इस फाइल के बारे में
सं. 3/4/आईडी/2020/एसडीआर/खंड. II
दिनांकः 14 अक्तूबर, 2020
सेवा में
मुख्य निर्वाचन अधिकारी
- बिहार
- छत्तीसगढ़
- गुजरात
- हरियाणा
- झारखंड
- कर्नाटक
- मध्य प्रदेश
- मणिपुर
- नागालैंड
- ओडिशा
- तेलंगाना
- उत्तर प्रदेश
विषयः बिहार लोक सभा एवं छत्तीसगढ़, गुजरात, हरियाणा, झारखंड, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, मणिपुर, नागालैंड, ओडिशा, तेलंगाना एवं उत्तर प्रदेश विधान सभाओं के लिए उप-निर्वाचन, 2020 – मतदान केंद्रों के निर्वाचकों की पहचान – तत्संबंधी।
महोदय,
मुझे बिहार लोक सभा एवं छत्तीसगढ़, गुजरात, हरियाणा, झारखंड, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, मणिपुर, नागालैंड, ओडिशा, तेलंगाना एवं उत्तर प्रदेश विधान सभाओं (अनुलग्नक-I के अनुसार) के लिए उप-निर्वाचनों में निर्वाचकों की पहचान के संबंध में, निर्वाचन आयोग के दिनांक 14 अक्तूबर, 2020 के आदेश को इसके साथ संलग्न करने का निदेश हुआ है।
2. निर्वाचन आयोग ने निदेश दिया है कि सभी निर्वाचन क्षेत्रों में सभी निर्वाचकों, जिन्हें एपिक जारी किया जा चुका है, को अपना मत डालने से पहले मतदान केंद्र पर अपनी पहचान के लिए निर्वाचक फोटो पहचान पत्र (एपिक) प्रस्तुत करना होगा। जो निर्वाचक एपिक प्रस्तुत नहीं कर पाएंगे, उन्हें अपनी पहचान स्थापित करने के लिए आदेश के पैराग्राफ 7 में उल्लिखित किसी एक वैकल्पिक फोटो पहचान दस्तावेज को प्रस्तुत करना होगा।
3. एपिक के संबंध में, प्रविष्टियों में मामूली विसंगतियों को नजरअंदाज कर देना चाहिए बशर्ते कि निर्वाचक की पहचान उक्त द्वारा सुनिश्चित की जा सके। यदि कोई निर्वाचक ऐसा एपिक प्रस्तुत करता है जो किसी अन्य विधान सभा निर्वाचन-क्षेत्र के निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी द्वारा जारी किया गया है, ऐसे पत्र भी पहचान के लिए स्वीकृत किए जाएंगे बशर्ते कि उस निर्वाचक का नाम, उस मतदान केंद्र, जहां वह मतदान करने आया है से संबंधित निर्वाचक नामावली में उपलब्ध हो। यदि फोटोग्राफ इत्यादि के बेमेल होने के कारण निर्वाचक की पहचान सुनिश्चित करना संभव न हो तो निर्वाचक को पैरा 7 में उल्लिखित कोई एक वैकल्पिक फोटो दस्तावेज को प्रस्तुत करना होगा।
4. प्रवासी निर्वाचकों को पहचान के लिए केवल अपना वास्तविक भारतीय पासपोर्ट ही प्रस्तुत करना होगा।
5. इस आदेश को सभी रिटर्निंग अधिकारियों एवं पीठासीन अधिकारियों के ध्यान में लाया जाए। रिटर्निंग अधिकारी विशेष ब्रीफिंग के माध्यम से पीठासीन अधिकारियों को इस आदेश के निहितार्थ तथा विषय-वस्तु के बारे में बताएंगे। प्रत्येक पीठासीन अधिकारी को मातृभाषा में अनूदित आदेश की प्रति को उपलब्ध कराया जाना चाहिए। रिटर्निंग अधिकारियों को भी यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सभी मतदान केंद्रों पर पीठासीन अधिकारियों के पास आदेश की प्रतियां उपलब्ध हों। आदेश को तत्काल राज्य के राजपत्र में प्रकाशित किया जाना चाहिए और उसकी एक प्रति को आयोग में इसके सूचना तथा अभिलेखन हेतु भेजा जाना चाहिए।
6. इस आदेश का आम जनता और निर्वाचकों की सूचना के लिए तत्काल और तत्पश्चात मतदान की तारीख तक नियमित अंतराल पर प्रिंट/इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से व्यापक रूप से प्रचार-प्रसार किया जाना चाहिए। इसमें अखबारों में पेड विज्ञापन शामिल होने चाहिएं। इन अनुदेशों के संबंध में, अपने राज्य/संघ राज्य-क्षेत्र में सभी राजनीतिक दलों और निर्वाचन लड़ने वाले अभ्यर्थियों को भी लिखित में सूचित किया जाना चाहिए।
7. पूर्व में भी, निर्वाचन आयोग ने पहचान के लिए दस्तावेज के रूप में फोटो मतदान पर्ची की अनुमति दी थी। हालांकि, फोटो मतदाता पर्ची में किसी भी प्रकार की सुरक्षा संबंधी सुविधा नहीं होने की वजह से इसके दुरूपयोग होने के आधार पर एकमात्र पहचान दस्तावेज के रूप में इसका उपयोग करने के खिलाफ अभ्यावेदन दिए गए थे। चूंकि, 100 प्रतिशत निर्वाचकों के पास एपिक है, और 99 प्रतिशत वयस्कों को आधार कार्ड जारी किया जा चुका है, आयोग ने अब निर्णय लिया है कि फोटो मतदाता पर्ची को मतदान के लिए एक मात्र पहचान दस्तावेज के रूप में स्वीकार नहीं किया जाएगा, हालांकि फोटो मतदाता पर्ची तैयार होती रहेगी और जागरूकता पैदा करने के अभियान के रूप में निर्वाचकों को जारी की जाती रहेगी। निर्वाचकों को यह स्पष्ट करने के लिए कि फोटो मतदाता पर्चियों को मतदान के लिए एकमात्र पहचान दस्तावेज के रूप में स्वीकार नहीं किया जाएगा ये शब्द, फोटो मतदाता पर्ची में साफ अक्षरों में मुद्रित किए जाएंगे “मतदान केंद्र में इस पर्ची को पहचान के प्रयोजनार्थ स्वीकृत नहीं किया जाएगा। आपसे अनुरोध है कि एपिक अथवा आयोग द्वारा निर्धारित 11 वैकल्पिक दस्तावेजों में से एक को साथ में अवश्य लाएं” ।
8. कृपया पावती दें और कृत कार्रवाई की पुष्टि करें।
भवदीय
(अभिषेक तिवारी)
अवर सचिव