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  • भारत निर्वाचन आयोग

     

    राजनैतिक दलों और अभ्यर्थियों के मार्गदर्शन के लिए आदर्श आचार संहिता

     

    I.     सामान्‍य आचरण

    1.  कोई दल या अभ्यर्थी ऐसी किसी गतिविधि में शामिल नहीं होगा जो भिन्न-भिन्न जातियों और समुदायों,  चाहे वे धार्मिक या भाषायी हों, के बीच विद्यमान मतभेद को और अधिक बिगाड़े या परस्‍पर घृणा उत्पन्न करे या उनके बीच तनाव कारित करे।

    2. जब राजनैतिक दलों की आलोचना की जाए, तो उसे उनकी नीतियों और कार्यक्रम, विगत रिकॉर्ड और कार्य तक ही सीमित रखा जाएगा। दल और अभ्यर्थी दूसरे दलों के नेताओं या कार्यकर्ताओं की निजी जिंदगी के ऐसे सभी पहलुओं की आलोचना करने से विरत रहेंगे जो उनकी सार्वजनिक गतिविधियों से नहीं जुड़ी हुई हैं। असत्यापित आरोपों या विकृति के आधार पर दूसरे दलों या उनके कार्यकर्ताओं की आलोचना करने से बचना होगा।

    3. वोट हासिल करने के लिए जाति या संप्रदाय की भावनाओं के आधार पर कोई अपील नहीं की जाएगी। मस्जिदों, चर्चों, मंदिरों और पूजा के अन्य स्थानों का चुनाव प्रचार के मंच के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जाएगा।

    4.  सभी दल और अभ्यर्थी ऐसी सभी गतिविधियों से ईमानदारीपूर्वक परहेज करेंगे जो निर्वाचन विधि‍ के अधीन "भ्रष्ट आचरण" एवं अपराध हैं जैसे कि मतदाताओं को घूस देना, मतदाताओं को डराना-धमकाना, मतदाताओं का प्रतिरूपण करना, मतदान केंद्रों से 100 मीटर की दूरी के भीतर प्रचार करना, मतदान समाप्त होने के लिए नियत घंटे के साथ समाप्त होने वाले 48 घंटों की अवधि के दौरान सार्वजनिक बैठकें आयोजित करना, और मतदाताओं को मतदान केन्द्रों तक ले जाने और वापस लाने के लिए परिवहन और वाहन की व्यवस्था करना ।

    5.  शांतिपूर्ण और बेफ़िक्र गृह (पारिवारिक) जीवन के प्रत्येक व्यक्ति के अधिकार का सम्मान किया जाएगा, फिर चाहे राजनीतिक दल और अभ्यर्थी उसके राजनीतिक अभिमत या गतिविधियों को कितना भी नापसंद क्यों न करते हों। लोगों के अभिमत या गतिविधियों के प्रति विरोध जतलाने के लिए उनके  घरों के सामने किसी भी परिस्थिति में न तो प्रदर्शन आयोजित किया जाएगा और न ही धरना दिया जाएगा।

    6.  कोई भी राजनैतिक दल या अभ्यर्थी अपने अनुयायियों को किसी भी व्यक्ति की अनुमति के बिना उसकी भूमि, भवन, परिसर की दीवारों इत्यादि पर झंडा लगाने, बैनर लटकाने, सूचना चिपकाने, नारा लिखने इत्यादि की अनुमति नहीं देगा।

    7.  राजनैतिक दल और अभ्यर्थी यह सुनिश्चित करेंगे कि उनके समर्थक दूसरे दलों द्वारा आयोजित बैठकों  और जुलूसों में न तो बाधा खड़ी करें और न ही उन्‍हें भंग करें। एक राजनैतिक दल के कार्यकर्ता या हमदर्द राजनैतिक दल द्वारा आयोजित सार्वजनिक बैठकों में मौखिक या लिखित रूप में प्रश्न पूछकर या अपनी स्वयं की पार्टी के पर्चे बांटकर अव्यवस्था उत्पन्न नहीं करेंगे। एक दल द्वारा उन स्थानों के आसपास जुलूस न निकाला जाएगा जहां दूसरे दल द्वारा बैठकें आयोजित की गई हों। एक दल के द्वारा लगाए गए पोस्टर दूसरे दल के कार्यकर्ताओं द्वारा नहीं हटाए जाएंगे।

     

     

    II.    बैठक (सभा)

    1. दल या अभ्यर्थी किसी भी प्रस्तावित बैठक के स्थान और समय के बारे में स्थानीय पुलिस प्राधिकारियों को समय रहते सूचित करेंगे ताकि पुलिस यातायात को नियंत्रित करने और शांति और व्यवस्था बनाए रखने के लिए आवश्यक व्यवस्थाएं कर सके।
    2. दल या अभ्यर्थी पहले से ही इस बात का अभिनिश्चयन करेगा कि क्‍या बैठक के लिए प्रस्तावित स्थान में कोई प्रतिबंधात्मक या निषेधात्मक आदेश प्रवृत्त हैं या नहीं और यदि ऐसे आदेश मौजूद हैं, तो उनका कड़ाई से पालन किया जाएगा। यदि ऐसे आदेशों से किसी रियायत की आवश्यकता हो, तो उसके लिए समय रहते आवेदन किया जाएगा और वह आदेश प्राप्त किया जाएगा।
    3. यदि किसी प्रस्तावित बैठक  के संबंध में लाउडस्पीकरों या किसी अन्य सुविधा के उपयोग के लिए अनुमति या अनुज्ञा प्राप्त की जानी हो, तो दल या अभ्यर्थी संबंधित प्राधिकारी  को समय रहते आवेदन करेगा और वह अनुमति या अनुज्ञा प्राप्त करेगा।
    4. बैठक के आयोजक बैठक में विध्न डालने वाले या अन्यथा अव्यवस्था उत्पन्न करने का प्रयास करने वाले व्यक्तियों से निपटने के लिए ड्यूटी पर तैनात पुलिस की निरपवाद रूप से सहायता प्राप्त करेगा।  आयोजक स्‍वयं ऐसे व्‍यक्तियों के विरुद्ध कार्रवाई नहीं करेंगे।

     

    III. जलूस

    1. जलूस का आयोजन करने वाला दल या अभ्यर्थी जलूस शुरू करने के स्थान और समय, अनुगमन किए जाने वाले रूट और जलूस समाप्त होने के स्थान और समय के बारे में पहले से निर्णय करेगा। सामान्यतया कार्यक्रम से कोई विचलन नहीं होगा।
    2. आयोजक स्थानीय पुलिस प्राधिकारियों को कार्यक्रम की अग्रिम सूचना देंगे ताकि वे आवश्यक व्यवस्था कर सकें।
    3. आयोजक इस बात का अभिनिश्चयन करेंगे कि जिन इलाकों से जलूस को गुजरना है, क्‍या उन इलाकों में कोई प्रतिबंधात्मक  आदेश प्रवृत्त हैं और वे प्रतिबन्ध आदेशों का पालन करेंगे बशर्ते सक्षम प्राधिकारी द्वारा विशेष रूप से रियायत न दी गई हो। यातायात संबंधी किन्‍हीं विनियमों या प्रतिबंधों का भी ध्‍यानपूर्वक अनुपालन किया जाएगा।
    4. आयोजक जलूस गुजारने  (निकालने) के लिए पहले से व्यवस्था करने हेतु कदम उठाएंगे ताकि यातायात में कोई रुकावट या बाधा न आए। यदि जलूस बहुत लंबा है, तो उसे उचित लंबाइयों के हिस्सों में आयोजित किया जाएगा, ताकि सुविधाजनक अंतरालों पर, विशेष रूप से उन स्थानों पर जहां जलूस को सड़क का चौराहा पार करना है, रुके हुए यातायात को चरणों में छोड़े जाने की अनुमति दी जा सके ताकि यातायात में अत्यधिक भीड़-भाड़ से बचा जा सके।
    5. जलूस इस प्रकार से नियंत्रित किया जाएगा कि वह जहां तक संभव हो सके, सड़क के दाहिने तरफ रहे और ड्यूटी पर तैनात पुलिस के निदेश और सलाह का कड़ाई से अनुपालन किया जाएगा।
    6. यदि दो या अधिक राजनीतिक दल या अभ्यर्थी जलूस एकसमान मार्ग या उसके हिस्सों पर लगभग एक ही समय पर निकालने का प्रस्ताव रखते हैं, तो यह सुनिश्चित करने के लिए कि जलूस आपस में न टकराएं या यातायात में बाधा उत्पन्न न करें, आयोजक काफी समय रहते संपर्क करेंगे और किए जाने वाले उपायों के बारे में निर्णय लेंगे। संतोषजनक व्यवस्था कायम करने के लिए स्थानीय पुलिस की सहायता ली जाएगी। इस उद्देश्य के लिए,  पार्टियां पुलिस से यथाशीघ्र संपर्क करेंगी।
    7. राजनीतिक दल या अभ्यर्थी, जलूस में ऐसी वस्तुएं आदि साथ लेकर चलने वाले लोगों के मामले में अधिकतम संभव सीमा तक नियंत्रण रखेंगे जिनका अवांछनीय तत्वों द्वारा, विशेष रूप से उत्तेजना के पलों में, दुरुपयोग किया जा सके।
    8. किसी भी राजनीतिक दल या अभ्यर्थी द्वारा दूसरे राजनीतिक दलों के सदस्‍य या उनके नेताओं को निरूपित करने के लिए तात्पर्यित पुतलों को ढोना, जनता में ऐसे पुतलों को जलाना और इस तरह के दूसरे प्रदर्शनों का समर्थन नहीं किया जाएगा।

     

    IV.   मतदान के दिन

    सभी राजनीतिक दल और अभ्यर्थी-

    1. यह सुनिश्चित करने के लिए कि मतदान क्रिया शांतिपूर्ण एवं सुव्यवस्थित रूप से सम्पन्न हो और मतदाताओं को कोई परेशानी या बाधा से गुजरे बगैर मत देने के अपने अधिकार का प्रयोग करने में पूरी आजादी रहे, निर्वाचन ड्यूटी पर तैनात अधिकारियों के साथ सहयोग करेंगे।
    2. अपने अधिकृत कार्यकर्ताओं को उपयुक्त बैज या  पहचान पत्रों की आपूर्ति करेंगे।
    3. इस बात पर सहमति देंगे कि उनके द्वारा मतदाताओं को उपलब्ध कराई गई पहचान पर्ची सादे (सफ़ेद) कागज पर होगी और उस पर कोई प्रतीक, अभ्यर्थी का नाम या दल का नाम अंतर्विष्ट नहीं होगा।
    4. मतदान के दिन और उससे पहले के अड़तालीस घंटों के दौरान पहले शराब परोसने या बांटने से दूर रहेंगे।
    5. राजनीतिक दलों और अभ्यर्थियों द्वारा मतदान बूथों के निकट स्थापित किए गए शिविरों के निकट अनावश्यक रूप से भीड़ इकट्ठा नहीं होने देंगे ताकि दलों  और अभ्यर्थी के कार्यकर्ताओं और समर्थकों के बीच टकराव और तनाव से बचा जा सके।
    6. सुनिश्चित करेंगे कि अभ्यर्थी के शिविर सरल और सहज हो। वे कोई पोस्टर, झंडा, प्रतीक, या कोई अन्य प्रचार सामग्री प्रदर्शित नहीं करेंगे। न तो  कोई खाद्य सामग्री परोसी जाएगी और न ही भीड़ को शिविरों में इकट्ठा होने की अनुमति दी जाएगी।
    7. मतदान के दिन वाहनों को चलाए जाने पर अधिरोपित किए जाने वाले प्रतिबंधों के अनुपालन में प्राधिकारियों के साथ सहयोग करेंगे और उनके लिए अनुज्ञापत्र प्राप्त करेंगे जिन्हें  उन वाहनों पर प्रमुखता से प्रदर्शित किया जाना चाहिए।

     

    V. मतदान बूथ

     

    मतदाताओं को छोड़कर, ऐसा कोई व्यक्ति मतदान बूथ के भीतर प्रवेश नहीं करेगा जिसके पास निर्वाचन आयोग का कोई मान्य पास नहीं है।

     

    VI. प्रेक्षक

    निर्वाचन आयोग प्रेक्षक नियुक्त करता है। यदि अभ्यर्थियों या उनके अभिकर्ताओं को निर्वाचनों के संचालन के संबंध में कोई विशेष शिकायत या समस्या है, तो वे उसे प्रेक्षक के ध्यान में ला सकते हैं।

     

    VII. सत्ताधारी दल

    सत्ताधारी दल, चाहे वे केन्द्र में या संबंधित राज्य या राज्यों में हों यह सुनिश्चित करेगा कि इस बात के लिए कोई शिकायत का मौका न दिया जाए कि उन्‍होंने अपने निर्वाचन अभियान के प्रयोजनार्थ अपनी आधिकारिक स्थिति का उपयोग किया है और विशेष रूप से

     

    1. (क) मंत्रीगण अपने आधिकारिक दौरे को न तो निर्वाचन प्रचार कार्य के साथ जोड़ेंगे और न ही निर्वाचन प्रचार कार्यों के दौरान सरकारी मशीनरी या कार्मिक का उपयोग करेंगे।

    (ख) सत्ताधारी दल के हित को बढ़ावा देने के लिए सरकारी विमानों, वाहनों, मशीनरी और कार्मिक सहित सरकारी परिवहन का उपयोग नहीं करेंगे;

    1. चुनावी बैठकें आयोजित करने के लिए मैदानों इत्यादि जैसे सार्वजनिक स्थानों, और हवाई उड़ानों के लिए चुनावों के संबंध में एयर-फ्लाइटों के लिए हेलीपैड के उपयोग पर उसका (सत्ताधारी दल) एकाधिकार नहीं होगा। अन्य दलों और अभ्यर्थियों को उन्हीं नियमों और शर्तों पर ऐसे स्थानों और सुविधाओं का उपयोग करने की अनुमति दी जाएगी जिन नियमों और शर्तों पर सत्ताधारी दल द्वारा उनका उपयोग किया जाता है;
    2. विश्राम गृहों, डाक बंगलों या अन्य सरकारी आवासों पर सत्ताधारी दल या उसके अभ्यर्थियों का  एकाधिकार नहीं होगा और अन्य दलों और अभ्यर्थियों को इन आवासों का निष्पक्ष ढंग से उपयोग करने की अनुमति दी जाएगी किन्तु कोई भी दल या अभ्यर्थी इन आवासों (उसके अंतर्गत मौजूद परिसरों सहित) का उपयोग न तो चुनाव अभियान कार्यालय के रूप में और न ही निर्वाचन प्रचार के प्रयोजनार्थ कोई सार्वजनिक सभा आयोजित करने के लिए करेगा और न ही ऐसा करने की अनुमति दी जाएगी;
    3. सत्तासीन दल की संभावनाओं को बढ़ावा देने की दृष्टि से निर्वाचन अवधि के दौरान समाचार पत्रों और अन्य संचार माध्यमों मे सार्वजनिक राजकोष की लागत से विज्ञापन जारी करने और राजनीतिक खबरों और प्रचार-प्रसार को पक्षपातपूर्ण कवरेज के लिए आधिकारिक जन संचार माध्यमों के दुरुपयोग से ईमानदारी से परहेज करना चाहिए।
    4. मंत्री और अन्य प्राधिकारी आयोग द्वारा निर्वाचनों की घोषणा के समय से विवेकाधीन निधियों से अनुदान/भुगतान मंजूर  नहीं करेंगे; और
    5. आयोग द्वारा निर्वाचनों की घोषणा के समय से, मंत्री और अन्य प्रधिकारी -

     

    (क) किसी भी रूप में कोई भी वित्तीय अनुदान या उसे दिए जाने के वादे की घोषणा नहीं करेंगे; या

    (ख) (लोक सेवकों के सिवाय) किसी भी प्रकार की परियोजनाओं या योजनाओं का शिलान्यास इत्यादि नहीं करेंगे; या

    (ग)   सड़क निर्माण, पेय जल सुविधाओं की व्यवस्था इत्यादि का कोई वादा नहीं करेंगे; या      

    (घ)   सरकारी, लोक उपक्रमों इत्यादि में कोई भी ऐसी तदर्थ नियुक्तियां नहीं करेंगे जिसका मतदाताओं को सत्ताधारी दल के पक्ष में प्रभावित करने का असर पड़ता हो।

     

    नोट : आयोग किसी भी निर्वाचन की तारीख घोषित करेगा, वह तारीख होगी जो सामान्यतया  उस तारीख से तीन सप्ताह से अधिक पहले नहीं होगी जब ऐसे निर्वाचनों के संबंध में अधिसूचना जारी किए जाने की संभावना हो।

     

    1. केन्द्र या राज्य सरकार के मंत्री, अभ्यर्थी या मतदाता या प्राधिकृत अभिकर्ता के रूप में अपनी हैसियत के सिवाय किसी मतदान केन्द्र या मतगणना स्थल में प्रवेश नहीं करेंगे।

     

    VIII. निर्वाचन घोषणा पत्र पर दिशानिर्देश

    1. उच्‍चतम न्‍यायालय ने वर्ष 2008 की एसएलपी (सी) सं. 21455 (एस. सुब्रमणियम बालाजी बनाम तमिलनाडु सरकार एवं अन्य) में अपने निर्णय दिनांक 5 जुलाई 2013 में निर्वाचन आयोग को निर्देश दिया है कि यह सभी मान्यता प्राप्त राजनैतिक दलों से परामर्श करके चुनावी घोषणा पत्रों की विषयवस्तु के संबंध में दिशानिर्देश तैयार करे। वे मार्गदर्शी सिद्धांत जिनसे ऐसे दिशानिर्देशों को तैयार किए जाने का मार्ग प्रशस्त होगा, उक्त निर्णय से नीचे उद्घृत किए गए है: -

     

    (i) "हालांकि, कानून स्पष्ट है कि चुनावी घोषणा पत्र लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 123 के अंतर्गत 'भ्रष्ट आचरण' नहीं माने जा सकते, फिर भी, इस वास्तविकता से इनकार नहीं किया जा सकता कि किसी भी रूप में मुफ्त वस्तुओं आदि के वितरण से, नि:संदेह सभी लोग प्रभावित होते हैं। यह काफी हद तक स्वतंत्र एवं निष्पक्ष निर्वाचनों की बुनियाद को अस्त-व्यस्त कर देता है।"

     

    (ii) "चुनावों में चुनाव लड़ने वाले दलों और अभ्यर्थियों को एक समान अवसर उपलब्ध कराए जाने का सुनिश्चय करने के लिए और यह देखने के लिए कि भी निर्वाचन प्रक्रिया की शुचिता दूषित न हो जाए, निर्वाचन आयोग पहले भी आदर्श आचार संहिता के अधीन अनुदेश जारी करता रहा है। शक्तियों का वह स्रोत जिसके अधीन आयोग ये आदेश जारी करता है, वह संविधान का अनुच्छेद 324 है जो आयोग को स्वतंत्र और निष्पक्ष निर्वाचन आयोजित करने का अधिदेश देता है।"

     

    (iii) "हम इस तथ्य के प्रति सचेत हैं कि सामान्यतया राजनीतिक दल निर्वाचन की तारीख की घोषणा से पहले अपना निर्वाचन घोषणा पत्र जारी कर देते हैं, उस स्थिति में, साफ-साफ शब्दों में कहा जाए तो निर्वाचन आयोग के पास ऐसे किसी कृत्य को विनियमित करने का प्राधिकार नहीं होगा जो निर्वाचन की तारीख की घोषणा से पूर्व की गई हो। तो भी, इस संबंध में अपवादस्वरुप कार्य किया जा सकता है क्योंकि चुनावी घोषणा पत्र का प्रयोजन निर्वाचन प्रक्रिया से प्रत्यक्ष रूप से जुड़ा है।"

     

    1. माननीय उच्‍चतम न्‍यायालय का उपर्युक्त निर्देश मिलने पर, निर्वाचन आयोग ने इस मामले में मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय और राज्यीय राजनीतिक दलों से परामर्श करने के लिए उनके साथ बैठक की और इस मामले में उनके परस्‍पर विरोधी अभिमत को नोट किया।

     

    परामर्श के दौरान,  जबकि कुछ राजनीतिक दल  ऐसे दिशानिर्देश  जारी किए जाने के समर्थन में थे, वही दूसरे दलों की राय यह थी कि एक स्वस्थ लोकतांत्रिक राज-व्यवस्था में घोषणा पत्रों में ऐसे ऑफर देना और वादे करना मतदाताओं के प्रति उनका अधिकार और कर्तव्य है। जबकि आयोग इस दृष्टिकोण से सिद्धांतत: सहमत है कि घोषणा पत्र तैयार करना राजनीतिक दलों का अधिकार है, फिर भी यह स्वतंत्र और निष्पक्ष निर्वाचनों के संचालन और सभी राजनीतिक दलों और अभ्यर्थियों के लिए एक समान अवसर उपलब्ध कराने पर कुछ वादों और ऑफरों के अवांछनीय प्रभाव की उपेक्षा नहीं कर सकता है।

     

    1. संविधान का अनुच्छेद 324 निर्वाचन आयोग को इस बात के लिए अधिदेशित करता है कि यह अन्य निर्वाचनों के साथ-साथ संसद और राज्य विधान मंडलों के  निर्वाचनों का संचालन करे। उच्‍चतम न्‍यायालय के उपर्युक्त निर्देशों पर समुचित ध्‍यान रखकर और राजनीतिक दलों के साथ परामर्श करने के बाद, आयोग स्वतंत्र और निष्पक्ष निर्वाचनों के हित में, एतद्द्वारा निर्देश देता है कि राजनीतिक दल और अभ्यर्थी संसद या राज्य विधान मंडलों के किसी भी निर्वाचन के लिए निर्वाचन घोषणा पत्र जारी करते समय निम्नलिखित दिशानिर्देशों का पालन करेंगे -

     

    (i) निर्वाचन घोषणा पत्र में संविधान में प्रतिष्ठापित आदर्शों और सिद्धांतों के प्रतिकुल कुछ भी अंतर्विष्ट नहीं होगा और यह भी कि यह आदर्श आचार संहिता के अन्य उपबंधों की मूल भावना के साथ सुसंगत होगा।

     

    (ii) संविधान में प्रतिष्ठापित राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांत राज्य को इस बात का निर्देश देते हैं कि वह नागरिकों के लिए विभिन्न प्रकार के कल्याणकारी उपाय करे और इसलिए, निर्वाचन घोषणा पत्रों में ऐसे कल्याणकारी उपायों के वादे के प्रति कोई आपत्ति नहीं हो सकती है। हालांकि, राजनीतिक दलों को वैसे वादे करने से परहेज करना चाहिए जिनसे निर्वाचन प्रक्रिया की शुचिता दूषित होने की संभावना हो और न ही अपने मताधिकार का प्रयोग करने में मतदाताओं पर अनुचित प्रभाव डालना चाहिए।

     

    (iii) पारदर्शिता, सभी को एकसमान अवसर उपलब्ध कराने के सिद्धांत और वादों की विश्वसनीयता के हित में, यह अपेक्षा की जाती है कि घोषणा पत्र वादों के तर्काधार को भी प्रतिबिंबित करे और मोटे तौर पर उसके लिए वित्तीय जरूरतों को पूरी करने के अर्थोपायों को इंगित करे। केवल उन्हीं वादों पर मतदाताओं का भरोसा मांगा जाना चाहिए जिन्हें पूरा किया जाना संभव हो।

     

    1. निर्वाचन(नों) के दौरान घोषणा पत्र जारी करने की निषेधात्मक अवधि

     

    (i)    एकल चरण निर्वाचन की दशा में, लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 126 के अंतर्गत यथा-विहित निषेधात्मक अवधि के दौरान घोषणा पत्र  जारी नहीं किया जाएगा।

     

    (ii)   बहु-चरणीय निर्वाचनों की दशा में, लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 126 के अंतर्गत उन निर्वाचनों के सभी चरणों की यथा-विहित निषेधात्मक अवधियों के दौरान घोषणा पत्र जारी  नहीं किया जाएगा।

     

     

ईसीआई मुख्य वेबसाइट


eci-logo.pngभारत निर्वाचन आयोग एक स्‍वायत्‍त संवैधानिक प्राधिकरण है जो भारत में निर्वाचन प्रक्रियाओं के संचालन के लिए उत्‍तरदायी है। यह निकाय भारत में लोक सभा, राज्‍य सभा, राज्‍य विधान सभाओं और देश में राष्‍ट्रपति एवं उप-राष्‍ट्रपति के पदों के लिए निर्वाचनों का संचालन करता है। निर्वाचन आयोग संविधान के अनुच्‍छेद 324 और बाद में अधिनियमित लोक प्रतिनिधित्‍व अधिनियम के प्राधिकार के तहत कार्य करता है। 

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