403 downloads
सं. 3/4/2021/एसडीआर/खंड.III दिनांकः 26 अगस्त, 2021
सेवा में,
मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय/राज्य राजनैतिक दलों के अध्यक्ष/महासचिव (सूची के अनुसार)
विषयः निर्वाचन लड़ने वाले अभ्यर्थियों और राजनैतिक दलों द्वारा आपराधिक पूर्ववृत्त का प्रकाशन- ब्रजेश सिंह बनाम सुनील अरोड़ा और अन्य शीर्षक वाली, वर्ष 2020 की अवमानना याचिका (सि) सं. 656 में माननीय उच्चतम न्यायालय का आदेश, दिनांक 10.08.2021 – तत्संबंधी।
महोदय,
मुझे उद्धृत विषय का संदर्भ लेने और यह कहने का निर्देश हुआ है कि माननीय उच्चतम न्यायलय ने अपने दिनांक 10.08.2021 के निर्णय के तहत ब्रजेश सिंह बनाम सुनील अरोड़ा और अन्य शीर्षक वाली वर्ष 2020 की अवमानना याचिका (सि) सं. 656 में निम्नलिखित निर्देश दिए हैं:
"73. जनहित फाउंडेशन (ऊपर) में संविधान न्यायपीठ द्वारा जारी निदेशों और हमारे दिनांक 13.02.2020 के आदेश को आगे बढ़ाते हुए, किसी मतदाता के सूचना के अधिकार को अधिक प्रभावी तथा सार्थक बनाने के लिए, हम निम्नलिखित अतिरिक्त निदेश जारी करना आवश्यक समझते हैं:
(i) राजनैतिक दलों को अपनी वेबसाइटों के होमपेज पर अभ्यर्थियों के आपराधिक पूर्ववृत्त के बारे में सूचना प्रकाशित करनी होती है, जिससे मतदाता के लिए वह जानकारी प्राप्त करना सरल हो जाता है जिसकी आपूर्ति की जानी है। अब होमपेज पर एक कैप्शन होना भी जरूरी हो जाएगा, जिसमें "आपराधिक पृष्ठभूमि वाले अभ्यर्थी" लिखा हो।
(ii) भारत निर्वाचन आयोग को एक समर्पित मोबाइल अप्लीक्शन बनाने का निदेश दिया जाता है, जिसमें अभ्यर्थियों द्वारा उनके आपराधिक पूर्ववृत्त के बारे में प्रकाशित जानकारी शामिल हो, ताकि एक ही बार में प्रत्येक मतदाता को उसके मोबाइल फोन पर ऐसी सूचना प्राप्त हो सके;
(iii) भारत निर्वाचन आयोग को प्रत्येक मतदाता को उसके अधिकार के बारे में जानकार बनाने और सभी अभ्यर्थियों के आपराधिक पूर्ववृत्त के संबंध में जानकारी की उपलब्धता के बारे में जागरूक करने के लिए व्यापक जागरूकता अभियान चलाने का निर्देश दिया जाता है। इसे विभिन्न मंचों के माध्यम से किया जाएगा, जिसमें सोशल मीडिया, वेबसाइटें, टीवी विज्ञापन, प्राइम टाइम वाद-विवाद, पैम्फलेट, आदि शामिल होंगे। इस उद्देश्य के लिए 4 सप्ताह की अवधि के भीतर एक निधि का सृजन किया जाना चाहिए, जिसमें न्यायालय की अवमानना करने के लिए जुर्माना देने का निर्देश दिया जाए;
(iv) उपरोक्त उद्देश्यों के लिए, भारत निर्वाचन आयोग को एक अलग (प्रकोष्ठ) बनाने का भी निदेश दिया जाता है जो आवश्यक अनुपालनों की निगरानी भी करेगा ताकि इस न्यायालय को ईसीआई द्वारा इस संबंध में जारी अनुदेशों, पत्रों और परिपत्रों में इस अदालत के आदेशों में निहित निर्देशों के किसी भी राजनैतिक दल द्वारा गैर-अनुपालन के बारे में तुरंत अवगत कराया जा सके;
(v) हम स्पष्ट करते हैं कि हमारे दिनांक 13.02.2020 के आदेश, के पैरा 4.4 में दिए गए निर्देश को संशोधित किया जाए और यह स्पष्ट किया जाता है कि जिन विवरणों को प्रकाशित करने की आवश्यकता है, उन्हें अभ्यर्थी के चयन के 48 घंटों के भीतर प्रकाशित किया जाएगा, न कि नाम-निर्देशन दाखिल करने की पहली तारीख से दो सप्ताह पहले; और
(vi) हम दोहराते हैं कि यदि ऐसा कोई राजनैतिक दल भारत निर्वाचन आयोग के पास इस तरह की अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत करने में विफल रहता है, तो भारत निर्वाचन आयोग राजनैतिक दल द्वारा इस तरह के गैर-अनुपालन को इस अदालत के आदेशों/निर्देशों की अवमानना के रूप में इस अदालत के नोटिस में लाएगा, जिसे भविष्य में गंभीरतापूर्वक लिया जाएगा।"
2. माननीय उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के अनुपालन में भारत निर्वाचन आयोग ने एक निधि का सृजन किया है, जिसमें न्यायालय की अवमानना के लिए जुर्माना जमा किया जा सकता है। जुर्माना पे एंड अकाउंट्स ऑफिसर के नाम में चेक के माध्यम से अथवा पंजाब नेशनल बैंक के रसीद खाता अर्थात खाता नं. 0153002100000180 (अकाउंट का नाम "कलेक्शन एकाउंट इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया") आईएफएससी कोड पीयूएनबी 0015300 में इलेक्ट्रॉनिक मोड के माध्यम से जमा किया जा सकता है। यदि भुगतान इलेक्ट्रॉनिक मोड के माध्यम से किया जाता है तो लेन-देन का विवरण नामतः यूटीआर नं., बैंक का नाम, लेन-देन की तारीख, आदि तुरंत आयोग को सूचित किया जाए।
भविष्य में अनुपालन हेतु उपरोक्त को नोट किया जाए।
भवदीय,
हस्ता./-
(अश्वनी कुमार मोहाल)
सचिव