इस फाइल के बारे में
सं. 100/एमपी-एलए/2020-(बाय.)
दिनांक: 31 अक्तूबर, 2020
नोटिस
यत:, आयोग द्वारा, मध्यप्रदेश की विधान सभा के लिए उप-निर्वाचनों की घोषणा दिनांक 29 सितंबर, 2020 के प्रेस नोट सं. ईसीआई/पीएन/67/2020 के माध्यम से कर दी गई है और उक्त प्रेस नोट के पैरा 4 के अनुसार, आदर्श आचार संहिता के उपबंध उस तारीख से लागू कर दिए गए हैं; और
2. यत:, आदर्श आचार संहिता के भाग 1 के पैरा (2) में उल्लेख है कि, अन्य बातों के साथ-साथ, ‘सभी दल और सभी अभ्यर्थी दलों के नेताओं अथवा कार्यकर्ताओं की निजी जिंदगी के सभी पहलुओं की आलोचना करने से बचेंगे’ यदि वे सार्वजनिक गतिविधियों से सम्बद्ध न हों,; और
3. यत:, आयोग को मुख्य निर्वाचन अधिकारी, मध्य प्रदेश से एक रिपोर्ट प्राप्त हुई है, जिसमें यह कहा गया है कि 27 अक्तूबर, 2020 को जौरा, मुरैना में एक रैली को संबोधित करने के दौरान, कांग्रेस नेता श्री आचार्य प्रमोद कृष्णन ने श्री शिवराज सिंह चौहान के लिए अपमानजनक भाषा का प्रयोग किया है; और
4. यत:, आयोग को कथित संबोधन की प्राधिकृत प्रतिलिपि (अनुबंध-I) प्राप्त हुई, जो निम्नानुसार है:
" द्वापर में मारीच मामा, द्वापर के अंत में कंस जिसने अपनी बहन के सभी बच्चों को कुर्सी सलामत रखने के लिए मर दिया, तीसरा सकुनि मामा, जिसने छल कपट कर कौरवों का नाश कराया, तीनों प्रपंची मामाओं को मिला दिया जाये तो एक मामा बनता है शिवराज, इन तीनों का घोटाला, इन तीनों के कमीनापन एक जगह निचोड़ दिया जाये तो यह आदमी बनता है" और
5. यत:, श्री आचार्य प्रमोद कृष्णन द्वारा 27 अक्तूबर, 2020 को रैली को संबोधित करते हुए दिए गए भाषण की प्रतिलिपि की जांच आयोग में की गई है और उक्त वक्तव्य को राजनैतिक दलों और अभ्यर्थियों के मार्गदर्शन के लिए आदर्श आचार संहिता के ‘सामान्य आचरण’ के भाग I के पैरा (2) में उल्लिखित उपबंधों का उल्लंघन पाया गया है।
6. अत:, अब आयोग श्री आचार्य प्रमोद कृष्णन को उक्त वक्तव्य देने के संबंध में अपनी स्थिति स्पष्ट करने के लिए इस नोटिस की प्राप्ति के 48 घंटों के अन्दर उत्तर देने का एक अवसर देता है और ऐसा न करने पर भारत निर्वाचन आयोग उन्हें कोई और सूचना दिए बिना निर्णय लेगा।
संलग्नक: यथोक्त।
अनुबंध-1
दिनांक 27.10.2020 को विधान सभा क्षेत्र 04 जौरा में सचिन पायलट की
आमसभा में श्री प्रमोद कृष्णन द्वारा दिए गए वक्तव्य की स्क्रिप्ट
“मारीच, द्वापर के प्रारम्भ में हुआ कंस मामा, जिसने अपनी सगी बहन देवकी के तमाम बच्चों का वध इसलिए किया कि उसकी कुर्सी सलामत रहे। तीसरा मामा हुआ महाभारत के दौर में शकुनि, जिसने छल और प्रपंच से पांडवों को बर्बाद करने का षड़यंत्र रचा था। लेकिन आज जौरा की पवित्र भूमि को नमन करते हुए, पवित्र मंच को प्रणाम करते हुए, चम्बल की माटी को माथे पर लगाते हुए मैं ऐलान के साथ कहना चाहता हूँ अगर इन तीनों प्रपंची मामाओं को मिला दिया जाये तो एक मामा बनता है शिवराज मामा। इन तीनों का घोटाला, इन तीनों का कमीनापन अगर एक जगह निचोड़ दिया जाये तो ये आदमी बनता है”