इस फाइल के बारे में
ईसीआई द्वारा बयान
द ट्रिब्यून में आज अर्थात28.7.2020 को छपी एक रिपोर्ट, जिसका शीर्षक " परिसीमन के बाद जम्मू और कश्मीर में निर्वाचन" है, श्री जी.सी. मुर्मू,माननीय उपराज्यपाल (एलजी), जम्मू और कश्मीर (जेएंडके)से संबंधित है। राज्यपाल (एलजी) के इसी तरह के बयानों को पहले द हिंदू दिनांक 18.11.2019, न्यूज 18 दिनांक 14.11.2019, हिंदुस्तान टाइम्स ने 26.6.2020 और इकोनॉमिक टाइम्स (ई-पेपर) ने दिनांक 28.7.2020 द्वारा रिपोर्ट किया गया था। निर्वाचन आयोग इस तरह के बयानों को अपवाद मानताहै और यह कहना चाहता है कि संवैधानिक योजना में निर्वाचनों का समय आदि का निर्णय एकमात्र भारत निर्वाचन आयोग का होता है। समय निर्धारित करने से पहले,आयोग उस क्षेत्र, जहां निर्वाचन होने हैं,में स्थलाकृति, मौसम,क्षेत्रीय और स्थानीय उत्सवों से उत्पन्न होने वाली संवेदनशीलता सहित सभी प्रासंगिक कारकों को ध्यान में रखता है। उदाहरण के लिए,मौजूदा समय में, कोविड19ने एक नया परिवर्तनला दिया है,जिसे नियत समय पर ध्यान में रखना पड़ता है और रखा जाना चाहिए। मौजूदा मामले में,परिसीमन का परिणाम भी निर्णय के अनुकूल है। इसी प्रकार से, सीपीएफ को लानेऔर ले-जाने के लिए केंद्रीय बल और रेलवे कोच आदि की उपलब्धता महत्वपूर्ण कारक हैं। ये सभी कार्य आयोग के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा सावधानीपूर्वक होमवर्क और संबंधित प्राधिकारियों के साथ गहन परामर्श करने, विस्तृत मूल्यांकन करने के बाद किया जाता है। जहां भी आवश्यक हो,आयोग स्वयं संबंधित राज्य की यात्रा का कार्यक्रम तय करता है और सभी स्टेकहोल्डरों के साथ व्यापक विचार-विमर्श करता है। निर्वाचन आयोग के अलावा अन्य प्राधिकारियों कोऐसे बयान देने से बचना हितकर होगा, जो दरअसल निर्वाचन आयोग के संवैधानिक जनादेश में हस्तक्षेप करने के समान लगते हों।