इस फाइल के बारे में
सं. 100/एमपी-एलए/2020-(उप)
दिनांक: 30 अक्तूबर, 2020
आदेश
यत:, आयोग ने, मध्यप्रदेश की विधान सभा के लिए चल रहे उप-निर्वाचनों के दौरान राजनैतिक दलों और अभ्यर्थियों के मार्गदर्शन के लिए आदर्श आचार संहिता के ‘सामान्य आचरण’ के भाग I के पैरा(2) के उपबंधों का उल्लंघन करने के लिए श्री कैलाश विजयवर्गीय, भाजपा नेता को 26 अक्तूबर, 2020 को एक नोटिस, संख्या 100/एमपी-एलए/2020-(उप) जारी किया था; और
2. यत:, आयोग को, श्री कैलाश विजयवर्गीय से उक्त नोटिस का उत्तर 27 अक्तूबर, 2020 को मिल गया है; और
3. यत:, श्री कैलाश विजय वर्गीय ने, उक्त उत्तर में, अन्य बातों के साथ-साथ निम्नलिखित कहा है:
क) उन्होंने अनेक निर्वाचन लड़े हैं और हमेशा निर्वाचन आयोग के दिशा-निर्देश का पालन किया है और वे आयोग के दिशा-निर्देश और आदर्श आचार संहिता का पूरा सम्मान करते है। ख) यह कि, प्रारम्भ में ही, शिकायत या नोटिस में लगाए गए सभी विपरीत आरोप पूरी तरह से अस्वीकार किए जाते हैं और इनमें से किसी भी आरोप को तब तक स्वीकार किया हुआ न समझा जाय, जब तक कि यहां इस उत्तर में विशेष रूप से ऐसा उल्लेख न किया गया हो। अधोहस्ताक्षरी शुरूआत में ही यहां पुन: अनुरोध करता है कि नोटिस में उद्धृत टिप्पणियों में इसके संदर्भ को पूर्णरूपेण गलत समझ लिया गया है। यह शिकायत निर्वाचन के रुख को बदलने के लिए निर्वाचन के माहौल में कांग्रेस पार्टी द्वारा की गई व्याख्या है।
ग) संपूर्ण भाषण और कथित आपत्तिजनक शब्दों का ध्यान से अवलोकन करने से यह स्पष्ट है कि कांग्रेस पार्टी के दोनों नेताओं के आरोपों को निजी जिंदगी के सभी पहलुओं के बारे में की गई आलोचना नहीं माना जा सकता, जो कि दलों के नेताओं अथवा कार्यकर्ताओं की सार्वजनिक गतिविधियों से सम्बद्ध नहीं हैं, जैसा कि आदर्श आचार संहिता के पैरा 1(2) में परिभाषित है।
घ) यह कि, यह प्रस्तुत किया गया है कि निर्वाचन आयोग के दिशा-निर्देशों और आदर्श आचार संहिता के प्रावधानों का पालन करना उनके और बीजेपी के प्रत्येक पार्टी कार्यकर्ता के लिए सर्वोपरि है तथा वह इनका सर्वाधिक सम्मान करते हैं।
4. यत:, निर्वाचन आयोग ने इस मामले पर सावधानीपूर्वक विचार किया है और यह उसका सुविचारित मत है कि श्री कैलाश विजयवर्गीय ने ‘राजनैतिक दलों और अभ्यर्थियों के मार्गदर्शन के लिए आदर्श आचार संहिता के सामान्य आचरण’ के भाग I के पैरा (2) का उल्लंघन किया है।
5. अब, इसलिए, आयोग श्री कैलाश विजयवर्गीय को एतद्द्वारा सलाह देता है कि आदर्श आचार संहिता लागू रहने की अवधि के दौरान, अपने सार्वजनिक वक्तव्य देते समय उन्हें ऐसे शब्द या कथन का प्रयोग नहीं करना चाहिए।