखा समाधान बैठक आयोजित की जाएगी।
     
    (iv)    आपराधिक पूर्ववृत्त के प्रचार-प्रसार पर व्यय का लेखाकरण: वर्ष 2011 की रिट याचिका(सि) संख्या 536 में माननीय उच्चतम न्यायालय के निर्णय दिनांक 25.09.2018 के अनुसरण में, अभ्यर्थियों के साथ-साथ संबंधित राजनैतिक दल नाम-निर्देशन पत्र दाखिल करने के उपरांत कम से कम तीन बार अभ्यर्थियों के आपराधिक पूर्ववृत्त के संबंध में राज्य में व्यापक रूप से परिचालित समाचार पत्रों में और इलेक्‍ट्रॉनिक मीडिया पर विहित फार्मेट में एक घोषणा जारी करेंगे। अभ्यर्थियों के लिए अपेक्षित है कि वे इस संबंध में उनके द्वारा उपगत व्यय का अपने लेखे में रखरखाव करें और उसे परिणामों की घोषणा के 30 दिनों के भीतर संबंधित डीईओ को उनके द्वारा प्रस्तुत किए जाने वाले निर्वाचन व्यय के उनके सार विवरण (अनुसूची 10) में के साथ उल्लिखित किया जाएगा। राजनैतिक दलों से भी अपेक्षित है कि वे विधान सभा निर्वाचन पूर्ण होने के 75 दिनों के भीतर आयोग (मान्यता प्राप्त राजनैतिक दल)/सीईओ (अमान्यताप्राप्त राजनैतिक दल) को प्रस्तुत किए जाने वाले अपने निर्वाचन व्यय के विवरण (अनुसूची 23क, 23ख) में इस संबंध में उनके द्वारा उपगत व्यय को दर्शाएं।  
    (v)    अभ्यर्थियों के लेखे में अभ्यर्थी की निर्वाचकीय संभावनाओं को बढ़ावा देने के लिए अभ्यर्थी के बूथ/कियॉस्क पर और दल के स्वामित्व वाले टीवी/केबल चैनल/समाचार पत्र पर उपगत व्यय:
     
    आयोग ने लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 77(1) के संगत उपबंधों का और परीक्षण  करने पर निर्णय लिया था कि मतदान केन्द्रों के बाहर स्थापित अभ्यर्थियों के बूथ, इसके बाद से, अभ्यर्थियों द्वारा अपने व्यक्तिगत प्रचार के भाग के रूप में स्थापित किए गए माने जाने चाहिए न कि सामान्य दलीय प्रचार के द्वारा और तदनुसार, अभ्यर्थियों के ऐसे बूथों पर उपगत सभी व्यय अभ्यर्थी/उसके निर्वाचन एजेंट द्वारा उपगत/अधिकृत किए गए माने जाएंगे ताकि उन्हें निर्वाचन व्यय के उनके लेखे में शामिल किया जा सके।
     
    इसके अतिरिक्त, आयोग ने उपर्युक्त मामले में विभिन्न स्रोतों से प्राप्त संदर्भों/शिकायतों पर विचार करने के उपरांत निदेश दिया है कि यदि अभ्यर्थी (अभ्यर्थियों) या उनके प्रायोजक दल अभ्यर्थी की निर्वाचकीय संभावनाओं को बढ़ावा देने के लिए अपने स्वामित्व वाले टीवी/केबल चैनल/समाचार पत्र का उपयोग करते हैं तो उसके निमित्त खर्च को चैनल/समाचार पत्र के मानक रेट काडर्स के अनुसार संबंधित अभ्यर्थी द्वारा अपने निर्वाचन व्यय विवरण में शामिल करना होगा, चाहे उन्होंने चैनल/समाचार पत्र को वास्तव में कोई धनराशि का भुगतान किया हो या नहीं। आयोग के पूर्वोक्त निर्णयों के अनुसरण में, निर्वाचन व्यय के सार विवरण में अनुसूची 6 और अनुसूची 4 और 4क में संशोधन कर दिया गया है और निर्वाचन व्यय अनुवीक्षण पर अनुदेशों के सार-संग्रह में तदनुरूप समाविष्ट कर दिया गया है।
     
    (vi)    आभासी (वर्चुअल) प्रचार अभियान पर हुए व्यय का लेखाकरण:
    अभ्यर्थियों से अपेक्षित है कि वे अपने लेखे में इस संबंध में उनके द्वारा किए गए खर्च का हिसाब-किताब रखें और यह संबंधित डीईओ को परिणामों की घोषणा के 30 दिन के भीतर उनके द्वारा प्रस्तुत किए जाने वाले निर्वाचन व्यय के लेखे के साथ निर्वाचन व्यय के सार विवरण (अनुसूची 11) में परिलक्षित होगा। राजनीतिक दलों से भी यह अपेक्षित है कि वे विधानसभा निर्वाचन के समाप्त होने के 75 दिनों के भीतर इस संबंध में उनके द्वारा किए गए व्यय को आयोग (मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल)/सीईओ (अमान्यता प्राप्त राजनीतिक दल) को प्रस्तुत किए जाने वाले अपने निर्वाचन व्यय के विवरण (अनुसूची 24क, 24ख) में दर्शाएं।
     
    (vii)   राजनैतिक दलों द्वारा अंतिम लेखे:
    राष्ट्रीय और राज्यीय मान्यताप्राप्त दलों से अपेक्षित है कि विधान सभा निर्वाचन संपन्न होने के 75 दिनों के भीतर वे अपनी निर्वाचन व्यय विवरणी भारत निर्वाचन आयोग को प्रस्तुत करें जबकि पंजीकृत अमान्यताप्राप्त राजनैतिक दलों के लिए अपेक्षित है कि वे अपनी निर्वाचन व्यय विवरणी उस राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को प्रस्तुत करें जहां उनके दल का मुख्यालय स्थित है। ऐसे लेखे आयोग की वेबसाइट पर जन सामान्य के अवलोकनार्थ अपलोड किए जाएंगे। राजनैतिक दलों और अभ्यर्थियों के लेखे की पारदर्शिता और लेखा-समाधान हेतु राजनैतिक दलों को अभ्‍यर्थी राजनैतिक दल द्वारा किए गए एकमुश्त भुगतान के संबंध में निर्वाचन व्यय के अंतिम विवरण के साथ-साथ आंशिक निर्वाचन व्यय विवरण विहित फार्मेट में विधान सभा निर्वाचन के परिणामों की घोषणा के 30 दिनों के अंदर दाखिल करना है।
     
    24.    मीडिया का प्रभावी उपयोग-
    (i)     मीडिया परिनियोजन:
    आयोग ने हमेशा मीडिया को एक महत्वपूर्ण सहयोगी और प्रभावी एवं कुशल निर्वाचन प्रबंधन सुनिश्चित करने में एक सशक्त बल प्रवर्धक माना है। इसलिए, आयोग ने कर्नाटक के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को निदेश दिया है कि वे मीडिया के साथ सकारात्मक और प्रगतिशील सहभागिता एवं इंटरएक्शन के लिए निम्नलिखित उपाय करें:
     
    (क)    निर्वाचनों के दौरान मीडिया के साथ नियमित इंटरएक्शन और मीडिया के साथ हर समय प्रभावी और सकारात्मक संवाद बनाए रखना।
    (ख)    निर्वाचन संहिता के बारे में मीडिया को जागरूक करने के लिए प्रभावी कदम उठाना।
    (ग)    मतदान दिवस और मतगणना के दिन सभी प्रत्यायित मीडिया को प्राधिकार-पत्र जारी किए जाएंगे।
    मीडिया से भी यह अपेक्षा की जाती है कि वे अपनी निर्वाचन संबंधी सभी कवरेज के दौरान कोविड संरोधन उपायों के संबंध में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय या किसी अन्य सक्षम प्राधिकरण द्वारा जारी सभी मौजूदा दिशानिर्देशों का अनुपालन करेंगे।
     
    (ii)    राजनैतिक विज्ञापनों का पूर्व-प्रमाणन और पेड न्यूज के संदेहास्पद मामलों का अनुवीक्षण:
    सभी जिलों और राज्यीय स्तर पर मीडिया प्रमाणन और अनुवीक्षण समितियां (एमसीएमसी) बनाई गई हैं। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर जारी किए जाने के लिए प्रस्तावित सभी राजनैतिक विज्ञापनों के लिए संबंधित एमसीएमसी से पूर्व-प्रमाणन अपेक्षित होगा। गैर-सरकारी एफएम चैनल/सिनेमा हॉल/सार्वजनिक स्थानों में दृश्य-श्रव्य डिस्प्ले/वायस संदेश और फोन एवं सोशल मीडिया तथा इंटरनेट वेबसाइट पर एक साथ बड़ी संख्या में एसएमएस सहित सभी इलेक्ट्रॉनिक मीडिया/टीवी चैनल/केबल नेटवर्क/रेडियो में राजनैतिक विज्ञापन पूर्व-प्रमाणन के दायरे में आएंगे। आयोग सभी राजनैतिक दलों/अभ्यर्थियों/मीडिया से अनुरोध करता है कि वे पूर्व-प्रमाणन अनुदेशों का पालन करें।
     
    एमसीएमसी मीडिया में पेड न्यूज के संदिग्ध मामलों पर कड़ी नजर रखेगी तथा पुष्ट मामलों में सभी सम्यक् प्रक्रियाओं का पालन करने के उपरांत उपयुक्त कार्रवाई की जाएगी।
     
    (iii)    निर्वाचन में सोशल मीडिया का उपयोग:
    सोशल मीडिया के दुरुपयोग तथा पेड न्यूज के खतरे के बढ़ते हुए दृष्टांतों को ध्यान में रखकर और भारत निर्वाचन आयोग की पुरजोर कोशिश के परिणामस्वरूप बड़े-बड़े सोशल मीडिया प्लेटफार्मों ने मार्च, 2019 में अपने द्वारा तैयार की गई स्वैच्छिक आचारनीति संहिता का पालन करने पर सहमति जताई। यह संहिता हाल ही में सम्पन्न हुए अन्य निर्वाचनों की भांति इस निर्वाचन पर भी लागू होगी।
     
    आयोग सभी राजनैतिक दलों और अभ्यर्थियों से अनुरोध करता है कि वे यह सुनिश्चित करें कि उनके समर्थक घृणात्मक भाषणों और फर्जी खबरों में संलिप्त न हों। यह सुनिश्चित करने के लिए सोशल मीडिया पोस्ट पर कड़ी नजर रखी जा रही है कि निर्वाचन का माहौल दूषित न हो। फर्जी खबरों के खतरे पर अंकुश लगाने में मीडिया सक्रिय भूमिका निभा सकता है।
     
    (iv)    इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया का अनुवीक्षण:
    निर्वाचनों के दौरान सभी प्रमुख राष्ट्रीय और क्षेत्रीय न्यूज चैनलों पर निर्वाचन प्रबंधन संबंधी सभी समाचारों का अत्यन्त सतर्कतापूर्वक अनुवीक्षण किया जाएगा। यदि किसी अप्रिय घटना या किसी कानून/नियम के उल्लंघन की सूचना प्राप्त होती है तो तत्काल कार्रवाई की जाएगी। अनुवीक्षण की रिपोर्टें सीईओ को भी अग्रेषित की जाएगी। सीईओ का कार्यालय प्रत्येक मद पर वस्तुस्थिति का अभिनिश्चय करेगा और एटीआर/स्टेटस रिपोर्ट दर्ज करेगा।
     
    (v)    प्रचार रहित (साइलेंस) अवधि के दौरान और एग्जिट पोल पर मीडिया प्रतिबंध:-
    लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 126(1)(ख) में, अन्य बातों के साथ-साथ, किसी मतदान क्षेत्र में किसी भी निर्वाचन के लिए मतदान के समापन के लिए निर्धारित घंटे के साथ समाप्त होने वाले अड़तालीस घंटे (साइलेंस अवधि) की अवधि के दौरान टेलीविजन या इसी तरह के उपकरणों के माध्यम से किसी भी निर्वाचन मामले को प्रदर्शित करने पर प्रतिबंध लगाया गया है। यहां ऊपर उल्लिखित निर्वाचन संबंधी मामले को ऐसे मामले के रूप में परिभाषित किया गया है जो निर्वाचनों के प्रत्येक चरण में मतदान के समापन के लिए निर्धारित घंटे के साथ समाप्त होने वाले 48 घंटों की अवधि के दौरान किसी भी इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में निर्वाचन के परिणाम को प्रभावित करने या इस पर असर डालने हेतु आशयित या अभिप्रेत हों।
     
    लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 126क, उसमें उल्लिखित अवधि के दौरान यानी पहले चरण में मतदान शुरू होने के लिए निर्धारित घंटे और अंतिम चरण के लिए मतदान समाप्त होने के लिए निर्धारित समय के आधे घंटे के बाद तक के लिए सभी राज्यों में प्रिंट या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से एग्जिट पोल के संचालन और उनके परिणामों के प्रसार को प्रतिबंधित करती है। लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 126 का उल्लंघन करने पर दो साल तक की कैद या जुर्माना या दोनों से दंडित किया जा सकता है।
     
    सभी मीडिया घरानों को सलाह दी जाती है कि वे इस भावना को कायम रखते हुए इससे संबंधित अनुदेशों का पालन करें।
     
    25.    निर्वाचन पदाधिकारियों का प्रशिक्षण-
    भारत अंतर्राष्ट्रीय लोकतंत्र एवं निर्वाचन प्रबंधन संस्थान (आईआईआईडीईएम) ने कर्नाटक राज्य की विधानसभा के आगामी साधारण निर्वाचन के लिए विहित प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन किया है। इसके अलावा, कर्नाटक के मुख्य निर्वाचन अधिकारी भी विहित प्रशिक्षण संचालित करेंगे।
     
    26.    सुव्यवस्थित मतदाता शिक्षा और निर्वाचक सहभागिता (स्वीप) –
    सीईओ/डीईओ को कम मतदान वाले क्षेत्रों में लक्षित स्वीप कार्यकलाप चलाने चाहिए। मतदान न करने के कारणों का पता लगाया जाना चाहिए और तदनुसार लक्षित हस्तक्षेप और प्रयास किए जाने की आवश्यकता है। सीईओ/डीईओ को प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में कम मतदान वाले मतदान बूथों और उसके पीछे के कारणों की पहचान करनी चाहिए। उन्हें व्यक्तिगत रूप से इन क्षेत्रों में जाकर मुद्दों का समाधान करना चाहिए और मतदान प्रतिशत बढ़ाने के प्रयास करने चाहिए।
     
    इसके अलावा, चूंकि बूथ स्वीप कार्यनीति का केंद्र-बिंदु है, इसलिए आयोग ने राज्य को बूथ स्तर की कार्य योजनाओं को सुदृढ़ करने और सभी मतदाताओं को सजग और शिक्षित करने के लिए न्यूनतम स्तर की स्वीप गतिविधियों का संचालन करने का निर्देश दिया है।
     
    27.    केन्द्रीय प्रेक्षकों की तैनाती-
     
    (i)        साधारण प्रेक्षक
    आयोग निर्वाचन का सुगम संचालन सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त संख्या में आईएएस अधिकारियों को साधारण प्रेक्षकों के रूप में नियुक्त करेगा। प्रेक्षकों से कहा जाएगा कि वे स्वतंत्र एवं निष्पक्ष निर्वाचन सुनिश्चित करने के लिए निर्वाचन प्रक्रिया के प्रत्येक चरण पर पैनी नजर रखें।
     
    (ii)    पुलिस प्रेक्षक
    आयोग जरूरत, संवेदनशीलता और जहां जरूरी हो, जिला/विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र की जमीनी स्थिति के आकलन के आधार पर भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के अधिकारियों को जिला/विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र स्तर पर, पुलिस प्रेक्षकों के रूप में नियुक्त करेगा। शांतिपूर्ण, स्वतंत्र एवं निष्पक्ष निर्वाचन सुनिश्चित करने के लिए वे बलों की तैनाती, कानून और व्यवस्था की स्थिति से संबंधित सभी कार्यकलापों का अनुवीक्षण करने के साथ-साथ नागरिक और पुलिस प्रशासन के बीच समन्वय स्थापित करने का काम करेंगे।
     
    (iii)    मतगणना प्रेक्षक
    पहले से तैनात साधारण प्रेक्षकों के अलावा, आयोग राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी के परामर्श से आवश्यकता के आधार पर अधिकारियों को जिला/विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र स्तर पर मतगणना प्रेक्षकों के रूप में भी तैनात करेगा। ये अधिकारी मतगणना केंद्र व्यवस्था की देख-रेख करेंगे और मतगणना से संबंधित सभी कार्यकलापों का अनुवीक्षण करेंगे।
     
    (iv)    विशेष प्रेक्षक
    भारत के संविधान के अनुच्छेद 324 द्वारा इसे प्रदत्त पूर्णाधिकारों का प्रयोग करते हुए आयोग जरूरत के अनुसार अखिल भारतीय सेवाओं और विभिन्न केंद्रीय सेवाओं से संबंधित अधिकारियों को विशेष प्रेक्षकों के रूप में नियुक्त करेगा।
     
    (v)    व्यय प्रेक्षक
    आयोग ने पर्याप्त संख्या में व्यय प्रेक्षकों को नियुक्त करने का निर्णय भी लिया है जो अनन्‍य रूप से निर्वाचन लड़ने वाले अभ्यर्थियों के निर्वाचन व्यय का अनुवीक्षण करेंगे।
     
    (vi)    माइक्रो प्रेक्षक
    विद्यमान अनुदेशों के अनुसार, साधारण प्रेक्षक संवेदनशील/अतिसंवेदनशील मतदान केंद्रों में मतदान वाले दिन मतदान कार्यवाहियों का प्रेक्षण करने के लिए केंद्रीय सरकार/लोक उपक्रमों के अधिकारियों को माइक्रो प्रेक्षक के रूप में भी नियुक्त करेंगे। माइक्रो प्रेक्षक मतदान वाले दिन मतदान केंद्रों पर छद्म मतदान के आयोजन से लेकर मतदान के पूरे होने तक की कार्यवाहियों, र्इवीएम एवं वीवीपैट और अन्य दस्तावेजों को सीलबंद करने की प्रक्रिया का निरीक्षण करेंगे ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मतदान दलों और मतदान अभिकर्ताओं द्वारा आयोग के सभी अनुदेशों का अनुपालन किया जा रहा है। वे अपने आबंटित मतदान केंद्रों में मतदान कार्यवाहियों में कोई गड़बड़ी होने के संबंध में साधारण प्रेक्षकों को सीधे रिपोर्ट करेंगे।
     
    28.    निर्वाचन प्रबंधन में सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) का उपयोग-
     
    आयोग ने व्यापक नागरिक सहभागिता और पारदर्शिता लाने के लिए आईटी एप्लीकेशन का उपयोग बढ़ाया है। निर्वाचन प्रबंधन के लिए उपलब्ध आईटी एप्लीकेशनों की संक्षिप्त रूपरेखा नीचे दी गई है:
     
    (i)     एनवीएसपी और मतदाता पोर्टलः
    एनवीएसपी (https://www.nvsp.in/) के माध्यम से कोई भी प्रयोक्ता अन्य सेवाओं के साथ-साथ विभिन्न प्रकार की सेवाओं का लाभ उठा सकता है और उन तक पहुंच सकता है जैसे कि निर्वाचक सूची देखना, मतदाता पहचान पत्र के लिए आवेदन करना, मतदाता पहचान पत्र में संशोधन हेतु ऑनलाइन आवेदन करना, मतदान बूथ, विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र और संसदीय निर्वाचन क्षेत्र का ब्यौरा देखना, तथा बूथ लेवल अधिकारी, निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी का संपर्क ब्यौरा प्राप्त करना।
     
    इसी प्रकार, प्ररूप जमा करने की प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए, 'मतदाता पोर्टल' (https://voterportal.eci.gov.in/) पंजीकरण करने, प्रविष्टियों में परिवर्तन करने, नाम हटाने, पते में परिवर्तन करने आदि के लिए एक निर्बाध इंटरफ़ेस उपलब्ध कराता है। पोर्टल में लॉग इन करने पर, नागरिक के सामने अब एक इंटरेक्टिव इंटरफ़ेस प्रस्तुत होता है, जो उसके पिछले चयन के आधार पर पसंद के चयन का सुझाव देता है।
     
    (ii)    मतदाता हेल्पलाइन ऐप (वीएचए):
    कोई भी नागरिक अन्य सेवाओं के साथ-साथ विभिन्न प्रकार की सेवाओं का लाभ उठा सकता है और उन तक पहुंच सकता है जैसे मतदाता पहचान पत्र के लिए आवेदन करना, मतदाता पहचान पत्र में संशोधन हेतु ऑनलाइन आवेदन करना, मतदान बूथ, विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र और संसदीय निर्वाचन क्षेत्र का ब्यौरा देखना, तथा बूथ लेवल अधिकारी, निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी का संपर्क ब्यौरा प्राप्त करना। यह एप्लीकेशन गूगल प्ले स्टोर एवं एपल स्टोर, दोनों पर उपलब्ध है।
     
    (iii)    सक्षम-ईसीआई ऐप:
    सक्षम-ईसीआई ऐप दिव्यांगजनों के निमित्त है। यह पूर्ववर्ती पीडब्ल्यू ऐप का स्तरोन्नत संस्करण है। दिव्यांग निर्वाचक स्वयं को दिव्यांग के रूप में चिह्नित करवाने, नए रजिस्ट्रेशन के लिए अनुरोध करने, स्थानांतरण के लिए अनुरोध करने, एपिक विवरण में सुधार करने और व्हीलचेयर के लिए अनुरोध करने के लिए इस ऐप का उपयोग कर सकते हैं। यह दृष्टिहीनता और श्रवण निःशक्तताओं वाले मतदाताओं के लिए मोबाइल फोनों की अभिगम्यता विशिष्टताओं का उपयोग करता है। यह एप्लीकेशन गूगल प्ले स्टोर एवं एपल ऐप स्टोर पर उपलब्ध है।
     
    (iv)    राष्ट्रीय शिकायत सेवा पोर्टल:
    निर्वाचन आयोग द्वारा एक राष्ट्रीय शिकायत सेवा पोर्टल (एनजीएसपी) तैयार किया गया है। यह प्रणाली इस प्रकार तैयार की गई है कि राष्ट्रीय, राज्यीय और जिला स्तर पर नागरिकों, निर्वाचकों, राजनैतिक दलों, अभ्यर्थियों, मीडिया और निर्वाचन पदाधिकारियों की शिकायतों का समाधान करने के अलावा, यह सर्वनिष्ठ इंटरफेस के माध्यम से सेवाएं प्रदान करने के लिए एक सर्वनिष्ठ इंटरफेस के रूप में कार्य करता है।
     
    यह ऐप्लीकेशन निर्वाचन अधिकारियों द्वारा शिकायतों का प्रबंधन करने के लिए एकल इंटरफेस प्रदान करता है। सभी निर्वाचन अधिकारी, जिला निर्वाचन अधिकारी, मुख्य निर्वाचन अधिकारी और आयोग के अधिकारी इस प्रणाली का हिस्सा हैं। इस प्रकार, मामलों का पंजीकरण होने पर यह सीधे संबंधित प्रयोक्ता को आबंटित हो जाते हैं। इस पोर्टल पर ऑनलाइन लिंक: https://eci-citizenservices.eci.nic.in से पहुंचा जा सकता है।
     
    (v)    सी-विजिल ऐप्लीकेशनः
    यह नागरिकों द्वारा आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन के मामले दायर करने के लिए एक ऐप्लीकेशन है। सी-विजिल ऐप प्रत्येक नागरिक को अपने स्मार्टफोन का उपयोग करके फोटो या वीडियो क्लिक करने में समर्थ बनाकर आदर्श आचार संहिता/निर्वाचन व्यय के उल्लंघन का समय-अंकित साक्ष्यपरक प्रमाण उपलब्ध कराता है। यह एप्लीकेशन जीआईएस प्रौद्योगिकी पर आधारित है और ऑटो लोकेशन की अनूठी विशेषता से काफी सही सूचना मिलती है जिसका उड़न दस्तों द्वारा घटना के सही स्थान पर दिकचालन करके जाने और तत्परतापूर्वक कार्रवाई करने के लिए अवलम्ब लिया जा सकता है। यह ऐप प्राधिकारियों द्वारा शीघ्र एवं कारगर कार्रवाई करने और प्रयोक्ताओं को 100 मिनट के भीतर वस्तुस्थिति रिपोर्टें उपलब्ध करवाने का आश्वासन देता है।
     
    यह एप्लीकेशन गूगल प्ले स्टोर और एपल स्‍टोर, दोनों पर उपलब्ध है।
     
    (vi)    अपने अभ्यर्थी को जानें (केवाईसी) ऐप:
    भारत निर्वाचन आयोग ने अभ्यर्थियों की "आपराधिक पूर्ववृत्त" स्थिति के बारे में जानकारी प्रदान करने के लिए एंड्रॉइड और आईओएस, दोनों प्लेटफार्मों के लिए अपने अभ्यर्थी को जानें (केवाईसी) एप्लीकेशन विकसित किए हैं। यह नागरिकों को आपराधिक पूर्ववृत्त वाले/आपराधिक पूर्ववृत्त रहित अभ्यर्थियों के बारे में जानकारी प्राप्त करने की सुविधा देता है और नागरिकों को अभ्यर्थियों के आपराधिक पूर्ववृत्त के बारे में  जानने का अधिकार देता है।
    अपने अभ्यर्थी को जानें (केवाईसी) ऐप गूगल प्ले स्टोर और एपल प्ले स्टोर दोनों पर उपलब्ध है।
     
    (vii)   मतदाता टर्नआउट ऐप:
          मतदाता टर्नआउट ऐप का उपयोग रिटर्निंग अधिकारी द्वारा पूर्व निर्धारित अंतरालों पर दर्ज किए गए प्रत्येक विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र/संसदीय निर्वाचन क्षेत्र का अनुमानित अनंतिम मतदाता टर्नआउट विवरण प्रदर्शित करने के लिए किया जाता है। इस एप्लीकेशन का उपयोग मीडिया द्वारा अनुमानित अनंतिम मतदाता टर्नआउट रूझानों को दर्ज करने के लिए भी किया जा सकता है। हांलाकि, इस बात को अवश्‍य समझा जाना चाहिए कि ये अनंतिम अनुमानित आंकड़ें हैं और अंतिम टर्नआउट आंकड़ें मतदान दलों के पहुंचने और कागजातों की संवीक्षा के बाद ही प्रकाशित किए जा सकते हैं। इस ऐप के माध्यम से निर्वाचनों के सभी चरणों के आंकड़ें प्रदर्शित किए जाते हैं। यह एप्लीकेशन गूगल प्ले स्टोर और एपल ऐप स्टोर दोनों पर उपलब्ध है।
          
    (viii)   परिणाम वेबसाइट और परिणाम रुझान टीवी:
    प्रामाणिक आंकड़ों का एक एकल स्रोत कायम करने के लिए चरण-वार सूचना का यथासमय प्रकाशन अत्यावश्यक हो जाता है। संबंधित रिटर्निंग अधिकारियों द्वारा दर्ज किया गया मतगणना डाटा, 'आयोग परिणाम वेबसाइट' https://result.eci.gov.in/ के माध्यम से जनता के अवलोकनार्थ 'रुझान और परिणाम' के रूप में उपलब्ध रहता है।
     
    ये परिणाम इन्‍फोग्राफिक्‍स के साथ दर्शाए जाते हैं और मतगणना हाल के बाहर अथवा किसी भी सार्वजनिक स्‍थान पर बड़े डिस्‍प्‍ले स्‍क्रीनों के जरिए ऑटो-स्‍क्रॉल पैनल के साथ प्रदर्शित किए जाते हैं।
     
    (ix)    सुविधा पोर्टल: यह पोर्टल ऑनलाइन नाम-निर्देशन, अनुमतियों आदि के लिए अभ्यर्थियों/राजनैतिक दलों को निम्नानुसार विभिन्न प्रकार की सुविधाएं प्रदान करता है-
     
    क)    अभ्यर्थी ऑनलाइन नामनिर्देशन:
    नामनिर्देशन दाखिल करने में सुविधा प्रदान करने के लिए निर्वाचन आयोग ने नामनिर्देशन एवं शपथपत्र दाखिल करने के लिए एक ऑनलाइन पोर्टल शुरू किया है। अभ्यर्थी https://suvidha.eci.gov.in/  पर जाकर अपना खाता बना सकता है, नामनिर्देशन प्ररूप भर सकता है, प्रतिभूति राशि जमा कर सकता है, समय स्लॉट की उपलब्धता की जांच कर सकता है और रिटर्निंग अधिकारी के यहां अपने विजिट की योजना उपयुक्‍त रूप से बना सकता है।
     
    ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से आवेदन दाखिल करने के उपरांत अभ्यर्थी को केवल प्रिंट लेकर, उसे नोटरीकृत करना होता है और संगत दस्तावेजों के साथ आवेदन को व्‍यक्‍तिश: रिटर्निंग अधिकारी को प्रस्तुत करना होता है।
     
    ऑनलाइन नाम-निर्देशन सुविधा, सहजता से और ठीक-ठीक नाम-निर्देशन दाखिल करने की एक वैकल्पिक सुविधा है। कानून के तहत यथाविहित नियमित ऑफलाइन रूप से जमा किए जाने की व्यवस्था जारी रहेगी।
     
    ख)    अभ्यर्थी अनुमतियां मॉड्यूल:
    अनुमति मॉड्यूल से अभ्यर्थी, राजनैतिक दल या अभ्यर्थी के कोई भी प्रतिनिधि सुविधा पोर्टल https://suvidha.eci.in/ के माध्यम से बैठकों, रैलियों, लाउडस्पीकरों, अस्थायी कार्यालयों और अन्य के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। अभ्यर्थी उसी पोर्टल के माध्यम से अपने आवेदन की स्थिति को भी ट्रैक कर सकते हैं।
     
    ग)     सुविधा अभ्यर्थी ऐप:
    कोविड को देखते हुए, आयोग ने निदेश दिया है कि जहां तक व्‍यवहार्य हो सके, बैठकों, रैलियों के लिए सार्वजनिक स्थानों का आबंटन, सुविधा ऐप का उपयोग करके ही किया जाना चाहिए। यह एप्लीकेशन निर्वाचनों के दौरान अभ्यर्थियों/राजनैतिक दलों/एजेंटों द्वारा गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड करने तथा नाम-निर्देशन और अनुमति स्थिति को ट्रैक करने के लिए उपलब्ध रहेगा।
     
    (x)    गरुड़ ऐप:
    गरुड़ (जियोग्रॉफिकल ऐसेट रिकानिसेंस यूनिफाईड डिजिटल ऐप) एप्लिकेशन को आयोग की इन-हाउस आईटी टीम द्वारा विकसित किया गया है, जिसका एकमात्र उद्देश्य बीएलओ के सभी कार्यों को एक स्थान/ऐप पर एकीकृत करके बीएलओ को सुविधा प्रदान करना है। यह एप्लिकेशन अखिल भारतीय आधार पर 09 अगस्त, 2021 को लॉन्च किया गया था। उक्त एप्लिकेशन के कुछ घटक निम्‍नलिखित हैं:
     
    (i)     बीएलओ द्वारा फील्ड सत्यापन
    (ii)    एएमएफ और ईएमएफ की सूचना एकत्रित करना
    (iii)    मतदान स्थल का जीआईएस निर्देशांक प्राप्त करना
    (iv)    बीएलओ द्वारा वास्तविक फोटो और पता कैप्चर किया जा सकता है
    (v)    निर्वाचकों की ओर से ऑनलाइन फॉर्म जमा करना
    (vi)    पीएसई/डीएसई द्वारा फील्ड सत्यापन
     
    यह गूगल प्ले और एप्पल ऐप स्टोर दोनों पर उपलब्ध है।
     
    (xi)    ईवीएम प्रबंधन प्रणाली (ईएमएस):
    ईवीएम प्रबंधन प्रणाली ईवीएम यूनिटों की मालसूची का प्रबंधन करने के लिए डिज़ाइन की गई है। ईवीएम प्रबंधन में एक निष्पक्ष और पारदर्शी प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण तरीकों में से एक तरीका मतदान केंद्रों में काम पर लगाए जाने से पहले मशीनों के यादृच्छिकीकरण (रैंडमाइजेशन) का प्रशासनिक प्रोटोकॉल है। यादृच्छिकीकरण पार्टियों के प्रतिनिधियों और केंद्रीय प्रेक्षकों की उपस्थिति में किया जाता है।
     
    (xii)   अभ्यर्थी शपथ पत्र पोर्टल:
    निर्वाचन लड़ने वाले अभ्यर्थियों की प्रोफाइल, नामनिर्देशन स्थिति और शपथ-पत्रों के साथ सम्पूर्ण सूची, अभ्यर्थी शपथ-पत्र पोर्टल: https://affidavit.eci.gov.in/  के माध्यम से जनता के देखने के लिए उपलब्ध होगी।
     
    (xiii)   सेवा मतदाता के लिए इलेक्ट्रॉनिक रूप से प्रेषित डाक मतपत्र प्रणाली (ईटीपीबीएस😞
    इलेक्ट्रॉनिक रूप से प्रेषित डाक मतपत्र प्रणाली (ईटीपीबीएस) सेवा मतदाताओं को इलेक्ट्रॉनिक साधनों के माध्यम से कोरे डाक मतपत्र प्रेषित करती है। सेवा मतदाता तब स्पीड पोस्ट के माध्यम से अपना मत भेज सकते हैं।
     
    (xiv)   बूथ ऐप:
    बूथ ऐप एनकोर एप्लीकेशन का एक एकीकृत ऐप है, जो निर्वाचकों की डिजिटल चिह्नित कॉपी से एन्क्रिप्टेड क्यूआर कोड का उपयोग करके मतदाताओं की तेजी से पहचान करने की सुविधा प्रदान करता है। यह कतार को कम करता है, मतदान करने की गति बढ़ाने में मदद करता है। इस एप्लीकेशन की विशेषताएं इस प्रकार हैं:
    (i)    क्यूआर कोड आधारित मतदाता पर्ची का उपयोग करके निर्वाचकों की तेजी से खोज करना
    (ii)    तत्काल पहचान
    यह ऐप गूगल प्ले स्टोर और एपल ऐप स्टोर दोनों पर उपलब्ध है।
          
    (xv)   एनकोर गणना:
    एन्कोर गणना एप्लीकेशन https://encore.eci.gov.in/ डाले गए मतों को डिजिटलीकृत करने, चरण-वार डेटा को तालिकाबद्ध करने और तदुपरांत मतगणना की विभिन्न सांविधिक रिपोर्टों को निकालने हेतु रिटर्निंग अधिकारी के लिए एंड-टु-एंड एप्लीकेशन है।
     
    29.    इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) और वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपैट):
    (i) इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) और वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपैट)
    निर्वाचन प्रक्रिया की पारदर्शिता और विश्‍वसनीयता बढ़ाने के लिए आयोग कर्नाटक विधान सभा के साधारण निर्वाचन में प्रत्‍येक मतदान केन्‍द्र में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के साथ वोटर वेरीफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल का उपयोग करेगा क्‍योंकि वीवीपैट से मतदाता अपना मत सत्‍यापित कर पाते हैं। निर्वाचनों के सुचारू संचालन के लिए पर्याप्त संख्या में ईवीएम और वीवीपैट की उपलब्धता सुनिश्‍चित करने के लिए पहले ही व्यवस्थाएं कर दी गई हैं।
     
    (ii)    ईवीएम और वीवीपैट पर जागरूकता
    जिला निर्वाचन अधिकारी कार्यालय एवं रिटर्निंग अधिकारी मुख्यालय/राजस्व उपखण्ड कार्यालयों में प्रत्यक्ष प्रदर्शन-सह-जागरूकता के लिए ईवीएम प्रदर्शन केन्द्र स्थापित किये गये हैं। ईवीएम और वीवीपैट के उपयोग के बारे में जागरूकता पैदा करने हेतु सभी मतदान स्थलों को कवर करने के लिए मोबाइल प्रदर्शन वैन तैनात की गई हैं। ये निर्वाचन की घोषणा तक चालू रहेंगी, जबकि घोषणा के बाद डिजिटल आउटरीच बढ़ाया जाएगा।
     
    (iii)    ईवीएम और वीवीपैट का यादृच्‍छिकीकरण
    कोई भी निश्‍चित आवंटन की संभावना समाप्‍त करने के लिए ईवीएम/वीवीपैट को विधान सभा के लिए और फिर किसी मतदान बूथ के लिए आबंटन करते समय “ईवीएम प्रबंधन प्रणाली (ईएमएस)” का उपयोग करके दो बार यादृच्छिकीकृत किया जाता है। यादृच्छिकीकृत ईवीएम/वीवीपैट की सूची राजनैतिक दलों/अभ्यर्थियों के साथ भी साझा की जाती है।
     
    (iv)    ईवीएम और वीवीपैट को चालू करना (कमीशनिंग)  
    निर्वाचन लड़ने वाले अभ्‍यर्थियों की सूची को अंतिम रूप दिए जाने के उपरांत, निर्वाचन लड़ने वाले अभ्‍यर्थियों/उनके प्रतिनिधियों की उपस्थिति में ईवीएम और वीवीपैट की कमीशनिंग (अभ्‍यर्थी सेटिंग) की जाती है। इस प्रक्रिया में और अधिक पारदर्शिता के लिए कमीशनिंग हॉल में टीवी/मॉनिटर संस्थापित किए जाएंगे ताकि अभ्यर्थी/उनके प्रतिनिधि वीवीपैट में प्रतीकों की प्रविष्टि को साथ-साथ देख सकें। ईवीएम और वीवीपैट की कमीशनिंग (अभ्‍यर्थी सेटिंग) के उपरांत प्रत्‍येक ईवीएम और वीवीपैट में नोटा सहित प्रत्‍येक अभ्‍यर्थी को एक मत देकर छद्म मतदान किया जाता है। इसके अलावा, यादृच्‍छिक रूप से चयनित 5% ईवीएम और वीवीपैट में 1000 मतों का छद्म मतदान (मॉक पोल) किया जाता है। इलेक्ट्रॉनिक परिणाम का मिलान पेपर गिनती के साथ किया जाता है।
     
    (v)    मतदान के दिन छद्म मतदान
    (क)    मतदान वाले दिन, वास्‍तविक मतदान के प्रारंभ होने से 90 मिनट पहले प्रत्‍येक मतदान केन्‍द्र पर अभ्‍यर्थियों के मतदान अभिकर्ताओं की उपस्थिति में कम से कम 50 मत डालकर छद्म मतदान आयोजित किया जाता है और कंट्रोल यूनिट के इलेक्ट्रॉनिक परिणाम एवं वीवीपैट पर्चियों की गणना का मिलान करके उन्‍हें दिखाया जाता है। पीठासीन अधिकारियों द्वारा पीठासीन अधिकारी की रिपोर्ट में छद्म मतदान के सफल संचालन का एक प्रमाणपत्र तैयार किया जाएगा।
     
    (ख)    छद्म मतदान होने के तुरंत बाद, कंट्रोल यूनिट (सीयू) पर क्लियर बटन को दबाया जाता है जिससे छद्म मतदान का डाटा क्लियर हो जाए और इस तथ्‍य को उपस्थित मतदान अभिकर्ताओं को प्रदर्शित किया जाता है कि कंट्रोल यूनिट में कोई वोट दर्ज नहीं है। पीठासीन अधिकारी यह भी सुनिश्चित करेंगे कि मतदान आरंभ होने से पहले सभी छद्म मतदान पर्चियां वीवीपैट से बाहर निकाली जाएं और उन्‍हें एक अलग चिह्नित लिफाफे में रख दिया जाए।
     
    (ग)    छद्म मतदान के बाद, वास्तविक मतदान शुरू करने से पहले ईवीएम और वीवीपैट को मतदान अभिकर्ताओं की उपस्थिति में सीलबंद किया जाता है और सील पर मतदान अभिकर्ताओं के हस्ताक्षर लिए जाते हैं।
     
    (vi)    मतदान का दिन और मतदान में प्रयुक्त ईवीएम और वीवीपैट का स्‍ट्रांग रूम में भंडारण
    (क)      मतदान के दिन, डाले गए कुल मतों, सील (विशिष्‍ट नंबर), मतदान केंद्रों में प्रयुक्त ईवीएम और वीवीपैट की क्रम संख्याओं के विवरण वाले प्ररूप 17ग की एक प्रति अभ्‍यर्थियों के मतदान अभिकर्ताओं को प्रदान की जाती है।
    (ख)    मतदान समाप्‍त होने के बाद, ईवीएम और वीवीपैट मतदान अभिकर्ताओं की उपस्थिति में उनके संबंधित कैरेईंग केसों में सीलबंद की जाती हैं और सील पर मतदान अभिकर्ताओं के हस्‍ताक्षर लिए जाते हैं।
    (ग)    मतदान में प्रयुक्त ईवीएम और वीवीपैट अभ्‍यर्थियों/उनके प्रतिनिधियों की उपस्थिति में वीडियोग्राफी के साथ डबल लॉक सिस्टम में स्‍ट्रांग रूम में स्‍टोर करने के लिए अनुरक्षा के साथ वापस ले जाई जाती हैं।
    (घ)      अभ्‍यर्थी या उनके प्रतिनिधि स्‍ट्रांग रूम के सामने ठहर भी सकते हैं। इन स्‍ट्रांग रूम की सीसीटीवी सुविधाओं के साथ कई स्‍तरों में 24X7 पहरेदारी की जाती है।
     
    (vii)   मतगणना केंद्रों पर मतों की गणना
    (क)      मतगणना के दिन स्ट्रांग रूम वीडियोग्राफी के साथ अभ्यर्थियों, आरओ और प्रेक्षक की उपस्थिति में खोला जाता है।
    (ख)      मतयुक्त ईवीएम सीसीटीवी कवरेज में सुरक्षा के अधीन और अभ्‍यर्थियों/उनके अभिकर्ताओं की उपस्थिति में मतगणना केंद्रों तक ले जाई जाती हैं।
    (ग)      सीसीटीवी की निरंतर निगरानी में राउंड-वार सीयू स्‍ट्रांग रूम से मतगणना टेबलों पर लाई जाती हैं।
    (घ)      मतगणना के दिन, कंट्रोल यूनिट से परिणाम प्राप्त करने से पहले अभ्यर्थियों द्वारा प्रतिनियुक्त मतगणना अभिकर्ताओं के समक्ष सील का सत्‍यापन किया जाता है और सीयू की विशिष्‍ट क्रम संख्याओं का मिलान किया जाता है।
    (ङ)       मतगणना के दिन, मतगणना अभिकर्ता सीयू पर प्रदर्शित डाले गए मतों का प्ररूप 17ग पर दर्ज विवरण के साथ सत्‍यापन कर सकते हैं। अभ्‍यर्थी-वार पड़े मत प्ररूप 17ग के भाग-।। में अभिलिखित किए जाते हैं और उस पर मतगणना अभिकर्ताओं के हस्‍ताक्षर प्राप्त किए जाते हैं।
    (च)      निर्वाचन याचिका अवधि के समाप्त होने तक ईवीएम और वीवीपैट को अभ्‍यर्थियों/उनके प्रतिनिधियों की उपस्थिति में स्‍ट्रांग रूम में वापस स्टोर किया जाता है।
     
    (viii)  वीवीपैट पेपर पर्चियों का अनिवार्य सत्‍यापन-
    भारत के माननीय उच्‍चतम न्‍यायालय के आदेश दिनांक 08 अप्रैल, 2019 के अनुसरण में आयोग ने यह भी अधिदेश दिया है कि रिटर्निंग अधिकारी द्वारा कर्नाटक विधान सभा के प्रत्‍येक निर्वाचन-क्षेत्र में यादृच्छिक रूप से चयनित पांच (5) मतदान केन्‍द्रों की वीवीपैट पर्चियों की गणना ड्रा ऑफ लॉट के माध्यम से अभ्यर्थियों की उपस्थिति में की जाएगी ताकि कंट्रोल यूनिट से प्राप्त परिणाम का सत्‍यापन किया जा सके। प्रत्‍येक विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र में पांच (5) मतदान केन्‍द्रों की वीवीपैट पर्ची गणना का यह अनिवार्य सत्‍यापन, निर्वाचनों का संचालन नियम, 1961 के नियम 56(घ) के उपबंधों के अतिरिक्‍त होगा।
     
    (ix)    ईवीएम, वीवीपैट और डाक मतपत्र में ‘इनमें से कोई नहीं’ (नोटा) का विकल्‍प:
    हमेशा की तरह, निर्वाचनों के लिए ‘इनमें से कोई नहीं’ का विकल्‍प होगा। बैलेट यूनिटों में अंतिम अभ्‍यर्थी के नाम के नीचे ‘नोटा’ विकल्‍प का बटन होगा ताकि वे निर्वाचक जो किसी भी अभ्‍यर्थी को वोट नहीं देना चाहते, ‘नोटा’ के सामने का बटन दबाकर अपने विकल्‍प का प्रयोग कर सकें। इसी प्रकार से, डाक मतपत्रों पर भी अंतिम अभ्‍यर्थी के नाम के बाद नोटा पैनल भी होगा। नोटा पैनल के सामने निम्नलिखित रूप में नोटा प्रतीक मुद्रित होगा।
    file:///C:/Users/PUSHPE~1/AppData/Local/Temp/msohtmlclip1/01/clip_image002.jpg
     
     
    स्‍वीप के भाग के रूप में, इस विकल्‍प को मतदाताओं और अन्य सभी हितधारकों की जानकारी में लाने के लिए जागरूकता कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं।
     
    (x)    ईवीएम बैलेट पेपर पर अभ्यर्थियों की तस्वीर
    निर्वाचकों को अभ्यर्थियों की पहचान करने में सुविधा प्रदान करने के लिए, आयोग ने ईवीएम (बैलेट यूनिट) पर प्रदर्शित किए जाने वाले मतपत्र और डाक मतपत्र पेपर पर भी अभ्यर्थी की तस्वीर छापने के प्रावधान को जोड़कर एक अतिरिक्त उपाय विहित किया है। यह उस स्थिति में किसी भी भ्रम से बचाने में मदद करेगा, जब समान या लगभग समान नामों वाले अभ्यर्थी एक ही निर्वाचन क्षेत्र से निर्वाचन लड़ते हैं। इस प्रयोजन के लिए, अभ्यर्थियों के लिए अपेक्षित है कि वे आयोग द्वारा निर्धारित विनिर्देशों के अनुसार, रिटर्निंग ऑफिसर को अपना हाल का स्टैम्प साइज फोटोग्राफ प्रस्तुत करें।
     
    30.    मतदान कार्मिक की तैनाती और यादृच्छिकीकरणः
    (क)    मतदान दलों का गठन विशेष यादृच्छिकीकरण आईटी एप्‍लीकेशन के माध्यम से, यादृच्छिक रूप से किया जाएगा।
    (ख)    पुलिस कार्मिक तथा होम गार्ड भी, जिन्हें मतदान दिवस को मतदान केन्द्रों में तैनात किया जाता है, के लिए भी ऐसा यादृच्छिकीकरण किया जाएगा।
     
    31.    पदाधिकारियों का आचरण:
    आयोग, निर्वाचनों के संचालन में कार्यरत सभी अधिकारियों से यह अपेक्षा करता है कि वे अपने कर्तव्यों का निष्पक्ष रूप से बिना किसी भय या पक्षपात के निर्वहन करें। उन्हें आयोग में प्रतिनियुक्ति पर माना जाता है और वे आयोग के नियंत्रण, पर्यवेक्षण और अनुशासन के अध्यधीन होंगे। उन सभी सरकारी अधिकारियों का आचरण, जिन्हें निर्वाचन संबंधी जिम्मेदारी और कर्तव्य सौंपे गए हैं, निरंतर आयोग की संवीक्षा के अधीन रहेगा तथा उन अधिकारियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवार्इ की जाएगी जिनके कार्य निष्पादन में किसी भी प्रकार की कमी पार्इ जाएगी।
     
    32.    कोविड दिशानिर्देश-
    आयोग द्वारा साधारण निर्वाचन और उप-निर्वाचनों के संचालन के दौरान अनुपालन किए जाने वाले कोविड दिशानिर्देश जारी किए गए हैं जो आयोग की वेबसाइट पर लिंक- https://eci.gov.in/files/file/14492-covid-guidelines-for-general-electionbye-elections-to-legislative-assemblies-reg/. पर उपलब्ध हैं।
     
    इसके अलावा, यह निदेश दिया गया है कि निर्वाचन सामग्री का वितरण और संग्रह-
    (i)     निर्वाचन सामग्री के वितरण/संग्रह के लिए बड़े हॉल/जगह में किया जाए।
    (ii)    जहां तक व्यवहार्य हो, इसे विकेन्द्रीकृत रूप में किया जाए।
    (iii)    भीड़ से बचने के लिए निर्वाचन सामग्री के वितरण/संग्रह के लिए पहले से सूचित और सांतरित समयावधि आबंटित की जाए।
     
    33.    साधारण निर्वाचनों का कार्यक्रम
    आयोग ने राज्यों में जलवायु की स्थिति, शैक्षणिक कैलेंडर, बोर्ड परीक्षा, प्रमुख त्यौहारों, कानून और नाम-निर्देशन नाम-निर्देशन व्यवस्था की मौजूदा स्थिति, केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों की उपलब्धता, बलों का मूवमेंट, ट्रांसपोर्टेशन और समयबद्ध तैनाती हेतु अपेक्षित समय जैसे सभी संगत पहलुओं पर विचार करने तथा अन्य संगत जमीनी हकीकतों का गहन आकलन करने के उपरांत कर्नाटक विधान सभा का साधारण निर्वाचन आयोजित करने के लिए कार्यक्रम तैयार किया है।
     
    सभी संगत पहलुओं पर विचार करने के उपरांत आयोग ने कर्नाटक राज्य के माननीय राज्यपाल को अनुबंध-1 के अनुसार लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के संगत प्रावधानों के अंतर्गत साधारण निर्वाचन के लिए अधिसूचना जारी करने हेतु सिफारिश करने का निर्णय लिया है।
     
    आयोग निर्वाचन प्रक्रिया में सभी सम्मानित हितधारकों का सक्रिय सहयोग, घनिष्ठ भागीदारी और रचनात्मक साझेदारी चाहता है और कर्नाटक में सुचारू, स्वतंत्र, निष्पक्ष, शांतिपूर्ण, सहभागी और उल्लासपूर्ण साधारण निर्वाचन, 2023 संपन्न कराने में समवेत प्रयासों का उपयोग करना चाहता है।
     
    कर्नाटक विधान सभा के साधारण निर्वाचन का कार्यक्रम
     
    मतदान कार्यक्रम
    कर्नाटक
    (सभी 224 विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र)
    राजपत्र अधिसूचना जारी करने की तिथि
    13.04.2023
    (गुरुवार)
    नामनिर्देशन करने की अंतिम तारीख
    20.04.2023
    (गुरुवार)
    नाम-निर्देशनों की संवीक्षा की तारीख
    21.04.2023
    (शुक्रवार)
    अभ्यर्थिताएं वापस लेने की अंतिम तारीख
    24.04.2023
    (सोमवार)
    मतदान की तारीख
    10.05.2023
    (बुधवार)
    मतगणना की तारीख
    13.05.2023
    (शनिवार)
    वह तारीख जिसके पहले निर्वाचन सम्‍पन्‍न कर लिया जाएगा
    15.05.2023
    (सोमवार)
     
     
     
     

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    फ़ाइल सबमिट की गई Friday 28 April 2023

  22. कर्नाटक विधान सभा के लिए साधारण निर्वाचन, 2023-राष्ट्रीय/राज्यीय राजनैतिक दलों को रेडियो/दूरदर्शन प्रसारण के समय का आबंटन-तत्संबंधी।

    सं. ईसीआई/पीएन/27/2023/संचार   
     दिनांक: 13 अप्रैल, 2023
     
    प्रेस नोट
       कर्नाटक विधान सभा के लिए साधारण निर्वाचन, 2023 में राष्‍ट्रीय/राज्‍यीय राजनैतिक दलों को रेडियो/दूरदर्शन प्रसारण के समय के आबंटन के संबंध में आयोग द्वारा जारी दिनांक 13 अप्रैल, 2023 के आदेश सं. 437/टीए-एलए/2/2023/संचार की एक प्रति जन साधारण के सूचनार्थ संलग्‍न है।
     
     
    आदेश 
         वर्ष 1998 में लोक सभा के साधारण निर्वाचनों के समय, आयोग ने दिनांक 16 जनवरी, 1998 के अपने आदेश के संदर्भ में राज्य के स्वामित्व वाले टेलीविजन तथा रेडियो के निःशुल्क प्रयोग के माध्यम से मान्यताप्राप्त राजनैतिक दलों के राज्यीय वित्त पोषण के लिए, निदेशों के अधीन एक नई पहल की थी। तत्पश्चात, उक्त योजना को वर्ष 1998 के पश्‍चात होने वाले राज्य विधान सभाओं के सभी साधारण निर्वाचनों और लोक सभा साधारण निर्वाचन 1999, 2004, 2009, 2014 तथा 2019 तक विस्तारित कर दिया गया था।
         ''निर्वाचन तथा अन्य संबंधित विधि (संशोधन) अधिनियम, 2003’’ और उसके अधीन अधिसूचित नियमों के तहत लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 में संशोधनों के साथ, इलेक्‍ट्रॉनिक मीडिया पर मान्यता प्राप्त राजनैतिक दलों द्वारा प्रचार के लिए समय की न्यायसंगत हिस्सेदारी अब सांविधिक आधार है। लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 39क के नीचे के स्पष्‍टीकरण के खंड(क) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, केंद्र सरकार ने ऐसी सभी प्रसारण मीडिया जो केन्द्रीय सरकार के स्वामित्व में या उसके द्वारा नियन्त्रित या उसके द्वारा पूर्णतः अथवा आंशिक रूप में उपलब्ध करवाई गई निधियों से वित्त पोषित हैं, को उस धारा के प्रयोजनार्थ इलेक्‍ट्रॉनिक मीडिया के रूप में अधिसूचित किया है। अतः, आयोग ने प्रसार भारती निगम के माध्यम से इलेक्‍ट्रॉनिक मीडिया पर समय की न्यायोचित हिस्सेदारी की उक्त योजना को कर्नाटक विधान सभा के आगामी साधारण निर्वाचन, 2023 पर भी इसे लागू करने का निर्णय लिया है।
         कर्नाटक में रेडियो प्रसारण समय और दूरदर्शन प्रसारण समय के प्रयोग की सुविधा केवल 'राष्‍ट्रीय दलों’ और 'मान्‍यताप्राप्‍त राज्‍यीय दलों' को प्राप्त है।
     
     
     
     
    इस योजना की मुख्य विशेषताएं निम्नानुसार हैं:
    1.    ये सुविधाएं आकाशवाणी और दूरदर्शन के प्रादेशिक केन्द्रों में उपलब्ध होंगी और कर्नाटक के अन्दर अन्य स्टेशनों द्वारा प्रसारित की जाएंगी।
    दूरदर्शन प्रसारण/रेडियो प्रसारण हेतु आबंटित समय:
    2.    कर्नाटक में दूरदर्शन नेटवर्क और आकाशवाणी (ऑल इंडिया रेडियो) नेटवर्क के प्रादेशिक केन्द्रों पर क्रमशः कर्नाटक में प्रत्येक राष्‍ट्रीय दल तथा 'मान्यताप्राप्त राज्यीय दलों' को एकसमान 45 मिनट का बेस टाइम दिया जाएगा।
    3.    दलों को आबंटित किए जाने वाले अतिरिक्त समय के बारे में निर्णय कर्नाटक के पिछले विधान सभा निर्वाचन, 2018 में दलों के प्रदर्शन के आधार पर लिया गया है।
    4.    प्रसारण के एकल सत्र में, किसी भी दल को 15 मिनट से अधिक का समय आबंटित नहीं किया जाएगा।
    दूरदर्शन प्रसारण/रेडियो प्रसारण की तारीख:
    5.    रेडियो प्रसारण और दूरदर्शन प्रसारण की अवधि, निर्वाचन के लिए निर्वाचन लड़ने वाले अभ्यर्थियों की सूची के प्रकाशन की तारीख और कर्नाटक में मतदान की तारीख से दो दिन पहले के बीच की अवधि होगी।
    6.    प्रसार भारती निगम, आयोग के परामर्श से रेडियो प्रसारण और दूरदर्शन प्रसारण हेतु वास्तविक तारीख और समय का निर्धारण करेगा। यह दूरदर्शन तथा आकाशवाणी (ऑल इंडिया रेडियो) के पास उपलब्ध वास्तविक प्रसारण समय को शासित करने वाले व्यापक तकनीकी प्रतिबंध के अध्यधीन होगा।
    अग्रिम रूप से प्रतिलिपि प्रस्तुत करना:
    7.    दूरदर्शन प्रसारण और रेडियों प्रसारण हेतु आयोग द्वारा निर्धारित दिशा-निर्देशों का कड़ाई से अनुपालन किया जाएगा। दलों से यह अपेक्षा की जाएगी कि वे प्रतिलिपि और रिकॉर्डिंग को अग्रिम रूप से प्रस्तुत करें। दल इसे प्रसार भारती निगम द्वारा निर्धारित तकनीकी मानकों को पूरा करने वाले स्टूडियो में या दूरदर्शन/ऑल इंडिया रेडियो केन्द्रों में अपनी लागत पर रिकॉर्ड करवा सकते हैं। विकल्प के रूप में वे अग्रिम अनुरोध द्वारा दूरदर्शन और ऑल इंडिया रेडियो पर भी रिकॉर्ड करवा सकते हैं। ऐसे मामलों में, ये रिकार्डिंग दूरदर्शन/ऑल इंडिया रेडियो द्वारा अग्रिम रूप से इंगित समय पर की जाएंगी।
    पैनल परिचर्चा और वाद-विवाद:
    8.    दलों द्वारा प्रसारण के अतिरिक्त, प्रसार भारती निगम दूरदर्शन/ऑल इंडिया रेडियो के केन्द्रों/स्टेशनों पर अधिकतम दो पैनल परिचर्चाएं और/या वाद-विवाद आयोजित करवाएगा। ऐसे कार्यक्रम के लिए प्रत्येक पात्र दल अपना एक प्रतिनिधि नियुक्त कर सकता है।
    9.    भारत निर्वाचन आयोग प्रसार भारती निगम के परामर्श से ऐसी पैनल परिचर्चाओं और वाद-विवाद के लिए संयोजकों के नामों का अनुमोदन करेगा।
    प्रसारण/रेडियो प्रसारण में अनुपालन हेतु दिशा-निर्देश:
    10.   दूरदर्शन/ऑल इंडिया रेडियो पर निम्नलिखित दूरदर्शन प्रसारण/रेडियों प्रसारण अनुमत्‍य नहीं होंगेः
    (क)   अन्य देशों की निंदा;
    (ख)   धर्मों या समुदायों पर हमला;
    (ग)   कुछ भी अश्‍लील या अपमानजनक;
    (घ)   हिंसा भड़काना;
    (ङ)    ऐसा कुछ, जिससे न्यायालय की अवमानना हो;
    (च)   राष्‍ट्रपति और न्यायपालिका की सत्यनिष्‍ठा के प्रति निन्दा;
    (छ)   ऐसा कुछ भी, जो देश की एकता, सम्प्रभुता और अखण्डता को प्रभावित करता हो;
    (ज)   किसी व्यक्ति का नाम लेकर कोई आलोचना;
     
    दलों के लिए टाइम वाउचर्स:
    11.   1 मिनट से 4 मिनट तक के समय आबंटन के एक वाउचर सहित टाइम वाउचर्स 5 मिनट के समय वर्ग में उपलब्ध होंगे और दल उसे अपनी सुविधानुसार मिलाने के लिए स्वतन्त्र होंगे। विभिन्न राजनैतिक दलों को समय का आबंटन इसके साथ संलग्‍न विवरण में दिया गया है।
     
     
     
     
    कर्नाटक राज्‍य विधान सभा के लिए साधारण निर्वाचन, 2023
    दूरदर्शन/आकाशवाणी (ऑल इंडिया रेडियो) के प्रादेशिक केन्द्रों/राज्यीय राजधानी केन्द्रों पर राष्‍ट्रीय दलों/राज्यीय दलों के लिए उपलब्ध समय
    राज्य/संघ राज्य-क्षेत्र का नाम
    राष्‍ट्रीय/ राज्यीय दल का नाम
    कुल आबंटित समय, मिनटों में
    जारी किए गए टाइम वाउचरों की संख्या
     
     
     
    रेडियो प्रसारण
    दूरदर्शन प्रसारण
    रेडियो प्रसारण
    दूरदर्शन प्रसारण    
     
     
     
     
     
    कर्नाटक
    आप
    45
    45
    9 (प्रत्‍येक 5 मिनट)
    9 (प्रत्‍येक 5 मिनट)
    बी एस पी
    46
    46
    9 (प्रत्‍येक 5 मिनट) +1 (1मिनट)
    9 (प्रत्‍येक 5 मिनट) +1 (1मिनट)
    बी जे पी
     
    167
    167
    33 (प्रत्‍येक 5 मिनट) +1 (2 मिनट)
    33 (प्रत्‍येक 5 मिनट)+1 (2 मिनट)
    सी पी आई
    (एम)
    46
    46
    9 (प्रत्‍येक 5 मिनट)+ 1 (1 मिनट)
    9 (प्रत्‍येक 5 मिनट)+ 1 (1 मिनट)
    आई एन सी
    174
    174
    34 (प्रत्‍येक 5 मिनट)+1 (4 मिनट)
    34 (प्रत्‍येक 5 मिनट)+1 (4 मिनट)
    एन पी पी
    45
    45
    9 (प्रत्‍येक 5 मिनट)
    9 (प्रत्‍येक 5 मिनट)
    जेडी (एस)
    107
    107
    21 (प्रत्‍येक 5 मिनट) +1 (2 मिनट)
    21 (प्रत्‍येक 5 मिनट) +1 (2 मिनट)
    कुल
    630
    630
    630
    630
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
    राजनैतिक दलों की सूची
    राष्ट्रीय दलः
    क्रम सं.
    संक्षिप्त नाम
    दल का नाम
    1.    
    आप
    आम आदमी पार्टी
    2.    
    बी एस पी
    बहुजन समाज पार्टी
    3.    
    बी जे पी
    भारतीय जनता पार्टी
    4.    
    सी पी आई(एम)
    कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्ससिस्ट)
    5.    
    आई एन सी
    इंडियन नेशनल काँग्रेस
    6.    
    एन पी पी
    नेशनल पीपल्स पार्टी
     
    राज्यीय दलः
    क्रम सं.
    संक्षिप्त नाम
    दल का नाम
    1
    जेडी (एस)
    जनता दल (सेक्युलर)

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    फ़ाइल सबमिट की गई Tuesday 18 April 2023

  23. पंजाब के संसदीय निर्वाचन क्षेत्र में 1 (एक) और ओडिशा तथा उत्तर प्रदेश के विधान सभा निर्वाचन क्षेत्रों में 3 (तीन) एवं मेघालय में 1 (एक) स्थगित हुए मतदान से उत्पन्न रिक्तियों को भरने के लिए उप-निर्वाचन हेतु कार्यक्रम

    सं. ईसीआई/पीएन/25/2023                                           
    दिनांक:  29 मार्च, 2023
     
    प्रेस नोट
     
    विषय:  पंजाब के संसदीय निर्वाचन क्षेत्र में 1 (एक) और ओडिशा तथा उत्तर प्रदेश के विधान सभा निर्वाचन क्षेत्रों में 3 (तीन) एवं मेघालय में 1 (एक) स्थगित हुए मतदान से उत्पन्न रिक्तियों को भरने के लिए उप-निर्वाचन हेतु कार्यक्रम – तत्संबंधी
     
           आयोग ने पंजाब के संसदीय निर्वाचन क्षेत्र में 1 (एक) और ओडिशा, उत्तर प्रदेश एवं मेघालय के निम्नलिखित 4 (चार) विधान सभा निर्वाचन क्षेत्रों में रिक्तियों को भरने के लिए उप-निर्वाचन आयोजित कराने का निर्णय लिया है-
     
     
    क्र. सं.
    राज्य/संघ राज्य क्षेत्र का नाम
    संसदीय/विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र
    की सं. एवं नाम
    रिक्ति का कारण
    1.
    पंजाब
    04-जालंधर (अ.जा.) संसदीय निर्वाचन क्षेत्र
    श्री संतोख सिंह चौधरी की मृत्यु
    2.
    ओडिशा
    07-झारसुगुडा विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र
    श्री नब किशोर दास की मृत्यु
    3.
    उत्‍तर प्रदेश
    395-छानबे (अ.जा.) विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र
    श्री राहुल प्रकाश कोल की मृत्यु
    4.
    उत्‍तर प्रदेश
    34-स्वार विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र
    श्री मोहम्मद अब्दुल्ला आज़म खान की निरर्हता
    5.
    मेघालय
    23-सोहिंआंग (अ.ज.जा.) विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र
    यूनाइटेड डेमोक्रेटिक पार्टी (यूडीपी) के निर्वाचन लड़ रहे अभ्यर्थी की मृत्यु के कारण मतदान स्थगित
     
    उप निर्वाचन का और मेघालय में स्थगित हुए मतदान हेतु निर्वाचन का कार्यक्रम निम्‍नानुसार है:
     
    संसदीय/विधान सभा निर्वाचन क्षेत्रों के लिए उप-निर्वाचन एवं मेघालय में स्थगित हुए मतदान हेतु निर्वाचन का कार्यक्रम
    मतदान घटनाक्रम
    कार्यक्रम
    राजपत्र अधिसूचना जारी होने की तारीख
    13.04.2023
    (गुरुवार)
    नाम-निर्देशनों की अंतिम तारीख
    20.04.2023
    (गुरुवार)
    नाम-निर्देशनों की संवीक्षा की तारीख
    21.04.2023
    (शुक्रवार)
    अभ्यर्थिताएं वापस लेने की अंतिम तारीख
    24.04.2023
    (सोमवार)
     
     
    मतदान की तारीख
    10.05.2023
    (बुधवार)
    मतगणना की तारीख
    13.05.2023
    (शनिवार)
    वह तारीख जिसके पहले निर्वाचन संपन्न करा लिया जाएगा
    15.05.2023
    (सोमवार)
     
    1.        निर्वाचक नामावली
           उपर्युक्त विधान सभा निर्वाचन क्षेत्रों के लिए निर्वाचक नामावलियां अर्हक तिथि के रूप में दिनांक 01.01.2023 के साथ अंतिम तौर पर दिनांक 5 जनवरी, 2023 को प्रकाशित की गईं और नाम-निर्देशन करने की अंतिम तिथि तक अद्यतनीकृत निर्वाचक नामावलियों को इन निर्वाचनों के लिए इस्‍तेमाल किया जाएगा।
     
    2.     इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) और वीवीपैट
           आयोग ने सभी मतदान केंद्रों पर उप-निर्वाचनों में ईवीएम और वीवीपैट का उपयोग करने का निर्णय लिया है। पर्याप्त संख्या में ईवीएम और वीवीपैट उपलब्ध करवा दिए गए हैं और यह सुनिश्चित करने के लिए सभी कदम उठाए गए हैं कि इन मशीनों की सहायता से निर्वाचन सुचारू रूप से संचालित कर लिए जाएं।
     
    3.     मतदाताओं की पहचान -
    किसी मतदाता की पहचान के लिए निर्वाचक फोटो पहचान पत्र (एपिक) मुख्य दस्तावेज होगा। हालांकि, नीचे उल्लिखित पहचान दस्तावेजों में से कोई दस्तावेज भी मतदान केंद्र पर दिखाया जा सकता है:
        i.     आधार कार्ड,
       ii.     मनरेगा जॉब कार्ड,
      iii.     बैंक/डाकघर द्वारा जारी फोटोयुक्‍त पासबुक,
      iv.     श्रम मंत्रालय की स्‍कीम के अंतर्गत जारी स्‍वास्‍थ्‍य बीमा स्‍मार्ट कार्ड,
       v.     ड्राइविंग लाइसेंस
      vi.     पैन कार्ड
      vii.     एनपीआर के तहत आरजीआई द्वारा जारी स्‍मार्ट कार्ड
     viii.     भारतीय पासपोर्ट
      ix.     फोटोयुक्‍त पेंशन दस्‍तावेज
       x.     केन्द्रीय/राज्य सरकार/सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों/पब्लिक लिमिटेड कम्‍पनियों द्वारा कर्मचारियों को जारी फोटोयुक्‍त सेवा पहचान पत्र, और
      xi.     सांसदों/विधायकों/विधान परिषद सदस्‍यों को जारी अधिकारिक पहचान पत्र
      xii.     विशिष्ट दिव्यांगता आईडी (यूडीआईडी) कार्ड, सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय, भारत सरकार 
    4.     आदर्श आचार संहिता
           आयोग के अनुदेश सं. 437/6/अनु./2016-सीसीएस, दिनांक 29 जून, 2017 (आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध) के जरिए यथा-जारी आंशिक संशोधन के अध्यधीन आदर्श आचार संहिता उस जिले (जिलों) में तत्काल प्रभाव से लागू हो जाएगी जिसमें निर्वाचन कराए जाने वाले विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र का पूरा या कोई भाग शामिल हो।
     
     
     
    5.     आपराधिक पूर्ववृत्त संबंधी सूचना
    आपराधिक पूर्ववृत्त वाले अभ्‍यर्थियों के लिए अपेक्षित है कि वे प्रचार अवधि के दौरान तीन अवसरों पर समाचार पत्रों में और टेलीविजन चैनलों के माध्यम से इस संबंध में सूचना प्रकाशित करें।
    कोई राजनैतिक दल, जो आपराधिक पूर्ववृत्तों वाले अभ्‍यर्थियों को खड़ा करता है, उसके लिए भी यह अपेक्षित है कि वह अपने अभ्‍यर्थियों की आपराधिक पृष्‍ठभूमि के बारे में तीन अवसरों पर अपनी वेबसाइट के साथ-साथ समाचार-पत्रों और टेलीविजन चैनलों में भी सूचना प्रकाशित करे।
     
    आयोग ने अपने पत्र, सं. 3/4/2019/एसडीआर/खंड lV, दिनांक 16 सितंबर, 2020 के जरिए यह निदेश दिया है कि विनिर्दिष्ट अवधि का निर्णय तीन ब्लॉकों के साथ निम्नलिखित तरीके से किया जाएगा ताकि निर्वाचकों के पास ऐसे अभ्यर्थियों की पृष्‍ठभूमि के बारे में जानने का पर्याप्त समय हो :
     
    क.     अभ्यर्थिता वापस लेने के प्रथम 4 दिनों के भीतर
    ख.    आगामी 5वें से 8वें दिनों के बीच
    ग.     9वें दिन से प्रचार अभियान के अंतिम दिन तक (मतदान की तारीख से पूर्व का दूसरा दिन)
     
    (उदाहरण: यदि अभ्यर्थिता वापस लेने की अंतिम तिथि महीने का 10वां दिन है और मतदान महीने के 24वें दिन है तो घोषणा के प्रकाशन के लिए पहला ब्लॉक महीने के 11वें और 14वें दिन के बीच, दूसरा और तीसरा ब्लॉक क्रमश: महीने के 15वें एवं 18वें दिन के बीच और 19वें एवं 22वें दिन के बीच होगा)
    यह वर्ष 2015 की रिट याचिका (सिविल) सं. 784 (लोक प्रहरी बनाम भारत संघ और अन्य) में और वर्ष 2011 की रिट याचिका (सिविल) सं. 536 (पब्लिक इंटरेस्ट फाउंडेशन एवं अन्य बनाम भारत संघ और एक अन्य) में माननीय उच्‍चतम न्यायालय के निर्णय के अनुसरण में अपेक्षित है।
    यह सूचना ''अपने अभ्‍यर्थी को जानिए'' शीर्षक वाले एक ऐप पर भी उपलब्‍ध होगी।
     
    6.     उप-निर्वाचन के दौरान कोविड संबंधी प्रबंधन
           देशभर में कोविड की स्थिति में हुए समग्र सुधार को देखते हुए और एनडीएमए/एसडीएमए द्वारा डी एम अधिनियम के अधीन प्रतिबंधित उपाय वापिस लिए जाने को देखते हुए, यह निर्णय लिया गया है कि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा समय-समय पर जारी हिदायतों का अनुसरण किया जाए। उप-निर्वाचन की प्रक्रिया के दौरान, पांच फलकीय कार्यनीति पर सतत ध्यान दिया जाना चाहिए, अर्थात् टेस्ट-ट्रैक-ट्रीट-टीकाकरण तथा कोविड उपयुक्त व्यवहार का पालन करना। जिला प्रशासन को कोविड स्थिति की प्रभावी रूप से जांच करनी चाहिए तथा अपेक्षित विधिक/प्रशासनिक मानदण्डों को निर्धारित करके कोविड उपयुक्त व्यवहार के मानदण्डों को लागू करना चाहिए।
     
    आयोग ने दिनांक 14.10.2022 को कोविड दिशानिर्देश, अक्तूबर, 2022 जारी किए हैं जो निर्वाचनों के संचालन के दौरान पालन किए जाने के लिए आयोग की वेबसाइट https://eci.gov.in/files/file/14492-covid-guidelines-for-general-electionbye-elecctions-to-legislative-assemblies-reg/ पर उपलब्‍ध हैं।

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    फ़ाइल सबमिट की गई Tuesday 18 April 2023

  24. कर्नाटक विधान सभा का साधारण निर्वाचन, 2023-लोक प्रतिनिधित्‍व अधिनियम, 1951 की धारा 126 में संदर्भित अवधि के दौरान मीडिया कवरेज।

    सं. ईसीआई/पीएन/26/2023                                    
    दिनांकः 06.04.2023
     
     
    प्रेस नोट
    विषयः कर्नाटक विधान सभा का साधारण निर्वाचन, 2023-लोक प्रतिनिधित्‍व अधिनियम, 1951 की धारा 126 में संदर्भित अवधि के दौरान मीडिया कवरेज।
    कर्नाटक विधान सभा के लिए साधारण निर्वाचन, 2023 आयोजित करवाने के लिए 29.03.2023 को कार्यक्रम की घोषणा की गई है। राज्य में मतदान नीचे दिए गए कार्यक्रम के अनुसार आयोजित किए जाने हैं:
    राज्य का नाम
    चरण और मतदान की तारीख
    कर्नाटक
    एकल चरण- 10.05.2023
          इस संबंध में, समस्त मीडिया का ध्यान लोक प्रतिनिधित्‍व अधिनियम, 1951 की धारा 126 की ओर आकृष्ट किया जाता है, जो किसी भी निर्वाचन क्षेत्र में मतदान की समाप्ति हेतु नियत घंटे से 48 घंटे पहले की अवधि के दौरान, अन्‍य बातों के साथ-साथ, टेलीविजन या समरूप उपकरणों के माध्‍यम से किसी भी निर्वाचन संबंधी बात के प्रदर्शन का निषेध करती है। उक्‍त धारा 126 के सुसंगत अंश नीचे पुन:प्रस्तुत किए गए हैं:
     (126. मतदान की समाप्ति के लिए नियत किए गए समय के साथ समाप्त होने वाले अड़तालीस घंटों की कालावधि के दौरान सार्वजनिक सभाओं का प्रतिषेध-
    (1)    कोई भी व्‍यक्ति-
    (क)   ..............................
    (ख)  चलचित्र, टेलीविजन या वैसे ही अन्‍य साधित्रों द्वारा जनता के समक्ष किसी निर्वाचन संबंधी बात का संप्रदर्शन नहीं करेगा;
    (ग)   ...................................................................
    किसी मतदान क्षेत्र में, किसी भी निर्वाचन के लिए मतदान की समाप्ति के लिए नियत किए गए समय के साथ समाप्‍त होने वाले अड़तालीस घंटों की कालावधि के दौरान -
    (2) वह व्‍यक्ति, जो उप-धारा (1) के उपबंधों का उल्‍लंघन करेगा; कारावास से, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी या जुर्माने से या दोनों से दंडनीय होगा।
    (3) इस धारा में, ‘‘निर्वाचन संबंधी बात’’ पद से अभिप्रेत है कोई ऐसी बात जो किसी निर्वाचन के परिणाम पर असर डालने या उसे प्रभावित करने के लिए आशयित प्रकल्पित है।
    2.     निर्वाचनों के दौरान, कभी-कभी टीवी चैनलों द्वारा उनके पैनल चर्चाओं/वाद-विवाद तथा अन्‍य  समाचारों और करंट अफेयर्स के कार्यक्रमों के प्रसारण में लोक प्रतिनिधित्‍व अधिनियम, 1951 की उपर्युक्‍त  धारा 126 के उपबंधों के उल्‍लंघन का आरोप लगता है। आयोग ने विगत में यह स्पष्‍ट किया है कि उक्‍त  धारा 126, किसी निर्वाचन क्षेत्र में मतदान की समाप्ति के लिए नियत किए गए समय के साथ समाप्‍त होने वाले 48 घंटों की कालावधि के दौरान अन्‍य बातों के साथ-साथ, टेलीविजन या समरूप साधनों (सोशल मीडिया सहित) के माध्‍यम से किसी भी निर्वाचन संबंधी बात के प्रदर्शन को प्रतिबंधित करती है। उस धारा में ‘‘निर्वाचन संबंधी बात’’ को ऐसे मामले के रूप में परिभाषित किया गया है जो किसी निर्वाचन के परिणाम पर असर डालने या उसे प्रभावित करने के लिए आशयित या निरूपित हो। धारा 126 के उपर्युक्‍त उपबंधों का उल्‍लंघन दो वर्ष के कारावास या जुर्माने अथवा दोनों द्वारा दंडनीय है।
    3.     आयोग इस बात को पुन: दोहराता है कि टीवी/रेडियो चैनलों तथा केबल नेटवर्कों/इंटरनेट वेबसाइट/सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि धारा 126 में संदर्भित 48 घंटों की अवधि के दौरान उनके द्वारा प्रसारित/ब्रॉडकास्ट/प्रदर्शित कार्यक्रमों की विषय-वस्तु में पैनल के सदस्‍यों/प्रतिभागियों के अभिमत/अपीलों सहित कोई ऐसी सामग्री न हो जिससे किसी विशेष दल या अभ्यर्थी (र्थियों) को प्रभावित करने/असर डालने की निर्वाचन संभावनाओं को आगे बढ़ाने, उस पर प्रतिकूल प्रभाव डालने अथवा निर्वाचन के परिणाम को प्रभावित करने/पर असर डालने की संभावना हो। अन्‍य बातों के अलावा, इसमें किसी भी ओपिनियन पोल तथा सामान्य पर वाद-विवाद, विश्‍लेषण, विजुअल तथा साउंड-बाइट्स का प्रदर्शन भी शामिल होगा।
    4.     इस संबंध में, लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 126क की ओर भी ध्‍यान आकर्षित किया जाता है जो उसमें उल्लिखित अवधि अर्थत राज्यों में पहले चरण में मतदान प्रारंभ होने के लिए नियत समय से लेकर तथा अंतिम चरण में मतदान समाप्त होने के आधे घंटे बाद तक के दौरान एग्जिट पोल करने और उसके परिणामों को प्रसारित करने को निषिद्ध करती है। एक्जिट पोल्स के लिए निषेद्ध अवधि को विनिर्दिष्ट करते हुए अलग अनुदेश भी जारी किए जाएंगे।
    5.   धारा 126 द्वारा कवर न होने वाली अवधि के दौरान संबंधित टीवी/रेडियो/केबल/एफएम चैनल/इंटरनेट वेबसाइट/सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म किसी भी ब्रॉडकास्ट/प्रसारण संबंधी कार्यक्रमों (एग्जिट पोल के अलावा) जो शालीनता, सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखने आदि के संबंध में सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा केबल नेटवर्क (विनियमन) अधिनियम के आदर्श आचार संहिता के उपबंधों के अधीन निर्धारित प्रोग्राम कोड के अनुरूप हो, के संचालन हेतु आवश्‍यक अनुमति के लिए राज्‍य/जिला/स्‍थानीय प्राधिकारियों से संपर्क कर सकते हैं। सभी इंटरनेट वेबसाइटों और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों को अपने प्लेटफार्म पर सभी राजनैतिक विषय-वस्तु पर सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000, सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजीटल मीडिया आचारनीति संहिता) नियम, 2021 और भारत निर्वाचन आयोग के दिशानिर्देश संख्या-491/एसएम/2013/संचार, दिनांक 25 अक्तूबर, 2013 के प्रावधानों का पालन करना चाहिए। राजनैतिक विज्ञापनों के संबंध में, आयोग के आदेश संख्‍या 509/75/2004/जेएस-I, दिनांक 15 अप्रैल, 2004 के अनुसार राज्‍य/जिला स्‍तर पर गठित समितियों द्वारा इसका पूर्व-प्रमाणन किया जाना आवश्यक है।
    6.  निर्वाचन के दौरान अनुपालन हेतु प्रेस कॉउन्सिल ऑफ इंडिया द्वारा दिनांक 30.7.2010 को जारी दिशानिर्देशों और 'पत्रकारिता आचरण मानदंड-2020' की ओर भी सभी प्रिंट मीडिया का ध्यान आकर्षित किया जाता है। (अनुलग्नक-I)
    7.  एनबीएसए द्वारा दिनांक 03 मार्च, 2014 को जारी ‘‘निर्वाचन प्रसारण हेतु दिशा-निर्देश” की ओर इलेक्‍ट्रॉनिक मीडिया का ध्‍यान आकर्षित किया जाता है। (अनुलग्नक-II)
    8.     इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (आईएएमएआई) ने लोक सभा के साधारण निर्वाचन, 2019 के दौरान निर्वाचन प्रक्रिया की सत्यनिष्ठा बनाए रखने के लिए अपने प्लेटफार्म का स्वतंत्र, निष्पक्ष एवं नीतिपरक उपयोग सुनिश्चित करने हेतु सभी प्रतिभागी सोशल मीडिया मंचों के लिए “स्वैच्छिक आचारनीति संहिता” भी तैयार की है। जैसा कि आईएएमएआई द्वारा दिनांक 23.09.2019 के पत्र द्वारा यथासम्मत, “स्वैच्छिक आचारनीति संहिता” का सभी निर्वाचनों में अनुपालन किया जाएगा। तद्नुसार, यह संहिता कर्नाटक विधान सभा के साधारण निर्वाचन, 2023 में भी लागू होती है। इस संबंध में सभी संबंधित सोशल मीडिया प्लेटफार्मों का ध्यान दिनांक 20 मार्च, 2019 के “स्वैच्छिक आचारनीति संहिता” की ओर आकर्षित किया जाता है। (अनुलग्नक-III)
    9. सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्तियों और डिजिटल मीडिया आचार नीति संहिता के लिए दिशा निदेश) नियम, 2021 जहां कहीं भी लागू होता हो, अनुपालन हेतु ध्यान में रखा जाए।
    10.    इसके अतिरिक्त, यह भी सूचित किया जाता है कि कोई भी राजनैतिक दल अथवा अभ्यर्थी अथवा अन्य कोई संगठन अथवा व्यक्ति मतदान के दिन और मतदान से एक दिन पहले प्रिंट मीडिया में कोई विज्ञापन नहीं देगा जब तक कि वे राजनैतिक विज्ञापनों के अंशों (अंतर्वस्तु) को राज्य/जिला स्तर, यथास्थिति, की मीडिया प्रमाणन एवं अनुवीक्षण समिति (एमसीएमसी) से पूर्व-प्रमाणित नहीं करा लेते। आवेदकों को ऐसे विज्ञापनों के प्रकाशन की प्रस्तावित तारीख से कम से कम 02 (दो) दिन पहले आवेदन करना होगा।
    उपर्युक्‍त परामर्शिका का सभी संबंधित मीडिया द्वारा विधिवत रूप से अनुपालन किया जाना चाहिए।
     
    अनुलग्नक-I
    निर्वाचन के दौरान अनुपालनार्थ भारतीय प्रेस परिषद् (प्रेस कॉउन्सिल ऑफ इंडिया) द्वारा दिनांक 30.07.2010 को जारी दिशा-निर्देश:
           i.          प्रेस का यह कर्तव्‍य होगा कि वह निर्वाचनों तथा अभ्‍यर्थियों के बारे में विषयपरक रिपोर्ट दे। समाचार पत्रों से यह अपेक्षा नहीं की जाती कि वे निर्वाचनों के दौरान हानिकर निर्वाचन प्रचारों में हिस्‍सा लें और किसी अभ्‍यर्थी/पार्टी या घटना के बारे में अतिशयोक्तिपूर्ण रिपोर्ट दें। व्‍यवहार में, दो या तीन कड़ी प्रतिस्पर्धा वाले निर्वाचन लड़ने वाले अभ्‍यर्थी सारी मीडिया का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करते हैं। वास्‍तविक प्रचार पर रिपोर्ट तैयार करते समय समाचार पत्र में ऐसा कोई महत्‍वपूर्ण बिंदु नहीं छोड़ना चाहिए जो कि अभ्‍यर्थी द्वारा उठाया गया हो और जो उसके विरोधी पर आक्षेप लगाता हो।
          ii.          सांप्रदायिक या जातिगत आधार पर वोट मांगते हुए निर्वाचन प्रचार करना निर्वाचन नियमावली के अधीन निषेध है। अत:, प्रेस को धर्म, मूलवंश, जाति, समुदाय या भाषा के आधार पर लोगों के बीच विद्वेष या घृणा की भावना को बढ़ावा देने वाली खबरों से बचना चाहिए।
        iii.          प्रेस को किसी अभ्‍यर्थी के आचरण और उसके निजी चरित्र के संबंध में कोई मिथ्‍या या आलोचनात्‍मक वक्‍तव्‍य अथवा उसकी अभ्‍यर्थिता या नाम वापस लेने के संबंध मे ऐसे किसी प्रकार के प्रकाशन से बचना चाहिए जिससे निर्वाचनों में उस अभ्‍यर्थी की जीत की संभावना पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। प्रेस किसी अभ्‍यर्थी/दल के विरूद्ध असत्‍यापित आरोपों को प्रकाशित नहीं करेगा।
         iv.          प्रेस, किसी अभ्‍यर्थी/दल के बारे में बढ़ा-चढ़ाकर कहने (प्रोजेक्ट करने) के लिए वित्‍तीय अथवा अन्‍य किसी प्रकार के प्रलोभन को स्‍वीकार नहीं करेगा। यह किसी अभ्‍यर्थी/दल की ओर से उनको दी जाने वाली कोई भी सुविधा या आतिथ्‍य स्‍वीकार नहीं करेगा।
          v.          प्रेस से किसी विशेष अभ्‍यर्थी/दल के प्रचार में शामिल होने की अपेक्षा नहीं की जाती है। यदि यह ऐसा करता है तो यह ऐसे अन्‍य अभ्‍यर्थी/दल को इस संबंध में जवाब देने के अधिकार की अनुमति भी देगा।
         vi.          प्रेस, सत्‍ताधारी दल/सरकार की उपलब्धियों के संबंध में राजकोषीय लागत पर कोई विज्ञापन स्‍वीकार/प्रकाशित नहीं करेगा।
       vii.          प्रेस, निर्वाचन आयोग/रिटर्निंग अधिकारियों या मुख्‍य निर्वाचन अधिकारी द्वारा समय-समय पर जारी सभी निदेशों/आदेशों/अनुदेशों का पालन करेगा।
    'पत्रकारिता आचरण के मानदंड-2020'
    i.     समाचारपत्र को विशेष रूप से पूरक/विशेष संस्करण पर "विपणन पहल" का विशेषकर उल्लेख करना चाहिए ताकि उन्हें विभिन्न रिपोर्टों से अलग किया जा सके।
    ii.   समाचारपत्र को नेता द्वारा दिए गए बयानों को गलत या तोड़-मरोड़ कर नहीं पेश करना चाहिए। संपादकीय में दिए गए कथनों को उसी सच्ची भावना से दर्शाया जाना चाहिए जो उनके द्वारा व्यक्त किए जाने की कोशिश की जा रही है।
    iii. समाचार खबरों के ऐसे कॉलम, जो मुख्यतया जाति के आधार पर मतदाताओं और राजनैतिक दल विशेष के अभ्यर्थी के समर्थकों के नामों को इंगित करते हैं, समाचारों की प्रस्तुति के ऐसे आशय और तरीके, रिपोर्ट को पेड न्यूज़ के रूप में स्थापित करते हैं।
    iv.  ऐसे ही विषय-वस्तु के साथ प्रतिस्पर्धी समाचारपत्र में प्रकाशित राजनैतिक समाचार, ऐसी रिपोर्टों को पेड न्यूज़ होने का दृढ़ संकेत देते हैं।
    v.   दो समाचार-पत्रों द्वारा निर्वाचन के दिनों में एक ही समाचार को अक्षरशः प्रकाशित करना संयोग नहीं हैं और इससे स्पष्ट होता है कि इस तरह की खबर के सोच-समझकर प्रकाशित की गईं हैं।
    vi.  किसी दल विशेष के पक्ष में, खबर के प्रस्तुतीकरण का तरीका और साथ ही किसी विशेष दल के समर्थन में मतदान के लिए अपील करना, पेड न्यूज़ का सूचक है।
    vii.निर्वाचन में किसी ऐसे अभ्यर्थी की सफलता को दर्शाना, जिसे अभी नाम-निर्देशन करना है, पेड न्यूज़ का सूचक है।
    viii.  निर्वाचन प्रचार की बैठक और फिल्मी सितारों की मौजूदगी से उमड़े उत्साह की खबरों को, पेड न्यूज़ नहीं कहा जा सकता है।
    ix.  समाचारपत्रों को सलाह दी जाती है कि वे निर्वाचन से संबंधित समाचार कवर करने के दौरान अभ्यर्थियों की खबर/साक्षात्कार के प्रकाशन में संतुलन सुनिश्चित करें।
    x.   निर्वाचन के दौरान, भारत निर्वाचन आयोग द्वारा निर्धारित शर्तों के अध्यधीन, समाचार पत्र अभ्यर्थियों या दलों की संभावनाओं का एक ईमानदारीपूर्वक मूल्यांकन करने के लिए स्वतंत्र हैं और इसका प्रकाशन तब तक पेड न्यूज नहीं होगा, जब तक यह सोच-विचार कर किया गया प्रकाशन न सिद्ध हो।
    xi.  समाचार पत्र ऐसी किसी भी खबर को सत्यापन के बगैर प्रकाशित नहीं करेंगे जिसमें किसी राजनैतिक दल की जीत की भविष्यवाणी की गई हो।
     
    अनुलग्नक-II
    एनबीएसए द्वारा दिनांक 3 मार्च, 2014 को जारी "निर्वाचन प्रसारण के लिए दिशा-निर्देश"
    i. समाचार प्रसारकों को भारत निर्वाचन आयोग द्वारा तथा लोक प्रतिनिधित्‍व अधिनियम, 1951 के अधीन निर्धारित नियमों तथा विनियमों के अनुसार सुसंगत निर्वाचन मामलों, राजनैतिक दलों, अभ्‍यर्थियों, प्रचार-अभियान मामलों तथा मतदान प्रक्रियाओं के बारे में लोगों को निष्पक्ष तरीके से सूचित करने का प्रयास करना चाहिए।
    ii. समाचार चैनलों को किसी दल या अभ्‍यर्थी से किसी भी प्रकार की राजनैतिक संबद्धता का उल्‍लेख करना चाहिए। जब तक वे सार्वजनिक रूप से किसी विशेष दल या अभ्यर्थी का समर्थन नहीं करते हैं, समाचार प्रसारकों का यह कर्तव्‍य बनता है कि वे विशेष रूप से अपनी निर्वाचन संबंधी रिपोर्टिंग में संतुलित एवं निष्‍पक्ष बने रहें।
    iii. समाचार प्रसारकों को सभी प्रकार की अफवाहों, निराधार अटकलबाजियों तथा गलत सूचना देने से बचना चाहिए, विशेष रूप से जब यह किन्‍हीं विशेष राजनैतिक दलों या अभ्‍यर्थियों के संबंध में हो। ऐसा कोई भी अभ्‍यर्थी/राजनैतिक दल जो कि इस प्रकार से बदनाम किया गया है या मिथ्‍यानिरूपण, गलत सूचना देने या सूचना के प्रसारण द्वारा समान पीड़ा से पीड़ित है, तो उसमें तुरंत सुधार लाया जाए और जहां उचित लगे उसे जवाब देने का अवसर भी प्रदान किया जाए।
    iv. समाचार प्रसारकों को ऐसे सभी राजनैतिक तथा वित्‍तीय दबावों से बचना चाहिए जो कि निर्वाचनों की कवरेज तथा निर्वाचन संबंधी मामलों पर प्रभाव डालते हों।
    v. समाचार प्रसारकों को अपने समाचार चैनलों में प्रसारित संपादकीय तथा विशेषज्ञ राय के बीच स्‍पष्‍ट अंतर रखना चाहिए।
    vi. वे समाचार प्रसारक, जो राजनैतिक दलों से प्राप्‍त वीडियो सामग्री  का प्रसार करते हैं, उन्‍हें इसका उल्‍लेख करना चाहिए और इसे उचित रूप से टैग भी करना चाहिए।
    vii. यह सुनिश्चित करने पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए कि निर्वाचनों तथा निर्वाचन संबंधी मामलों से संबंधित समाचारों/कार्यक्रमों का प्रत्येक अंश घटना, तारीख, स्थान और उद्धरण के बारे में एकदम सही हो। यदि गलती से या असावधानी से किसी गलत सूचना का प्रसारण हो जाता है तो जैसे ही प्रसारक के ध्‍यान में यह बात आती है वह उसे उसी तत्परता से सही करके प्रसारित करेगा जैसे कि मूल प्रसारण के समय किया था।
    viii. समाचार प्रसारकों, उनके संवाददाताओं और कर्मचारियों को कोई धन या कीमती उपहार या ऐसा कोई एहसान स्‍वीकार नहीं करना चाहिए जो उन पर किसी प्रकार का प्रभाव डाले या प्रभाव डालता हुआ प्रतीत हो, जिससे उनके हित प्रभावित होते हों या प्रसारक अथवा उसके कार्मिकों की विश्‍वसीनयता को क्षति पहुंचाता हो।
     
    ix. समाचार प्रसारक किसी प्रकार का ‘घृणापूर्ण भाषण’ या अन्‍य प्रकार के आपत्तिजनक अंशों का प्रसारण नहीं करेंगे जिससे हिंसा या जनाक्रोश में वृद्धि होती हो या अव्‍यवस्‍था फैलती हो, क्‍योंकि सांप्रदायिक या जातिगत आधार पर प्रचार करना, निर्वाचन विधि के अधीन निषिद्ध है। समाचार प्रसारकों को ऐसी रिपोर्टों से सख्त परहेज करना, चाहिए जिससे धर्म, मूलवंश, जाति, समुदाय, क्षेत्र या भाषा के आधार पर वैमनस्‍यता या घृणा की भावना को बढ़ावा मिले।
    x. समाचार प्रसारकों से यह अपेक्षा की जाती है कि वे समाचारों तथा पेड सामग्री के बीच सावधानीपूर्वक  अंतर बनाए रखेंगे। सारी पेड सामग्री पर “पेड विज्ञापन” या “पेड सामग्री” स्‍पष्ट रूप से चिह्नित किया जाना चाहिए और एनबीए द्वारा जारी दिनांक 24.11.2011 के “पेड न्यूज़ पर प्रतिमान और दिशा-निर्देश” के अनुसरण में पेड सामग्री का प्रसारण किया जाना चाहिए।
    xi. ओपीनियन पोल को रिपोर्ट करते समय उसकी सटीकता और निष्‍पक्षता का विशेष ध्‍यान रखना चाहिए, दर्शकों के लिए यह खुलासा किया जाना चाहिए कि ओपीनियन पोल के संचालन और उसके प्रसारण के लिए उन्‍हें किसने अधिकृत किया है, किसने उसका संचालन किया है और किसने उसके लिए भुगतान किया है। यदि कोई समाचार प्रसारक ओपीनियन पोल का परिणाम अथवा अन्‍य निर्वाचन अनुमान प्रसारित करता है तो उसे ऐसे पोल की सीमाबद्धता सहित संदर्भ और कार्यक्षेत्र तथा सीमाओं का उल्‍लेख अवश्‍य करना चाहिए। ओपीनियन पोल के प्रसारण के साथ ऐसी सूचना भी अवश्‍य दी जानी चाहिए जिससे दर्शक मतदान का महत्‍व यथा-प्रयुक्‍त पद्धति, सैंपल का आकार, त्रुटियों की गुंजाइश, फील्‍डवर्क तारीखें तथा प्रयोग किए गए आंकड़े को समझ सकें। प्रसारक को इस संबंध में भी सूचना देनी चाहिए कि वोट शेयर किस प्रकार सीट शेयर में बदल जाता है।
    xii. प्रसारक, लोक प्रतिनिधत्व अधिनियम, 1951 की धारा 126(1)(ख) के अतिक्रमण में, मतदान समाप्त होने के लिए नियत समय के साथ समाप्त हो रहे 48 घंटे के दौरान कोई भी “निर्वाचन सामग्री”, अर्थात निर्वाचन के परिणाम को प्रभावित करने या असर डालने हेतु आशयित अथवा परिकल्पित किसी सामग्री को प्रसारित नहीं करेगा।
    xiii. भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई), समाचार प्रसारकों द्वारा निर्वाचनों की घोषणा से निर्वाचनों की समाप्ति तक और निर्वाचन परिणामों की घोषणा के दौरान किए गए प्रसारणों का अनुवीक्षण करेगा। भारत निर्वाचन आयोग द्वारा समाचार प्रसारण मानक प्राधिकरण (एनबीएसए) को सदस्‍य प्रसारक द्वारा किए गए किसी भी प्रकार के उल्‍लंघन के मामले की शिकायत पर एनबीएसए द्वारा इसके विनियमों के अधीन कार्रवाई की जाएगी।
    xiv. प्रसारकों को, मतदान प्रक्रिया, मतदान का महत्‍व बताने के साथ ही मतदान कैसे, कब और कहां करें, मतदान के लिए रजिस्‍टर कराने और मतपत्र की गोपनीयता बनाए रखने के बारे में मतदाताओं को प्रभावी रूप से सूचित करने के लिए यथासंभव मतदाता शिक्षा कार्यक्रम चलाने चाहिए।
    xv. समाचार प्रसारकों को भारत निर्वाचन आयोग द्वारा औपचारिक रूप से परिणामों की घोषणा किए जाने तक किसी भी प्रकार के अंतिम, औपचारिक और निश्‍चित परिणामों का प्रसारण नहीं करना चाहिए जब तक कि ऐसे परिणामों में इस बात का स्‍पष्‍ट दावात्याग न हो कि वे अनाधिकारिक हैं या अधूरे या अपूर्ण परिणाम अथवा अनुमान हैं जिन्‍हें अंतिम परिणामों के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए।
     
     
    अनुलग्नक-III
    “स्वैच्छिक आचारनीति संहिता”, दिनांक 20 मार्च, 2019:
                               i.          प्रतिभागी, जहां उपयुक्त हो और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के सिद्धांत को ध्यान में रखते हुए, अपने उत्पादों और/या सेवाओं पर निर्वाचन मामलों के संबंध में सूचना तक पहुंच सुलभ कराने के लिए उपयुक्त नीतियों एवं प्रक्रियाओं को प्रसारित करने का प्रयास करेंगे।
     
                             ii.          प्रतिभागी निर्वाचन कानून एवं अन्य संबंधित अनुदेशों सहित जागरूकता लाने के लिए स्वैच्छिक रूप से सूचना, शिक्षा एवं संचार अभियानों को शुरू करने का प्रयास करेंगे। प्रतिभागी भारत निर्वाचन आयोग के नोडल अधिकारी को अपने उत्पादों/सेवाओं पर, विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अनुसार अनुरोध भेजने के तंत्र सहित, प्रशिक्षण प्रदान करने का भी प्रयास करेंगे।
     
     
                            iii.          प्रतिभागियों और भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) ने एक अधिसूचना तंत्र तैयार किया है जिसके द्वारा भारत निर्वाचन आयोग लोक प्रतिनिधित्व, 1951 की धारा 126 एवं विधि द्वारा स्थापित प्रक्रियाओं के अनुसार अन्य अनुप्रयोज्य निर्वाचकीय विधियों के संभाव्य उल्लंघनों के संगत प्लेटफार्मों को अधिसूचित कर सकता है। ये विधिमान्य विधिक आदेश सिन्हा समिति की संस्तुतियों के अनुसार धारा 126 के अंतर्गत रिपोर्ट किए गए उल्लंघनों के लिए 3 घंटे के भीतर अभिस्वीकृत और/या प्रोसेस किए जाएंगे। अन्य सभी विधिमान्य विधिक अनुरोधों पर प्रतिभागियों द्वारा रिपोर्ट किए गए उल्लंघनों की प्रकृति के आधार पर, शीघ्रतापूर्वक कार्रवाई की जाएगी।
     
                            iv.          प्रतिभागी भारत निर्वाचन आयोग के लिए उच्च प्राथमिकता वाला समर्पित रिपोर्टिंग तंत्र बना/खोल रहे हैं और साधारण निर्वाचनों की अवधि के दौरान समर्पित व्यक्ति(यों)/टीमों को नियुक्त कर रहे हैं जो मिल कर काम करेंगे और फीडबैक का आदान-प्रदान करेंगे जिससे भारत निर्वाचन आयोग से नियत विधिक प्रक्रिया का अनुपालन करते हुए इस प्रकार का विधिसम्मत अनुरोध मिलने पर शीघ्रतापूर्वक कार्रवाई करने में सहायता मिल सके।
                              v.          प्रतिभागी उन निर्वाचन विज्ञापनों के संबंध में भारत निर्वाचन आयोग और/या भारत निर्वाचन आयोग के मीडिया प्रमाणन एवं अनुवीक्षण समिति (एमसीएमसी) द्वारा निर्गत पूर्व-प्रमाणन पत्र प्रस्तुत करने  के लिए विधि के तहत अपने दायित्वों के अनुसार संगत राजनीतिक विज्ञापनदाताओं के लिए एक तंत्र उपलब्ध कराएंगे  जिसमें प्रगतिरत विधान सभा निर्वाचनों के लिए राजनीतिक दलों, अभ्यर्थियों के नाम दिए गए हों। इसके अतिरिक्त, प्रतिभागी भारत निर्वाचन आयोग द्वारा प्रतिभागियों को विधिसम्मत रूप से अधिसूचित ऐसे पेड राजनीतिक विज्ञापनों पर शीघ्रतापूर्वक प्रोसेस करेंगे/उस पर कार्रवाई करेंगे जो इस प्रकार का प्रमाणन नहीं देते हैं।
                            vi.          प्रतिभागी पेड राजनीतिक विज्ञापनों में पारदर्शिता लाने के लिए प्रतिबद्ध रहेंगे जिसमें ऐसे विज्ञापनों के लिए अपने पूर्व-विद्यमान लेबल/प्रकटन प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जाना शामिल है।
                          vii.          इंटरनेट एण्ड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (आईएएमएआई) के माध्यम से भारत निर्वाचन आयोग से प्राप्त विधिमान्य अनुरोध के अनुसरण में, प्रतिभागी अपने संबंधित प्लेटफॉर्मों के दुरुपयोग को रोकने के लिए उनके द्वारा किए गए उपायों पर अद्यतन जानकारी (अपडेट) उपलब्ध कराएंगे।
                         viii.          आईएएमएआई इस संहिता के अन्तर्गत उठाए गए कदमों पर अपने प्रतिभागी सदस्यों के साथ समन्वयन करेंगे और निर्वाचन अवधि के दौरान आईएएमएआई के साथ-साथ प्रतिभागी भारत निर्वाचन आयोग के साथ निरंतर संपर्क में बने रहेंगे।

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    फ़ाइल सबमिट की गई Thursday 13 April 2023

  25. संबंधी समूह (कोहार्ट) के नेतृत्व के रूप में 'समावेशी निर्वाचन और निर्वाचन अखण्डता' पर तृतीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन की मेजबानी करेगा

    ईसीआई/पीएन/22/2023                                                     08.03.2023
     
    पूर्वावलोकन (कर्टेन रेज़र)
     
    भारत निर्वाचन आयोग 'निर्वाचन अखण्डता' संबंधी समूह (कोहार्ट) के नेतृत्व के रूप में 'समावेशी निर्वाचन और निर्वाचन अखण्डता' पर तृतीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन की मेजबानी करेगा
     
    मॉरीशस, ग्रीस और अंतरराष्ट्रीय संगठन आईएफईएस निर्वाचन अखण्डता पर समूह (कोहार्ट) के सह-नेतृत्व के रूप में भारत निर्वाचन आयोग से जुड़े
     
    25 निर्वाचन प्रबंधन निकाय (ईएमबी)/देश वर्चुअल सम्मेलन में भाग लेंगे
     
    भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) 'समावेशी निर्वाचन और निर्वाचन अखण्डता' थीम पर 09 मार्च 2023 को वर्चुअल रूप से तीसरे अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन की मेजबानी करेगा। भारत निर्वाचन आयोग निर्वाचन अखण्डता पर कोहार्ट का नेतृत्व कर रहा है जिसकी स्थापना दिसंबर, 2021 में वर्चुअल रूप से आयोजित 'लोकतंत्र के लिए शिखर सम्मेलन' की अनुवर्ती कार्रवाई के रूप में की गई थी।
     
    अंगोला, आर्मेनिया, आस्ट्रेलिया, कनाडा, चिली कोस्टा रिका, क्रोएशिया, डेनमार्क, डोमिनिका, जॉर्जिया, गुयाना, केन्या, कोरिया गणराज्य, मॉरीशस, माल्दोवा, नार्वे, फिलीपींस, पुर्तगाल, रोमानिया, सेंट लूसिया, सूरीनाम, स्वीडन, स्विट्जरलैंड और जाम्बिया सहित 25 देशों/निर्वाचन प्रबंधन निकायों (ईएमबी) से 46 से अधिक प्रतिभागियों के साथ-साथ इंटरनेशल आईडीईए और इंटरनेशनल फाउंडेशन फॉर इलेक्टोरल सिस्टम्स के अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधियों और सिविल सोसायटी संगठनों जैसे इंडोनेशिया में जनरल इलेक्शन नेटवर्क फॉर डिसेबिलिटी एक्सेस और नेपाल में एसोसिएशन ऑफ यूथ आर्गेनाइजेशन के प्रतिनिधियों के इस सम्मेलन में भाग लेने की उम्मीद है। मुख्य निर्वाचन आयुक्त श्री राजीव कुमार और निर्वाचन आयुक्त श्री अनूप चन्द्र पाण्डेय तथा श्री अरुण गोयल सम्मेलन को संबोधित करेंगे।
     
    इस समूह (कोहार्ट) का पहला अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन दिनांक 31 अक्तूबर से 01 नवंबर, 2022 को 'निर्वाचन प्रबंधन निकायों की भूमिका, रूपरेखा तथा क्षमता' विषय पर नई दिल्ली में आयोजित किया गया था, जिसमें 11 देशों के निर्वाचन प्रबंधन निकायों (ईएमबी) के लगभग 50 प्रतिनिधियों ने भाग लिया। भारत निर्वाचन आयोग द्वारा दिनांक 23-24 जनवरी, 2023 को नई दिल्ली में 'प्रौदयोगिकी का उपयोग और निर्वाचन अखण्डता' थीम पर द्वितीय सम्मेलन की मेजबानी की गई, जिसमें नौ निर्वाचन प्रबंधन निकायों (ईएमबी) या निर्वाचन प्राधिकारियों के प्रमुख/उप-प्रमुख और इंटरनेशनल आईडीईए तथा आईएफईएस के शिष्ट मंडल सहित 16 देशों के 40 से अधिक प्रतिभागियों एवं इसके अलावा नई दिल्ली स्थित 8 विदेशी मिशनों के राजनयिकों ने भाग लिया।
     
    पृष्ठभूमि
     
          'लोकतंत्र के लिए शिखर सम्मेलन' अमेरिका के राष्ट्रपति की एक पहल थी और इसकी मेजबानी दिसम्बर 2021 में की गई थी। भारत के प्रधानमंत्री ने 9 दिसम्बर, 2021 को नेताओं के पूर्ण सत्र को सम्बोधित किया था। इस शिखर सम्मेलन के बाद एक "ईयर ऑफ एक्शन" का प्रस्ताव रखा गया था, जिसमें लोकतंत्र से संबंधित विषयों पर कार्यक्रम और वार्ता शामिल थे।
     
    इस शिखर सम्मेलन में 'ईयर ऑफ एक्शन' में सहभागिता को सुविधाजनक बनाने के लिए 'फोकल ग्रुप' और 'डेमोक्रेसी कोहार्ट' नामक दो प्लेटफार्म तैयार किए गए थे। लोकतंत्र के लिए द्वितीय शिखर सम्मेलन दिनांक 29-30 मार्च, 2023 को आयोजित किया जाना निर्धारित है और इसकी सह-मेजबानी कोस्टा रीका, कोरिया गणराज्य, नीदरलैंड, जाम्बिया और अमेरिका सरकारों द्वारा की जाएगी। 'निर्वाचन अखंडता' संबंधी समूह (कोहार्ट) के नेतृत्व के रूप में, भारत निर्वाचन आयोग ने एक सहयोगात्मक दृष्टिकोण अपनाया है और ग्रीस, मॉरीशस और आईएफईएस को इस समूह (कोहार्ट) के लिए सह-नेतृत्व करने हेतु आमंत्रित किया है। भारत निर्वाचन आयोग ने निर्वाचन प्रबंधन निकायों (ईएमबी) और पूरे विश्व में निर्वाचनों के संचालन से संबंधित कार्य करने वाले सरकारी समकक्षों के अलावा, अंतरराष्ट्रीय आईडीईए को भी आमंत्रित किया है।
     
    'लोकतंत्र के लिए शिखर सम्मेलन' 'ईयर ऑफ एक्शन' के भाग के रूप में, भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) के माध्यम से भारत विश्व के अन्य लोकतांत्रिक देशों के साथ अपने ज्ञान, तकनीकी सुविज्ञता और अनुभवों को साझा करने के लिए 'निर्वाचन अखण्डता संबंधी लोकतंत्र' समूह (कोहार्ट) का नेतृत्व कर रहा है। भारत निर्वाचन आयोग ने अपने नेतृत्व में दुनिया भर में 46 निर्वाचन प्रबंधन निकायों (ईएमबी) के 60 से अधिक पदधारकों के लिए इस कोहार्ट के तत्वावधान में नवंबर, 2022 से मार्च, 2023 के दौरान चार प्रशिक्षण और क्षमता संवर्धन कार्यक्रम भी आयोजित किए हैं।
     
     
     
    (अनुज चांडक)
    संयुक्त निदेशक (मीडिया)

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    फ़ाइल सबमिट की गई Thursday 06 April 2023


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eci-logo.pngभारत निर्वाचन आयोग एक स्‍वायत्‍त संवैधानिक प्राधिकरण है जो भारत में निर्वाचन प्रक्रियाओं के संचालन के लिए उत्‍तरदायी है। यह निकाय भारत में लोक सभा, राज्‍य सभा, राज्‍य विधान सभाओं और देश में राष्‍ट्रपति एवं उप-राष्‍ट्रपति के पदों के लिए निर्वाचनों का संचालन करता है। निर्वाचन आयोग संविधान के अनुच्‍छेद 324 और बाद में अधिनियमित लोक प्रतिनिधित्‍व अधिनियम के प्राधिकार के तहत कार्य करता है। 

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आप अपने आवेदन प्ररूप और अपनी शिकायत की वस्‍तु स्थिति के बारे में पता कर सकते हैं। डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें। आवेदन के अंदर दिए गए लिंक से अपना फीडबैक देना न भूलें। 

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