ECI द्वारा
सं. ईसीआई/प्रेस नोट/99/2021
दिनांक: 26 नवंबर, 2021
प्रेस नोट
मुख्य निर्वाचन आयुक्त, श्री सुशील चंद्रा ने सुगम और समावेशी निर्वाचन सुनिश्चित करने के लिए निर्वाचन प्रबंधन निकायों (ईएमबी) का आह्वान किया
भारत निर्वाचन आयोग का लक्ष्य 80 वर्ष से अधिक आयु के और दिव्यांग मतदाताओं के घर पर सेवा प्रदान करने की सुविधा को बढ़ाना है।
'महिला, दिव्यांगजनों (पीडब्ल्यूडी) और वरिष्ठ नागरिक मतदाताओं की निर्वाचकीय निर्वाचकीय भागीदारी बढ़ाना: सर्वोत्तम पद्धतियां और नई पहल साझा करना' विषय पर भारत निर्वाचन आयोग ने अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार की मेजबानी की
भारत निर्वाचन आयोग ने आज नई दिल्ली में 'महिला, दिव्यांगजन (पीडब्ल्यूडी) और वरिष्ठ नागरिक मतदाताओं की निर्वाचकीय भागीदारी बढ़ाना: सर्वोत्तम पद्धतियों और नई पहलों को साझा करना' विषय पर एक अंतरराष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया। ए-वेब में भारत निर्वाचन आयोग की अध्यक्षता के दो साल पूरे होने के अवसर पर आयोजित किए गए। इस वेबिनार में 24 देशों के 100 से अधिक प्रतिनिधियों, 4 अंतर्राष्ट्रीय संगठनों और 20 राजनयिकों ने भाग लिया।
ए-वेब के वर्तमान अध्यक्ष के रूप में, भारत के मुख्य निर्वाचन आयुक्त, श्री सुशील चंद्रा ने अपने मुख्य भाषण के दौरान कहा कि इस वेबिनार में हमें सुलभ, समावेशी और सहभागी निर्वाचन सुनिश्चित करने के लिए बाधाओं की पहचान करने और उन्हें दूर करने की दिशा में काम करने के लिए अन्य निर्वाचन प्रबंधन निकायों (ईएमबी) की सर्वोत्तम पद्धतियों और अनुभवों से सीखने का एक उत्कृष्ट अवसर मिला।
भारत में निर्वाचनों में भाग लेने में महिलाओं के समक्ष आने वाली बाधाओं और चुनौतियों के ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य का जिक्र करते हुए, श्री चंद्रा ने कहा कि आजादी से 7 दशकों और 17 साधारण निर्वाचनों के बाद, भारत में महिलाओं की भागीदारी पुरुषों से अधिक हो गई है और वर्ष 2019 के साधारण निर्वाचन में यह 67% से अधिक रही है। लिंग अंतर, जो एक महत्वपूर्ण मानक है और जो वर्ष 1962 में -16.71% था, न केवल समाप्त हो गया है बल्कि वर्ष 2019 में +0.17% हो गया है। वास्तव में, भारत में वर्ष 1971 के चुनावों के बाद से महिला मतदाताओं में 235.72% की वृद्धि देखी गई है। श्री चंद्रा ने महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए निर्वाचन आयोग द्वारा की गई विभिन्न पहलों पर प्रकाश डाला, जिसमें बड़ी संख्या में महिलाओं को मतदान केंद्र पदाधिकारियों के रूप में शामिल करना, पूर्णतया महिलाओं द्वारा संचालित मतदान केंद्रों की बड़ी संख्या, मतदान केंद्रों पर क्रेच सुविधा, मतदान केंद्रों पर अलग शौचालय और प्रतीक्षालय, और साथ ही महिला ब्लॉक स्तर की अधिकारी महिलाओं के सहयोग से महिलाओं को उनके सामाजिक-सांस्कृतिक परिवेश में प्रेरित करने हेतु सुगम पंजीकरण सुनिश्चित करना शामिल है।
अपने संबोधन के दौरान, श्री सुशील चंद्रा ने विशेष रूप से 80 वर्ष से अधिक आयु के वरिष्ठ नागरिकों, दिव्यांगजनों और कोविड प्रभावित मतदाताओं के लिए उनके घरों पर मतदान सुविधा सुनिश्चित करने के लिए वर्ष 2020 में भारत निर्वाचन आयोग द्वारा शुरू की गई अनुपस्थित मतदाता सुविधा की अवधारणा के बारे में भी विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि इस तरह की डाक मतपत्र सुविधा बिहार, असम, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल और संघ राज्य क्षेत्र पुडुचेरी सहित छह राज्यों के विधानसभा निर्वाचनों में सफलतापूर्वक लागू की गई थी, जिनका संचयी निर्वाचक आधार 7.36 करोड़ था। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि, पिछले पांच राज्य विधानसभा निर्वाचनों में, 4.5 गुना अधिक मतदाताओं ने डाक मतपत्रों के माध्यम से निर्वाचन प्रक्रिया में भाग लिया और आउटरीच एवं सुविधा संबंधी प्रयासों को और व्यापक बनाने की गुंजाइश है। उन्होंने कहा कि आज देश में 80 वर्ष से अधिक आयु के लगभग 1.5 करोड़ निर्वाचक हैं।
दिव्यांगजनों के समक्ष आने वाली ढांचागत और अभिवृत्तिक चुनौतियों का उल्लेख करते हुए, श्री चंद्रा ने सभी प्रतिभागियों से आग्रह किया कि वे किसी भी निर्वाचन प्रबंधन निकाय द्वारा अंगीकृत किसी प्रौद्योगिकी या सेवा के लिए 'एक्सेसिबिलिटी फोकस' को डिजाइन के हिस्से के रूप में ही अपनाएं न कि बाद में अनुबोध के रूप में जोड़ें। उन्होंने भारत निर्वाचन आयोग द्वारा की गई विभिन्न पहल जैसे पीडब्ल्यूडी ऐप, व्हीलचेयर का प्रावधान, स्वयंसेवी सहायता, ब्रेल एपिक कार्ड, ईवीएम में ब्रेल संकेत (साइनेज), मतदान केंद्र आने-जाने के लिए मुफ्त परिवहन और दिव्यांग निर्वाचकों को परेशानी मुक्त अनुभव प्रदान करने के लिए प्राथमिकता के आधर पर मतदान एवं सुनिश्चित न्यूनतम सुविधाओं के प्रावधानों का जिक्र किया।
सभा को संबोधित करते हुए, निर्वाचन आयुक्त श्री राजीव कुमार ने निर्वाचन प्रक्रिया में महिलाओं और दिव्यांगजनों की भागीदारी बढ़ाने के लिए आयोग द्वारा उठाए गए कदमों का उल्लेख किया। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि निर्वाचन आयोग ने अब तक 70.70 लाख से अधिक दिव्यांग मतदाताओं की मैपिंग की है, जिसमें लोकसभा निर्वाचन 2019 से 15.28 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि है। प्रथम साधारण निर्वाचन की प्रक्रिया में महिलाओं की भागीदारी 7.80 करोड़ से बढ़कर वर्ष 2019 के लोकसभा निर्वाचनों में 29.40 करोड़ से अधिक होने का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि प्रतिनिधित्व के मामले में भी, संसद के निचले सदन के लिए निर्वाचित महिलाओं की संख्या प्रथम साधारण निर्वाचनों की संख्या 24 से बढ़कर वर्ष 2019 के लोकसभा निर्वाचनों में 78 हो गई है। .
प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए, निर्वाचन आयुक्त श्री अनूप चंद्र पांडे ने कहा कि प्रौद्योगिकी ने निर्वाचन प्रबंधन में निर्णायक (गेम चेंजर) भूमिका निभाई है और निर्वाचन परिदृश्य की तुलना में सुगमता पर इसका महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा है। कोविड महामारी के दौरान समावेशी और सुलभ निर्वाचन सुनिश्चित करने में आने वाली चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए, श्री पांडे ने कहा कि पोस्टल बैलेट सुविधा के रूप में वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांगजनों के घरों पर फार्म देने और एकत्र करने के लिए विस्तृत प्रोटोकॉल तैयार और लागू किए गए थे। उन्होंने कहा कि निर्वाचन आयोग दिव्यांग मतदाताओं की भागीदारी बढ़ाने और उन्हें सुविधा प्रदान करने के लिए समावेशी निर्वाचकीय पद्धतियाँ अपनाने के लिए प्रतिबद्ध है।
प्रतिनिधियों का स्वागत करते हुए महासचिव, श्री उमेश सिन्हा ने कहा कि सभी श्रेणियों के मतदाताओं को निर्वाचकीय भागीदारी में शामिल करना, सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार का सार है। उन्होंने विभिन्न साधनों और मीडिया के माध्यम से व्यापक और व्यवस्थित तरीके से विशाल मतदाता आबादी तक पहुंचने पर लक्षित भारत निर्वाचन आयोग के मतदाता शिक्षा कार्यक्रम स्वीप का भी उल्लेख किया। उन्होंने आगे कहा कि निर्वाचन आयोग का यह प्रयास है कि दिव्यांगजनों से उनकी भाषा में बात की जाए, यह जाना जाए कि वे क्या संदेश देना चाहते हैं और उनकी ऐसी सभी अनदेखी समस्याओं का पता लगाया जाए जिनसे पार पाने में उन्हें कठिनाइयां आती हैं।
बांग्लादेश, भूटान, कंबोडिया, इथोपिया, फिजी, जॉर्जिया, कजाखिस्तान, कोरिया गणराज्य, लिबेरिया, मलावी, मॉरीशस, मंगोलिया, फिलीपींस, रोमानिया, रूस, साओ टोम और प्रिंसिपे, सोलोमन द्वीप समूह, दक्षिण अफ्रीका, श्रीलंका, सूरीनाम, ताइवान, उज्बेकिस्तान, यमन और जाम्बिया जैसे 24 देशों और विश्वभर से 4 अंतरराष्ट्रीय संगठनों - इंटरनेशनल आईडीईए, इंटरनेशनल फाउंडेशन ऑफ इलेक्टोरल सिस्टम्स (आईएफईएस), एसोसिएशन ऑफ वर्ल्ड इलेक्शन बॉडीज (ए-वेब) और यूरोपियन सेंटर फॉर इलेक्टोरल सपोर्ट (ईसीईएस) के लगभग 100 प्रतिनिधियों और 20 राजनयिकों ने आज इस वेबिनार में भाग लिया।
इस वेबिनार में, मॉरीशस, रोमानिया और कोरिया गणराज्य, ताइवान, फिलीपींस, कंबोडिया और आईएफईएस - श्रीलंका, दक्षिण अफ्रीका, भूटान, भारत और ब्राजील द्वारा दी गई प्रस्तुतियों में महिलाओं, दिव्यांगजनों एवं वरिष्ठ नागरिक मतदाताओं की निर्वाचकीय भागीदारी बढ़ाने के लिए उनके द्वारा की गई सर्वोत्तम प्रथाओं और पहल को प्रदर्शित किया गया।
इस वेबिनार में इन प्रकाशनों का विमोचन किया गया: ए-वेब इंडिया जर्नल ऑफ इलेक्शनस का अक्तूबर 2021 का अंक; 'वॉयस इंटरनेशनल' पत्रिका का अक्तूबर, 2021 का अंक और 'निर्वाचनों में महिलाओं, दिव्यांगजनों और वरिष्ठ नागरिक मतदाताओं की भागीदारी' पर प्रकाशन। इस वेबिनार में महिलाओं, दिव्यांगजनों और वरिष्ठ नागरिकों के लिए निर्वाचन में सुविधा और उनकी भागीदारी पर एक अंतर्राष्ट्रीय वीडियो प्रस्तुति का अनावरण भी किया गया।
इस अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार में महिलाओं, दिव्यांगजनों और वरिष्ठ नागरिकों की निर्वाचकीय सहभागिता बढ़ाने के लिए निर्वाचन प्रबंधन निकायों द्वारा की गई विभिन्न पहलों पर एक प्रदर्शनी भी लगाई गई थी।
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