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राजनैतिक दलों और अभ्यर्थियों के मार्गदर्शन के लिए आदर्श आचार संहिता' के भाग I


ECI-IT Team
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इस फाइल के बारे में

 

 

सं. 437/केटी-एलए/2023                                              06 मई, 2023

 

नोटिस

 

 

यतः, भारत निर्वाचन आयोग ने अपने दिनांक 29 मार्च, 2023 के प्रेस नोट सं. ईसीआई/पीएन/24/2023 के अनुसार कर्नाटक विधान सभा के साधारण निर्वाचन, 2023 की घोषणा की है और राजनैतिक दलों और अभ्यर्थियों के लिए आदर्श आचार संहिता के उपबंध उसी तारीख से लागू हो गए हैं; और

 

2.       यतः, 'राजनैतिक दलों और अभ्यर्थियों के मार्गदर्शन के लिए आदर्श आचार संहिता' के भाग I 'साधारण आचरण' का खंड 2 उपबंधित करता है किः-

 

"जब अन्य राजनैतिक दलों की आलोचना की जाए, तो वह उनकी नीतियों और कार्यक्रम, पूर्व रिकार्ड और कार्य तक ही सीमित होनी चाहिए। दल और अभ्यर्थी व्यक्तिगत जीवन के ऐसे सभी पहलुओं की आलोचना से बचेंगे, जिनका संबंध अन्य दलों के नेताओं या कार्यकर्ताओं के सार्वजनिक क्रियाकलाप से न हो। अन्य दलों या उनके कार्यकर्ताओं के बारे में कोई ऐसी आलोचना नहीं की जानी चाहिये, जो ऐसे आरोपों पर जिनकी सत्यता स्थापित न हुई हो या जो तोड़-मरोड़कर कही गई बातों पर आधारित हों"

 

3.   यतः, लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 123 (4) उपबंधित करती है किः-

 

"किसी अभ्यर्थी के वैयक्तिक शील या आचरण के सम्बन्ध में या किसी अभ्यर्थी की अभ्यर्थिता या अभ्यर्थिता वापस लेने के सम्बंन्ध में या अभ्यर्थी या उसके अभिकर्ता द्वारा या [अभ्यर्थी या उसके निर्वाचन अभिकर्ता की सम्मति से] किसी अन्य व्यक्ति द्वारा किसी ऐसे तथ्य के कथन का प्रकाशन जो मिथ्या है और या तो जिसके मिथ्या होने का उसको विश्वास है या जिसके सत्य होने का वह विश्वास नहीं करता है और जो उस अभ्यर्थी के निर्वाचन की सम्भाव्यताओं पर प्रतिकूल प्रभाव डालने के लिए युक्तियुक्त रूप से प्रकल्पित कथन है।"

 

4.   यतः, भारतीय दंड संहिता की धारा 171 छ उपबंधित करती है किः-

 

"निर्वाचन के सिलसिले में मिथ्या कथन- जो कोई निर्वाचन के परिणाम पर प्रभाव डालने के आशय से किसी अभ्यर्थी के वैयक्तिक शील या आचरण के सम्बन्ध में तथ्य का कथन तात्पर्यित होने वाला की ऐसा कथन करेगा या प्रकाशित करेगा, जो मिथ्या है, और जिसका मिथ्या होना वह जानता या विश्वास करता है अथवा जिसके सत्य होने का विश्वास नहीं करता है, वह जुर्माने से दण्डित किया जाएगा।"

 

5.  यतः, आयोग ने दिनांक 2 मई, 2023 के अपने अनुदेश सं. 437/6/अनु/भानिआ./प्रकार्य/आआसं/2023 के अनुसार सभी दलों और हितधारकों को, अन्य बातों के साथ-साथ, यह सलाह दी है कि वे निर्वाचन प्रचार के दौरान अपनी बयानबाजी देते समय आदर्श आचार संहिता और विधिक प्रावधानों (फ्रेमवर्क) के दायरे में रहें ताकि राजनैतिक बयानों की गरिमा बनी रहे और प्रचार अभियान तथा निर्वाचन माहौल दूषित न हो;

 

6.  यतः, आयोग को श्री ओम पाठक, भारतीय जनता पार्टी से दिनांक 5 मई, 2023 की एक शिकायत (प्रति संलग्न) प्राप्त हुई है कि इंडियन नेशनल कांग्रेस पार्टी ने 5 मई, 2023 को राष्ट्रीय और स्थानीय समाचार-पत्रों, नामतः द टाइम्स ऑफ इंडिया, इंडियन एक्सप्रेस, द हिन्दू और संयुक्ता कर्नाटक में एक विज्ञापन प्रकाशित करवाया है जिसमें भारतीय जनता पार्टी के विरुद्ध असभ्य, प्रतिकूल, मिथ्या और भ्रामक आरोप लगाए हैं;

 

7.   यतः, प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि इंडियन नेशनल कांग्रेस ने उक्त विज्ञापन प्रकाशित करवाकर आदर्श आचार संहिता के उपर्युक्त उपबंध का उल्लंघन किया है;

 

8.   संविधान के तहत विरोधी दलों की नीतियों और शासन की आलोचना करने के अधिकार की गारंटी दी गई है और इसके साथ ही हमारी निर्वाचन प्रक्रिया के अधीन विभिन्न राजनेताओं का यह अनिवार्य कार्य भी है। तथापि, इस अधिकार का प्रयोग और इस अनिवार्य कार्य को करते समय राजनैतिक दलों से उम्मीद की जाती है कि वे सार्वजनिक बयान देते समय उच्च मानकों की मर्यादा बनाए रखेंगे तथा आदर्श आचार संहिता और संबंद्ध कानूनों के विभिन्न उपबंधों का पालन करेंगे। हालांकि उपलब्धियों की कथित विहीनता, कुकृत्य, राजनैतिक विरोधियों द्वारा भ्रष्टाचार मुक्त शासन सुनिश्चित नहीं करना, सामान्य संदर्भ और संकेतित प्रसंग राजनैतिक निर्वाचन प्रचारों के दौरान उठाए जाते हैं, लेकिन विशिष्ट दोषारोपणों और आरोपों को अलग करने की आवश्यकता है क्योंकि ये सत्यापनीय तथ्यों पर आधारित होने चाहिए। बिना किसी तथ्यात्मक आधार के विशिष्ट आरोप लगाना, दंड संहिता के तहत प्रतिबंधित कार्रवाई है, जैसा कि ऊपर पैरा 3 और 4 में उल्लेख किया गया है। स्वतंत्र रूप से, किसी संगत सूचनात्मक सत्यापन के बिना आरोप, संभावित रूप से मतदाता को भ्रमित करके एक जागरूक विकल्प चुनने की प्रक्रिया में और साथ ही, सभी के लिए समान अवसर उपलब्ध कराने में विध्न डालकर निर्वाचकीय प्रक्रिया को दूषित करते हैं।

9.   उक्त विज्ञापन में लगाए गए दोषारोपण और आरोप, सामान्य किस्म के नहीं हैं। विज्ञापन की सामग्री और फार्मेट ही सरकारी तंत्र (राजनैतिक और नौकरशाही) के सभी स्तरों पर यह विशिष्ट आरोप लगाते हैं कि यह तंत्र समझौता करने वाला और बिक जाने वाला तंत्र है। यह पूरे प्रशासन तंत्र को बदनाम करता है जो बड़े पैमाने पर सरकारी प्रणाली की वैधता के प्रति अविश्वास और सरकारी तंत्र को कम आंकने की भावना को उकसाता है, जो अन्यथा, अन्य बातों के साथ-साथ, मतदान के सुचारू संचालन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

 

10.  जैसा कि आयोग की दिनांक 02.05.2023 की एडवाइजरी में कहा गया था कि राष्ट्रीय दलों को लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के तहत विशेष अधिकार प्राप्त हैं और, अतः उनसे आशा की जाती है कि वे आदर्श आचार संहिता और विधिक ढांचे का पूरी तरह से अनुपालन करें। यह एक उचित धारणा है कि इंडियन नेशनल कांग्रेस के पास महत्वपूर्ण/अनुभवजन्य/सत्यापन योग्य साक्ष्य हैं, जिनके आधार पर ये विशिष्ट/स्पष्ट 'तथ्य' प्रकाशित कराए गए हैं, यह एक ऐसी कार्रवाई है जिसका मूल्यांकन लेखक द्वारा इस्तेमाल किए गए उसके प्रचुर ज्ञान और उद्देश्य एवं मंशा के आधार पर निष्पक्षतापूर्वक किया जा सकता है। अतः, आपको उसके अनुभवजन्य साक्ष्य, उदाहरणार्थ, आपके द्वारा दिए गए विज्ञापन में उल्लिखित नियुक्तियों और स्थानांतरणों के प्रकारों, नौकरियों के प्रकारों और कमीशन के प्रकारों की दरों के साक्ष्य, स्पष्टीकरण सहित, यदि कोई हों, 7 मई, 2023  को सायं 7.00 बजे तक प्रस्तुत करने और उसे जन साधारण की सूचना (पब्लिक डोमेन) के लिए प्रकाशित करवाने हेतु निदेश दिया जाता है।

 

11.  उपरोक्त कार्रवाई करने में विफल रहने की स्थिति में, आपको निदेश दिया जाता है कि 7 मई, 2023 को सायं 7.00 बजे तक ये कारण बताएं कि आदर्श आचार संहिता और लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम तथा भारतीय दंड संहिता के तहत प्रासंगिक विधिक उपबंधों का उल्लंघन करने के लिए आपके विरुद्ध कार्रवाई क्यों नहीं आरंभ की जानी चाहिए?

 

12.   नोट करें कि यदि आपने निर्धारित समय के भीतर कोई उत्तर नहीं दिया, तो यह मान लिया जाएगा कि इस मामले में आपको कुछ नहीं कहना है और आपको आगे सूचित किए बिना भारत निर्वाचन आयोग इस मामलें में उपयुक्त कार्रवाई अथवा निर्णय करेगा।

 

 

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