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    लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 फ़ाइल का स्रोत: http://www.legislative.gov.in/sites/default/files/H195143.pdf
  2. 84 downloads

    सं. ईसीआई/प्रेस नोट/105/2019 दिनांक : 04 नवम्बर, 2019 प्रेस नोट विषय: झारखण्ड राज्य विधान सभा का साधारण निर्वाचन, 2019-लोक प्रतिनिधित्‍व अधिनियम, 1951 की धारा 126 में संदर्भित अवधि के दौरान मीडिया कवरेज। झारखण्ड राज्य विधान सभा के साधारण निर्वाचन,2019 आयोजित कराने संबं‍धी अनुसूची दिनांक 1 नवम्बर, 2019 को घोषित कर दी गई है। राज्य में दिनांक 30.11.2019, 07.12.2019, 12.12.2019, 16.12.2019 तथा 20.12.2019 को 05 (पांच) चरणों में मतदान आयोजित किया जाना निर्धारित है। लोक प्रतिनिधित्‍व अधिनियम, 1951 की धारा 126 किसी भी निर्वाचन क्षेत्र में मतदान की समाप्ति हेतु निर्धारित घंटे से 48 घंटे पहले की अवधि के दौरान, अन्‍य बातों के साथ-साथ टेलीविजन या समरूप माध्‍यम/साधनों के माध्‍यम से किसी भी निर्वाचन संबंधी बात के प्रदर्शन का निषेध करती है। उक्‍त धारा 126 के सुसंगत अंश नीचे उद्धृत किए गए हैं:- (126. मतदान की समाप्ति के लिए नियत किए गए समय के साथ समाप्‍त होने वाली अड़तालीस घंटो की कालावधि के दौरान सार्वजनिक सभाओं का प्रतिबंध- (1) कोई भी व्‍यक्ति- (क) .............................. (ख) चलचित्र, टेलीविजन या अन्‍य समरूप उपकरणों के माध्‍यम से जनता के समक्ष किसी निर्वाचन संबंधी बात का प्रदर्शन नहीं करेंगे; (ग) ................................................................... मतदान क्षेत्र में किसी भी निर्वाचन के लिए मतदान की समाप्ति के लिए नियत किए गए समय के साथ समाप्‍त होने वाले अड़तालीस घंटों की कालावधि के दौरान (2) वह व्‍यक्ति, जो उपधारा (1) के उपबंधों का उल्‍लंघन करेगा कारावास में, जिसकी अवधि दो वर्ष तक हो सकती है, या जुर्माने से या दोनों से दंडनीय होगा। (3) इस धारा में, ‘‘निर्वाचन संबंधी बात’’ पद से अभिप्रेत है कोई ऐसी बात जो किसी निर्वाचन के परिणाम पर असर डालने या उसे प्रभावित करने के लिए आशयित या प्रकल्पित है)। 2. निर्वाचनों के दौरान कभी-कभी टी.वी चैनलों द्वारा उनकी पैनल चर्चाओं/ वाद-विवाद तथा अन्‍य समाचारों और वर्तमान मामला कार्यक्रमों के प्रसारण में लोक प्रतिनिधित्‍व अधिनियम, 1951 की उपर्युक्‍त धारा 126 के उल्‍लंघन का आरोप लगता रहा है। विगत मे भी आयोग ने यह स्‍पष्‍ट किया था कि उक्‍त धारा 126, निर्वाचन क्षेत्र में मतदान की समाप्ति के लिए नियत किए गए समय के साथ समाप्‍त होने वाले 48 घंटों की कालावधि के दौरान अन्‍य बातों के साथ-साथ टेलीविजन या समरूप उपकरणों के माध्‍यम से किसी भी निर्वाचन संबंधी बात के प्रदर्शन पर प्रतिबंध लगाती है। उस धारा में ‘‘निर्वाचन संबंधी बात’’ को ऐसी बात के रूप में परिभाषित किया गया है जो किसी निर्वाचन के परिणाम पर असर डालने या उसे प्रभावित करने के लिए आशयित या परिकल्पित हो। धारा 126 के उपर्युक्‍त उपबंधों का उल्‍लंघन दो वर्ष के कारावास या जुर्माने अथवा दोनों द्वारा दंडनीय होगा। 3. आयोग इस बात को पुन: दोहराता है कि टीवी/रेडियो चैनलों तथा केबल नेटवर्कों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि लोक प्रतिनिधित्‍व अधिनियम 1951 की धारा 126 में संदर्भित 48 घंटों की अवधि के दौरान उनके द्वारा टेलीविजन प्रसारित/रेडिया प्रसारित/प्रदर्शित कार्यक्रमों की विषय सूची में पैनल के सदस्‍यों/प्रतिभागियों द्वारा दिए गए विचारों/अपीलों सहित कोई ऐसी सामग्री न हो जिससे निर्वाचन के परिणामों को प्रभावित करने/असर डालने या अभ्‍यर्थी(र्थियों) अथवा किसी विशेष दल की संभावनाओं को प्रोत्‍साहित करने/प्रतिकूल प्रभाव डालने का अर्थ लगाया जाए। अन्‍य बातों के अलावा, इसमें किसी भी ओपीनियन पोल तथा वाद-विवादों के परिणामों विश्‍लेषण, विजुअल तथा साउंड बाइट्स का प्रदर्शन भी शामिल होगा। 4. इस संबंध में, लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 126क की ओर ध्‍यान आकर्षित किया जाता है जो कि सभी राज्यों में मतदान प्रारंभ होने से तथा मतदान समाप्त होने के आधा घंटा बाद तक के बीच की अवधि के दौरान एग्जिट पोल आयोजित करने और उसके परिणामों को प्रसारित करने को प्रतिबंधित करती है। 5. लोक प्रतिनिधित्‍व अधिनियम 1951 की धारा 126 द्वारा कवर न होने वाली अवधि के दौरान संबंधित टीवी/रेडियो/केबल/एफ एम चैनल आउटडोर किसी भी प्रसारण संबंधी घटनाओं (एग्जिट पोल के अलावा) के संचालन, जो शालीनता, सांप्रदायिक एकता के अनुसरण आदि के संबंध में केबल नेटवर्क (विनियमन) अधिनियम के अधीन सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा निर्धारित प्रोग्राम कोड और आदर्श आचार संहिता के उपबंधों के अनुरूप हो, हेतु आवश्‍यक अनुमति के लिए राज्‍य/जिला स्‍थानीय प्राधिकारियों से संपर्क करने के लिए स्‍वतंत्र है। सभी इंटरनेट वेबसाइटों और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को अपने प्लेटफार्म पर सभी राजनीतिक विषय पर सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 और दिशानिर्देश संख्या 491/एसएम/2013/संचार, दिनांक 25 अक्टूबर, 2013 के प्रावधानों का पालन करना चाहिए। संबंधित मुख्‍य निर्वाचन अधिकारी/जिला निर्वाचन अधिकारी ऐसी अनुमति देते हुए कानून और व्‍यवस्‍था की स्थिति सहित सभी संगत पहलू ध्‍यान में रखेंगे। जहां तक राजनीतिक विज्ञापनों का संबंध है, आयोग के दिनांक 15 अप्रैल, 2004 के आदेश संख्‍या 509/75/2004/जेएस-I के अनुसार राज्‍य/जिला स्‍तर पर गठित समिति द्वारा इसका पूर्व प्रमाणन किया जाना आवश्यक है। 6. निर्वाचन के दौरान पालन करने हेतु प्रेस काउंसिल ऑफ इण्डिया द्वारा जारी निम्‍नलिखित दिशा-निर्देशों की ओर सभी प्रिन्‍ट मीडिया का भी ध्‍यान आकर्षित किया जाता है: (i) प्रेस का यह कर्तव्‍य होगा कि वह निर्वाचनों तथा अभ्‍यर्थियों के बारे में विषयपरक रिपोर्ट दें। समाचार पत्रों से यह अपेक्षा नहीं की जाती कि वे निर्वाचनों के दौरान किसी अभ्‍यर्थी/पार्टी या घटना के बारे में अतिशोक्तिपूर्ण रिपोर्टों और दूषित निर्वाचन प्रचारों में हिस्‍सा लें। व्‍यवहार में, दो या तीन कड़ी प्रतियोगिता वाले निर्वाचन लड़ने वाले अभ्‍यर्थी सारी मीडिया को अपनी ओर ध्‍याना‍कर्षित करते हैं। वास्‍तविक प्रचार पर रिपोर्ट तैयार करते समय समाचार पत्र में ऐसा कोई महत्‍वपूर्ण बिंदु नहीं छोड़ना चाहिए जो कि अभ्‍यर्थी द्वारा उठाया गया हो और जो उसके विरोधी पर आक्षेप लगाता हो। (ii) सांप्रदायिक या जाति आधार पर वोट मांगते हुए निर्वाचन प्रचार करना निर्वाचन नियमावली के अधीन निषेध है। अत:, प्रेस को धर्म, वंश, जाति, समुदाय या भाषा के आधार पर लोगों के बीच विद्वेष या घृणा की भावना को बढ़ावा देने से बचना चाहिए। (iii) प्रेस को किसी अभ्‍यर्थी के आचारण और उसके निजी चरित्र के संबंध में कोई मिथ्‍या या आलोचनात्‍मक वक्‍तव्‍य अथवा उसकी अभ्‍यर्थिता या नाम वापस लेने के संबंध में किसी प्रकार के प्रकाशन से बचना चाहिए ताकि निर्वाचनों में उस अभ्‍यर्थी की अपेक्षाएं प्रतिकूल रूप से प्रभावित न होने पाएं। प्रेस को किसी अभ्‍यर्थी/दल के विरूद्ध असत्‍यापित आरोपों को प्रकाशित नहीं करना चाहिए। (iv) प्रेस, किसी अभ्‍यर्थी/दल को सुव्‍यक्‍त करने में वित्‍तीय अथवा अन्‍य किसी प्रकार के प्रलोभन को स्‍वीकार नहीं करेगा। यह किसी अभ्‍यर्थी/दल की ओर से उनको दी जाने वाली कोई भी सुविधा या आतिथ्‍य स्‍वीकार नहीं करेगी। (v) प्रेस से किसी विशेष अभ्‍यर्थी/दल के प्रचार में शामिल होने की अपेक्षा नहीं की जाती है। यदि यह ऐसा करती है तो यह ऐसे अन्‍य अभ्‍यर्थी/दल को इस संबंध में जवाब देने के अधिकार की अनुमति भी देगी। (vi) प्रेस, सत्‍ताधारी पार्टी/सरकार की उपलब्धियों के संबंध में सरकारी खर्च/राजकोष पर किसी विज्ञापन को स्‍वीकार/प्रकाशित नहीं करेगी। (vii) प्रेस, निर्वाचन आयोग/रिटर्निंग अधिकारियों या मुख्‍य निर्वाचन अधिकारी द्वारा समय-समय पर जारी सभी निदेशों/आदेशों/अनुदेशों का पालन करेगी। 7. एनबीएसए द्वारा दिनांक 03 मार्च, 2014 को जारी ‘‘निर्वाचन प्रसारण हेतु दिशा-निर्देश” की ओर इलेक्‍ट्रॉनिक मीडिया का ध्‍यान आकर्षित किया जाता है :- (i) समाचार (न्‍यूज़) प्रसारकों को भारत निर्वाचन आयोग द्वारा तथा लोक प्रतिनिधित्‍व अधिनियम, 1951 के अधीन निर्धारित नियमों तथा विनियमों के अनुसार सुसंगत निर्वाचन मामलों, राजनैतिक दलों, अभ्‍यर्थियों, अभियान मामलों तथा मतदान प्रक्रियाओं के बारे में लोगों को वस्‍तुनिष्‍ठ तरीके से सूचित करने का प्रयास करना चाहिए। (ii) न्‍यूज़ चैनलों को पार्टी या अभ्‍यर्थी के संबंध में किसी भी प्रकार की राजनैतिक संबद्धता का उल्‍लेख करना चाहिए। जब तक वे सार्वजनिक रूप से किसी विशेष पार्टी या अभ्यर्थी का समर्थन नहीं करते हैं, समाचार प्रसारकों का यह कर्तव्‍य बनता है कि वे अपनी निर्वाचन संबंधी रिपोर्टिंग में संतुलित एवं निष्‍पक्ष बने रहें। (iii) न्‍यूज़ प्रसारकों को सभी प्रकार की अफवाहों, निराधार अटकलबाजियों तथा गलत सूचना देने से बचना चाहिए, विशेषत:, जब यह किन्‍ही विशेष दलों या अभ्‍यर्थियों के संबंध में हो। ऐसा कोई भी अभ्‍यर्थी/राजनैतिक दल जो कि इस प्रकार से बदनाम किया गया है या मिथ्‍या निरूपण, गलत सूचना देने या सूचना के प्रसारण द्वारा समरूप क्षति से पीडि़त है, तो उसमें तुरंत सुधार लाया जाए और जहां उचित लगे जवाब देने का अवसर भी प्रदान किया जाए। (iv) समाचार प्रसारकों को ऐसे सभी राजनैतिक तथा वित्‍तीय दबावों से बचना चाहिए जो कि निर्वाचनों की कवरेज तथा निर्वाचन संबंधी मामलों पर प्रभाव डालते हों। (v) समाचार प्रसारकों को अपने समाचार चैनलों में प्रसारित संपादकीय तथा विशेषज्ञ राय के बीच स्‍पष्‍ट अंतर रखना चाहिए। (vi) वे समाचार प्रसारक जो राजनैतिक दलों से वीडियो सामग्री प्राप्‍त करते है, उन्‍हें इसका उल्‍लेख करना चाहिए और इसे उचित रूप से टैग भी करना चाहिए। (vii) घटनाओं, तारीखों, स्‍थानों और उद्धरणों के संबंध में निर्वाचनों तथा निर्वाचन संबंधी मामलों से संबंध रखने वाले समाचारों/कार्यक्रमों की प्रत्‍येक मूलवस्‍तु के संबंध में यथार्थता सुनिश्चित करते समय विशेष ध्‍यान रखना चाहिए। यदि गलती से या असावधानी से किसी गलत सूचना का प्रसारण हो जाता है तो जैसे ही प्रसारक के ध्‍यान में यह बात आती है तो वह उसे उसी विशिष्‍टता से संपन्‍न करेगा जैसे कि मूल प्रसारण के समय किया था। (viii) समाचार प्रसारकों, उनके संवाददाताओं और अधिकारियों को धन, किसी प्रकार का उपहार या ऐसा कोइ समर्थन स्‍वीकार नही करना चाहिए जो उन पर किसी प्रकार का प्रभाव डाले या प्रभाव डालता हुआ प्रतीत हो, हितों संबंधी विरोध उत्‍पन्‍न करे या प्रसारक अथवा उसके कार्मिक की विश्‍वसीनयता को क्षति पहुंचाए। (ix) समाचार प्रसारक किसी प्रकार का ‘घृणापूर्ण भाषण’ या अन्‍य प्रकार के आपित्‍तजनक अंशों का प्रसारण नहीं करेंगे जिससे हिंसा या जनाक्रोश को बढ़ावा मिले या अव्‍यवस्‍था फैले क्‍योंकि सांप्रदायिक या जाति के आधार पर प्रचार करना निर्वाचन विधि के अधीन निषेध है। समाचार प्रसारकों को ऐसी रिपोर्टों से कड़ाईपूर्वक परहेज करना चाहिए जिससे धर्म, वंश, समुदाय, क्षेत्र या भाषा के आधार पर वैमनस्‍यता या घृणा की भावना को बढ़ावा मिले। (x) समाचार प्रचारकों से यह अपेक्षा की जाती है कि वे समाचारों तथा पेड सामग्री का अंतर बनाए रखने में सावधानी बरतें। सारी पेड सामग्री पर ‘‘पेड विज्ञापन’’ या ‘‘पेड सामग्री’’ स्‍पष्‍ट रूप से चिहनित किया जाना चाहिए और एनबीए द्वारा जारी दिनांक 24.11.2011 के ‘‘पेड न्‍यूज़ पर प्रतिमानक और दिशा-निर्देश’’ के अनुसरण में पेड सामग्री कार्यान्वित होने चाहिएं। (XI) ओपीनियन पोल को रिपोर्ट करते समय उसकी सटीकता और निष्‍पक्षता का विशेष ध्‍यान रखना चाहिए, दर्शकों के लिए यह खुलासा किया जाना चाहिए, कि ओपीनियन पोल के संचालन और उसके प्रसारण के लिए उन्‍हें किसने अधिकृत किया है, किसने उसका संचालन किया है और किसने उसके लिए भुगतान किया है। यदि किसी समाचार प्रसारक के पास ओपीनियन पोल अथवा अन्‍य निर्वाचन प्रेक्षणों का परिणाम है तो उसे ऐसे मतदानों की उनकी सीमाबद्धता सहित सीमाओं तथा कार्यक्षेत्र और उसका संदर्भ या उल्‍लेख अवश्‍य करना चाहिए। ओपीनियन पोल के प्रसारण के साथ ऐसी सूचना भी अवश्‍य दी जानी चाहिए जिससे दर्शक मतदान का महत्‍व यथा प्रयुक्‍त पद्धति, सैंपल का आकार, त्रुटियों की गुंजाइश, फील्‍डवर्क तारीखें तथा प्रयोग किए गए आंकड़े को समझ सकें। प्रसारक को इस संबंध में भी सूचना देनी चाहिए कि वोट शेयर किस प्रकार सीट शेयर में बदल जाता है। (xii)प्रसारक, लोक प्रतिनिधत्व अधिनियम,1951 की धारा (1)(ख) के उल्लंघन में, मतदान समाप्त होने के नियत समय के साथ 48 घंटे के दौरान कोई भी “निर्वाचन सामग्री”, अर्थात निर्वाचन के परिणाम को प्रभावित करने के उद्देश्य या मंशा से प्रसारित नहीं करेगा। (xiii) भारत निर्वाचन आयोग, समाचार प्रसारकों द्वारा निर्वाचनों की घोषणा से निर्वाचनों की समाप्ति और निर्वाचनों परिणामों की घोषणा तक किए गए प्रसारणों का अनुवीक्षण करेगा। भारत निर्वाचन आयोग द्वारा समाचार प्रसारण मानक प्राधिकरण(एनबीएसए) को सदस्‍य प्रसारक द्वारा किए गए किसी भी प्रकार के उल्‍लंघन के मामले की शिकायत पर एनबीएसए द्वारा इसके विनियमों के अधीन ही कार्रवाई की जाएगी। (xiv) प्रसारकों को, संभव स्‍तर तक, मतदान प्रक्रिया के बारे में मतदाताओं को प्रभावी रूप से सूचित करने के लिए मतदान का महत्‍व बताने तथा साथ ही कैसे, कब और कहां वोट करें, वोट के लिए रजिस्‍टर कराने और मतपत्र की गोपनीयता बनाए रखने के लिए मतदाता शिक्षा कार्यक्रम चलाने चाहिए। (xv) समाचार प्रसारकों को रिटर्निंग अधिकारी द्वारा औपचारिक रूप से परिणामों की घोषणा किए जाने तक किसी भी प्रकार के अंतिम, औपचारिक और निश्‍चित परिणामों का प्रसारण नहीं करना चाहिए जब‍तक कि ऐसे परिणामों में इस बात का स्‍पष्‍ट उल्‍लेख न हो कि वे अनाधिकारिक हैं या अधूरे या अपूर्ण परिणाम अथवा प्रक्षपेण हैं जिन्‍हें अंतिम परिणामों के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। 8. इंटरनेट एंड मोबाइल एसोशिएसन ऑफ इंडिया (आईएएमएआई) ने लोक सभा के लिए साधारण निर्वाचन, 2019 के दौरान निर्वाचन प्रक्रिया की सत्यनिष्ठा बनाए रखने के लिए अपने प्लेटफार्म का स्वतंत्र, निष्पक्ष एवं नीतिपरक उपयोग सुनिश्चित करने हेतु सभी प्रतिभागी सोशल मीडिया के लिए “वालंटैरी कोड ऑफ एथिक्स” भी विकसित किया है। जैसा कि आईएएमएआई द्वारा दिनांक 23.09.2019 के पत्र द्वारा सहमति दी गई है, “वालंटैरी कोड ऑफ एथिक्स” का सभी निर्वाचनों में अनुपालन किया जाएगा। तद्नुसार, यह संहिता झारखण्ड के विधान सभा निर्वाचन, 2019 में भी लागू होती है। सभी संबंधित सोशल मीडिया प्लेटफार्मों का ध्यान दिनांक 20 मार्च, 2019 के “वोलंटेरी कोड ऑफ एथिक्स” के निम्नलिखित पाठ की ओर आकर्षित किया जाता है: i. प्रतिभागियों का प्रयास होगा, जहां उपयुक्त हो, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के सिद्धांत को ध्यान में रखते हुए, उनके उत्पादों और / या सेवाओं पर निर्वाचकीय मामलों के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए उपयुक्त नीतियों और प्रक्रियाओं को तैनात किया जाए। ii. प्रतिभागियों का यह प्रयास होगा के वे स्वैच्छिक रूप से सूचना, शिक्षा और संचार अभियान चलाने के लिए निर्वाचकीय कानूनों और अन्य संबंधित निर्देशों सहित जागरूकता पैदा करने का प्रयास करेंगे। प्रतिभागियों का यह भी प्रयास होगा कि वे अपने उत्पादों/सेवाओं पर ईसीआई में नोडल अधिकारी को प्रशिक्षण प्रदान करने का प्रयास करेंगे, जिसमें कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अनुसार अनुरोध भेजने के लिए तंत्र भी शामिल है। iii. प्रतिभागियों और भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) ने एक अधिसूचना तंत्र विकसित किया है जिसके द्वारा भारत निर्वाचन आयोग, विधि द्वारा स्थापित प्रक्रियायों के अनुसार लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 126 और अन्य प्रयोज्य निर्वाचन विधियों के संभावित उल्लंघनों के बारे में प्रासंगिक प्लेटफार्मों को अधिसूचित कर सकता है। सिन्हा समिति की सिफारिशों के अनुसार धारा 126 के तहत उल्लिखित उल्लंघनों के 3 घंटे के भीतर लिए इन वैध कानूनी आदेशों को स्वीकृत और/या कार्रवाई की जाएगी। अन्य सभी वैध कानूनी अनुरोधों पर उल्लंघन की रिपोर्ट की प्रकृति के आधार पर प्रतिभागियों द्वारा त्वरित कार्रवाई की जाएगी। iv. प्रतिभागी साधारण निर्वाचनों की अवधि के दौरान भारत निर्वाचन आयोग के लिए उच्च प्राथमिकता वाली समर्पित रिपोर्टिंग तंत्र तैयार/उसका मार्ग प्रशस्त कर रहे हैं और समर्पित व्यक्ति(यों)/(टीमों) की नियुक्ति कर रहे हैं। ये व्यक्ति/टीमें इंटरफेस करेंगी और आयोग से ऐसे विधिपूर्ण अनुरोध प्राप्त होने पर नियत विधिक प्रक्रिया का पालन करके त्वरित कार्रवाई करने में सहायता करने के लिए फीडबैक का आदान-प्रदान करेंगी। v. प्रतिभागी विधि के अधीन उनके दायित्वों के अनुसार राजनीतिक विज्ञापनदाताओं के लिए एक तंत्र प्रदान करेगा ताकि निर्वाचन संबंधी विज्ञापनों, जिसमें साथ-साथ आयोजित कराए जाने वाले निर्वचनों के लिए और हरियाणा और महाराष्ट्र विधान सभा के निर्वाचनों एवं विभिन्न संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों और विधान सभा निर्वाचन क्षेत्रों के उप निर्वाचनों के लिए राजनीतिक दलों, अभ्यर्थियों के नाम हों,के संबंध में भारत निर्वाचन आयोग और/या भारत निर्वाचन आयोग के मीडिया प्रमाणन एवं अनुवीक्षण समिति (एमसीएमसी) द्वारा जारी पूर्व प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया जा सके। इसके अतिरिक्त, ईसीआई द्वारा प्रतिभागियों को अधिसूचित रूप से राजनीतिक विज्ञापनों का भुगतान करने की प्रक्रिया / कार्रवाई में तेजी लाई जाएगी जो इस तरह के प्रमाणीकरण की सुविधा नहीं देते हैं। vi. प्रतिभागी पेड राजनीतिक विज्ञापनों के साथ-साथ इस तरह के विज्ञापनों के लिए पहले से मौजूद लेबल/डिस्क्लोजर तकनीक का उपयोग करने में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध होंगे। vii. प्रतिभागी भारत निर्वाचन आयोग से इंटरनेट और मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (आईएएमएआई) के माध्यम से प्राप्त वैध अनुरोध के अनुसार, उनके संबंधित प्लेटफार्मों के दुरुपयोग को रोकने के लिए उनके द्वारा किए गए उपायों पर एक अपडेट प्रदान करेंगे। viii. आईएएमएआई इस कोड के तहत किए गए उपायों पर प्रतिभागियों के साथ समन्वय स्थापित करेगा और निर्वाचन अवधि के दौरान आईएएमएआई तथा प्रतिभागी भारत निर्वाचन आयोग के साथ निरंतर सम्पर्क में रहेंगे। उपर्युक्‍त दिशा-निर्देशों का सभी संबंधित मीडिया द्वारा विधिवत् रूप से अनुपालन किया जाना चाहिए।

ईसीआई मुख्य वेबसाइट


eci-logo.pngभारत निर्वाचन आयोग एक स्‍वायत्‍त संवैधानिक प्राधिकरण है जो भारत में निर्वाचन प्रक्रियाओं के संचालन के लिए उत्‍तरदायी है। यह निकाय भारत में लोक सभा, राज्‍य सभा, राज्‍य विधान सभाओं और देश में राष्‍ट्रपति एवं उप-राष्‍ट्रपति के पदों के लिए निर्वाचनों का संचालन करता है। निर्वाचन आयोग संविधान के अनुच्‍छेद 324 और बाद में अधिनियमित लोक प्रतिनिधित्‍व अधिनियम के प्राधिकार के तहत कार्य करता है। 

मतदाता हेल्पलाइन ऍप

हमारा मोबाइल ऐप ‘मतदाता हेल्‍पलाइन’ प्‍ले स्‍टोर एवं ऐप स्टोर से डाउनलोड करें। ‘मतदाता हेल्‍पलाइन’ ऐप आपको निर्वाचक नामावली में अपना नाम खोजने, ऑनलाइन प्ररूप भरने, निर्वाचनों के बारे में जानने, और सबसे महत्‍वपूर्ण शिकायत दर्ज करने की आसान सुविधा उपलब्‍ध कराता है। आपकी भारत निर्वाचन आयोग के बारे में हरेक बात तक पहुंच होगी। आप नवीनतम  प्रेस विज्ञप्ति, वर्तमान समाचार, आयोजनों,  गैलरी तथा और भी बहुत कुछ देख सकते हैं। 
आप अपने आवेदन प्ररूप और अपनी शिकायत की वस्‍तु स्थिति के बारे में पता कर सकते हैं। डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें। आवेदन के अंदर दिए गए लिंक से अपना फीडबैक देना न भूलें। 

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