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सं.भा.नि.आ./प्रेस नोट/22/2020
दिनांक : 14 फरवरी, 2020
प्रेस नोट
आयोग द्वारा उपयुक्त संशोधनों के साथ विद्यमान अनुदेशों को दोहराते हुए अभ्यर्थियों के आपराधिक पूर्ववृत्त से संबंधित माननीय उच्चतम न्यायालय के निदेशों को कार्यान्वित करना।
निर्वाचन आयोग ने सार्वजनिक जीवन में दृढ़ और उच्च आदर्श मानकों का सदैव समर्थन किया है। माननीय उच्चतम न्यायालय ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 129 और अनुच्छेद 142 का अवलंब लेते हुए वर्ष 2011 की रिट याचिका (सिविल) सं. 536 की वर्ष 2018 की अवमानना याचिका (सिविल) सं.2192 में 13 फरवरी, 2020 को निम्नलिखित निदेश दिए हैं:-
‘‘1) राजनैतिक दलों (केंद्रीय और राज्य निर्वाचन स्तर पर) के लिए यह अनिवार्य होगा कि वे लंबित आपराधिक मामलों वाले ऐसे प्रत्येक अभ्यर्थी (अपराधों की प्रकृति सहित, और संबद्ध विवरण जैसे कि क्या आरोप लगाए गए हैं अथवा नहीं, संबंधित न्यायालय का नाम, मामले की संख्या इत्यादि) के संबंध में विस्तृत सूचना अपनी वेबसाइट पर अपलोड करेंगे जिन्हें अभ्यर्थी के रूप में चुना गया है, और ऐसे चयन तथा इस बात का कारण भी बताएंगें कि उन अन्य व्यक्तियों का चयन क्यों नहीं किया गया जिनका कोई आपराधिक पूर्ववृत्त नहीं था।
2) चयन से संबंधित कारण संबद्ध अभ्यर्थी की अर्हताओं, उपलब्धियों और योग्यताओं के संदर्भानुसार दिए जाएंगे, न कि मतदान ‘जीतने की क्षमता’ मात्र के अनुसार।
3) इस सूचना को (क) एक स्थानीय भाषा के समाचार-पत्र और राष्ट्रीय समाचार-पत्र में प्रकाशित किया जाएगा; (ख) फेसबुक और ट्विटर सहित राजनैतिक दल के आधिकारिक सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर भी प्रदर्शित किया जाएगा।
4) यह विवरण अभ्यर्थी के चयन होने के 48 घंटे के भीतर अथवा नाम-निर्देशन दायर करने की पहली तिथि से न्यूनतम दो सप्ताह पहले, जो भी पहले हो, प्रकाशित किया जाएगा।
5) इसके बाद संबंधित राजनैतिक दल उस अभ्यर्थी के चयन की 72 घंटे की अवधि के भीतर इन निदेशों के अनुपालन की रिपोर्ट निर्वाचन आयोग को प्रस्तुत करेगा।
6) यदि कोई राजनैतिक दल निर्वाचन आयोग को ऐसी अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत करने में विफल रहता है तो निर्वाचन आयोग ‘‘संबंधित राजनैतिक दल द्वारा ऐसी अननुपालन की सूचना इस न्यायालय के आदेशों/निदेशों की अवमानना करने के रूप में उच्चतम न्यायालय को देगा ।‘’
निर्वाचन आयोग उच्चतम न्यायालय के इस ऐतिहासिक आदेश का तहेदिल से स्वागत करता है, जिसका निर्वाचकीय लोकतंत्र की व्यापक प्रगति के लिए नैतिक मानदंड स्थापित करने पर दूरगामी असर पडेगा। इससे पहले, आयोग ने मतदाताओं की जानकारी के लिए अभ्यर्थियों और संबंधित राजनैतिक दलों द्वारा आपराधिक पूर्ववृत्तों का प्रचार सुनिश्चित करने के लिए संशोधित घोषणा-पत्र सहित विस्तृत निदेश 10 अक्टूबर, 2018 को जारी किए थे। नवंबर, 2018 से इन्हें सभी निर्वाचनों में कार्यान्वित किया जा रहा है। अब, आयोग का प्रस्ताव है कि समुचित संशोधनों सहित इन अनुदेशों को पुन: जारी किया जाए ताकि माननीय उच्चतम न्यायालय के निर्देशों का अक्षरश: कार्यान्वयन किया जा सके।