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    सं. 464/प. बं.-वि. स./2021 दिनांक 16 अप्रैल, 2021 आदेश यतः, आयोग ने चल रहे कोविड-19 महामारी का संज्ञान लेते हुए दिनांक 21.08.2020 को विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए हैं, जिसमें मतदाताओं तथा मतदान अधिकारियों के साथ-साथ, बिहार राज्य में विधानसभा निर्वाचनों के संचालन के दौरान अनुसरण हेतु राजनैतिक अभियान के लिए मतदान केंद्रों की व्यवस्था निर्धारित की है। उन्हीं दिशा-निर्देशों को सभी उप-निर्वाचनों के लिए निर्धारित किया गया था जो वर्ष 2020 में संचालित किए गए थे। यतः, दिनांक 26.02.2021 को असम, पश्चिम बंगाल, केरल, तमिलनाडु राज्यों और पुडुचेरी संघ राज्य क्षेत्र के लिए विधान सभा निर्वाचनों की घोषणा के दौरान उपर्युक्त कोविड दिशा-निर्देशों को दोहराया गया था। यतः, आयोग ने जन सभाओं, रैलियों, आदि के दौरान कोविड के दिशानिर्देशों का उल्लंघन होते पाया और सुरक्षित निर्वाचनों के संचालन के लिए 09.04.2021 को कोविड दिशानिर्देशों को एक बार फिर से दोहराया, जिसमें आयोग ने सख्त चेतावनी भी दी कि उल्लंघन के मामले में आयोग जन सभाओं, रैलियों आदि पर प्रतिबंध लगाने से नहीं हिचकिचाएगा; और यतः, माननीय उच्चतम न्यायालय ने मोहिंदर सिंह गिल और एक अन्य बनाम मुख्य निर्वाचन अधिकारी और अन्य [1978 एआईआर 851] में यह माना कि देश में स्वतंत्र और निष्पक्ष निर्वाचन सभी लोकतांत्रिक संस्थानों का मूल है; और यतः, मोहिंदर सिंह गिल (उपरोक्त) में यह बताया गया है कि अनुच्छेद 324 ऐसे खाली क्षेत्रों में कार्य करने के लिए आयोग के लिए शक्ति का भंडार है जहां अधिनियमित कानून से कोई प्रावधान नहीं बनता या निर्वाचनों के संचालन में आयोग द्वारा सामना करने वाली आकस्मिकताओं से निपटने के लिए अपर्याप्त प्रावधान बनता है; और यतः, माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा मोहिंदर सिंह गिल (उपरोक्त) में यह बताया गया है किः "113....चूंकि निर्वाचन आयोग में अनुच्छेद 324 (1) के तहत विभिन्न विधान सभा निकायों और राष्ट्रपति तथा उपराष्ट्रपति के पदों के लिए सभी निर्वाचनों का संचालन निहित है, संविधान के निर्माताओं ने आयोग द्वारा अवशिष्ट शक्ति के उपयोग के लिए इसके अधिकार में गुंजाइश छोड़ने का ध्यान रखा, जो हमारे (देश) जैसे बड़े लोकतंत्र में समय-समय पर उभरने वाली विभिन्न प्रकार की परिस्थितियों में संविधान के एक भाग के रूप में है। हर आकस्मिकता की पूर्वाभास, या सटीकता के साथ प्रत्याशा नहीं की जा सकती है। यही कारण है कि अनुच्छेद 324 में बचाव की कोई व्यवस्था नहीं है। आयोग को कुछ ऐसी परिस्थितियों से निपटने की आवश्यकता पड़ सकती है जिनके बारे में अधिनियमित कानूनों और नियमों में उल्लेख न हो। ऐसा लगता है कि अनुच्छेद 327 और 328 में ओपनिंग क्लॉज होने का उद्देश्य यही है, जो अनुच्छेद 324 के तहत शक्तियों के प्रयोग करने को क्रियाशील और प्रभावी बनाता है, जब इसका प्रयोग किसी ऐसे क्षेत्र में किया जाता है, जहां स्पष्ट नियम या प्रावधान मौजूद नहीं है..."(जोर दिया गया) यतः, भारत संघ बनाम एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स [(2002) 5 एससीसी 294] में माननीय उच्चतम न्यायालय ने पाया कि आयोग को निर्वाचन के सुचारू संचालन के लिए व्यापक शक्तियां प्रदान की गईं हैं और आयोग के पास अनपेक्षित या अप्रत्याशित परिस्थितियों में आदेश जारी करने की संपूर्ण शक्तियां हैं जो विधान द्वारा कवर नहीं की जाती हैं। यह बताया गया था किः "26. ... अनुच्छेद 324 विधान में उल्लेख न किए गए क्षेत्रों में संचालित होता है और शब्द "अधीक्षण, निदेशन और नियंत्रण" और साथ ही "सभी निर्वाचनों का संचालन" सबसे व्यापक शब्द हैं। कानून के मौन होने का कोई विशेष प्रभाव नहीं है, सिवाय इसके कि यह आवश्यक निहितार्थ से निकलकर आता है। इसलिए, हमारे विचार में, मध्यक्षेपकर्ता (इंटरविनर) की ओर से मुकदमा लड़ने वाले श्री साल्वे, प्रबुद्ध सॉलिसिटर-जनरल और श्री अश्विनी कुमार, प्रबुद्ध वरिष्ठ वकील द्वारा विवाद को स्वीकार करना मुश्किल होगा, कि यदि अधिनियम या नियमों में कोई प्रावधान नहीं है, तो उच्च अदालत को निर्वाचन आयोग को इस तरह के निर्देश जारी नहीं करने चाहिए। यह तय हो गया है कि आयोग की शक्ति उसके प्रयोग करने में परिपूर्ण तरीके का है। वैधानिक प्रावधानों या नियमों में, यह ज्ञात है कि प्रत्येक आकस्मिकता का ठीक-ठीक पूर्वाभास या अनुमान नहीं लगाया जा सकता है, इसलिए, आयोग आवश्यक आदेश जारी करके ऐसी स्थिति का सामना कर सकता है जहां कोई स्पष्ट नियम या प्रावधान नहीं है... 46. .... निर्वाचन आयोग का अधिकार क्षेत्र निर्वाचनों के सुचारू संचालन के लिए आवश्यक सभी शक्तियों को शामिल करने के लिए पर्याप्त है और "निर्वाचनों" शब्द का उपयोग व्यापक रूप से निर्वाचन की पूरी प्रक्रिया को शामिल करने के लिए किया जाता है जिसमें कई चरण होते हैं और कई कदम उठाए जाते हैं। (जोर दिया गया) यतः, ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुन्नेत्र कज़गम और अन्य बनाम मुख्य निर्वाचन आयुक्त और अन्य [2001 का डब्ल्यू पी 3346] में माननीय मद्रास उच्च न्यायालय ने निम्नलिखित टिप्पणियां की हैं: "44. संयोग से, जैसा कि पहले ही देखा गया है कि अनुच्छेद 324 सर्वोपरि है और संविधान में किसी प्रावधान के अध्यधीन नहीं है और वास्तव में अनुच्छेद 326 और 327 अनुच्छेद 324 के अध्यधीन हैं। संविधान के निर्माताओं ने आयोग द्वारा अपने अधिकार में अवशिष्ट शक्ति के प्रयोग की गुंजाइश छोड़ने का ध्यान रखा और निर्वाचन का संचालन करना, यह निर्वाचन आयोग के अधिकार-क्षेत्र में है तथा यह सरकार पर है कि वह अपनी नीति को स्पष्ट करे और निर्णय आयोग (ईसी) द्वारा लागू किया जाना है, जिसका विवरण अधिनियमित कानून में प्रदान नहीं किया जा सकता है और इसके बाद स्थिति का सामना करने के लिए यह कुछ समय लेने के लिए यह बाध्य है। यतः, आयोग द्वारा जारी पूर्वोक्त दिशा-निर्देश गृह मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा समय-समय पर निर्धारित दिशा-निर्देशों और केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 के तहत कोविड-19 को फैलने से रोकने के लिए जारी किए गए आदेश के पूरक हैं; और यतः, आयोग को संसद और राज्य विधान सभाओं तथा भारत के राष्ट्रपति एवं उप-राष्ट्रपति के पदों के लिए स्वतंत्र एवं निष्पक्ष निर्वाचनों के संचालन का उत्तरदायित्व दिया गया है; और यतः, यह एक सुव्यवस्थित कानून है कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 324 में "अधीक्षण, निदेशन और नियंत्रण ... और प्रत्येक राज्य के विधान सभा के लिए सभी निर्वाचनों के संचालन ... के मामले में आयोग को सर्वव्यापक संभव शक्ति प्रदान की गई है...”; और यतः, आयोग ने निर्वाचकीय सभाओं और अभियानों की कई घटनाओं को नोट किया है जिसमें सामाजिक दूरी, मास्क पहनना आदि के मानकों संबंधी आयोग के पूर्वोक्त दिशा-निर्देशों की स्पष्ट अवहेलना की गई है; और यतः, आयोग ने स्टार प्रचारकों/राजनैतिक नेताओं/ अभ्यर्थियों द्वारा बार-बार किए जा रहे उल्लंघनों को गंभीरता से लिया है, जिन्हें कोविड-19 के खिलाफ अभियान के लिए टॉर्च बीयरर होना चाहिए, वही कोविड-19 प्रोटोकॉल का गंभीर उल्लंघन कर रहे हैं, जिससे स्वयं के साथ-साथ जनता में भी संक्रमण का खतरा बढ़ता है; और यतः, अभूतपूर्व जन स्वास्थ्य चिंताओं के मद्देनजर, आयोग का यह सुविचारित मत है कि पश्चिम बंगाल राज्य में निर्वाचन के शेष चरणों (चरण 6, चरण 7 और चरण ? के लिए अभियान की अवधि को बड़े जनहित में कम करने की आवश्यकता है; और अब, इसलिए, आयोग उपर्युक्त को देखते हुए, अनुच्छेद 324 के तहत अपनी पूर्ण शक्तियों का आह्वान करते हुए, एतद्दावारा निम्नलिखित आदेश देता है: 1. 16.04.2021 की अपराह्न 7 बजे से प्रारंभ अभियान के दिनों के किसी भी दिन के दौरान अपराह्न 7 बजे से पूर्वाह्न 10 बजे के बीच किसी भी रैली, जनसभाओं, नुक्कड़ नाटकों, नुक्कड़ सभाओं को अनुमति नहीं दी जाएगी। 2. पश्चिम बंगाल राज्य में अभियान के उद्देश्य के लिए रैलियों, जन सभाओं, स्ट्रीट प्लेज़, नुक्कड़ सभाओं, बाइक रैलियों या किसी भी सभा की साइलेंस अवधि को चरण 6, चरण 7 और चरण 8 के लिए मतदान समाप्त होने से 72 घंटे पूर्व तक बढ़ाया जाएगा। अतः, इन चरणों के लिए अभियान क्रमशः दिनांक 19.04.2021; 23.04.2021; और 26.04.2021 को अपराह्न 6.30 बजे समाप्त हो जाएगा।
  2. 1,304 downloads

    Section 126 of the RP Act, 1951 prohibits election campaign activities through public meetings, processions, etc, and displaying of election matter by means of television and similar apparatus. The purpose sought to be served by this prohibition is to provide a period of tranquil (silence period) for the electors before the voting day.
  3. 870 downloads

    Section 126 of the RP Act, 1951 to prohibits election campaign activities through public meetings, processions, etc, and displaying of election matter by means of television and similar apparatus. The purpose sought to be served by this prohibition is to provide a period of tranquil (silence period) for the electors before the voting day.
  4. 408 downloads

    Model Code of conduct for the Guidance of Political Parties and Candidates – Maintenance of high standards of election campaign - regarding (Bilingual)
  5. 321 downloads

    Donations etc., received by candidates from any person entity or political party for the purpose of election campaign during election-Regarding (Bilingual)
  6. 226 downloads

    EC Advisory to Political Parties regarding use of photos of Defence personnel/ Defence functions in election campaign.

ईसीआई मुख्य वेबसाइट


eci-logo.pngभारत निर्वाचन आयोग एक स्‍वायत्‍त संवैधानिक प्राधिकरण है जो भारत में निर्वाचन प्रक्रियाओं के संचालन के लिए उत्‍तरदायी है। यह निकाय भारत में लोक सभा, राज्‍य सभा, राज्‍य विधान सभाओं और देश में राष्‍ट्रपति एवं उप-राष्‍ट्रपति के पदों के लिए निर्वाचनों का संचालन करता है। निर्वाचन आयोग संविधान के अनुच्‍छेद 324 और बाद में अधिनियमित लोक प्रतिनिधित्‍व अधिनियम के प्राधिकार के तहत कार्य करता है। 

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