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सं.100/म.प्र.-वि.स./2020(उप.नि.)
दिनांक: 26 अक्तूबर, 2020
आदेश
यत:, आयोग ने मध्यप्रदेश विधान सभा के चल रहे उप-निर्वाचनों के दौरान ‘राजनीतिक दलों और अभ्यर्थियों के मार्गदर्शन की आदर्श आचार संहिता के साधारण संचालन’ भाग-I के पैरा (2) में विनिर्दिष्ट उपबंधों का उल्लंघन करने और आयोग के पत्र सं. 437/6/अनुदेश/भा.नि.आ./ प्रकार्य/आआसं./2019, दिनांक 29 अप्रैल, 2019 द्वारा जारी परामर्शिका की अवमानना करने के लिए श्री कमल नाथ, पूर्व मुख्यमंत्री, मध्य प्रदेश को नोटिस सं. 100/म.प्र.-वि.स./2020(उप.नि.) दिनांक 21 अक्तूबर, 2020 जारी किया था; और
2. यत:, आयोग को उपर्युक्त नोटिस के लिए श्री कमलनाथ का उत्तर 22 अक्तूबर, 2020 को मिला है; और
3. यत:, श्री कमल नाथ ने अपने उपर्युक्त उत्तर में, अन्य बातों के साथ-साथ, निम्नलिखित निवेदन किया है:-
(क) मेरे लिए और मेरी पार्टी के लिए - महिलाओं का सम्मान करना और उनकी गरिमा बनाए रखना सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। कहने की आवश्यकता नहीं है कि मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री के रूप में महिलाओं के सम्मान का संरक्षण, उनकी सुरक्षा और गरिमा बनाए रखना मेरे प्रशासन के महत्वपूर्ण आधारों में से एक था ।
(ख) भारत के उच्चतम न्यायालय ने अपने उल्लेखनीय निर्णयों में कई बार कहा है कि निर्वाचनों की गहमागहमी तत्क्षण कई बयान दे दिए जाते हैं। इस मामले में भी किसी महिला अथवा महिला जाति के प्रति कोई पूर्वाग्रह नहीं था और न ही उनका अनादर करने की मंशा थी। यह केवल राजनीतिक परिदृश्य का एक उदाहरण था, जो अत्यंत नाटकीय होता है।
(ग) किसी महिला के प्रति न तो कोई दुर्भावना थी और न ही अपमान करने की कोई मंशा। वास्तव में, इस घटना के अगले दिन अर्थात 19.10.2020 को मेरे द्वारा खेद व्यक्त करना और अपने कथन के बारे में स्पष्टकीकरण देना यह दर्शाता है कि आयोग की दिनांक 29.04.2019 को जारी परामर्शिका की उपेक्षा करने की मेरी कोई मंशा नहीं थी।
(घ) अंत में, मैं आयोग को स्मरण कराना चाहता हूं कि महिलाओं की गरिमा बनाए रखना, मेरे सार्वजनिक जीवन की आधारशिला है और यह मेरे 40 वर्ष से अधिक के सार्वजनिक जीवन में किए गए मेरे कार्यों और शासन में प्रतिबिंबित होता है।
(ङ) मैंने वर्ष 1980 से विभिन्न क्षमताओं में कार्य किए हैं – लोक सभा के सदस्य के रूप में, एक केंद्रीय मंत्री के रूप में और एक मुख्यमंत्री के रूप में। मुझ पर कभी भी महिलाओं या किसी के प्रति कदाचार अथवा क्रोधवश टिप्पणी करने का आरोप नहीं लगा है – चाहे संसद के भीतर हो अथवा संसद से बाहर।
(च) मुझे आशा और विश्वास है कि मेरे सार्वजनिक जीवन के रिकार्ड को देखते हुए निर्वाचन आयोग मेरे इस उत्तर से संतुष्ट होगा। निर्वाचन प्रक्रिया के दौरान दिए गए अनर्गल बयान की वजह से किसी व्यक्ति के सार्वजनिक जिन्दगी के रिकार्ड को नजरांदाज नहीं किया जा सकता और न ही करना चाहिए।
(छ) मैं अनुरोध करता हूं कि मेरे मौजूदा उत्तर को ध्यान में रखते हुए उतराधीन नोटिस के तहत मेरे विरूद्ध आरंभ की गई कार्रवाई को कृपया समाप्त किया जाए।
4. यत:, आयोग ने इस मामले पर गंभीरता से विचार किया है और उसका मानना है कि श्री कमलनाथ ने एक महिला के लिए ‘आइटम’ शब्द का प्रयोग किया है और यह आयोग के पत्र सं. 437/6/अनुदेश/भा.नि.आ./प्रकार्य/आआसं./2019, दिनांक 29 अप्रैल, 2019 के तहत जारी परामर्शिका का उल्लंघन है।
5. अत:, अब, आयोग श्री कमलनाथ, पूर्व मुख्यमंत्री, मध्य प्रदेश को एतद्द्वारा परामर्श देता है कि सार्वजनिक बयान देते समय उन्हें आदर्श आचार संहिता की अवधि में इस प्रकार के शब्दों अथवा कथनों का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
आदेश से,
(स्टैंडहोप युहलुंग)
वरिष्ठ प्रधान सचिव
सेवा में,
श्री कमलनाथ,
पूर्व मुख्यमंत्री, मध्य प्रदेश,
शिकारपुर, तहसील मोहखेड़,
जिला – छिंदवाड़ा, मध्य प्रदेश