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आयोग द्वारा पश्चिम बंगाल राज्य में लोक सभा के साधारण निर्वाचनों के सातवें चरण के लिए 22 अप्रैल, 2019 को अधिसूचना (सं.464/ईपीएस/2019(7))


इस फाइल के बारे में

फा.सं. 576/विविध/2019/एसडीआर                                15 मई, 2019

 

आदेश

यतः, आयोग द्वारा पश्चिम बंगाल राज्य में लोक सभा के साधारण निर्वाचनों के सातवें चरण के लिए 22 अप्रैल, 2019 को अधिसूचना (सं.464/ईपीएस/2019(7)) जारी की गई और इस चरण के सभी नौ संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों (पीसी) अर्थात, पीसी-16 दमदम, पीसी-17 बारासात, पीसी-18 बसीरहात, पीसी-19 जयनगर (अ.जा.), पीसी-20 मथुरापुर (अ.जा.), पीसी-21 डायमण्ड हारबर, पीसी-22 जादवपुर, पीसी-23 कोलकाता दक्षिण, और पीसी-24 कोलकाता उत्तर में निर्वाचन लड़ने वाले अभ्यर्थियों की सूचियों को 02 मई, 2019 को पहले ही अंतिम रूप दिया जा चुका है और इन निर्वाचन क्षेत्रों में निर्वाचन 19 मई, 2019 (रविवार) को आयोजित किया जाना है; और

      यतः, आयोग की जानकारी में यह लाया गया है कि लोक सभा के चल रहे साधारण निर्वाचनों के दौरान पश्चिम बंगाल राज्य में राजनीतिक अभियानों/जुलूसों के दौरान निरन्तर गड़बड़ी और हिंसा की घटनाएं हो रही हैं; और

      यतः, पश्चिम बंगाल के प्रभारी उप निर्वाचन आयुक्त ने 13 मई, 2019 को पश्चिम बंगाल राज्य का दौरा किया और सभी नौ संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों में लोक सभा के निर्वाचनों की तैयारी का जायजा लिया जिनमें 19 मई, 2019 (रविवार) को मतदान होना है और आयोग को यह रिपोर्ट प्रस्तुत की कि:

"प्रक्षेकों के साथ स्थिति की समीक्षा करते समय स्पष्ट रूप से यह सामने आया कि मतदान अधिकारियों के प्रशिक्षण सहित सेवा एवं साज-समान की व्यवस्था इत्यादि भारत निर्वाचन आयोग की अपेक्षाओं के अनुरूप है, किन्तु, जहां तक अभियान के लिए सभी अभ्यर्थियों को समान अवसर उपलब्ध कराने एवं मतदाताओं को बिना किसी डर और भय के मतदान का वातावरण उपलब्ध कराने का संबंध है जिला प्रशासन और जिला पुलिस इसमें सहयोग नहीं करता है और इसका विरोध करता है। प्रेक्षकों ने यह उल्लेख किया कि देखने में तो पूरी व्यवस्था सही लगती है लेकिन लोगों के साथ मिलकर बात करने पर वे बताते हैं कि चारों ओर भय का वातावरण है। उन्होंने बताया कि एआईटीसी के वरिष्ठ नेता धमकी भरे स्वर में ये कहते हैं कि "केन्द्रीय बल तो निर्वाचन के बाद चले जाएंगे लेकिन हम तो यहीं रहेंगे" जिससे अधिकारी और मतदाता भी बहुत डरे हुए हैं।"

यतः, आयोग ने पश्चिम बंगाल में निर्वाचनों की देखरेख, निदेशन और नियंत्रण में आयोग को सहायता करने के लिए विशेष प्रेक्षकों अर्थात श्री अजय नायक (भा.प्र.से. सेवानिवृत्त) और विशेष पुलिस प्रेक्षक श्री विवेक दुबे (भा.पु.से. सेवानिवृत्त) को प्रतिनियुक्त किया है और दोनों विशेष प्रेक्षकों ने अपनी दिनांक 15 मई, 2019 की रिपोर्ट में राजनीतिक अभियान के दौरान हिंसा की अन्य घटनाओं की सूचना दी, जिनमें 14 मई, 2019 को हुई हिंसक घटनाओं के आधार पर मामले दर्ज किए गए। इन मामलों की जांच के दौरान, लगभग सौ व्यक्तियों को हिरासत में लिया गया। हिरासत में लिए गए इन व्यक्तियों में से 58 व्यक्तियों को दो मामलों में गिरफ्तार किया गया; और

यतः, पिछले 24 घंटों में विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि आयोग से मिले हैं और उन्होंने कानून एवं व्यवस्था के वर्तमान हालात पर अपनी चिन्ता प्रकट की; और

यतः, अभियान से जुड़ी इन हिसंक घटनाओं से मतदान वाले क्षेत्रों में भय और घृणा का माहौल पैदा हो रहा है जिससे राज्य में समस्त निर्वाचन प्रक्रिया पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है; और

यतः, इन नौ संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों से संबंधित सभी राजीनितक दल और अभ्यर्थी पहले से ही उन संबंधित मतदान क्षेत्रों में 02 मई, 2019 से प्रचार कर रहे हैं और यहां मतदान 19 मई, 2019 को होगा; और

यतः, इन रिपोर्टों और जानकारियों को देखते हुए, आयोग आम निर्वाचकों की सुरक्षा के प्रति चिंतित है जिन्हें स्वतन्त्र, भयमुक्त और अनुकूल वातावरण में सभी राजनैतिक दलों के अभ्यर्थियों के निर्वाचन अभियान में उन्हें सुनने और जानने का अधिकार है;

यतः, आयोग को सुरक्षित अभियान के लिए अनुकूल माहौल बनाने के लिए पश्चिम बंगाल में केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बलों की तैनाती करके बार-बार हस्तक्षेप करना पड़ा है; और

यतः, आयोग ने भारत के संविधान और लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के संगत उपबंधों को ध्यान में रखकर विशेष प्रेक्षकों और उप-निर्वाचन आयुक्तों की उपर्युक्त रिपोर्टों पर विचार किया है; और

यतः, माननीय उच्चतम न्यायालय की संविधान पीठ ने केशवनाडा भारती के मामले में तथा ऐसे ही अनेक निर्णयों में यह कहा है कि लोकतंत्र भारत के सविधान का मूलभूत ढांचा है; और

यतः, उच्चतम न्यायालय ने मोहिन्द्र सिंह गिल और अन्य बनाम मुख्य निर्वाचन आयुक्त एवं अन्य (1978 एआईआर 851) के प्रकरण में भी यह कहा है कि स्वतंत्र और निष्पक्ष निर्वाचन, देश की सभी लोकतांत्रिक संस्थाओं का मूल आधार है; और

यतः, संविधान के अनुच्छेद 324 में संसद और राज्य विधान सभाओं तथा भारत के राष्ट्रपति और उप-राष्ट्रपति के पदों के स्वतंत्र और निष्पक्ष निर्वाचन आयोजित करने की जिम्मेदारी भारत निर्वाचन आयोग में निहित है; और

यतः, स्वतंत्र और निष्पक्ष निर्वाचनों के संचालन के लिए यह अनिवार्य है कि निर्वाचन अवधि के दौरान स्वतंत्र एवं शांतिपूर्ण निर्वाचनों के अनुकूल समुचित कानून एवं व्यवस्था बनी रहे; और

यतः, माननीय उच्चतम न्यायालय की संविधान पीठ ने भारत निर्वाचन आयोग बनाम हरियाणा राज्य (एआईआर 1984 एससी 1406) के मामले में यह कहा है कि मतदान वाले क्षेत्रों में कानून एवं व्यवस्था के संबंध में राज्य सरकार के बजाय भारत निर्वाचन आयोग का निर्णय मान्य होना चाहिए और यहां तक कि उच्च न्यायालय को भी इस प्रकार के मामलों में अपना दृष्टिकोण और मत नहीं देना चाहिए; और

यतः, माननीय उच्चतम न्यायालय की अन्य संविधान पीठ ने एम.एस. गिल बनाम मुख्य निर्वाचन आयुक्त के मामले में यह कहा है कि संविधान का अनुच्छेद 324 ऐसे अस्पष्ट क्षेत्रों में निर्वाचन आयोग के लिए शक्तियों का भण्डार है जहां निर्वाचनों के संचालन में निर्वाचन आयोग से टकराव करने वाली संस्था से निपटने के लिए बनाए गए कानून में कोई प्रावधान नहीं है या "अपर्याप्त प्रावधान हैं"; और

यतः, आयोग ने लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 126 के उपबंधों को  नोट किया है, जिसके तहत अन्य बातों के साथ-साथ, मतदान क्षेत्रों में मतदान की समाप्ति के लिए नियत समय पर समाप्त होने वाले अड़तालीस घंटों की अवधि के दौरान निर्वाचन के सिलसिले में कोई भी जनसभा करने अथवा जुलूस निकालने, निर्वाचन प्रचार करने, उसमें भाग लेने अथवा उसमें भाषण देने पर रोक लगाई गई है; और

यतः, लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 30 (घ) में यह विनिर्दिष्ट है कि,

"वह तारीख या वे तारीखें जिसको या जिनको, यदि आवश्यक हो तो, मतदान होगा और जो तारीख या जिन तारीखों में से पहली तारीख अभ्यर्थिताएं वापस लेने के लिए नियत अंतिम तारीख के पश्चात (चौदहवें दिन) से पूर्वतर न होने वाली तारीख होगी"

और इन नौ संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों के लिए अभ्यर्थिता वापस लेने की तारीख 02 मई, 2019 थी; और

यतः, उपर्युक्त उपबंध पश्चिम बंगाल में इन नौ संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों में इस समय व्याप्त परिस्थितियों, जैसा उपर्युक्त उल्लिखित विशेष प्रक्षेकों और उप निर्वाचन आयुक्त ने रिपोर्ट दी है और जिसका उन्होंने ऊपर उल्लेख किया है, से निपटने के लिए कोई प्रावधान नहीं किया गया है; और

यतः उपरोक्त एम.एस. गिल बनाम भारत निर्वाचन आयोग के मामले के पैरा 113 में माननीय उच्चतम न्यायालय ने यह कहा है कि:

      "जहां ये (विधियां) विद्यमान नहीं है, और लेकिन किसी स्थिति से निपटना है, तो मुख्य निर्वाचन आयुक्त को हाथ जोड़कर ईश्वर से प्रार्थना नहीं करनी है कि ईश्वर उसे अपने कार्य और ड्यूटी का निर्वहन करने के लिए दैवीय शक्ति प्रदान करे अथवा उस स्थिति से निपटने की शक्तियां प्रदान करने के लिए किसी बाहरी प्राधिकारी की सहायता नहीं लेनी है।"

यतः, आयोग का यह दृढ़ विचार है कि इन नौ संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों में इस समय व्याप्त स्थिति को और खराब होने से रोकने और कानून एवं व्यवस्था की ऐसी स्थिति जो इन नौ संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों में स्वतंत्र, निष्पक्ष और शांतिपूर्ण निर्वाचन करवाने में सहायक हो, तैयार करने के लिए कुछ विशेष उपाय करने की तत्काल आवश्यकता है; और

अतः, अब भारत निर्वाचन आयोग, संविधान के अनुच्छेद 324 के अंतर्गत प्रदत्त अपनी शक्तियों, और इस सबंध में प्रदत्त अन्य सभी सक्षमकारी शक्तियों का प्रयोग करते हुए और लोकतंत्र को सुदृढ़ करने के व्यापक हित में स्वतंत्र, निष्पक्ष और शांतिपूर्ण निर्वाचनों का संचालन सुनिश्चित करने के उद्देश्य से एतद्द्वारा निदेश देता है कि कोई भी व्यक्ति इन नौ संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों, अर्थात्, पीसी-16 दमदम, पीसी-17 बारासात, पीसी-18 बसीरहात, पीसी-19 जयनगर (अ.जा.), पीसी-20 मथुरापुर (अ.जा.), पीसी-21 डायमण्ड हारबर, पीसी-22 जादवपुर, पीसी-23 कोलकाता दक्षिण, और पीसी-24 कोलकाता उत्तर के मतदान क्षेत्रों के भीतर 16 मई, 2019 को रात्रि 10.00 बजे से 19 मई, 2019 को निर्वाचनों के समापन होने तक (क) निर्वाचन के सिलसिले में कोई जनसभा नहीं करेगा अथवा जुलूस नहीं निकालेगा, उनमें भाग नहीं लेगा अथवा उसे संबोधित नहीं करेगा; अथवा (ख) सिनेमा, टेलीविजन अथवा इसी प्रकार के अन्य उपकरणों के माध्यम से लोगों को कोई भी निर्वाचन सामग्री प्रदर्शित नहीं करेगा; अथवा (ग) इन निर्वाचनों में लोगों को आकर्षित करने के लिए संगीत का कोई कार्यक्रम अथवा कोई नाटक मंचन, प्रदर्शन अथवा अन्य कोई मनोरंजन अथवा हास्यविनोद के कार्यक्रम का आयोजन करके अथवा इसकी व्यवस्था करके लोगों में किसी निर्वाचन सामग्री का प्रचार नहीं करेगा; और किसी होटल, भोजनालय, मधुशाला, दुकान अथवा किसी अन्य स्थान, चाहे वह सार्वजनिक हो अथवा निजी, में कोई स्प्रिटयुक्त, खमीर से बनी मदिरा अथवा मादक पदार्थ अथवा इसी प्रकार के किसी अन्य पदार्थ की बिक्री नहीं करेगा, उसे नहीं परोसेगा अथवा उसका वितरण नहीं करेगा।

 

 

   हस्ता./- 

(सुशील चन्द्रा)

निर्वाचन आयुक्त

हस्ता./-

(सुनील अरोड़ा)

 मुख्य निर्वाचन आयुक्त

हस्ता./-

(अशोक लवासा)

निर्वाचन आयुक्त

 

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eci-logo.pngभारत निर्वाचन आयोग एक स्‍वायत्‍त संवैधानिक प्राधिकरण है जो भारत में निर्वाचन प्रक्रियाओं के संचालन के लिए उत्‍तरदायी है। यह निकाय भारत में लोक सभा, राज्‍य सभा, राज्‍य विधान सभाओं और देश में राष्‍ट्रपति एवं उप-राष्‍ट्रपति के पदों के लिए निर्वाचनों का संचालन करता है। निर्वाचन आयोग संविधान के अनुच्‍छेद 324 और बाद में अधिनियमित लोक प्रतिनिधित्‍व अधिनियम के प्राधिकार के तहत कार्य करता है। 

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