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  1. राजनैतिक दलों और अभ्‍यर्थियों के मार्गदर्शन के लिए आदर्श आचार संहिता प्रश्‍न 1: आदर्श आचार संहिता क्‍या है ? उत्तर: आदर्श आचार संहिता राजनैतिक दलों और अभ्‍यर्थियों के मार्गदर्शन के लिए निर्धारित किए गए मानकों का एक ऐसा समूह है जिसे राजनैतिक दलों की सहमति से तैयार किया गया है और उन्‍होंने उक्‍त संहिता में सन्निहित सिद्धांतों का पालन करने और साथ ही उनकों मानने और उसका अक्षरश: अनुपालन करने के लिए सभी ने सहमति दी है। प्रश्‍न 2: इस मामले में निर्वाचन आयोग की क्‍या भूमिका है ? उत्तर : भारत निर्वाचन आयोग, भारत के संविधान के अनुच्‍छेद 324 के अधीन संसद और राज्‍य विधान मंडलों के लिए स्‍वतंत्र, निष्‍पक्ष और शांतिपूर्ण निर्वाचनों के आयोजन हेतु अपने सांविधिक कर्तव्‍यों के निर्वहन में केन्‍द्र तथा राज्‍यों में सत्तारूढ़ दल (दलों) और निर्वाचन लड़ने वाले अभ्‍यर्थियों द्वारा इसका अनुपालन सुनिश्चित करता है। यह भी सुनिश्चित किया जाता है कि निर्वाचन के प्रयोजनार्थ अधिकारी तंत्र का दुरूपयोग न हो। इसके अतिरिक्‍त यह भी सुनिश्चित किया जाता है कि निर्वाचन अपराध, कदाचार और भ्रष्‍ट आचरण यथा प्रतिरूपण, रिश्‍वतखोरी और मतदाताओं को प्रलोभन, मतदाताओं को धमकाना और भयभीत करना जैसी गतिविधियों को हर प्रकार से रोका जा सके। उल्‍लंघन के मामले मे उचित उपाय किए जाते हैं। प्रश्‍न 3: किस तारीख से आदर्श आचार संहिता लागू की जाती है और यह किस तारीख तक प्रवृत्त रहती है ? उत्तर : आदर्श आचार संहिता को भारत निर्वाचन आयोग द्वारा निर्वाचन अनुसूची की घोषणा की तारीख से लागू किया जाता है और यह निर्वाचन प्रक्रिया के पूर्ण होने तक प्रवृत्त रहती है। प्रश्‍न 4: साधारण निर्वाचनों और उप-निर्वाचनों के दौरान संहिता की क्‍या प्रयोजनीयता है ? उत्तर: लोक सभा के साधारण निर्वाचनों के दौरान यह संहिता सम्‍पूर्ण देश में लागू होती है। विधान सभा के साधारण निर्वाचनों के दौरान यह संहिता संपूर्ण राज्‍य में लागू होती है। उप निर्वाचनों के दौरान, यदि वह निर्वाचन क्षेत्र राज्‍य राजधानी/महानगर शहरों/ नगर-निगमों में शामिल है तो यह संहिता केवल संबंधित निर्वाचन क्षेत्र में ही लागू होगी। अन्‍य सभी मामलों में आदर्श आचार संहिता उप निर्वाचन (नों) वाले निर्वाचन क्षेत्रों के अन्‍तर्गत आने वाले संपूर्ण जिले (लों) में लागू होगी। प्रश्‍न 5: आदर्श आचार संहिता की मुख्‍य विशेषताएं क्‍या हैं ? उत्तर : आदर्श आचार संहिता की मुख्‍य विशेषताएं निर्धारित करती हैं कि राजनीतिक दलों, निर्वाचन लड़ने वाले अभ्‍यथियों और सत्ताधारी दल (लों) को निर्वाचन प्रक्रिया के दौरान कैसा व्‍यवहार करना चाहिए अर्थात् निर्वाचन प्रक्रिया, बैठकें आयोजित करने, शोभायात्राओं, मतदान दिवस गतिविधियों तथा सत्ताधारी दल के कामकाज इत्‍यादि के दौरान उनका सामान्‍य आचरण कैसा होगा। सरकारी तंत्र पर प्रश्‍न 6: क्‍या मंत्री अपने आधिकारिक दौरे को निर्वाचन प्रचार के साथ मिला सकते हैं ? उत्तर : नहीं। मंत्री अपने आधिकारिक दौरे को निर्वाचन प्रचार संबंधी कार्यों के साथ नहीं मिलाएंगे और न ही निर्वाचन प्रचार संबंधी कार्यों के दौरान सरकारी तंत्र या कार्मिकों का प्रयोग करेंगे तथापि, आयोग ने निर्वाचन प्रचार दौरे के साथ आधिकारिक दौरे को मिलाने संबंधी आदर्श आचार संहिता के प्रावधान से प्रधानमंत्री को छूट दी हुई है। प्रश्‍न 7: क्‍या सरकारी वाहन को निर्वाचन प्रचार संबंधी कार्यों के लिए प्रयोग किया जा सकता है ? उत्तर : विमान, वाहनों इत्‍यादि सहित कोई भी सरकारी वाहन किसी दल या अभ्‍यर्थी के हितों को लाभ पहुंचाने के लिए प्रयोग नहीं किया जाएगा। प्रश्‍न 8: क्‍या सरकार निर्वाचन कार्य से संबंधित पदाधिकारियों का स्‍थानांतरण और तैनाती कर सकती है ? उत्तर : निर्वाचन के आयोजन से प्रत्‍यक्ष या अप्रत्‍यक्ष रूप से जुड़े हुए सभी अधिकारियों/पदाधिकारियों के स्‍थानांतरण और तैनाती पर संपूर्ण प्रतिबंध होगा। यदि किसी अधिकारी का स्‍थानांतरण या तैनाती आवश्‍यक मानी जाती है तो आयोग की पूर्व-अनुमति ली जाएगी। प्रश्‍न 9: यदि निर्वाचन कार्य से संबंधित किसी अधिकारी का आदर्श आचार संहिता लागू होने से पहले सरकार द्वारा स्‍थानांतरण कर दिया जाता है और उसने नए स्‍थान पर कार्यभार ग्रहण नहीं किया है तो क्‍या ऐसा अधिकारी आचार संहिता की घोषणा के बाद नए स्‍थान पर कार्यभार ग्रहण कर सकता है ? उत्तर : नहीं। यथापूर्णस्थिति बनाए रखी जाएगी। प्रश्‍न 10 : क्‍या कोई केन्‍द्रीय मंत्री या राज्‍य सरकार का मंत्री निर्वाचनों की अवधि के दौरान किसी आधिकारिक चर्चा के लिए किसी राज्‍य या निर्वाचन क्षेत्र के निर्वाचन संबंधी अधिकारी को बुला सकता है ? उत्तर : नहीं। कोई भी केन्‍द्रीय या राज्‍य सरकार का मंत्री कहीं भी किसी आधिकारिक चर्चा हेतु राज्‍य या निर्वाचन क्षेत्र के किसी निर्वाचन संबंधी अधिकारी को नहीं बुला सकता है। इसका एकमात्र अपवाद तभी होगा जब कोई मंत्री संबंधित विभाग के प्रभारी होने के नाते या कोई मुख्‍यमंत्री कानून एवं व्‍यवस्‍था के असफल हो जाने या प्राकृतिक आपदा या किसी आपातकाल में ऐसे किसी निर्वाचन क्षेत्र का आधिकारिक दौरा करते हैं जिसमें अधीक्षण, मदद, राहत और इसी प्रकार के विशेष प्रयोजनार्थ ऐसे मंत्री/मुख्‍यमंत्री की व्‍यक्तिगत उपस्थिति अपेक्षित होती है। यदि कोई केन्‍द्रीय मंत्री पूर्णत: आधिकारिक कार्य से दिल्‍ली से बाहर दौरा कर रहे हैं, जिसे लोकहित मे टाला नहीं जा सकता है तो उस मंत्रालय/ विभाग के संबंधित सचिव से इस आशय को प्रमाणित करने वाला एक पत्र संबंधित राज्‍य के मुख्‍य सचिव को भेजने के साथ उसकी एक प्रति निर्वाचन आयोग को भेजी जाएगी। प्रश्‍न 11: क्‍या कोई पदाधिकारी मंत्री से उनके निजी दौरे के दौरान उस निर्वाचन क्षेत्र में मिल सकते हैं जहां निर्वाचन हो रहे हैं। उत्तर : कोई पदाधिकारी जो मंत्री से निर्वाचन क्षेत्र में उनके निजी दौरे के दौरान मिलते हैं, संगत सेवा नियमों के अधीन कदाचार के दोषी होंगे और यदि वह लोक प्रतिनिधित्‍व अधिनियम, 1951 की धारा 129(1) में उल्लिखित पदाधिकारी हैं तो उन्‍हें उस धारा के सांविधिक उपबंधों का उल्‍लंघन करने का अतिरिक्‍त दोषी माना जाएगा और वे उसके अधीन उपबंधित दांडिक कार्रवाई के भागी होंगे। प्रश्‍न 12: क्‍या निर्वाचनों के दौरान मंत्री आधिकारिक वाहन के हकदार होंगे ? उत्तर : मंत्रियों को अपना आधिकारिक वाहन केवल अपने आधिकारिक निवास से अपने कार्यालय तक शासकीय कार्यों के लिए ही मिलेगा बशर्ते इस प्रकार के सफर को किसी निर्वाचन प्रचार कार्य या राजनीतिक गतिविधि से न जोड़ा जाए। प्रश्‍न 13: क्‍या मंत्री या कोई अन्‍य राजनीतिक कार्यकर्ता सायरन सहित बीकन प्रकाश वाली पायलट कार का प्रयोग कर सकते हैं ? उत्तर : मंत्री या किसी अन्‍य राजनीतिक कार्यकर्ता को निर्वाचन अवधि के दौरान निजी या आधिकारिक दौरे पर किसी पायलट कार या किसी रंग की बीकन लाइट अथवा किसी भी प्रकार के सायरन सहित कार का प्रयोग करने की अनुमति नहीं होगी भले ही राज्‍य प्रशासन ने उसे सुरक्षा कवर दिया हो जिसमें ऐसे दौरों पर उसके साथ सशस्‍त्र अंगरक्षकों के उपस्थित रहने की आवश्‍यकता हो। यह निषेध सरकारी व निजी स्‍वामित्‍व वाले दोनों प्रकार के वाहनों पर लागू होगा। प्रश्‍न 14: यदि राज्‍य द्वारा मंत्री को वाहन उपलब्‍ध करवाया गया है और ऐसे वाहन के रख-रखाव के लिए मंत्री को भत्ता दिया गया है तो क्‍या मंत्री द्वारा इसे निर्वाचन के प्रयोजनार्थ इस्‍तेमाल किया जा सकता है ? उत्तर : जहां मंत्री को राज्‍य द्वारा वाहन उपलब्‍ध करवाया जाता है या वाहन के रख-रखाव हेतु मंत्री को भत्ता दिया जाता है तो मंत्री निर्वाचनों के लिए ऐसे वाहनों का इस्‍तेमाल नहीं कर सकता है। प्रश्‍न 15: क्‍या अनुसूचित जाति राष्‍ट्रीय आयोग या इसी प्रकार के किसी अन्‍य राष्‍ट्रीय/राज्‍य आयोग के सदस्‍यों की विज़ि‍ट पर कोई प्रतिबंध है ? उत्तर : यह सलाह दी जाती है कि जब तक किसी आकस्मिक स्थिति में ऐसी विजिट अपरिहार्य न हो तो ऐसे आयोगों के सदस्‍यों के आधिकारिक दौरे निर्वाचन प्रक्रिया के पूर्ण होने तक आस्‍थगित रखे जाएंगे ताकि किसी स्‍थान पर इस वजह से होने वाले भ्रम से बचा जा सके। प्रश्‍न 16: क्‍या कोई मुख्‍य मंत्री/ मंत्री/स्‍पीकर राज्‍य के 'राज्‍य दिवस' समारोह में भाग ले सकते हैं ? उत्तर : इसमें कोई आपत्ति नहीं है बशर्तो वह इस अवसर पर कोई राजनीतिक भाषण न दें और उस समारोह में केवल सरकारी पदाधिकारी ही उपस्थित हों। मुख्‍यमंत्री/मंत्री/स्‍पीकर के फोटो वाल कोई भी विज्ञापन जारी नहीं किया जाएगा। प्रश्‍न 17: क्‍या राज्‍यपाल/मुख्‍यमंत्री/मंत्री किसी विश्‍वविद्यालय या संस्‍थान के दीक्षांत-समारोह में भाग ले सकते हैं और इसे संबोधित कर सकते है? उत्तर : राज्‍यपाल दीक्षांत समारोह में भाग ले सकतें है और उसे संबोधित भी कर सकते हैं। मुख्‍यमंत्री या मंत्री को सलाह दी जाती है कि वे ऐसे किसी दीक्षांत समारोह में भाग न लें और न ही उसे संबोधित करें। प्रश्‍न 18: क्‍या राजनीतिक कार्यकर्ताओं के निवास स्‍थान पर "इफ्तार पार्टी" या ऐसी ही कोई अन्‍य पार्टी आयोजित की जा सकती है जिसका खर्चा सरकारी कोष से किया जाएगा। उत्तर : नहीं। तथापि, कोई भी व्‍यक्ति अपनी निजी क्षमता और अपने निजी निवास स्‍थान पर ऐसी पार्टी का आयोजन करने के लिए स्‍वतंत्र है। कल्‍याणकारी योजनाएं, सरकारी निर्माण कार्य इत्‍यादि पर प्रश्‍न 19: क्‍या सत्ताधारी पार्टी की संभावनाओं को बढ़ावा देने के लिए उपलब्धियों के संबंध में सरकारी कोष की लागत पर विज्ञापन जारी करने पर कोई प्रतिबंध है ? उत्तर : हाँ। निर्वाचन अवधि के दौरान प्रिंट और इलेक्‍ट्रॉनिक मीडिया में सरकारी कोष की लागत पर पार्टी की उपलब्धियों के संबंध में विज्ञापन और सरकारी जन-सम्‍पर्क मीडिया के दुरूपयोग पर निषेध है। प्रश्‍न 20: क्‍या केन्‍द्र में सत्ताधारी पार्टी/राज्‍य सरकार की उपब्धियों को प्रदर्शित करने वाले होर्डिंग/विज्ञापनों को राजकोष की लागत पर जारी रखा जा सकता है? उत्तर : नहीं। प्रदार्शित किए गए इस प्रकार के सभी होर्डिंग, विज्ञापन इत्‍यादि संबंधित प्राधिकारियों द्वारा तुरन्‍त हटा दिए जाएंगे। इसके अतिरिक्‍त, अखबारों और इलेक्‍ट्रॉनिक मीडिया सहित अन्‍य मीडिया पर सरकारी राजकोष के खर्चें पर कोई विज्ञापन जारी नहीं किया जाएगा। प्रश्‍न 21: क्‍या कोई मंत्री या कोई अन्‍य प्राधिकारी अपने विवेकानुसार कोई अनुदान/भुगतान कर सकता है ? उत्तर : नहीं। मंत्री या अन्‍य प्राधिकारी निर्वाचनों की घोषणा होने के समय से विवेकाधीन कोष से कोई अनुदान/भुगतान नहीं कर सकते हैं। प्रश्‍न 22: मान लीजिए किसी योजना या कार्यक्रम के संबंध में कार्य आदेश जारी किया गया है। क्‍या इसे निर्वाचन के बाद शुरू किया जा सकता है ? उत्तर : निर्वाचनों की घोषणा से पूर्व जारी कार्य आदेश के संबंध में यदि क्षेत्र में वास्‍तविक रूप से कार्य शुरू नहीं किया गया है तो उसे शुरू नहीं किया जाएगा। परंतु यदि काम वास्‍तव में शुरू कर दिया गया है तो उसे जारी रखा जा सकता है। प्रश्‍न 23: क्‍या एमपी/एमएलए/एमएलसी स्‍थानीय क्षेत्र विकास फंड की किसी योजना के अंतर्गत निधियों को नए सिरे से जारी कर सकता है ? उत्तर : नहीं। ऐसे किसी भी क्षेत्र में जहां निर्वाचन चल रहे है वहां निर्वाचन प्रक्रिया पूर्ण होने तक एमपी/एमएलए/एमएलसी स्‍थानीय क्षेत्र विकास फंड की किसा योजना के अंतर्गत निधियों को नए सिरे से जारी नहीं किया जाएगा। प्रश्‍न 24: केन्‍द्रीय सरकार के बहुत से ग्रामीण विकास कार्यक्रम/योजनाएं हैं यथा इंदिरा आवास योजना, सम्‍पूर्ण ग्रामीण रोजगार योजना, स्‍वर्णजयन्‍ती ग्राम स्‍वरोजगार योजना, नेशनल फूड फॉर वर्क प्रोग्राम, नेशनल रूरल एंपलाईमेंट गारंटी एक्‍ट। क्‍या इन योजनाओं/कार्यक्रमों के कार्यान्‍वयन के लिए कोई दिशा-निर्देश हैं ? उत्तर : हां। प्रत्‍येक योजना/कार्यक्रम के संबंध में निम्‍नलिखित दिशा-निर्देशों का निम्‍नलिखित अनुसार अनुसरण किया जाएगा: इंदिरा आवास योजना (आईएवाई) लाभार्थी, जिन्‍हें इंदिरा आवास योजना के अंतर्गत हाउसिंग स्‍कीम की संस्‍वीकृति दी गई है और जिन्‍होंने काम शुरू कर दिया है, उनकी मानदंडों के अनुसार सहायता की जाएगी। कोई भी नया निर्माण कार्य आरंभ नहीं किया जाएगा और निर्वाचनों के पूरा होने तक किसी भी नए लाभार्थी को संस्‍वीकृति नहीं दी जाएगी। संपूर्ण ग्रामीण रोजगार योजना (एसजीआरवाई) चल रहे कार्यों को जारी रखा जा सकता है और ऐसे कार्यों के लिए चिह्नित निधियों को जारी किया जा सकता है। पंचायत के मामले में जहां सभी जारी कार्यों को पूरा कर लिया गया है वहां नया मजदूरी रोजगार कार्य शुरू किया जाना अपेक्षित है तथा जहां निधियों को सीधे ही ग्रामीण विकास मंत्रालय से पंचायतों को जारी किया गया है और वे उनके पास उपलब्‍ध हैं, वहां जिला निर्वाचन आधिकारी की पूर्व सहमति से चालू वर्ष के लिए अनुमोदित वार्षिक कार्य योजना से नया कार्य आरंभ किया जा सकता है। अन्‍य निधियों से कोई भी नया कार्य शुरू नहीं किया जाएगा। स्‍वर्णजयंती ग्राम स्‍वरोजगार योजना (एसजीएसवाई) केवल वही सहायता समूह जिन्‍होंने सब्सिडी/अनुदान का अंश प्राप्‍त कर लिया हो, उन्‍हें ही बची हुई किश्‍त उपलब्‍ध करवाई जाएगी। निर्वाचनों के पूर्ण होने तक किसी भी नए व्‍यक्तिगत लाभार्थी या सहायता समूहों को वित्तीय सहायता नहीं दी जाएगी। नेशनल फूड फॉर वर्क प्रोग्राम (एनएफडब्‍ल्‍यूपी) जिन जिलों में निर्वाचनों की घोषणा नहीं हुई है वहां पुराने कार्यों और संस्‍वीकृति को जारी रखने में कोई आपत्ति नहीं है। जिन जिलों में निर्वाचनों की घोषणा हो चुकी है और निर्वाचन चल रहे हैं वहां जमीनी स्‍तर पर केवल वास्‍तविक रूप से शुरू किए गए कार्यों का ही दायित्‍व लिया जा सकता है बशर्ते दिए गए समय में ऐसे कार्य के कार्यान्‍वयन के लिए दी गई बकाया अग्रिम राशि 45 दिनों के काम करने के बराबर राशि से अधिक नहीं होगी। राष्‍ट्रीय रोजगार ग्रामीण गारंटी अधिनियम (एनईआरजीए) ग्रामीण विकास मंत्रालय ऐसे जिलों की संख्‍या नहीं बढ़ाएगा जिनमें निर्वाचनों की घोषणा के पहले से ही ऐसी योजनाओं का कार्यान्‍वयन हो रहा है। निर्वाचनों की घोषणा के पश्‍चात जॉब कार्ड धारक को चल रहे काम में तभी रोजगार उपलब्‍ध करवाया जा सकता है यदि वे काम की मांग करें। यदि चल रहे काम में कोई भी रोजगार उपलब्‍ध नहीं करवाया जा सकता तो सक्षम प्राधिकारी अनुमोदित परियोजनाओं में से कोई नया काम शुरू कर सकते हैं और संबंधित जिला निर्वाचन अधिकारी (डीईओ) को इस तथ्‍य के संबंध में सूचित कर सकते हैं। सक्षम प्राधिकारी द्वारा कोई भी नया काम शुरू नहीं किया जाएगा, इस दौरान चल रहे कामों में से ही रोजगार दिया जा सकता है। यदि परियोजना की कोई सूची नहीं है या उस समयावधि के अंदर सभी कार्य पूरे कर लिए गए हैं तो संबंधित सक्षम प्राधिकारी संबंधित जिला निर्वाचन अधिकारी के माध्‍यम से अनुमोदन लेने के लिए आयोग को सूचित करेंगे। सक्षम प्राधिकारी, जिला निर्वाचन अधिकारी को इस आशय का एक प्रमाणपत्र प्रस्‍तुत करेंगे कि नए कार्य की संस्‍वीकृति दे दी गई है क्‍योंकि चल रहे काम में जॉब कार्ड धारक को कोई रोजगार नहीं दिया जा सकता है। प्रश्‍न 25: क्‍या कोई मंत्री अथवा कोई अन्‍य प्राधिकारी किसी भी रूप में किसी वित्तीय अनुदान के संबंध में घोषणा कर सकते हैं या उसका कोई वायदा कर सकते हैं अथवा किसी परियोजना की आधारशिला रख सकते हैं या किसी प्रकार की कोई योजना इत्‍यादि घोषित कर सकते हैं ? उत्तर : नहीं। मंत्री या अन्‍य प्राधिकारी किसी भी रूप में कोई वित्तीय अनुदान या उससे संबंधित कोई वायदा नहीं करेंगे ; या (सिविल सेवक के अलावा) किसी परियोजना अथवा योजना की आधारशिला इत्‍यादि नहीं रखेगे; या सड़क बनवाने, पीने के पानी की सुविधा इत्‍यादि उपलब्‍ध करवाने का कोई वायदा नहीं करेंगे अथवा सरकार या निजी क्षेत्र के उपक्रमों में तदर्थ आधार पर कोई नियुक्ति नहीं करेंगे। ऐसे मामले में वरिष्‍ठ सरकारी अधिकारी किसी राजनीतिक पदाधि‍कारी को शामिल किए बिना आधारशिला इत्‍यादि रख सकते हैं। प्रश्‍न 26: किसी विशेष योजना के लिए बजट का प्रावधान किया गया है या किसी योजना को पहले ही मंजूरी मिली हुई है। क्‍या ऐसी योजना की घोषणा की जा सकती है या उसका उद्घाटन किया जा सकता है ? उत्तर : नहीं। निर्वाचन अवधि के दौरान ऐसी योजनाओं के उद्घाटन/घोषणा पर प्रति‍बंध है। प्रश्‍न 27: क्‍या चल रही लाभार्थी योजना को जारी रखा जा सकता है ? उत्तर : आदर्श आचार संहिता के लागू होने के बाद से निर्वाचन आयोग को बिना सूचित किए सरकारी एजेंसियों द्वारा निम्‍नलिखित विद्यमान कार्यों को जारी रखा जा सकता है: वे कार्य-परियोजनाएं जो सभी प्रकार के आवश्‍यक अनुमोदन प्राप्‍त कर लेने के बाद बुनियादी रूप से वास्‍तव में शुरू हो गई हैं; वे लाभार्थी परियोजनाएं जहां आदर्श आचार संहिता के लागू होने से पूर्व विशेष लाभार्थियों के नाम चिह्नित कर लिए गए हैं। मनरेगा के पंजीकृत लाभार्थियों को विद्यमान परियोजनाओं के अंतर्गत कवर किया जा सकता है। मनरेगा के अंतर्गत नई परियोजनाएं, जिन्‍हें अधिनियम के उपबंधों के अंतर्गत प्राधिकृत किया गया है, पर कार्य तभी आरंभ किया जा सकता है, यदि वह पहले से पंजीकृत लाभार्थियों के लिए हो और परियोजना पहले से अनुमोदित और संस्‍वीकृत परियोजनाओं में सूचीबद्ध हो और जिसके लिए निधियां पहले से ही निश्चित की गई हैं। आदर्श आचार संहिता के लागू होने से पहले आयोग को सूचित करते हुए निम्‍नलिखित नए कार्य (लाभार्थी या कार्य उन्‍मुख) शुरू किए जा सकते हैं: वित्त-पोषण की पूरी व्‍यवस्‍था कर ली गई है। प्रशासनिक, तकनीकी और वित्तीय संस्‍वीकृतियां प्राप्‍त की ली गई हैं। निविदा आमंत्रित की गई, उसका मूल्‍यांकन करके उसे सौंप दिया गया है। इसके अंतर्गत एक निश्चित समय-सीमा के अंदर काम शुरू करना और उसे समाप्‍त करना एक संविदात्‍मक बाध्‍यता है और ऐसा न होने पर संविदाकार पर जुर्माना लगाए जाने का प्रावधान है। यदि उपर्युक्‍त में से कोई शर्त पूरी नहीं की जा रही है तो ऐसे मामलों में आयोग का पूर्व अनुमोदन मांगा और प्राप्‍त किया जाएगा। प्रश्‍न 28: क्‍या पूरे किए गए कार्य का भुगतान जारी करने पर कोई रोक होती है ? उत्तर : पूरे किए गए कार्य का भुगतान करने पर कोई रोक नहीं है बशर्ते कि संबंधित पदाधिकारी उससे पूर्ण रूप से संतुष्‍ट हों। प्रश्‍न 29: सरकार आपातकालिक स्थिति या अप्रत्‍य‍ाशित आपदाओं से निपटने के लिए क्‍या करती है जबकि कल्‍याणकारी उपायों की घोषणा पर प्रतिबंध लगा होता है ? उत्तर : आपातकालिक स्थिति या अप्रत्‍य‍ाशित आपदाओं यथा सूखे, बाढ़, महामारी, अन्‍य प्राकृतिक आपदाओं से निपटने अथवा वृद्धजनों तथा निशक्‍त इत्‍यादि हेतु कल्‍याणकारी उपाय करने के लिए सरकार आयोग का पूर्व अनुमोदन ले सकती है तथा सरकार को आडंबरपूर्ण समारोहों से पूरी तरह से बचना चाहिए और सरकार को ऐसी कोई भी परिस्थिति उत्‍पन्‍न करने की अनुमति नहीं होनी चाहिए कि सरकार द्वारा ऐसे कल्‍याणकारी उपाय या सहायता या पुनर्वास कार्य किसी अंतर्निहित उद्देश्‍य से किए जा रहे हैं। प्रश्‍न 30: क्‍या सरकार द्वारा आंशिक रूप से या पूर्णत: वित्तपोषित वित्तीय संस्‍थान किसी व्‍यक्ति, कंपनी या फर्म इत्‍यादि को दिया गया कर्ज बट्टे खातें मे डाल सकते हैं ? उत्तर : जी नहीं। सरकार द्वारा आंशिक रूप से या पूर्णत: वित्त पोषित वित्तीय संस्‍थान किसी व्‍यक्ति, कम्‍पनी, फर्म इत्‍यादि को दिए गए कर्जों को बट्टे खाते में डालने का तरीका नहीं अपनाएंगें। साथ ही ऐसे संस्‍थानों की वित्तीय सीमा, लाभार्थी को कर्ज प्रदान करते या बढ़ाते समय बेहिसाब ऋण जारी नहीं करना चाहिए। प्रश्‍न 31: क्‍या शराब के ठेकों, तेंदु की पत्तियों और ऐसे अन्‍य मामलों के संबंध में निविदा नीलामी इत्‍यादि कार्रवाई की जा सकती है ? उत्तर : जी नहीं, संबंधित क्षेत्र में निर्वाचन प्रक्रिया के पूर्ण होने तक ऐसे मामलों पर कार्रवाई को आस्‍थगित किया जा सकता है और सरकार वहां अंतरिम व्‍यवस्‍था कर सकती है जहां यह अपरिहार्य रूप से आवश्‍यक हो। प्रश्‍न 32: क्‍या राजस्‍व संग्रहण और वार्षिक बजट के मसौदे की समीक्षा करने के लिए नगर निगम, नगर पंचायत, नगर क्षेत्र समिति इत्‍यादि को संचालित किया जा सकता है ? उत्तर : जी हां। बशर्ते कि ऐसी बैठकों में ही रोजमर्रा के प्रशासन से संबंधित नियमित प्रकृति के मामले उठाए जाएं, न कि इसकी नीतियों और कार्यक्रमों से संबंधित मामले। प्रश्‍न 33: क्‍या राजनीतिक कार्यकर्ता "सद्भावना दिवस", जो कि देशभर में मनाया जाता है, में भाग ले सकते हैं ? उत्तर : केंद्रीय मंत्री/राज्‍यों के मुख्‍य मंत्री/मंत्री तथा अन्‍य राजनीतिक कार्यकर्त्ता 'सद्भावना दिवस' के अयोजन में भाग ले सकते हैं बशर्तें कि उनके भाषण का "विषय" केवल लोगों में सद्भावना को बढाने तक ही सीमित होना चाहिए और इसमे संबंधित मंत्री का कोई फोटो चित्र प्र‍काशित न किया जाए। प्रश्‍न 34: क्‍या शहीदों की शहादत के सम्‍मान हेतु राज्‍य–स्‍तरीय समारोह आयोजित किया जा सकता है जिसकी अध्‍यक्षता मुख्‍यमंत्री/मंत्री कर सकें/उसमें भाग ले सकें। उत्तर : जी हां। बशर्तें कि मुख्‍य मंत्री या अन्‍य मंत्रियों के भाषण शहीदों की शहादत और उनके गुणगान तक ही सीमित हो, इस भाषण में कोई भी राजनीतिक भाषण या सत्ताधारी दल की उपलब्धियों का बखान या उनका वर्णन नहीं किया जाना चाहिए। प्रश्‍न 35: क्‍या स्‍वतंत्रता दिवस/गणतंत्र दिवस के संबंध में कोई कवि सम्‍मेलन, मुशायरा या अन्‍य सांस्‍कृतिक समारोह आयोजित किए जा सकते हैं और क्‍या इसमें राजनीतिक कार्यकर्ता भाग ले सकते हैं ? उत्तर : जी हां। केन्‍द्रीय मंत्री/राज्‍य में मुख्‍य मंत्री/मंत्री तथा अन्‍य राजनीतिक कार्यकर्ता कार्यक्रम में हिस्‍सा ले सकते हैं। तथापि,‍ यह सुनिश्चित किया जाएगा कि इस अवसर पर कोई भी राजनीतिक भाषण सत्ताधारी दल की उपलब्धियों का उल्‍लेख करने वाला नहीं होगा। प्रश्‍न 36: क्‍या सरकारी स्‍वामित्‍व वाली बसों की बस टिकट के पिछली ओर राजनीतिक विज्ञापन प्रकाशि‍त किया जा सकता है। उत्तर : जी नहीं। प्रश्‍न 37: क्‍या गेहूं और अन्‍य कृषि-संबंधी उत्‍पादों का न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य निर्धारित किया जा सकता है ? उत्तर : इस संबंध में निर्वाचन आयोग से परामर्श लिया जा सकता है। प्रश्‍न 38: क्‍या राज्‍य सरकार निर्वाचन आयोग से प्रत्‍यक्ष रूप में किसी प्रस्‍ताव के संबंध में कोई स्‍पष्‍टीकरण/अनापत्ति/अनुमोदन मांग सकती है? उत्तर : जी नहीं। निर्वाचन आयोग से स्‍पष्‍टीकरण/अनापत्ति/अनुमोदन मांगने हेतु राज्‍य सरकार का कोई भी प्रस्‍ताव केवल मुख्‍य निर्वाचन अधिकारी के माध्‍यम से ही भेजा जाना चाहिए जो संबंधित मामले में अपनी सिफारिशें देंगे अथवा अन्‍यथा टिप्‍पणी प्रस्‍तुत करेंगे। निर्वाचन प्रचार प्रश्‍न 39: निर्वाचन प्रचार करते समय राजनीतिक दलों/अभ्‍यर्थियों के लिए प्रमुख दिशा-निर्देश क्‍या हैं? उत्तर : निर्वाचन प्रचार के दौरान कोई भी अभ्‍यर्थी या दल ऐसी किसी गतिविधि में शामिल नहीं होगा जिससे मौजूदा मतभेद बढ़ जाए या जिनसे परस्‍पर द्वेष पैदा हो अथवा भिन्‍न-भिन्‍न जातियों और समुदायों, धर्मों या भाषा-भाषी लोगों में तनाव बढ़ जाए। इसके अतिरिक्‍त अन्‍य राजनीतिक दलों की आलोचना करते समय यह केवल उनकी नीतियों और कार्यक्रमों, पिछले रिकॉर्ड और कार्यों तक ही सीमित होनी चाहिए। दलों और अभ्‍यर्थियों का निजी जीवन के सभी पहलुओं की आलोचना करने से बचना चाहिए, जो अन्‍य दलों के नेताओं या कार्यकर्ताओं की सार्वजनिक गतिविधियों से जुड़े न हों। दूसरे दलों या उनके कार्यकर्ताओं की आलोचना निराधार आरोपों या तथ्‍यों को तोड़-मरोड़कर नहीं की जानी चाहिए। प्रश्‍न 40: क्‍या निर्वाचन प्रचार के लिए धार्मिक स्‍थानों का प्रयोग करने पर कोई प्रतिबंध है? उत्तर : जी हां। धार्मिक स्‍थान यथा मंदिर, मस्जिद, चर्च, गुरूद्वारा या पूजा के अन्‍य स्‍थानों का निर्वाचन प्रचार के मंच के रूप में प्रयोग नहीं किया जाएगा। इसके अतिरिक्‍त, मत प्राप्‍त करने के लिए जाति या सांप्रदायिक भावनाओं के आधार पर कोई अपील नहीं की जाएगी। प्रश्‍न 41: क्‍या कोई अभ्‍यर्थी जुलस के साथ अपना नाम-निर्देशन पत्र भरने के लिए रिटर्निंग अधिकारी के कार्यालय जा सकता है ? उत्तर : जी नहीं। रिटर्निंग अधिकारी के कार्यालय की परिधि में आने वालो वाहनों की अधिकतम संख्‍या को तीन तक सीमित रखा गया है और रिटर्निंग अधिकारी के कार्यालय में जाने वाले व्‍यक्तियों की अधिकतम संख्‍या को पांच (अभ्‍यर्थी सहित) तक सीमित रखा गया है। प्रश्‍न 42: रिटर्निंग अधिकारी द्वारा नाम-निर्देशन की संवीक्षा करते समय कितने व्‍यक्तियों को उपस्थित रहने की अनुमति दी जाती है? उत्तर : अभ्‍यर्थी, उसका निर्वाचन अभिकर्ता, एक प्रस्‍तावक और एक अन्‍य व्‍यक्ति (जो अधिवक्‍ता हो सकता है) को अभ्‍यर्थी द्वारा लिखित में विधिवत् प्राधिकार दिया जाएगा। परंतु इनके अलावा अन्‍य कोई व्‍यक्ति रिटर्निंग अधिकारी द्वारा निर्धारित समय पर नाम-निर्देशन की संवीक्षा में भाग नहीं ले सकता है। (संदर्भ: लोक प्रतिनिधित्‍व अधिनियम, 1951 की धारा 36(1) प्रश्‍न 43: क्‍या मंत्रियों/राजनीतिक कार्यकताओं/अभ्‍यर्थियों, जिन्‍हें राज्‍य द्वारा सुरक्षा उपलब्‍ध करवाई गई है, द्वारा वाहनों के प्रयोग के संबंध में कोई दिशा-निर्देश हैं? उत्तर : जी हां। सुरक्षा द्वारा कवर किए गए व्‍यक्तियों के संबंध में आसूचना प्राधिकारियों सहित सुरक्षा एजेंसियों ने ऐसा निर्धारित किया है वहां ऐसे सभी मामलों में उस विशेष व्‍यक्ति को राज्‍य द्वारा प्रदत्त एक बुलेट प्रूफ वाहन का प्रयोग करने की अनुमति दी जाएगी। 'स्‍टैंड-बाई' के नाम पर बहुल कारों के प्रयोग की अनुमति नहीं दी जाएगी जब तक कि सुरक्षा प्राधिकारियों द्वारा ऐसी विशेष रूप से अनुमति न दी जाए। जहां ऐसे बुलेट प्रूफ वाहनों के प्रयोग को विनर्दिष्‍ट किया गया है वहां ऐसे बुलेट प्रूफ वाहन की चलाने की लागत उस विशेष व्‍यक्ति द्वारा वहन की जाएगी। पायलट, एस्‍कॉर्ट इत्‍यादि सहित काफिले के साथ चलने वाले वाहनों की संख्‍या कड़ाई से सुरक्षा प्राधिकारियों द्वारा निर्धारित अनुदेशों के अनुरूप होगी और किसी भी परिस्थिति में उससे अधिक नहीं होगी। ऐसे सभी वाहनों, सरकारी स्‍वामित्‍व अथवा किराए पर लिए वाहन, को चलाने की लागत राज्‍य सरकार द्वारा वहन की जाएगी। ये प्रतिबंध प्रधानमंत्री पर लागू नहीं होंगे, जिनकी सुरक्षा अपेक्षाएं सरकार की ब्‍लू बुक द्वारा नियंत्रित होती हैं। प्रश्‍न 44: क्‍या निर्वाचकीय प्रयोजनों हेतु वाहनों के चलाने पर कोई प्रतिबंध है ? उत्तर : निर्वाचन प्रचार के प्रयोजनार्थ अभ्‍यर्थी कितने भी वाहन (टू व्‍हीलर सहित सभी यांत्रिकीय और मोटरयुक्‍त वाहन) चला सकता है पंरतु उसे ऐसे वाहन चलाने के लिए रिटर्निंग अधिकारी का पूर्व अनुमोदन लेना होता है और उसे रिटर्निंग अधिकारी द्वारा जारी परमिट की मूल प्रति (फोटोकापी नहीं) को वाहन की विंड स्‍क्रीन पर प्रमुखता से प्रदर्शित करना चाहिए। परमिट पर वाहन की परमिट संख्‍या और उस अभ्‍यर्थी का नाम, जिसके पक्ष में वाहन जारी किया गया है, का उल्‍लेख होना चाहिए। प्रश्‍न 45: क्‍या किसी वाहन, जिसके लिए अभ्‍यर्थी के नाम पर निर्वाचन प्रचार हेतु अनुमति ली गई है, को दूसरे अभ्‍यर्थी द्वारा निर्वाचन प्रचार हेतु प्रयोग किया जा सकता है ? उत्तर : जी नहीं। अन्‍य अभ्‍यर्थी द्वारा निर्वाचन प्रचार हेतु ऐसे वाहन के प्रयोग हेतु भारतीय दंड संहिता की धारा 171ज के अधीन कार्रवाई की जाएगी। प्रश्‍न 46: क्‍या जिला निर्वाचन अधिकारी/रिटर्निंग अधिकारी से परमिट लिए बिना वाहन को निर्वाचन प्रचार के प्रयोजनार्थ प्रयोग किया जा सकता है? उत्तर : जी नहीं। अभ्‍यर्थी द्वारा निर्वाचन प्रचार हेतु ऐसे वाहनों के प्रयोग को अनधिकृत माना जाएगा और वह भारतीय दंड संहिता के अध्‍याय 1 क के दांडिक प्रावधान का भागी होगा और इसलिए वह वाहन तत्‍काल निर्वाचन प्रचार प्रक्रिया से हटा लिया जाएगा और आगे के प्रचार अभियान के लिए उसका प्रयोग नहीं किया जाएगा। प्रश्‍न 47: क्‍या राजनीतिक प्रचार अभियान तथा रैलियों के लिए शैक्षणिक संस्‍थानों और उनके मैदानों (भले ही सरकारी सहायता प्राप्‍त, निजी या सरकारी) के प्रयोग पर प्रतिबंध है? उत्तर : आयोग ने राजनीतिक प्रयोग हेतु स्‍कूलों और कॉलेज के मैदानों (पंजाब और हरियाणा राज्‍य को छोड़कर जहां पंजाब और हरियाणा उच्‍च न्‍यायालय से विशेष निषेध है) के प्रयोग की अनुमति नहीं दी है बशर्तें कि: किसी भी परिस्थिति में स्‍क्‍ूल और कालेज के शैक्षिक कैलेण्‍डर को वितरित न किया जाए। स्‍कूल/ कॉलेज प्रबंधन को इस प्रयोजनार्थ कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए और ऐसे प्रचार अभियान के लिए स्‍कूल/कॉलेज प्रबंधन तथा साथ ही सब डिवीज़नल अधिकारी से अनुमति ली जाए। ऐसी अनुमति 'पहले आओ पहले पाओ' आधार पर दी जाती है और किसी भी राजनीतिक दल को इन मैदानों के प्रयोग पर एकाधिकार करने की अनुमति नहीं है। किसी भी न्‍यायालय का ऐसा कोई आदेश/निदेश नहीं है जो ऐसे परिसर/मैदान के प्रयोग पर रोक लगाता है। राजनैतिक बैठकों के लिए स्‍कूल/कॉलेज के मैदानों के आबंटन में किसी भी उल्‍लंघन को आयोग द्वारा गंभीरता से लिया जाएगा। इस संबंध में जिम्‍मेवारी सब-डिवीज़नल अधिकारी की है, और राजनीतिक दल और अभ्‍यर्थी तथा निर्वाचन प्रचार करने वाले इस बात का पूरा ध्‍यान रखेंगे कि उपर्युक्‍त मानदंडों का उल्‍लंघन न हो। यदि ऐसे मैदानों को निर्वाचन प्रचार के प्रयोजनार्थ प्रयोग किया जा रहा है तो प्रयोग के बाद इन्‍हें बिना किसी नुकसान के या की गई क्षति, यदि कोई हुई है, हेतु अपेक्षित क्षतिपूर्ति के साथ संबंधित प्राधिकारी को लौटाना चाहिए। कोई भी राजनीतिक दल जो संबंधित स्‍कूल/ कॉलेज प्राधिकारी को प्रचार अभियान वापस करते समय ऐसी क्षतिपूर्ति, यदि कोई हुई है, का भुगतान करने के जिम्‍मेवार होंगे। प्रश्‍न 48: क्‍या निर्वाचन प्रचार हेतु प्रयुक्‍त वाहनों में बाहरी फिटिंग/ परिवर्तन की अनुमति है? उत्तर : वाहन पर लाउडस्‍पीकर लगाने सहित वाहनों का बाहरी परिवर्तन मोटर वाहन अधिनियम/ नियम तथा अन्‍य स्‍थानीय अधिनियम/ नियम के उपबंधों के अधीन होगा। परिवर्तनों सहित वाहन और विशेष प्रचार अभियान वाहन यथा वीडियो रथ इत्‍यादि को मोटर वाहन अधिनियम के अधीन सक्षम प्राधिकारियों से अपेक्षित अनुमति लेने के बाद ही प्रयोग किया जा सकता है। प्रश्‍न 49: क्‍या निर्वाचन प्रचार के प्रयोजनार्थ कोई सार्वजनिक बैठक आयोजित करने हेतु प्रचार अधिकारी के लिए रेस्‍ट हाउस, डाक बंगला या अन्‍य सरकारी स्‍थान का प्रयोग करने पर रोक हैं ? उत्तर : जी हां। रेस्‍ट हाउस, डाक बंगला या अन्‍य सरकारी निवासों पर सत्ताधारी दल या इसके अभ्‍यर्थियों द्वारा एकाधिकार नहीं रखा जाएगा। ऐसे निवास स्‍थान के लिए अन्‍य दलों या अभ्‍यर्थियों द्वारा प्रयोग करने की अनुमति होगी परंतु कोई भी दल या अभ्‍यर्थी इसे प्रचार कार्यालय के रूप में इस्‍तेमाल नहीं कर सकता। इसके अतिरिक्‍त यह भी सुनिश्चित किया जाता है कि: कोई भी कार्यकर्ता सर्किट हाउस, डाक बंगला में प्रचार कार्यालय स्‍थापित करने हेतु उनका प्रयोग नहीं कर सकता क्‍योंकि सर्किट हाउसेस/डाक बंगले ऐसे कार्यकताओं के राह से गुजरने के दौरान अस्‍थायी रूप से रहने के लिए होते हैं (बोर्डिंग एंड लांजिग) यहां तक कि सरकार के स्‍वामित्‍व वाले गेस्‍ट हाउसेस इत्‍यादि के परिसर के अंदर राजनीतिक दलों के सदस्‍यों द्वारा आकास्मिक बैठकें भी नहीं की जा सकती और इस संबंध में किसी भी उल्‍लंघन को आदर्श आचार संहिता का उल्‍लंघन माना जाएगा। गेस्‍ट हाउस के परिसर में केवल वाहनों को आने की अनुमति होगी जो गेस्‍ट हाउस में निवास स्‍थान आंबटित व्‍यक्तियों को ले जा रही हो और इसके अलावा दो अन्‍य वाहनों की आने की अनुमति होगी, यदि वे उन्‍ही व्‍यक्तियों द्वारा प्रयोग किए जा रहे हैं। किसी भी एक व्‍यक्ति को 48 घंटों से अधिक के लिए कक्ष उपलब्‍ध नहीं करवाए जाने चाहिए। किसी मतदान के समाप्‍त होने से 48 घंटे पहले किसी विशेष क्षेत्र में मतदान या पुनर्ममतदान पूर्ण होने तक ऐसे आबंटनों पर रोक रहेगी। प्रश्‍न 50: राजनीतिक दलों/ अभ्‍यर्थियों द्वारा सरकारी एयरक्रॉफ्ट/हेलीकॉप्‍टरों (सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों सहित) को लेने के लिए कोई नियम है ? उत्तर : जी हां। राजनीतिक दलों/अभ्‍यर्थियों के लिए सरकारी विमान/हेलीकॉप्‍टर या प्राइवेट कंपनियों के एयरक्रॉफ्ट/हेलीकॉप्‍टर को किराए पर लेने की अनुमति देते हुए निम्‍नलिखित शर्तों का अनुसरण किया जाना चाहिए। सत्ताधारी दल और अन्‍य दल तथा निर्वाचन लड़ने वाले अभ्‍यर्थी के बीच कोई भेद नहीं होना चाहिए। इसका भुगतान राजनीतिक दलों या निर्वाचन लड़ने वाले अभ्‍यर्थियों द्वारा किया जाएगा और इसका उचित रिकॉर्ड रखा जाएगा। सभी के लिए दरें और निबंधन व शर्तें एक समान होंगी। वास्‍तविक आबंटन 'पहले आओ पहले पाओ' आधार पर होना चाहिए। इस प्रयोजनार्थ आवेदन की तारीख व समय को आवेदन प्राप्‍त करने वाले प्राधिकृत प्राधिकारी द्वारा नोट कर लेना चाहिए। ऐसे मामलों में जब कभी दो या उससे अधिक आवेदनों की तारीख व समय एक होगा तो आबंटन का निर्णय ड्रॉ द्वारा होगा। किसी भी व्‍यक्ति, फर्म, पार्टी या अभ्‍यर्थी को एक ही समय पर तीन दिन से अधिक के लिए एयरक्रॉफ्ट/हेलीकॉप्‍टर किराए पर लेने की अनुमति नहीं होगी। प्रश्न. 51. क्या संबंधित पार्टी या अभ्यर्थी के पोस्टर, प्लेकार्ड, बैनर, ध्वज आदि को किसी सार्वजनिक संपत्ति पर प्रदर्शित करने पर कोई प्रतिबंध है? उत्तरः सार्वजनिक संपत्ति पर अभ्यर्थी संबंधित पार्टी अथवा अभ्‍यर्थी के पोस्टर, प्लेकार्ड, बैनर, ध्वज आदि को लागू स्थानीय कानून के प्रावधानों और निषेधात्मक आदेशों के अध्‍यधीन प्रदर्शित कर सकता है। विस्‍तृत ब्‍योरा के लिए आयोग के अनुदेश संख्या 3/7/2008/जेएस-II दिनांक 7.10.2008 तथा संख्या 437/6/कैम्पेन/ईसीआई/ आईएनएसटी/एफयूएनसीटी/एमसीसी-2016 दिनांक 04.01.2017 का संदर्भ लें। प्रश्न. 52. यदि स्थानीय कानून/उप-विधि, दीवार लेखन और पोस्टर चिपकाने, निजी परिसरों/संपत्तियों पर होर्डिंग्स, बैनर आदि लगाने की अनुमति देते हैं, तो क्या परिसर/संपत्ति के मालिक से पूर्व लिखित अनुमति प्राप्त करना आवश्यक है? उत्तरः हाँ। अभ्यर्थी को संपत्ति/परिसर के स्वामी से पूर्व लिखित अनुमति प्राप्त करने की आवश्यकता होती है और इस तरह की अनुमति की फोटोकॉपी (यां) 3 दिनों के भीतर रिटर्निंग ऑफिसर या उसके द्वारा नाम-निर्दिष्ट अधिकारी को प्रस्तुत की जानी चाहिए। प्रश्न. 53. क्या जुलूस के दौरान वाहन पर संबंधित पार्टी या अभ्यर्थी के पोस्टर/प्लेकार्ड/बैनर/ध्वज को प्रदर्शित करने/ले जाने पर कोई प्रतिबंध है? उत्तरः जुलूस के दौरान किसी वाहन पर किसी पार्टी या अभ्यर्थी द्वारा झंडों/बैनरों की अधिकतम अनुमत संख्या और आकार इस प्रकार है- दुपहिया वाहन – अधिकतम 1 X 1/2 फीट के आकार का एक ध्वज। किसी भी बैनर की अनुमति नहीं है। उपयुक्त आकार के एक या दो स्टिकर की अनुमति है। तीन पहिया वाहन, चार पहिया वाहन, ई-रिक्शा - किसी भी बैनर की अनुमति नहीं है। केवल अधिकतम 3X2 फीट आकार का एक ध्वज उपयुक्त आकार के एक या दो स्टिकर की अनुमति है। यदि किसी राजनीतिक दल का किसी अन्य पार्टी के साथ निर्वाचन पूर्व गठबंधन/सीट बंटवारे की व्यवस्था है, तो अभ्यर्थी/राजनीतिक दल का वाहन ऐसे दलों में से प्रत्येक का एक-एक झण्डा प्रदर्शित कर सकता है। प्रश्न. 54. क्‍या निर्वाचन प्रचार के दौरान पोस्टर/बैनर का इस्‍तेमाल करने के लिए प्लास्टिक शीट के उपयोग पर कोई प्रतिबंध है ? उत्तरः पर्यावरण संरक्षण के हित में राजनीतिक दलों और अभ्यर्थियों को पोस्टर, बैनर आदि तैयार करने के लिए प्लास्टिक/पॉलिथीन के इस्‍तेमाल से बचना चाहिए। प्रश्न.55. क्या पैम्‍फलेट, पोस्टर आदि की छपाई पर कोई प्रतिबंध है? उत्तरः हाँ। अभ्यर्थी किसी ऐसे निर्वाचन पैम्पलेट अथवा पोस्टर का मुद्रण अथवा प्रकाशन नहीं करेगा अथवा उसका मुद्रण अथवा प्रकाशन नहीं करवाएगा, जिस पर उसका चेहरा, नाम अथवा पते मुद्रित अथवा प्रकाशित नहीं होते हों। (संदर्भ: लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 127क) प्रश्न 56. क्या निर्वाचन प्रचार के दौरान अभ्यर्थी को विशेष सहायक सामग्री जैसे कि टोपी, मास्क, स्कार्फ आदि पहनने की अनुमति है? उत्तरः हां, बशर्ते कि वे संबंधित अभ्यर्थी के निर्वाचन व्यय के लेखा-जोखा में शामिल हो। हालांकि, दल/अभ्यर्थी द्वारा साड़ी, शर्ट इत्यादि जैसे मुख्य परिधानों की आपूर्ति और वितरण की अनुमति नहीं है क्योंकि यह मतदाताओं को रिश्वत देने के समान हो सकता है। प्रश्न 57. क्या सिनेमैटोग्राफ, टेलीविजन या इसी तरह के अन्य उपकरणों के माध्यम से जनता को किसी भी निर्वाचन सामग्री का प्रदर्शन करने पर प्रतिबंध है? उत्तरः हाँ। अभ्यर्थी निर्वाचन के समापन के लिए तय किए गए समय के साथ समाप्त होने वाले 48 घंटे की अवधि के दौरान, सिनेमैटोग्राफ, टेलीविजन या अन्य इसी तरह के उपकरण के माध्यम से जनता को किसी भी निर्वाचन सामग्री अथवा प्रचार को प्रदर्शित नहीं कर सकते हैं। (संदर्भ: लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 126) प्रश्न 58. क्या मुद्रित "स्टेपनी कवर" या इसी प्रकार की अन्य सामग्री जिसमें पार्टी/अभ्यर्थी का प्रतीक हो या इसका चित्रण किए बिना इसका वितरण, एक तरह का उल्लंघन है? उत्तरः हाँ। यदि यह बात सिद्ध हो जाती है कि ऐसी सामग्री वितरित की गई है, तो जिला प्रशासन द्वारा क्षेत्र के मजिस्ट्रेट के समक्ष आईपीसी की धारा 171-ख के तहत उक्त सामग्री के वितरण के विरुद्ध शिकायत दर्ज की जा सकती है। प्रश्न 59. क्या पार्टी या अभ्यर्थी द्वारा अस्थायी कार्यालयों की स्थापना और संचालन के लिए शर्तें/दिशानिर्देश हैं? उत्तरः हाँ। ऐसे कार्यालय किसी भी अतिक्रमण के माध्यम से सार्वजनिक या निजी संपत्ति/किसी भी धार्मिक स्थानों पर, अथवा ऐसे धार्मिक स्थानों के परिसर/किसी भी शैक्षणिक संस्थान/अस्पताल के समीप, किसी मौजूदा मतदान केंद्र के 200 मीटर के भीतर नहीं खोले जा सकते हैं। इसके अलावा, ऐसे कार्यालय पार्टी का केवल एक झण्डा और बैनर को पार्टी प्रतीक/तस्वीरों के साथ प्रदर्शित कर सकते हैं, और ऐसे कार्यालयों में उपयोग किए जाने वाले बैनर का आकार इस अतिरिक्‍त शर्त के अध्‍यधीन 4 फीट X 8 फीट से अधिक नहीं होना चाहिए कि यदि स्‍थानीय विधियों द्वारा बैनर/होर्डिंग इत्‍यादि के लिए अधिक छोटे आकार का निर्धारण किया जाएगा तो स्‍थानीय विधि द्वारा निर्धारित छोटे आकार का इस्‍तेमाल किया जाएगा। प्रश्न 60. क्या अभियान अवधि समाप्त होने के बाद राजनीतिक पदाधिकारियों की किसी निर्वाचन क्षेत्र में उपस्थिति पर कोई प्रतिबंध है? उत्तरः हाँ। प्रचार की अवधि (मतदान बंद होने से 48 घंटे पहले से शुरू होता हुआ) के बंद होने के बाद, राजनीतिक पदाधिकारी आदि, जो निर्वाचन क्षेत्र के बाहर से आए हैं और जो निर्वाचन क्षेत्र के मतदाता नहीं हैं, उन्हें निर्वाचन क्षेत्र में मौजूद नहीं रहना चाहिए। ऐसे पदाधिकारी को प्रचार अवधि समाप्त होने के तुरंत बाद निर्वाचन क्षेत्र को छोड़ देना चाहिए। यह प्रतिबंध अभ्यर्थी या उसके निर्वाचन अभिकर्ता के मामले में लागू नहीं होगा, भले ही वे निर्वाचन क्षेत्र में मतदाता न हों। प्रश्न 61. क्या जनसभा आयोजित करने या जुलूस निकालने पर कोई प्रतिबंध है? उत्तरः हाँ। किसी भी सार्वजनिक या निजी स्थान पर सभा आयोजित करने और जुलूस निकालने के लिए संबंधित पुलिस अधिकारियों से पूर्व लिखित अनुमति लेनी चाहिए। प्रश्न 62. क्या पुलिस अधिकारियों से अनुमति प्राप्त किए बिना लाउडस्पीकरों का इस्‍तेमाल जन सभाओं के लिए या जुलूसों के लिए या सामान्य प्रचार के लिए किया जा सकता है? उत्तर नहीं। लाउडस्पीकर का इस्‍तेमाल करने के लिए संबंधित पुलिस अधिकारियों से पूर्व लिखित अनुमति लेनी चाहिए। प्रश्न.63. क्या लाउडस्पीकर का इस्‍तेमाल करने के लिए कोई समय-सीमा है? उत्तरः हाँ। रात 10.00 बजे से प्रात: 6.00 बजे के बीच लाउडस्पीकर का इस्‍तेमाल नहीं किया जा सकता है। प्रश्न 64. वह कौन सी अंतिम समय-सीमा है जिसके बाद कोई जनसभा और जुलूस नहीं निकाला जा सकता है? उत्तरः जन सभाएं सुबह 6.00 बजे से पहले और शाम 10 बजे के बाद आयोजित नहीं की जा सकती हैं। इसके अतिरिक्‍त, अभ्यर्थी मतदान के समापन के लिए निर्धारित समय के साथ समाप्‍त होने वाले 48 घंटे की अवधि के दौरान जनसभाएं और जुलूस नहीं निकाल सकते। मान लीजिए, मतदान का दिन 15 जुलाई है और मतदान का समय सुबह 8 बजे से शाम 5.00 बजे तक है, तो जन सभा और जुलूस 13 जुलाई को शाम 5.00 बजे से बंद हो जाएंगे। (संदर्भ: लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 126) प्रश्न 65. क्या मतदाताओं को गैर-सरकारी पहचान पर्चियाँ जारी करने के लिए राजनीतिक दलों/अभ्यर्थियों के लिए कोई दिशानिर्देश हैं? उत्तरः हाँ। सफेद कागज पर गैर-सरकारी पहचान पर्ची में केवल मतदाता का नाम, मतदाता की क्रम संख्या, मतदाता सूची में भाग संख्या, मतदान केंद्र संख्या व नाम, और मतदान की तिथि शामिल होगी। इसमें अभ्यर्थी का नाम, उसकी तस्वीर और निर्वाचन प्रतीक नहीं होना चाहिए। प्रश्न 66. क्या कोई मंत्री/सांसद/विधायक/एमएलसी या कोई अन्य व्यक्ति जो सुरक्षा घेरे में है, की नियुक्ति निर्वाचन अभिकर्ता/पोलिंग अभिकर्ता/ मतगणना अभिकर्ता के रूप में करने पर कोई प्रतिबंध है? उत्तरः हाँ। कोई अभ्यर्थी किसी मंत्री/सांसद/विधायक/एमएलसी या किसी अन्य व्यक्ति को जो सुरक्षा कवर के तहत है, निर्वाचन/मतदान अभिकर्ता/मतगणना अभिकर्ता के रूप में नियुक्त नहीं कर सकता है, क्योंकि उसकी व्यक्तिगत सुरक्षा को इस तरह की नियुक्ति से खतरा होगा, और उसके सुरक्षाकर्मी को किसी भी परिस्थिति में मतदान केंद्रों के 100 मीटर परिधि में मतदान केंद्र और मतगणना केंद्र के परिसर के भीतर और मतगणना केंद्र के भीतर जाने की अनुमति है, जिसे "मतदान केंद्र पड़ोस" के रूप में वर्णित किया गया है। सुरक्षा कवर प्राप्त ऐसे किसी भी व्यक्ति को ऐसे अभ्यर्थी के अभिकर्ता के रूप में कार्य करने के लिए अपने सुरक्षा कवर को आत्मसमर्पण करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। प्रश्न. 67. आर.पी. अधिनियम, 1951 की धारा 77 (1) के तहत लाभ उठाने वाले राजनीतिक दलों के स्टार प्रचारकों (नेताओं) को परमिट जारी करने का अधिकार किसे है? उत्तरः यदि सड़क परिवहन का उपयोग राजनीतिक स्टार प्रचारकों (नेताओं) द्वारा किया जाना है, तो इस हेतु परमिट मुख्य निर्वाचन अधिकारी द्वारा केंद्रीय रूप से जारी किया जाएगा। यदि पार्टी ऐसे वाहन के लिए परमिट जारी करने के लिए आवेदन करती है जो किसी नेता द्वारा पूरे राज्य में निर्वाचन प्रचार के लिए इस्तेमाल किया जाना है, तो मुख्य निर्वाचन अधिकारी द्वारा ऐसे वाहन के लिए अनुमति केंद्रीय रूप से जारी किया जा सकता है, जिसे इस तरह के वाहन के विंडस्क्रीन पर प्रमुखता से प्रदर्शित किया जाएगा, जिसे संबंधित नेता द्वारा उपयोग किया जाना है। यदि अलग-अलग क्षेत्रों में ऐसे पार्टी नेताओं द्वारा विभिन्न वाहनों का उपयोग किया जाना है, तो संबंधित व्यक्ति के नाम के सापेक्ष परमिट जारी किया जा सकता है, जो ऐसे नेता द्वारा उपयोग किए जा रहे वाहन की विंडस्क्रीन पर इसे प्रमुखता से प्रदर्शित करेगा। प्रश्न. 68. क्या ओपिनियन पोल या एक्जिट पोल किसी भी समय आयोजित, प्रकाशित, प्रचारित या प्रसारित किए जा सकते हैं? उत्तरः नहीं। किसी भी तरह से प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक, या किसी अन्य मीडिया द्वारा किसी भी जनमत सर्वेक्षण या एक्जिट पोल के परिणाम को प्रकाशित, प्रचारित या प्रसारित नहीं किया जाएगा, जो निम्नलिखित अवधि के लिए मान्य होंगे: एक ही चरण में आयोजित निर्वाचन में मतदान समापन के निर्धारित घंटे के साथ समाप्त हो रही 48 घंटों की अवधि के दौरान; तथा एक बहु स्तरीय निर्वाचन में, और विभिन्न राज्यों में एक साथ निर्वाचनों की घोषणा के मामले में, निर्वाचन के प्रथम चरण के मतदान के लिए निर्धारित अवधि के आरंभ होने से 48 घंटे आरंभ होने की अवधि के दौरान और सभी राज्यों में सभी चरणों के मतदान समाप्त हो जाने तक। मतदान दिवस प्रश्न 69. क्या निर्वाचन बूथ स्थापित करने के लिए संबंधित सरकारी अधिकारियों या स्थानीय अधिकारियों की लिखित अनुमति प्राप्त करना आवश्यक है? उत्तरः हाँ। ऐसे बूथ स्थापित करने से पहले संबंधित सरकारी अधिकारियों या स्थानीय अधिकारियों से लिखित अनुमति लेना आवश्यक है। पुलिस/निर्वाचन अधिकारियों द्वारा मांगे जाने पर लिखित अनुमति बूथ से संबंधित व्यक्तियों अथवा वहाँ उपस्थित कर्मचारियों के पास उपलब्ध होनी चाहिए। प्रश्न 70. क्या मतदान केंद्र में या उसके आस-पास प्रचार पर कोई प्रतिबंध है? उत्तरः हाँ। मतदान के दिन मतदान केंद्र के एक सौ मीटर की दूरी के भीतर वोटों के लिए प्रचार करना निषिद्ध है। (देखें: लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 130) प्रश्न. 71. क्या मतदान केंद्र या उसके पास सशस्त्र जाने पर कोई प्रतिबंध है? उत्तरः हाँ। मतदान के दिन मतदान केंद्र के आस-पास शस्त्र अधिनियम 1959 में परिभाषित किए गए किसी भी तरह के हथियारों से लैस किसी भी व्यक्ति को हथियार ले जाने की अनुमति नहीं है। (देखें: 1951 के प्रतिनिधित्व की धारा 134ख) प्रश्न 72. मतदान के दिन एक अभ्यर्थी कितने वाहनों के लिए हकदार है? उत्तरः (i) लोक सभा के निर्वाचन के लिए, अभ्यर्थी हकदार होगा: पूरे निर्वाचन क्षेत्र में अभ्यर्थी को स्वयं के उपयोग के लिए एक वाहन। पूरे निर्वाचन क्षेत्र के लिए अभ्यर्थी के निर्वाचन अभिकर्ता के उपयोग के लिए एक वाहन। इसके अतिरिक्त, संसदीय निर्वाचन क्षेत्र के प्रत्येक विधानसभा खंड में अभ्यर्थी के कार्यकर्ताओं अथवा दल के कार्यकर्ताओं के उपयोग के लिए, जैसा भी मामला हो, एक वाहन। (ii) राज्य विधान सभा के निर्वाचन के लिए, अभ्यर्थी हकदार होगा: अभ्यर्थी के स्वयं के उपयोग के लिए एक वाहन अभ्यर्थी के निर्वाचन अभिकर्ता के उपयोग के लिए एक वाहन इसके अलावा, अभ्यर्थी के कार्यकर्ताओं या पार्टी कार्यकर्ताओं के उपयोग के लिए एक वाहन। प्रश्न 73. यदि मतदान के दिन अभ्यर्थी निर्वाचन क्षेत्र में अनुपस्थित रहता है, तो क्या उसके नाम पर आवंटित वाहन किसी अन्य व्यक्ति द्वारा उपयोग किया जा सकता है? उत्तरः नहीं। अभ्यर्थी के उपयोग के लिए आवंटित वाहन का किसी अन्य व्यक्ति द्वारा उपयोग करने की अनुमति नहीं है। प्रश्न 74. क्या मतदान के दिन किसी भी प्रकार के अधिकारिक वाहन का उपयोग किया जा सकता है? उत्तरः नहीं। अभ्यर्थी या उसके अभिकर्ता या दल के कार्यकर्ता को केवल चार/तीन/दो पहिया वाहनों, अर्थात कार (सभी प्रकार के), टैक्सी, ऑटो रिक्शा, रिक्शा और दोपहिया वाहनों का उपयोग करने की अनुमति होगी। मतदान के दिन इन वाहनों में चालक सहित पाँच से अधिक व्यक्तियों को ले जाने की अनुमति नहीं होगी। प्रश्न 75. क्या राजनीतिक दल/अभ्यर्थी मतदान केंद्र से मतदाताओं को लाने और ले-जाने के लिए परिवहन के लिए व्यवस्था कर सकते हैं? उत्तरः नहीं। प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से परिवहन के लिए किसी भी प्रकार के वाहन द्वारा किसी भी मतदाता को मतदान केंद्र तक लाने - ले जाने के लिए कोई भी व्यवस्था, एक दांडिक अपराध है। (देखें: लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 133) प्रश्न 76. क्या राजनीतिक दल का कोई नेता मतदान के दिन मतदान और मतगणना की प्रक्रिया का पर्यवेक्षण और निगरानी के लिए निजी फिक्स्ड-विंग विमानों और हेलीकॉप्टरों का उपयोग कर सकता है? उत्तरः नहीं। किसी राजनीतिक दल के नेता को मतदान और मतगणना के दिन मतदान और मतगणना की प्रक्रिया की निगरानी और पर्यवेक्षण के उद्देश्य से, निजी फिक्स्ड-विंग विमानों और हेलीकॉप्टरों का उपयोग करने की अनुमति नहीं है।
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    Commission’s Notice to Dr. Mahesh Sharma, Minister of State (IC) of Culture, Govt. of India
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    Commission`s Order to Sh. K. Chandrashekar Rao
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    Commission's Notice to Shri Yogi Adityanath Chief Minister of Uttar Pradesh.
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    Commission’s order to Sh Babubhai Rayka, Surat City Dist. Congress Committee
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    Commission's Notice to Shri Rahul Gandhi, President Indian National Congress
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    साधवी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को 72 घंटे के लिए प्रतिबंधित करने हेतु आयोग का आदेश- तत्संबंधी
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    Commission's Notice to Sh. Navjot Singh Sidhu (Through CEO Punjab)
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    Commission's order to Smt. Maneka Sanjay Gandhi, Minister for Women and Child Development, Govt. of India
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    The Commission's Order to Shri Mahadev Sarkar District President, BJP, Nadia. dated 26.04.2019
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    Commission's Order dated 22nd April, 2019 to Shri Navjot Singh Sidhu, Leader of Indian National Congress
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    1. Commission's Order to Sh. Satpal Satti, State President, Bharatiya Janata Party, Una, Himachal Pradesh 2. Commission's Letter to all CEOs ORDER Whereas, the Commission has announced the schedule for holding the General Election to the House of the People, 2019 vide Press Note no. ECI/PN/23/2019, dated 10/03/2019 and provisions of Model Code of Conduct for political parties and candidates have come into force from that very date; and Whereas, para 2 of Part I ‘General Conduct’ of “Model Code of Conduct, for the guidance of Political Parties and Candidates” provides:- “Criticism of other political parties, when made, shall be confined to their policies and programme, past record and work. Parties and Candidates shall refrain from criticism of all aspects of private life, not connected with the public activities of the leaders or workers of other parties. Criticism of other parties or their workers based on unverified allegations or distortion shall be avoided”; and Whereas, the Commission, vide its letter no. 437/6/INST/2013-CC&BE, dated 28th November, 2013, advised all the political parties and candidates to refrain from any deeds/actions/otherwise that may be construed as being repugnant to honour and dignity of women; and Whereas, the Chief Electoral Officer, Himachal Pradesh vide his letter, dated 16th April, 2019 has forwarded a copy of a video clip of the speech delivered by Sh. Satpal Satti, State President of Bharatiya Janata Party, Himachal Pradesh on 13th April 2019, during a public meeting in Ramshaher of Solan District in Himachal Pradesh, wherein he made the following statement:- आपके परिवार के अन्दर 3 प्राईम मिनिस्टर रहे है। आपको यही पता नहीं लगता की बोलना क्या है। मंच के उपर से नरेन्द्र मोदी जी को चोर बोल रहे है कि चौकीदार चोर है। भाईया तेरी मां की जमानत हुई है, तेरी अपनी जमानत हुई है, तेरी जीजे की जमानत हुई है। पूरे टबर (परिवार) की जमानत हुई है। नरेन्द्र मोदी की न जमानत हुई है, न केस बना है, न किसी ने सजा दी है। तू कौन होता है जज की तरह चोर बोलने वाला। एक पंजाबी व्यक्ति ने फेस बुक पे लिखा । रणधीर शर्मा ने कि मैं आपको बोल के नहीं, मैं आपको बोल नहीं सकता क्योंकि राहुल जी के बारे में हम भी बोल नहीं सकते क्यांेकि ऐ नेशनल पार्टी के लीड़र है और 3 बार कि एम0पी0 है। मैंने कहा लिखा क्या बोल तो दो। बोला लिखा नहीं। आप थोड़ा जरा फेस-बुक पर पढ़ों देखों हमसे भी ज्यादा गुस्सा लोगो को है। उसने लिखा है मै भारी मन से बोल रहा हूं उसने लिखा है कि अगर देश का चौकीदार चोर है और अगर तू बोलता है तो तू श्$$$$$$$$श् है। उसने इसलिए लिखा फेस बुक के उपर यानि लोगो को गुस्सा आता है कि देश के ईमानदार प्राईम मिनिस्टर को जो कहता है कि मैं आने वाला प्राईम मिनिस्टर हूं । मैं इस देश का प्राईम मिनिस्टर बनना चाहता हूं लेकिन मैं इस देश के प्राईम मिनिस्टर को चोर बोलता हूं मचं से खड़ा होकर। Whereas, the said statement of Sh. Satpal Satti has been widely published in the electronic, print media and social media; and Whereas, an FIR no. 21/2019 dated 16.4.2019 under Section 294 of Indian Penal Code and under Section 125 of Representation of the people Act, 1951 has been lodged against Sh. Satpal Satti, State President Bharatiya Janata Party, Himachal Pradesh for his indecent and repugnant comments against President of Indian National Congress and Whereas, the Commission has observed that the impugned statement made by Sh. Satpal Satti is not only indecent but also derogatory and totally uncalled for; and Whereas, the Commission, based on the available evidence and material facts, is convinced that the statement made by Sh. Satpal Satti is in violation of the aforesaid provisions contained in para 2 of Part-1 General Conduct of the Model Code of Conduct and the Commission’s advisory, dated 28th November, 2013; and Now, therefore, the Commission, without prejudice to any Order/Notice issued or to be issued in the matter relating to MCC violations to Sh. Satpal Satti, State President of BJP, hereby, strongly condemns the impugned statement made by him during election campaign held at Ramshaher of Solan District in Himachal Pradesh and reprimands Sh. Satpal Satti for the above said misconduct. The Commission, under Article 324 of the Constitution of India and all other powers enabling in this behalf, bars Sh. Satpal Satti from holding any public meetings, public processions, public rallies, road shows and interviews, public utterances in media (electronic, print, social media) etc. in connection with ongoing elections for 48 hours from 10 AM on 20th April, 2019 (Saturday).
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    Commission's Notice dated 18.04.2019 to Shri Mukhtar Abbas Naqvi
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    Commission's Notice dated 16.04.2019 to Shri Azam Khan, Leader of Samajwadi Party
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    Commission's order to Smt. Maneka Sanjay Gandhi, Minister for Women & Child Development, Govt. of India Sh. Azam Khan, Leader of Samajwadi Party Commission's letter to Chief Electoral Officers of All the States and the Union Territories.
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    In pursuance of sub-rule (2) of Rule-11 of the Conduct of Elections Rules, 1961, the list of contesting candidates for the Parliamentary Constituencies Scheduled for poll on 18th April, 2019 Commission's order to Ms. Mayawati, National President, Bahujan Samaj Party Sh. Yogi Adityanath, Chief Minister, Govt. of Uttar Pradesh Commission's letter to Chief Electoral Officers of All the States and the Union Territories. for the General Election to Lok Sabha, 2019 is published for general information
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    Direction of ECI toThe Chief Electoral officer,NCT of DelhiSubject: Alleged Illegal Broadcast of DTH Channel named NaMo TV/Content TV - regarding
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    Commission's Notice to Ms Mayawati Bahujan Samaj Party
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    Commission's Notice to Shri Yogi Adityanath Chief Minister of Uttar Pradesh
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    Commission’s Order concerning intended ‘political content’ in Electronic Media including biopic etc. during the period of MCC. Commission’s order to The Secretary, Ministry of Information & Broadcasting New Delhi The Chairman, CBFC Mumbai The Chief Election Electoral Officers All States/Union Territories
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    No.437 /TEL-HP /2019 Dated: 9th April,2019 NOTICE Whereas, the General Election to the House of People, 2019 has been announced by the Election Commission of India on 10th March, 2019, vide its press release no. ECI/PN/23/2019, dated 10th March, 2019 and the provisions of Model Code of Conduct have come into force from that date as made clear in para- 32 of the said press release; and Whereas, the Commission has called upon all the political parties, candidates and the Union/State Govts. and UT Administrators to strictly adhere to the Model Code of Conduct vide para-32 of the said press release; and Whereas, sub- para (1) of para 1 of the Model Code of Conduct, provides, inter alia, that no party or candidate shall indulge in any activity which may aggravate existing differences or create mutual hatred or case tension between different castes and communities, religious or linguistic; and sub- para (3) of para 1, inter alia, prohibits appeal to communal feelings for securing votes; and Whereas, the Commission has received a complaint from Sh. M Rama Raju, State President, Viswa Hindu Parishad wherein the complainant has stated that you have tried to secure votes by passing derogatory remarks "EE HINDU GAALU......BONDU GAALU......DIKKUMALINA.......DARIDRAPU GAALU" and DESHAM LO AGGI PETALE, GATTAR LEVALE" against Hindus while addressing an election rally at Karimnagar on 17.03.2019; and Whereas, the Commission has obtained English version of the speech delivered on 17.03.2019 and factual report from the Chief Electoral Officer, Telangana and the Commission has examined the English version of the speech; and Whereas, the Commission, is prima facie, of the opinion that by making the aforesaid statement which has the potential of disturbing harmony and aggravating the existing differences between social and religious communities, and appealing to communal feelings, you have violated the above said provisions of the Model Code of Conduct. Now, therefore, the Commission gives you an opportunity to submit explanation, if any in this regard on or before 5 P.M. of 12th April, 2019, failing which the Election Commission shall take a decision without any further reference to you.
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    Political coverage on DD News Channel Commissions''s Letter to Secretary Ministry of Information & Broadcasting Shastri Bhawan, New Delhi (Kind attention: Sh. Vikram Sahay, Joint Secretary)
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    साधारण निर्वाचनों के दौरान आदर्श आचार संहिता की प्रयोज्यता - तत्संबंधी।
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    आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन हेतु भारतीय जनता पार्टी के श्री योगी आदित्यनाथ को नोटिस।

ईसीआई मुख्य वेबसाइट


eci-logo.pngभारत निर्वाचन आयोग एक स्‍वायत्‍त संवैधानिक प्राधिकरण है जो भारत में निर्वाचन प्रक्रियाओं के संचालन के लिए उत्‍तरदायी है। यह निकाय भारत में लोक सभा, राज्‍य सभा, राज्‍य विधान सभाओं और देश में राष्‍ट्रपति एवं उप-राष्‍ट्रपति के पदों के लिए निर्वाचनों का संचालन करता है। निर्वाचन आयोग संविधान के अनुच्‍छेद 324 और बाद में अधिनियमित लोक प्रतिनिधित्‍व अधिनियम के प्राधिकार के तहत कार्य करता है। 

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