
मुख्य निर्वाचन आयुक्त
श्री सुनील अरोड़ा ने 02 दिसम्बर, 2018 को भारत के मुख्य निर्वाचन आयुक्त के रूप में कार्यभार ग्रहण किया। मुख्य निर्वाचन आयुक्त का कार्यभार ग्रहण करने से पहले वे 01 सितम्बर, 2017 से 1 दिसम्बर, 2018 तक भारत के निर्वाचन आयुक्त के रूप में कार्य कर रहे थे और छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, मिजोरम, राजस्थान, तेलंगाना, हिमाचल प्रदेश, गुजरात, त्रिपुरा, मेघालय, नागालैंड और कर्नाटक राज्यों की विधान सभाओं के निर्वाचनों के आयोजन से जुड़े थे। मुख्य निर्वाचन आयुक्त के रूप में उनके कार्यकाल में आयोग ने 17वीं लोकसभा के साधारण निर्वाचनों और आन्ध्र प्रदेश, अरूणाचल प्रदेश, ओडिशा और सिक्किम राज्यों के विधान सभा निर्वाचनों का सफलतापूर्वक आयोजन किया।
ये राजस्थान कैडर के सेवानिवृत लोक सेवक (भा.प्र.से. 1980 बैच) हैं। श्री अरोड़ा को अनेक प्रमुख विभागों में 36 वर्षों से अधिक का प्रचुर नेतृत्व अनुभव है तथा इन्होंने भारत सरकार और राज्य सरकार, दोनों स्तरों पर शासन एवं नीतिगत सुधार के क्षेत्र में अनेक पहल की हैं।
श्री अरोड़ा ने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय (आई. एण्ड बी.) में भारत सरकार के सचिव के रूप में कार्य किया, जहाँ उन्होंने अनेक पहल शुरू की, जैसे डिजीटलीकरण के माध्यम से फीचर और गैर-फीचर फिल्मों का क्यूरेशन, पुन:स्थापन और परिरक्षण, श्याम बेनेगल समिति के माध्यम से फिल्म प्रमाणन कार्य की समीक्षा, एफटीआईआई में गतिरोध को तोड़ना, आई.एण्ड.बी. की व्यापक संवर्ग समीक्षा, और केबल स्पेस का डिजीटलीकरण आदि।सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय में अपने कार्यकाल से पहले उन्होंने तत्कालीन नवगठित कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय (एम.एस.डी.ई.) में भारत सरकार के सचिव के रूप में एक वर्ष तक कार्य किया। नए मंत्रालय के समेकन के अलावा, श्री अरोड़ा ने राष्ट्रीय कौशल विकास और उद्यमिता नीति, 2015 के प्रतिपादन एवं अभिकल्पना को मूर्त रूप दिया और 8 महीने की रिकार्ड अवधि में राष्ट्रीय कौशल विकास मिशन की स्थापना की। इन दोनों पहल का शुभारंभ माननीय प्रधानमंत्री जी द्वारा जुलाई, 2015 में किया गया था। उन्होंने प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पी.एम.के.वी.वाई.) की अभिकल्पना एवं कार्यान्वयन की अगुआई भी की, जो कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय की अग्रणी कौशल प्रशिक्षण योजना है जिसका माननीय प्रधानमंत्री जी द्वारा जुलाई, 2015 में शुभारंभ किया गया था। साथ ही साथ, वे विभिन्न कौशलों एवं दक्षता स्तरों को श्रेणीबद्ध करने के लिए राष्ट्रीय कौशल अर्हता फ्रेमवर्क (एन.एस.क्यू.एफ.) के कार्यान्वयन के लिए पुरजोर रुप से लगे रहे।
श्री अरोड़ा ने 2000 से 2005 तक इंडियन एयरलाइंस के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक के रूप में तत्कालीन एयरलाइंस को पुनर्जीवित करने के लिए प्रशासनिक और नीतिगत सुधारों का नेतृत्व किया – जिसके साथ-साथ प्रथम दो वर्षों के दौरान उन्होंने नागर विमानन मंत्रालय में संयुक्त सचिव के रूप में भी कार्य किया। यही वह समय था जब यात्री सेवाओं और ऑन-टाइम निष्पादन में चहुंमुखी सुधार परिलक्षित होने के अलावा, इंडियन एयरलाइंस ने कई सालों के बाद वर्ष 2003-04 और वर्ष 2004-05 में निबल लाभ दर्ज किया। उतने ही विमानों के परिचालन से समग्र राजस्व 3700 करोड़ रुपये से बढ़कर 5100 करोड़ रुपये हो गया। संयुक्त सचिव के रूप में इन्हें सुरक्षा, भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण, घरेलू विमान परिवहन और पवन हंस इत्यादि की देखरेख करने की जिम्मेदारी सौंपी गई। इसी अवधि के दौरान केंद्र सरकार ने हवाई अड्डों पर सुरक्षा के प्रयोजनार्थ सी.आई.एस.एफ. को तैनात करने का महत्वपूर्ण निर्णय लिया और संयुक्त सचिव होने के नाते, श्री अरोड़ा ने जमीनी स्तर पर इस निर्णय को परिणत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
वर्ष 2014 में दिल्ली में कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय (एम.एस.डी.ई.) में कार्यभार ग्रहण करने से पहले, उन्होंने राजस्थान सरकार के अपर मुख्य सचिव (गृह) के रूप में कार्य किया और सिविल डिफेंस, नागर विमानन, होम गार्ड्स और जेल प्रशासन, इत्यादि सहित प्रमुख क्षेत्रों की नीति, कार्यनीति, शासन एवं विनियमों के प्रतिपादन का संचालन किया। इससे पहले, श्री अरोड़ा का ध्यान अपर मुख्य सचिव के साथ-साथ राजस्थान राज्य औद्योगिक और निवेश निगम (आर.आई.आई.सी.ओ.) के अध्यक्ष के रूप में 2005 से 2013 तक उद्योगों पर केंद्रित था। राजस्थान राज्य औद्योगिक नीति के एक प्रमुख प्रस्तावक होने के अतिरिक्त, श्री अरोड़ा विभिन्न कारपोरेट संस्थाओं जैसे बाड़मेर माइनिंग एण्ड लिग्नाइट कंपनी, महिंद्रा एस.ई.जेड. और राजस्थान स्टेट माइन्स एंड मिनरल्स लिमिटेड के बोर्ड में भी रहे हैं। उन्होंने नीमराणा (अलवर) में जापानी ज़ोन के विकास-कार्यों की देख-रेख की, जिसके परिणामस्वरूप राज्य में विभिन्न विनिर्माण इकाइयों की स्थापना हुई, उदाहरणार्थ होंडा। श्री अरोड़ा 2005 से 2009 तक तथा 1993 से 1998 तक राजस्थान के मुख्य मंत्री के प्रधान स्टाफ अधिकारी भी रहे। जिलों में अपनी तैनातियों के दौरान उन्होंने 1985 से 1993 तक धौलपुर, अलवर, नागौर और जोधपुर जिले के कलेक्टर और जिला मजिस्ट्रेट के रूप में भी कार्य किया।
श्री अरोड़ा अप्रैल, 2016 में प्रशासनिक सेवा से सेवानिवृत्त हुए, जिसके बाद उन्हें प्रसार भारती के सलाहकार के रूप में नियुक्त किया गया। इसके पश्चात, उन्होंने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ कॉरपोरेट अफेयर्स के महानिदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी के रूप में भी कार्य किया।
श्री अरोड़ा ने होशियारपुर में पंजाब विश्वविद्यालय से बी.ए. (आनर्स) और स्नातकोत्तर की उपाधि अंग्रेजी में प्राप्त की।