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सं. 437/उ.प्र.-हि.प्र./2019
30 अप्रैल, 2019
आदेश
यत:, आयोग ने श्री आज़म खान, समाजवादी पार्टी के नेता, जो 07-रामपुर संसदीय निर्वाचन-क्षेत्र, उत्तर प्रदेश से एक अभ्यर्थी भी है, को (i) 05 अप्रैल, 2019 को 34-स्वार विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र में सार्वजनिक भाषण, (ii) 07 अप्रैल, 2019 और 08 अप्रैल, 2019 को 38-मिलक विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र में सार्वजनिक भाषणों और (iii) 09 अप्रैल, 2019 और 12 अप्रैल, 2019 को 36-बिलासपुर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में सार्वजनिक भाषणों के दौरान कतिपय आपत्तिजनक वक्तव्य देकर आदर्श आचार संहिता के कतिपय उपबंधों और लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की संबद्ध धाराओं का उल्लंघन करने के लिए दिनांक 16 अप्रैल, 2019 को कारण बताओ नोटिस सं. 437/उ.प्र.-हि.प्र./2019, जारी किया था; और
यत:, आयोग को श्री आज़म खान से उपर्युक्त नोटिस का उत्तर 17 अप्रैल, 2019 को मिला है; और
यत:, श्री आज़म खान ने अपने उपर्युक्त उत्तर में, अन्य बातों के साथ-साथ, निम्नलिखित निवेदन किया है:-
'' यदि इस प्रगतिरत साधारण निर्वाचन, 2019 में मेरे राजनीतिक कृत्यों और निर्वाचन अभियान के दौरान मैंने निर्वाचकीय महत्ता की किसी विधि का जानबूझकर अथवा अन्जाने में उल्लंघन किया हो तो सर्वप्रथम और अपना उत्तर/स्पष्टीकरण देने से पहले, मैं बिना शर्त क्षमा याचना करता हूं, बिना शर्त यह क्षमा याचना, इस देश की लोकतांत्रिक प्रक्रिया के प्रति मेरे अत्यधिक स्नेह एवं आदर के कारण की जा रही है, कहने की आवश्यकता नहीं है कि निर्वाचकीय मत द्वारा स्थापित लोकतंत्र में मेरा पूर्ण विश्वास है और भारत निर्वाचन आयोग, एक निकाय जिस पर हमारे प्रिय देश के लोकतंत्र के संरक्षण का दायित्व है, के प्रति भी मेरा अत्यधिक आदर है।
मैं एक बार फिर बिना शर्त क्षमा याचना करता हूँ और यह श्री निवेदन करता हूँ कि भविष्य में निर्वाचकीय अभियान के दौरान मैं ऐसे बयान नहीं दूंगा जो किसी भी प्रकार से आपत्तिजनक हों।
मैं एतद्द्वारा यह भी निवेदन करता हूँ कि मेरे द्वारा दिए गए भाषणों, जो आपत्तिजनक पाए गए हैं, में से कोई भी इस मंशा से नहीं दिया गया था जिससे आदर्श आचार संहिता अथवा लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के उपबंध अथवा देश की किसी अन्य विधि का उल्लंघन हो। भविष्य में मेरे द्वारा निर्वाचन अभियान के दौरान ऐसे बयान अथवा इसी तरह के बयान देने से बचने के लिए विशेष सावधानी बरती जाएगी''; और
यत:, आयोग ने श्री आज़म खान द्वारा प्रस्तुत स्पष्टीकरण और प्रमाणों की जांच की है तथा उनके विवादास्पद भाषणों की वीडियो रिकार्डिंग भी दोबारा देखी है; और
यत:, आयोग का मानना है कि श्री आज़म खान ने अपनी सार्वजनिक अभिव्यक्तियों में जिला निर्वाचन तंत्र के प्रति और धार्मिक विषयों पर अत्यधिक उत्तेजक भाषण दिए हैं, जो निर्वाचनों के ध्रुवीकरण की प्रवृति के हैं तथा जो केवल उस निर्वाचन क्षेत्र तक ही सीमित नहीं थे जहां पर भाषण दिया जाता है, बल्कि वे अन्य भागों में प्रसारित भी हुए क्योंकि इस डिजिटल युग में सूचना का प्रसार तेजी से होता है; और
यत:, वास्तविक तथ्यों और साक्ष्यों की जांच करने के पश्चात, आयोग, आश्वस्त है कि श्री आज़म खान ने अपने विवादास्पद भाषणों में धर्म के आधार पर वोट लेने के लिए ऐसी अपील की है जो ''राजनीतिक दलों और अभ्यर्थियों के मार्गदर्शन के लिए आदर्श आचार संहिता'' के 'सामान्य आचरण' के भाग-। के पैरा 3 और पैरा 4 के उपबंधों का उल्लंघन करने के समान है, जिनमें विनिर्दिष्ट किया गया है कि:-
(3) ........... मत लेने के लिए जाति अथवा सांप्रदायिक भावनाओं संबंधी कोई अपील नहीं की जाएगी।
(4) ..... सभी राजनीतिक दल और अभ्यर्थी ऐसे सभी कृत्यों से बचेंगे जो विधि के अंतर्गत 'भ्रष्ट आचरण' और अपराध है जैसे मतदाताओं को रिश्वत देना, मतदाताओं को डराना-धमकाना .... और उन्होंने 1995 की सिविल अपील सं.8339 सहित 1992 की सिविल अपील सं. 37 (अभिराम सिंह बनाम सी.डी. कोम्मचेन एवं अन्य) में दिए गए उच्चतम न्यायालय के निर्णय की अवज्ञा की है; और
यत:, श्री आज़म खान पर लोकसभा के साधारण निर्वाचन, 2014 के दौरान भी उनके कदाचार और उत्तेजक भाषणों के लिए उत्तर प्रदेश राज्य में सार्वजनिक सभाएं, सार्वजनिक जुलूस, सार्वजनिक रैलियां, रोड शोज इत्यादि निकालने पर 11 अप्रैल, 2014 से आगे की अवधि के लिए रोक लगाई गई थी तथा आयोग के दिनांक 16 अप्रैल, 2014 के आदेश के तहत उनकी भर्त्सना भी की गई थी; और
यत:, आयोग ने, एक अन्य मामले में, अपने दिनांक 15 अप्रैल, 2019 के आदेश सं. 437/उ.प्र.-हि.प्र./2019 के तहत 7-रामपुर संसदीय निर्वाचन क्षेत्र से निर्वाचन लड़ने वाले अभ्यर्थियों में से एक अभ्यर्थी के विरूद्ध अपमानजनक वक्तव्य देने पर श्री आज़म खान की भर्त्सना की है और प्रगतिरत निर्वाचनों में उन पर 16 अप्रैल, 2019 को प्रात: 10.00 बजे से 72 घंटे के लिए कोई भी सार्वजनिक सभा, सार्वजनिक जुलूस, सार्वजनिक रैली, रोड शो करने और साक्षात्कार देने, मीडिया (इलेक्ट्रॉनिक, प्रिंट, सोशल मीडिया) पर सार्वजनिक वक्तव्य देने पर रोक लगाई थी: और
यत:, श्री आज़म खान के विरूद्ध कथित उल्लंघनों के लिए भारतीय दंड संहिता की धारा 153-क, 153-ख, 171-छ, 505(1), 505(2) और लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 125 के अंतर्गत प्राथमिकी (एफआईआर) दर्ज कराई गई है, जिन पर कानून अपनी कार्रवाई करेगा:-
अत: अब, आयोग आदर्श आचार संहिता से संबंधित मामले में उन्हें जारी अथवा जारी किए जाने वाले किसी आदेश/नोटिस के संबंध में बिना किसी पूर्वाग्रह के रामपुर में संचालित निर्वाचन अभियान के दौरान उनके द्वारा दिए गए विवादास्पद वक्तव्य की, एतद्द्वारा कड़ी भर्त्सना करता है और श्री आज़मखान को भविष्य में ऐसा कदाचार न करने की चेतावनी देता है। इसके अतिरिक्त, आयोग भारत के संविधान के अनुच्छेद 324 के अंतर्गत और इस संबंध में दी गई अन्य सभी समर्थकारी शक्तियों के अंतर्गत इन प्रगतिरत निर्वाचनों के संबंध में 1 मई, 2019 (बुधवार) प्रात: 06.00 बजे से 48 घंटे के लिए कोई भी सार्वजनिक सभा, सार्वजनिक जुलूस, सार्वजनिक रैली, रोड शो करने और साक्षात्कार देने, मीडिया (इलेक्ट्रॉनिक, प्रिन्ट, सोशल मीडिया) में सार्वजनिक वक्तव्य देने के लिए उन पर रोक लगाता है।
आदेश से,
हस्त./-
(अनुज जयपुरियार)
प्रधान सचिव
श्री आज़म खान,
समाजवादी पार्टी के नेता,
रामपुर, उत्तर प्रदेश