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श्री अशोक सिंघल को दिनांक 27.10.2021 को आयोग का नोटिस


इस फाइल के बारे में

सं. 100/एएस-एलए/2021/एनईएस-II                        
दिनांकः 27 अक्तूबर, 2021
 

नोटिस 

      यतः, आयोग ने अपने प्रेस नोट सं. ईसीआई/पी एन/83/2021, दिनांक 28.09.2021 के तहत असम में 5 विधान सभा निर्वाचन क्षेत्रों सहित कई राज्यों में कुछ विधान सभा निर्वाचन क्षेत्रों/संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों के लिए उप-निर्वाचनों का आयोजन करवाने के लिए कार्यक्रम की घोषणा कर दी है और राजनैतिक दलों एवं अभ्यर्थियों के लिए आदर्श आचार संहिता के प्रावधान उस तारीख से ही लागू हो गए हैं

      यतः, आयोग ने श्री देवब्रत सैकिया से सं. एएलए/एलओपी/ओ/2021/423, दिनांक 24/10/2021 की एक शिकायत प्राप्त की है (प्रति संलग्न), जिसमें अन्य बातों के साथ-साथ आरोप लगाया गया है कि आपने राज्य मंत्री, असम रहते हुए, "सार्वजनिक वक्तव्य देते समय संवैधानिक प्रावधानों और आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन किया है। गोसांईगांव निर्वाचन क्षेत्र की निर्वाचन रैली में भाग लेने के दौरान, मंत्री ने कहा कि यदि लोग उप-निर्वाचन में बीजेपी को मत नहीं देंगे, तो निर्वाचन क्षेत्र में कोई विकास नहीं होगा और यह कि सत्ता में बीजेपी को वोट देने के दो महीने के भीतर एक बांध पर निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा......."     

      यतः, आयोग के पत्र सं. 100/एएस-एलए/2021/एनईएस-II, दिनांक 25.10.2021 के द्वारा संबंधित जिला निर्वाचन अधिकारियों की रिपोर्टों और भाषणों की अंग्रेजी ट्रांसक्रिप्ट प्राप्त करने के लिए मुख्य निर्वाचन अधिकारी, असम को वीडियो क्लिपिंग के साथ शिकायत की एक प्रति की भेज दी गई है; और 

      यतः, मुख्य निर्वाचन अधिकारी, असम के माध्यम से दिनांक 27.10.2021 को संबंधित जिला निर्वाचन अधिकारियों से प्राप्त आपके भाषणों की अंग्रेजी ट्रांसक्रिप्ट को देखने के बाद, यह पुष्टि की जाती है कि आपने निर्वाचन क्षेत्रों में विभिन्न स्थानों पर सभाओं को संबोधित करने के दौरान निम्नलिखित वक्तव्य देते समय वादे और घोषणाएं की- 

"पहली बड़ी समस्या गंगाधर नदी पर तटबंध की है। 1600 आपने पहले ही कहा था, यदि आप 1400 मत देते हैं, तो दो महीनों के भीतर मैं तटबंध का काम शुरू करवा दूंगा। तालियां काफी नहीं हैं, आपको मत देने हैं। एक हाथ से दीजिए और दूसरे से लीजिए। पहले आप दीजिए और तब मैं आपको दूंगा। यदि कल कांग्रेस, बीपीएफ और एआईयूडीएफ के लोग आते हैं और अन्यथा समझाते हैं तथा वोट मांगते हैं, तब तटबंध का काम शुरू नहीं होगा। अगर हम यह उप-निर्वाचन हार भी गए तो भी हमारी सरकार नहीं गिरेगी। अगर हम यह उप-निर्वाचन हार भी गए, तो भी हमारी सरकार बनी रहेगी, मैं मंत्री बना रहूंगा और हिमंता बिस्वा सर्मा सर मुख्यमंत्री बने रहेंगे, इस सीट से कोई फर्क नहीं पड़ेगा। अगर हम यह सीट नहीं भी जीतते हैं तो इससे कोई अंतर नहीं होगा। यह! आप भी समझते हैं! क्या आप समझ रहे हैं? इसलिए मैं आपसे कह रहा हूं कि अगले 4.5 वर्षों तक सरकार के साथ बने रहिए/सरकार का समर्थन कीजिए। यदि आप सरकार का समर्थन करते हैं तो आपको लाभ मिलेगा। यदि आप बीपीएफ, कांग्रेस, एआईयूडीएफ का समर्थन करते हैं तो आपको ये लाभ नहीं मिलेंगे। क्या आप तटबंध चाहते हैं या नहीं? माताओं, अपने हाथ उठाओ! बहनों, आवाज़ उठाओ! पीछे बैठी जनता, आवाज़ उठाओ! क्या आप तटबंध चाहते हैं या नहीं? मैं आप सभी से वादा करता हूं। इस भाषण में, मैं कहना चाहता हूं कि- आप 1400 वोट दीजिए और दो महीनों के भीतर तटबंध का कार्य शुरू हो जाएगा। मैं आपको वचन देता हूं। "     

      यतः, इसके अलावा, मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ), असम से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार, उपर्युक्त बैठक के लिए  गोसांईगांव निर्वाचन जिले के अनुज्ञा प्रकोष्ठ से कोई अनुमति नहीं मांगी गई थी। 

      यतः, आदर्श आचार संहिता के भाग-II के पैरा-1 और भाग-I के पैरा-4 में अन्य बातों के साथ-साथ निम्नानुसार प्रावधान हैं:- 

"I. (4) सभी दलों और अभ्यर्थियों को ऐसे सभी कार्यकलापों से ईमानदारीपूर्वक बचना चाहिए, जो निर्वाचन विधि,­­­ के अधीन "भ्रष्ट आचरण" और अपराध हैं, जैसे मतदाताओं को रिश्वत देना, मतदाताओं को धमकाना।

II. (1) दल या अभ्यर्थी किसी भी प्रस्तावित बैठक के आयोजन स्थल और समय के बारे में स्थानीय पुलिस अधिकारियों को समय पर सूचित करेंगे ताकि पुलिस को यातायात को नियंत्रित करने तथा शांति और व्यवस्था बनाए रखने के लिए आवश्यक व्यवस्था करने में सक्षम बनाया जा सके।"   

यतः, आयोग का सुविचारित मत है कि उपर्युक्त वक्तव्य देते समय और सक्षम प्राधिकरण से अनुमति प्राप्त किए बिना निर्वाचन बैठक आयोजित करवाकर आपने आदर्श आचार संहिता के उपर्युक्त प्रावधानों का उल्लंघन किया है। 

अब, इसलिए, आयोग आपको 28.10.2021 (गुरुवार) को 1700 बजे तक या उससे पूर्व इस संबंध में अपनी स्थिति स्पष्ट करने का एक अवसर प्रदान करता है। यदि निर्धारित समय सीमा के भीतर कोई स्पष्टीकरण प्रस्तुत नहीं किया जाता है, तो आयोग आपको कोई पत्र-व्यवहार किए बिना निर्णय देगा।

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