ECI-IT Team द्वारा
सं. ईसीआई/पीएन/24/2023
दिनांक: 29 मार्च, 2023
प्रेस नोट
कर्नाटक विधान सभा के कार्यकाल और इनकी सदस्य संख्या के साथ-साथ संसदीय और विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र परिसीमन आदेश, 2008 द्वारा यथानिर्धारित अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित सीटों का ब्यौरा नीचे दिया गया है:
राज्य का नाम
विधान सभा का कार्यकाल
विधान सभा सीटों की संख्या
अनु. जातियों के लिए आरक्षित
अनु. जनजातियों के लिए आरक्षित
कर्नाटक
25 मई, 2018 से
24 मई, 2023
224
36
15
भारत निर्वाचन आयोग (इसमें इसके बाद आयोग के रूप में संदर्भित) भारत के संविधान के अनुच्छेद 172(1) के साथ पठित अनुच्छेद 324 और लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 15 के तहत प्रदत्त प्राधिकार और शक्तियों का प्रयोग करते हुए कर्नाटक विधान सभा का कार्यकाल समाप्त होने से पहले इनका स्वतंत्र, निष्पक्ष, सहभागी, सुगम्य, समावेशी और सुरक्षित निर्वाचन संपन्न कराने के लिए प्रतिबद्ध है।
1. निर्वाचक नामावली –
आयोग का दृढ़ विश्वास है कि प्रामाणिक और अद्यतन निर्वाचक नामावलियां स्वतंत्र, निष्पक्ष और विश्वसनीय निर्वाचन की आधारशिला हैं। इसलिए, इनकी गुणवत्ता, उपयुक्तता और विश्वसनीयता में सुधार लाने पर गहन और निरंतर ध्यान दिया जाता है। निर्वाचन विधि (संशोधन) अधिनियम, 2021 द्वारा लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 14 में संशोधन होने के बाद अब मतदाता के रूप में नामांकित होने के लिए एक वर्ष में चार अर्हक तिथियों का प्रावधान किया गया है। तद्नुसार, आयोग ने 01.01.2023 की अर्हक तिथि, जो निकटतम अर्हक तिथि है, के संदर्भ में कर्नाटक में निर्वाचक नामावली का विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण किया है। 01.01.2023 की अर्हक तिथि के संदर्भ में निर्वाचक नामावलियों का विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण समयबद्ध रूप में पूरा कर लेने के उपरांत निर्वाचक नामावली का अंतिम प्रकाशन 05 जनवरी, 2023 को कर दिया गया है।
निर्वाचक नामावली के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार कर्नाटक राज्य में निर्वाचकों की संख्या निम्नानुसार है:
राज्य का नाम
साधारण निर्वाचकों की संख्या
सेवा मतदाताओं की संख्या
निर्वाचक नामावलियों के अनुसार निर्वाचकों की कुल संख्या
कर्नाटक
5,23,63,948
47,609
5,24,11,557
02 जनवरी, 2022 और 01 जनवरी, 2023 के बीच 18 वर्ष की आयु प्राप्त करने वाले युवा निर्वाचकों के नामांकनों की संख्या निम्नानुसार है:
राज्य का नाम
18+ आयु वाले निर्वाचक
कर्नाटक
9,58,806
कर्नाटक राज्य में दिव्यांगजन (पीडब्ल्यूडी), थर्ड जेंडर और वरिष्ठ नागरिक (80+) के रूप में चिह्नित निर्वाचकों की संख्या इस प्रकार हैः
राज्य का नाम
कुल पीडब्ल्यूडी निर्वाचक
कुल थर्ड जेंडर निर्वाचक
कुल वरिष्ठ नागरिक (80+)
कर्नाटक
5,60,908
4751
12,15,142
आयोग ने समाज के सभी वर्गों की अधिकाधिक भागीदारी सुनिश्चित करने और निर्वाचक नामावली की वस्तुस्थिति में सुधार करने के लिए हर संभव प्रयास किए हैं, जो इस प्रकार हैं:
(i) प्रतिष्ठित सिविल सोसायटी संगठनों (सीएसओ) के सहयोग से अति-संवेदनशील समूहों जैसे दिव्यांगजनों (पीडब्ल्यूडी), ट्रांसजेंडरों और सेक्स वर्करों का अधिकतम नामांकन सुनिश्चित किया जाना। उदाहरण के लिए, सेक्स वर्करों का अधिकतम नामांकन सुनिश्चित करने के लिए नाको (राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन) के साथ जुड़ना।
(ii) उचित क्षेत्रगत सत्यापन और सांविधिक प्रक्रियाओं का पालन करने के बाद सॉफ्टवेयर टूल्स का उपयोग करके निर्वाचक नामावली में तार्किक त्रुटियों, जनांकिकीय रूप से सदृश प्रविष्टियों और एकसमान फोटो वाली प्रविष्टियों को हटाना।
(iii) युवा मतदाताओं, विशेष रूप से 1 जनवरी, 2023 को अर्हक आयु प्राप्त करने वाले मतदाताओं के नामांकन पर ध्यान केन्द्रित किया गया है।
(iv) मतदान केंद्रों का यौक्तिकीकरण अत्यन्त सावधानीपूर्वक किया गया है। वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा प्रत्येक मतदान केंद्र का प्रत्यक्ष रूप से दौरा किया गया है और सम्यक् प्रक्रिया का पालन करके मतदान केंद्रों को नए और बेहतर बुनियादी ढांचे वाले भवन में स्थानांतरित करने पर भी विचार किया गया है।
(v) नागरिकों के अति-संवेदनशील समूहों के लिए समाज कल्याण विभाग, एसएसीओ आदि के डेटाबेस जैसे अन्य सरकारी डेटाबेस को बेंचमार्क के रूप में रखकर इन समूहों का पंजीकरण बढ़ाने पर विचार किया गया।
(vi) आयोग मतदान केंद्रों में दिव्यांगजनों और वरिष्ठ नागरिकों के लिए सुगम्यता अनुकूल बुनियादी ढांचे के साथ-साथ आश्वस्त न्यूनतम सुविधाओं पर जोर देता है, मुख्य निर्वाचन अधिकारियों/जिला निर्वाचन अधिकारियों को मतदान केंद्रों पर रैंप जैसा स्थायी बुनियादी ढांचा बनाने का निर्देश दिया गया है।
(vii) किसी भी महामारी या सार्वजनिक व्यवस्था से संबंधित किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए 3 या अधिक मतदान केंद्रों वाले मतदान स्थलों के लिए अलग-अलग प्रवेश और निकास की योजना बनाई गई है।
(viii) आयोग ने जिला निर्वाचन अधिकारियों को पर्यावरण अनुकूल सामग्री का उपयोग करने और मॉडल मतदान केंद्र तैयार करने के लिए स्थानीय संस्कृति और कला को प्रदर्शित करने के लिए प्रोत्साहित किया है। प्रत्येक जिले में यथासंभव कम से कम एक ऐसा मॉडल मतदान केन्द्र होना चाहिए।
(ix) 80+निर्वाचकों, दिव्यांगजनों आदि की सूची तैयार की गई है और उन्हें यह अहसास कराने के लिए कि वे समाज के महत्वपूर्ण अंग हैं, उन्हें सम्मान/प्रशंसा पत्र भी भेजे गए हैं।
2. फोटो निर्वाचक नामावली और निर्वाचक फोटो पहचान पत्र (एपिक):
कर्नाटक के साधारण निर्वाचन के दौरान फोटो निर्वाचक नामावलियों का उपयोग किया जाएगा। निर्वाचक फोटो पहचान पत्र (एपिक) मतदान के समय निर्वाचक की पहचान स्थापित करने का एक दस्तावेज है। नाम-निर्देशन दाखिल करने की अंतिम तारीख से पहले सभी नव-पंजीकृत निर्वाचकों को एपिक की 100% प्रदायगी सुनिश्चित करने के हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं।
3. मतदाता सूचना पर्ची (वीआईएस)
मतदाता अपने मतदान केन्द्र में निर्वाचक नामावली की क्रम संख्या, मतदान की तारीख, समय आदि जान सकें, इन सब बातों में उनकी सहायता करने के लिए आयोग ने 'मतदाता सूचना पर्ची’ जारी करने का निर्णय लिया है। मतदाता सूचना पर्ची में मतदान केन्द्र, तारीख, समय आदि जैसी सूचना सम्मिलित होगी, लेकिन इसमें मतदाता का फोटो नहीं होगा। नामांकित सभी निर्वाचकों को जिला निर्वाचन अधिकारी द्वारा मतदान की तारीख से कम से कम 5 दिन पहले मतदाता सूचना पर्चियां वितरित की जाएंगी। हालांकि, मतदाताओं की पहचान के प्रमाण के रूप में मतदाता सूचना पर्ची को अनुमति नहीं दी जाएगी। यह स्मरण दिलाया जाता है कि आयोग ने 28 फरवरी, 2019 से पहचान के प्रमाण के रूप में फोटोयुक्त मतदाता पर्चियों को अनुमति देना बंद कर दिया था।
4. ब्रेल मतदाता सूचना पर्चियां:
निर्वाचन प्रक्रिया में दिव्यांगजनों (पीडब्ल्यूडी) की भागीदारी तथा सक्रिय सहभागिता सुनिश्चित करने के लिए आयोग ने निदेश दिया है कि दृष्टिबाधा से ग्रस्त व्यक्तियों को, सामान्य मतदाता सूचना पर्चियों के साथ-साथ, ब्रेल विशिष्टताओं वाली अभिगम्य मतदाता सूचना पर्चियां जारी की जाएं।
5. मतदाता गाइड:
इस निर्वाचन में, प्रत्येक निर्वाचक के घर-परिवार को निर्वाचनों से पहले मतदाता गाइड (हिंदी/अंग्रेजी/स्थानीय भाषा में) उपलब्ध करवाई जाएगी जिसमें मतदान की तारीख एवं समय, बीएलओ के संपर्क विवरण, महत्वपूर्ण वेबसाइट, हेल्पलाइन नंबर, मतदान केन्द्र में पहचान के लिए अपेक्षित दस्तावेजों के साथ-साथ मतदान केंद्र पर मतदाता ‘क्या करें और क्या न करें’, सहित अन्य महत्वपूर्ण सूचना दी जाएगी। यह मतदाता गाइड विवरणिका बीएलओ द्वारा मतदाता सूचना पर्चियों के साथ वितरित की जाएगी।
6. मतदान केंद्रों पर मतदाताओं की पहचान -
मतदान केंद्र पर मतदाताओं की पहचान के लिए मतदाता, अपने एपिक या आयोग द्वारा अनुमोदित निम्नलिखित दस्तावेजों में से कोई एक दस्तावेज प्रस्तुत करेंगे:
(i) आधार कार्ड
(ii) मनरेगा जॉब कार्ड
(iii) बैंक/डाक घर द्वारा जारी फोटोयुक्त पासबुक
(iv) श्रम मंत्रालय की स्कीम के अंतर्गत जारी स्वास्थ्य बीमा स्मार्ट कार्ड
(v) ड्राइविंग लाइसेंस
(vi) पैन कार्ड
(vii) एनपीआर के तहत आरजीआई द्वारा जारी स्मार्ट कार्ड
(viii) भारतीय पासपोर्ट
(ix) फोटोयुक्त पेंशन दस्तावेज
(x) केन्द्रीय/राज्य सरकार/लोक उपक्रम/पब्लिक लिमिटेड कम्पनियों द्वारा कर्मचारियों को जारी फोटोयुक्त सेवा पहचान पत्र,
(xi) सांसदों/विधायकों/विधान परिषद सदस्यों को जारी अधिकारिक पहचान पत्र; और
(xii) विशिष्ट दिव्यांग आईडी (यूडीआईडी) कार्ड, सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय, भारत सरकार
7. मतदान केंद्र और विशेष सुविधा –
(i) मतदान केन्द्र में निर्वाचकों की अधिकतम संख्या
एक मतदान केन्द्र में अधिकतम 1500 निर्वाचक होंगे। राज्य में मतदान केंद्रों की संख्या निम्नलिखित के अनुसार परिवर्तित हुई है:
राज्य का नाम
2018 में मतदान केंद्रों की संख्या
2023 में मतदान केंद्रों की संख्या
कर्नाटक
58,008
58,282
(ii) मतदान केन्द्रों पर आश्वस्त न्यूनतम सुविधाएं (एएमएफ):
आयोग ने कर्नाटक के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को यह सुनिश्चित करने के लिए अनुदेश जारी किए हैं कि प्रत्येक मतदान केन्द्र भूतल पर होने जरूरी हैं, मतदान केंद्र भवन तक जाने के लिए अच्छा सम्पर्क पथ हो और वह आश्वस्त न्यूनतम सुविधाओं (एएमएफ) जैसे पेयजल, प्रतीक्षा स्थल (वेटिंग शेड), पानी की सुविधा के साथ टॉयलेट, प्रकाश की पर्याप्त व्यवस्था, दिव्यांग निर्वाचकों के लिए उपयुक्त ढाल वाले रैम्प और एक मानक वोटिंग कम्पार्टमेंट आदि से युक्त हों। आयोग ने मुख्य निर्वाचन अधिकारी/जिला निर्वाचन अधिकारियों को निदेश दिया है कि वे प्रत्येक मतदान केंद्र पर स्थायी रैंप और स्थायी अवसंरचना तैयार करने के प्रयास करें।
(iii) सुगम्य निर्वाचन - दिव्यांगजनों और वरिष्ठ नागरिकों के लिए सुविधाएं:
कर्नाटक में सभी मतदान केंद्र भूतल पर स्थित हैं और नि:शक्त निर्वाचकों और व्हील चेयर वाले वरिष्ठ नागरिकों की सुविधा के लिए उचित ढलान वाले रैम्प की व्यवस्था की गई है। इसके अलावा, नि:शक्त मतदाताओं को लक्षित और आवश्यकता आधारित सुविधा प्रदान करने के लिए आयोग ने निदेश जारी किए हैं कि एक विधान सभा निर्वाचन-क्षेत्र के सभी दिव्यांगजनों और वरिष्ठ नागरिकों की पहचान की जाए और उन्हें उनके संबंधित मतदान केंद्रों के साथ टैग किया जाए तथा मतदान के दिन उनको सहज और सुविधाजनक मतदान अनुभव कराने के लिए निशक्तता-विशिष्ट आवश्यक व्यवस्थाएं की जाएं। अभिज्ञात दिव्यांग (पीडब्ल्यूडी) और वरिष्ठ नागरिक निर्वाचकों को रिटर्निंग आधिकारी (आरओ)/जिला निर्वाचन अधिकारी (डीईओ) द्वारा नियुक्त स्वयंसेवकों द्वारा सहायता प्रदान की जाएगी। मतदान केंद्रों पर दिव्यांग और वरिष्ठ नागरिक निर्वाचकों के लिए विशेष सुविधा प्रदान की जाएगी। साथ ही, यह निदेश भी दिया गया है कि मतदान बूथों में प्रवेश करने में नि:शक्त निर्वाचकों एवं वरिष्ठ नागरिकों को प्राथमिकता दी जाए, मतदान केंद्र परिसर के प्रवेश के निकट उनके लिए निर्दिष्ट पार्किंग स्थान की व्यवस्था की जाए और वाक् एवं श्रवण बाधा से ग्रस्त निर्वाचकों को विशेष सुविधा प्रदान की जानी चाहिए। नि:शक्त निर्वाचकों की विशेष जरूरतों के संबंध में मतदान कर्मियों को संवेदनशील बनाने पर विशेष ध्यान दिया गया है।
आयोग ने मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) को निदेश दिया है कि मतदान के दिन प्रत्येक मतदान केंद्र पर दिव्यांग एवं वरिष्ठ नागरिक निर्वाचकों के लिए उचित परिवहन सुविधा होनी चाहिए। दिव्यांग निर्वाचक सक्षम-ईसीआई ऐप पर पंजीकरण करके व्हीलचेयर सुविधा के लिए आवेदन कर सकते हैं।
जैसा कि निर्वाचनों का संचालन नियम, 1961 की धारा 49ढ में उपबंध किया गया है, मतदान केंद्र पर दृष्टिबाधित व्यक्ति अपनी ओर से मतदान करने के लिए अपने साथ एक साथी ले जा सकते हैं।
इसके अलावा, मतदान केंद्रों पर ब्रेल लिपि में डमी मतपत्र भी उपलब्ध हैं। कोई भी दृष्टिबाधित मतदाता इस शीट का उपयोग कर सकता है और इस शीट की विषय-वस्तु का अध्ययन करने के उपरांत साथी की सहायता लिए बिना ईवीएम के बैलेट यूनिट पर ब्रेल सुविधा का उपयोग करके स्वयं अपना मत डाल सकता है।
(iv) मतदाता सुविधा पोस्टर:
निर्वाचनों का संचालन नियम, 1961 के नियम 31 के अंतर्गत सांविधिक अपेक्षाओं को पूरा करने तथा प्रत्येक मतदान केंद्र पर मतदाता जागरूकता एवं सूचना के लिए सटीक एवं सुसंगत सूचना प्रदान करने के लिए आयोग ने यह निदेश भी दिया है कि एकसमान और मानकीकृत मतदाता सुविधा पोस्टर (वीएफपी) [कुल मिलाकर चार (4) प्रकार के पोस्टर अर्थात् 1. मतदान केंद्र विवरण, 2. अभ्यर्थियों की सूची, 3. क्या करें और क्या न करें तथा 4. पहचान के अनुमोदित दस्तावेज और मतदान कैसे करें] सभी मतदान केंद्रों पर प्रमुखता से प्रदर्शित किए जाएंगे।
(v) मतदाता सहायता बूथ (वीएबी):
प्रत्येक मतदान केंद्र स्थल के लिए मतदाता सहायता बूथ स्थापित किए जाएंगे जिनमें बीएलओ/पदाधिकारियों का एक दल होगा जो मतदाताओं की, उनके संबंधित मतदान बूथ की निर्वाचक नामावली में उनकी मतदान बूथ संख्या और क्रम संख्या का ठीक-ठीक पता लगाने में सहायता करेंगे। मतदाता सहायता बूथ (वीएबी) सुस्पष्ट पहचान सूचक के साथ और इस तरीके से स्थापित किए जाएंगे कि वे मतदाताओं के मतदान परिसर/भवन की ओर बढ़ने पर आसानी से उनकी नजर में आ सके जिससे वे मतदान के दिन अपेक्षित सुविधा प्राप्त करने में सक्षम हो सकें।
आसानी से नाम खोजने और निर्वाचक नामावली में क्रम संख्या जानने के लिए मतदाता सहायता बूथ पर ईआरओ नेट के जरिए सृजित वर्णक्रम लोकेटर (अंग्रेजी वर्णक्रम के अनुसार) रखा गया है।
vi) मतदान की गोपनीयता सुनिश्चित करने के लिए मानकीकृत मतदान कक्ष (वोटिंग कंपार्टमेंट):
मतदान के समय, मत की गोपनीयता बनाए रखने तथा मतदान कक्षों (वोटिंग कंपार्टमेंट्स) के उपयोग में एकरूपता लाने के लिए आयोग ने 15 नवंबर, 2016 को अपने अनुदेशों में संशोधन किया है तथा मतदान कक्षों की ऊंचाई को 30 इंच तक बढ़ा दिया है तथा यह निदेश भी दिए हैं कि वोटिंग कंपार्टमेंट एक ऐसे टेबल पर रखा जाना चाहिए जिसकी ऊंचाई 30 इंच हो। वोटिंग कंपार्टमेंट्स बनाने के लिए स्टील-ग्रे रंग का पूर्णत: अपारदर्शी और पुन:-प्रयोज्य केवल लहरदार (कोरूगेटेड) प्लास्टिक शीट (फ्लेक्स बोर्ड) का उपयोग किया जाएगा। आयोग आशा करता है कि सभी मतदान बूथों में इन मानकीकृत और एकसमान वोटिंग कंपार्टमेंट्स का उपयोग करने से मतदाताओं को वृहत्तर सुविधा मिलेगी, मत की पूर्ण गोपनीयता सुनिश्चित होगी और मतदान बूथों के भीतर वोटिंग कंपार्टमेंट तैयार करने में असामान्यताएं और असमानताएं दूर होंगी।
वोटिंग कंपार्टमेंट्स के तीनों तरफ स्वयं चिपकने वाले स्टिकर चिपकाए जाएंगे तथा उन पर निर्वाचन का नाम, पीसी/एसी संख्या और नाम तथा मतदान केंद्र संख्या और नाम और वर्ष का नाम आदि छपा होगा।
8. दिव्यांग मतदाताओं, 80+ वरिष्ठ नागरिकों, अनिवार्य सेवाओं में नियोजित निर्वाचकों और कोविड संदिग्ध/प्रभावित मतदाताओं के लिए पहल:
I. निर्वाचनों का संचालन नियम, 1961 का नियम 27क अधिसूचना दिनांक 22.10.2019 और 19.06.2020 के माध्यम से संशोधित किया गया है। उक्त दो संशोधनों के द्वारा "अनुपस्थित मतदाता" डाक मतपत्र द्वारा मतदान करने के हकदार हो गए हैं। "अनुपस्थित मतदाता" को निर्वाचनों का संचालन नियम, 1961 के नियम-27क के खंड (कक) में परिभाषित किया गया है, और इसमें अनिवार्य सेवाओं में नियोजित व्यक्ति, वरिष्ठ नागरिक (80+), दिव्यांगजन (बेंचमार्क या उससे अधिक की दिव्यांगता वाले) और कोविड 19 के संदिग्ध या प्रभावित व्यक्ति शामिल हैं। लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 60(ग) के अधीन अनिवार्य सेवाओं की श्रेणी निर्वाचन आयोग द्वारा सरकार के परामर्श से अधिसूचित की जाती है।
वरिष्ठ नागरिकों, दिव्यांगजनों (पीडब्ल्यूडी) और कोविड-19 संदिग्ध या प्रभावित व्यक्तियों की श्रेणी वाले अनुपस्थित मतदाताओं द्वारा डाक मतपत्र के माध्यम से मतदान के लिए मौजूदा दिशानिर्देशों में निम्नलिखित प्रक्रिया निर्दिष्ट की गई है: –
(i) अनुपस्थित मतदाता जो डाक मतपत्र द्वारा मतदान करना चाहता है, उसे संबंधित निर्वाचन क्षेत्र के रिटर्निंग ऑफिसर (आरओ) को प्ररूप-12घ में सभी अपेक्षित विवरण देते हुए आवेदन करना है। डाक मतपत्र की सुविधा चाहने वाले ऐसे आवेदन निर्वाचन की घोषणा की तारीख से लेकर संबंधित निर्वाचन की अधिसूचना की तारीख के पांच दिन बाद तक की अवधि के दौरान आरओ के पास पहुंच जाने चाहिए।
(ii) यदि दिव्यांगजन श्रेणी से संबंधित अनुपस्थित मतदाता (एवीपीडी) डाक मतपत्र का विकल्प चुनते हैं तो आवेदन (प्ररूप 12घ) के साथ दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 के अधीन संबंधित उपयुक्त सरकार द्वारा निर्दिष्ट बेंचमार्क दिव्यांगता प्रमाण पत्र की एक प्रति संलग्न होनी चाहिए।
(iii) बीएलओ द्वारा प्ररूप 12घ का वितरण:
(क) बीएलओ मतदान केंद्र क्षेत्र में आरओ द्वारा उपलब्ध कराए गए विवरण के अनुसार एवीएससी, एवीपीडी और एवीसीओ की श्रेणी में अनुपस्थित मतदाताओं के घरों का दौरा करेगा और संबंधित निर्वाचकों को प्ररूप 12घ वितरित करेगा और उनसे पावतियां प्राप्त करेगा।
(ख) यदि कोई निर्वाचक उपलब्ध नहीं है, तो बीएलओ उनसे अपने संपर्क विवरण साझा करेगा और अधिसूचना के पांच दिनों के भीतर प्ररूप 12घ लेने के लिए फिर से जाएगा।
(ग) निर्वाचक डाक मतपत्र का विकल्प चुन सकता है या नहीं चुन सकता है। यदि वह डाक मतपत्र का विकल्प चुनता है, तो बीएलओ अधिसूचना के पांच दिनों के भीतर निर्वाचक के घर से भरे हुए प्ररूप 12घ को एकत्र करेगा और आरओ के पास तत्काल जमा करेगा।
(घ) सेक्टर ऑफिसर आरओ के समग्र पर्यवेक्षण में बूथ लेवल अधिकारियों (बीएलओ) द्वारा द्वारा प्ररूप 12घ के वितरण और संग्रह की प्रक्रिया का पर्यवेक्षण करेंगे।
(iv) इसके अलावा, आरओ ऐसे सभी दिव्यांग (पीडब्ल्यूडी) और 80+ निर्वाचकों की सूची मुद्रित हार्डकॉपी में मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के निर्वाचन लड़ने वाले अभ्यर्थियों के साथ साझा करेगा, जिनके डाक मतपत्र सुविधा का लाभ उठाने के लिए प्ररूप 12घ में प्रस्तुत आवेदन आरओ द्वारा अनुमोदित किए गए हैं।
II. एक वीडियोग्राफर और सुरक्षा सहित 2 मतदान अधिकारियों वाला मतदान दल तब वोटिंग कंपार्टमेंट के साथ निर्वाचक के घर जाएगा और मत की पूर्ण गोपनीयता बनाए रखते हुए डाक मत-पत्र पर निर्वाचक से मतदान करवाएगा। अभ्यर्थियों को इन निर्वाचकों की सूची अग्रिम तौर पर दी जाएगी और उनको मतदान का कार्यक्रम और मतदान दलों का मार्ग चार्ट भी उपलब्ध कराया जाएगा ताकि वे अपने प्रतिनिधियों को मतदान प्रक्रिया का साक्षी बनने के लिए भेज सकें। तदुपरांत, रिटर्निंग अधिकारी द्वारा डाक मतपत्र सुरक्षित ढंग से स्टोर किया जाएगा।
III. यह एक वैकल्पिक सुविधा है और इसमें डाक विभाग की पत्र प्रेषण जैसी कोई व्यवस्था शामिल नहीं है।
IV. आयोग ने कर्नाटक के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को निदेश दिया है कि वे उपर्युक्त श्रेणियों के मतदाताओं में सूचना का प्रसार करने और उनको सुविधा प्रदान करने के लिए आवश्यक कदम उठाएं।
9. महिलाओं और दिव्यांगजनों द्वारा संचालित मतदान केंद्र-
लैंगिक समानता और निर्वाचन प्रक्रिया में महिलाओं की रचनात्मक भागीदारी बढ़ाने के प्रति अपनी पुरजोर प्रतिबद्धता के भाग के रूप में आयोग ने यह निदेश भी दिया है कि जहां तक संभव हो, निर्वाचन होने वाले कर्नाटक राज्य में प्रत्येक विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र में कम से कम एक ऐसा मतदान केंद्र स्थापित किया जाएगा जो महिलाओं और दिव्यांगजनों द्वारा अनन्य रूप से संचालित होगा। महिलाओं द्वारा संचालित ऐसे मतदान केंद्रों में, पुलिस और सुरक्षाकर्मियों सहित सभी निर्वाचन स्टॉफ महिलाएं होंगी। प्रत्येक विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में स्थानीय सामग्री और कला रूपों का उपयोग और चित्रण करके कम से कम एक मॉडल मतदान केंद्र तैयार किए जाएंगे।
इसके अलावा, नई पहल के तौर पर आयोग ने निर्णय लिया है कि प्रत्येक जिले का कम से कम एक मतदान केंद्र उस जिले के सबसे युवा पात्र कर्मचारियों के दल द्वारा संचालित किया जाएगा।
10. नाम-निर्देशन प्रक्रिया- नाम-निर्देशन दाखिल करने की प्रक्रिया के बारे में संक्षिप्त विवरण नीचे दिया गया है:
I. नाम-निर्देशन में ऑनलाइन विधि की सुविधा प्रदान करने के लिए अतिरिक्त विकल्प उपलब्ध कराए गए हैं:
(i) नाम-निर्देशन प्ररूप मुख्य निर्वाचन अधिकारी/जिला निर्वाचन अधिकारी की वेबसाइट पर ऑनलाइन भी उपलब्ध होंगे। कोई भी इच्छुक अभ्यर्थी इसे ऑनलाइन भर सकता है और रिटर्निंग अधिकारी के समक्ष प्रस्तुत करने के लिए उसका प्रिंट लिया जा सकता है जैसा कि प्ररूप-1 (निर्वाचनों का संचालन नियम 1961 का नियम-3) में निर्दिष्ट है।
(ii) शपथ पत्र मुख्य निर्वाचन अधिकारी/जिला निर्वाचन अधिकारी की वेबसाइट पर भी ऑनलाइन भरा जा सकता है, उसका प्रिंट लेकर नोटरीकृत करने के बाद उसे रिटर्निंग ऑफिसर के समक्ष नाम-निर्देशन प्ररूप के साथ जमा किया जा सकता है।
(iii) अभ्यर्थी अभिहित प्लेटफार्म पर ऑनलाइन विधि के माध्यम से जमानत-राशि जमा कर सकते हैं। हालांकि, अभ्यर्थी के पास कोषागार में इसे नकद रूप में जमा कराने का विकल्प बना रहेगा।
(iv) अभ्यर्थी नाम-निर्देशन करने के प्रयोजन से अपना निर्वाचक प्रमाणन ऑनलाइन प्राप्त करने का विकल्प भी चुन सकता है।
II. इसके अतिरिक्त, आयोग ने निम्नलिखित निदेश दिया है:
(i) रिटर्निंग अधिकारी के कक्ष में नाम-निर्देशन, संवीक्षा और प्रतीक आबंटन कार्य का निष्पादन करने के लिए पर्याप्त जगह होनी चाहिए।
(ii) रिटर्निंग अधिकारी को प्रत्याशित अभ्यर्थियों के लिए अग्रिम रूप से अलग-अलग समय आबंटित करना चाहिए।
(iii) नाम-निर्देशन प्ररूप और शपथ-पत्र प्रस्तुत करने के लिए उठाए जाने वाले सभी अपेक्षित कदम लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 में निहित प्रावधानों के अनुसार कार्यशील बने रहेंगे।
11. अभ्यर्थियों के शपथ-पत्र
सभी कॉलम भरे जाने हैं:
वर्ष 2008 की रिट याचिका संख्या (सी) 121 (रिसर्जेंस इंडिया बनाम भारत निर्वाचन आयोग और अन्य) में उच्चतम न्यायालय द्वारा पारित निर्णय दिनांक 13 सितंबर 2013, जिसमें अन्य बातों के साथ-साथ रिटर्निंग अधिकारी के लिए ‘यह जांच करना कि नामनिर्देशन पत्र के साथ शपथ पत्र भरे जाने के समय पर अपेक्षित सूचना (अभ्यर्थी द्वारा) पूर्णत: प्रदान की गई है या नहीं, अनिवार्य बनाया गया है, के अनुसरण में आयोग ने यह अनुदेश जारी किया है कि नामनिर्देशन पत्र के साथ दाखिल किए जाने वाले शपथ-पत्र में अभ्यर्थियों के लिए यह अपेक्षित है कि वे सभी कॉलमों को भरें। शपथ-पत्र में यदि कोर्इ कॉलम खाली छोड़ा जाता है तो रिटर्निंग ऑफिसर सभी कॉलम विधिवत रूप से भरे जाने के साथ संशोधित शपथ-पत्र दाखिल करने के लिए अभ्यर्थी को नोटिस जारी करेंगे। ऐसे नोटिस के उपरांत भी, अगर अभ्यर्थी सभी दृष्टियों से पूर्ण शपथ-पत्र दाखिल करने में असफल रहता है तो उसका नामनिर्देशन पत्र संवीक्षा के समय अस्वीकृत किए जाने का भागी बनेगा।
नाम-निर्देशन प्ररूप के फार्मेट और प्ररूप 26 में शपथ-पत्र में परिवर्तन:
दिनांक 16 सितंबर, 2016 और 07 अप्रैल, 2017 की अधिसूचनाओं के जरिए नामनिर्देशन प्ररूप 2क और 2ख के भाग ।।।क तथा नामनिर्देशन प्ररूप 2ग, 2घ और 2ङ के भाग ।। को संशोधित किया गया है। दिनांक 26 फरवरी, 2019 की अधिसूचना के जरिए प्ररूप 26 में शपथ पत्र को भी संशोधित किया गया है जिसमें (i) उन अभ्यर्थियों के लिए ‘पैन’ का अनिवार्य प्रकटन जिन्हें पैन आवंटित किया गया है या बिना पैन वाले अभ्यर्थी के लिए ‘कोई पैन आवंटित नहीं’ का स्पष्ट उल्लेख करने; (ii) अभ्यर्थी, उसके पति या पत्नी और एचयूएफ; और आश्रितों के पिछले 5 वर्षों में दायर की गई आयकर विवरणी में दर्शाई गई कुल आय का विवरण (iii) अभ्यर्थियों, उनके पति/पत्नी, एचयूएफ या और आश्रितों द्वारा किसी विदेशी कंपनी/ट्रस्ट में लाभकारी हित सहित विदेशों में धारित परिसंपत्तियों (चल/अचल) का विवरण प्रदान किए जाने का प्रावधान किया गया है। संशोधित नाम-निर्देशन प्ररूप और शपथ पत्र की प्रति आयोग की वेबसाइट https://eci.gov.in>menu>candidate nomiation & other Forms पर उपलब्ध है।
12. आपराधिक मामलों वाले अभ्यर्थी-
आपराधिक पूर्ववृत्त वाले अभ्यर्थियों के लिए अपेक्षित है कि वे निर्वाचन-प्रचार अवधि के दौरान तीन अवसरों पर समाचार पत्रों में और टेलीविजन चैनलों के माध्यम से इस संबंध में सूचना प्रकाशित करें। जो राजनैतिक दल आपराधिक पूर्ववृत्त वाले अभ्यर्थियों को खड़ा करते हैं, उनके लिए भी अपेक्षित है कि वे अपने अभ्यर्थियों की आपराधिक पृष्ठभूमि के बारे में, अपनी वेबसाइट में और समाचार-पत्रों और टेलीविजन चैनलों में भी, तीन अवसरों पर सूचना प्रकाशित करें।
आयोग ने अपने पत्र सं. 3/4/2019/एसडीआर/खंड IV दिनांक 16 सितंबर, 2020 के जरिए यह निदेश दिया है कि विनिर्दिष्ट अवधि निम्नलिखित तरीके से तीन खंडों में रखी जाएगी ताकि निर्वाचकों को ऐसे अभ्यर्थियों की पृष्ठभूमि के बारे में जानने का पर्याप्त समय मिले:
क. नाम-निर्देशन वापस लेने की तारीख के प्रथम 4 दिनों के भीतर
ख. अगले 5 से 8 दिनों के बीच
ग. 9वें दिन से प्रचार अभियान के अंतिम दिन तक (मतदान के दिन से पहले का दूसरा दिन)
(व्याख्या: यदि नाम-निर्देशन वापस लेने की अंतिम तिथि महीने का 10वां दिन है और मतदान महीने के 24वें दिन है तो घोषणा के प्रकाशन के लिए पहला खंड महीने के 11वें से 14वें दिन के बीच, दूसरा और तीसरा खंड क्रमश: महीने के 15वें और 18वें दिन के बीच और 19वें और 22वें दिन के बीच होगा)
यह अपेक्षा वर्ष 2015 की रिट याचिका (सिविल) सं. 784 (लोक प्रहरी बनाम भारत संघ और अन्य) में और वर्ष 2011 की रिट याचिका (सिविल) सं. 536 (पब्लिक इंटरेस्ट फाउंडेशन एवं अन्य बनाम भारत संघ और अन्य) में माननीय उच्चतम न्यायालय के निर्णय के अनुसरण में है।
13. आपराधिक मामलों से जुड़े अभ्यर्थी खड़े करने वाले राजनैतिक दल -
2011 की रिट याचिका (सि.) सं. 536 में 2018 की अवमानना याचिका (सि.) सं 2192 में माननीय उच्चतम न्यायालय के आदेश दिनांक 13.02.2020 के अनुसरण में राजनैतिक दलों (केंद्र और राज्य निर्वाचन स्तर पर) के लिए अनिवार्य है कि वे अपनी वेबसाइट पर लंबित आपराधिक मामलों (अपराधों की प्रकृति और संगत विवरणों जैसे कि आरोपों को तय कर दिया गया या नहीं, संबंधित न्यायालय और मामला सं. आदि सहित) वाले उन व्यक्तियों के बारे में विस्तृत जानकारी अपलोड करें, जिन्हें अभ्यर्थियों के रूप में चुना गया है, साथ ही ऐसे चयन के कारण भी बताएं कि बिना आपराधिक पूर्ववृत्त वाले अन्य व्यक्तियों का चयन अभ्यर्थी के रूप में क्यों नहीं किया जा सकता था। चयन के लिए कारण संबंधित अभ्यर्थियों की योग्यताएं, उपलब्धियों और गुणों के संदर्भ में होंगे, न कि सिर्फ निर्वाचनों में "जीत हासिल करने" की योग्यता होनी चाहिए।
यह सूचना निम्न माध्यमों में भी प्रकाशित की जाएगी:
क. स्थानीय भाषा के एक समाचार पत्र और एक राष्ट्रीय समाचार पत्र में;
ख. फेसबुक और ट्विटर सहित राजनैतिक पार्टी के आधिकारिक सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर।
ये विवरण उम्मीदवार के चयन के 48 घंटे के भीतर या नाम-निर्देशन दाखिल करने की पहली तारीख से पहले दो सप्ताह से अनधिक की अवधि, में प्रकाशित किए जाएंगे। संबंधित राजनैतिक दल तब उक्त उम्मीदवार के चयन के 72 घंटे के भीतर निर्वाचन आयोग को इन निर्देशों के अनुपालन की एक रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा। यदि कोई राजनैतिक दल निर्वाचन आयोग को इस तरह की अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत करने में विफल रहता है, तो निर्वाचन आयोग इस प्रकार के गैर-अनुपालन को न्यायालय के आदेशों/निदेशों की अवमानना मानते हुए उसे उच्चतम न्यायालय की जानकारी में लाएगा। आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध पत्र सं. 3/4/2020/एसडीआर/खंड III, दिनांक 6 मार्च, 2020 के माध्यम से जारी आयोग के अनुदेशों को देखा जा सकता है।
माननीय उच्चतम न्यायालय ने ब्रजेश सिंह बनाम सुनील अरोड़ा और अन्य [डब्ल्यूपी (सी) सं. 536/2011 में अवमानना याचिका (सी) संख्या 2192/2018 में अवमानना याचिका (सी) संख्या 656/2020)] के मामले में निर्णय दिनांक 10.08.2021 के माध्यम से कुछ अतिरिक्त निर्देश जारी किए, जिसे आयोग के पत्र सं. 3/4/एसडीआर/खंड I, दिनांक 26.08.2021 के तहत परिचालित किया गया है जो आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध हैं। निम्नलिखित निर्देश राजनैतिक दलों से संबंधित हैं:-
(क) राजनीतिक दलों को अपनी वेबसाइटों के होमपेज पर अभ्यर्थियों के आपराधिक पूर्ववृत्त के बारे में सूचना प्रकाशित करनी है, जिससे मतदाता के लिए उपलब्ध कराई जाने वाली सूचना प्राप्त करना अपेक्षाकृत अधिक आसान हो जाए। अब होमपेज पर "आपराधिक पूर्ववृत्त वाले अभ्यर्थियों" का एक शीर्षक होना भी आवश्यक हो जाएगा;
(ख) हम स्पष्ट करते हैं कि हमारे आदेश दिनांक 13.02.2020 के पैराग्राफ 4.4 में निर्देश आशोधित हो जाता है और यह स्पष्ट किया जाता है कि जिन विवरणों को प्रकाशित किया जाना आवश्यक है, उन्हें अभ्यर्थी के चयन के 48 घंटों के भीतर प्रकाशित किया जाएगा, न कि नाम-निर्देशन दाखिल करने की पहली तारीख से दो सप्ताह पहले; तथा
(ग) हम दोहराते हैं कि यदि कोई राजनैतिक दल भारत निर्वाचन आयोग को इस तरह की अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत करने में विफल रहता है, तो भारत निर्वाचन आयोग इस प्रकार के गैर-अनुपालन को इस न्यायालय के आदेशों/निदेशों की अवमानना मानते हुए उसे इस न्यायालय के संज्ञान में लाएगा, जिसे भविष्य में बहुत गंभीरता से लिया जाएगा।
14. जिला, विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र स्तरीय और बूथ स्तरीय निर्वाचन प्रबंधन योजना-
निर्वाचनों के संचालन के लिए जिला निर्वाचन अधिकारियों को कहा गया है कि वे एस.एस.पी./एस.पी. तथा सेक्टर अधिकारियों के परामर्श से रूट योजना और संचार योजना सहित व्यापक जिला निर्वाचन प्रबंधन योजना तैयार करें। प्रेक्षकों द्वारा इन योजनाओं की पुनरीक्षा, भारत निर्वाचन आयोग के विद्यमान अनुदेशों के अनुसार अतिसंवेदनशीलता मानचित्रण कवायद और अत्यंत महत्वपूर्ण मतदान केंद्रों के मानचित्रण को ध्यान में रखते हुए की जाएगी।
15. संचार योजना -
आयोग निर्वाचनों के सुचारू संचालन के लिए और मतदान के दिन समवर्ती हस्तक्षेप और मध्यकालिक सुधार करने के लिए जिला/निर्वाचन-क्षेत्र स्तर पर एक अचूक संचार योजना बनाने और उसका क्रियान्वयन करने को बहुत महत्व देता है। उक्त प्रयोजन के लिए, आयोग ने कर्नाटक के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को निदेश दिया है कि वे राज्य मुख्यालय में दूरसंचार विभाग के अधिकारियों, बीएसएनएल/एमटीएनएल के प्राधिकारियों, राज्य के अन्य अग्रणी सेवा प्रदाताओं के प्रतिनिधियों के साथ समन्वय करें ताकि राज्य में नेटवर्क स्थिति का आकलन किया जा सके और संचार की कम पहुंच वाले क्षेत्रों की पहचान की जा सके। मुख्य निर्वाचन अधिकारी को यह अनुदेश दिया गया है कि वे अपने राज्य में सर्वश्रेष्ठ संचार योजना तैयार करें तथा सैटेलाइट फोन, वायरलेस सेट, विशेष हरकारे आदि की व्यवस्था करके संचार की कम पहुंच वाले क्षेत्रों में उपयुक्त वैकल्पिक व्यवस्थाएं करें।
16. पर्यावरण अनुकूल निर्वाचन-
निर्वाचन आयोग ने विभिन्न अवसरों पर राजनैतिक दलों और अभ्यर्थियों को उनके निर्वाचन अभियान कार्यकलापों में सिंगल-यूज प्लॉस्टिक और गैर-जैव-अवक्रमणीय सामग्री का उपयोग करने से बचने का अनुरोध करते हुए सलाह जारी की है।
आयोग काफी समय से सभी राजनैतिक दलों से उनके प्रचार अभियान उद्देश्यों के लिए केवल पर्यावरण अनुकूल सामग्री का उपयोग करने के लिए कहता रहा है। इस संबंध में, आयोग ने दिनांक 26.02.2019 को पुन: अनुदेश दिया है कि मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण के हित में सभी राजनैतिक दलों को निर्वाचनों के दौरान प्रचार सामग्री (पोस्टर, बैनर आदि) के रूप में सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग न करने के लिए पर्याप्त कदम उठाने चाहिए और आवश्यक उपाय करने चाहिए। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा दिनांक 12.08.2021 को अधिसूचित प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन संशोधन नियम, 2021 भी मुख्य निर्वाचन अधिकारी को यह कहते हुए परिचालित कर दिया गया है कि वे इसे अभ्यर्थियों और राजनैतिक दलों सहित सभी हितधारकों के ध्यान में लाएं।
इसके अलावा, एनजीटी ने भी सभी संबंधितों से आग्रह किया है कि वे इस संबंध में भारत निर्वाचन आयोग के अनुदेशों की सजगता के साथ निगरानी करें।
17. आदर्श आचार संहिता-
निर्वाचन कार्यक्रम की घोषणा होने के साथ ही आदर्श आचार संहिता (एमसीसी) तत्काल प्रभाव से लागू हो जाती है। आदर्श आचार संहिता के सभी प्रावधान कर्नाटक राज्य के सभी हिस्सों में सभी अभ्यर्थियों, राजनैतिक दलों और उक्त राज्य सरकार के संदर्भ में लागू हो जाएंगे। यह आदर्श आचार संहिता संघ सरकार पर भी लागू होगी, जहां तक इसका संबंध कर्नाटक राज्य के संबंध में/के लिए घोषणाएं करने/नीतिगत निर्णय लिए जाने से है।
आयोग ने एमसीसी दिशा-निर्देशों का प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए विस्तृत व्यवस्थाएं की हैं। इन दिशा-निर्देशों के किसी भी प्रकार के उल्लंघन से कड़ाई से निपटा जाएगा और आयोग इस बात पर पुन: जोर देता है कि इस बारे में समय-समय पर जारी अनुदेशों को सभी राजनैतिक दलों, निर्वाचन लड़ने वाले अभ्यर्थियों और उनके अभिकर्ताओं/प्रतिनिधियों द्वारा पढ़ा व समझा जाना चाहिए ताकि किसी भी प्रकार की भ्रांति या सूचना के अभाव या अधूरी समझ/निर्वचन से बचा जा सके। निर्वाचन करवाए जाने वाले राज्यों की सरकारों को यह निदेश भी दिए गए हैं कि वे यह सुनिश्चित करें कि आदर्श आचार संहिता की अवधि के दौरान सरकारी तंत्र/पद का दुरुपयोग न हो।
आयोग ने निर्वाचन कार्यक्रम की घोषणा के शुरुआती 72 घंटों के दौरान आदर्श आचार संहिता के प्रवर्तन के लिए त्वरित, प्रभावी एवं सख्त कार्रवाई करने के लिए और मतदान की समाप्ति से पूर्व आखिरी 72 घंटों में अतिरिक्त सतर्कता बरतने और सख्त प्रवर्तन कार्रवाई करने के लिए भी अनुदेश जारी किए हैं। ये अनुदेश फील्ड निर्वाचन तंत्र द्वारा अनुपालन के लिए मानक संचालन प्रक्रियाओं (एसओपी) के रूप में जारी किए गए हैं।
18. वीडियोग्राफी/वेबकास्टिंग/सीसीटीवी कवरेज-
सभी महत्वपूर्ण कार्यक्रमों की वीडियोग्राफी की जाएगी। जिला निर्वाचन अधिकारी इस प्रयोजन के लिए पर्याप्त संख्या में वीडियो और डिजीटल कैमरे और कैमरा टीमों की व्यवस्था करेंगे। वीडियोग्राफी किए जाने वाले कार्यक्रमों में नामनिर्देशन पत्र दाखिल करना और उनकी संवीक्षा करना और प्रतीकों का आबंटन, प्रथम स्तरीय जांच, इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों को तैयार करना और उनका भंडारण, निर्वाचन-अभियान के दौरान महत्वपूर्ण सार्वजनिक बैठकें, जुलूस आदि, डाक मतपत्रों के प्रेषण की प्रक्रिया, अभिज्ञात अतिसंवेदनशील मतदान केन्द्रों में मतदान प्रक्रिया, मतदान में प्रयुक्त र्इवीएम एवं वीवीपैट का भंडारण, मतों की गणना आदि शामिल होंगे। इसके अतिरिक्त, प्रभावी अनुवीक्षण और निगरानी करने के लिए महत्वपूर्ण सीमा चैक पोस्टों और स्थैतिक जांच बिन्दुओं पर सीसीटीवी लगाए जाएंगे। आयोग ने निदेश दिया है कि महत्वपूर्ण मतदान केंद्रों और संवेदनशील क्षेत्रों में स्थित सभी मतदान केंद्रों में अथवा सहायक मतदान केंद्रों सहित कुल मतदान केंद्रों में से कम से कम 50% मतदान केंद्रों, जो भी अधिक हो, में वेबकास्टिंग की व्यवस्था की जाएगी।
19. लोक उपद्रव को रोकने के उपाय-
आयोग ने निदेश दिया है कि निर्वाचन की घोषणा की तारीख से शुरू होने वाली और निर्वाचन-परिणामों की घोषणा के साथ समाप्त होने वाली सम्पूर्ण निर्वाचन अवधि के दौरान निर्वाचन-प्रचार प्रयोजनों हेतु सार्वजनिक बैठकों के लिए सार्वजनिक उद्घोषणा प्रणाली या लाउडस्पीकर या किसी भी ध्वनि एम्पलीफायर, चाहे किसी भी प्रकार के वाहनों पर फिट किए गए हों, या स्थैतिक स्थिति में हों, का रात्रि 10.00 बजे से पूर्वा. 6.00 बजे के बीच प्रयोग करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
इसके अतिरिक्त, किसी भी मतदान-क्षेत्र में मतदान की समाप्ति के लिए नियत समय के साथ समाप्त होने वाली 48 घंटों की अवधि के दौरान किसी भी तरह के वाहनों पर फिट किए गए या किसी भी अन्य तरीके से लाउडस्पीकरों का इस्तेमाल किए जाने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
20. प्रचार रहित (साइलेंस) अवधि के संबंध में राजनैतिक दलों को परामर्शिका-
संचार प्रौद्योगिकी में प्रगति और सोशल मीडिया के आविर्भाव के संदर्भ में धारा 126 की क्रियाशीलता की समीक्षा करने के लिए, आयोग द्वारा एक समिति का गठन किया गया था, जिसे लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 126 के उपबंधों और अन्य संबंधित उपबंधों का अध्ययन करने और इस संबंध में उपयुक्त सिफारिश करने का अधिदेश दिया गया था। समिति ने 10 जनवरी, 2019 को आयोग को अपनी रिपोर्ट सौंपी। समिति ने अन्य प्रस्तावों के अलावा, धारा 126 के प्रावधानों का अक्षरशः अनुपालन करने के लिए राजनीतिक दलों को परामर्श दिए जाने का प्रस्ताव दिया है। आयोग ने सभी राजनैतिक दलों से आह्वान किया कि वे अपने नेताओं और प्रचारकों को यह सुनिश्चित करने हेतु अनुदेश दें कि वे लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 126 के तहत यथा-परिकल्पित सभी प्रकार के संचार माध्यमों के संबंध में प्रचार रहित (साइलेंस) अवधि का पालन करें और उनके नेता और कैडर ऐसा कोई कार्य न करें जिससे धारा 126 की भावना का उल्लंघन हो।
बहु-चरणीय निर्वाचनों में, अंतिम 48 घंटों की प्रचार रहित (साइलेंस) अवधि कतिपय निर्वाचन क्षेत्रों में लागू रह सकती है जबकि अन्य निर्वाचन क्षेत्रों में प्रचार अभियान जारी रह सकता है। ऐसी स्थिति में, प्रचार रहित (साइलेंस) अवधि का पालन कर रहे निर्वाचन क्षेत्रों में दलों या अभ्यर्थियों के लिए समर्थन मांगने हेतु कोई भी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष संदर्भ नहीं दिया जाना चाहिए।
प्रचार रहित (साइलेंस) अवधि के दौरान, स्टार प्रचारकों और अन्य राजनैतिक दलों को प्रेस कांफ्रेंस के माध्यम से और निर्वाचन संबंधी मामलों पर साक्षात्कार देकर मीडिया को संबोधित करने से बचना चाहिए।
21. कानून और व्यवस्था, सुरक्षा व्यवस्था तथा बलों की तैनाती-
निर्वाचनों के संचालन में विस्तृत सुरक्षा प्रबंधन शामिल होता है जिसमें न केवल मतदान कर्मियों, मतदान केन्द्रों तथा मतदान सामग्री की सुरक्षा शामिल है, अपितु इसमें निर्वाचन प्रक्रिया की समग्र सुरक्षा भी शामिल है। स्वतंत्र, निष्पक्ष एवं विश्वसनीय तरीके से निर्वाचनों के सुचारू संचालन हेतु शांतिपूर्ण एवं अनुकूल वातावरण सुनिश्चित करने के लिए केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) की तैनाती स्थानीय पुलिस बलों के अनुपूरक के रूप में की जाती है।
जमीनी स्थिति के आकलन के आधार पर, निर्वाचन के दौरान केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) और अन्य राज्य से ली गर्इ राज्य सशस्त्र पुलिस (एसएपी) की तैनाती की जाएगी। क्षेत्र पर वर्चस्व स्थापित करने, संवेदनशील पॉकेटों में रूट मार्च करने, प्वाइंट पेट्रोलिंग करने तथा मतदाताओं, विशेषकर कमजोर वर्गों, अल्पसंख्यकों आदि को आश्वस्त करने तथा उनके मन में विश्वास जगाने के लिए केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बलों की समय रहते तैनाती की जाएगी। इलाके से भली-भांति अवगत होने और स्थानीय बलों के साथ तालमेल स्थापित करने हेतु केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बलों की तैनाती समय से कर दी जाएगी तथा इन क्षेत्रों में मूवमेंट, प्रवर्तन कार्यकलापों आदि के लिए अन्य सभी मानक सुरक्षा प्रोटोकॉल का कड़ाई से पालन किया जाएगा। विभिन्न हितधारकों के परामर्श से कर्नाटक के मुख्य निर्वाचन अधिकारी द्वारा जमीनी वास्तविकताओं के आकलन के आधार पर व्यय संवेदनशील निर्वाचन-क्षेत्रों तथा अन्य संवेदनशील क्षेत्रों एवं महत्वपूर्ण मतदान केन्द्रों में भी केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बल/एसएपी की तैनाती की जाएगी। मतदान-दिवस की पूर्व-सन्ध्या पर, केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बल/एसएपी संबंधित मतदान केन्द्रों में पोजिशन ले लेंगे और उन्हें नियंत्रण में ले लेंगे तथा वे मतदान के दिन मतदान केन्द्रों की सुरक्षा करने तथा निर्वाचकों एवं मतदान कर्मियों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए उत्तरदायी होंगे। इसके अलावा, इन बलों का इस्तेमाल उन स्ट्राँग रूमों की सुरक्षा के लिए किया जाएगा जहां र्इवीएम एवं वीवीपैट का भंडारण किया जाता है। इनका मतगणना केन्द्रों की सुरक्षा के लिए और यथापेक्षित अन्य प्रयोजनों के लिए भी इस्तेमाल किया जाएगा। विधान सभा खंडों में बलों की संपूर्ण तैनाती आयोग द्वारा प्रतिनियुक्त केंद्रीय प्रेक्षकों के पर्यवेक्षणाधीन होगी।
राज्य पुलिस कर्मियों और सीएपीएफ का इष्टतम तथा प्रभावकारी उपयोग सुनिश्चित करने के लिए आयोग ने निदेश दिया है कि राज्य निर्वाचन सुरक्षा परिनियोजन योजना के संबंध में संयुक्त रूप से निर्णय लेने और राज्य पुलिस का यादृच्छिकीकरण सुनिश्चित करने के लिए सीईओ, राज्य पुलिस के नोडल अधिकारी और राज्य सीएपीएफ के समन्वयक की एक समिति का गठन किया जाए।
22. अ.जा./अ.ज.जा. तथा अन्य कमजोर वर्गों के निर्वाचकों को सुरक्षा प्रदान करना-
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 (2015 में यथा-संशोधित) की धारा 3(1) के अनुसार कोर्इ भी व्यक्ति, जो अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति का सदस्य नहीं है, अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के किसी सदस्य को मतदान न करने के लिए या किसी विशिष्ट अभ्यर्थी के लिए मतदान करने के लिए या विधि द्वारा उपबंधित रीति से भिन्न रीति से मतदान करने के लिए, या एक अभ्यर्थी आदि के रूप में खड़ा नहीं होने के लिए मजबूर या अभित्रस्त करेगा; वह कारावास से, जिसकी अवधि छह माह से कम की नहीं होगी किंतु जो पांच वर्ष तक बढ़ार्इ जा सकेगी, और जुर्माने से दण्डनीय होगा। आयोग ने कर्नाटक राज्य से कहा है कि वे इन उपबंधों को, इन पर तत्परतापूर्वक कार्रवार्इ किए जाने के लिए, सभी संबंधितों के ध्यान में लाएं। संवेदनशील वर्गों, विशेषकर अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों आदि के मतदाताओं में आत्मविश्वास जगाने तथा मतदान प्रक्रिया की शुचिता तथा विश्वसनीयता में उनकी धारणा तथा विश्वास बढ़ाने के उद्देश्य से, केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बल/एसएपी को ऐसे क्षेत्रों में गश्त करने, रूट मार्च करने तथा केन्द्रीय प्रेक्षकों के पर्यवेक्षण में विश्वास बढ़ाने संबंधी अन्य आवश्यक उपायों के लिए व्यापक रूप से तथा बढ़-चढ़ कर उपयोग में लाया जाएगा।
23. निर्वाचन व्यय अनुवीक्षण-
अभ्यर्थियों के निर्वाचन व्यय के प्रभावी अनुवीक्षण के प्रयोजन से व्यापक अनुदेश जारी किए गए हैं, जिसमें व्यय प्रेक्षकों, सहायक व्यय प्रेक्षकों की तैनाती, उड़न दस्तों (एफएस), स्थैतिक निगरानी टीमों (एसएसटी), वीडियो निगरानी दलों (वीएसटी), वीडियो अवलोकन टीमों (वीवीटी), लेखा टीमों (एटी), मीडिया प्रमाणन एवं अनुवीक्षण समिति (एमएएमसी), जिला व्यय अनुवीक्षण समिति (डीईएमसी) का गठन, राज्य पुलिस, राज्य उत्पाद शुल्क विभाग, आयकर विभाग के अन्वेषण निदेशालय, केन्द्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड, प्रवर्तन निदेशालय, वित्तीय आसूचना इकाई (एफआईयू-आईएनडी), डीआरआई, आरपीएफ, बीसीएएस, सीआईएसएफ, बीएसएफ, असम राइफल्स, आईटीबीपी, आईसीजी, वाणिज्य कर विभाग तथा नार्कोटिक्स नियंत्रण ब्यूरो और डाक विभाग की सहभागिता शामिल है। राज्य उत्पाद शुल्क विभाग को निर्वाचन प्रक्रिया के दौरान शराब के उत्पादन, वितरण, बिक्री और भण्डारण तथा मुफ्त में सामान देकर प्रलोभन दिए जाने पर निगरानी रखने को कहा गया है। जीपीएस ट्रैकिंग/एवं सी-विजिल ऐप का उपयोग करते हुए उड़न दस्तों/सचल दलों के काम-काज तथा प्रचालनों का गहनता से अनुवीक्षण किया जाएगा। अधिकाधिक पारदर्शिता के लिए और निर्वाचन व्यय के अनुवीक्षण-कार्य की सहूलियत के लिए, अभ्यर्थियों के लिए यह अपेक्षित होगा कि वे एक पृथक बैंक खाता खोलें और उस खाता-विशेष से ही अपने निर्वाचन संबंधी व्यय करें। आयकर विभाग के अन्वेषण निदेशालय को कहा गया है कि वे राज्य के हवार्इ अडडों में हवार्इ आसूचना ईकाइयां खोलें और आसूचना भी जुटाएं तथा कर्नाटक में भारी मात्रा में धनराशि की आवाजाही की जांच करने के लिए आवश्यक कार्रवार्इ करें। पूरी निर्वाचन प्रक्रिया के दौरान 24 घंटे सक्रिय रहने वाला टोल फ्री नंबर युक्त नियंत्रण कक्ष और शिकायत निगरानी केंद्र संचालित होगा। जिला निर्वाचन अधिकारियों (डीईओ) को बैंकों से 1 लाख रुपये से अधिक की असामान्य और संदिग्ध नकद निकासी या जमा राशि के संबंध में जानकारी प्राप्त करने का निर्देश दिया गया है ताकि उसका विधिवत सत्यापन किया जा सके और उसके उपरांत आवश्यक कार्रवाई की जा सके। यदि यह राशि 10 लाख रुपये से अधिक है, तो जिला निर्वाचन अधिकारी (डीईओ) आवश्यक कार्रवाई के लिए ऐसी जानकारी आयकर विभाग को देंगे। अभ्यर्थियों के निर्वाचन व्यय की प्रभावी निगरानी के लिए एफआईयू-आईएनडी से सीबीडीटी के साथ नकद लेनदेन रिपोर्ट (सीटीआर) और संदिग्ध लेनदेन रिपोर्ट (एसटीआर) साझा करने का अनुरोध किया गया है।
व्यय अनुवीक्षण तंत्र को सशक्त करने के लिए आयोग द्वारा शुरू की गई कुछ नई पहल निम्नलिखित हैं:
(i) नकदी जब्त करने एवं अवमुक्त करने के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी😞
निर्वाचनों की शुचिता बनाए रखने के प्रयोजनार्थ, भारत निर्वाचन आयोग ने निर्वाचन प्रक्रिया के दौरान निर्वाचन-क्षेत्रों में अत्यधिक प्रचार व्यय, रिश्वत की वस्तुओं का नकद या वस्तु रूप में वितरण करने, अवैध हथियारों, गोला-बारूद, मदिरा, या असामाजिक तत्वों आदि के मूवमेंट पर नजर रखने के लिए गठित उड़न दस्तों और स्थैतिक निगरानी दलों के लिए मानक संचालन प्रक्रिया जारी की है। इसके अतिरिक्त, जनसाधारण को असुविधा से बचाने और उनकी शिकायतों, यदि कोई हों, का निवारण करने के लिए भी आयोग ने अनुदेश सं. 76/अनुदेश/ईईपीएस/2015/खंड-II दिनांक 29.05.2015 जारी किया है जिसमें यह कहा गया है कि जिले के तीन अधिकारियों, नामत: (i) मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ), जिला परिषद/समुदाय विकास अधिकारी (सीडीओ)/परियोजना निदेशक (पी.डी.), डीआरडीए (ii) जिला निर्वाचन कार्यालय में व्यय अनुवीक्षण के नोडल अधिकारी (संयोजक) और (iii) जिला कोषागार अधिकारी को शामिल करके एक समिति का गठन किया जाएगा। यह समिति पुलिस या एसएसटी या एफएस द्वारा की गई जब्ती के प्रत्येक मामले की स्वप्रेरणा से जांच करेगी और समिति जहां पाती है कि मानक संचालन प्रक्रिया के अनुसार जब्ती के लिए कोई एफआईआर/शिकायत दाखिल नहीं की गई है या जहां जब्ती कोई अभ्यर्थी या राजनैतिक दल या कोई निर्वाचन अभियान आदि से जुड़ी हुई नहीं है, तो वह ऐसे व्यक्तियों, जिनसे नकदी जब्त की गई थी, को ऐसी नकदी आदि अवमुक्त (रिलीज) करने के लिए आदेश जारी करने के लिए उस आशय का सकारण आदेश पारित करने के उपरांत, तत्काल कदम उठाएगी। किसी भी परिस्थिति में जब्त नकदी/जब्त मूल्यवान वस्तुओं से संबंधित मामले को मतदान की तारीख के बाद 7 (सात) से अधिक दिनों के लिए मालखाने या कोषागार में तब तक लंबित नहीं रखा जाएगा जब तक कि कोई एफआईआर/शिकायत न दायर की गई हो।
(ii) प्रचार वाहनों के लिए उपगत व्यय का लेखाकरण – आयोग के ध्यान में यह आया है कि अभ्यर्थी, प्रचार के प्रयोजनार्थ रिटर्निंग अधिकारी से वाहनों के उपयोग की अनुमति लेते हैं परंतु कुछ अभ्यर्थी अपने निर्वाचन व्यय लेखे में वाहनों को भाड़े पर लेने का शुल्क या ईंधन व्यय नहीं दिखाते हैं। इसलिए, यह निर्णय लिया गया है कि जब तक अभ्यर्थी, रिटर्निंग अधिकारी को वाहन को प्रचार से हटाने की सूचना नहीं देता, तब तक प्रचार वाहनों की मद में कल्पित व्यय की गणना वाहनों की उस संख्या के आधार पर की जाएगी जिसके लिए रिटर्निंग अधिकारी द्वारा अनुमति प्रदान की गई है।
(iii) लेखा समाधान बैठक: निर्वाचन लड़ने वाले अभ्यर्थियों के व्यय लेखे से संबंधित मुकदमों को कम करने के लिए, लेखे के अंतिम प्रस्तुतीकरण से पहले, परिणामों की घोषणा के बाद 26वें दिन, जिला निर्वाचन अधिकारी द्वारा एक लेखा समाधान बैठक आयोजित की जाएगी।
(iv) आपराधिक पूर्ववृत्त के प्रचार-प्रसार पर व्यय का लेखाकरण: वर्ष 2011 की रिट याचिका(सि) संख्या 536 में माननीय उच्चतम न्यायालय के निर्णय दिनांक 25.09.2018 के अनुसरण में, अभ्यर्थियों के साथ-साथ संबंधित राजनैतिक दल नाम-निर्देशन पत्र दाखिल करने के उपरांत कम से कम तीन बार अभ्यर्थियों के आपराधिक पूर्ववृत्त के संबंध में राज्य में व्यापक रूप से परिचालित समाचार पत्रों में और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर विहित फार्मेट में एक घोषणा जारी करेंगे। अभ्यर्थियों के लिए अपेक्षित है कि वे इस संबंध में उनके द्वारा उपगत व्यय का अपने लेखे में रखरखाव करें और उसे परिणामों की घोषणा के 30 दिनों के भीतर संबंधित डीईओ को उनके द्वारा प्रस्तुत किए जाने वाले निर्वाचन व्यय के उनके सार विवरण (अनुसूची 10) में के साथ उल्लिखित किया जाएगा। राजनैतिक दलों से भी अपेक्षित है कि वे विधान सभा निर्वाचन पूर्ण होने के 75 दिनों के भीतर आयोग (मान्यता प्राप्त राजनैतिक दल)/सीईओ (अमान्यताप्राप्त राजनैतिक दल) को प्रस्तुत किए जाने वाले अपने निर्वाचन व्यय के विवरण (अनुसूची 23क, 23ख) में इस संबंध में उनके द्वारा उपगत व्यय को दर्शाएं।
(v) अभ्यर्थियों के लेखे में अभ्यर्थी की निर्वाचकीय संभावनाओं को बढ़ावा देने के लिए अभ्यर्थी के बूथ/कियॉस्क पर और दल के स्वामित्व वाले टीवी/केबल चैनल/समाचार पत्र पर उपगत व्यय:
आयोग ने लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 77(1) के संगत उपबंधों का और परीक्षण करने पर निर्णय लिया था कि मतदान केन्द्रों के बाहर स्थापित अभ्यर्थियों के बूथ, इसके बाद से, अभ्यर्थियों द्वारा अपने व्यक्तिगत प्रचार के भाग के रूप में स्थापित किए गए माने जाने चाहिए न कि सामान्य दलीय प्रचार के द्वारा और तदनुसार, अभ्यर्थियों के ऐसे बूथों पर उपगत सभी व्यय अभ्यर्थी/उसके निर्वाचन एजेंट द्वारा उपगत/अधिकृत किए गए माने जाएंगे ताकि उन्हें निर्वाचन व्यय के उनके लेखे में शामिल किया जा सके।
इसके अतिरिक्त, आयोग ने उपर्युक्त मामले में विभिन्न स्रोतों से प्राप्त संदर्भों/शिकायतों पर विचार करने के उपरांत निदेश दिया है कि यदि अभ्यर्थी (अभ्यर्थियों) या उनके प्रायोजक दल अभ्यर्थी की निर्वाचकीय संभावनाओं को बढ़ावा देने के लिए अपने स्वामित्व वाले टीवी/केबल चैनल/समाचार पत्र का उपयोग करते हैं तो उसके निमित्त खर्च को चैनल/समाचार पत्र के मानक रेट काडर्स के अनुसार संबंधित अभ्यर्थी द्वारा अपने निर्वाचन व्यय विवरण में शामिल करना होगा, चाहे उन्होंने चैनल/समाचार पत्र को वास्तव में कोई धनराशि का भुगतान किया हो या नहीं। आयोग के पूर्वोक्त निर्णयों के अनुसरण में, निर्वाचन व्यय के सार विवरण में अनुसूची 6 और अनुसूची 4 और 4क में संशोधन कर दिया गया है और निर्वाचन व्यय अनुवीक्षण पर अनुदेशों के सार-संग्रह में तदनुरूप समाविष्ट कर दिया गया है।
(vi) आभासी (वर्चुअल) प्रचार अभियान पर हुए व्यय का लेखाकरण:
अभ्यर्थियों से अपेक्षित है कि वे अपने लेखे में इस संबंध में उनके द्वारा किए गए खर्च का हिसाब-किताब रखें और यह संबंधित डीईओ को परिणामों की घोषणा के 30 दिन के भीतर उनके द्वारा प्रस्तुत किए जाने वाले निर्वाचन व्यय के लेखे के साथ निर्वाचन व्यय के सार विवरण (अनुसूची 11) में परिलक्षित होगा। राजनीतिक दलों से भी यह अपेक्षित है कि वे विधानसभा निर्वाचन के समाप्त होने के 75 दिनों के भीतर इस संबंध में उनके द्वारा किए गए व्यय को आयोग (मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल)/सीईओ (अमान्यता प्राप्त राजनीतिक दल) को प्रस्तुत किए जाने वाले अपने निर्वाचन व्यय के विवरण (अनुसूची 24क, 24ख) में दर्शाएं।
(vii) राजनैतिक दलों द्वारा अंतिम लेखे:
राष्ट्रीय और राज्यीय मान्यताप्राप्त दलों से अपेक्षित है कि विधान सभा निर्वाचन संपन्न होने के 75 दिनों के भीतर वे अपनी निर्वाचन व्यय विवरणी भारत निर्वाचन आयोग को प्रस्तुत करें जबकि पंजीकृत अमान्यताप्राप्त राजनैतिक दलों के लिए अपेक्षित है कि वे अपनी निर्वाचन व्यय विवरणी उस राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को प्रस्तुत करें जहां उनके दल का मुख्यालय स्थित है। ऐसे लेखे आयोग की वेबसाइट पर जन सामान्य के अवलोकनार्थ अपलोड किए जाएंगे। राजनैतिक दलों और अभ्यर्थियों के लेखे की पारदर्शिता और लेखा-समाधान हेतु राजनैतिक दलों को अभ्यर्थी राजनैतिक दल द्वारा किए गए एकमुश्त भुगतान के संबंध में निर्वाचन व्यय के अंतिम विवरण के साथ-साथ आंशिक निर्वाचन व्यय विवरण विहित फार्मेट में विधान सभा निर्वाचन के परिणामों की घोषणा के 30 दिनों के अंदर दाखिल करना है।
24. मीडिया का प्रभावी उपयोग-
(i) मीडिया परिनियोजन:
आयोग ने हमेशा मीडिया को एक महत्वपूर्ण सहयोगी और प्रभावी एवं कुशल निर्वाचन प्रबंधन सुनिश्चित करने में एक सशक्त बल प्रवर्धक माना है। इसलिए, आयोग ने कर्नाटक के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को निदेश दिया है कि वे मीडिया के साथ सकारात्मक और प्रगतिशील सहभागिता एवं इंटरएक्शन के लिए निम्नलिखित उपाय करें:
(क) निर्वाचनों के दौरान मीडिया के साथ नियमित इंटरएक्शन और मीडिया के साथ हर समय प्रभावी और सकारात्मक संवाद बनाए रखना।
(ख) निर्वाचन संहिता के बारे में मीडिया को जागरूक करने के लिए प्रभावी कदम उठाना।
(ग) मतदान दिवस और मतगणना के दिन सभी प्रत्यायित मीडिया को प्राधिकार-पत्र जारी किए जाएंगे।
मीडिया से भी यह अपेक्षा की जाती है कि वे अपनी निर्वाचन संबंधी सभी कवरेज के दौरान कोविड संरोधन उपायों के संबंध में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय या किसी अन्य सक्षम प्राधिकरण द्वारा जारी सभी मौजूदा दिशानिर्देशों का अनुपालन करेंगे।
(ii) राजनैतिक विज्ञापनों का पूर्व-प्रमाणन और पेड न्यूज के संदेहास्पद मामलों का अनुवीक्षण:
सभी जिलों और राज्यीय स्तर पर मीडिया प्रमाणन और अनुवीक्षण समितियां (एमसीएमसी) बनाई गई हैं। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर जारी किए जाने के लिए प्रस्तावित सभी राजनैतिक विज्ञापनों के लिए संबंधित एमसीएमसी से पूर्व-प्रमाणन अपेक्षित होगा। गैर-सरकारी एफएम चैनल/सिनेमा हॉल/सार्वजनिक स्थानों में दृश्य-श्रव्य डिस्प्ले/वायस संदेश और फोन एवं सोशल मीडिया तथा इंटरनेट वेबसाइट पर एक साथ बड़ी संख्या में एसएमएस सहित सभी इलेक्ट्रॉनिक मीडिया/टीवी चैनल/केबल नेटवर्क/रेडियो में राजनैतिक विज्ञापन पूर्व-प्रमाणन के दायरे में आएंगे। आयोग सभी राजनैतिक दलों/अभ्यर्थियों/मीडिया से अनुरोध करता है कि वे पूर्व-प्रमाणन अनुदेशों का पालन करें।
एमसीएमसी मीडिया में पेड न्यूज के संदिग्ध मामलों पर कड़ी नजर रखेगी तथा पुष्ट मामलों में सभी सम्यक् प्रक्रियाओं का पालन करने के उपरांत उपयुक्त कार्रवाई की जाएगी।
(iii) निर्वाचन में सोशल मीडिया का उपयोग:
सोशल मीडिया के दुरुपयोग तथा पेड न्यूज के खतरे के बढ़ते हुए दृष्टांतों को ध्यान में रखकर और भारत निर्वाचन आयोग की पुरजोर कोशिश के परिणामस्वरूप बड़े-बड़े सोशल मीडिया प्लेटफार्मों ने मार्च, 2019 में अपने द्वारा तैयार की गई स्वैच्छिक आचारनीति संहिता का पालन करने पर सहमति जताई। यह संहिता हाल ही में सम्पन्न हुए अन्य निर्वाचनों की भांति इस निर्वाचन पर भी लागू होगी।
आयोग सभी राजनैतिक दलों और अभ्यर्थियों से अनुरोध करता है कि वे यह सुनिश्चित करें कि उनके समर्थक घृणात्मक भाषणों और फर्जी खबरों में संलिप्त न हों। यह सुनिश्चित करने के लिए सोशल मीडिया पोस्ट पर कड़ी नजर रखी जा रही है कि निर्वाचन का माहौल दूषित न हो। फर्जी खबरों के खतरे पर अंकुश लगाने में मीडिया सक्रिय भूमिका निभा सकता है।
(iv) इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया का अनुवीक्षण:
निर्वाचनों के दौरान सभी प्रमुख राष्ट्रीय और क्षेत्रीय न्यूज चैनलों पर निर्वाचन प्रबंधन संबंधी सभी समाचारों का अत्यन्त सतर्कतापूर्वक अनुवीक्षण किया जाएगा। यदि किसी अप्रिय घटना या किसी कानून/नियम के उल्लंघन की सूचना प्राप्त होती है तो तत्काल कार्रवाई की जाएगी। अनुवीक्षण की रिपोर्टें सीईओ को भी अग्रेषित की जाएगी। सीईओ का कार्यालय प्रत्येक मद पर वस्तुस्थिति का अभिनिश्चय करेगा और एटीआर/स्टेटस रिपोर्ट दर्ज करेगा।
(v) प्रचार रहित (साइलेंस) अवधि के दौरान और एग्जिट पोल पर मीडिया प्रतिबंध:-
लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 126(1)(ख) में, अन्य बातों के साथ-साथ, किसी मतदान क्षेत्र में किसी भी निर्वाचन के लिए मतदान के समापन के लिए निर्धारित घंटे के साथ समाप्त होने वाले अड़तालीस घंटे (साइलेंस अवधि) की अवधि के दौरान टेलीविजन या इसी तरह के उपकरणों के माध्यम से किसी भी निर्वाचन मामले को प्रदर्शित करने पर प्रतिबंध लगाया गया है। यहां ऊपर उल्लिखित निर्वाचन संबंधी मामले को ऐसे मामले के रूप में परिभाषित किया गया है जो निर्वाचनों के प्रत्येक चरण में मतदान के समापन के लिए निर्धारित घंटे के साथ समाप्त होने वाले 48 घंटों की अवधि के दौरान किसी भी इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में निर्वाचन के परिणाम को प्रभावित करने या इस पर असर डालने हेतु आशयित या अभिप्रेत हों।
लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 126क, उसमें उल्लिखित अवधि के दौरान यानी पहले चरण में मतदान शुरू होने के लिए निर्धारित घंटे और अंतिम चरण के लिए मतदान समाप्त होने के लिए निर्धारित समय के आधे घंटे के बाद तक के लिए सभी राज्यों में प्रिंट या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से एग्जिट पोल के संचालन और उनके परिणामों के प्रसार को प्रतिबंधित करती है। लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 126 का उल्लंघन करने पर दो साल तक की कैद या जुर्माना या दोनों से दंडित किया जा सकता है।
सभी मीडिया घरानों को सलाह दी जाती है कि वे इस भावना को कायम रखते हुए इससे संबंधित अनुदेशों का पालन करें।
25. निर्वाचन पदाधिकारियों का प्रशिक्षण-
भारत अंतर्राष्ट्रीय लोकतंत्र एवं निर्वाचन प्रबंधन संस्थान (आईआईआईडीईएम) ने कर्नाटक राज्य की विधानसभा के आगामी साधारण निर्वाचन के लिए विहित प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन किया है। इसके अलावा, कर्नाटक के मुख्य निर्वाचन अधिकारी भी विहित प्रशिक्षण संचालित करेंगे।
26. सुव्यवस्थित मतदाता शिक्षा और निर्वाचक सहभागिता (स्वीप) –
सीईओ/डीईओ को कम मतदान वाले क्षेत्रों में लक्षित स्वीप कार्यकलाप चलाने चाहिए। मतदान न करने के कारणों का पता लगाया जाना चाहिए और तदनुसार लक्षित हस्तक्षेप और प्रयास किए जाने की आवश्यकता है। सीईओ/डीईओ को प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में कम मतदान वाले मतदान बूथों और उसके पीछे के कारणों की पहचान करनी चाहिए। उन्हें व्यक्तिगत रूप से इन क्षेत्रों में जाकर मुद्दों का समाधान करना चाहिए और मतदान प्रतिशत बढ़ाने के प्रयास करने चाहिए।
इसके अलावा, चूंकि बूथ स्वीप कार्यनीति का केंद्र-बिंदु है, इसलिए आयोग ने राज्य को बूथ स्तर की कार्य योजनाओं को सुदृढ़ करने और सभी मतदाताओं को सजग और शिक्षित करने के लिए न्यूनतम स्तर की स्वीप गतिविधियों का संचालन करने का निर्देश दिया है।
27. केन्द्रीय प्रेक्षकों की तैनाती-
(i) साधारण प्रेक्षक
आयोग निर्वाचन का सुगम संचालन सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त संख्या में आईएएस अधिकारियों को साधारण प्रेक्षकों के रूप में नियुक्त करेगा। प्रेक्षकों से कहा जाएगा कि वे स्वतंत्र एवं निष्पक्ष निर्वाचन सुनिश्चित करने के लिए निर्वाचन प्रक्रिया के प्रत्येक चरण पर पैनी नजर रखें।
(ii) पुलिस प्रेक्षक
आयोग जरूरत, संवेदनशीलता और जहां जरूरी हो, जिला/विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र की जमीनी स्थिति के आकलन के आधार पर भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के अधिकारियों को जिला/विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र स्तर पर, पुलिस प्रेक्षकों के रूप में नियुक्त करेगा। शांतिपूर्ण, स्वतंत्र एवं निष्पक्ष निर्वाचन सुनिश्चित करने के लिए वे बलों की तैनाती, कानून और व्यवस्था की स्थिति से संबंधित सभी कार्यकलापों का अनुवीक्षण करने के साथ-साथ नागरिक और पुलिस प्रशासन के बीच समन्वय स्थापित करने का काम करेंगे।
(iii) मतगणना प्रेक्षक
पहले से तैनात साधारण प्रेक्षकों के अलावा, आयोग राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी के परामर्श से आवश्यकता के आधार पर अधिकारियों को जिला/विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र स्तर पर मतगणना प्रेक्षकों के रूप में भी तैनात करेगा। ये अधिकारी मतगणना केंद्र व्यवस्था की देख-रेख करेंगे और मतगणना से संबंधित सभी कार्यकलापों का अनुवीक्षण करेंगे।
(iv) विशेष प्रेक्षक
भारत के संविधान के अनुच्छेद 324 द्वारा इसे प्रदत्त पूर्णाधिकारों का प्रयोग करते हुए आयोग जरूरत के अनुसार अखिल भारतीय सेवाओं और विभिन्न केंद्रीय सेवाओं से संबंधित अधिकारियों को विशेष प्रेक्षकों के रूप में नियुक्त करेगा।
(v) व्यय प्रेक्षक
आयोग ने पर्याप्त संख्या में व्यय प्रेक्षकों को नियुक्त करने का निर्णय भी लिया है जो अनन्य रूप से निर्वाचन लड़ने वाले अभ्यर्थियों के निर्वाचन व्यय का अनुवीक्षण करेंगे।
(vi) माइक्रो प्रेक्षक
विद्यमान अनुदेशों के अनुसार, साधारण प्रेक्षक संवेदनशील/अतिसंवेदनशील मतदान केंद्रों में मतदान वाले दिन मतदान कार्यवाहियों का प्रेक्षण करने के लिए केंद्रीय सरकार/लोक उपक्रमों के अधिकारियों को माइक्रो प्रेक्षक के रूप में भी नियुक्त करेंगे। माइक्रो प्रेक्षक मतदान वाले दिन मतदान केंद्रों पर छद्म मतदान के आयोजन से लेकर मतदान के पूरे होने तक की कार्यवाहियों, र्इवीएम एवं वीवीपैट और अन्य दस्तावेजों को सीलबंद करने की प्रक्रिया का निरीक्षण करेंगे ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मतदान दलों और मतदान अभिकर्ताओं द्वारा आयोग के सभी अनुदेशों का अनुपालन किया जा रहा है। वे अपने आबंटित मतदान केंद्रों में मतदान कार्यवाहियों में कोई गड़बड़ी होने के संबंध में साधारण प्रेक्षकों को सीधे रिपोर्ट करेंगे।
28. निर्वाचन प्रबंधन में सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) का उपयोग-
आयोग ने व्यापक नागरिक सहभागिता और पारदर्शिता लाने के लिए आईटी एप्लीकेशन का उपयोग बढ़ाया है। निर्वाचन प्रबंधन के लिए उपलब्ध आईटी एप्लीकेशनों की संक्षिप्त रूपरेखा नीचे दी गई है:
(i) एनवीएसपी और मतदाता पोर्टलः
एनवीएसपी (https://www.nvsp.in/) के माध्यम से कोई भी प्रयोक्ता अन्य सेवाओं के साथ-साथ विभिन्न प्रकार की सेवाओं का लाभ उठा सकता है और उन तक पहुंच सकता है जैसे कि निर्वाचक सूची देखना, मतदाता पहचान पत्र के लिए आवेदन करना, मतदाता पहचान पत्र में संशोधन हेतु ऑनलाइन आवेदन करना, मतदान बूथ, विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र और संसदीय निर्वाचन क्षेत्र का ब्यौरा देखना, तथा बूथ लेवल अधिकारी, निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी का संपर्क ब्यौरा प्राप्त करना।
इसी प्रकार, प्ररूप जमा करने की प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए, 'मतदाता पोर्टल' (https://voterportal.eci.gov.in/) पंजीकरण करने, प्रविष्टियों में परिवर्तन करने, नाम हटाने, पते में परिवर्तन करने आदि के लिए एक निर्बाध इंटरफ़ेस उपलब्ध कराता है। पोर्टल में लॉग इन करने पर, नागरिक के सामने अब एक इंटरेक्टिव इंटरफ़ेस प्रस्तुत होता है, जो उसके पिछले चयन के आधार पर पसंद के चयन का सुझाव देता है।
(ii) मतदाता हेल्पलाइन ऐप (वीएचए):
कोई भी नागरिक अन्य सेवाओं के साथ-साथ विभिन्न प्रकार की सेवाओं का लाभ उठा सकता है और उन तक पहुंच सकता है जैसे मतदाता पहचान पत्र के लिए आवेदन करना, मतदाता पहचान पत्र में संशोधन हेतु ऑनलाइन आवेदन करना, मतदान बूथ, विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र और संसदीय निर्वाचन क्षेत्र का ब्यौरा देखना, तथा बूथ लेवल अधिकारी, निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी का संपर्क ब्यौरा प्राप्त करना। यह एप्लीकेशन गूगल प्ले स्टोर एवं एपल स्टोर, दोनों पर उपलब्ध है।
(iii) सक्षम-ईसीआई ऐप:
सक्षम-ईसीआई ऐप दिव्यांगजनों के निमित्त है। यह पूर्ववर्ती पीडब्ल्यू ऐप का स्तरोन्नत संस्करण है। दिव्यांग निर्वाचक स्वयं को दिव्यांग के रूप में चिह्नित करवाने, नए रजिस्ट्रेशन के लिए अनुरोध करने, स्थानांतरण के लिए अनुरोध करने, एपिक विवरण में सुधार करने और व्हीलचेयर के लिए अनुरोध करने के लिए इस ऐप का उपयोग कर सकते हैं। यह दृष्टिहीनता और श्रवण निःशक्तताओं वाले मतदाताओं के लिए मोबाइल फोनों की अभिगम्यता विशिष्टताओं का उपयोग करता है। यह एप्लीकेशन गूगल प्ले स्टोर एवं एपल ऐप स्टोर पर उपलब्ध है।
(iv) राष्ट्रीय शिकायत सेवा पोर्टल:
निर्वाचन आयोग द्वारा एक राष्ट्रीय शिकायत सेवा पोर्टल (एनजीएसपी) तैयार किया गया है। यह प्रणाली इस प्रकार तैयार की गई है कि राष्ट्रीय, राज्यीय और जिला स्तर पर नागरिकों, निर्वाचकों, राजनैतिक दलों, अभ्यर्थियों, मीडिया और निर्वाचन पदाधिकारियों की शिकायतों का समाधान करने के अलावा, यह सर्वनिष्ठ इंटरफेस के माध्यम से सेवाएं प्रदान करने के लिए एक सर्वनिष्ठ इंटरफेस के रूप में कार्य करता है।
यह ऐप्लीकेशन निर्वाचन अधिकारियों द्वारा शिकायतों का प्रबंधन करने के लिए एकल इंटरफेस प्रदान करता है। सभी निर्वाचन अधिकारी, जिला निर्वाचन अधिकारी, मुख्य निर्वाचन अधिकारी और आयोग के अधिकारी इस प्रणाली का हिस्सा हैं। इस प्रकार, मामलों का पंजीकरण होने पर यह सीधे संबंधित प्रयोक्ता को आबंटित हो जाते हैं। इस पोर्टल पर ऑनलाइन लिंक: https://eci-citizenservices.eci.nic.in से पहुंचा जा सकता है।
(v) सी-विजिल ऐप्लीकेशनः
यह नागरिकों द्वारा आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन के मामले दायर करने के लिए एक ऐप्लीकेशन है। सी-विजिल ऐप प्रत्येक नागरिक को अपने स्मार्टफोन का उपयोग करके फोटो या वीडियो क्लिक करने में समर्थ बनाकर आदर्श आचार संहिता/निर्वाचन व्यय के उल्लंघन का समय-अंकित साक्ष्यपरक प्रमाण उपलब्ध कराता है। यह एप्लीकेशन जीआईएस प्रौद्योगिकी पर आधारित है और ऑटो लोकेशन की अनूठी विशेषता से काफी सही सूचना मिलती है जिसका उड़न दस्तों द्वारा घटना के सही स्थान पर दिकचालन करके जाने और तत्परतापूर्वक कार्रवाई करने के लिए अवलम्ब लिया जा सकता है। यह ऐप प्राधिकारियों द्वारा शीघ्र एवं कारगर कार्रवाई करने और प्रयोक्ताओं को 100 मिनट के भीतर वस्तुस्थिति रिपोर्टें उपलब्ध करवाने का आश्वासन देता है।
यह एप्लीकेशन गूगल प्ले स्टोर और एपल स्टोर, दोनों पर उपलब्ध है।
(vi) अपने अभ्यर्थी को जानें (केवाईसी) ऐप:
भारत निर्वाचन आयोग ने अभ्यर्थियों की "आपराधिक पूर्ववृत्त" स्थिति के बारे में जानकारी प्रदान करने के लिए एंड्रॉइड और आईओएस, दोनों प्लेटफार्मों के लिए अपने अभ्यर्थी को जानें (केवाईसी) एप्लीकेशन विकसित किए हैं। यह नागरिकों को आपराधिक पूर्ववृत्त वाले/आपराधिक पूर्ववृत्त रहित अभ्यर्थियों के बारे में जानकारी प्राप्त करने की सुविधा देता है और नागरिकों को अभ्यर्थियों के आपराधिक पूर्ववृत्त के बारे में जानने का अधिकार देता है।
अपने अभ्यर्थी को जानें (केवाईसी) ऐप गूगल प्ले स्टोर और एपल प्ले स्टोर दोनों पर उपलब्ध है।
(vii) मतदाता टर्नआउट ऐप:
मतदाता टर्नआउट ऐप का उपयोग रिटर्निंग अधिकारी द्वारा पूर्व निर्धारित अंतरालों पर दर्ज किए गए प्रत्येक विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र/संसदीय निर्वाचन क्षेत्र का अनुमानित अनंतिम मतदाता टर्नआउट विवरण प्रदर्शित करने के लिए किया जाता है। इस एप्लीकेशन का उपयोग मीडिया द्वारा अनुमानित अनंतिम मतदाता टर्नआउट रूझानों को दर्ज करने के लिए भी किया जा सकता है। हांलाकि, इस बात को अवश्य समझा जाना चाहिए कि ये अनंतिम अनुमानित आंकड़ें हैं और अंतिम टर्नआउट आंकड़ें मतदान दलों के पहुंचने और कागजातों की संवीक्षा के बाद ही प्रकाशित किए जा सकते हैं। इस ऐप के माध्यम से निर्वाचनों के सभी चरणों के आंकड़ें प्रदर्शित किए जाते हैं। यह एप्लीकेशन गूगल प्ले स्टोर और एपल ऐप स्टोर दोनों पर उपलब्ध है।
(viii) परिणाम वेबसाइट और परिणाम रुझान टीवी:
प्रामाणिक आंकड़ों का एक एकल स्रोत कायम करने के लिए चरण-वार सूचना का यथासमय प्रकाशन अत्यावश्यक हो जाता है। संबंधित रिटर्निंग अधिकारियों द्वारा दर्ज किया गया मतगणना डाटा, 'आयोग परिणाम वेबसाइट' https://result.eci.gov.in/ के माध्यम से जनता के अवलोकनार्थ 'रुझान और परिणाम' के रूप में उपलब्ध रहता है।
ये परिणाम इन्फोग्राफिक्स के साथ दर्शाए जाते हैं और मतगणना हाल के बाहर अथवा किसी भी सार्वजनिक स्थान पर बड़े डिस्प्ले स्क्रीनों के जरिए ऑटो-स्क्रॉल पैनल के साथ प्रदर्शित किए जाते हैं।
(ix) सुविधा पोर्टल: यह पोर्टल ऑनलाइन नाम-निर्देशन, अनुमतियों आदि के लिए अभ्यर्थियों/राजनैतिक दलों को निम्नानुसार विभिन्न प्रकार की सुविधाएं प्रदान करता है-
क) अभ्यर्थी ऑनलाइन नामनिर्देशन:
नामनिर्देशन दाखिल करने में सुविधा प्रदान करने के लिए निर्वाचन आयोग ने नामनिर्देशन एवं शपथपत्र दाखिल करने के लिए एक ऑनलाइन पोर्टल शुरू किया है। अभ्यर्थी https://suvidha.eci.gov.in/ पर जाकर अपना खाता बना सकता है, नामनिर्देशन प्ररूप भर सकता है, प्रतिभूति राशि जमा कर सकता है, समय स्लॉट की उपलब्धता की जांच कर सकता है और रिटर्निंग अधिकारी के यहां अपने विजिट की योजना उपयुक्त रूप से बना सकता है।
ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से आवेदन दाखिल करने के उपरांत अभ्यर्थी को केवल प्रिंट लेकर, उसे नोटरीकृत करना होता है और संगत दस्तावेजों के साथ आवेदन को व्यक्तिश: रिटर्निंग अधिकारी को प्रस्तुत करना होता है।
ऑनलाइन नाम-निर्देशन सुविधा, सहजता से और ठीक-ठीक नाम-निर्देशन दाखिल करने की एक वैकल्पिक सुविधा है। कानून के तहत यथाविहित नियमित ऑफलाइन रूप से जमा किए जाने की व्यवस्था जारी रहेगी।
ख) अभ्यर्थी अनुमतियां मॉड्यूल:
अनुमति मॉड्यूल से अभ्यर्थी, राजनैतिक दल या अभ्यर्थी के कोई भी प्रतिनिधि सुविधा पोर्टल https://suvidha.eci.in/ के माध्यम से बैठकों, रैलियों, लाउडस्पीकरों, अस्थायी कार्यालयों और अन्य के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। अभ्यर्थी उसी पोर्टल के माध्यम से अपने आवेदन की स्थिति को भी ट्रैक कर सकते हैं।
ग) सुविधा अभ्यर्थी ऐप:
कोविड को देखते हुए, आयोग ने निदेश दिया है कि जहां तक व्यवहार्य हो सके, बैठकों, रैलियों के लिए सार्वजनिक स्थानों का आबंटन, सुविधा ऐप का उपयोग करके ही किया जाना चाहिए। यह एप्लीकेशन निर्वाचनों के दौरान अभ्यर्थियों/राजनैतिक दलों/एजेंटों द्वारा गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड करने तथा नाम-निर्देशन और अनुमति स्थिति को ट्रैक करने के लिए उपलब्ध रहेगा।
(x) गरुड़ ऐप:
गरुड़ (जियोग्रॉफिकल ऐसेट रिकानिसेंस यूनिफाईड डिजिटल ऐप) एप्लिकेशन को आयोग की इन-हाउस आईटी टीम द्वारा विकसित किया गया है, जिसका एकमात्र उद्देश्य बीएलओ के सभी कार्यों को एक स्थान/ऐप पर एकीकृत करके बीएलओ को सुविधा प्रदान करना है। यह एप्लिकेशन अखिल भारतीय आधार पर 09 अगस्त, 2021 को लॉन्च किया गया था। उक्त एप्लिकेशन के कुछ घटक निम्नलिखित हैं:
(i) बीएलओ द्वारा फील्ड सत्यापन
(ii) एएमएफ और ईएमएफ की सूचना एकत्रित करना
(iii) मतदान स्थल का जीआईएस निर्देशांक प्राप्त करना
(iv) बीएलओ द्वारा वास्तविक फोटो और पता कैप्चर किया जा सकता है
(v) निर्वाचकों की ओर से ऑनलाइन फॉर्म जमा करना
(vi) पीएसई/डीएसई द्वारा फील्ड सत्यापन
यह गूगल प्ले और एप्पल ऐप स्टोर दोनों पर उपलब्ध है।
(xi) ईवीएम प्रबंधन प्रणाली (ईएमएस):
ईवीएम प्रबंधन प्रणाली ईवीएम यूनिटों की मालसूची का प्रबंधन करने के लिए डिज़ाइन की गई है। ईवीएम प्रबंधन में एक निष्पक्ष और पारदर्शी प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण तरीकों में से एक तरीका मतदान केंद्रों में काम पर लगाए जाने से पहले मशीनों के यादृच्छिकीकरण (रैंडमाइजेशन) का प्रशासनिक प्रोटोकॉल है। यादृच्छिकीकरण पार्टियों के प्रतिनिधियों और केंद्रीय प्रेक्षकों की उपस्थिति में किया जाता है।
(xii) अभ्यर्थी शपथ पत्र पोर्टल:
निर्वाचन लड़ने वाले अभ्यर्थियों की प्रोफाइल, नामनिर्देशन स्थिति और शपथ-पत्रों के साथ सम्पूर्ण सूची, अभ्यर्थी शपथ-पत्र पोर्टल: https://affidavit.eci.gov.in/ के माध्यम से जनता के देखने के लिए उपलब्ध होगी।
(xiii) सेवा मतदाता के लिए इलेक्ट्रॉनिक रूप से प्रेषित डाक मतपत्र प्रणाली (ईटीपीबीएस😞
इलेक्ट्रॉनिक रूप से प्रेषित डाक मतपत्र प्रणाली (ईटीपीबीएस) सेवा मतदाताओं को इलेक्ट्रॉनिक साधनों के माध्यम से कोरे डाक मतपत्र प्रेषित करती है। सेवा मतदाता तब स्पीड पोस्ट के माध्यम से अपना मत भेज सकते हैं।
(xiv) बूथ ऐप:
बूथ ऐप एनकोर एप्लीकेशन का एक एकीकृत ऐप है, जो निर्वाचकों की डिजिटल चिह्नित कॉपी से एन्क्रिप्टेड क्यूआर कोड का उपयोग करके मतदाताओं की तेजी से पहचान करने की सुविधा प्रदान करता है। यह कतार को कम करता है, मतदान करने की गति बढ़ाने में मदद करता है। इस एप्लीकेशन की विशेषताएं इस प्रकार हैं:
(i) क्यूआर कोड आधारित मतदाता पर्ची का उपयोग करके निर्वाचकों की तेजी से खोज करना
(ii) तत्काल पहचान
यह ऐप गूगल प्ले स्टोर और एपल ऐप स्टोर दोनों पर उपलब्ध है।
(xv) एनकोर गणना:
एन्कोर गणना एप्लीकेशन https://encore.eci.gov.in/ डाले गए मतों को डिजिटलीकृत करने, चरण-वार डेटा को तालिकाबद्ध करने और तदुपरांत मतगणना की विभिन्न सांविधिक रिपोर्टों को निकालने हेतु रिटर्निंग अधिकारी के लिए एंड-टु-एंड एप्लीकेशन है।
29. इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) और वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपैट):
(i) इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) और वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपैट)
निर्वाचन प्रक्रिया की पारदर्शिता और विश्वसनीयता बढ़ाने के लिए आयोग कर्नाटक विधान सभा के साधारण निर्वाचन में प्रत्येक मतदान केन्द्र में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के साथ वोटर वेरीफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल का उपयोग करेगा क्योंकि वीवीपैट से मतदाता अपना मत सत्यापित कर पाते हैं। निर्वाचनों के सुचारू संचालन के लिए पर्याप्त संख्या में ईवीएम और वीवीपैट की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए पहले ही व्यवस्थाएं कर दी गई हैं।
(ii) ईवीएम और वीवीपैट पर जागरूकता
जिला निर्वाचन अधिकारी कार्यालय एवं रिटर्निंग अधिकारी मुख्यालय/राजस्व उपखण्ड कार्यालयों में प्रत्यक्ष प्रदर्शन-सह-जागरूकता के लिए ईवीएम प्रदर्शन केन्द्र स्थापित किये गये हैं। ईवीएम और वीवीपैट के उपयोग के बारे में जागरूकता पैदा करने हेतु सभी मतदान स्थलों को कवर करने के लिए मोबाइल प्रदर्शन वैन तैनात की गई हैं। ये निर्वाचन की घोषणा तक चालू रहेंगी, जबकि घोषणा के बाद डिजिटल आउटरीच बढ़ाया जाएगा।
(iii) ईवीएम और वीवीपैट का यादृच्छिकीकरण
कोई भी निश्चित आवंटन की संभावना समाप्त करने के लिए ईवीएम/वीवीपैट को विधान सभा के लिए और फिर किसी मतदान बूथ के लिए आबंटन करते समय “ईवीएम प्रबंधन प्रणाली (ईएमएस)” का उपयोग करके दो बार यादृच्छिकीकृत किया जाता है। यादृच्छिकीकृत ईवीएम/वीवीपैट की सूची राजनैतिक दलों/अभ्यर्थियों के साथ भी साझा की जाती है।
(iv) ईवीएम और वीवीपैट को चालू करना (कमीशनिंग)
निर्वाचन लड़ने वाले अभ्यर्थियों की सूची को अंतिम रूप दिए जाने के उपरांत, निर्वाचन लड़ने वाले अभ्यर्थियों/उनके प्रतिनिधियों की उपस्थिति में ईवीएम और वीवीपैट की कमीशनिंग (अभ्यर्थी सेटिंग) की जाती है। इस प्रक्रिया में और अधिक पारदर्शिता के लिए कमीशनिंग हॉल में टीवी/मॉनिटर संस्थापित किए जाएंगे ताकि अभ्यर्थी/उनके प्रतिनिधि वीवीपैट में प्रतीकों की प्रविष्टि को साथ-साथ देख सकें। ईवीएम और वीवीपैट की कमीशनिंग (अभ्यर्थी सेटिंग) के उपरांत प्रत्येक ईवीएम और वीवीपैट में नोटा सहित प्रत्येक अभ्यर्थी को एक मत देकर छद्म मतदान किया जाता है। इसके अलावा, यादृच्छिक रूप से चयनित 5% ईवीएम और वीवीपैट में 1000 मतों का छद्म मतदान (मॉक पोल) किया जाता है। इलेक्ट्रॉनिक परिणाम का मिलान पेपर गिनती के साथ किया जाता है।
(v) मतदान के दिन छद्म मतदान
(क) मतदान वाले दिन, वास्तविक मतदान के प्रारंभ होने से 90 मिनट पहले प्रत्येक मतदान केन्द्र पर अभ्यर्थियों के मतदान अभिकर्ताओं की उपस्थिति में कम से कम 50 मत डालकर छद्म मतदान आयोजित किया जाता है और कंट्रोल यूनिट के इलेक्ट्रॉनिक परिणाम एवं वीवीपैट पर्चियों की गणना का मिलान करके उन्हें दिखाया जाता है। पीठासीन अधिकारियों द्वारा पीठासीन अधिकारी की रिपोर्ट में छद्म मतदान के सफल संचालन का एक प्रमाणपत्र तैयार किया जाएगा।
(ख) छद्म मतदान होने के तुरंत बाद, कंट्रोल यूनिट (सीयू) पर क्लियर बटन को दबाया जाता है जिससे छद्म मतदान का डाटा क्लियर हो जाए और इस तथ्य को उपस्थित मतदान अभिकर्ताओं को प्रदर्शित किया जाता है कि कंट्रोल यूनिट में कोई वोट दर्ज नहीं है। पीठासीन अधिकारी यह भी सुनिश्चित करेंगे कि मतदान आरंभ होने से पहले सभी छद्म मतदान पर्चियां वीवीपैट से बाहर निकाली जाएं और उन्हें एक अलग चिह्नित लिफाफे में रख दिया जाए।
(ग) छद्म मतदान के बाद, वास्तविक मतदान शुरू करने से पहले ईवीएम और वीवीपैट को मतदान अभिकर्ताओं की उपस्थिति में सीलबंद किया जाता है और सील पर मतदान अभिकर्ताओं के हस्ताक्षर लिए जाते हैं।
(vi) मतदान का दिन और मतदान में प्रयुक्त ईवीएम और वीवीपैट का स्ट्रांग रूम में भंडारण
(क) मतदान के दिन, डाले गए कुल मतों, सील (विशिष्ट नंबर), मतदान केंद्रों में प्रयुक्त ईवीएम और वीवीपैट की क्रम संख्याओं के विवरण वाले प्ररूप 17ग की एक प्रति अभ्यर्थियों के मतदान अभिकर्ताओं को प्रदान की जाती है।
(ख) मतदान समाप्त होने के बाद, ईवीएम और वीवीपैट मतदान अभिकर्ताओं की उपस्थिति में उनके संबंधित कैरेईंग केसों में सीलबंद की जाती हैं और सील पर मतदान अभिकर्ताओं के हस्ताक्षर लिए जाते हैं।
(ग) मतदान में प्रयुक्त ईवीएम और वीवीपैट अभ्यर्थियों/उनके प्रतिनिधियों की उपस्थिति में वीडियोग्राफी के साथ डबल लॉक सिस्टम में स्ट्रांग रूम में स्टोर करने के लिए अनुरक्षा के साथ वापस ले जाई जाती हैं।
(घ) अभ्यर्थी या उनके प्रतिनिधि स्ट्रांग रूम के सामने ठहर भी सकते हैं। इन स्ट्रांग रूम की सीसीटीवी सुविधाओं के साथ कई स्तरों में 24X7 पहरेदारी की जाती है।
(vii) मतगणना केंद्रों पर मतों की गणना
(क) मतगणना के दिन स्ट्रांग रूम वीडियोग्राफी के साथ अभ्यर्थियों, आरओ और प्रेक्षक की उपस्थिति में खोला जाता है।
(ख) मतयुक्त ईवीएम सीसीटीवी कवरेज में सुरक्षा के अधीन और अभ्यर्थियों/उनके अभिकर्ताओं की उपस्थिति में मतगणना केंद्रों तक ले जाई जाती हैं।
(ग) सीसीटीवी की निरंतर निगरानी में राउंड-वार सीयू स्ट्रांग रूम से मतगणना टेबलों पर लाई जाती हैं।
(घ) मतगणना के दिन, कंट्रोल यूनिट से परिणाम प्राप्त करने से पहले अभ्यर्थियों द्वारा प्रतिनियुक्त मतगणना अभिकर्ताओं के समक्ष सील का सत्यापन किया जाता है और सीयू की विशिष्ट क्रम संख्याओं का मिलान किया जाता है।
(ङ) मतगणना के दिन, मतगणना अभिकर्ता सीयू पर प्रदर्शित डाले गए मतों का प्ररूप 17ग पर दर्ज विवरण के साथ सत्यापन कर सकते हैं। अभ्यर्थी-वार पड़े मत प्ररूप 17ग के भाग-।। में अभिलिखित किए जाते हैं और उस पर मतगणना अभिकर्ताओं के हस्ताक्षर प्राप्त किए जाते हैं।
(च) निर्वाचन याचिका अवधि के समाप्त होने तक ईवीएम और वीवीपैट को अभ्यर्थियों/उनके प्रतिनिधियों की उपस्थिति में स्ट्रांग रूम में वापस स्टोर किया जाता है।
(viii) वीवीपैट पेपर पर्चियों का अनिवार्य सत्यापन-
भारत के माननीय उच्चतम न्यायालय के आदेश दिनांक 08 अप्रैल, 2019 के अनुसरण में आयोग ने यह भी अधिदेश दिया है कि रिटर्निंग अधिकारी द्वारा कर्नाटक विधान सभा के प्रत्येक निर्वाचन-क्षेत्र में यादृच्छिक रूप से चयनित पांच (5) मतदान केन्द्रों की वीवीपैट पर्चियों की गणना ड्रा ऑफ लॉट के माध्यम से अभ्यर्थियों की उपस्थिति में की जाएगी ताकि कंट्रोल यूनिट से प्राप्त परिणाम का सत्यापन किया जा सके। प्रत्येक विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र में पांच (5) मतदान केन्द्रों की वीवीपैट पर्ची गणना का यह अनिवार्य सत्यापन, निर्वाचनों का संचालन नियम, 1961 के नियम 56(घ) के उपबंधों के अतिरिक्त होगा।
(ix) ईवीएम, वीवीपैट और डाक मतपत्र में ‘इनमें से कोई नहीं’ (नोटा) का विकल्प:
हमेशा की तरह, निर्वाचनों के लिए ‘इनमें से कोई नहीं’ का विकल्प होगा। बैलेट यूनिटों में अंतिम अभ्यर्थी के नाम के नीचे ‘नोटा’ विकल्प का बटन होगा ताकि वे निर्वाचक जो किसी भी अभ्यर्थी को वोट नहीं देना चाहते, ‘नोटा’ के सामने का बटन दबाकर अपने विकल्प का प्रयोग कर सकें। इसी प्रकार से, डाक मतपत्रों पर भी अंतिम अभ्यर्थी के नाम के बाद नोटा पैनल भी होगा। नोटा पैनल के सामने निम्नलिखित रूप में नोटा प्रतीक मुद्रित होगा।
file:///C:/Users/PUSHPE~1/AppData/Local/Temp/msohtmlclip1/01/clip_image002.jpg
स्वीप के भाग के रूप में, इस विकल्प को मतदाताओं और अन्य सभी हितधारकों की जानकारी में लाने के लिए जागरूकता कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं।
(x) ईवीएम बैलेट पेपर पर अभ्यर्थियों की तस्वीर
निर्वाचकों को अभ्यर्थियों की पहचान करने में सुविधा प्रदान करने के लिए, आयोग ने ईवीएम (बैलेट यूनिट) पर प्रदर्शित किए जाने वाले मतपत्र और डाक मतपत्र पेपर पर भी अभ्यर्थी की तस्वीर छापने के प्रावधान को जोड़कर एक अतिरिक्त उपाय विहित किया है। यह उस स्थिति में किसी भी भ्रम से बचाने में मदद करेगा, जब समान या लगभग समान नामों वाले अभ्यर्थी एक ही निर्वाचन क्षेत्र से निर्वाचन लड़ते हैं। इस प्रयोजन के लिए, अभ्यर्थियों के लिए अपेक्षित है कि वे आयोग द्वारा निर्धारित विनिर्देशों के अनुसार, रिटर्निंग ऑफिसर को अपना हाल का स्टैम्प साइज फोटोग्राफ प्रस्तुत करें।
30. मतदान कार्मिक की तैनाती और यादृच्छिकीकरणः
(क) मतदान दलों का गठन विशेष यादृच्छिकीकरण आईटी एप्लीकेशन के माध्यम से, यादृच्छिक रूप से किया जाएगा।
(ख) पुलिस कार्मिक तथा होम गार्ड भी, जिन्हें मतदान दिवस को मतदान केन्द्रों में तैनात किया जाता है, के लिए भी ऐसा यादृच्छिकीकरण किया जाएगा।
31. पदाधिकारियों का आचरण:
आयोग, निर्वाचनों के संचालन में कार्यरत सभी अधिकारियों से यह अपेक्षा करता है कि वे अपने कर्तव्यों का निष्पक्ष रूप से बिना किसी भय या पक्षपात के निर्वहन करें। उन्हें आयोग में प्रतिनियुक्ति पर माना जाता है और वे आयोग के नियंत्रण, पर्यवेक्षण और अनुशासन के अध्यधीन होंगे। उन सभी सरकारी अधिकारियों का आचरण, जिन्हें निर्वाचन संबंधी जिम्मेदारी और कर्तव्य सौंपे गए हैं, निरंतर आयोग की संवीक्षा के अधीन रहेगा तथा उन अधिकारियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवार्इ की जाएगी जिनके कार्य निष्पादन में किसी भी प्रकार की कमी पार्इ जाएगी।
32. कोविड दिशानिर्देश-
आयोग द्वारा साधारण निर्वाचन और उप-निर्वाचनों के संचालन के दौरान अनुपालन किए जाने वाले कोविड दिशानिर्देश जारी किए गए हैं जो आयोग की वेबसाइट पर लिंक- https://eci.gov.in/files/file/14492-covid-guidelines-for-general-electionbye-elections-to-legislative-assemblies-reg/. पर उपलब्ध हैं।
इसके अलावा, यह निदेश दिया गया है कि निर्वाचन सामग्री का वितरण और संग्रह-
(i) निर्वाचन सामग्री के वितरण/संग्रह के लिए बड़े हॉल/जगह में किया जाए।
(ii) जहां तक व्यवहार्य हो, इसे विकेन्द्रीकृत रूप में किया जाए।
(iii) भीड़ से बचने के लिए निर्वाचन सामग्री के वितरण/संग्रह के लिए पहले से सूचित और सांतरित समयावधि आबंटित की जाए।
33. साधारण निर्वाचनों का कार्यक्रम
आयोग ने राज्यों में जलवायु की स्थिति, शैक्षणिक कैलेंडर, बोर्ड परीक्षा, प्रमुख त्यौहारों, कानून और नाम-निर्देशन नाम-निर्देशन व्यवस्था की मौजूदा स्थिति, केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों की उपलब्धता, बलों का मूवमेंट, ट्रांसपोर्टेशन और समयबद्ध तैनाती हेतु अपेक्षित समय जैसे सभी संगत पहलुओं पर विचार करने तथा अन्य संगत जमीनी हकीकतों का गहन आकलन करने के उपरांत कर्नाटक विधान सभा का साधारण निर्वाचन आयोजित करने के लिए कार्यक्रम तैयार किया है।
सभी संगत पहलुओं पर विचार करने के उपरांत आयोग ने कर्नाटक राज्य के माननीय राज्यपाल को अनुबंध-1 के अनुसार लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के संगत प्रावधानों के अंतर्गत साधारण निर्वाचन के लिए अधिसूचना जारी करने हेतु सिफारिश करने का निर्णय लिया है।
आयोग निर्वाचन प्रक्रिया में सभी सम्मानित हितधारकों का सक्रिय सहयोग, घनिष्ठ भागीदारी और रचनात्मक साझेदारी चाहता है और कर्नाटक में सुचारू, स्वतंत्र, निष्पक्ष, शांतिपूर्ण, सहभागी और उल्लासपूर्ण साधारण निर्वाचन, 2023 संपन्न कराने में समवेत प्रयासों का उपयोग करना चाहता है।
कर्नाटक विधान सभा के साधारण निर्वाचन का कार्यक्रम
मतदान कार्यक्रम
कर्नाटक
(सभी 224 विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र)
राजपत्र अधिसूचना जारी करने की तिथि
13.04.2023
(गुरुवार)
नामनिर्देशन करने की अंतिम तारीख
20.04.2023
(गुरुवार)
नाम-निर्देशनों की संवीक्षा की तारीख
21.04.2023
(शुक्रवार)
अभ्यर्थिताएं वापस लेने की अंतिम तारीख
24.04.2023
(सोमवार)
मतदान की तारीख
10.05.2023
(बुधवार)
मतगणना की तारीख
13.05.2023
(शनिवार)
वह तारीख जिसके पहले निर्वाचन सम्पन्न कर लिया जाएगा
15.05.2023
(सोमवार)
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