इस फाइल के बारे में
फा. सं. 4/3/2020/एसडीआर/
दिनांकः 19 दिसम्बर, 2020
सेवा में
श्री सीताराम येचुरी,
महासचिव, सीपीआई (एम),
ए के गोपालन भवन, 27-29 भाई वीर सिंह मार्ग,
नई दिल्ली-110 001
विषयः- प्रवासी निर्वाचकों को भी डाक मतपत्र की सुविधा देने हेतु आयोग के प्रस्ताव पर शिकायतें-तत्संबंधी।
महोदय
कृपया उपर्युक्त विषय पर दिनांक 04.12.2020 के अपने पत्र का संदर्भ लें।
जैसा कि आप अवगत हैं कि वर्ष 2011 में लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 20क के अंतर्गत प्रवासी निर्वाचकों के लिए पंजीकरण/मताधिकार हेतु विशेष प्रावधान निर्धारित किए गए थे। हालांकि, मौजूदा प्रावधानों के अंतर्गत, प्रवासी निर्वाचक भारत में अपने संबंधित मतदान केंद्रों पर और वह भी स्वयं उपस्थित होकर अपने मत डाल सकते हैं।
2015 में, राजनैतिक दलों सहित विभिन्न पक्षकारों के साथ विस्तृत परामर्श के बाद, जैसा कि आपके उपर्युक्त पत्र में कहा गया है, समिति की सिफारिश पर, आयोग ने विधि एवं न्याय मंत्रालय को प्रवासी निर्वाचकों के लिए एक या उससे अधिक विकल्पों द्वारा मतदान की सुविधा देने की संस्तुति की हैः (i) डाक मतपत्र; (ii) परोक्षी (प्रतिनिधि); या (iii) व्यक्तिगत रुप से।
तत्पश्चात, दिनांक 21 अक्तूबर, 2016 को निर्वाचनों का संचालन नियम, 1961 के नियम 23 में सेवा निर्वाचकों को डाक मतपत्र के एकतरफा इलेक्ट्रॉनिक प्रेषण (ईटीपीबीएस) (आरओ से निर्वाचक तक) की सुविधा प्रदान करने के लिए संशोधन किया गया था। सेवा मतदाताओं (भारत से बाहर किसी पद पर तैनात भारत सरकार के अंतर्गत सेवारत सुरक्षा बल और व्यक्ति) के लिए ईटीपीबीएस प्रणाली अब पूर्णतः सुव्यवस्थित है और संतोषजनक रूप से काम कर रही है। सेवा निर्वाचकों के लिए ईटीपीबीएस के सफलतापूर्वक कार्यान्वयन के बाद, प्रवासी निर्वाचकों के लिए सुविधा प्रदान करने की प्रक्रिया पर आयोग में विचार-विमर्श किया गया था। 2015 में पहले ही की गई संस्तुतियों के अनुरूप, आयोग ने नियमों में संशोधन करके प्रवासी निर्वाचकों के लिए ईटीपीबीएस हेतु विधि एवं न्याय मंत्रालय को संस्तुतियां दीं। आयोग ने उपर्युक्त पत्र से नोट किया कि "सीपीआई(एम) देश में निर्वाचन प्रक्रिया में भाग लेने के लिए प्रवासी निर्वाचकों/अनिवासी भारतीयों को भी मताधिकार की सुविधा देने के पक्ष में है"।
दिनांक 27.11.2020 को विधि एवं न्याय मंत्रालय को भेजे गए, प्रवासी निर्वाचकों के पक्ष में ईटीपीबीएस मतदान के विकल्प का विस्तार करने का मौजूदा प्रस्ताव उन सभी प्रवासी निर्वाचकों को मतदान की सुविधा देने के लिए आयोग के निरंतर प्रयासों का विस्तार है, जो 2011 में अधिनियम में संशोधन के बावजूद अपने मताधिकार का प्रयोग करने में असमर्थ हैं।