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सं. 437/पश्चिम बंगाल-वि. स./2021
दिनांकः 8 अप्रैल, 2021
सूचना
यतः, आयोग द्वारा दिनांक 26 फरवरी, 2021 को प्रेस नोट सं. ईसीआई/प्रे. नो./16/2021 के तहत पश्चिम बंगाल विधान सभा के लिए साधारण निर्वाचनों की घोषणा की गई है और आदर्श आचार संहिता के उपबंध निर्वाचनों की घोषणा के साथ ही तत्काल प्रभाव से लागू हो गए हैं;
यतः, निर्वाचन आयोग ने 21 फरवरी, 2021 को पश्चिम बंगाल की यात्रा की थी और परम्परानुसार राजनैतिक दलों से फीडबैक प्राप्त कर अपना कार्य आरम्भ कर दिया था। ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस (एआईटीसी) के एक प्रतिनिधिमंडल ने आयोग के समक्ष अन्य साधारण मुद्दों को उठाने के अतिरिक्त अन्य बातों के साथ-साथ यह भी आरोप लगाया कि उस वक्त के आगामी विधान सभा निर्वाचनों के संदर्भ में बीएसएफ कर्मी किसी विशेष राजनैतिक दल के पक्ष में मत डालने के लिए सीमावर्ती क्षेत्रों के गांव में रहने वालों लोगों को डरा-धमका रहे हैं। एआईटीसी के प्रतिनिधिमंडल से अनुरोध किया गया था कि वे उपाख्यानात्मक आरोप लगाने के बजाय, अनुभवजन्य साक्ष्य, यदि कोई हों, प्रस्तुत करें। हालांकि, उन्होंने आयोग के द्वारा उठाए गए इस प्रश्न का कोई उत्तर नहीं दिया था। दो दिवसीय यात्रा के समापन पर, आयोग ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया, जो किसी भी राज्य में निर्वाचकीय तैयारियों की औपचारिक समीक्षा करने के बाद एक लंबे समय से परम्परा भी रही है। यहां फिर से कुछ पत्रकारों ने एआईटीसी द्वारा बीएसएफ के बारे में लगाए गए आरोपों का जिक्र किया। इस चरण में मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने निम्नानुसार कहाः
"यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक दल ने बीएसएफ के बारे में आरोप लगाए हैं। मैंने ठोस दृष्टांत बताने के लिए कहा है। वे (बीएसएफ) देश के सबसे बेहतरीन बलों में से एक हैं। किसी भी दल की किसी भी बिंदु पर आलोचना करने का कोई मतलब नहीं है।"
यतः, सीईओ, पश्चिम बंगाल से एक रिपोर्ट प्राप्त हुई है, जिसके साथ सीएनएन समाचार चैनल पर प्रसारण के रूप में 28.03.2021 को सुश्री ममता बनर्जी, माननीय मुख्यमंत्री द्वारा दिए गए वक्तव्य की एक प्राधिकृत ट्रांसक्रिप्ट संलग्न है, जिसमें उन्होंने कहाः
"ममता बनर्जी बाहरी नहीं है। बाहरी कौन हैं? बंदूकों के साथ गुंडे, जिन्हें आप कहीं और से लाएं हैं। क्या उन्होंने कोंटाइ में नहीं किया था? पिता, पुत्र और अंकलों में निष्पक्ष तरीके से निर्वाचन लड़ने की क्षमता नहीं है, इसलिए उन्होंने कोंटाई में परसों रात हंगामा किया।"
"उन्हें किसने इतनी हिम्मत दी कि केंद्रीय पुलिस महिलाओं को धमका रही है और उन्हें मत नहीं डालने दे रही है? मैंने यही 2019 में देखा था। मैंने 2016 में भी यही देखा थाः
"मैं जानती हूं कि किसके अनुदेश पर वे मारते हैं और किस तरह मारते हैं। यह आपका कर्तव्य है कि आप लोगों के परिवार की रक्षा करें। यदि हमारी माताओं और बहनों को डंडे से जरा भी चोट आती है तो उन पर करछुल, खुरपे और चाकू से हमला करें। मैं बता रहीं हूं। यह महिलाओं का हक है। और यदि हमारी किसी भी माता तथा बहनों को मतदान कक्ष में प्रवेश करने नहीं दिया जाए तो आप सभी बाहर आएं और आंदोलन करें।"
यतः, सीईओ, पश्चिम बंगाल से एक अन्य रिपोर्ट प्राप्त हुई है, जिसके साथ 7.04.2021 को कूच बिहार में सुश्री ममता बनर्जी द्वारा दिए गए भाषण की एक प्राधिकृत ट्रांसक्रिप्ट संलग्न है, जहां उन्होंने केंद्रीय रिजर्व पुलिस बलों पर निम्नलिखित अत्यंत आपत्तिजनक टिप्पणी कीः
"वे असम से आतंक फैलाने के लिए गंडे लाएंगे। मैं प्रशासन से नाका जांच मजबूत करने और असम की सीमा को सील करने की मांग करूंगी। मैं निर्वाचन आयोग से असम सीमा को सील करने के लिए कहूंगी। भूटान शांतिपूर्ण देश है और हमारा अच्छा पड़ोसी है। फिर भी सीमा को सील किया जाना चाहिए। याद रखें कि कूच बिहार के आस-पास ऐसे कई अन्य क्षेत्र हैं, जो बांग्लादेश के हैं। उन सीमाओं को भी सील किया जाना चाहिए, ताकि कोई बाहरी यहां हंगामा न खड़ा कर सके। और यदि सीएपीएफ बाधाएं उत्पन्न करता है तो, मैं आप औरतों को बता रहीं हूं, आपका एक समूह जाए और उनका घेराव करे जबकि दूसरा समूह अपना मत डालने जाएगा। अपना मत बेकार न जाने दें। यदि आप सभी उनका घेराव करने में ही लग जाएंगे तो वे खुश होंगे की आप अपना मत डालने नहीं गए। यह उनकी योजना है। यह बीजेपी की योजना है। और आपकी योजना यह होगी कि यदि वे एक तरफ आपके गांव आकर आपको धमकाने की कोशिश करते हैं तो आप डरेंगे नहीं, बल्कि आप उनसे बात करेंगे। उनसे बात करने का मतलब उन पर लगाम कसना होगा। आपको उनका सच में घेराव नहीं करना पड़ेगा।"
यतः, प्रथम दृष्टया, सुश्री ममता बनर्जी, एआईटीसी की अध्यक्षा, जो पश्चिम बंगाल की माननीय मुख्यमंत्री भी हैं, के द्वारा पूरी तरह से गलत, भड़काऊ और तीखे वक्तव्य, निर्वाचकीय प्रक्रिया के दौरान केंद्रीय अर्धसैनिक बलों को अपमानित और तिरस्कृत करने का प्रयास है, जिससे इन बलों के सभी रैंक पदाघिकारी बहुत ज्यादा हतोत्साहित हो रहे हैं, जो 80 के दशक के अंत से निर्वाचनों के बाद निर्वाचनों में स्वेच्छा भाव से सेवा प्रदान करते आ रहे हैं और जिन्होंने विशेष रूप से क्षेत्राधिकार सुनिश्चित करने और अपनी वास्तविक उपस्थिति से असामाजिक गुंडों के लिए अवरोध उत्पन्न करने में एक सराहनीय योगदान दिया है, जिससे वह स्वतंत्र, निष्पक्ष, पारदर्शी और सुगम निर्वाचनों का संचालन करवाने के लिए ईसीआई की सहायता करने में एक प्रमुख भूमिका निभाता रहा है;
यतः, 28.03.2021 और 7.04.2021 के वक्तव्यों और पैरा 2 तथा 3 में वर्णित और इंगित गए अनुवर्ती वक्तव्य की ऐतिहासिकता को देखते हुए, यह और अधिक स्पष्ट है कि सुश्री ममता बनर्जी, एआईटीसी की अध्यक्षा, केंद्रीय अर्धसैनिक बलों को नीचा दिखाने और हतोत्साहित करने में लगीं हुईं हैं, जो अक्सर कानून और व्यवस्था को बहाल करने और/या राज्य सरकारों के दिन-प्रतिदिन के कामकाज में राज्य सरकारों द्वारा कभी भी मंगवाए जाने पर, संबंधित राज्य सरकार और संघ राज्य क्षेत्रों की सरकारों की सहायता करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इससे भी अधिक हतोत्साहित करने वाला तथ्य यह है कि सुश्री बनर्जी महिला मतदाताओं को सीपीएफ के कर्मियों पर हमला करने के लिए उकसाने के लिए एक भावनात्मक पिच बनाने की कोशिश कर रही हैं। पैरा 1 और 2 पर दी गई ऐतिहासिकता का जानबूझकर एआईटीसी द्वारा सामान्य रूप से बिलकुल जानबूझकर अपनाए गए पैटर्न को समर्थन करने और सुश्री बनर्जी द्वारा विशेष रूप से सीपीएफ को अपमानित करने के लिए पैटर्न शुरू करने का उल्लेख किया गया है। यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि राजनैतिक लड़ाई अभियानों आदि में लड़ने के बजाय इस तरीके से लड़ी जा रहीं हैं।
केंद्रीय बलों ने अपनी जान की बाजी लगा कर भी देश के सभी क्षेत्रों में उन्हें सौंपे गए कार्यों को बखूबी निभाया है, जिसमें हाल ही में बीजापुर, छत्तीसगढ़ का प्रकरण सबसे दुखद है। यह भी रिकॉर्ड में रखा जाए कि वे और संघ सरकार के अन्य कई मंत्रालय एवं विभाग तथा राज्य सरकार के विभाग, भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) की निर्वाचनों के संचालन में सहायता करते हैं। परंतु, स्वतंत्र, निष्पक्ष, पारदर्शी और सुगम निर्वाचन सुनिश्चित करने में केंद्रीय बलों की सराहनीय भूमिका अत्यंत उल्लेखनीय है।
सुश्री बनर्जी शायद यह महसूस नहीं कर रही है कि इस तरह के बयान से पश्चिम बंगाल की राज्य पुलिस में अविश्वास की भावना पैदा हो सकती है, जो एक-दूसरे के पूरक होने के बजाय केंद्रीय बलों के साथ भी अपना कार्य कर रहे हैं। वास्तव में, सुश्री बनर्जी यह सुनिश्चित करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहीं हैं कि उनके बीच एक गहरी दरार और खाईं पैदा हो, जिसके निर्वाचन की प्रक्रिया के समाप्त होने के बाद भी गंभीर परिणाम देखने को मिलेंगे।
यतः, निर्वाचन आयोग का प्रथम दृष्टया समाधान हो गया है कि आपके बयान आदर्श आचार संहिता के साथ-साथ भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 186, 189 और 505 का उल्लंघन करते हैं।
अब, इसलिए, आयोग दिनांक 10.04.2021 को पूर्वाह्न 11.00 बजे तक आपको उपर्युक्त बयान के संबंध में अपनी स्थिति स्पष्ट करने का एक अवसर देता है, ऐसा न करने पर आयोग आपको आगे संदर्भ दिए बिना निर्णय लेगा।
आदेश से,
ह./-
(राकेश कुमार)
सचिव
सुश्री ममता बनर्जी,
अध्यक्ष, ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस,
कोलकाता
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सीएन समाचार चैनल पर दिनांक 28.3.21 को यथा प्रसारित सीएम का भाषण
ममता बनर्जी बाहरी नहीं है। कौन बाहरी हैं? बंदूकधारी गुंडे, जिन्हें आप कहीं और से लाएं हैं। क्या उन्होंने यह कॉन्टाई में नहीं किया था? पिता, पुत्र और चाचाओं में निष्पक्ष तरीके से निर्वाचन जीतने की क्षमता नहीं है, इसलिए उन्होंने कॉन्टाई में कल से एक दिन पहले रात में हंगामा किया। आप बंदूकें लेकर आएं हैं। आपने बूथों पर कब्जा किया। भागबानपुर में महिलाएं को रोते हुए लौटा दिया गया। यह माताओं की बददुआएं हैं। याद रखना कि आपने दृष्टिहीन मतदाताओं को उनका मत नहीं डालने दिया। आपने अनेकों माताओं और बहनों को उनका मत नहीं डालने दिया। आपने महिलाओं को निशाना बनाया। बूथ में जाते हुए कृपया करके फेस मास्क पहनें। यह केंद्रीय पुलिस का मामला नहीं है। फिर भी उन्होंने मतदाताओं को प्रवेश नहीं करने दिया और उनके मत दिए बिना उन्हें वापस भेज दिया क्योंकि उन्होंने मास्क नहीं पहने थे। आप में से कोई भी वापस नहीं जाएगा। पुलिस से डरने का कोई कारण नहीं है। आशा है कि मैं जो कह रही हूं वह आप सभी सुन रहे होंगे। किसने उन्हें इतनी हिम्मत दी कि केंद्रीय पुलिस महिलाओं को उनका मत डालने की अनुमति दिए बिना उन्हें धमका रही है? मैंने 2019 में भी यही देखा था। मैंने 2016 में भी यही देखा था। मेरे इलाके में क्लबों को बंद कर दिया गया था। इतना दुस्साहस! आप जब काम करने के लिए बंगाल आएंगे तो हम आपके रहने और खाने का भुगतान करेंगे और आप डंडों से मारेंगे! उनकी हिम्मत कैसे हुई मारने की? किसके इशारे पर उन्होंने मारा था? मैं जानती हूं कि उन्होंने किसके कहने पर मारा और कैसे मारा। यह आपका कर्तव्य है कि आप लोगों के परिवारजनों को बचाएं। अगर हमारी माताओं और बहनों में से कोई भी छड़ी से घायल होती हैं, तो उन पर करछुल, खुरपे और चाकू से हमला करें। मैं बता रही हूं। यह महिलाओं का अधिकार है। और यदि हमारी माताओं और बहनों में से किसी को भी मतदान कक्ष में प्रवेश करने से मना किया जाता है तो आप सभी बाहर आएं और आंदोलन करें। माताओं और बहनों तुम मरी नहीं हो.....(मुश्किल से सुनाई दे रहा है)। तुम चुड़ियां पहनती हो और उसी दौरान स्टड से खाना बनाती हो। और एजेंटों, यदि मैंने देखा कि तुम डर की वजह से अपनी पीठ दिखा रहे हो....इन गुंडों के डर से, तो मैं तुमको माफ नहीं करूंगी। जमीन पर मेरे लोग हैं। मैं जानती हूं कि कान्थी और भागबनपुर में ऐसा किसने किया। मैं सब कुछ जानती हूं कि किसकी सांठ-गांठ किसके साथ है। याद रखें कि जो हमारे लिए काम कर रहे हैं वो आपके बीच हैं, जो उन एजेंटों के बारे में सब कुछ जानते हैं जो पैसे ले रहे हैं और बांट रहे हैं। अंकल का बेटा परसों पैसा बांट रहा था और रंगे-हाथों पकड़ा गया।
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दिनांक 7.4.21 को कूच बिहार (उत्तर) में ममता बंदोपाध्याय द्वारा दिए गए भाषण की ट्रांसक्रिप्ट
शिकायत पत्र में यथा उल्लिखित 32 मिन. 20 सेकं. से लेकर 33 मिन. 23 सेकं. तक यह (https:/www.facebook.com/AITCofficial/videos/) लिंक पर पाया गया था
वे दहशत पैदा करने के लिए असम से गुंडे लाएंगे। मैं प्रशासन से नाका चेकिंग को मजबूत करने और असम की सीमाओं को सील करने के लिए कहूंगी। मैं निर्वाचन आयोग से असम सीमा को सील करने के लिए कहूंगी। भूटान एक शांतिपूर्ण देश और हमारा मित्र पड़ोसी है। फिर भी सीमा को सील किया जाना चाहिए। याद रखें कि कूच बिहार के आसपास कई अन्य क्षेत्र हैं जो बांग्लादेश से संबंधित हैं। उन सीमाओं को भी सील किया जाना चाहिए, ताकि कोई बाहरी व्यक्ति यहां हंगामा न कर सके। और अगर सीआरपीएफ गड़बड़ी पैदा करती है, तो मैं आपको महिलाओं को बताती हूं, आप का एक समूह जाए और उन्हें रोके (घेराव करे) है, जबकि एक अन्य समूह अपना वोट डालने जाएगा। अपना वोट बर्बाद मत करो। यदि आप सभी उन्हें रोकने में ही लग जाएंगे, तो उन्हें खुशी होगी कि आपने अपना वोट नहीं डाला। यह उनकी योजना है। यह भाजपा की योजना है। और आपकी योजना यह होगी कि आप डरेंगे नहीं यदि वे एक तरफ आपके गाँव में आने के लिए आपको डराने-धमकाने की कोशिश करते हैं, तो दूसरी तरफ आप उनसे बात करें। उनसे बात करना उन पर लगाम कसने जैसा होगा। आपको उनका सचमुच में घेराव करने की जरूरत नहीं है......