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    सं.:-437/यूपी-एलए/2022 दिनांक 27 फरवरी, 2022 आदेश यतः, आयोग ने लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के धारा 125; "राजनैतिक दलों और अभ्यर्थियों के मार्गदर्शन के लिए आदर्श आचार संहिता" के भाग-I 'सामान्य आचरण' के पैरा 1 और पैरा 4 के 'प्रथम दृष्ट्या' उल्लंघन करने के लिए 306-डोमरियागंज विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र से निर्वाचन लड़ने वाले भारतीय जनता पार्टी के अभ्यर्थी, श्री राघवेन्द्र प्रताप सिंह को पेडारी गाँव, डोमरियागंज की जनसभा में दिनांक 19.02.2022 को उनके द्वारा दिए गए आपतिजनक बयान के लिए कारण-बताओ नोटिस सं. 437/यूपी-एलए/2022 दिनांक 26 फरवरी, 2022 को जारी किया है। उस ब्यान का वीडियो विभिन्न मीडिया प्लेटफार्मों पर व्यापक रूप से परिचालित हो रहा है, जिसकी अनुलिपि नीचे दी गई हैं- "ई बताई दो कौनो मियां हमके वोट देई? तो ई जान लेयो यह गांव कै जउन हिन्दू अगर दूसरे तरफ जात बा, तो इ जान लेयो ओकरे अन्दर मियां के खून दउड़त बा। ठीक है, नहीं ठीक है? उ गद्दार है, जयचन्द के नाजायज औलाद है। अपने बाप के हरामखोर औलाद है। इतना अत्याचार होने के बाद भी हिन्दू अगर दूसरे तरफ जाता है, तो उसको सड़क पर मुंह दिखाने लायक नहीं रखना चाहिए।...(अस्पष्ट)... में कुछ नहीं बोलता था। मैनें कहां, पांच साल मैं भी विधायक होने के बाद देखूंगा, जरा परखूंगा, समझूंगा और एक बार अगर वार्निंग देने के साथ समझ में नहीं आयेगा तो, इस बार मैं बता दूंगा कि राघवेन्द्र सिंह कौन है। मेरे साथ गद्दारी करोगे तो चलेगा, मैं अपमान सह लूंगा। मुझे अपमानित करोगे तो भी मैं अपमानित सह लूंगा, अगर हमारे हिन्दू समाज को अपमानित करने का प्रयास करोगे तो बर्बाद कर के रख दूंगा"; और यतः, श्री राघवेन्द्र प्रताप सिंह को उक्त नोटिस प्राप्त होने के उपरान्त 24 घंटे के भीतर अपना जवाब प्रस्तुत करने को कहा गया था; और यतः, पूर्वोक्त नोटिस के संबंध में निर्धारित समय के भीतर उत्तर प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी के कार्यालय की ओर से आयोग में जवाब प्राप्त हुआ है; और यतः, पूर्वकथित जवाब में, श्री राघवेन्द्र प्रताप सिंह ने निवेदन किया है कि उक्त नोटिस के संबंध में उनको जवाब प्रस्तुत करने के लिए दिया गया समय पर्याप्त नहीं है और उन्होंने जवाब प्रस्तुत करने के लिए अतिरिक्त समय की माँग की है। अन्य बातों के साथ- साथ यह बात भी बल देकर कही गई है कि यह अनुमान अधुरे वीडियो/अनुलिपि के आधार पर लगाया गया है और यह वक्तव्य उनके द्वारा सिर्फ कुछ खास स्थानीय लोगों द्वारा किए गए अत्याचारों की शिकायत के संबंध में सांत्वना के संकेत के रूप में दिया गया था; और यतः, निर्वाचन एक समयबद्ध प्रक्रिया होने के नाते कानून एवं व्यवस्था की स्थिति को प्रभावशाली ढ़ंग से नियन्त्रित करने और इस तरह की आवांछनीय घटनाओं से होने वाली क्षति को यथासंभव कम करने के लिए निर्वाचन प्रधिकारियों द्वारा तत्काल कार्रवाई करने की आवश्यकता होती है और इन सभी पहलूओं को ध्यान में रखते हुए, श्री राघवेन्द्र को जवाब प्रस्तुत करने के लिए उनके द्वारा मांगे गए अतिरिक्त समय प्रदान करने के अनुरोध को आयोग द्वारा स्वीकार नहीं किया गया है; और यत; आयोग ने उक्त बयान वाली विडियो रिकार्डिंग का पुनः देखा है और पाया है कि विवादित बयान में दिए गए संदर्भ एकदम गैरजिम्मेदाराना, भड़काऊ और धमकाने वाली प्रकृति का है और इसमें समाज के धार्मिक सौहार्द को भंग करने की छिपी हुई भावना और प्रवृत्ति विद्यमान है; और यतः भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 153क, 295क, 505 (2), 506 के अंतर्गत एवं लोक प्रतिनिधत्व अधिनियम, 1951 की धारा 125 के अंतर्गत डोमरियागंज थाना, जो सिद्धार्थनगर जिला के अन्तर्गत आता है, में विवादित बयान देने के लिए श्री राघवेन्द्र प्रताप सिंह के खिलाफ पहले हीं प्राथमिकी दर्ज की जा चुकी है; और यतः, श्री राघवेन्द्र प्रताप सिहं द्वारा दिए गए उनके पूर्व कथित जवाब के संबंध में उपलब्ध सभी महत्वपूर्ण तथ्यों और प्रमाणों पर विचार करते हुए, आयोग का मत है कि श्री राघवेन्द्र प्रताप सिंह ने विवादित बयान देकर "राजनैतिक दलों और अभ्यर्थियों के मार्गदर्शन के लिए आदर्श आचार संहिता के भाग I सामान्य आचरण" के पैरा 1, और 4 का उल्लंघन किया है। अतः, अब, आयोग इस मामले में जारी किए गए या जारी किए जानेवाले किसी भी आदेश/नोटिस बिना पक्षपात के, एतदद्वारा श्री राघवेन्द्र प्रताप सिंह, 306-डोमरियागंज विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से निर्वाचन लड़ रहे भारतीय जनता पार्टी के अभ्यर्थी, द्वारा दिए गए विवादित बयान की भर्त्सना करता है और उपरोक्त उल्लंघन के लिए उनकी निंदा करता है। आयोग एतदद्वारा भारत के संविधान के अनुच्छेद 324 के अंतर्गत एवं इस संबंध में अन्य सभी प्रदत्त शक्तियों के आधार पर चल रहे निर्वाचनों के संबंध में आदेश देता है और उन्हें दिनांक 28.02.22 (सोमवार) को 6 बजे सुबह से 24 घंटे के लिए किसी भी जनसभा के आयोजन करने, सार्वजनिक जुलूसों, सार्वजनिक रैलियों, रोड शो करने और साक्षात्कार देने, मीडिया (इलेक्ट्रॉनिक, प्रिंट, सोशल मीडिया) इत्यादि में सार्वाजनिक रूप से बोलने के संबंध में उन पर रोक लगाने का आदेश देता है। आदेश से अजय कुमार (सचिव) सेवा में श्री राघवेन्द्र प्रताप सिंह 306- डोमरियागंज विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र मे भाजपा के अभ्यर्थी जिला-सिद्धार्थनगर, उत्र प्रदेश
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    सं. 437/पश्चिम बंगाल-विधान सभा/2021 दिनांकः 15 अप्रैल, 2021 आदेश यतः, आयोग ने श्री दिलीप घोष, भारतीय जनता पार्टी के राज्यीय अध्यक्ष को पश्चिम बंगाल की विधान सभा के लिए चल रहे साधारण निर्वाचन के दौरान आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन करने के लिए दिनांक 13 अप्रैल, 2021 को नोटिस सं. 437/पश्चि. बंगा.-वि. स./2021 जारी किया था; और 2. यतः, आयोग ने दिनांक 14 अप्रैल, 2021 को उपर्युक्त नोटिस का श्री दिलीप घोष से एक उत्तर प्राप्त किया है; और 3. यतः, श्री दिलीप घोष ने उपर्युक्त जवाब के साथ-साथ निम्नलिखित प्रस्तुत किया हैः- क. वे देश के एक जिम्मेदार नागरिक हैं और माननीय निर्वाचन आयोग का सर्वाधिक सम्मान करते हैं। वह किसी भी अभ्यर्थी पर बिना किसी दुर्भावना, हिंसा या हमले के शांतिपूर्ण, स्वतंत्र, निष्पक्ष और भेदभाव रहित निर्वाचन के संचालन में दृढ़ विश्वास रखते हैं। ख. पश्चिम बंगाल में दर्ज की गई निर्वाचन संबंधी हिंसा विशिष्ट है। निर्वाचन प्रक्रिया के दौरान इस स्तर की हिंसा भारत के किसी भी अन्य राज्य में नहीं देखी गई है। इस दुर्भाग्यपूर्ण वास्तविकता के कारण ही माननीय आयोग ने मतदाताओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सीएपीएफ कर्मियों को तैनात करना ठीक समझा था, जिससे उन्हें अपने मताधिकार का स्वतंत्रतापूर्वक उपयोग करने की अनुमति मिल सके और निर्वाचन प्रक्रिया शांतिपूर्ण तरीके से बिना किसी हिंसा के हो सके। ग. ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस के नेताओं द्वारा भय और डराने-धमकाने का माहौल बनाया गया है, जिसने स्वतंत्र, निष्पक्ष और शांतिपूर्ण निर्वाचन के संचालन को खतरे में डाल दिया है। राज्यीय दल के अध्यक्ष के रूप में यह उनका सत्यनिष्ठ कर्तव्य था कि वे अपनी दल के कार्यकर्ताओं के साथ खड़े हों और मतदाताओं को बिना किसी डर के मतदान करने के लिए प्रोत्साहित करें। किसी भी प्रकार की हिंसा को रोका जाना चाहिए। घ. उनका इरादा कभी भी ऐसा कोई बयान देने का नहीं था जो आदर्श आचार संहिता (एम सी सी) और लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम/भारतीय दंड संहिता का उल्लंघन करता हो। वह हमेशा सतर्क रहे हैं और ऐसा/ऐसे कोई भी बयान देने से परहेज किया है जिससे मतभेद पैदा हो या बढ़े। यह लोकतंत्र की भावना का सबसे अच्छा उदाहरण होगा यदि हम सभी राजनैतिक दलों के साथ मिलकर पश्चिम बंगाल में हिंसा मुक्त निर्वाचन सुनिश्चित करने में सक्षम हो सकें। उनका बयान केवल उपद्रवियों और असामाजिक तत्वों को ओर था जो गड़बड़ी पैदा करते हैं तथा कानून और व्यवस्था के रखरखाव को नकारात्मक रूप से प्रभावित करते हैं। ङ. ङ. उपरोक्त के बावजूद, यदि उनकी किसी भी अभिव्यक्ति को एमसीसी के किसी प्रावधान के उल्लंघन के रूप में माना गया है, तो वह सम्मानपूर्वक निवेदन करते हैं कि वह भविष्य में सावधान रहेंगे। उन्हें अपनी टिप्पणी पर खेद है। भारतीय जनता पार्टी और स्वयं उनमें भारत निर्वाचन आयोग जैसे लोकतंत्र और लोकतांत्रिक संस्थानों के लिए दृढ़ विश्वास और सम्मान है, और वे ईसीआई के किसी भी निर्देश का पालन करेंगे। 4. यतः, आयोग ने श्री दिलीप घोष के उत्तर पर ध्यानपूर्वक विचार किया है और आयोग का यह सुविचारित मत है कि उन्होंने 'राजनैतिक दलों और अभ्यर्थियों के मार्गदर्शन के लिए लागू आदर्श आचार संहिता के साधारण संचालन' के भाग I के खंड (1) और (4) का उल्लंघन किया है और अत्यधिक भड़काऊ और उकसाने वाली टिप्पणी की जो कानून और व्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है, जिससे निर्वाचन प्रक्रिया पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। 5. अब, इसलिए, आयोग एतद्दवारा श्री दिलीप घोष को सख्त चेतावनी देता है और जब आदर्श आचार संहिता लागू हो तब उस अवधि के दौरान सावर्जनिक बयान देते हुए उन्हें ऐसे वक्तव्य का उपयोग करने से बचने की सलाह देता है तथा दिनांक 15 अप्रैल, 2021 को अपराह्न 7 बजे से दिनांक 16 अप्रैल, 2021 को अपराह्न 7 बजे तक 24 घंटे का प्रतिबंध लगाता है, जिसके दौरान उन्हें (चुनाव) प्रचार की अनुमति नहीं दी जाएगी।
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    डॉ. हिमंता बिस्वा सर्मा, मुख्यमंत्री एवं स्टार प्रचारक, भारतीय जनता पार्टी को आयोग का आदेश, दिनांक 27.10.2021
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    सं. 437/प.बं.-वि.स./2021 दिनांक : 13 अप्रैल, 2021 आदेश यतः, आयोग द्वारा दिनांक 26 फरवरी, 2021 को प्रेस नोट सं. ईसीआई/प्रे.नो./16/2021 के द्वारा पश्चिम बंगाल विधान सभा के लिए साधारण निर्वाचनों की घोषणा की गई है और आदर्श आचार संहिता के उपबंध निर्वाचनों की घोषणा के साथ ही तत्काल प्रभाव से लागू हो गए हैं; और 2. यतः, राजनैतिक दलों एवं अभ्यर्थियों के मार्गदर्शन के लिए आदर्श आचार संहिता के 'सामान्य आचरण', भाग I के खंड (1) और (4) में, अन्य बातों के साथ-साथ, ये प्रावधान हैं किः- " (1) कोई दल या अभ्यर्थी ऐसी किसी गतिविधि में शामिल नहीं होगा जिससे भिन्न जातियों और धार्मिक या भाषायी समुदायों के बीच विद्यमान मतभेद अधिक गंभीर हो सकते हैं या परस्पर नफरत हो सकती है या तनाव पैदा हो सकता है।" "(4) सभी दल और अभ्यर्थी ऐसी सभी गतिविधियों से ईमानदारी से परहेज करेंगे जो निर्वाचन विधि के अधीन "भ्रष्ट आचरण" एवं अपराध हैं जैसे कि मतदाताओं को घूस देना, मतदाताओं को डराना-धमकाना, मतदाताओं का प्रतिरूपण, मतदान केंद्रों से 100 मीटर दूरी के भीतर प्रचार करना, मतदान समाप्त होने के लिए निर्धारित समय के समाप्त होने से 48 घंटों की अवधि के दौरान सार्वजनिक सभाएं आयोजित करना और मतदाताओं को मतदान केंद्रों तक ले जाने और वापस लाने के लिए परिवहन और वाहन उपलब्ध करना।"; और 3. यतः, लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 123 की उप-धारा (3क) के अधीन उपबंध में, अन्य बातों के साथ-साथ, उपबंधित है किः- "(3क) किसी अभ्यर्थी या उसके अभिकर्ता या अभ्यर्थी या उसके निर्वाचन अभिकर्ता की सम्मति से किसी अन्य व्यक्ति द्वारा उस अभ्यर्थी के निर्वाचन की सम्भाव्यताओं को अग्रसर करने के लिए या किसी अभ्यर्थी के निर्वाचन पर प्रतिकूल प्रभाव डालने के लिए भारत के नागरिकों के विभिन्न वर्गों के बीच, धर्म, मूलवंश, जाति, समुदाय या भाषा के आधार पर शत्रुता या घृणा की भावनाओं का संप्रवर्तन करना, अथवा संप्रवर्तन का प्रयत्न करना।"; और 4. यतः, भारतीय दंड संहिता की धारा 153(क) की उप-धारा (1) (क) के उपबंध में, अन्य बातों के साथ-साथ, यह प्रावधान है किः- "153क. धर्म, मूलवंश, जन्मस्थान, निवास स्थान, भाषा इत्यादि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता का संप्रवर्तन और सौहार्द बने रहने पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले कार्य करना। -(1) जो कोई - (क) बोले गए या लिखे गए शब्दों द्वारा या संकेतों द्वारा या दृश्यरूपणों द्वारा या अन्यथा विभिन्न धार्मिक, मूलवंशीय या भाषाई या प्रादेशिक समूहों, जातियों या समुदायों के बीच असौहार्द अथवा शत्रुता, घृणा या वैमनस्य की भावनाओं को धर्म, मूलवंश, जन्मस्थान, निवास स्थान, भाषा, जाति या समुदाय के आधारों पर या अन्य किसी भी आधार पर संप्रवर्तित करेगा या संप्रवर्तित करने का प्रयत्न करेगा"; और 5. यतः श्री राहुल सिन्हा, बीजेपी ने एक भाषण दिया है जिसे न्यूज़ 18 बांग्ला चैनल पर 12.04.2021 को प्रातः 11.30 बजे प्रसारित किया गया है; और 6. यतः, मुख्य निर्वाचन अधिकारी, पश्चिम बंगाल से भी कथित भाषण की प्रमाणीकृत ट्रांसक्रिप्ट प्राप्त हुई है जो निम्नानुसार हैः " ………… केंद्रीय बलों ने उन्हें मुंहतोड़ जवाब दिया है। यदि वे दोबारा ऐसे करते हैं तो उन्हें फिर इसी प्रकार का मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा। केंद्रीय बलों को शीतलकुची में चार की बजाय आठ को मारना चाहिए था। केंद्रीय बलों को कारण बताओ नोटिस जारी किया जाना चाहिए कि उन्होंने उनमें से केवल चार को ही क्यों मारा …………….."; और 7. यतः, आयोग ने इस मामले पर सावधानीपूर्वक स्वतः संज्ञान लिया है और इसका यह सुविचारित मत है कि श्री राहुल सिन्हा ने राजनैतिक दलों और अभ्यर्थियों के मार्ग दर्शन की आदर्श आचार संहिता के 'सामान्य आचरण' के भाग I के खंड (1) और (4) तथा लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 123 की उप-धारा (3क) में विनिर्दिष्ट उपबंधों और भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 153(क) की उप धारा (1) (क) के उल्लंघन में बलों को उकसाकर, मानव जीवन का मजाक उड़ाते हुए अत्यधिक उकसाने वाला भाषण दिया जिससे कानून और व्यवस्था की गंभीर स्थिति उत्पन्न हो सकती थी तथा इससे निर्वाचन प्रक्रिया भी बुरी तरह से प्रभावित हो सकती थी। 8. अतः, अब आयोग, एतद्द्वारा श्री राहुल सिन्हा, बीजेपी द्वारा दिए गए उपरोक्त बयानों की कड़ी भर्त्सना करता है और कड़ी चेतावनी देता है कि लागू आदर्श आचार संहिता की अवधि के दौरान सार्वजनिक भाषण देते समय वे ऐसे कथनों का प्रयोग करने में पूरी सावधानी बरतें। आयोग श्री राहुल सिन्हा पर किसी भी प्रकार से प्रचार-प्रसार करने के लिए आज 12.00 बजे से आरंभ करके 15.04.2021 को 12.00 बजे तक, अगले 48 घंटे की रोक भी लगाता है। 9. मामले की गंभीरता को देखते हुए आयोग ने राहुल सिन्हा, बीजेपी को बिना कोई नोटिस दिए इस आदेश को जारी करने का निर्णय लिया है। अनुलग्‍नक : यथोपरि। (राकेश कुमार) सचिव सेवा में, श्री राहुल सिन्हा, भारतीय जनता पार्टी, पश्चिम बंगाल अनुबंध ख के रूप में चिह्नित, राहुल सिन्हा के भाषण की ट्रांसक्रिप्ट, जैसी सीडी में पाई गई। यह शिकायतकर्ता द्वारा प्रदान की गई है और न्यूज़ 18 बांग्ला चेनल पर 12.04.2021 को प्रातः 11:30 बजे प्रसारित की गई वीडियो से मेल खाती है। केंद्रीय बलों ने उन्हें मुंहतोड़ जवाब दिया है। यदि वे दोबारा ऐसा करते हैं तो उन्हें फिर इसी प्रकार का मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा। केंद्रीय बलों को शीतलकुची में चार की जगह आठ को मारना चाहिए था। केंद्रीय बलों को एक कारण बताओ नोटिस जारी किया जाना चाहिए कि उन्होंने उनमें से केवल चार को क्यों मारा। द्वारा अनुवादित हस्ता./- पदमिनी चक्रवर्ती अनुवादक 12.4.21
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    सं. 100/एमपी-एलए/2020-(बाय.) दिनांक: 30 अक्तूबर, 2020 आदेश यत:, आयोग द्वारा मध्यप्रदेश की विधान सभा के लिए उप-निर्वाचन प्रेस नोट सं. ईसीआई/पीएन/67/2020 के माध्यम से दिनांक 29 सितंबर, 2020 को घोषित कर दिए गए थे और उक्त प्रेस नोट के पैरा 4 के अनुसार आदर्श आचार संहिता के उपबंध उसी तारीख से लागू कर दिए गए थे; और 2. यत:, आदर्श आचार संहिता के भाग 1 के उप पैरा (1) में उल्लेख है कि ‘कोई भी दल या अभ्यर्थी किसी भी ऐसी गतिविधि में शामिल नहीं होगा, जो वर्तमान मतभेदों को बढ़ाए या आपसी घृणा पैदा करे या विभिन्न जातियों और समुदायों के बीच धार्मिक या भाषायी तनाव पैदा करे; और 3. यत:, आदर्श आचार संहिता के भाग 1 के उप पैरा (2) में उल्लेख है कि, अन्य बातों के साथ-साथ, ‘सभी दल और सभी अभ्यर्थी दलों के नेताओं अथवा कार्यकर्ताओं की निजी जिंदगी के उन सभी पहलुओं की आलोचना करने से बचेंगे जो उनकी सार्वजनिक गतिविधियों से संबद्ध न हों’; और 4. यत:, आयोग को भारतीय जनता पार्टी (म.प्र.) से और राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष से भी शिकायतें मिली हैं कि श्री कमल नाथ, नेता प्रतिपक्ष, मध्य प्रदेश विधान सभा ने एक महिला अभ्यर्थी के लिए “आइटम” शब्द का प्रयोग किया है। 5. यत:, आयोग ने श्री कमलनाथ को उक्त कथन के कहे जाने के बारे में अपनी स्थिति स्पष्ट करने के लिए एक अवसर प्रदान करते हुए दिनांक 21.10.2020 के नोटिस के माध्यम से एक नोटिस जारी किया। इस मामले में उनके द्वारा दिनांक 22.10.2020 को एक उत्तर प्रस्तुत किया गया था। 6. यत:, श्री कमल नाथ का उक्त उत्तर संतोषजनक नहीं पाया गया था और इसलिए आयोग ने, ‘राजनैतिक दलों और अभ्यर्थियों के मार्गदर्शन के लिए आदर्श आचार संहिता के सामान्य आचरण’ के भाग I के पैरा (2) में अंतर्विष्ट उपबंधों का उल्लंघन करने और मध्य प्रदेश विधान सभा के लिए चल रहे उप-निर्वाचनों के दौरान आयोग द्वारा दिनांक 29 अप्रैल, 2019 के अपने पत्र सं. 437/6/आईएनएसटी/ईसीआई/एफएनसीटी/एमसीसी/2019 के माध्यम से जारी की गई परामर्शिका (एडवायजरी) का सम्मान न करने के लिए श्री कमल नाथ को दिनांक 26.10.2020 का एक परामर्शिका आदेश जारी किया। “आयोग का सुविचारित मत है कि श्री कमल नाथ ने एक महिला के लिए “आइटम” शब्द का प्रयोग किया है और यह आयोग द्वारा जारी परामर्शिका का उल्लंघन है--------- अब, इसलिए, आयोग, श्री कमल नाथ, पूर्व मुख्यमंत्री, मध्य प्रदेश को एतद्द्वारा सलाह देता है कि सार्वजनिक रूप से बोलते समय उन्हें आदर्श आचार संहिता की अवधि के दौरान ऐसे शब्द या कथन का प्रयोग नहीं करना चाहिए ”; और 7. यत:, भारतीय जनता पार्टी (मध्य प्रदेश) से एक और शिकायत आयोग के ध्यान में लाई गई है कि श्री कमल नाथ ने 13.10.2020 को कहा है कि “शिवराज नौटंकी के कलाकार, मुम्बई जाकर एक्टिंग करें”; और 8. यत:, आयोग ने इस संबंध में मुख्य निर्वाचक अधिकारी, मध्य प्रदेश से एक रिपोर्ट मांगी। इस संबंध में मुख्य निर्वाचक अधिकारी, मध्य प्रदेश ने श्री कमल नाथ के दिनांक 13.10.2020 के भाषण का प्रतिलेख, जिसमें श्री कमल नाथ ने कहा है कि “आपके भगवान तो वो माफिया हैं जिससे आपने मध्य प्रदेश की पहचान बनाई आपके भगवान तो मिलावट खोर हैं।” के साथ एक रिपोर्ट भेजी है। मुख्य निर्वाचक अधिकारी, मध्य प्रदेश की रिपोर्ट भी आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन की पुष्टि करती है; और 9. यत:, निर्वाचनों से पहले प्रचार के दौरान सबको समान अवसर प्रदान करने के साथ-साथ नैतिक और गरिमापूर्ण व्यवहार बनाए रखने के लिए सभी राजनैतिक दलों की सहमति से आदर्श आचार संहिता अनेक दशकों में विकसित हुआ है; और 10. यत:, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से राजनैतिक दल के नेताओं (स्टार प्रचारकों) की एक सूची दिनांक 19.10.2020 के पत्र के माध्यम से प्राप्त हुई थी, जिसमें मध्य प्रदेश विधान सभा, 2020 के उप-निर्वाचन के लिए लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 77(1) के तहत श्री कमल नाथ का नाम क्रम संख्या-3 पर रखा गया था; और 11. यत:, आयोग ने इस मामले पर सावधानीपूर्वक विचार किया है और यह अवलोकन करके नाराजगी व्यक्त की है कि श्री कमल नाथ एक राजनैतिक दल के नेता होने के बावजूद आदर्श आचार संहिता के उपबंधों का बार-बार उल्लंघन कर रहे हैं तथा नैतिक और गरिमापूर्ण व्यवहार का अतिक्रमण कर रहे हैं; और 12. अत:, अब, आदर्श आचार संहिता का बार-बार उल्लंघन करने और उन्हें जारी की गई परामर्शिका का पूरी तरह से निरादर करने के लिए आयोग, एतद्द्वारा मध्य प्रदेश विधान सभा, 2020 के लिए चल रहे उप-निर्वाचनों के लिए श्री कमल नाथ, पूर्व मुख्य मंत्री, मध्य प्रदेश को प्राप्त राजनैतिक दल के नेता (स्टार प्रचारक) के दर्जे को तत्काल प्रभाव से वापस लेता है। 13. फलस्वरूप, जिला निर्वाचन अधिकारी/रिटर्निंग अधिकारी द्वारा श्री कमल नाथ को स्टार प्रचारक के रूप में कोई भी अनुमति नहीं दी जाएगी। हालांकि, श्री कमल नाथ द्वारा यदि अब आगे कोई प्रचार अभियान चलाया जाता है तो, यात्रा करने, ठहरने, दौरे इत्यादि से संबंधित संपूर्ण खर्च पूरी तरह से उस अभ्यर्थी के द्वारा वहन किया जाएगा जिसके निर्वाचन क्षेत्र में प्रचार अभियान चलाया जाता है।
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    सं. 100/एमपी-एलए/2020-(उप) दिनांक: 30 अक्तूबर, 2020 आदेश यत:, आयोग ने राजनैतिक दलों और अभ्यर्थियों के मार्गदर्शन के लिए आदर्श आचार संहिता के ‘सामान्य आचरण’ के भाग I के पैरा (2) के उपबंधों का उल्लंघन करने के लिए श्री मोहन यादव, मंत्री, उच्च शिक्षा विभाग, मध्य प्रदेश सरकार को 24 अक्तूबर, 2020 को एक नोटिस संख्या 100/एमपी-एलए/2020-(उप) जारी किया था; और 2. यत:, आयोग को उक्त नोटिस के संबंध में आपका उत्तर दिनांक 25 अक्तूबर, 2020 को मिल गया है; और 3. यत: आपने उसके उपर्युक्त उत्तर में, अन्य बातों के साथ-साथ निम्नलिखित कहा है; आयोग द्वारा प्रेषित नोटिस असत्य एवं भ्रामक जानकारी के आधारों पर प्रेषित है तथा प्रथम दृष्ट्या निरस्त किए जाने योग्य है। उचित ट्रांसक्रिप्ट की मूल वीडियो क्लिप उपलब्ध नहीं कराई गई है। तथापि, मैंने आदर्श आचार संहिता के किसी भी प्रावधानों का अथवा किसी भी कानून के वैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन नहीं किया है। मेरा संपूर्ण जीवन निष्कलंक रहा है और मेरे द्वारा सदैव भारतीय संविधान एवं कानून का पालन किया गया है। मेरे द्वारा कथित घटना के उद्बोधन में किसी भी जाति अथवा धर्म अथवा वर्ग विशेष अथवा व्यक्ति विशेष के बीच वैमनस्य पैदा करने विषयक कोई वक्तव्य नहीं है। ट्रांसक्रिप्ट में घटना का स्थान कार्यालय, भारतीय जनता पार्टी आगर दर्शित किया गया है, इससे यह स्पष्ट प्रमाणित होता है कि यह सभा किसी सार्वजनिक चौराहे अथवा स्थान पर आयोजित नहीं की गई थी। यह सभा भारतीय जनता पार्टी के जिला आगर स्थित कार्यालय में केवल आमंत्रित भाजपा के सक्रिय कार्यकर्ताओं तथा पदाधिकारियों का मनोबल बढ़ाने के उद्देश्य से की गई थी। अत: अयोग द्वारा जारी नोटिस/ सूचना पत्र को निरस्त कर दिया जाए। 4. यत: निर्वाचन आयोग ने दिनांक 25.10.2020 के आपके उत्तर पर सावधानीपूर्वक विचार किया है। शिकायत में संदर्भित भाषण के अंश पर विचार करने पर, आयोग संतुष्ट है कि उसके वक्तव्यों में शिष्टाचार का अतिक्रमण करते हुए असंयमित भाषा का प्रयोग है। शिकायत और आपके उत्तर पर यथोचित विचार करने पर, आयोग ने आपके उत्तर को संतोषजनक नहीं पाया है। 5. अब, इसलिए, निर्वाचन आयोग, एतद्द्वारा “आदर्श आचार संहिता के सामान्य आचरण” के भाग I के पैरा (1) एवं पैरा (2) के उपबंधों के अननुपालन और शिष्टाचार की सीमा का अतिक्रमण करते हुए असंयमित भाषा का प्रयोग करने के लिए आपकी भर्त्सना करता है और अपेक्षा करता है कि आप, एक जिम्मेदार राजनीतिज्ञ होने के नाते, निर्वाचन काल के दौरान ऐसे अशोभनीय कथनों को नहीं दोहराएंगे। 6. आयोग, भारत के संविधान के अनुच्छेद 324 और इसके अधीन मिली अन्य सभी शक्तियों के तहत, चल रहे निर्वाचन के संबंध में श्री मोहन यादव, मंत्री, उच्च शिक्षा विभाग, मध्य प्रदेश सरकार पर, मध्य प्रदेश में कहीं भी कोई भी जनसभा करने, जलूस निकालने, जनता की रैली करने, रोड शो करने और साक्षात्कार, मीडिया (इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, प्रिंट, सोशल मेडिया) में सार्वजनिक बयान देने इत्यादि पर 31 अक्तूबर, 2020 को एक दिन (1) के लिए प्रतिबंध भी लगाता है।
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    सं. 100/एमपी-एलए/2020-(उप) दिनांक: 30 अक्तूबर, 2020 आदेश यत:, आयोग ने, मध्यप्रदेश की विधान सभा के लिए चल रहे उप-निर्वाचनों के दौरान राजनैतिक दलों और अभ्यर्थियों के मार्गदर्शन के लिए आदर्श आचार संहिता के ‘सामान्य आचरण’ के भाग I के पैरा(2) के उपबंधों का उल्लंघन करने के लिए श्री कैलाश विजयवर्गीय, भाजपा नेता को 26 अक्तूबर, 2020 को एक नोटिस, संख्या 100/एमपी-एलए/2020-(उप) जारी किया था; और 2. यत:, आयोग को, श्री कैलाश विजयवर्गीय से उक्त नोटिस का उत्तर 27 अक्तूबर, 2020 को मिल गया है; और 3. यत:, श्री कैलाश विजय वर्गीय ने, उक्त उत्तर में, अन्य बातों के साथ-साथ निम्नलिखित कहा है: क) उन्होंने अनेक निर्वाचन लड़े हैं और हमेशा निर्वाचन आयोग के दिशा-निर्देश का पालन किया है और वे आयोग के दिशा-निर्देश और आदर्श आचार संहिता का पूरा सम्मान करते है। ख) यह कि, प्रारम्भ में ही, शिकायत या नोटिस में लगाए गए सभी विपरीत आरोप पूरी तरह से अस्वीकार किए जाते हैं और इनमें से किसी भी आरोप को तब तक स्वीकार किया हुआ न समझा जाय, जब तक कि यहां इस उत्तर में विशेष रूप से ऐसा उल्लेख न किया गया हो। अधोहस्ताक्षरी शुरूआत में ही यहां पुन: अनुरोध करता है कि नोटिस में उद्धृत टिप्पणियों में इसके संदर्भ को पूर्णरूपेण गलत समझ लिया गया है। यह शिकायत निर्वाचन के रुख को बदलने के लिए निर्वाचन के माहौल में कांग्रेस पार्टी द्वारा की गई व्याख्या है। ग) संपूर्ण भाषण और कथित आपत्तिजनक शब्दों का ध्यान से अवलोकन करने से यह स्पष्ट है कि कांग्रेस पार्टी के दोनों नेताओं के आरोपों को निजी जिंदगी के सभी पहलुओं के बारे में की गई आलोचना नहीं माना जा सकता, जो कि दलों के नेताओं अथवा कार्यकर्ताओं की सार्वजनिक गतिविधियों से सम्बद्ध नहीं हैं, जैसा कि आदर्श आचार संहिता के पैरा 1(2) में परिभाषित है। घ) यह कि, यह प्रस्तुत किया गया है कि निर्वाचन आयोग के दिशा-निर्देशों और आदर्श आचार संहिता के प्रावधानों का पालन करना उनके और बीजेपी के प्रत्येक पार्टी कार्यकर्ता के लिए सर्वोपरि है तथा वह इनका सर्वाधिक सम्मान करते हैं। 4. यत:, निर्वाचन आयोग ने इस मामले पर सावधानीपूर्वक विचार किया है और यह उसका सुविचारित मत है कि श्री कैलाश विजयवर्गीय ने ‘राजनैतिक दलों और अभ्यर्थियों के मार्गदर्शन के लिए आदर्श आचार संहिता के सामान्य आचरण’ के भाग I के पैरा (2) का उल्लंघन किया है। 5. अब, इसलिए, आयोग श्री कैलाश विजयवर्गीय को एतद्द्वारा सलाह देता है कि आदर्श आचार संहिता लागू रहने की अवधि के दौरान, अपने सार्वजनिक वक्तव्य देते समय उन्हें ऐसे शब्द या कथन का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
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    सं.100/मध्य प्रदेश-वि.स./2020-(उप) दिनांक: 31 अक्‍तूबर, 2020 आदेश यत:, आयोग ने मध्‍यप्रदेश विधान सभा के चल रहे उप-निर्वाचनों के दौरान राजनीतिक दलों और अभ्‍यर्थियों के मार्गदर्शन की आदर्श आचार संहिता के ‘साधारण संचालन’ के भाग-I के पैरा (2) और पैरा (5) में विनिर्दिष्‍ट उपबंधों का उल्‍लंघन करने और आयोग के पत्र सं. 437/6/अनुदेश/भा.नि.आ./ प्रका./आ.आ.सं./2019, दिनांक 29 अप्रैल, 2019 द्वारा जारी परामर्शिका की अवमानना करने के लिए श्री विसाहुलाल सिंह, 87-अनूपपुर विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र से बीजेपी अभ्यर्थी को नोटिस सं. 100/मध्य प्रदेश-वि.स./2020(उप) दिनांक 24 अक्‍तूबर, 2020 जारी किया था; और 2. यत:, आयोग को उपर्युक्‍त नोटिस के संबंध में श्री विसाहुलाल सिंह का उत्‍तर 27 अक्‍तूबर, 2020 को मिला है; और 3. यत:, श्री विसाहुलाल सिंह ने अपने उपर्युक्‍त उत्‍तर में, अन्‍य बातों के साथ-साथ, निम्‍नलिखित निवेदन किया है:- (क) उनका संदर्भित कथन कांग्रेस प्रत्याशी श्री विश्वनाथ सिंह द्वारा विधानसभा निर्वाचन के संबंध में भरे गये निर्वाचन फार्म के बारे में सम्पति तथा अन्य तथ्यों को लेकर ब्योरा दिए जाने के बारे में था। (ख) यह विधि का यह सर्वमान्य सिद्धांत है कि पहली/एक पत्नी के जीवित रहते हुए कोई भी व्यक्ति दूसरा विवाह नहीं कर सकता और यदि करता भी है अथवा किसी और को पत्नी के रूप या किसी भी रूप में अपने साथ रखता है तो वह अवैध है तथा ऐसी दूसरी महिला को कानून की भाषा में रखैल शब्द से संबोधित किया गया है। इस संबंध में दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 125 की उपधारा 3 का स्पष्टीकरण अवलोकनीय है। (ग) यह कि प्रार्थी वरिष्ठ व्यक्ति है। इस तरह वृद्ध होने के कारण बोलने में कभी शब्दों में अस्पष्टता मालूम पड़ती है। श्री जयप्रकाश अग्रवाल के बारे में जो शब्द दुर्दशा होना बताया जा रहा है उसका उपयोग प्रार्थी द्वारा नहीं दिया गया था बल्कि वह वास्तविक शब्द सुधार था। श्री जयप्रकाश अग्रवाल के बारे में कहे गये पूरे शब्दों को यदि पूर्णतया एक साथ पढ़ा जाएगा तो उससे यह स्पष्ट है कि उसे सुधारने और रास्ते में लाने की बात कही गई प्रकट होती है। कोई भी व्यक्ति अपने करीबी और दोस्त शुभचिंतक के बारे में ही ऐसा कह सकता है। (घ) श्री जयप्रकाश अग्रवाल के बारे में प्रार्थी न तो कोई दुर्भावना रखता है और न ही उसके बारे में कोई आपत्तिजनक बात कही गई है। 4. यत:, आयोग ने इस मामले पर सावधानीपूर्वक विचार किया है और आयोग का यह सुविचारित मत है कि श्री विसाहुलाल सिंह ने राजनैतिक दलों और अभ्‍यर्थियों के मार्गदर्शन की आदर्श आचार संहिता के ‘साधारण संचालन’ के भाग-I के पैरा (2) और पैरा (5) और आयोग के पत्र सं. 437/6/अनुदेश/भा.नि.आ./प्रका./आ.आ.सं./2019, दिनांक 29 अप्रैल, 2019 के तहत जारी परामर्शिका का उल्‍लंघन किया है। 5. अत:, अब, आयोग श्री विसाहुलाल सिंह, 87- अनूपपुर विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र से बीजेपी अभ्यर्थी के विवादित बयान की एतद्द्वारा निंदा करता है और उन्हें पुनः परामर्श देता है कि वे आदर्श आचार संहिता की अवधि के दौरान सार्वजनिक बयान देते समय ऐसे शब्द अथवा कथन से बाज आएं। आदेश से हस्ता/- (मधुसूदन गुप्ता) सचिव सेवा में श्री विसाहुलाल सिंह, 87-अनूपपुर विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र से बीजेपी अभ्यर्थी, मध्‍य प्रदेश
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    Commission’s order to Sh. Gopal Bhargav of Bhartiya Janata Party and Leader of Opposition in the Legislative Assembly of Madhya Pradesh
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    In pursuance of sub-rule (2) of Rule-11 of the Conduct of Elections Rules, 1961, the list of contesting candidates for the Parliamentary Constituencies Scheduled for poll on 18th April, 2019 Commission's order to Ms. Mayawati, National President, Bahujan Samaj Party Sh. Yogi Adityanath, Chief Minister, Govt. of Uttar Pradesh Commission's letter to Chief Electoral Officers of All the States and the Union Territories. for the General Election to Lok Sabha, 2019 is published for general information
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    Commission’s order to The Producers ‘Udyama Simham’ (Through CEO Telangana)
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    Commission’s order to The Producers ‘Laxmi's NTR’ (Through CEO Andhra Pradesh)
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    Commission’s order to The Producers (S/Shri Anand K. Pandit, Suresh Oberoi, Acharya Manish and Sandeep Singh) ‘PM NARENDRA MODI’ (Through CEO Maharashtra) CEOs

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eci-logo.pngभारत निर्वाचन आयोग एक स्‍वायत्‍त संवैधानिक प्राधिकरण है जो भारत में निर्वाचन प्रक्रियाओं के संचालन के लिए उत्‍तरदायी है। यह निकाय भारत में लोक सभा, राज्‍य सभा, राज्‍य विधान सभाओं और देश में राष्‍ट्रपति एवं उप-राष्‍ट्रपति के पदों के लिए निर्वाचनों का संचालन करता है। निर्वाचन आयोग संविधान के अनुच्‍छेद 324 और बाद में अधिनियमित लोक प्रतिनिधित्‍व अधिनियम के प्राधिकार के तहत कार्य करता है। 

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