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3 एवं 4 जुलाई, 2018 को, निर्वाचन आयोग ने 'द ललित', नई दिल्ली में 'सुगम निर्वाचन' विषय पर एक राष्ट्रीय वार्ता आयोजित की जिसमें सभी 36 मुख्य निर्वाचन अधिकारी और दिव्यांगता के क्षेत्र में कार्यरत सिविल सोसाइटी संगठनों के प्रतिनिधियों ने निर्वाचनों को दिव्यांगजनों के लिए पूरी तरह सुलभ और सुगम बनाने के तरीकों पर विचार-विमर्श किया।
दो-दिवसीय वार्ता में राष्ट्रीय राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों और जाने-माने मीडिया संगठनों के अलावा मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी भाग लिया।
राष्ट्रीय परामर्श से पहले हितधारकों के साथ देश भर के जिलों और राज्यों में अनेक वार्ताएं आयोजित की गई थीं, ताकि मौजूदा बाधाओं और चुनौतियों की पहचान करने, इस विषय पर आयोग द्वारा दिए गए दिशा-निर्देशों के कार्यान्वयन का आकलन किया जा सके, अच्छी पद्धतियों (नवाचारों तथा तकनीकी सहायता सहित) को सुदृढ़ किया जा सके और लाभ उठाया जा सके तथा हितधारकों के साथ आगे बातचीत की जा सके। राज्यों से प्राप्त परामर्श रिपोर्टों को कंसलटेशन रीडर में रिकार्ड किया गया था और उनका राष्ट्रीय वार्ता में सावधानीपूर्वक मूल्यांकन तथा विश्लेषण किया गया था।
राष्ट्रीय वार्ता की सिफारिशें 'सुगम निर्वाचन' पर नीतिगत दस्तावेज और आगामी निर्वाचनों के लिए कार्य-योजना का मार्ग प्रशस्त करेंगी।
पृष्ठभूमि
दिव्यांगजनों के लिए निर्वाचन को सुलभ बनाने के लिए पिछले वर्षों में अनेक प्रयास किए गए हैं। आयोग द्वारा निर्वाचन प्रक्रिया के हर चरण में दिव्यांगजनों की सुविधा के लिए एक सुव्यवस्थित दिशा-निर्देश दिया गया है। अनेक राज्यों और संघ शासित क्षेत्रों ने आगामी बाधाओं को दूर करने तथा दिव्यांगजनों के लिए सुलभ एवं हितैषी वातावरण बनाने के लिए शानदार कार्य किए हैं। 'निर्वाचन प्रक्रियाओं में दिव्यांगजनों (पीडब्ल्यूडी) का समावेशन' विषय पर एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन जनवरी, 2018 में आयोजित किया गया, जिसने अंतरराष्ट्रीय अनुभव को समेकित करने तथा उससे लाभ प्राप्त करने में सहायता की। इससे पहले, दिव्यांगजनों को शामिल किए जाने के समर्थन में आयोग के निर्णय को दिनांक 12 मार्च, 2016 तथा 7 सितम्बर, 2016 के आधिकारिक निर्देशों के माध्यम से भी अवगत कराया गया है।
कार्यवाही
पहला दिन
'सुगम निर्वाचन' पर राष्ट्रीय वार्ता बड़े उत्साह से प्रारंभ हुई जिसमें 50 से अधिक सिविल सोसाइटी संगठनों तथा राष्ट्रीय राजनीतिक दलों के सदस्यों एवं भारत सरकार के मंत्रालयों के अलावा राज्यों/संघ शासित क्षेत्रों के सभी मुख्य निर्वाचन अधिकारियों ने भाग लिया। दिव्यांगजनों के लिए निर्वाचनों को पूर्ण रूप से समावेशी, सुगम तथा बाधारहित बनाने के लिए भारत निर्वाचन आयोग की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए, मुख्य निर्वाचन आयुक्त श्री ओ.पी. रावत ने उद्घाटन सत्र में कहा -"अंतरराष्ट्रीय, राष्ट्रीय कानूनों एवं संधियों या प्रक्रियाओं के होने के बावजूद निर्वाचन प्रक्रिया के प्रति उदासीनता के कारण दिव्यांगजनों तक पहुंच बनाने में अभी भी काफी कमियां हैं। मैं सभी प्रतिभागियों से आग्रह करता हूँ कि वे प्रभावी उपाय सुझाएं तथा हमें एक ऐसी नीति तैयार करने में मदद करें जो दुनिया के सभी निर्वाचन प्रबंधन निकायों के लिए एक मॉडल ढांचे के रूप में काम कर सके। तकनीशियन मास्टर राम चंद्रन जिन्होंने जयपुर फुट बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, आज दुनिया भर में दिव्यांगजनों को सहायता प्रदान करने के लिए प्रसिद्ध हैं, और उनके जैसे कई चर्चित और अचर्चित हस्तियां भी हैं जो दिव्यांगता के खिलाफ संघर्ष का हिस्सा है।"
इसके अतिरिक्त, निर्वाचन आयुक्त श्री अशोक लवासा ने संपूर्ण निर्वाचकीय प्रक्रिया को सुलभ और सुगम बनाने के लिए लोगों में जागरूकता लाने तथा लोगों में स्वयंसेवा की भावना पर जोर देते हुए, हितधारकों और समाज के साथ सहयोग के महत्व पर प्रकाश डाला। अपने भाषण के अंत में उन्होंने कहा - "हम जितने समझदार होंगे, उतने ही अधिक संवेदनशील हो जाएंगे।"
चर्चा के पहले दिन भी दिव्यांगजनों पर एक विशिष्ट खण्ड एवं अत्याधुनिक सुरक्षा एवं सुगम सुविधाओं के साथ भारत निर्वाचन आयोग के स्वीप (सुव्यवस्थित मतदाता शिक्षा एवं निर्वाचन सहभागिता) प्रभाग के लिए नई सक्रिय वेबसाइट की शुरुआत हुई।
चर्चा का पहला तकनीकी सत्र दिव्यांगजन अधिकारिता विभाग, सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय की प्रस्तुति के साथ प्रारंभ हुआ जिसके बाद कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखण्ड तथा मेघालय के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों एवं माण्डया, कर्नाटक के जिला निर्वाचन अधिकारी द्वारा 'सुगम निर्वाचन' पर सर्वोच्तम पद्धतियों पर प्रस्तुति की गई।
समूहों का विभाजनदोपहर के भोजन के बाद, राष्ट्रीय परामर्श के प्रतिभागियों को दूसरे तकनीकी सत्र में चर्चा के लिए, विशिष्ट दिव्यांगजनों को शामिल करने के लिए पांच समूहों में विभाजित किया गया था।
समूह 1 : दृष्टिहीन एवं न्यून दृष्टि समूह 2 : बधिर और कम सुनना तथा मानसिक रूप से बीमार समूह 3 : मानसिक पक्षाघात, उपचारप्राप्त कुष्ठ रोगी, बौनापन, तेजाब हमले के पीड़ितों, मस्कुलर डिस्ट्रोफी सहित लोकोमोटर विकलांगता समूह 4: बौद्धिक अक्षमता जिसमें आत्म-केंद्रित, सीखने में अक्षम दिव्यांगता शामिल हो समूहों 5 : बधिर-दृष्टिहीनता सहित बहु-दिव्यांगता समूहों ने राज्यों / संघ शासित क्षेत्रों द्वारा प्रस्तुत की गई रिपोर्टों को पढ़ा और दिव्यांगजनों की विशिष्ट बाधाओं और चुनौतियों का आकलन किया, मौजूदा पहलों का अध्ययन किया, भाग लेने वाले सिविल सोसाइटी संगठनों से जानकारी प्राप्त की और विषयगत प्रस्तुतियों हेतु निष्कर्ष तथा सिफारिश की।
दूसरा दिन
चर्चा के दूसरे दिन अंतिम तकनीकी सत्र के तहत तीन पैनल चर्चा हुई, जिसमें प्रत्येक पांच समूहों के प्रतिनिधियों ने प्रस्तुतियां दीं। इन पैनल चर्चाओं का विषय निम्नानुसार था –
विषय 1 : आईटी के प्रयोग सहित सुगम पंजीकरण प्रक्रिया
विषय 2 : ईवीएम/वीवीपीएटी एवं अन्य सुविधा मापदंडों सहित सुगम मतदान केन्द्र
विषय 3 : मतदाता शिक्षा एवं साझेदारी प्रोत्साहित करना।
'सुगम निर्वाचन' पर राष्ट्रीय चर्चा के समापन सत्र के अनुसार माननीय मुख्य निर्वाचन आयुक्त श्री ओ.पी. रावत, और निर्वाचन आयुक्त श्री सुनील अरोड़ा एवं श्री अशोक लवासा जी ने भाग लिया। आयोग ने दिव्यांगजनों की सुविधा के लिए निम्नलिखित उपायों की घोषणा की।
दृष्टि दोष या दृष्टिहीन व्यक्तियों के लिए ब्रेल सहित एपिक (मतदाता फोटो पहचान-पत्र) का मुद्रण, सुलभ संचार जागरूकता सामग्री प्रेरित और शिक्षित करने के लिए एक मोबाइल एप्लीकेशन विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र, जिले एवं राज्य स्तर 5 में दिव्यांग समन्वयकों की नियुक्ति/मतदान अधिकारियों तक पहुंच के लिए चरणबद्ध प्रशिक्षण सहायक मतदान केन्द्र सुगम फोटो मतदाता पर्ची बधिर व्यक्तियों की सुविधा के लिए सभी ऑडियो विजुअल प्रशिक्षण एवं विज्ञापन विषय सूची सामग्री में साइन लेंग्वेज विंडो दिव्यांगजनों एवं उनके सहायकों के लिए मुफ्त परिवहन सुविधा भारतीय अंतरराष्ट्रीय लोकतंत्र एवं निर्वाचन प्रबंधन संस्थान (आईआईआईडीईएम), नई दिल्ली में एक नया सुगम प्रभाग सुगम निर्वाचन सहभागिता के लिए कार्यनीतिक ढांचा
दो दिवसीय वार्ता के दौरान हुए विचार-विमर्श द्वारा "सुगम निर्वाचन के लिए कार्यनीतिक ढांचा" बनाया गया जो आगामी राज्यीय एवं राष्ट्रीय निर्वाचनों में निर्वाचन प्रक्रिया की ओर अधिक कारगर बनाने में मदद करेगा। 'कोई भी मतदाता न छूटे' यह निर्वाचन आयोग के मिशन को आगे बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम होगा। सुगम निर्वाचन पर कार्यनीतिक ढांचे को उनकी सहभागिता बढ़ाने के संदर्भ में दिव्यांगजनों की विशिष्ट आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए शिक्षा एवं प्रशिक्षण समाज के विभिन्न वर्गों की सामुदायिक भागीदारी, संस्थानों के साथ प्रभावी भागीदारी और सुविधाओं के मूल स्रोत और सृजन के माध्यम से जागरूकता पैदा करने के लिए बनाया गया है।.
आप दिए गए निम्नलिखित वेबसाइट लिंक के द्वारा कार्यनीतिक ढांचे तथा इसकी विषय-वस्तु के बारे में और अधिक पढ़ सकते हैं – https://ecisveep.nic.in/news/election-commission-of-india-unveils-strategic-framework-on-accessible-election-r3/
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