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श्री सीताराम येचुरी, महासचिव, सीपीआई (एम) का दिनांक 29 जून, 2020 के पत्र का भारत निर्वाचन आयोग द्वारा जवाब


इस फाइल के बारे में

सं. 4/3/2020/एसडीआर/380                                   
दिनांकः 01.07.2020

 

सेवा में,

       श्री सीताराम येचुरी,

       महासचिव, सीपीआई (एम)

 

महोदय,

       कृपया उपर्युक्त विषय पर अपने दिनांक 29 जून, 2020 के पत्र का संदर्भ लें, जो मीडिया में व्यापक रूप से उपलब्ध होने के बाद ही आयोग में प्राप्त हुआ था । उक्त पत्र में दिए गए प्रकथन के प्रत्युत्तर में आपका ध्यान निम्नलिखित की ओर आकर्षित किया जाता हैः

1.                   आयोग ने मतदाताओं की विनिर्दिष्ट श्रेणी को डाक मत-पत्र की सुविधा देने के लिए अनुच्छेद 324 का प्रयोग नहीं किया है। लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 60 (ग) के तहत निर्धारित सांविधिक ढांचे में निम्नलिखित प्रावधान हैं:-

मतदान करवाए जाने वाले किसी भी निर्वाचन क्षेत्र में किसी भी निर्वाचन में उन नियमों में यथाविनिर्दिष्ट ऐसी अर्हताओं की पूर्ति के अध्यधीन अपना वोट डाक मतपत्र द्वारा देने और अन्य किसी रीति से नहीं देने के लिए निर्वाचन आयोग द्वारा सरकार से परामर्श करके अधिसूचित व्यक्तियों की श्रेणी वाले व्यक्ति।

तद्नुसार, आयोग ने तीन श्रेणियों (क) 80 वर्ष तथा इससे अधिक आयु के व्यक्तियों (ख) दिव्यांग निर्वाचकों; तथा (ग) आवश्यक सेवाओं में नियुक्त निर्वाचकों, को डाक मतपत्र सुविधाएं देने की अनुशंसा की, जिसे दिनांक 22.10.2019 को सरकार द्वारा निर्वाचन का संचालन नियम, 1961 के तहत अधिसूचित किया गया था। आयोग ने सावधानी बरतते हुए वर्ष 2019 के अपने साधारण निर्वाचन में झारखंड के सात निर्वाचन क्षेत्रों में वरिष्ठ नागरिकों तथा दिव्यांग निर्वाचकों को डाक मतपत्र सुविधा मुहैया कराई। इस नये मैकेनिज्म का ब्यौरा मुख्य चुनाव अधिकारी तथा संबंधित जिला चुनाव अधिकारी द्वारा संबंधित सभी राजनैतिक दलों तथा संबंधित अभ्यर्थियों के साथ विधिवत रूप से साझा किया गया था। 680 वरिष्ठ नागरिकों तथा 1338 दिव्यांग निर्वाचकों द्वारा इस सुविधा का उपयोग किया गया। इसके बाद, फरवरी, 2020 में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली क्षेत्र में दिल्ली विधान सभा निर्वाचन में इस सुविधा का सभी 70 निर्वाचन क्षेत्रों में विस्तार किया गया था। 2257 वरिष्ठ नागरिकों, 429 दिव्यांग निर्वाचकों, तथा आवश्यक सेवा के 19 निर्वाचकों को यह सुविधा मुहैया कराई गई। आयोग को राजनैतिक दलों सहित किसी भी स्टेकहोल्डर से इस संबंध में कोई सरोकार प्राप्त नहीं हुआ।

2.   कोविड-19 वैश्विक महामारी के मद्देनजर दिनांक 24 मार्च, 2020 (मध्यरात्रि) से समय-समय पर शहरों में  लॉकडाउन संबंधी दिशानिर्देश जारी किए गए हैं। कोविड-19 दिशानिर्देश के तहत, आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 के तहत राष्ट्रीय कार्यकारी समिति विभिन्न दिशानिर्देश जारी करती रही है जिसमें, अन्य बातों के साथ निम्नलिखित शामिल थाः-

(क) 65 वर्ष से अधिक आयु के सभी व्यक्तियों को असुरक्षित के रूप में वर्गीकृत किया जाना,

(ख) सभी कोविड-19 पाजिटिव/संदेहात्मक व्यक्तियों को गृह/संस्थागत क्वारंटाइन रखा जाना।

आयोग ने इन असाधारण स्थितियों पर विचार किया तथा इन अभिज्ञेय श्रेणियों के लिए डाक मतपत्र सुविधाओं का विस्तार करने की सिफारिश करने का फैसला किया ताकि वे भीड़-भाड़ से दूर रहें और अपने मतदान के अधिकार से वंचित भी न रहें।

3.   कोविड-19 के उपायों को ध्यान में रखते हुए, आयोग ने पहले ही प्रत्येक मतदान केन्द्र (पीएस) पर निर्वाचकों की संख्या 1000 तक सीमित करने और उसी स्थान/आसपास के क्षेत्र में सहायक मतदान केंद्र बनाने का निर्देश दिया है ताकि स्वास्थ्य प्राधिकारियों द्वारा निर्धारित सामाजिक दूरी संबंधी मानदंडों को मतदान के समय सुचारू रूप से लागू किया जा सके। आयोग ने बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को इन सभी उपायों के संबंध में सभी मान्यताप्राप्त राजनैतिक दलों के साथ परामर्श करने का निर्देश भी दिया। इस संबंध में बिहार के मुख्य निर्वाचक अधिकारी द्वारा यथा प्रेषित दिनांक 26.06.2020 को आयोजित बैठक के कार्यवृत्त की एक प्रति आपके संदर्भ के लिए इसके साथ संलग्न है। राजनैतिक दलों के साथ इस तरह के परामर्श करना निर्वाचन प्रक्रिया के अभिन्न अंग होते हैं।

4.   निर्वाचक तथा राजनैतिक दल/संस्थाएँ हमारी निर्वाचन प्रणाली में सबसे महत्वपूर्ण स्टेकहोल्डर है। इस प्रक्रिया की शुचिता से समझौता किए बिना उनकी समावेशिता सुनिश्चित करने हेतु सभी प्रयास किए जाते हैं। वरिष्ठ नागरिक तथा दिव्यांग  श्रेणियों से संबंधित निर्वाचकों को डाक मतपत्र की सुविधा देने संबंधी उपाय ने जमीन पर पहले ही संतोषजनक रूप से कार्य किया है। इस सुविधा को और ज्यादा मजबूत बनाने और प्रक्रियाओं को कारगर बनाने के लिए किसी भी प्रकार के सुझाव का हमेशा स्वागत है।

5.   आयोग निर्वाचकों के हित में मौजूदा संवैधानिक ढांचे को सतत रूप से लागू करता रहा है जिससे उनकी अधिकतम भागीदारी प्राप्त होती है, विशेष रूप से वर्तमान के चुनौतीपूर्ण समय में। आयोग, आने वाले चुनौतियों का सामना करने के लिए उठाए जाने वाले आवश्यक कदमों हेतु किसी भी सुझाव का स्वागत करेगा। आयोग, विगत की भांति हमेशा राजनैतिक दलों के इनपुट को महत्व देता है।

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eci-logo.pngभारत निर्वाचन आयोग एक स्‍वायत्‍त संवैधानिक प्राधिकरण है जो भारत में निर्वाचन प्रक्रियाओं के संचालन के लिए उत्‍तरदायी है। यह निकाय भारत में लोक सभा, राज्‍य सभा, राज्‍य विधान सभाओं और देश में राष्‍ट्रपति एवं उप-राष्‍ट्रपति के पदों के लिए निर्वाचनों का संचालन करता है। निर्वाचन आयोग संविधान के अनुच्‍छेद 324 और बाद में अधिनियमित लोक प्रतिनिधित्‍व अधिनियम के प्राधिकार के तहत कार्य करता है। 

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