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सं.437/ईएस-1/बिहार-लो.स./2019 दिनांक 12 मई, 2019
आदेश
यत:, आयोग ने दिनांक 10/03/2019 के प्रेस नोट संख्या ईसीआई/प्रेनो/2019 के तहत लोक सभा के साधारण निर्वाचन, 2019 आयोजित करवाने के लिए अनुसूची की घोषणा की है और उसी तारीख से ही राजनैतिक दलों और अभ्यर्थियों के लिए आदर्श आचार संहिता के उपबंध लागू हो गए हैं; और
यत:, मुख्य निर्वाचन अधिकारी, बिहार ने दिनांक 25 अप्रैल, 2019 के अपने पत्र के तहत बिहार में जी0 डी0कालेज, बेगुसराय में, दिनांक 24 अप्रैल, 2019 को श्री गिरिराज सिंह द्वारा दिए गए भाषण की एक वीडियो क्लिप की प्रति अग्रेषित की, जिसमें उन्होंने निम्नलिखित वक्तव्य दिया था:-
‘’…………….. जो वन्दे मातरम् नहीं कह सकता, जो भारत की मातृभूमि को नमन नहीं कर सकता, अरे गिरिराज के तो बाबा –दादा सिमरिया घाट में गंगा के किनारे मरे उसी भूमि पर कब्र भी नहीं बनाया, तुम्हें तो तीन हाथ की जगह भी चाहिए अगर तुम नहीं कर पाओगे तो देश कभी माफ नहीं करेगी...........’’ ; और
यत:, यह भी सूचित किया गया है कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 125, 123 (3क) और भारतीय दंड संहिता अधिनियम की धारा 153क, 153 ख, 295 क, 171 ग, 188, 298 और 505 (ii) के अधीन इन वक्तव्यों के लिए बेगुसराय नगर थाना में एफ आई आर दर्ज करवाई गई है; और
यत:, आयोग ने उपर्युक्त उद्धत वक्तव्य देने के लिए आदर्श आचार संहिता और लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के प्रावधानों के उल्लंघन हेतु 24-बेगुसराय संसदीय निर्वाचन क्षेत्र से श्री गिरिराज सिंह, भारतीय जनता पार्टी के नेता और निर्वाचन लड़ने वाले अभ्यर्थी को दिनांक 29 अप्रैल, 2019 को कारण बताओ नोटिस सं.437/ईएस-1/बिहार-लो.स./2019 जारी किया है;
यत:, आयोग के ऊपर उल्लिखित नोटिस के जवाब में श्री गिरिराज सिंह से दिनांक 30.04.2019 को एक उत्तर प्राप्त हुआ है; और
यत:, आयोग ने श्री गिरिराज सिंह के दिनांक 30.04.2019 के पूर्वोक्त उत्तर में दी गई विषय-वस्तु और प्रकथनों को ध्यानपूर्वक पढ़ा, जिसमें उन्होंने अन्य बातों के साथ-साथ विवादास्पद कथन देना स्वीकार किया है; और
यत:, दिनांक 30.04.2019 के उपर्युक्त उल्लिखित उत्तर में यह बताया गया है कि, ‘’याचिकाकर्ता गिरिराज सिंह ने लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के किसी भी प्रावधान का उल्लंघन नहीं किया है और न ही उन्होंने किसी भी जाति या धर्म के खिलाफ ऐसा किसी भी प्रकार का कथन कहा है’’ ; और
यत:, इसके अतिरिक्त उन्होंने यह भी कहा है कि ‘’ पूरे कथन को पढ़ने के पश्चात ऐसा कुछ नहीं लगता है कि याचिकाकर्ता का इरादा किसी धर्म या जाति के प्रति द्वेष करने का है या था ’’, और
यत: आयोग ने उसके विवादास्पद भाषण की वीडियो रिकॉर्डिंग को एक बार फिर देखा है और यह आश्वस्त है कि उन्होंने एक आपत्तिजनक भाषण दिया है जिसकी भाषा एवंम भाव ऐसा है जिससे वर्तमान मतभेद बढ़ेंगें या विभिन्न धार्मिक समुदायों के बीच द्वेष पैदा होगा और इस प्रकार से यह आदर्श आचार संहिता के प्रावधानों का उल्लंघन है; और
यत: आयोग ने यह पाया है कि, श्री गिरिराज सिंह को निर्वाचनों का ध्रुवीकरण करने की संभावना एवं प्रकृति वाले बयान देने से स्वयं को रोकना चाहिए था, जो केवल उसी निर्वाचन क्षेत्र तक सीमित नहीं होता है जहाँ बयान दिया गया है, अपितु इस डिजिटल युग में सूचना का तेजी से प्रसार होने की वजह से यह अन्य क्षेत्रों तक भी पहुंच जाता है; और
यत:, आयोग ने, इस मामले पर विचार-विमर्श करते हुए, ऐसी सार्वजनिक बयानबाजी पर अपनी चिंता व्यक्त की है, जो निर्वाचन प्रक्रिया को दूषित करती है; और
यत:, आयोग का यह भी विचार है कि श्री गिरिराज सिंह ने अपने विवादास्पद भाषण में धार्मिक आधार पर बयानबाजी की है जो ‘’ राजनैतिक दलों और अभ्यर्थियों के मार्गदर्शन के लिए आदर्श आचार संहिता ’’ के ‘साधारण संचालन’ के भाग I के पैरा 3 और पैरा 4 के प्रावधानों के उल्लंघन के समान है जिसमें यह विनिर्दिष्ट है कि:-
(3) मतों को हासिल करने के लिए जाति या सांप्रदायिक भावनाओं की कोई अपील नहीं की जाएगी........................
(4) सभी दल और अभ्यर्थी ईमानदारी से ऐसे सभी कार्यकलापों से बचेंगे जो निर्वाचन विधि के अधीन “भ्रष्ट आचरण” और अपराध होते हैं जैसे कि मतदाताओं को रिश्वत देना………………, मतदाताओं को डराना-धमकाना और यह की उन्होंने वर्ष 1995 की सिविल अपील सं.8339 के साथ-साथ वर्ष 1992 की सिविल अपील सं.37 (अभिराम सिंह बनाम सी.डी.कोम्माचेन एवं अन्य) में माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा दिए गए निर्णय की अवमानना की है।
अत: अब, आयोग उन्हें एमसीसी के उल्लंघनों से संबंधित मामले में जारी किए गए या जारी किए जाने वाले किसी भी आदेश/नोटिस के प्रति पूर्वाग्रह के बिना, बेगुसराय में निर्वाचन प्रचार के दौरान उनके द्वारा दिए गए विवादास्पद बयानों की निंदा करता है और ऊपर उल्लिखित कदाचार के लिए 24-बेगुसराय संसदीय निर्वाचन क्षेत्र से श्री गिरिराज सिंह, नेता, भारतीय जनता पार्टी और निर्वाचन लड़ने वाले अभ्यर्थी की भर्त्सना करता है। आयोग आदर्श आचार संहिता की वैध-अवधि के दौरान श्री गिरिराज सिंह को अपने सार्वजनिक बयानों में सावधान रहने के लिए भी सख्त चेतावनी देता है।