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    सं.:-437/यूपी-एलए/2022 दिनांक 27 फरवरी, 2022 आदेश यतः, आयोग ने लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के धारा 125; "राजनैतिक दलों और अभ्यर्थियों के मार्गदर्शन के लिए आदर्श आचार संहिता" के भाग-I 'सामान्य आचरण' के पैरा 1 और पैरा 4 के 'प्रथम दृष्ट्या' उल्लंघन करने के लिए 306-डोमरियागंज विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र से निर्वाचन लड़ने वाले भारतीय जनता पार्टी के अभ्यर्थी, श्री राघवेन्द्र प्रताप सिंह को पेडारी गाँव, डोमरियागंज की जनसभा में दिनांक 19.02.2022 को उनके द्वारा दिए गए आपतिजनक बयान के लिए कारण-बताओ नोटिस सं. 437/यूपी-एलए/2022 दिनांक 26 फरवरी, 2022 को जारी किया है। उस ब्यान का वीडियो विभिन्न मीडिया प्लेटफार्मों पर व्यापक रूप से परिचालित हो रहा है, जिसकी अनुलिपि नीचे दी गई हैं- "ई बताई दो कौनो मियां हमके वोट देई? तो ई जान लेयो यह गांव कै जउन हिन्दू अगर दूसरे तरफ जात बा, तो इ जान लेयो ओकरे अन्दर मियां के खून दउड़त बा। ठीक है, नहीं ठीक है? उ गद्दार है, जयचन्द के नाजायज औलाद है। अपने बाप के हरामखोर औलाद है। इतना अत्याचार होने के बाद भी हिन्दू अगर दूसरे तरफ जाता है, तो उसको सड़क पर मुंह दिखाने लायक नहीं रखना चाहिए।...(अस्पष्ट)... में कुछ नहीं बोलता था। मैनें कहां, पांच साल मैं भी विधायक होने के बाद देखूंगा, जरा परखूंगा, समझूंगा और एक बार अगर वार्निंग देने के साथ समझ में नहीं आयेगा तो, इस बार मैं बता दूंगा कि राघवेन्द्र सिंह कौन है। मेरे साथ गद्दारी करोगे तो चलेगा, मैं अपमान सह लूंगा। मुझे अपमानित करोगे तो भी मैं अपमानित सह लूंगा, अगर हमारे हिन्दू समाज को अपमानित करने का प्रयास करोगे तो बर्बाद कर के रख दूंगा"; और यतः, श्री राघवेन्द्र प्रताप सिंह को उक्त नोटिस प्राप्त होने के उपरान्त 24 घंटे के भीतर अपना जवाब प्रस्तुत करने को कहा गया था; और यतः, पूर्वोक्त नोटिस के संबंध में निर्धारित समय के भीतर उत्तर प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी के कार्यालय की ओर से आयोग में जवाब प्राप्त हुआ है; और यतः, पूर्वकथित जवाब में, श्री राघवेन्द्र प्रताप सिंह ने निवेदन किया है कि उक्त नोटिस के संबंध में उनको जवाब प्रस्तुत करने के लिए दिया गया समय पर्याप्त नहीं है और उन्होंने जवाब प्रस्तुत करने के लिए अतिरिक्त समय की माँग की है। अन्य बातों के साथ- साथ यह बात भी बल देकर कही गई है कि यह अनुमान अधुरे वीडियो/अनुलिपि के आधार पर लगाया गया है और यह वक्तव्य उनके द्वारा सिर्फ कुछ खास स्थानीय लोगों द्वारा किए गए अत्याचारों की शिकायत के संबंध में सांत्वना के संकेत के रूप में दिया गया था; और यतः, निर्वाचन एक समयबद्ध प्रक्रिया होने के नाते कानून एवं व्यवस्था की स्थिति को प्रभावशाली ढ़ंग से नियन्त्रित करने और इस तरह की आवांछनीय घटनाओं से होने वाली क्षति को यथासंभव कम करने के लिए निर्वाचन प्रधिकारियों द्वारा तत्काल कार्रवाई करने की आवश्यकता होती है और इन सभी पहलूओं को ध्यान में रखते हुए, श्री राघवेन्द्र को जवाब प्रस्तुत करने के लिए उनके द्वारा मांगे गए अतिरिक्त समय प्रदान करने के अनुरोध को आयोग द्वारा स्वीकार नहीं किया गया है; और यत; आयोग ने उक्त बयान वाली विडियो रिकार्डिंग का पुनः देखा है और पाया है कि विवादित बयान में दिए गए संदर्भ एकदम गैरजिम्मेदाराना, भड़काऊ और धमकाने वाली प्रकृति का है और इसमें समाज के धार्मिक सौहार्द को भंग करने की छिपी हुई भावना और प्रवृत्ति विद्यमान है; और यतः भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 153क, 295क, 505 (2), 506 के अंतर्गत एवं लोक प्रतिनिधत्व अधिनियम, 1951 की धारा 125 के अंतर्गत डोमरियागंज थाना, जो सिद्धार्थनगर जिला के अन्तर्गत आता है, में विवादित बयान देने के लिए श्री राघवेन्द्र प्रताप सिंह के खिलाफ पहले हीं प्राथमिकी दर्ज की जा चुकी है; और यतः, श्री राघवेन्द्र प्रताप सिहं द्वारा दिए गए उनके पूर्व कथित जवाब के संबंध में उपलब्ध सभी महत्वपूर्ण तथ्यों और प्रमाणों पर विचार करते हुए, आयोग का मत है कि श्री राघवेन्द्र प्रताप सिंह ने विवादित बयान देकर "राजनैतिक दलों और अभ्यर्थियों के मार्गदर्शन के लिए आदर्श आचार संहिता के भाग I सामान्य आचरण" के पैरा 1, और 4 का उल्लंघन किया है। अतः, अब, आयोग इस मामले में जारी किए गए या जारी किए जानेवाले किसी भी आदेश/नोटिस बिना पक्षपात के, एतदद्वारा श्री राघवेन्द्र प्रताप सिंह, 306-डोमरियागंज विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से निर्वाचन लड़ रहे भारतीय जनता पार्टी के अभ्यर्थी, द्वारा दिए गए विवादित बयान की भर्त्सना करता है और उपरोक्त उल्लंघन के लिए उनकी निंदा करता है। आयोग एतदद्वारा भारत के संविधान के अनुच्छेद 324 के अंतर्गत एवं इस संबंध में अन्य सभी प्रदत्त शक्तियों के आधार पर चल रहे निर्वाचनों के संबंध में आदेश देता है और उन्हें दिनांक 28.02.22 (सोमवार) को 6 बजे सुबह से 24 घंटे के लिए किसी भी जनसभा के आयोजन करने, सार्वजनिक जुलूसों, सार्वजनिक रैलियों, रोड शो करने और साक्षात्कार देने, मीडिया (इलेक्ट्रॉनिक, प्रिंट, सोशल मीडिया) इत्यादि में सार्वाजनिक रूप से बोलने के संबंध में उन पर रोक लगाने का आदेश देता है। आदेश से अजय कुमार (सचिव) सेवा में श्री राघवेन्द्र प्रताप सिंह 306- डोमरियागंज विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र मे भाजपा के अभ्यर्थी जिला-सिद्धार्थनगर, उत्र प्रदेश
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    श्री मयंकेश्वर शरण सिंह, 178-तिलोई विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र, उत्तर प्रदेश से भाजपा के उम्मीदवार, को आदर्श आचार संहिता (एमसीसी) के उल्लंघन के लिए, आयोग का कारण बताओ नोटिस।
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    असम राज्य की विधान सभा के लिए उप-निर्वाचन, 2021 के संबंध में श्री हेमंत बिस्वा शर्मा को नोटिस।
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    491/मीडिया नीति/2021-संचार दिनांक: 26 मार्च, 2021 सेवा में सभी प्रिन्‍ट एवं इलेक्‍ट्रॉनिक मीडिया विषय: लोक प्रतिनिधित्‍व अधिनियम, 1951 की धारा 126क में संदर्भित अवधि के दौरान मीडिया कवरेज-उल्‍लंघन-तत्‍संबंधी। महोदया/महोदय, सभी मीडिया का ध्‍यान आयोग के दिनांक 30 मार्च, 2017 के पत्र सं.491/मीडिया नीति/2017-संचार (संलग्‍न) की ओर आकर्षित किया जाता है जिसके द्वारा आयोग ने स्‍वतन्‍त्र, निष्‍पक्ष एवं पारदर्शी निर्वाचन सुनिश्चित करने हेतु धारा 126क के अधीन निषेध अवधि के दौरान निर्वाचनों के परिणामों की किसी भी प्रकार की भविष्‍यवाणी करने संबंधी प्रसारण/प्रकाशन कार्यक्रमों से बचने के लिए सभी मीडिया (इलेक्‍ट्रॉनिक एवं प्रिन्‍ट) को परामर्शी जारी की थी। 2. आयोग का यह विचार है कि निषेध अवधि के दौरान ज्‍योतिषियों, टैरो रीडर, राजनैतिक विश्‍लेषकों या किसी अन्‍य व्‍यक्ति द्वारा भविष्‍यवाणी के माध्‍यम से किसी भी रूप अथवा तरीके से निर्वाचनों के परिणामों की किसी भी प्रकार से भविष्‍यवाणी धारा 126क की भावना का उल्‍लंघन है जिसका उद्देश्‍य मतदान संपन्‍न होने वाले निर्वाचन क्षेत्रों, के निर्वाचकों को विभिन्‍न राजनैतिक दलों की संभावनाओं के बारे में ऐसी भविष्‍यवाणी करके उनके मतदान को प्रभावित होने से रोकना है। 3. उपर्युक्‍त को ध्‍यान में रखते हुए, सभी मीडिया (इलेक्‍ट्रॉनिक तथा प्रिंट) को एतद्द्वारा सलाह दी जाती है कि वे असम, केरल, पुदुचेरी, तमिलनाडु एवं पश्चिम बंगाल की विधान सभाओं में वर्तमान साधारण निर्वाचन 2021 में निषेध अवधि के दौरान दिनांक 27 मार्च, 2021 (शनिवार) पूर्वाह्न 7.00 बजे और दिनांक 29 अप्रैल, 2021 (गुरूवार) को अपराह्न 7.30 बजे तक के बीच परिणामों के प्रसार से संबंधित किसी भी ऐसे लेख/कार्यक्रम को प्रकाशित/प्रचारित न करें। भवदीय, (पवन दीवान) अवर सचिव फोन-01123052133 ई-मेल:diwaneci@yahoo.co.in प्रतिलिपि प्रेषित: सचिव, प्रेस काउंसिल ऑफ इण्डिया, सूचना भवन, 8-सीजीओ काम्‍प्‍लेक्‍स, लोधी रोड, नई दिल्‍ली- 110003 श्रीमती एनी जोसफ महासचिव, न्‍यूज ब्राडकास्‍टर्स एसोशिएशन मैनटेक हाउस, सी-56/5,दूसरा तल,सेक्‍टर 62, नोएडा-201301 गार्ड फाइल ********************* भारत निर्वाचन आयोग निर्वाचन सदन, अशोक रोड, नई दिल्‍ली-110001 सं. 491/मीडिया नीति/2017-संचार/11-12 दिनांक: 30 मार्च, 2017 सेवा में, सभी प्रिंट और इलेक्‍टॉनिक मीडिया विषय: लोक प्रतिनिधित्‍व अधिनियम, 1951 की धारा 126क में सं‍दर्भित अवधि के दौरान मीडिया कवरेज- उल्‍लंघन-तत्‍संबंधी। महोदया/महोदय, लोक प्रतिनिधित्‍व अधिनियम, 1951 की धारा 126क (1) यह उपबंधित करती है कि ‘‘कोई भी व्‍यक्ति किसी भी प्रकार के एग्‍जिट पोल का संचालन नहीं करेगा तथा प्रिंट या इलेक्‍ट्रॅानिक मीडिया के द्वारा उसका प्रकाशन अथवा प्रचार या किसी भी प्रकार से इस संबंध में निर्वाचन आयोग द्वारा यथा अधिसूचित ऐसी अवधि के दौरान किसी भी प्रकार के एग्जिट पोल के परिणाम जो भी हो, का प्रचार नहीं करेगा।’’ लोक प्रतिनिधित्‍व अधिनियम, 1951 की धारा 126क की उप धारा (2) के उपबंधों के अधीन उपर्युक्‍त अवधि सभी राज्‍यों और संघ राज्‍य क्षेत्रों में मतदान के पहले दिन मतदान के लिए निर्धारित समय से शुरू होने से आरंभ होगी तथा मतदान समाप्‍त होने के आधा घंटा बाद तक जारी रहेगी। 2. इस संबंध में, आयोग ने दिनांक 04 मार्च, 2017 की अपनी अधिसूचना द्वारा, उक्‍त धारा 126क के अर्थों में, पांच राज्‍यों की विधान सभाओं के हाल ही में आयोजित साधारण निर्वाचनों के संबंध में दिनांक 04.02.17 को पूर्वाह्न 7:00 बजे से प्रारंभ होकर और दिनांक 09.03.17 को अपराह्न 05:30 बजे तक जारी अवधि को ऐसी अवधि के रूप में विनिर्दिष्‍ट किया है जिसके दौरान किसी भी प्रकार के एग्जिट पोल के आयोजन और किसी भी प्रकार के एग्जिट पोल के परिणामों के प्रचार-प्रसार पर प्रतिबन्‍ध था। 3. आयोग की अधिसूचना और धारा 126क के उपर्युक्‍त उपबंधों के बावजूद, यह देखा गया है कि कुछ टी.वी चैनल ऐसे कार्यक्रम प्रसारित करते हैं जिनमें राजनैतिक दलों द्वारा जीती जाने वाली संभावित सीटों की संख्‍या का उल्‍लेख किया जाता है। ऐसा उस अवधि के दौरान किया गया है जिसके दौरान एग्जिट पोल और उसके परिणामों के प्रसार पर प्रति‍बन्‍ध था। किसी एक चैनल में कार्यक्रम के पेनलिस्‍ट, जो कि राजनैतिक विश्‍लेषकों सहित विभिन्‍न क्षेत्रों से संबंधित व्‍यक्ति थे, ने उत्‍तर प्रदेश में विभिन्‍न राजनैतिक दलों द्वारा जीती जाने वाली संभावित सीटों की अनुमानित संख्‍या के बारे में बताया था। 4. आयोग का यह विचार है कि निषेध अवधि के दौरान किसी भी प्रकार से निर्वाचनों के परिणामों की भविष्‍यवाणी या ज्‍योतिषियों, टैरो रीडर, राजनैतिक विश्‍लेषकों या किसी अन्‍य व्‍यक्ति द्वारा की गई भविष्‍यवाणी का कोई तरीका, धारा 126क के अर्थों में उल्‍लंघन है, जो ऐसे राज्‍यों जहां मतदान होने हैं, के निर्वाचन क्षेत्रों के निर्वाचकों को विभिन्‍न राजनैतिक दलों की संभावनाओं के बारे में ऐसी भाविष्‍यवाणी द्वारा उनके मतदान में उन्‍हें प्रभावित होने से रोकती है। 5. निर्वाचन आयोग को इसे रिकॉर्ड करने में कोई दुविधा नहीं हैं कि संवैधानिक आधार, स्‍वतंत्र न्‍यायपालिका, व्‍यापक स्‍तर पर नागरिकों, राजनैतिक दलों और विशेषत: सिविल सोसाइटी संगठनों की अत्‍याधिक आस्‍था और विश्‍वास, वस्‍तुनिष्‍ठ मीडिया रिपोर्टिंग जिसमें निर्धारित आचार संहिता, नियमों, विधियों इत्‍यादि का अनुपालन शामिल है, के बिना भारत निर्वाचन आयोग को इतनी पहचान न मिली होती जितनी इसे विश्‍व भर में निर्वाचन प्रबंधन के कारण मिली है। इस पृष्‍ठभूमि में ऐसे प्रयास जो कि मात्र वाणिज्‍यिक कारणों से प्रतिद्वंद्वियों के विरूद्ध केवल ब्राउनी प्‍वाइंटस प्राप्‍त करने के लिए हैं, उपयुक्‍त प्रतीत नहीं होते हैं। 6. सभी मीडिया (इलेक्‍ट्रॉनिक और प्रिंट) को धारा 126क के अधीन निषेध अवधि के दौरान आगामी निर्वाचनों में इस प्रकार के कार्यक्रमों के प्रसारण/प्रकाशन से दूर रहने की सलाह दी जाती है ताकि स्‍वतंत्र, निष्‍पक्ष और पारदर्शी निर्वाचन संचालित किए जा सकें। भवदीय, (एस.के.दास) अवर सचिव
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    सं. 437/6/ईसीआई/अनु./प्रका./एमसीसी/2021 दिनांकः 14 मार्च, 2021 सेवा में, सभी राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों के मुख्य निर्वाचन अधिकारी विषयः आदर्श आचार संहिता (एमसीसी) की अवधि के दौरान निर्धारित सुरक्षा प्रोटोकॉल का अनुपालन-तत्संबधी। महोदय/महोदया, आयोग के नोटिस में यह आया है कि कुछ अवसरों पर स्टार प्रचारक सुरक्षा एजेंसियों द्वारा निर्धारित सुरक्षा प्रोटोकॉल का अनुपालन नहीं कर रहे हैं और अभियान के दौरान स्वयं की सुरक्षा को खतरे में डाल रहे हैं। इस ओर भी ध्यान आकर्षित किया गया है कि कुछ मामलों में मोटर वाहन अधिनियम, 1988 (यथा संशोधित) (उदाहरण के लिए सीट बैल्ट, आदि लगाना) में यथा निर्धारित सुरक्षा प्रावधानों का भी पालन नहीं किया जा रहा है, जिसकी वजह से कानून के अंतर्गत मौजूदा वैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन हो रहा है। 2. आयोग ने समय-समय पर अभियान के दौरान सभी अभ्यर्थियों के बचाव और सुरक्षा पर बल दिया है। इस संबंध में, आयोग के दिनांक 09.04.1996 के पत्र सं. 437/6/96-पीएलएन-III और दिनांक 24.10.2007 के पत्र सं. 437/6/2007/पीएलएन.III (प्रतियां संलग्न हैं) की ओर ध्यान आकृष्ट किया जाता है, जो गृह मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा यथा-निर्धारित Z + सुरक्षा कवर प्रदान किए गए व्यक्तियों द्वारा बुलेट प्रूफ कार का उपयोग निर्दिष्ट करता है। जिन स्टार प्रचारकों को सुरक्षा एजेंसियों द्वारा सुरक्षा कवच प्रदान किया गया है, उन्हें किसी भी प्रकार की सुरक्षा में सेंध, जो उन्हें जोखिम में डाल सकती है, से बचने के लिए निर्धारित सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन करना चाहिए। इसके अतिरिक्त, स्टार प्रचारकों सहित सभी अभ्यर्थियों को हेलिकॉप्टर सहित किसी भी वाहन आदि के उपयोग के दौरान प्रासंगिक कानूनों के अंतर्गत यथा-निर्धारित अनुदेशों का पालन करना चाहिए ताकि किसी भी ऐसी अनहोनी या दुर्घटना से बचा जा सके, जो बड़े पैमाने पर व्यक्ति(यों) और/या जनता के जीवन और संपत्ति को खतरे में डाल सकती है। 3. पूर्वोक्त को देखते हुए और स्टार प्रचारकों तथा अभ्यर्थियों की सुरक्षा को अत्यधिक महत्व देने के मद्देनजर, आयोग ने निदेश दिया है कि इन अनुदेशों को सख्त अनुपालन के लिए सभी राजनैतिक दलों और अभ्यर्थियों तथा स्टार प्रचारकों के ध्यान में लाया जाना चाहिए, जो उनके स्वयं के हित में है और किसी भी अप्रिय घटना के मामले में सम्पूर्ण राज्य/संघ राज्य क्षेत्र में साधारण कानून और व्यवस्था पर पड़ने वाली संभावित सनसनीखेज प्रभाव से संबंधित हैं।
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    सं. 100/एमपी-एलए/2020-(बाय.) दिनांक: 30 अक्तूबर, 2020 आदेश यत:, आयोग द्वारा मध्यप्रदेश की विधान सभा के लिए उप-निर्वाचन प्रेस नोट सं. ईसीआई/पीएन/67/2020 के माध्यम से दिनांक 29 सितंबर, 2020 को घोषित कर दिए गए थे और उक्त प्रेस नोट के पैरा 4 के अनुसार आदर्श आचार संहिता के उपबंध उसी तारीख से लागू कर दिए गए थे; और 2. यत:, आदर्श आचार संहिता के भाग 1 के उप पैरा (1) में उल्लेख है कि ‘कोई भी दल या अभ्यर्थी किसी भी ऐसी गतिविधि में शामिल नहीं होगा, जो वर्तमान मतभेदों को बढ़ाए या आपसी घृणा पैदा करे या विभिन्न जातियों और समुदायों के बीच धार्मिक या भाषायी तनाव पैदा करे; और 3. यत:, आदर्श आचार संहिता के भाग 1 के उप पैरा (2) में उल्लेख है कि, अन्य बातों के साथ-साथ, ‘सभी दल और सभी अभ्यर्थी दलों के नेताओं अथवा कार्यकर्ताओं की निजी जिंदगी के उन सभी पहलुओं की आलोचना करने से बचेंगे जो उनकी सार्वजनिक गतिविधियों से संबद्ध न हों’; और 4. यत:, आयोग को भारतीय जनता पार्टी (म.प्र.) से और राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष से भी शिकायतें मिली हैं कि श्री कमल नाथ, नेता प्रतिपक्ष, मध्य प्रदेश विधान सभा ने एक महिला अभ्यर्थी के लिए “आइटम” शब्द का प्रयोग किया है। 5. यत:, आयोग ने श्री कमलनाथ को उक्त कथन के कहे जाने के बारे में अपनी स्थिति स्पष्ट करने के लिए एक अवसर प्रदान करते हुए दिनांक 21.10.2020 के नोटिस के माध्यम से एक नोटिस जारी किया। इस मामले में उनके द्वारा दिनांक 22.10.2020 को एक उत्तर प्रस्तुत किया गया था। 6. यत:, श्री कमल नाथ का उक्त उत्तर संतोषजनक नहीं पाया गया था और इसलिए आयोग ने, ‘राजनैतिक दलों और अभ्यर्थियों के मार्गदर्शन के लिए आदर्श आचार संहिता के सामान्य आचरण’ के भाग I के पैरा (2) में अंतर्विष्ट उपबंधों का उल्लंघन करने और मध्य प्रदेश विधान सभा के लिए चल रहे उप-निर्वाचनों के दौरान आयोग द्वारा दिनांक 29 अप्रैल, 2019 के अपने पत्र सं. 437/6/आईएनएसटी/ईसीआई/एफएनसीटी/एमसीसी/2019 के माध्यम से जारी की गई परामर्शिका (एडवायजरी) का सम्मान न करने के लिए श्री कमल नाथ को दिनांक 26.10.2020 का एक परामर्शिका आदेश जारी किया। “आयोग का सुविचारित मत है कि श्री कमल नाथ ने एक महिला के लिए “आइटम” शब्द का प्रयोग किया है और यह आयोग द्वारा जारी परामर्शिका का उल्लंघन है--------- अब, इसलिए, आयोग, श्री कमल नाथ, पूर्व मुख्यमंत्री, मध्य प्रदेश को एतद्द्वारा सलाह देता है कि सार्वजनिक रूप से बोलते समय उन्हें आदर्श आचार संहिता की अवधि के दौरान ऐसे शब्द या कथन का प्रयोग नहीं करना चाहिए ”; और 7. यत:, भारतीय जनता पार्टी (मध्य प्रदेश) से एक और शिकायत आयोग के ध्यान में लाई गई है कि श्री कमल नाथ ने 13.10.2020 को कहा है कि “शिवराज नौटंकी के कलाकार, मुम्बई जाकर एक्टिंग करें”; और 8. यत:, आयोग ने इस संबंध में मुख्य निर्वाचक अधिकारी, मध्य प्रदेश से एक रिपोर्ट मांगी। इस संबंध में मुख्य निर्वाचक अधिकारी, मध्य प्रदेश ने श्री कमल नाथ के दिनांक 13.10.2020 के भाषण का प्रतिलेख, जिसमें श्री कमल नाथ ने कहा है कि “आपके भगवान तो वो माफिया हैं जिससे आपने मध्य प्रदेश की पहचान बनाई आपके भगवान तो मिलावट खोर हैं।” के साथ एक रिपोर्ट भेजी है। मुख्य निर्वाचक अधिकारी, मध्य प्रदेश की रिपोर्ट भी आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन की पुष्टि करती है; और 9. यत:, निर्वाचनों से पहले प्रचार के दौरान सबको समान अवसर प्रदान करने के साथ-साथ नैतिक और गरिमापूर्ण व्यवहार बनाए रखने के लिए सभी राजनैतिक दलों की सहमति से आदर्श आचार संहिता अनेक दशकों में विकसित हुआ है; और 10. यत:, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से राजनैतिक दल के नेताओं (स्टार प्रचारकों) की एक सूची दिनांक 19.10.2020 के पत्र के माध्यम से प्राप्त हुई थी, जिसमें मध्य प्रदेश विधान सभा, 2020 के उप-निर्वाचन के लिए लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 77(1) के तहत श्री कमल नाथ का नाम क्रम संख्या-3 पर रखा गया था; और 11. यत:, आयोग ने इस मामले पर सावधानीपूर्वक विचार किया है और यह अवलोकन करके नाराजगी व्यक्त की है कि श्री कमल नाथ एक राजनैतिक दल के नेता होने के बावजूद आदर्श आचार संहिता के उपबंधों का बार-बार उल्लंघन कर रहे हैं तथा नैतिक और गरिमापूर्ण व्यवहार का अतिक्रमण कर रहे हैं; और 12. अत:, अब, आदर्श आचार संहिता का बार-बार उल्लंघन करने और उन्हें जारी की गई परामर्शिका का पूरी तरह से निरादर करने के लिए आयोग, एतद्द्वारा मध्य प्रदेश विधान सभा, 2020 के लिए चल रहे उप-निर्वाचनों के लिए श्री कमल नाथ, पूर्व मुख्य मंत्री, मध्य प्रदेश को प्राप्त राजनैतिक दल के नेता (स्टार प्रचारक) के दर्जे को तत्काल प्रभाव से वापस लेता है। 13. फलस्वरूप, जिला निर्वाचन अधिकारी/रिटर्निंग अधिकारी द्वारा श्री कमल नाथ को स्टार प्रचारक के रूप में कोई भी अनुमति नहीं दी जाएगी। हालांकि, श्री कमल नाथ द्वारा यदि अब आगे कोई प्रचार अभियान चलाया जाता है तो, यात्रा करने, ठहरने, दौरे इत्यादि से संबंधित संपूर्ण खर्च पूरी तरह से उस अभ्यर्थी के द्वारा वहन किया जाएगा जिसके निर्वाचन क्षेत्र में प्रचार अभियान चलाया जाता है।
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    सं. 100/मध्य प्रदेश–वि.स./2020-(उप) दिनांकः 30 अक्तूबर, 2020 नोटिस यतः, आयोग द्वारा दिनांक 29 सितम्बर, 2020 को प्रेस नोट सं. ईसीआई/प्रे.नो./67/2020 के तहत मध्य प्रदेश विधान सभा के लिए उप-निर्वाचनों की घोषणा की गई थी और उक्त प्रेस नोट के पैरा 4 के अनुसार आदर्श आचार संहिता के उपबंध उक्त तारीख से लागू हो गए हैं; और 2. यतः, आदर्श आचार संहिता के भाग I के उप पैरा (1) में यह प्रावधान है कि ‘किसी भी दल अथवा अभ्यर्थी को ऐसी किसी भी गतिविधि में शामिल नहीं होना चाहिए जो विभिन्न जातियों एवं समुदायों, विभिन्न धर्मों या अन्य भाषा भाषियों के बीच मौजूदा मतभेदों को बढ़ाए या परस्पर घृणा उत्पन्न करे या तनाव पैदा करे’; और 3. यतः, मध्य प्रदेश, मुख्य निर्वाचन अधिकारी द्वारा श्री गिर्राज दण्डोतिया, 07-दिमनी विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र से बीजेपी अभ्यर्थी द्वारा दिनांक 22/10/2020 को स्वराज एक्सप्रेस को दिए गए साक्षात्कार पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत की गई है तथा उक्त को वीडियो क्लिप और अधिकृत प्रतिलेख अनुलग्नक-I के साथ निम्नानुसार प्राप्त किया गया है: "जब आयटम कहोगे किसी की पत्नी को, यहाँ आयटम कह दिया जाएगा, यहाँ मान्समर जाएगो, यहाँ गोलियाँ चल जाएंगी। किसी की बहन को आयटम कह देखोगे, यहाँ खून की नदियाँ बह जाएंगी। कमलनाथ जिंदा निकल गये, अपने आपको बहुत समझे, अगर जेबात यहाँ पर कह देते तो मैं कहता हूँ कि जिंदा नहीं जा पाते, कमलनाथ यहाँ से, चम्बल से।" 4. यतः, श्री गिर्राज दण्डोतिया द्वारा दिए गए भाषण के प्रतिलेख (ट्रांसक्रिप्ट) की आयोग में जांच की गई है और उनके बयान को राजनैतिक दलों एवं अभ्यर्थियों के मार्गदर्शन हेतु आदर्श आचार संहिता के ‘साधारण संचालन’ के भाग I के उप पैरा (1) में निहित प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए पाया गया है; और 5. अब, इसलिए, आयोग श्री गिर्राज दण्डोतिया को एक अवसर देता है कि वह इस नोटिस की प्राप्ति के 48 घंटों के भीतर दिए गए उपर्युक्त बयान के संबंध में अपनी स्थिति स्पष्ट करें, ऐसा न करने पर भारत निर्वाचन आयोग इनका आगे संदर्भ दिए बिना निर्णय लेगा।
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    सं. 100/एमपी-एलए/2020-(बाय.) दिनांक: 31 अक्तूबर, 2020 नोटिस यत:, आयोग द्वारा, मध्यप्रदेश की विधान सभा के लिए उप-निर्वाचनों की घोषणा दिनांक 29 सितंबर, 2020 के प्रेस नोट सं. ईसीआई/पीएन/67/2020 के माध्यम से कर दी गई है और उक्त प्रेस नोट के पैरा 4 के अनुसार, आदर्श आचार संहिता के उपबंध उस तारीख से लागू कर दिए गए हैं; और 2. यत:, आदर्श आचार संहिता के भाग 1 के पैरा (2) में उल्लेख है कि, अन्य बातों के साथ-साथ, ‘सभी दल और सभी अभ्यर्थी दलों के नेताओं अथवा कार्यकर्ताओं की निजी जिंदगी के सभी पहलुओं की आलोचना करने से बचेंगे’ यदि वे सार्वजनिक गतिविधियों से सम्बद्ध न हों,; और 3. यत:, आयोग को मुख्य निर्वाचन अधिकारी, मध्य प्रदेश से एक रिपोर्ट प्राप्त हुई है, जिसमें यह कहा गया है कि 27 अक्तूबर, 2020 को जौरा, मुरैना में एक रैली को संबोधित करने के दौरान, कांग्रेस नेता श्री आचार्य प्रमोद कृष्णन ने श्री शिवराज सिंह चौहान के लिए अपमानजनक भाषा का प्रयोग किया है; और 4. यत:, आयोग को कथित संबोधन की प्राधिकृत प्रतिलिपि (अनुबंध-I) प्राप्त हुई, जो निम्नानुसार है: " द्वापर में मारीच मामा, द्वापर के अंत में कंस जिसने अपनी बहन के सभी बच्चों को कुर्सी सलामत रखने के लिए मर दिया, तीसरा सकुनि मामा, जिसने छल कपट कर कौरवों का नाश कराया, तीनों प्रपंची मामाओं को मिला दिया जाये तो एक मामा बनता है शिवराज, इन तीनों का घोटाला, इन तीनों के कमीनापन एक जगह निचोड़ दिया जाये तो यह आदमी बनता है" और 5. यत:, श्री आचार्य प्रमोद कृष्णन द्वारा 27 अक्तूबर, 2020 को रैली को संबोधित करते हुए दिए गए भाषण की प्रतिलिपि की जांच आयोग में की गई है और उक्त वक्तव्य को राजनैतिक दलों और अभ्यर्थियों के मार्गदर्शन के लिए आदर्श आचार संहिता के ‘सामान्य आचरण’ के भाग I के पैरा (2) में उल्लिखित उपबंधों का उल्लंघन पाया गया है। 6. अत:, अब आयोग श्री आचार्य प्रमोद कृष्णन को उक्त वक्तव्य देने के संबंध में अपनी स्थिति स्पष्ट करने के लिए इस नोटिस की प्राप्ति के 48 घंटों के अन्दर उत्तर देने का एक अवसर देता है और ऐसा न करने पर भारत निर्वाचन आयोग उन्हें कोई और सूचना दिए बिना निर्णय लेगा। संलग्नक: यथोक्त। अनुबंध-1 दिनांक 27.10.2020 को विधान सभा क्षेत्र 04 जौरा में सचिन पायलट की आमसभा में श्री प्रमोद कृष्णन द्वारा दिए गए वक्तव्य की स्क्रिप्ट “मारीच, द्वापर के प्रारम्भ में हुआ कंस मामा, जिसने अपनी सगी बहन देवकी के तमाम बच्चों का वध इसलिए किया कि उसकी कुर्सी सलामत रहे। तीसरा मामा हुआ महाभारत के दौर में शकुनि, जिसने छल और प्रपंच से पांडवों को बर्बाद करने का षड़यंत्र रचा था। लेकिन आज जौरा की पवित्र भूमि को नमन करते हुए, पवित्र मंच को प्रणाम करते हुए, चम्बल की माटी को माथे पर लगाते हुए मैं ऐलान के साथ कहना चाहता हूँ अगर इन तीनों प्रपंची मामाओं को मिला दिया जाये तो एक मामा बनता है शिवराज मामा। इन तीनों का घोटाला, इन तीनों का कमीनापन अगर एक जगह निचोड़ दिया जाये तो ये आदमी बनता है”
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    सं. 100/एमपी-एलए/2020-(उप) दिनांक: 30 अक्तूबर, 2020 आदेश यत:, आयोग ने राजनैतिक दलों और अभ्यर्थियों के मार्गदर्शन के लिए आदर्श आचार संहिता के ‘सामान्य आचरण’ के भाग I के पैरा (2) के उपबंधों का उल्लंघन करने के लिए श्री मोहन यादव, मंत्री, उच्च शिक्षा विभाग, मध्य प्रदेश सरकार को 24 अक्तूबर, 2020 को एक नोटिस संख्या 100/एमपी-एलए/2020-(उप) जारी किया था; और 2. यत:, आयोग को उक्त नोटिस के संबंध में आपका उत्तर दिनांक 25 अक्तूबर, 2020 को मिल गया है; और 3. यत: आपने उसके उपर्युक्त उत्तर में, अन्य बातों के साथ-साथ निम्नलिखित कहा है; आयोग द्वारा प्रेषित नोटिस असत्य एवं भ्रामक जानकारी के आधारों पर प्रेषित है तथा प्रथम दृष्ट्या निरस्त किए जाने योग्य है। उचित ट्रांसक्रिप्ट की मूल वीडियो क्लिप उपलब्ध नहीं कराई गई है। तथापि, मैंने आदर्श आचार संहिता के किसी भी प्रावधानों का अथवा किसी भी कानून के वैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन नहीं किया है। मेरा संपूर्ण जीवन निष्कलंक रहा है और मेरे द्वारा सदैव भारतीय संविधान एवं कानून का पालन किया गया है। मेरे द्वारा कथित घटना के उद्बोधन में किसी भी जाति अथवा धर्म अथवा वर्ग विशेष अथवा व्यक्ति विशेष के बीच वैमनस्य पैदा करने विषयक कोई वक्तव्य नहीं है। ट्रांसक्रिप्ट में घटना का स्थान कार्यालय, भारतीय जनता पार्टी आगर दर्शित किया गया है, इससे यह स्पष्ट प्रमाणित होता है कि यह सभा किसी सार्वजनिक चौराहे अथवा स्थान पर आयोजित नहीं की गई थी। यह सभा भारतीय जनता पार्टी के जिला आगर स्थित कार्यालय में केवल आमंत्रित भाजपा के सक्रिय कार्यकर्ताओं तथा पदाधिकारियों का मनोबल बढ़ाने के उद्देश्य से की गई थी। अत: अयोग द्वारा जारी नोटिस/ सूचना पत्र को निरस्त कर दिया जाए। 4. यत: निर्वाचन आयोग ने दिनांक 25.10.2020 के आपके उत्तर पर सावधानीपूर्वक विचार किया है। शिकायत में संदर्भित भाषण के अंश पर विचार करने पर, आयोग संतुष्ट है कि उसके वक्तव्यों में शिष्टाचार का अतिक्रमण करते हुए असंयमित भाषा का प्रयोग है। शिकायत और आपके उत्तर पर यथोचित विचार करने पर, आयोग ने आपके उत्तर को संतोषजनक नहीं पाया है। 5. अब, इसलिए, निर्वाचन आयोग, एतद्द्वारा “आदर्श आचार संहिता के सामान्य आचरण” के भाग I के पैरा (1) एवं पैरा (2) के उपबंधों के अननुपालन और शिष्टाचार की सीमा का अतिक्रमण करते हुए असंयमित भाषा का प्रयोग करने के लिए आपकी भर्त्सना करता है और अपेक्षा करता है कि आप, एक जिम्मेदार राजनीतिज्ञ होने के नाते, निर्वाचन काल के दौरान ऐसे अशोभनीय कथनों को नहीं दोहराएंगे। 6. आयोग, भारत के संविधान के अनुच्छेद 324 और इसके अधीन मिली अन्य सभी शक्तियों के तहत, चल रहे निर्वाचन के संबंध में श्री मोहन यादव, मंत्री, उच्च शिक्षा विभाग, मध्य प्रदेश सरकार पर, मध्य प्रदेश में कहीं भी कोई भी जनसभा करने, जलूस निकालने, जनता की रैली करने, रोड शो करने और साक्षात्कार, मीडिया (इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, प्रिंट, सोशल मेडिया) में सार्वजनिक बयान देने इत्यादि पर 31 अक्तूबर, 2020 को एक दिन (1) के लिए प्रतिबंध भी लगाता है।
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    सं. 100/एमपी-एलए/2020-(उप) दिनांक: 30 अक्तूबर, 2020 आदेश यत:, आयोग ने, मध्यप्रदेश की विधान सभा के लिए चल रहे उप-निर्वाचनों के दौरान राजनैतिक दलों और अभ्यर्थियों के मार्गदर्शन के लिए आदर्श आचार संहिता के ‘सामान्य आचरण’ के भाग I के पैरा(2) के उपबंधों का उल्लंघन करने के लिए श्री कैलाश विजयवर्गीय, भाजपा नेता को 26 अक्तूबर, 2020 को एक नोटिस, संख्या 100/एमपी-एलए/2020-(उप) जारी किया था; और 2. यत:, आयोग को, श्री कैलाश विजयवर्गीय से उक्त नोटिस का उत्तर 27 अक्तूबर, 2020 को मिल गया है; और 3. यत:, श्री कैलाश विजय वर्गीय ने, उक्त उत्तर में, अन्य बातों के साथ-साथ निम्नलिखित कहा है: क) उन्होंने अनेक निर्वाचन लड़े हैं और हमेशा निर्वाचन आयोग के दिशा-निर्देश का पालन किया है और वे आयोग के दिशा-निर्देश और आदर्श आचार संहिता का पूरा सम्मान करते है। ख) यह कि, प्रारम्भ में ही, शिकायत या नोटिस में लगाए गए सभी विपरीत आरोप पूरी तरह से अस्वीकार किए जाते हैं और इनमें से किसी भी आरोप को तब तक स्वीकार किया हुआ न समझा जाय, जब तक कि यहां इस उत्तर में विशेष रूप से ऐसा उल्लेख न किया गया हो। अधोहस्ताक्षरी शुरूआत में ही यहां पुन: अनुरोध करता है कि नोटिस में उद्धृत टिप्पणियों में इसके संदर्भ को पूर्णरूपेण गलत समझ लिया गया है। यह शिकायत निर्वाचन के रुख को बदलने के लिए निर्वाचन के माहौल में कांग्रेस पार्टी द्वारा की गई व्याख्या है। ग) संपूर्ण भाषण और कथित आपत्तिजनक शब्दों का ध्यान से अवलोकन करने से यह स्पष्ट है कि कांग्रेस पार्टी के दोनों नेताओं के आरोपों को निजी जिंदगी के सभी पहलुओं के बारे में की गई आलोचना नहीं माना जा सकता, जो कि दलों के नेताओं अथवा कार्यकर्ताओं की सार्वजनिक गतिविधियों से सम्बद्ध नहीं हैं, जैसा कि आदर्श आचार संहिता के पैरा 1(2) में परिभाषित है। घ) यह कि, यह प्रस्तुत किया गया है कि निर्वाचन आयोग के दिशा-निर्देशों और आदर्श आचार संहिता के प्रावधानों का पालन करना उनके और बीजेपी के प्रत्येक पार्टी कार्यकर्ता के लिए सर्वोपरि है तथा वह इनका सर्वाधिक सम्मान करते हैं। 4. यत:, निर्वाचन आयोग ने इस मामले पर सावधानीपूर्वक विचार किया है और यह उसका सुविचारित मत है कि श्री कैलाश विजयवर्गीय ने ‘राजनैतिक दलों और अभ्यर्थियों के मार्गदर्शन के लिए आदर्श आचार संहिता के सामान्य आचरण’ के भाग I के पैरा (2) का उल्लंघन किया है। 5. अब, इसलिए, आयोग श्री कैलाश विजयवर्गीय को एतद्द्वारा सलाह देता है कि आदर्श आचार संहिता लागू रहने की अवधि के दौरान, अपने सार्वजनिक वक्तव्य देते समय उन्हें ऐसे शब्द या कथन का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
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    सं. 100/मध्य प्रदेश-वि. स./2020 (उप)/ दिनांक:-24 अक्तूबर, 2020 सेवा में मुख्य निर्वाचन अधिकारी, मध्य प्रदेश, भोपाल। विषय:- मध्य प्रदेश विधान सभा के लिए उप-निर्वाचन, 2020- श्री विसाहुलाल सिंह, मध्य प्रदेश में बीजेपी के अभ्यर्थी को नोटिस-तत्संबंधी। महोदय, मुझे श्री विसाहुलाल सिंह, 87- अनूपपुर विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र, मध्य प्रदेश से बीजेपी के अभ्यर्थी को संबोधित नोटिस सं. 100/मध्य प्रदेश-वि. स./2020(उप), दिनांक 24.10.2020 की एक प्रति इसके साथ अग्रेषित करने का निदेश हुआ है। उपर्युक्त नोटिस केवल एक विशेष दूत या प्रोसेसर के माध्यम से श्री विसाहुलाल सिंह को तत्काल दिया जाए। संबंधित व्यक्ति से नोटिस की प्राप्ति के टोकन के रूप में एक पावती प्राप्त करके आयोग को प्रस्तुत की जाए। भवदीय हस्ता/- (अमित कुमार) अवर सचिव ******************************************** भारत निर्वाचन आयोग निर्वाचन सदन, अशोक रोड, नई दिल्ली-110001 सं. 100/मध्य प्रदेश – वि.स./2020-(उप) दिनांकः 24 अक्तूबर, 2020 नोटिस यतः, आयोग द्वारा दिनांक 29 सितम्बर, 2020 को प्रेस नोट सं. ईसीआई/प्रे.नो./67/2020 के तहत मध्य प्रदेश विधान सभा के लिए उप-निर्वाचनों की घोषणा कर दी गई है और उक्त प्रेस नोट के पैरा 4 के अनुसार आदर्श आचार संहिता के प्रावधान उक्त तारीख से लागू हो गए हैं; और 2. यतः, आदर्श आचार संहिता के पैरा 1 के उप-पैरा (2) में अन्य बातों के साथ-साथ, यह प्रावधान है कि दलों और अभ्यर्थियों को निजी जीवन के ऐसे सभी पहलुओं की आलोचना से बचना चाहिए, जिनका दलों के नेताओं या कार्यकर्ताओं के सार्वजनिक कार्यकलापों से सरोकार न हो; और 3. यतः, आदर्श आचार संहिता के पैरा 1 के उप पैरा (5) में अन्य बातों के साथ-साथ यह प्रावधान है कि ‘प्रत्येक व्यक्ति के शांतिपूर्ण और विघ्नरहित घरेलू जीवन के अधिकार का आदर करना चाहिए चाहे राजनैतिक दल एवं अभ्यर्थी उसके राजनैतिक विचारों या कार्यों के कितने ही विरूद्ध क्यों न हों,’ और 4. यतः, आयोग ने सभी मान्यताप्राप्त राजनैतिक दलों को अपने पत्र सं. 437/6/अनु./ईसीआई/प्रका./एमसीसी/2019, दिनांक 29 अप्रैल, 2019 को परामर्शिका जारी की है कि ‘राजनैतिक दलों और अभ्यर्थियों को ऐसे किसी भी कार्य/कार्रवाई/कथनों से बचना चाहिए जो महिलाओं के सम्मान और गरिमा के विरूद्ध माना जाता हो; और 5. यतः, आयोग ने अन्य बातों के साथ-साथ मुख्य निर्वाचन अधिकारी, मध्य प्रदेश से एक रिपोर्ट प्राप्त की है, जिसमें दिनांक 19 अक्तूबर, 2020 को इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को संबोधित करते समय श्री विसाहुलाल सिंह 87-अनूपपुर विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र से बीजेपी के अभ्यर्थी ने श्री विश्वनाथ सिंह, कांग्रेस के अभ्यर्थी की पत्नी को ‘रखैल’ के रूप में संबोधित किया; और 6. यतः, मुख्य निर्वाचन अधिकारी, मध्य प्रदेश से एक रिपोर्ट मांगी गई थी जो अब तथाकथित संबोधन (अनुलग्नक-1) के अधिकृत प्रतिलेख (ट्रांसक्रिप्ट) के साथ निम्नानुसार प्राप्त हुई हैः "...विधानसभा के निर्वाचन का फॉर्म भरा जाता है तो पूरे सम्पति का ब्यौरा दिया जाता है, सबका ब्यौरा दिया जाता है। परन्तु विश्वनाथ सिंह (कांग्रेस प्रत्याशी) ने अपनी पहली औरत जो वर्तमान में उसका ब्यौरा नहीं दिया है कि मेरा एक ठे औरत और है जिससे शादीशुदा है, रखैल औरत का ब्यौरा दिया तो उससे पता लगाओ, तुम्हारा पुराण वाला औरत कहाँ ठे है, वोहू बताओ न मेरा दो ठो औरत है कह दे दो ठो औरत है..." "जय प्रकाश अग्रवाल मेरे चलते 13 साल तक अध्यक्ष बना और 3 तारीख के बाद जो दुर्दशा मैं जय प्रकाश का करूँगा, कोई नहीं करेगा, रास्ता में लाऊंगा उसको, ऑफिस में बोल दीजियेगा, रास्ता में लाऊंगा, अपना औकात उसको समझाऊंगा.." 7. यतः, श्री विसाहुलाल सिंह द्वारा इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के सामने दिनांक 19 अक्तूबर, 2020 को दिए गए भाषण की वीडियो क्लिप और प्रतिलेख (ट्रांसक्रिप्ट) की आयोग में जांच की गई है और उनके बयान को ‘राजनैतिक दलों एवं अभ्यर्थियों के मार्गदर्शन हेतु आदर्श आचार संहिता के साधारण संचालन’ के भाग I के पैरा (2) और पैरा (5) में निहित प्रावधानों का उल्लंघन करते और आयोग द्वारा अपने पत्र सं. 437/6/अनु./ईसीआई/प्रका./एमसीसी/2019, दिनांक 29 अप्रैल, 2019 के तहत जारी की गई परामर्शिका की अवहेलना करते हुए पाया गया है; और 8. अब, इसलिए, आयोग आपको अवसर देता है कि आप इस नोटिस की प्राप्ति के 48 घंटों के भीतर दिए गए उपर्युक्त बयान के संबंध में अपनी स्थिति स्पष्ट करें, ऐसा न करने पर भारत निर्वाचन आयोग आपको आगे संदर्भ दिए बिना निर्णय लेगा। आदेश से अनु.: उपर्युक्त अनुसार हस्ता/- (मधुसूदन गुप्ता) सचिव सेवा में श्री विसाहुलाल सिंह 87-अनूपपुर विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र से बीजेपी अभ्यर्थी, मध्य प्रदेश
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    सं. 100/मध्य प्रदेश-वि. स./2020 (उप)/ दिनांक:-24 अक्तूबर, 2020 सेवा में मुख्य निर्वाचन अधिकारी, मध्य प्रदेश, भोपाल। विषय:- मध्य प्रदेश विधान सभा के लिए उप-निर्वाचन, 2020- श्री मोहन यादव, मंत्री, उच्च शिक्षा विभाग, मध्य प्रदेश सरकार को नोटिस-तत्संबंधी। महोदय, मुझे श्री मोहन यादव, मंत्री, उच्च शिक्षा विभाग, मध्य प्रदेश सरकार को संबोधित नोटिस सं. 100/मध्य प्रदेश-वि. स./2020(उप), दिनांक 24.10.2020 की एक प्रति इसके साथ अग्रेषित करने का निदेश हुआ है। उपर्युक्त नोटिस केवल एक विशेष दूत या प्रोसेसर के माध्यम से श्री मोहन यादव को तत्काल दिया जाए। संबंधित व्यक्ति से नोटिस की प्राप्ति के टोकन के रूप में एक पावती प्राप्त करके आयोग को प्रस्तुत किया जाए। भवदीय हस्ता/- (अमित कुमार) अवर सचिव ********************************** भारत निर्वाचन आयोग निर्वाचन सदन, अशोक रोड, नई दिल्ली-110001 सं. 100/मध्य प्रदेश–वि.स./2020-(उप) दिनांकः 24 अक्तूबर, 2020 नोटिस यतः, आयोग द्वारा दिनांक 29 सितम्बर, 2020 को प्रेस नोट सं. ईसीआई/प्रे.नो./67/2020 के तहत मध्य प्रदेश विधान सभा के लिए उप-निर्वाचनों की घोषणा कर दी गई है और उक्त प्रेस नोट के पैरा 4 के अनुसार आदर्श आचार संहिता के प्रावधान उक्त तारीख से लागू हो गए हैं; और 2. यतः, आदर्श आचार संहिता के पैरा 1 के उप पैरा (1) में अन्य बातों के साथ-साथ यह प्रावधान है कि ‘किसी भी दल अथवा अभ्यर्थी को ऐसी किसी भी गतिविधि में शामिल नहीं होना चाहिए जो विभिन्न जातियों एवं समुदायों-धार्मिक या भाषायी-के बीच मौजूदा मतभेदों को बढ़ाए या परस्पर घृणा उत्पन्न करे या तनाव पैदा करे,’ और 3. यतः, आदर्श आचार संहिता के पैरा 1 के उप-पैरा (2) में अन्य बातों के साथ-साथ यह प्रावधान है कि दलों और अभ्यर्थियों को निजी जीवन के ऐसे सभी पहलुओं की आलोचना से बचना चाहिए, जिनका दलों के नेताओं या कार्यकर्ताओं के सार्वजनिक कार्यकलापों से सरोकार न हो; और 4. यतः, आयोग ने अन्य बातों के साथ-साथ मुख्य निर्वाचन अधिकारी, मध्य प्रदेश से तथाकथित संबोधन (अनुलग्नक-I) के अधिकृत प्रतिलेख (ट्रांसक्रिप्ट) के साथ एक रिपोर्ट प्राप्त की है जिसमें श्री मोहन यादव, मंत्री, उच्च शिक्षा विभाग, मध्य प्रदेश सरकार ने दिनांक 11 अक्तूबर, 2020 को रैली को संबोधित करने के दौरान यह कहा कि: "भैया इस गांव के सरपंच को बचाओ, पूछा क्या हुआ, बोले कांग्रेस वाले निपटाने पर तूल रहे हैं। एक हों, दो हों, तीन हों, चार हों, अभी तक तो ये विधायक बने ही नहीं थे, विधायक अपने में से कई लोग बने, इसलिए होते हैं विधायक कि शिकार करें, सरपंचों का, अगर शिकार करने के लिए तुमको जरूरत हो आगर में हाट में जाओ, या जंगल में जाओ, जानवर मारो आप अपने मनुष्यों के बीच चुनावी जनप्रतिनिधियों को मारने का अगर पाप करते हो तो आपको जीने का अधिकार नहीं है ये आप रह कैसे रहे हो, हम सब प्रकार से निपटना जानते हैं, राजनीति करते हैं तो स्वाभिमान से करते हैं अच्छे के साथ अच्छा में कदम मिलाकर चलना जानते हैं। लेकिन कोई बुरा करने जायेगा तो घर से निकाल लायेंगे और जमीन में गाड़ने वाले लोग हैं" 5. यतः, आपके द्वारा रैली में दिनांक 11 अक्तूबर, 2020 को दिए गए भाषण की वीडियो क्लिप के प्रतिलेख (ट्रांसक्रिप्ट) की आयोग में जांच की गई है और इस बयान को ‘राजनैतिक दलों एवं अभ्यर्थियों के मार्गदर्शन हेतु आदर्श आचार संहिता के साधारण संचालन’ के पैरा (1) और भाग I के पैरा (2) में निहित प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए पाया गया है; और 6. अब, इसलिए, आयोग आपको अवसर देता है कि आप इस नोटिस की प्राप्ति के 48 घंटों के भीतर दिए गए उपर्युक्त बयान के संबंध में अपनी स्थिति स्पष्ट करें, ऐसा न करने पर भारत निर्वाचन आयोग आपको आगे संदर्भ दिए बिना निर्णय लेगा। आदेश से अनु.: उपर्युक्त अनुसार हस्ता/- (मधुसूदन गुप्ता) सचिव सेवा में श्री मोहन यादव, मंत्री, उच्च शिक्षा विभाग, मध्य प्रदेश सरकार मध्य प्रदेश
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    सं.100/मध्य प्रदेश-वि.स./2020-(उप) दिनांक: 31 अक्‍तूबर, 2020 आदेश यत:, आयोग ने मध्‍यप्रदेश विधान सभा के चल रहे उप-निर्वाचनों के दौरान राजनीतिक दलों और अभ्‍यर्थियों के मार्गदर्शन की आदर्श आचार संहिता के ‘साधारण संचालन’ के भाग-I के पैरा (2) और पैरा (5) में विनिर्दिष्‍ट उपबंधों का उल्‍लंघन करने और आयोग के पत्र सं. 437/6/अनुदेश/भा.नि.आ./ प्रका./आ.आ.सं./2019, दिनांक 29 अप्रैल, 2019 द्वारा जारी परामर्शिका की अवमानना करने के लिए श्री विसाहुलाल सिंह, 87-अनूपपुर विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र से बीजेपी अभ्यर्थी को नोटिस सं. 100/मध्य प्रदेश-वि.स./2020(उप) दिनांक 24 अक्‍तूबर, 2020 जारी किया था; और 2. यत:, आयोग को उपर्युक्‍त नोटिस के संबंध में श्री विसाहुलाल सिंह का उत्‍तर 27 अक्‍तूबर, 2020 को मिला है; और 3. यत:, श्री विसाहुलाल सिंह ने अपने उपर्युक्‍त उत्‍तर में, अन्‍य बातों के साथ-साथ, निम्‍नलिखित निवेदन किया है:- (क) उनका संदर्भित कथन कांग्रेस प्रत्याशी श्री विश्वनाथ सिंह द्वारा विधानसभा निर्वाचन के संबंध में भरे गये निर्वाचन फार्म के बारे में सम्पति तथा अन्य तथ्यों को लेकर ब्योरा दिए जाने के बारे में था। (ख) यह विधि का यह सर्वमान्य सिद्धांत है कि पहली/एक पत्नी के जीवित रहते हुए कोई भी व्यक्ति दूसरा विवाह नहीं कर सकता और यदि करता भी है अथवा किसी और को पत्नी के रूप या किसी भी रूप में अपने साथ रखता है तो वह अवैध है तथा ऐसी दूसरी महिला को कानून की भाषा में रखैल शब्द से संबोधित किया गया है। इस संबंध में दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 125 की उपधारा 3 का स्पष्टीकरण अवलोकनीय है। (ग) यह कि प्रार्थी वरिष्ठ व्यक्ति है। इस तरह वृद्ध होने के कारण बोलने में कभी शब्दों में अस्पष्टता मालूम पड़ती है। श्री जयप्रकाश अग्रवाल के बारे में जो शब्द दुर्दशा होना बताया जा रहा है उसका उपयोग प्रार्थी द्वारा नहीं दिया गया था बल्कि वह वास्तविक शब्द सुधार था। श्री जयप्रकाश अग्रवाल के बारे में कहे गये पूरे शब्दों को यदि पूर्णतया एक साथ पढ़ा जाएगा तो उससे यह स्पष्ट है कि उसे सुधारने और रास्ते में लाने की बात कही गई प्रकट होती है। कोई भी व्यक्ति अपने करीबी और दोस्त शुभचिंतक के बारे में ही ऐसा कह सकता है। (घ) श्री जयप्रकाश अग्रवाल के बारे में प्रार्थी न तो कोई दुर्भावना रखता है और न ही उसके बारे में कोई आपत्तिजनक बात कही गई है। 4. यत:, आयोग ने इस मामले पर सावधानीपूर्वक विचार किया है और आयोग का यह सुविचारित मत है कि श्री विसाहुलाल सिंह ने राजनैतिक दलों और अभ्‍यर्थियों के मार्गदर्शन की आदर्श आचार संहिता के ‘साधारण संचालन’ के भाग-I के पैरा (2) और पैरा (5) और आयोग के पत्र सं. 437/6/अनुदेश/भा.नि.आ./प्रका./आ.आ.सं./2019, दिनांक 29 अप्रैल, 2019 के तहत जारी परामर्शिका का उल्‍लंघन किया है। 5. अत:, अब, आयोग श्री विसाहुलाल सिंह, 87- अनूपपुर विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र से बीजेपी अभ्यर्थी के विवादित बयान की एतद्द्वारा निंदा करता है और उन्हें पुनः परामर्श देता है कि वे आदर्श आचार संहिता की अवधि के दौरान सार्वजनिक बयान देते समय ऐसे शब्द अथवा कथन से बाज आएं। आदेश से हस्ता/- (मधुसूदन गुप्ता) सचिव सेवा में श्री विसाहुलाल सिंह, 87-अनूपपुर विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र से बीजेपी अभ्यर्थी, मध्‍य प्रदेश
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    सं. 100/मध्य प्रदेश – वि.स./2020-(उप) दिनांकः 21 अक्तूबर, 2020 नोटिस यतः, आयोग द्वारा दिनांक 29 सितम्बर, 2020 को प्रेस नोट सं. ईसीआई/प्रे.नो./67/2020 के तहत मध्य प्रदेश विधान सभा के लिए उप-निर्वाचनों की घोषणा कर दी गई है और उक्त प्रेस नोट के पैरा 4 के अनुसार आदर्श आचार संहिता के उपबंध उक्त तारीख से लागू हो गए हैं; और 2. यतः, आदर्श आचार संहिता के पैरा 1 के उप पैरा (1) में यह प्रावधान है कि ‘किसी भी दल अथवा अभ्यर्थी को ऐसी किसी भी गतिविधि में शामिल नहीं होना चाहिए जो विभिन्न जातियों एवं समुदायों-धार्मिक या भाषायी-के बीच मौजूदा मतभेदों को बढ़ाए या परस्पर घृणा उत्पन्न करे या तनाव पैदा करे,’ और 3. यतः, आदर्श आचार संहिता के पैरा 1 के उप-पैरा (2) में यह अन्य बातों के साथ-साथ, यह प्रावधान है कि दलों और अभ्यर्थियों को निजी जीवन के ऐसे सभी पहलुओं की आलोचना से बचना चाहिए, जिनका दलों के नेताओं या कार्यकर्ताओं के सार्वजनिक कार्यकलापों से सरोकार न हो; और 4. यतः, आयोग ने सभी मान्यताप्राप्त राजनीतिक दलों को अपने पत्र सं. 437/6/अनु./ईसीआई/प्रका./एमसीसी/2019, दिनांक 29 अप्रैल, 2019 को परामर्शिका जारी की है कि ‘राजनीतिक दलों और अभ्यर्थियों को ऐसे किसी भी कार्य/कार्रवाई/कथनों से बचना चाहिए जो महिलाओं के सम्मान और गरिमा के विरूद्ध माना जाता हो; और 5. यतः, आयोग ने अन्य बातों के साथ-साथ, भारतीय जनता पार्टी (एम.पी.) से दिनांक 18.10.2020 की एक शिकायत की प्रति सहित एक रिपोर्ट प्राप्त की है, जिसमें दिनांक 18 अक्तूबर, 2020 को डबरा, ग्वालियर में जन सभा को संबोधित करते समय आपने श्रीमती ईमरती देवी, बीजेपी की अभ्यर्थी को ‘आइटम’ के रूप में संबोधित किया; और 6. यतः, आयोग ने अध्यक्ष, राष्ट्रीय महिला आयोग से भी शिकायत प्राप्त की है कि श्री कमल नाथ, मध्य प्रदेश विधान सभा में विपक्ष के नेता ने एक महिला मंत्री के खिलाफ “आइटम” शब्द का प्रयोग किया........ और जिम्मेदार पद पर बैठे एक व्यक्ति द्वारा ऐसे गैर-जिम्मेदाराना और अपमानजनक बयान की कड़ी निंदा की”; और 7. यतः, दिनांक 18 अक्तूबर, 2020 की भारतीय जनता पार्टी की शिकायत पर मुख्य निर्वाचन अधिकारी, मध्य प्रदेश से एक रिपोर्ट मांगी गई थी, तथा उक्त को अब तथाकथित संबोधन (अनुलग्नक-1) के अधिकृत प्रतिलेख (ट्रांसक्रिप्ट) के साथ निम्नानुसार प्राप्त किया गया हैः “....ये उसके जैसे नहीं है। क्या है उसका नाम? मैं क्या उसका नाम लूं, आप तो उसे मुझसे ज्यादा जानते है। आपको तो मुझे पहले ही सावधान कर देना चाहिए था, यह क्या आइटम है? यह क्या आइटम है?....” 8. यतः, श्री कमल नाथ द्वारा डबरा, ग्वालियर में दिनांक 18 अक्तूबर, 2020 को दिए गए भाषण की वीडियो क्लिप और प्रतिलेख (ट्रांसक्रिप्ट) की आयोग में जांच की गई है और उनके बयान को ‘राजनीतिक दलों एवं अभ्यर्थियों के मार्गदर्शन हेतु आदर्श आचार संहिता के साधारण संचालन’ के पैरा (2) अथवा भाग (I) में निहित प्रावधानों का उल्लंघन करते और आयोग द्वारा अपने पत्र सं. 437/6/अनु./ईसीआई/प्रका./एमसीसी/2019, दिनांक 29 अप्रैल, 2019 के तहत जारी की गई परामर्शिका की अवहेलना करते हुए पाया गया है; और 9. अब, इसलिए, आयोग आपको अवसर देता है कि आप इस नोटिस की प्राप्ति के 48 घंटों के भीतर दिए गए उपर्युक्त बयान के संबंध में अपनी स्थिति स्पष्ट करें, ऐसा न करने पर भारत निर्वाचन आयोग आपको आगे संदर्भ दिए बिना निर्णय लेगा। आदेश अनु.: उपर्युक्त अनुसार (मधुसूदन गुप्ता) सचिव सेवा में श्री कमल नाथ पूर्व-मुख्यमंत्री, मध्य प्रदेश शिकारपुर, तहसील मोहखेड़, जिला-छिंदवाड़ा, मध्य प्रदेश
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    सं. 100/मध्य प्रदेश – वि.स./2020-(उप) दिनांकः 26 अक्तूबर, 2020 नोटिस यतः, आयोग द्वारा दिनांक 29 सितम्बर, 2020 को प्रेस नोट सं. ईसीआई/प्रे.नो./67/2020 के तहत मध्य प्रदेश विधान सभा के लिए उप-निर्वाचनों की घोषणा कर दी गई है और उक्त प्रेस नोट के पैरा 4 के अनुसार आदर्श आचार संहिता के उपबंध उक्त तारीख से लागू हो गए हैं; और 2. यतः, आदर्श आचार संहिता के पैरा 1 के उप पैरा (1) में यह प्रावधान है कि ‘किसी भी दल अथवा अभ्यर्थी को ऐसी किसी भी गतिविधि में शामिल नहीं होना चाहिए जो विभिन्न जातियों एवं समुदायों-धार्मिक या भाषायी-के बीच मौजूदा मतभेदों को बढ़ाए या परस्पर घृणा उत्पन्न करे या तनाव पैदा करे’; और 3. यतः, आदर्श आचार संहिता के पैरा 1 के उप-पैरा (2) में, अन्य बातों के साथ-साथ, यह प्रावधान है कि दलों और अभ्यर्थियों को निजी जीवन के ऐसे सभी पहलुओं की आलोचना से बचना चाहिए, जिनका दलों के नेताओं या कार्यकर्ताओं के सार्वजनिक कार्यकलापों से सरोकार न हो; और 4. यतः, आयोग ने अन्य बातों के साथ-साथ, मुख्य निर्वाचन अधिकारी, मध्य प्रदेश से एक रिपोर्ट प्राप्त की है, जिसमें दिनांक 15 अक्तूबर, 2020 को सानवेर, इंदौर में रैली को संबोधित करते समय श्री सज्जन सिंह वर्मा, कांग्रेस के नेता ने बीजेपी के नेता कैलाश विजयवर्गीय सिंह को “रावण” के रूप में संबोधित किया; और 5. यतः, मुख्य निर्वाचन अधिकारी, मध्य प्रदेश से एक रिपोर्ट मांगी गई थी, तथा उक्त को अब तथाकथित संबोधन (अनुलग्नक-1) के अधिकृत प्रतिलेख (ट्रांसक्रिप्ट) के साथ निम्नानुसार प्राप्त किया गया हैः “....सुन रे भैया कैलाशिया की तेरी औकात कितनी है...... तू भूल गया वो दिन साड़ी पहनकर, बाल बड़े-बड़े करके नाक में नत्थी पहनकर पंडितजी हाथ चूड़ी पहनकर तंत्र-मंत्र करता था....... नाक पकोड़े जैसी हो गयी,..... दशहरा जैसे जैसे पास में आता है उसका चेहरा रावण जैसा हो जाता है....... मेरा कहना है कितनी बार जला चुके हैं, अब भारतीय जनता पार्टी अभी उनकी सरकार है वो ही इस रावण को जलायें....” 6. यतः, श्री सज्जन सिंह वर्मा द्वारा दिनांक 15 अक्तूबर, 2020 को रैली को संबोधित करने के भाषण के प्रतिलेख (ट्रांसक्रिप्ट) की आयोग में जांच की गई है और उनके बयान को ‘राजनीतिक दलों एवं अभ्यर्थियों के मार्गदर्शन हेतु आदर्श आचार संहिता के साधारण संचालन’ के भाग I के पैरा (1) और पैरा (2) में निहित प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए पाया गया है; और 7. अब, इसलिए, आयोग आपको अवसर देता है कि आप इस नोटिस की प्राप्ति के 48 घंटों के भीतर दिए गए उपर्युक्त बयान के संबंध में अपनी स्थिति स्पष्ट करें, ऐसा न करने पर भारत निर्वाचन आयोग आपको आगे संदर्भ दिए बिना निर्णय लेगा। अनुलग्नक: उपर्युक्त अनुसार आदेश से, (स्टैण्डहोप युहलुंग) वरिष्ठ प्रधान सचिव सेवा में श्री सज्जन सिंह वर्मा, कांग्रेस के नेता, मध्य प्रदेश
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    सं. 100/मध्य प्रदेश – वि.स./2020-(उप) दिनांकः 26 अक्तूबर, 2020 नोटिस यतः, आयोग द्वारा दिनांक 29 सितम्बर, 2020 को प्रेस नोट सं. ईसीआई/प्रे.नो./67/2020 के तहत मध्य प्रदेश विधान सभा के लिए उप-निर्वाचनों की घोषणा कर दी गई है और उक्त प्रेस नोट के पैरा 4 के अनुसार आदर्श आचार संहिता के उपबंध उक्त तारीख से लागू हो गए हैं; और 2. यतः, आदर्श आचार संहिता के पैरा 1 के उप-पैरा (2) में, अन्य बातों के साथ-साथ, यह प्रावधान है कि दलों और अभ्यर्थियों को निजी जीवन के ऐसे सभी पहलुओं की आलोचना से बचना चाहिए, जिनका दलों के नेताओं या कार्यकर्ताओं के सार्वजनिक कार्यकलापों से सरोकार न हो; और 3. यतः, आयोग ने अन्य बातों के साथ-साथ, मुख्य निर्वाचन अधिकारी, मध्य प्रदेश की एक रिपोर्ट प्राप्त की है, जिसमें दिनांक 14 अक्तूबर, 2020 को सानवेर, इंदौर में रैली को संबोधित करते समय श्री कैलाश विजयवर्गीय, भारतीय जनता पार्टी के नेता ने कांग्रेस के नेताओं श्री कमलनाथ और श्री दिग्विजय सिंह को “चुन्नू-मुन्नू” के रूप में संबोधित किया; और 4. यतः, मुख्य निर्वाचन अधिकारी, मध्य प्रदेश से एक रिपोर्ट मांगी गई थी, तथा उक्त को अब तथाकथित संबोधन (अनुलग्नक-1) के अधिकृत प्रतिलेख (ट्रांसक्रिप्ट) के साथ निम्नानुसार प्राप्त किया गया हैः “....ये दोनों सुनो चून्नू-मून्नू दिग्विजय जी और कमलनाथ जी ये दोनों चून्नू-मुन्नू इतने कलाकार हैं....... ये दोनों चुन्नू-मुन्नू एक मुख्यमंत्री बन गया और एक ट्रांसफर उद्योग ले कर अपने बंगले पर बैठ गया....... चुन्नू-मुन्नू गद्दार है और यहाँ लोगों को बोलते हैं शिवराज जी जैसे संत नेता के बारे में क्या बोलते हैं वे नालायक हैं....” 5. यतः, श्री कैलाश विजयवर्गीय द्वारा दिनांक 14 अक्तूबर, 2020 को रैली को संबोधित करने के भाषण के प्रतिलेख (ट्रांसक्रिप्ट) की आयोग में जांच की गई है और उनके बयान को ‘राजनीतिक दलों एवं अभ्यर्थियों के मार्गदर्शन हेतु आदर्श आचार संहिता के साधारण संचालन’ के भाग I के पैरा (2) में निहित प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए पाया गया है; और 6. अब, इसलिए, आयोग आपको अवसर देता है कि आप इस नोटिस की प्राप्ति के 48 घंटों के भीतर दिए गए उपर्युक्त बयान के संबंध में अपनी स्थिति स्पष्ट करें, ऐसा न करने पर भारत निर्वाचन आयोग आपको आगे संदर्भ दिए बिना निर्णय लेगा। अनुलग्नक: उपर्युक्त अनुसार आदेश से, (स्टैण्डहोप युहलुंग) वरिष्ठ प्रधान सचिव सेवा में श्री कैलाश विजयवर्गीय, नेता, भारतीय जनता पार्टी मध्य प्रदेश
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    सं.100/म.प्र.-वि.स./2020(उप.नि.) दिनांक: 26 अक्‍तूबर, 2020 आदेश यत:, आयोग ने मध्‍यप्रदेश विधान सभा के चल रहे उप-निर्वाचनों के दौरान ‘राजनीतिक दलों और अभ्‍यर्थियों के मार्गदर्शन की आदर्श आचार संहिता के साधारण संचालन’ भाग-I के पैरा (2) में विनिर्दिष्‍ट उपबंधों का उल्‍लंघन करने और आयोग के पत्र सं. 437/6/अनुदेश/भा.नि.आ./ प्रकार्य/आआसं./2019, दिनांक 29 अप्रैल, 2019 द्वारा जारी परामर्शिका की अवमानना करने के लिए श्री कमल नाथ, पूर्व मुख्‍यमंत्री, मध्‍य प्रदेश को नोटिस सं. 100/म.प्र.-वि.स./2020(उप.नि.) दिनांक 21 अक्‍तूबर, 2020 जारी किया था; और 2. यत:, आयोग को उपर्युक्‍त नोटिस के लिए श्री कमलनाथ का उत्‍तर 22 अक्‍तूबर, 2020 को मिला है; और 3. यत:, श्री कमल नाथ ने अपने उपर्युक्‍त उत्‍तर में, अन्‍य बातों के साथ-साथ, निम्‍नलिखित निवेदन किया है:- (क) मेरे लिए और मेरी पार्टी के लिए - महिलाओं का सम्‍मान करना और उनकी गरिमा बनाए रखना सर्वाधिक महत्‍वपूर्ण है। कहने की आवश्‍यकता नहीं है कि मध्‍य प्रदेश के पूर्व मुख्‍यमंत्री के रूप में महिलाओं के सम्‍मान का संरक्षण, उनकी सुरक्षा और गरिमा बनाए रखना मेरे प्रशासन के महत्‍वपूर्ण आधारों में से एक था । (ख) भारत के उच्‍चतम न्‍यायालय ने अपने उल्‍लेखनीय निर्णयों में कई बार कहा है कि निर्वाचनों की गहमागहमी तत्‍क्षण कई बयान दे दिए जाते हैं। इस मामले में भी किसी महिला अथवा महिला जाति के प्रति कोई पूर्वाग्रह नहीं था और न ही उनका अनादर करने की मंशा थी। यह केवल राजनीतिक परिदृश्‍य का एक उदाहरण था, जो अत्‍यंत नाटकीय होता है। (ग) किसी महिला के प्रति न तो कोई दुर्भावना थी और न ही अपमान करने की कोई मंशा। वास्‍तव में, इस घटना के अगले दिन अर्थात 19.10.2020 को मेरे द्वारा खेद व्‍यक्‍त करना और अपने कथन के बारे में स्‍पष्‍टकीकरण देना यह दर्शाता है कि आयोग की दिनांक 29.04.2019 को जारी परामर्शिका की उपेक्षा करने की मेरी कोई मंशा नहीं थी। (घ) अंत में, मैं आयोग को स्‍मरण कराना चाहता हूं कि महिलाओं की गरिमा बनाए रखना, मेरे सार्वजनिक जीवन की आधारशिला है और यह मेरे 40 वर्ष से अधिक के सार्वजनिक जीवन में किए गए मेरे कार्यों और शासन में प्रतिबिंबित होता है। (ङ) मैंने वर्ष 1980 से विभिन्‍न क्षमताओं में कार्य किए हैं – लोक सभा के सदस्‍य के रूप में, एक केंद्रीय मंत्री के रूप में और एक मुख्‍यमंत्री के रूप में। मुझ पर कभी भी महिलाओं या किसी के प्रति कदाचार अथवा क्रोधवश टिप्‍पणी करने का आरोप नहीं लगा है – चाहे संसद के भीतर हो अथवा संसद से बाहर। (च) मुझे आशा और विश्‍वास है कि मेरे सार्वजनिक जीवन के रिकार्ड को देखते हुए निर्वाचन आयोग मेरे इस उत्‍तर से संतुष्‍ट होगा। निर्वाचन प्रक्रिया के दौरान दिए गए अनर्गल बयान की वजह से किसी व्‍यक्ति के सार्व‍जनिक जिन्‍दगी के रिकार्ड को नजरांदाज नहीं किया जा सकता और न ही करना चाहिए। (छ) मैं अनुरोध करता हूं कि मेरे मौजूदा उत्‍तर को ध्‍यान में रखते हुए उतराधीन नोटिस के तहत मेरे विरूद्ध आरंभ की गई कार्रवाई को कृपया समाप्‍त किया जाए। 4. यत:, आयोग ने इस मामले पर गंभीरता से विचार किया है और उसका मानना है कि श्री कमलनाथ ने एक महिला के लिए ‘आइटम’ शब्‍द का प्रयोग किया है और यह आयोग के पत्र सं. 437/6/अनुदेश/भा.नि.आ./प्रकार्य/आआसं./2019, दिनांक 29 अप्रैल, 2019 के तहत जारी परामर्शिका का उल्‍लंघन है। 5. अत:, अब, आयोग श्री कमलनाथ, पूर्व मुख्‍यमंत्री, मध्‍य प्रदेश को एतद्द्वारा परामर्श देता है कि सार्वजनिक बयान देते समय उन्‍हें आदर्श आचार संहिता की अवधि में इस प्रकार के शब्‍दों अथवा कथनों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। आदेश से, (स्‍टैंडहोप युहलुंग) वरिष्‍ठ प्रधान सचिव सेवा में, श्री कमलनाथ, पूर्व मुख्‍यमंत्री, मध्‍य प्रदेश, शिकारपुर, तहसील मोहखेड़, जिला – छिंदवाड़ा, मध्‍य प्रदेश
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    सं. 100/मध्य प्रदेश–वि.स./2020-(उप) दिनांकः 27 अक्तूबर, 2020 नोटिस यतः, आयोग द्वारा दिनांक 29 सितम्बर, 2020 को प्रेस नोट सं. ईसीआई/प्रे.नो./67/2020 के तहत मध्य प्रदेश विधान सभा के लिए उप-निर्वाचनों की घोषणा कर दी गई है और उक्त प्रेस नोट के पैरा 4 के अनुसार आदर्श आचार संहिता के उपबंध उक्त तारीख से लागू हो गए हैं; और 2. यतः, आदर्श आचार संहिता के पैरा 1 के उप पैरा (1) में यह प्रावधान है कि ‘किसी भी दल अथवा अभ्यर्थी को ऐसी किसी भी गतिविधि में शामिल नहीं होना चाहिए जो विभिन्न जातियों एवं समुदायों-धार्मिक या भाषायी-के बीच मौजूदा मतभेदों को बढ़ाए या परस्पर घृणा उत्पन्न करे या तनाव पैदा करे,’ और 3. यतः, आदर्श आचार संहिता के पैरा 1 के उप-पैरा (2) में अन्य बातों के साथ-साथ यह प्रावधान है कि दलों और अभ्यर्थियों को निजी जीवन के ऐसे सभी पहलुओं की आलोचना से बचना चाहिए, जिनका दलों के नेताओं या कार्यकर्ताओं के सार्वजनिक कार्यकलापों से सरोकार न हो; और 4. यतः, आदर्श आचार संहिता के पैरा 1 के उप पैरा (5) में यह प्रावधान है कि ‘प्रत्येक व्यक्ति के शांतिपूर्ण और विघ्नरहित घरेलू जीवन के अधिकार का आदर करना चाहिए चाहे राजनैतिक दल एवं अभ्यर्थी उसके राजनैतिक विचारों या कार्यों के कितने ही विरूद्ध क्यों न हों। व्यक्तियों के विचारों या कार्यों का विरोध करने के लिए उनके घरों के सामने प्रदर्शन करने या धरना देने के तरीकों का सहारा किसी भी परिस्थति में नहीं लेना चाहिए’; और 5. यतः, आयोग ने सभी मान्यताप्राप्त राजनैतिक दलों को अपने पत्र सं. 437/6/अनु./ईसीआई/प्रका./एमसीसी/2019, दिनांक 29 अप्रैल, 2019 को परामर्शिका जारी की है कि ‘राजनैतिक दलों और अभ्यर्थियों को ऐसे किसी भी कार्य/कार्रवाई/कथनों से बचना चाहिए जो महिलाओं के सम्मान और गरिमा के विरूद्ध माना जाता हो; और 6. यतः, सोशल मीडिया पर प्रसारित शिकायत के आधार पर मुख्य निर्वाचन अधिकारी, मध्य प्रदेश से एक रिपोर्ट मांगी गई थी तथा उक्त को अब तथाकथित संबोधन (अनुलग्नक-I) के अधिकृत प्रतिलेख (ट्रांसक्रिप्ट) के साथ निम्नानुसार प्राप्त किया गया हैः “वह बंगाली आदमी है वह मध्य प्रदेश आया केवल मुख्यमंत्री के लिए। उसको बोलने की सभ्यता नहीं है। इसे क्या कहा जाए। वह मुख्यमंत्री के पद से हटा तो पागल हो गया है। पागल बनकर पूरे मध्य प्रदेश में घूम रहा है तो उसे क्या कह सकते है, उसकी माँ बहन आइटम होगी बंगाल की। हमें पता थोड़ी है।” 7. यतः, सुश्री इमरती देवी द्वारा दिए गए भाषण की वीडियो क्लिप और प्रतिलेख (ट्रांसक्रिप्ट) की आयोग में जांच की गई है और उनके बयान को ‘राजनैतिक दलों एवं अभ्यर्थियों के मार्गदर्शन हेतु आदर्श आचार संहिता के साधारण संचालन’ के पैरा (1), (2) और भाग (I) के (5) में निहित प्रावधानों का उल्लंघन करते और आयोग द्वारा अपने पत्र सं. 437/6/अनु./ईसीआई/प्रका./एमसीसी/2019, दिनांक 29 अप्रैल, 2019 के तहत जारी की गई परामर्शिका की अवहेलना करते हुए पाया गया है; और 8. अब, इसलिए, आयोग आपको अवसर देता है कि आप इस नोटिस की प्राप्ति के 48 घंटों के भीतर दिए गए उपर्युक्त बयान के संबंध में अपनी स्थिति स्पष्ट करें, ऐसा न करने पर भारत निर्वाचन आयोग आपको आगे संदर्भ दिए बिना निर्णय लेगा। आदेश से अनु.: उपर्युक्त अनुसार (स्टेण्डहोप युहलूंग) वरिष्ठ प्रधान सचिव सेवा में सुश्री इमरती देवी, 19-डबरा (अ. जा.) विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र से अभ्यर्थी, मध्य प्रदेश

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eci-logo.pngभारत निर्वाचन आयोग एक स्‍वायत्‍त संवैधानिक प्राधिकरण है जो भारत में निर्वाचन प्रक्रियाओं के संचालन के लिए उत्‍तरदायी है। यह निकाय भारत में लोक सभा, राज्‍य सभा, राज्‍य विधान सभाओं और देश में राष्‍ट्रपति एवं उप-राष्‍ट्रपति के पदों के लिए निर्वाचनों का संचालन करता है। निर्वाचन आयोग संविधान के अनुच्‍छेद 324 और बाद में अधिनियमित लोक प्रतिनिधित्‍व अधिनियम के प्राधिकार के तहत कार्य करता है। 

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