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सं.ईसीआई/प्रेस नोट/53/2019
दिनांक: 12 मई, 2019
प्रेस नोट
17वीं लोकसभा के निर्वाचनों को निर्वाचन आयोग के निर्वाचन आगुन्तक कार्यक्रम के भाग के रूप में विश्व के 20 निर्वाचन प्रबंधन निकायों के 65 से अधिक प्रतिनिधियों ने देखा।
विश्व के 20 निर्वाचन प्रबंधन निकायों, अर्थात्: आस्ट्रेलिया, बंग्लादेश, भूटान, बोसनिया एवं हरजेगोवीना, फिज़ी, जार्जिया, केन्या, कोरिया गणराज्य, किर्गिस्तान, मलेशिया, मेक्सिको, म्यंमार, रोमानिया, रूस, श्रीलंका, सूरीनाम, संयुक्त अरब अमीरात, उज़बेकिस्तान और जिम्बाब्वे और अंतर्राष्ट्रीय लोकतंत्र एवं निर्वाचकीय सहयोग संस्थान (आइडिया) के प्रमुख और प्रतिनिधि 17वीं लोक सभा के चल रहे साधारण निर्वाचनों को देखने के लिए नई दिल्ली पहुंच चुके हैं। भारत निर्वाचन आयोग ने निर्वाचन आगुन्तक कार्यक्रम में भाग लेने के लिए 65 से अधिक प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया गया है।
प्रतिभागियों को सम्बोधित करते हुए, मुख्य निर्वाचन आयुक्त, श्री सुनील अरोड़ा ने लोकतंत्र की घोषणा करने से एक दिन पहले भारत निर्वाचन आयोग की स्थापना करने में भारतीय संविधान के निर्माताओं की दूरदर्शिता एवं दृष्टिकोण की सराहना की। भारत के संविधान के अनुच्छेद 324 को उद्धृत करते हुए, श्री अरोड़ा ने दोहराया कि भारत निर्वाचन आयोग देश में स्वतंत्र, निष्पक्ष और मजबूत निर्वाचन सुनिश्चित करने के प्रति कटिबद्ध है। उन्होंने आगे कहा कि भारत निर्वाचन आयोग किसी भी तरह की संशयवादिता और आलोचना से कभी भी विचलित नहीं हुआ है और सदैव की भांति यह हमारे दूरदर्शी पूर्वजों द्वारा भारत के संविधान में प्रतिष्ठापित सिद्धांतों और आदर्शों के अनुसार कार्य करने के लिए प्रतिबद्ध है। श्री अरोड़ा ने इस बात पर बल देते हुए कहा कि ‘’आयोग का उद्देश्य और इच्छा यह है कि अतीत के अनुभवों से सदैव कुछ न कुछ सीखा जाता रहे जिससे भविष्य में आवश्यक सुधारात्मक कदम उठाए जा सकें।‘’
निर्वाचन कवरेज के दौरान हाल ही के चरणों में सामने आई बातों का उल्लेख करते हुए, श्री अरोड़ा ने कहा कि निर्वाचन प्रक्रिया को और अधिक सुदृढ़, नैतिक, समावेशी, सुगम और सहभागी बनाने के लिए और प्रयास किए जाएंगे। मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने घोषणा की कि राज्यों की उत्तम पद्धतियों, दस्तावेज संबंधी मुद्दों और सामने आई चुनौतियों, इन निर्वाचनों से मिली सीख के माध्यम से प्रक्रियात्मक उपायों में और सुधार लाने की पद्धतियों का अध्ययन करने के लिए तथा महत्वपूर्ण कमियों की पहचान करने के लिए समितियों का गठन किया जाएगा। श्री अरोड़ा ने हाल ही में की गई सूचना प्रौद्योगिकी पहल का भी, विशेषकर, भारत निर्वाचन आयोग के सी-विजिल एप्लिकेशन की प्रभावशीलता पर प्रकाश डाला जिसके द्वारा नागरिकों को आदर्श आचार संहिता के उल्लंघनों की घटनाओं की रिपोर्ट करने में सक्षमता व सुगमता प्रदान की गई है और इसने संपूर्ण निर्वाचन प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र में निर्वाचनों के सुचारू संचालन में सामने आई विभिन्न चुनौतियों का सामना करने के लिए भारत निर्वाचन आयोग की संपूर्ण टीम की भूमिका को स्वीकार करते हुए, श्री अरोड़ा ने दलीय भावना के प्रदर्शन स्वरूप भारत निर्वाचन आयोग मुख्यालय के विभिन्न प्रभागों के टीम प्रमुखों का प्रतिनिधियों से परिचय कराया।
निर्वाचन आयुक्त, श्री अशोक लवासा ने कहा कि भारत ने वर्ष 1950 से बहुत लम्बी यात्रा तय की है, जब पूरे विश्व को भारत के स्वतंत्र होने के पश्चात इसके द्वारा लोकतंत्र को संभालने पर संशय था। ‘’यह भारतीय संविधान के निर्माताओं के प्रति श्रद्धांजलि है कि उन्होंने पहले दिन से ही मत देने का सार्वभौमिक अधिकार प्रदान किया था।‘’ ‘’हम इस तथ्य से संतुष्ट है कि वर्ष 1952 के प्रथम निर्वाचन से जब मात्र 17 करोड़ निर्वाचक थे जो दो लाख मतदान केंद्रों में फैले हुए थे, अब भारतीय निर्वाचनों में इनकी सहभागिता बढ़कर 91 करोड़ से अधिक हो चुकी है जिनके लिए भारत निर्वाचन आयोग मशीनरी ने दस लाख से अधिक मतदान केंद्रों की स्थापना की है।‘’ श्री लवासा ने उल्लेख किया कि भारत निर्वाचन आयोग द्वारा तकनीक के अपनाने और इसके अनुकूल अपने आप को ढालने से इतने बड़े पैमाने पर निर्वाचन प्रक्रिया की व्यवस्था करने में सहायता मिली है जिससे यह विश्व के सबसे बड़े प्रबंधन कार्यों में से एक बनी है।
श्री सुशील चंद्रा ने निर्वाचन आगुन्तक कार्यक्रम के प्रतिभागियों को सम्बोधित करते हुए देश के 543 संसदीय निर्वाचन-क्षेत्रों पर 17वीं लोक सभा के निर्वाचनों और इसके साथ ही आंध्र प्रदेश, अरूणाचल प्रदेश, ओडिशा और सिक्किम राज्यों की राज्य विधान सभाओं के स्वतंत्र, निष्पक्ष और शांतिपूर्ण ढंग से साधारण निर्वाचनों के संचालन की व्यापक तैयारियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने यह भी इंगित किया कि ‘’निर्वाचनों में धनबल का दुरूपयोग संपूर्ण विश्व के स्थापित और उभरते हुए, दोनों प्रकार के लोकतंत्रों के लिए सबसे बड़ी चुनौती है।‘’ तदनुसार, भारत निर्वाचन आयोग ने निर्वाचन व्यय अनुवीक्षण तंत्र के प्रभावी क्रियान्वयन की व्यापक व्यवस्था की है। उन्होंने प्रतिनिधियों को सूचित किया कि इस विशाल निर्वाचन प्रक्रिया पर सतर्क निगाह रखने के लिए सामान्य, पुलिस और व्यय प्रेक्षकों एवं साथ ही माइक्रो प्रेक्षकों की तैनाती निर्वाचन प्रक्रिया की शुचिता एवं शुद्धता सुनिश्चित करती है।
निर्वाचन आयोग के वरिष्ठ अधिकारियों ने भारत निर्वाचन आयोग की भूमिका और दायित्वों, और विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के निर्वाचनों के आयोजन और संचालन में आने वाली विभिन्न चुनौतियों से अवगत कराने के लिए व्यापक प्रस्तुतिकरण दिया। राजनीतिक दलों के रजिस्ट्रीकरण, भारत निर्वाचन आयोग के उन्नत प्रशिक्षण और अनुसंधान विंग-भारत अंतर्राष्ट्रीय लोकतंत्र एवं निर्वाचन प्रबंधन संस्थान (आईआईआईडीईएम), निर्वाचक नामावलियां तैयार करने और सूचना प्रौद्योगिकी पहल, इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों और वीवीपीएटी, मीडिया को ब्रीफिंग करने और सोशल मीडिया से वार्तालाप, निर्वाचन विधियों और सबद्ध मामलों के संबंध में प्रस्तुतियां दी गई।
इस अवसर पर आयोग द्वारा भारत निर्वाचन आयोग की तिमाही पत्रिका ‘’महत्वपूर्ण है मत मेरा’’ के द्वितीय अंक का विमोचन किया गया। इस पत्रिका में चल रहे निर्वाचनों के लिए विभिन्न राज्यों में की जा रही तैयारी संबंधी पहल की झलक प्रस्तुत की गई है। मुख्य निर्वाचन आयुक्त, श्री सुनील अरोड़ा द्वारा इस पत्रिका के प्रथम अंक को 25 जनवरी, 2019 को राष्ट्रीय मतदाता दिवस पर भारत के माननीय राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद को भेंट किया गया था।
प्रतिनिधियों का स्वागत करते हुए, श्री उमेश सिन्हा, वरिष्ठ उप निर्वाचन आयुक्त ने इस बात पर बल देते हुए कहा कि ये भ्रमण निर्वाचन प्रबंधन निकायों के बीच अनुभवों को साझा करने और उत्तम पद्धतियों के आदान-प्रदान के लिए अच्छे अवसर उपलब्ध कराते हैं। उन्होंने निर्वाचन योजना, सुरक्षा प्रबंधन और आयोग द्वारा मतदाता शिक्षा और जागरूकता के लिए इसके अग्रगामी कार्यक्रम स्वीप के अंतर्गत की गई पहल का विवरण भी प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि आज विश्व के सभी निर्वाचन प्रबंधन निकायों के लिए यह आवश्यक है कि नई-नई चुनौतियों का सामना करने के लिए वे एक-दूसरे के अनुभवों से सीखें।
भारत में निर्वाचनों का संचालन करना एक अति व्यापक और जटिलताओं से भरा चुनौतीपूर्ण कार्य है। 11 मई, 2019 को छठे चरण के निर्वाचनों की पूर्व संध्या पर प्रतिनिधियों ने स्वतंत्र, निष्पक्ष और उत्साहपूर्ण निर्वाचन सुनिश्चित करने के लिए मतदान की तैयारियों संबंधी कार्यों, मतदान दलों की रवानगी और की गई व्यापक संभार व्यवस्थाओं की झलक पाने के लिए दक्षिण दिल्ली, पूर्वी दिल्ली, चांदनी चौक, पश्चिमी दिल्ली और गुडगांव (गुरूग्राम) संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों का दौरा किया। उन्होंने जिला स्तर की निर्वाचन मशीनरी से वार्तालाप किया जिनके प्रमुख जिला निर्वाचन अधिकारी/रिटर्निंग अधिकारी थे। इसके पश्चात, प्रतिनिधियों ने आईआईआईडीईएम, द्वारका में स्थित भारत निर्वाचन आयोग के नए प्रशिक्षित और अनुसंधान कैम्पस का भ्रमण किया जिसमें लगभग 900 कार्मिकों को एक साथ प्रशिक्षित करने की क्षमता हैं। इस अत्याधुनिक कैम्पस में भारत निर्वाचन आयोग के कई अंतर्राष्ट्रीय और घरेलू प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। प्रतिनिधि भारत में निर्वाचन संबंधी आयोजनों के संपूर्ण परिदृश्य से अवगत होने के लिए अत्यंत उत्सुक थे। 12 मई, 2019 को उन्होंने द्वारका के विभिन्न मतदान केंद्रों में सुबह सवेरे छद्म मतदान के संचालन को देखा। उन्होंने मतदान अधिकारियों से बातचीत की और मतदान की उन पद्धतियों और प्रक्रियाओं को समझा जो हमारे निर्वाचनों को इतना विश्वसनीय और पारदर्शी बनाती हैं।
प्रतिनिधियों ने चल रहे मतदान और मतदान केंद्रों के आसपास उत्सवमय माहौल देखने के लिए उत्तर-पश्चिम दिल्ली, पूर्वी दिल्ली, चांदनी चौक, दक्षिण दिल्ली और गुड़गांव के भिन्न-भिन्न मतदान केंद्रों का पूरे दिन दौरा किया। उन्होंने कुछ मतदान केंद्रों का, जिनकी पूरी व्यवस्था महिला मतदान स्टाफ द्वारा की जा रही थी और साथ ही कुछ मॉडल मतदान केंद्रों का भी दौरा किया जो मतदाताओं के लिए उत्तम सुविधाओं से सुसज्जित थे। प्रतिनिधियों ने निर्वाचनों का राज्य स्तरीय परिप्रेक्ष्य जानने के लिए दिल्ली के मुख्य निर्वाचन अधिकारी से भी वार्ता की। उन्होंने दिल्ली के मुख्य निर्वाचन अधिकारी के कार्यालय में स्थित निर्वाचन संग्राहलय का भी भ्रमण किया। मतदान की समाप्ति और मशीनों को सील करने का प्रोटोकॉल एक अन्य पहलू है जिसे दिन में प्रतिनिधियों को दिखाया जाएगा।
प्रतिनिधियों में विदेश मंत्रालय की प्रायोजकता के अंतर्गत, आईआईआईडीएम द्वारा संचालित किए जा रहे प्रशिक्षण कार्यक्रम के भाग के रूप में भारत के भ्रमण पर आए म्यंमार निर्वाचन आयोग के 6 सदस्यों और 9 वरिष्ठ निर्वाचन अधिकारियों का दल भी शामिल था।