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जम्मू-कश्मीर राज्य में अर्हक तारीख के रूप में दिनांक 01.10.2022 के संदर्भ में फोटो निर्वाचक नामावलियों का विशेष सार पुनरीक्षण-कार्यक्रम-तत्संबंधी।


इस फाइल के बारे में

सं.23/2022 (जम्‍मू व कश्‍मीर एसएसआर) - ईआरएस                     
दिनांक: 29 जून, 2022

 

सेवा में

       जम्मू-कश्मीर संघ राज्‍य क्षेत्र के मुख्‍य निर्वाचन अधिकारी,

       जम्‍मू।

 

विषय:  जम्‍मू-कश्‍मीर संघ राज्‍यक्षेत्र में अर्हक तिथि के रूप में 01.10.2022 के संदर्भ में फोटो निर्वाचक नामावलियों का विशेष संक्षिप्‍त पुनरीक्षण-कार्यक्रम-तत्‍संबंधी।

 

संदर्भ:  (i) आयोग का पत्र सं. 23/2022 (जम्‍मू-कश्‍मीर एसएसआर)-ईआरएस, दिनांक 10 जून, 2022

           (ii) आयोग का पत्र सं. 23/2021 – ईआरएस (सुपर चेंकिंग), दिनांक 1 नवम्‍बर, 2021, और

            (iii) आयोग का पत्र सं. 22/02/2022-ईआरएस, दिनांक 27.06.2022

 

महोदय/महोदया

मुझे यह कहने का निदेश हुआ है कि मौजूदा नीति के अनुसार, अर्हक तारीख के रूप में आगामी वर्ष की 1 जनवरी के संदर्भ में निर्वाचक नामावलियों का पुनरीक्षण सभी राज्यों/संघ राज्‍यक्षेत्रों में प्रत्येक वर्ष (सामान्‍य रूप से वर्ष की अंतिम तिमाही में)  की आखिरी अवधि में किया जाता है ताकि निर्वाचक नामावलियों का अंतिम प्रकाशन अनुवर्ती वर्ष के जनवरी माह के प्रथम सप्ताह में किया जा सके। तथापि विभिन्‍न प्रशासनिक कारणों से निर्वाचक नामावली का यह वार्षिक पुनरीक्षण एसएसआर, 2019 के बाद जम्‍मू-कश्‍मीर में नहीं किया जा सका। इसी बीच में संघ राज्‍य–क्षेत्र में निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन कार्य भी प्रगति पर था तथा परिसीमन आयोग द्वारा 05 मई, 2022 को अंतिम रूप से परिसीमित निर्वाचन क्षेत्रों को अधिसूचित कर दिया गया था। चूंकि, जम्मू-कश्मीर में पिछले 3 वर्षों से निर्वाचक नामावली का पुनरीक्षण कार्य नहीं किया गया था, इसीलिए नए पात्र निर्वाचक नामावली में अपना पंजीकरण नहीं करा सके थे। उक्‍त के मद्देनज़र, नए परिसीमित निर्वाचन क्षेत्रों के आधार पर निर्वाचक नामावली को अद्यतन करने के लिए अगली अर्हक तारीख के संदर्भ में बिना किसी देरी के विशेष संक्षिप्‍त संशोधन का करने की आवश्‍यकता है ताकि सभी नए पात्र युवा निर्वाचकों को स्‍वयं को नामांकित करने के अवसर मिल सके उपर्युक्‍त के संदर्भ में आयोग ने अपने दिनांक 10.06.2022 के समसंख्‍यक पत्र के द्वारा जम्‍मू-कश्‍मीर संघ राज्‍यक्षेत्र में पुनरीक्षण कार्यकलापों की शुरूआत कर दी है। पूर्व-पुनरीक्षण कार्यकलापों का समापन दिनांक 31.08.2022 को होगा। 

2.     निर्वाचन विधि (संशोधन) अधिनियम, 2021 द्वारा लोक प्रतिनिधित्‍व अधिनियम की धारा 14 में संशोधन, जैसाकि भारत के राजपत्र की अधिसूचना संख्‍या 67, दिनांक 30 दिसम्‍बर, 2021 के द्वारा अधि‍सूचित किया गया है, होने तथा निर्वाचक रजिस्‍ट्रीकरण नियम, 1960 में तदनुरूपी परिवर्तन करने के परिणामस्‍वरूप, जैसा कि 17 जून, 2022 को अधिसूचित किया गया है, चार अर्हक तिथियों, नामत: 1 जनवरी, 1 अप्रैल, 1 जुलाई तथा 1 अक्‍टूबर का विधि में प्रावधान हो गया है। पिछले पैराग्राफ में दिए गए कारणों को देखते हुए आयोग ने 1 अक्‍तूबर, 2022 के संबंध में एसएसआर, 2022 का आदेश देने का निर्णय लिया है, जो कि प्रगतिरत पूर्व पुनरीक्षण कार्यकलापों के समापन के बाद निर्वाचक नामावली तैयार करने की अगली अर्हक तारीख है। 

3.     तदनुसार, आयोग ने जम्मू-कश्मीर, संघ राज्‍य-क्षेत्र में अर्हक तारीख के रूप में दिनांक 01-10-2022 के संदर्भ से निम्नलिखित तालिका के अनुसार फोटो निर्वाचक नामावलियों का विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण करने के लिए पुनरीक्षण कार्यकलाप आरंभ करने का निदेश दिया है:-

क्र. सं.

पुनरीक्षण कार्यकलाप

अवधि

1.

समेकित प्रारूप निर्वाचक नामावली का प्रकाशन

01.09.2022 (बृहस्‍पतिवार)

2.

दावे और आपत्तियाँ दायर करने की अवधि

01.09.2022 (बृहस्‍पतिवार) से 30.09.2022 (शुक्रवार) तक

3.

विशेष अभियान की तारीखें

दावों और आपत्तियों की अवधि के भीतर दो शनिवार और रविवार (सीईओ द्वारा प्रस्‍तावि किया जाना)

4.

दावों एवं आपत्तियों का निपटान

15.10.2022 (शनिवार) तक

5.

(i) दुरूस्‍तता संबंधी मानदंडों की जांच करना और अंतिम प्रकाशन के लिए आयोग की अनुमति लेना

(ii) डाटाबेस का अद्यतनीकरण और अनुपूरकों का मुद्रण

25.10.2022 (मंगलवार) तक

6.

निर्वाचक नामावली का अंतिम प्रकाशन

31.10.2022 (सोमवार)

4.   मसौदा प्रकाशन: निर्वाचक नामावली के मसौदा प्रकाशन से पहले, मुख्‍य निर्वाचन अधिकारी सुनिश्चित करेगा कि आयोग के दिनांक 10.06.2022 के पत्र में उल्लिखित पूर्व-संशोधन के सभी कार्यकलापों को पूरा कर लिया गया है। मुख्‍य निर्वाचन अधिकारी द्वारा निर्वाचक नामावली के मसौदा प्रकाशन के संबंध में निर्धारित प्ररुप 1-8 में निर्वाचकों की सूचना उसकी सुविचारित टिप्‍पणियों और व्‍याख्‍यात्‍मक ज्ञापन के साथ मसौदा प्रकाशन से पहले आयोग को प्रस्‍तुत किए जाएंगे।

5.   दावों तथा आपत्तियों के लिए प्रपत्र:

(i)    नए निर्वाचक के रूप में नामावली में नाम को सम्मिलित करने के लिए प्रत्‍येक दाव प्रपत्र-6 में होगा तथा आवेदक द्वारा हस्‍ताक्षरित होगा।

(ii)  प्रस्‍तावित नाम के समावेशन की प्रत्‍येक आपत्ति अथवा मौजूदा नामावली में नाम को हटाने के लिए आवेदन प्रपत्र-7 में होगा तथा उस व्‍यक्ति को अधिमानता दी जाएगी जिसका नाम ऐसी नामावली में हो।

(iii)     नामावली में किसी प्रविष्टि के विवरण अथवा विवरणों की प्रत्‍येक आपत्ति अथवा निर्वाचन क्षेत्र के भीतर अथवा निर्वाचन क्षेत्र के बाहर निवास के स्‍थानांतरण करने के लिए आवेदन अथवा प्रविष्टियों को सुधारने या अद्यतन करने के लिए आवेदन प्रपत्र-8 में होगा तथा उस व्‍यक्ति को अधिमानता दी जाएगी जिसकी प्रविष्टि इससे संबंधित होगी।

6.   आधार संख्‍या प्रस्‍तुत करना: आधार संख्‍या प्रस्‍तुत करने के लिए पंजीकरण फार्म में एक स्‍थान दिया गया है, तथापि निर्वाचक नामावली में नाम को शामिल करने के लिए किसी भी आवेदन को अस्‍वीकार नहीं किया जाएगा तथा किसी व्‍यक्ति द्वारा आधार संख्‍या प्रस्‍तुत करने में या सूचित करने में असमर्थ रहने पर निर्वाचक नामावली में कोई प्रविष्टि नही हटाई जाएगी।

7. दावों और आपत्तियों की सूची का प्रदर्शन –

7.1  निर्वाचकों का रजिस्‍ट्रीकरण नियम, 1960 के नियम 16 के अनुसार ईआरओ प्ररूप 9,10,11, 11क और 11ख में दावों और आपत्तियों की सूचियां तैयार करेंगे और ऐसी सूचियों की एक प्रति अपने कार्यालय में नोटिस बोर्ड पर प्रदर्शित करेंगे। इसके अलावा, प्राप्‍त किए गए सभी दावों और आपत्तियों की सूची मुख्‍य निर्वाचन अधिकारी की वेबसाइट पर डाली जानी चाहिए ताकि नागरिक सूची देख सकें और संबंधि‍त निर्वाचक रजिस्‍ट्रीकरण अधिकारी को आपत्ति दाखिल कर सकें। इसके अतिरिक्‍त, मुख्‍य निर्वाचन अधिकारी द्वारा इस तथ्‍य के संबंध में पर्याप्‍त प्रचार किया जाए कि दावों और आपत्तियों की सूची उनकी वेबसाइट पर उपलब्‍ध है और इस सूची के आधार पर निर्वाचक रजिस्‍ट्रीकरण अधिकारी के समक्ष आपत्तियां दर्ज कराई जा सकती हैं। इसे राजनैतिक दलों के साथ बैठकें करके तथा उन्‍हें लिखित सूचना भेजकर  भी बताना चाहिए। 

7.2  निर्वाचक रजिस्‍ट्रीकरण अधिकारी द्वारा सभी राजनैतिक दलों के दावों और आपत्तियों की सूची साप्‍ताहिक आधार पर उपलब्‍ध करवाई जानी चाहिए। इस प्रयोजनार्थ, निर्वाचक रजिस्‍ट्रीकरण अधिकारी को सभी राजनीतिक दलों की नियमित अंतराल पर बैठक बुलानी चाहिए और उन्‍हें दावों और आपत्तियों की सूची व्‍यक्तिगत रूप से सौंपनी चाहिए और पावती प्राप्‍त करनी चाहिए। यह भी जोड़ा जाए कि सूची संचयी न होकर बढ़ते हुए क्रम‍ में होनी चाहिए। 

7.3  दावों और आपत्तियों पर निर्णय – दावों और आपत्तियों पर केवल तभी निर्णय लिए जाने चाहिए जब निम्‍नलिखित सभी शर्तों का पालन कर दिया जाए-

(i) दावों और आपत्तियों की सूची को निम्‍नलिखित में सभी पर प्रकाशित होने के बाद कम से कम सात सुस्‍पष्‍ट दिन बीत गए हों –

(क) सीईओ की वेबसाइट, प्रत्‍येक मतदान केन्‍द्र के लिए क्लिक करने योग्‍य सूचियों के रूप में।

(ख)  ईआरओ का नोटिस बोर्ड (आरईआर 1960 के प्ररूप 9,10,11 और 11क में)

(ग) मतदान केन्‍द्र का नोटिस बोर्ड (आरईआर 1960 के प्ररूप 9,10,11, 11क और 11ख में)

(घ) मृत्‍यु मामलों के अलावा, ऐसे सभी मामलों में उस व्‍यक्ति के लिए व्‍यक्तिगत नोटिस तामील कर दिया गया हो जिसका नाम हटाए जाने का प्रस्‍ताव है।

(ii) राजनीतिक दलों को दावों और आपत्तियों की सूची दिए जाने के बाद कम से कम सात सुस्‍पष्‍ट दिन बीत गए हों।

8. विलोपन की प्रक्रिया : 

8.1 पुनरावृतिक/बहुल प्रविष्टियां : व्‍यक्तिगत रूप से नागरिकों, राजनैतिक दलों के बूथ लेवल एजेंटों और आरडब्‍लूए के प्रतिनिधियों द्वारा भेजी गई पुनरावृतिक/बहुल प्रविष्टियों के प्रत्‍येक मामले में क्षेत्रीय सत्‍यापन अनिवार्य रूप से किया जाना चाहिए। निर्वाचक से ही फॉर्म-7 प्राप्‍त कर लेने के पश्‍चात उसका नाम उस निर्वाचक नामावली से हटा दिया जाएगा जहां उसे साधारण रूप से रहते हुए नहीं पाया जाता है।

8.2  जनसांख्यिकीय रूप से सदृश प्रविष्टियां (डीएसई), स्‍थायी रूप से स्‍थानां‍तरित और मृत व्‍यक्ति:

जनसांख्यिकीय रूप से सदृश प्रविष्टियां फोटो सदृश प्रविष्टियां स्‍थायी रूप से स्‍थानांतरित और मृत व्‍यक्तियों संबंधी पुष्‍ट मामलों को केवल निर्वाचकों/फोटो सदृश प्रविष्टियां (जनसांख्यिकीय रूप से सदृश प्रविष्टियों, फोटो सदृश प्रविष्टियों स्‍थायी रूप से स्‍थानांतरितों के मामले में) और मृत व्‍यक्तियों के मामले में उनके संबंधियों/परिवार के सदस्‍यों से फॉर्म-7 की प्राप्‍ति पर ही उनका नाम हटाया जाए। प्रविष्टियों को हटाने के लिए संबंधित व्‍यक्ति को नोटिस अवश्‍य दिया जाए।

8.3 गलत तरीके से किए गए विलोपनों के प्रति रक्षोपाय:

 निर्वाचक नामावली से निर्वाचकों के गलत तरीके से होने वाले विलोपनों को रोकने के लिए निम्‍नलिखित रक्षोपाय किए जाएंगे:-

(i) पंजीकृत मृत्‍यु के मामले में विलोपन केवल उचित सत्‍यापन/मृत्‍यु प्रमाणपत्र प्रस्‍तुत करने पर किया जाएगा।

(ii) ईआरओ- नेट में प्रावधान ऐसे मामलों में उपलब्‍ध करवाए जाएंगे जहां एईआरओ/ईआरओ द्वारा पारित विलोपनों के सभी आदेशों को उप जिला निर्वाचन अधिकारियों/जिला निर्वाचन अधिकारियों द्वारा इसे सार्वजनिक रूप से उपलब्‍ध करवाने और निर्वाचक नामावली में कार्यान्वित करने से पहले सत्‍यापित किया जाएगा।

(iii)  मृत्‍यु और स्‍थानांतरण के आधार पर विलोपन केवल फॉर्म-7 प्राप्‍त करने पर ही किए जाएंगे ताकि गलत तरीके से किए जाने वाले विलोपनों से बचा जा सके।

(iv) फील्‍ड सत्‍यापन करते समय बीएलओ स्‍थानांतरण/मृत्‍यु की स्थिति, यथामामला, पर रिपोर्ट में विशेष अम्‍युक्ति देंगे।

(v) स्‍थानांतरण पर विलोपन हेतु संबंधित निर्वाचक से फॉर्म-6 या फॉर्म-7 लिया जाएगा। नए स्‍थान पर नाम जोड़ने से पहले ईआरओ इस संबंध में पुष्टि करेंगे कि निर्वाचक वास्‍तव में अपने पुराने पते पर रहता था और उसका वही नाम है जैसा कि फॉर्म-6 में दिया गया है।

(vi) विलोपनों के लिए बीएलओ की रिपोर्ट आवश्‍यक होगी।

(vii) मृत्‍यु संबंधी मामलों के अलावा, फॉर्म-7 के माध्‍यम से प्रस्‍तावित विलोपनों के सभी मामलों में,  संबंधित निर्वाचक को नोटिस जारी किया जाएगा और उसे विधिवत रूप से अनिवार्यत: तामील किया जाना चाहिए। ऐसे मामलों में जहां निर्वाचक, निर्वाचक नामावली में दिए गए पते पर नहीं पाया जाता है तो कम से कम दो गवाहों की उपस्थिति में दीवार पर नोटिस चिपकाकर नोटिस को विधिवत रूप से जारी किया जाएगा, उक्‍त दोनों गवाहों से नोटिस की प्रति पर हस्‍ताक्षर लिए जाएंगे और उन्‍हें निर्वाचक रजिस्‍ट्रीकरण अधिकारी द्वारा फाइल में रखा जाए ताकि निर्वाचकों का रजिस्‍ट्रीकरण नियम, 1960 के नियम 21क के नियमों के उपबंधों का अनुपालन सुनिश्चित किया जा सके और संबंधित व्‍यक्ति को सुनवाई का उचित अवसर दिए जाने का अनुपालन हो सके। केवल मृत्‍यु संबंधी मामलों में नोटिस की विधिवत रूप से तामील करने के रूप में मृत्‍यु प्रमाणपत्र या संबंधियों, मित्रों अथवा पड़ोसियों का बयान स्‍वीकार किया जा सकता है।

(viii) मृत्‍यु के आधार पर विलोपनों को छोड़कर, अन्‍य सभी विलोपनों का सत्‍यापन, फॉर्म-7 पर अंतिम आदेश पारित होने से पहले तहसीलदार/उप-तहसीलदार रैंक के अधिकारी के स्‍तर से कम द्वारा नहीं किया जाना चाहिए और कुल विलोपन (अक्रमिक रूप से चयनित पद्धति द्वारा) के 10% का क्षेत्र में जाकर सत्‍यापन किया जाना चाहिए।   

(ix) विलोपनों के सभी मामले, यदि वे निम्‍नलिखित में किसी श्रेणी के अंतर्गत आते हैं तो उनका निर्वाचक रजिस्‍ट्रीकरण अधिकारी द्वारा अनिवार्यत: व्‍यक्तिगत रूप से सत्‍यापन किया जाएगा :-

(क) ऐसे मतदान केन्‍द्रों में विलोपन जहां विलोपनों की संख्‍या मतदान केन्‍द्रों की मतदाता सूची   में कुल निर्वाचकों के 2% से अधिक है।

(ख) ऐसे विलोपन जहां एक ही व्‍यक्ति पांच से अधिक मामलों में आपत्तिकर्ता है।

(x) मृत्‍यु के आधार पर किए जाने वाले विलोपनों के अलावा, विलोपनों के सभी मामलों में आदेश पारित करने से पूर्व उनका पर्यवेक्षकों, एईआरओ और ईआरओ द्वारा सत्‍यापन किया जाना चाहिए। 

9. पर्यवेक्षकों/सहायक निर्वाचक रजिस्‍ट्रीकरण अधिकारियों/निर्वाचक रजिस्‍ट्रीकरण अधिकारियों द्वारा पर्यवेक्षण एवं जांच:-

9.1    निर्वाचक नामावली को त्रुटिरहित बनाने के प्रयोजनार्थ निर्वाचन आयोग ने बूथ स्‍तरीय अधिकारियों द्वारा फील्‍ड सत्‍यापन किए जाने की जरूरत पर बल दिया है। अपनाई जा रही सामान्‍य प्रणाली के अनुसार निर्वाचक रजिस्‍ट्रीकरण अधिकारी, उन्‍हें प्राप्‍त दावों और आपत्तियों का डिजीटलाइजेशन करने के बाद दावे या आपत्ति के संबंध में फील्‍ड सत्‍यापन करने के लिए संब‍ंधित बूथ लेवल अधिकारी को तैनात करता है। बूथ लेवल अधिकारी मौके पर सत्‍यापन करने के बाद निर्वाचक रजिस्‍ट्रीकरण अधिकारी को अपनी रिपोर्ट प्रस्‍तुत करता है।

9.2 निर्वाचक नामावली को त्रुटिरहित बनाने के प्रयोजनार्थ निर्वाचन आयोग ने बूथ स्‍तरीय अधिकारियों द्वारा फील्‍ड सत्‍यापन किए जाने की जरूरत पर बल दिया है। अपनाई जा रही सामान्‍य प्रणाली के अनुसार निर्वाचक रजिस्‍ट्रीकरण अधिकारी, उन्‍हें प्राप्‍त दावों और आपत्तियों का डिजीटलाइजेशन करने के बाद दावे या आपत्ति के संबंध में फील्‍ड सत्‍यापन करने के लिए संब‍ंधित बूथ लेवल अधिकारी को तैनात करता है। बूथ लेवल अधिकारी मौके पर सत्‍यापन करने के बाद निर्वाचक रजिस्‍ट्रीकरण अधिकारी को अपनी रिपोर्ट प्रस्‍तुत करता है।

9.3    बूथ लेवल अधिकारियों द्वारा निष्‍पादित कार्य की कड़ी जवाबदेही प्रवर्तित करने के लिए पर्यवेक्षण एवं जांच हेतु एक तंत्र विद्यमान है। पर्यवेक्षक, जिसके प्रभार के अधीन सामान्‍यतया 10 बूथ लेवल अधिकारी होते हैं, अपने अधीन काम करने वाले प्रत्‍येक बूथ लेवल अधिकारी के सत्‍यापन कार्य के 5% का सत्‍यापन करेंगे।

9.4    पर्यवेक्षकों के ऊपर प्रत्‍येक सहायक निर्वाचक रजिस्‍ट्रीकरण अधिकारी को, उसके अधीन विभिन्‍न भागों से यादृच्छिक रूप से चयनित बीएलओ के सत्‍यापन कार्य के 1% का सत्‍यापन करना चाहिए। सहायक निर्वाचक रजिस्‍ट्रीकरण अधिकारी अपने प्रभार के अधीन 10 निर्वाचकों से अधिक गृ‍हस्थियों; असामान्‍य लिंग अनुपात वाले, और परिवर्धनों या विलोपनों की अधिकतम संख्‍या वाले प्रथम 20 मतदान केन्‍द्रों की फील्‍ड जांच करेंगे। सहायक निर्वाचक रजिस्‍ट्रीकरण अधिकारी निर्वाचक नामावलियों के ऐसे भाग पर, जिसमें पिछली निर्वाचक नामावली की तुलना में निर्वाचकों का प्रस्‍तावित परिवर्धन 4% से अधिक हो, ध्‍यान केन्द्रित करते हुए परिवर्धनों और विलोपनों के 1% की अलग से फील्‍ड जांच करेगें। उन मामलों में, स्‍वीकृत के साथ-साथ अस्‍वीकृत, दोनों मामलों की भी जांच की जानी चाहिए।

9.5    निर्वाचक रजिस्‍ट्रीकरण अधिकारी अपने सहायक निर्वाचक रजिस्‍ट्रीकरण अधिकारियों द्वारा दावों एवं आपत्तियों के निपटान की गुणवत्ता की नमूना-जांच करेंगे। वे सहायक निर्वाचक रजिस्‍ट्रीकरण अधिकारियों द्वारा निस्‍तारित प्ररूपों के 10% की जांच करेंगे। जहां आवश्‍यक समझा जाए, वहां फील्‍ड सत्‍यापन किया जाना चाहिए। निर्वाचक रजिस्‍ट्रीकरण अधिकारी, सहायक निर्वाचक रजिस्‍ट्रीकरण अधिका‍रियों, पर्यवेक्षकों और बूथ लेवल अधिकारियों के साथ नियमित अनुवीक्षण बैठकों का आयोजन करेंगे और सुनिश्चित करेंगे कि कार्य लापरवाही से न किया जा रहा हो। दोषी कर्मचारियों पर सख्‍ती की  जानी चाहिए और सुधारात्‍मक उपाय तत्‍परतापूर्वक किए जाने चाहिए क्‍योंकि जवाबदेही अंततोगत्‍वा निर्वाचक रजिस्‍ट्रीकरण अधिकारी की बनती है और निर्वाचक रजिस्‍ट्रीकरण अधिकारी त्रुटिमुक्‍त नामावली उपलब्‍ध कराने के लिए उत्तरदायी होता है। 

10. जिला निर्वाचन अधिकारी//नामावली प्रेक्षक/मुख्‍य निर्वाचन अधिकारी द्वारा सुपर चेकिंग :-

एईआरओ/ईआरओ द्वारा आदेश पारित करने के पश्‍चात ईआरओ-नेट द्वारा यादृच्छिक रूप से चयनित प्रविष्टियों की एक विशेष संख्‍या के लिए डीईओ/नामावली प्रेक्षकों और सीईओ द्वारा सत्‍यापित प्रविष्टियों की सुपर चेकिंग की जाएगी। जिला निर्वाचन अधिकारी, नामावली प्रेक्षकों और मुख्‍य निर्वाचन अधिकारी द्वारा सत्‍यापित प्रविष्टियों की संख्‍या ईआरओ द्वारा निपटान की अंतिम तारीख के बाद 7 दिनों के भीतर अथवा 7 दिनों तक निम्‍नलिखित अनुसार है : 

(i) डीईओ के स्‍तर पर: इनके क्षेत्राधीन सभी विधान सभा निर्वाचन क्षेत्रों को शामिल करते हुए जिले में 50 फार्मों (20 शामिल किए गए नाम + 20 विलोपन + 10 संशोधन) अथवा टेबल टॉप एकस्‍रसाइज द्वारा जिले के प्रत्‍येक विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र में कम से कम 10 फार्मों (4 शामिल किए गए नाम + 4 विलोपन + 2 संशोधन) सत्‍यापन किया जाए। इन सत्‍यापित किए गए फार्मों में से कम से कम 10 फार्मों में अनिवार्य रूप से फील्‍ड सत्‍यापन किया जाना अनिवार्य है।

(ii) नामावली प्रेक्षक के स्‍तर पर :- सुपुर्द किए गए जिलों में 250 फार्मों (100 शामिल किए गए नाम + 100 विलोपन + 50 संशोधन) अथवा टेबल टॉप एक्‍सरसाइज द्वारा सुपुर्द किए प्रत्‍येक जिले में कम से कम 10 फार्म ( 4 शामिल किए गए नाम + 4 विलोपन + 2 संशोधन) का सत्‍यापन किया जाए। सत्‍यापित किए गए इन फार्मों में से कम से कम 20 फार्मों का फील्‍ड सत्‍यापन किया जाना अनिवार्य है।

(iii) सीईओ के स्‍तर पर :- सभी जिलों को शामिल करते हुए राज्‍य में 250 फार्मों (100 शामिल किए गए नाम + 100 विलोपन + 50 संशोधन) अथवा टेबल टॉप एक्‍सरसाइज द्वारा प्रत्‍येक जिले में कम से कम 10 फार्म  (4 शामिल किए गए नाम + 4 विलोपन + 2 संशोधन) का सत्‍यापन किया जाता है। सत्‍यापित किए गए इन फार्मों में से कम से कम 20 फार्मों का फील्‍ड सत्‍यापन किया जाना अनिवार्य है। 

11. चिह्नित निर्वाचकों यथा: संसद सदस्‍य/विधान सभा सदस्‍य/विधान परिषद सदस्‍य, घोषित पदधारक और कला, संस्‍कृति, पत्रकारिता, खेल जगत के क्षेत्रों की विभूतियों, न्‍यायपालिका और लोक सेवाओं के सदस्‍यों आदि को इंगित करना: निर्वाचक रजिस्‍ट्रीकरण अधिकारी यह सुनिश्चित करेंगे कि संसद एवं राज्‍य विधान-मंडलों के सभी  सदस्‍यों, घोषित पदधारकों, कला, संस्‍कृति, पत्रकारिता, खेल के क्षेत्रों की विभूतियों, न्‍यायपालिका और लोक सेवाओं के सदस्‍यों के नाम प्रस्‍तावित मसौंदा निर्वाचक नामावली में रहें। ऐसे निर्वाचकों के नामों को भविष्‍य में गलत तरीके से विलोपित होने देने से बचाने के लिए निर्वाचकीय डाटाबेस में उपयुक्‍त फ्लैगिंग की जानी चाहिए।

12. निर्वाचक डाटाबेस में दिव्‍यांगजनों को इंगित (फ्लैग) किया जाना: चूंकि निर्वाचक नामावली में नामांकन के लिए प्ररूप-6 में नि:शक्‍तताओं के बारे में सूचना देने के लिए एक वैकल्पिक फील्‍ड है, इसलिए आयोग ने निदेश दिया है कि दिव्‍यांग निर्वाचकों, जिन्‍होंने प्ररूप 6 में ऐसी सूचना दी है, के सभी मामलों को नि:शक्‍तता की श्रेणी के साथ निर्वाचक डाटाबेस में इंगित किया जाना चाहिए ताकि ऐसे निर्वाचकों को मतदान के समय मतदान केन्‍द्र में आवश्‍यक सुविधाएं प्रदान की जा सके। इस संबंध में नि:शक्‍तता प्रतिशत उल्‍लेख करने के लिए एक उपबंध भी किया गया है। यह साफ तौर पर स्‍पष्‍ट किया जाता है कि नि:शक्‍तता की ऐसी सूचना किसी भी रीति से निर्वाचक नामावली में प्रतिबिंबित नहीं होनी चाहिए। संबंधित मुख्य निर्वाचन अधिकारी को राज्‍य में दिव्‍यांगजनों से संबंधित विभाग का सहयोग लेना चाहिए ताकि दिव्‍यांगजनों का पता लगाने (मैंपिंग) में उनकी सहायता प्राप्‍त की जा सके। मुख्‍य निर्वाचन अधिकारी, यदि यह आवश्‍यक समझें तो वे निर्वाचकों, जो अपनी नि:शक्‍तताओं का प्रकटन करने के इच्‍छुक हैं, से दिव्‍यांगजनों के ऐसे आंकड़ों का संग्रहण करने के लिए घर-घर जाकर दौरा करने के दौरान बी.एल.ओ. की सेवाओं का उपयोग कर सकते हैं। साप्‍ताहिक प्रगति की समीक्षा करने के लिए इस संबंध में साप्‍ताहिक प्रगति रिपोर्ट राज्‍य के प्रभारी सचिव/प्रधान सचिव को भेजी जा सकती है।

13.    मुख्‍य निर्वाचन अधिकारी अपनी स्‍वयं की टीम भी नामोद्दिष्‍ट कर सकते हैं या निर्वाचन आयोग से, आवश्‍यक समझे जाने पर, आगे और राज्‍य स्‍तरीय जांच करने के लिए टीम तैनात करने का अनुरोध कर सकते हैं। आखिरकार, यह कार्य मुख्‍य निर्वाचन अधिकारी का है कि वह नामावलियों के प्रकाशन के लिए निर्वाचन आयोग का अनुमोदन प्राप्‍त करें और इसके लिए मुख्‍य निर्वाचन अधिकारी विहित फार्मेट (फार्मेट 1-8) में नामावलियों की राज्‍यव्‍यापी वस्‍तुस्थिति, नोटिस की गई भिन्‍नताओं, की गई सुधारात्‍मक कार्रवाई आदि पर एक विस्‍तृत रिपोर्ट देंगे। मुख्‍य निर्वाचन अधिकारी नामावली पुनरीक्षण प्रक्रिया के दौरान की गई जांचों और किए गए पर्यवेक्षण का लेखा-जोखा भी उपलब्‍ध कराएंगे और नामावली की गुणवत्ता पर अपनी संतुष्टि स्‍वरूप एक प्रमाण-पत्र भी देंगे। 

14. ईआरओ-नेट पर अनुवीक्षण: मुख्‍य निर्वाचन अधिकारी अपनी स्‍वयं की टीम भी नामोद्दिष्‍ट कर सकते हैं या निर्वाचन आयोग से, आवश्‍यक समझे जाने पर, आगे और राज्‍य स्‍तरीय जांच करने के लिए टीम तैनात करने का अनुरोध कर सकते हैं। आखिरकार, यह कार्य मुख्‍य निर्वाचन अधिकारी का है कि वह नामावलियों के प्रकाशन के लिए निर्वाचन आयोग का अनुमोदन प्राप्‍त करें और इसके लिए मुख्‍य निर्वाचन अधिकारी विहित फार्मेट (फार्मेट 1-8) में नामावलियों की राज्‍यव्‍यापी वस्‍तुस्थिति, नोटिस की गई भिन्‍नताओं, की गई सुधारात्‍मक कार्रवाई आदि पर एक विस्‍तृत रिपोर्ट देंगे। मुख्‍य निर्वाचन अधिकारी नामावली पुनरीक्षण प्रक्रिया के दौरान की गई जांचों और किए गए पर्यवेक्षण का लेखा-जोखा भी उपलब्‍ध कराएंगे और नामावली की गुणवत्ता पर अपनी संतुष्टि स्‍वरूप एक प्रमाण-पत्र भी देंगे। 

15. प्रेक्षण:- डिवीजनल आयुक्‍तों, जो अपने डिवीजनों के भीतर स‍माहित जिलों के लिए निर्वाचक नामावली प्रेक्षकों के तौर पर काम करेंगे, के अलावा आयोग पुनरीक्षण प्रक्रिया की औचक जांच, लेखा-परीक्षा और पर्यवेक्षण करने के लिए अपने प्रेक्षकों/भारत निर्वाचन आयोग के अधिकारियों/नामावली लेखा-परीक्षकों को तैनात कर सकता है। इसलिए, यह अति आवश्‍यक है कि सभी नामावली संबंधी अभिलेख, जिनमें प्रगति की रिपोर्टों के साथ-साथ लोकेशनों की वे सूचियां शामिल हैं जिनमें फील्‍ड कार्य प्रगति पर हैं, अद्यतन रखे जाने चाहिए और प्रेक्षकों को उपलब्‍ध कराए जाने चाहिए।

16. राजनैतिक दलों के साथ बैठक और निर्वाचक नामावलियों को साझा करना: (i) सभी जिला निर्वाचन अधिकारी और मुख्‍य निर्वाचन अधिकारी राजनैतिक दलों की बैठकें अलग से बुलाएंगे और कार्यक्रम का ब्‍यौरा देंगे और मसौदा प्रकाशन की तारीख से पहले उनसे अपेक्षित सहयोग की मांग करेंगे। मसौदा प्रकाशन समुचित प्रचार-प्रसार के साथ अनुमोदित तारीख पर किया जाना चाहिए और मसौदा नामावलियों की प्रतियां प्रेस और मीडिया की उपस्थिति में सार्वजनिक बैठक में मान्‍यताप्राप्‍त राजनीतिक दलों को सौंपी जानी चाहिए। सभी स्थितियों में राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों से उपयुक्त पावती रसीद अवश्‍य प्राप्‍त की जानी चाहिए और अभिलेख में रखी जानी चाहिए।

(ii) मुख्‍य निर्वाचन अधिकारी को सभी मान्‍यताप्राप्‍त राष्‍ट्रीय एवं राज्‍यस्‍तरीय राजनैतिक दलों को, विधि के महत्‍वपूर्ण बिंदुओं और पुनरीक्षण की कार्यविधियों से अवगत कराते हुए, लिखित में सूचित करना चाहिए और नामावली पुनरीक्षण कार्य में उनका सहयोग मांगना चाहिए। उन्‍हें निर्गत पत्र की एक प्रति आयोग को, अभिलेख के निमित्त, पृष्‍ठांकित की जानी चाहिए।

(iii) ईआरओ द्वारा दावों एवं आपत्तियों की सूची भी सभी राजनैतिक दलों को साप्‍ताहिक आधार पर उपलब्‍ध कराई जानी चाहिए।

(iv) निर्वाचकों का रजिस्‍ट्रीकरण नियम, 1960 के नियम 11(ग) और 22(ग) के उपबंधों के अनुसार मसौदा एवं अंतिम प्रकाशन के तुरंत बाद मसौदा निर्वाचक नामावलियों और अंतिम निर्वाचक नामावलियों के सम्‍पूर्ण सेट की दो प्रतियां मान्‍यताप्राप्‍त राजनैतिक दलों को नि:शुल्‍क उपलब्‍ध कराई जानी चाहिए। (कृपया इस मामले में विस्‍तृत दिशा-निर्देशों के लिए निर्वाचक नामावली मैनुअल, 2016 के अध्‍याय 25 का पैरा 25.3 देखें)।

(v) मुख्‍य निर्वाचन अधिकारी मान्‍यताप्राप्‍त राजनीतिक दलों से अनुरोध करेंगे कि वे प्रत्‍येक मतदान केन्‍द्र के लिए बूथ लेवल एजेंट (बीएलए) की पहचान एवं नियुक्ति करें जिन्‍हें पुनरीक्षण अवधि के दौरान बीएलओ के साथ सम्‍बद्ध किया जाएगा। बीएलओ संबंधित राज्‍य के मान्‍यताप्राप्‍त राजनैतिक दलों के बीएलए के साथ मसौदा निर्वाचक नामावली की जांच परख करेंगे और शुद्धियों, आदि की पहचान करेंगे। यह उल्‍लेख करना उपयुक्‍त है कि मान्‍यताप्राप्‍त राजनैतिक दल से एक बार नियुक्‍त बीएलए तब तक बीएलए के रूप में काम करते रहेंगे जब तक कि उनकी नियुक्ति संबंधित राजनीतिक दल द्वारा निष्‍प्रभावी/प्रतिसंहरित (रिवोक) न कर दी जाए।

(vi) राजनैतिक दलों की और अधिक सहभागिता सुनिश्चित करने के दृष्टिगत आयोग ने मान्‍यताप्राप्‍त राजनीतिक दलों के बीएलए को इस शर्त के अधीन थोक में आवेदन दायर करने की अनुमति दी है कि एक बीएलए एक समय/एक दिन में बीएलओ को 10 से अधिक फार्म प्रस्‍तुत नहीं करेंगे। यदि बीएलए दावे एवं आपत्तियों को दायर करने की सम्‍पूर्ण अवधि के दौरान 30 से अधिक आवेदन फार्म प्रस्‍तुत करता है तो ईआरओ/एईआरओ द्वारा स्‍वयं प्रति-सत्‍यापन अवश्‍य किया जाना चाहिए। इसके अलावा बीएलए इस घोषणा के साथ आवेदन-फार्मों की एक सूची भी प्रस्‍तुत करेंगे कि उसने आवेदन फार्मों के विवरणों का व्‍यक्तिगत रूप से सत्‍यापन कर लिया है और इस बात के प्रति संतुष्‍ट है कि वे सही हैं।

17. पारदर्शिता उपाय: हितधारकों को सुविधा प्रदान करने और निर्वाचक रजिस्‍ट्रीकरण की प्रक्रिया में और अधिक पारदर्शिता लाने के लिए मसौदा निर्वाचक नामावली, अंतिम निर्वाचक नामावली, दावों एवं आपत्तियों की सूची को सीईओ की वेबसाइट पर डालने और उसे मान्‍यताप्राप्‍त राजनीतिक दलों के साथ साझा करने के अलावा सीईओ की वेबसाइट पर दिन-प्रति-दिन आधार पर प्ररूप 6, 6क, 7, 8 में प्राप्‍त सभी आवेदन फार्मों के कम्‍प्‍यूटरीकरण और प्रविष्टिकरण की रीति जारी रहेगी। ईआरओ-नेट से पुनरीक्षण के दौरान प्राप्‍त दावों और आपत्तियों के निपटान की वस्‍तुस्थिति पर सीईओ एक रिपोर्ट तैयार करेंगे और उसे साप्‍ताहिक आधार पर अपनी वेबसाइट पर आम जन/नागरिकों की सूचनार्थ डालेंगे।

18. प्रचार-प्रसार:- सार पुनरीक्षण कार्यक्रम के संबंध में जिला निर्वाचन अधिकारियों और मुख्‍य निर्वाचन अधिकारी द्वारा पर्याप्‍त प्रचार-प्रसार एवं जागरूकता अभियान सुनिश्चित किए जाएंगे। सभी जिला निर्वाचन अधिकारी और मुख्‍य निर्वाचन अधिकारी पुनरीक्षण कार्यक्रम का मीडिया, राजनीतिक दलों एवं सामाजिक संगठनों/आरडब्‍ल्‍यूए में उपयुक्‍त रूप से प्रचार-प्रसार करवाएंगे और निर्वाचक नामावलियों के मसौदा प्रकाशन की तारीख से काफी पहले निर्वाचकों/पात्र लोगों तक अनन्‍य रूप से पहुंचेंगे। मसौदा नामावलियों के प्रकाशन को प्रभावी बनाने के प्रयोजनार्थ स्‍वीप कार्यक्रमों की श्रृंखला, तालुक,‍ जिला एवं राज्‍य स्‍तरों पर राजनीतिक दलों के साथ बहुल एवं आवधिक बैठकों और नियमित प्रेस बैठकों का आयोजन किया जाए।

19. नामावली का एकीकरण:- निर्वाचन वर्ष के दौरान विभिन्‍न स्‍तरों पर निर्वाचक नामावलियों के एकीकरण, उसमें अशुद्धियां दूर करने और उसके मुद्रण के संबंध में आयोग के दिनांक 25 सितंबर, 2018 और 14 फरवरी, 2019 एवं 30 जुलाई, 2020 के पत्र के द्वारा विस्‍तृत अनुदेश जारी किए गए हैं और संशोधनों के विद्यमान दौर के दौरान इनका निष्‍ठापूर्वक पालन किया जाएगा। निर्वाचक नामावलियों की प्रिंटिंग अब से केवल ईआरओ-नेट के माध्‍यम से ही की जाएगी।

जहां तक निर्वाचक नामावलियों के एकीकरण का संबंध है, यह स्‍पष्‍ट किया जाता है कि:-

(i) 01.01.2019 को अर्हक तारीख के रूप में निर्वाचक नामावलियों के अंतिम प्रकाशन के बाद सतत अद्यतन करने की अनुपूरक तैयारी परिसीमन आदेश 2022 के अनुसार 31 अगस्‍त, 2022 तक की जानी है। एसएसआर-2022 की उपर्युक्‍त मूल नामावली (मसौदा) को पुन: क्रमांकित करते हुए सभी प्रविष्टियों का कार्य विलोपित प्रविष्टियों को हटाने और परिवार के सदस्‍यों की प्रविष्टियों का एकीकरण (बंडलिंग) करने के बाद किया जाएगा। यद्यपि, एसएसआर-2022 के लिए परिवर्धन, विलोपन और संशोधन संबंधी अनुपूरक निर्वाचक रजिस्‍ट्रीकरण अधिकारी के द्वारा ईआरओ-नेट के माध्‍यम से तैयार किए जाएंगे और केवल भावी संदर्भों के लिए रिकार्ड में रखे जाएंगे।

(ii) 01.10.2022 को अर्हक तारीख के रूप में एसएसआर-2022 के अंतिम प्रकाशन के समय, अंतिम नामावली के रूप में केवल एक ही नामावली होगी जिसमें मूल नामावली की अंतिम प्रविष्टि के बाद क्रम संख्‍या सहित सभी परिवर्धन प्रविष्टियां अनुक्रमण में आएंगी और आयोग के वर्तमान अनुदेशों के अनुसार, संक्षिप्‍त पुनरीक्षण के दौरान समस्‍त संशोधन और विलोपन स्‍वयं मूल नामावली में प्रतिबिंबित होंगे। अनुवर्धन, विलोपन और संशोधन की कोई भी सूची अलग से न तो प्रिन्‍ट की जाएगी और न ही राजनैतिक दलों को दी जाएगी, यद्यपि निर्वाचक रजिस्‍ट्रीकरण अधिकारी इन सूचियों को ईआरओ-नेट से ही निकालेगा और इन्‍हें भावी संदर्भ के लिए रखेगा।

(iii) नाम निर्देशन की अंतिम तिथि को निर्वाचक नामावली राजनैतिक दलों को देने के लिए और चिह्नित प्रति/वर्किंग प्रति तैयार करने के लिए, निर्वाचक नामावली एक समेकित नामावली होगी, जहां इसमें परिवार के सदस्‍यों की बंडलिंग नहीं होगी और न ही उसे पुन: क्रमांकित किया जाएगा। सतत अद्यतन करने के दौरान अंतिम प्रकाशन तिथि से लेकर नाम निर्देशन करने की अंतिम तारीख (निर्वाचन होने की स्थिति में) तक किए गए सभी परिवर्धनों को अंतिम नामावली में सभी विलोपनों और संशोधनों को चिह्नित करते हुए अंतिम नामावली में अंतिम प्रविष्टि की अगली क्रम संख्‍या से प्रारंभ करके सतत क्रम सख्‍ंया देते हुए कालानुक्रमिक क्रम में रखा जाएगा, जैसा आयोग के विद्यमान अनुदेशों में निदेश दिया गया है। अनुवर्धन, विलोपन और संशोधन की कोई भी सूची अलग से प्रिन्‍ट नहीं की जाएगी और न राजनैतिक दलों को दी जाएगी, यद्यपि निर्वाचक रजिस्‍ट्रीकरण अधिकारी इन सूचियों को ईआरओ-नेट से ही निकालेगा और इन्‍हें भावी संदर्भ के लिए रखेगा।

संशोधन/सतत अद्यतन की अवधि के दौरान की गईं सभी प्रविष्टियाँ, शुद्धियाँ (# या ## जैसा भी मामला है) के संकेत के साथ समेकित नामावली में ही परिलक्षित होंगी, यह इंगित करने के लिए कि प्रविष्टि संशोधित कर दी गई है। किए गए किसी भी संशोधन के मामले में पुरानी प्रविष्टियों के स्थान पर संशोधित प्रविष्टियों को समेकित नामावली में परिलक्षित किया जाएगा और संशोधनों की सूची (भविष्य के संदर्भ के लिए ईआरओ के साथ रखी जाएगी) में पुरानी प्रविष्टियां होंगी जिनमें संशोधन किए गए हैं, ताकि आवश्‍यकता पड़ने पर किए गए परिवर्तनों का पता लगाया जा सके।

20. अंतिम प्रकाशन के लिए आयोग का अनुमोदन:-

(i)     मुख्‍य निर्वाचन अधिकारी निर्वाचक नामावलियों के अंतिम प्रकाशन के लिए आयोग से पूर्व लिखित अनुमोदन प्राप्‍त करेंगे और मुख्‍य निर्वाचन अधिकारी द्वारा इस प्रयोजन हेतु एक प्रमाण पत्र प्रस्‍तुत किया जाएगा कि मृत/जनसांख्यिकी रूप से सदृश प्रविष्टियों/फोटो सदृश प्रविष्टियों/स्‍थानांतरित/पंजीकृत मृत और गैर-रजिस्‍टर्ड निर्वाचकों की गणना की जा चुकी है और संबंधित निर्वाचक रजिस्‍ट्रीकरण अधिकारी द्वारा उन्‍हें हटा दिया गया है, समस्‍त संगत त्रुटियां दूर की जा चुकी है और 100% एपिक और फोटो निर्वाचक नामावलियों में 100% फोटोज शामिल कर ली गईं हैं।

(ii)  मुख्‍य निर्वाचन अधिकारी द्वारा फार्मेट 1-8 के साथ आयोग को अंतिम प्रकाशन कराने का अनुरोध 25 अक्‍टूबर, 2022 तक किया जाएगा और फार्मेट 1-8 के साथ ज्ञापन/नोट के जरिए अनिवार्यत: यह भी सूचित किया जाएगा कि निर्वाचक नामावली पुनरीक्षण प्रक्रिया से संबंधित निर्धारित लक्ष्‍यों को किस प्रकार पूरा किया गया और अगले सतत अद्यतनीकरण के दौरान कमियों, यदि कोई हों, को दूर करने के लिए क्‍या कार्यनीति अपनाई जाएगी। इसे हर स्थिति में अंतिम प्रकाशन की तारीख से कम से कम 5 दिन पहले कर लेना चाहिए ताकि अंतिम प्रकाशन से कम से कम 3 दिन पहले आयोग का अनुमोदन संसूचित किया जा सके।

(iii)   यह स्‍पष्‍ट किया जाता है कि प्ररूप 1 से 8 ईआरओ-नेट के माध्‍यम से निकाले जाएंगे। इसके लिए जिला निर्वाचन अधिकारी, एसएसआर, 2022  के दौरान प्रविष्‍ट की गई आयु-समूहवार की अनुमानित जनसंख्‍या के डाटा को तुरंत अद्यतित किया जाएगा।

21. इसके अतिरिक्‍त, यह भी नोट कर लिया जाए कि पुनरीक्षण के संबंध में सभी पत्र-व्‍यवहार तथा स्‍पष्‍टीकरण भारत निर्वाचन आयोग के प्रधान सचिव/सचिव (संघ राज्‍य क्षेत्र के प्रभारी) को संबोधित किए जाएंगे जो कि न केवल संबंधित मुख्‍य निर्वाचन अधिकारी को अविलंब उत्‍तर देंगे परंतु यह भी सुनिश्चित करेंगे कि उनके प्रभार के अधीन आने वाले संघ राज्‍यक्षेत्रों के नामावली पुनरीक्षण कार्यक्रम में कोई कमी नहीं रहे। वे संघ राज्‍यक्षेत्र के पुनरीक्षण-पूर्व क्रियाकलापों तथा नामावली पुनरीक्षण कार्यक्रम की सूक्ष्‍मतापूर्ण अनुवीक्षण करेंगे, इसलिए मुख्‍य निर्वाचन अधिकारियों को नियमित अंतराल पर, पुनरीक्षण प्रक्रिया पर अपेक्षित प्रगति रिपोर्ट अग्रेषित करते रहना चाहिए।

22. इसके अतिरिक्‍त, मुख्‍य निर्वाचन अधिकारियों और सभी अधिकारियों से यह भी अनुरोध है कि वे सम्‍प्रेषण के शीघ्र एवं सटीक आदान-प्रदान हेतु ई-मेल सुविधा का बड़े पैमाने पर उपयोग करें।

23. इस पत्र की एक प्रति, तत्‍काल उपयुक्‍त आवश्‍यक कार्रवाई करने के लिए, राज्‍य में सभी जिला निर्वाचन अधिकारियों/निर्वाचक रजिस्‍ट्रीकरण अधिकारियों को भी परिचालित की जानी चाहिए।

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eci-logo.pngभारत निर्वाचन आयोग एक स्‍वायत्‍त संवैधानिक प्राधिकरण है जो भारत में निर्वाचन प्रक्रियाओं के संचालन के लिए उत्‍तरदायी है। यह निकाय भारत में लोक सभा, राज्‍य सभा, राज्‍य विधान सभाओं और देश में राष्‍ट्रपति एवं उप-राष्‍ट्रपति के पदों के लिए निर्वाचनों का संचालन करता है। निर्वाचन आयोग संविधान के अनुच्‍छेद 324 और बाद में अधिनियमित लोक प्रतिनिधित्‍व अधिनियम के प्राधिकार के तहत कार्य करता है। 

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